वाह री कोमलिया मस्त चाल और मिट्ठी साजिस. उसकी बहेनिया तेरी नांदिया को चाट कर गरमा दिया. और अपने सैया को दिखा के गरमा दिया. मेरी ननंद कोई फालतू थोड़ी है. ना तेरा सैया उसका भईया समझा ना उसकी बहुना तेरी नांदिया समझी. नांदिया की रसमलाई दिखा दिखा कर खुटा अपने सैया का खड़ा कर दिया.ननद की रसमलाई, खाएंगे उसके भाई
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" हे कैसी है मेरी ननद की रसमलाई चाहिए,... "
बड़ी जोर से ललचाते हुए उन्होंने हाँ भरी पर उनकी बहन ने खिलखिलाते हुए उन्हें अंगूठा दिखलाया, ... जैसे कह रही हो, तड़प अभी.
मैं तो झांटे आने के पहले से तुझे देने को तैयार थी, थोड़ी जबरदस्ती करते, मैं रोती चिल्लाती फिर एक दो बार के बाद मान जाती,...
" बहुत मीठी है तोहरे बहनिया की रसमलाई "
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और अब मैंने उनकी बहन की जाँघों को फैला के उन्हें दिखा के ललचाते मुंह लगा दिया,...
मुंह में उनके पानी आ रहा अपनी बहन की रसीली बुर की फांके देख के, कौन भाई होगा जिसका न फनफना जाएगा अपनी बहिनिया की बुर देख के, उनके खूंटे की भी हालत खराब हो रही थी,...
और मैंने चाटना शुरू कर दिया,
बस अपनी जीभ की टिप से उनकी बहन के रस कूप के चारों ओर, कभी उसी जीभ की टिप से फूलती पचकती क्लिट को छेड़ देती, तो कभी दोनों होंठों से क्लिट चूसने लगती
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तो मेरे मरद की बहिन गिनगीना जाती, देह कांपने लगती।
और मैं इस तरह से चाट रही थी की ननद की चूत, की उनके भाई को पूरा नजारा दिखे की उनकी बहन के साथ क्या हो रहा है,...
कुछ देर में ही चूत पनिया गयी, लेकिन न मैंने अपनी जीभ अंदर डाली न ऊँगली .बस दोनों फांको को उन्हें दिखा दिखा के चूसती रही,...
" भौजी झाड़ दो, अरे भौजी का कर रही हो , बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह उफ्फ्फ नहीं हां "
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भैया की बहिनिया अपने सगे भैया के सामने चूतड़ पटक रही थी, देह कसमसा रही थी. यही तो मैं चाहती थी, मैंने अब एक बार उन्हें चिढ़ाया,
" है ने मेरी ननद की मस्त चूत खूब चोदने लायक, कसी कसी रसीली देख कैसे मस्त पनिया रही है, गपाक से घोंटेंगी,... बोल चाहिए मेरी ननद "
मैंने ननद की बुर पर से जीभ हटा ली और उनकी ओर देखते, ननद की खूब गीली चासनी से भीगी रसीली बुर कोखूब जोर से, पूरी ताकत से . फैला के उन्हें ललचाते दिखाते हुए पूछा।
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उनके चेहरे की गर्मी देखते बनती थी, बहन चोदने को पागल हो रहे थे,
" हाँ दो न, प्लीज,... बस एक बार,... "
लेकिन बजाय उन्हें देने के मैंने कस के बड़े मनोयोग से अपनी ननद की बुर चूसना शुरू कर दिया, कभी जीभ से ऊपर नीचे सपड़ सपड़ तो कभी मुंह लगा के पूरे जोश से चूसती,..
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और साथ में दोनों हाथ ननद के जोबन पे, रगड़ते मसलते,...
मैंने उनकी ओर देख के एक पल के लिए ननद की जाँघों पर से मुंह हटा के बड़ी सख्ती से उन्हें देखते हुए बोला,
" बस एक बार चाहिए, ...नहीं मिलेगी, कभी नहीं मिलेगी मेरी ननद "
और मैं कस के फिर से चूसने लगी, न भाई को समझ में आयी न बहन को मेरी चाल.
वो बेचारे दस बार बोले चिरौरी मिनती, तब मैंने पत्ते खोले,
मुंह तो मेरा उनकी बहन की बिल से दूर हो गया लेकिन मेरी हथेली ने उसकी जगह ले ली. कस के हथेली रगड़ मसल रही थी और मैंने उनकी ओर देख के सख्ती से बोला,
" सिर्फ एक बार क्यों बोला, ... मेरी ननद फालतू है क्या,... एक बार तुम चोद दोगे और अगली बार का चमरौटी, भरौटी में भटकेगी,... जैसे पेट में रोज भूख लगती है पेट के दो बित्ते नीचे भी रोज भूख लगती है,... अगर रोज लेना है तो बोलो,... और साफ़ साफ बोल,... "
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उनकी निगाह अभी भी अपनी बहन की एकदम गुलाबी मक्खन ऐसी चिक्क्न, चिकनी चमेली पे चिपकी थे, जरा सा रास्ता मिला तो वो तुरंत मान गए ,
" हाँ, नहीं, मेरा मतलब हाँ रोज लूंगा, मेरा मतलब है रोज चोदूगा, बिना नागा " दस बार बोले होंगे।
अब ननद को मेरी बदमाशी समझ में आ गयी थी, वो मुस्करा रही थी.
' किसको ' मैंने अपनी आवाज में बिना नरमी लाये बोला और वो समझ गए की हाल खुलासा बयान करना होगा।
" तेरी ननद, मेरा मतलब अपनी बहन को रोज पेलूँगा, ... बिना नागा,"
" और अगर बहाना बनाया तो की घर में आज महतारी हैं, आज जीजा जी है, आज एकादशी है आज फलाने आये हैं तो "
मेरी आवाज में नरमी अभी भी नहीं आयी।
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" कोई होगा, किसी के सामने भी "
रसीली पनियाई बहन की बुर के लिए कोई भी भाई कुछ भी मान लेगा, ये कौन दुनिया से अलग थे.
" अपनी महतारी अपनी जीजू के सामने चोदना होगा, अपनी बहिनिया को, घर में भी बाहर भी, खेत खेताडी में भी,... "
मैंने मामला एकदम साफ़ कर दिया, फिर न बिचक जाएँ बहन पे चढ़ने के नाम पे
अब ननद भी मैदान में आ गयी और उनसे चिढ़ाते हँसते हुए बोली,... " और भैया किसी दिन नागा हुआ तो "
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" अरे तो हम दोनों मिल के इनकी गांड मारे लेंगे, एक बार ननद भौजाई मिल जाएँ तो दुनिया हिला दें, तोहरे भैया बहुत चिकने लौंडो क मारे होंगे अब हम दोनों मिल के मार लेंगे,... अगर अब आगे से कउनो बहाना किये तो "
मैंने हंस के इनकी ओर से जवाब दिया और फिर कस के ननद की बिल एक बार फिर से कस के चूसने लगी,... जीभ होंठ ऊँगली सब ने एक साथ मेरी ननद की बुर पे धावा बोल दिया, बस दो चार मिनट में वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयी,...
" भौजी झाड़ दो न , बहुत मन कर रहा है, ... " ननद चूतड़ उछाल के बोल रही थी।
और मैंने होंठ हटा लिया, शरारत से बोली, " अभी तो तेरे भैया ने बोला है, बेचारा बहन चोदने के लिए पागल हो रहा हो, दे दो न बेचारे को झाड़ देगा, देखो कैसे मस्त खूंटा खड़ा किया है '

वाह जी वाह वाह. ले आई उट पहाड़ के निचे. चंद मिनिटो मे ही बदला ले लिया. नांदिया सौतन की मुनिया चाट चाट कर गरमा दिया.मस्ती --थ्री सम
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" भौजी झाड़ दो न , बहुत मन कर रहा है, ... " ननद चूतड़ उछाल के बोल रही थी।
और मैंने होंठ हटा लिया, शरारत से बोली,
" अभी तो तेरे भैया ने बोला है, बेचारा बहन चोदने के लिए पागल हो रहा हो, दे दो न बेचारे को झाड़ देगा, देखो कैसे मस्त खूंटा खड़ा किया है '
और साथ में मैंने ननद को आँख मारी, वो मेरी बात समझ गयी और, उसके बाद हम दोनों, क्या तंग किया उन्हें,
लंड तो पहले ही तन्नाया खड़ा था, लेकिन अब हम दोनों, एक साइड से मैं चाट रही थी एक साइड से उनकी बहना, सुपाड़ा थोड़ी देर मैं चूसती, फिर उनकी बहन.
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कभी डंडा मेरे मुंह में और बॉल्स उनकी बहन के तो कभी एक बॉल्स भैया की बहिन के मुंह में दूसरा मेरे,
हम दोनों ने उन्हें बरज दिया था, चिल्लाएं, सिसक ले लेकिन न मुझे छू सकते थे न मेरी ननद को, हाथ दोनों पलंग पर से उठा नहीं सकते थे।
कौन मरद जिसे थ्री सम का मन न करता हो,... और अगर थ्री सम में एक बहन हो दूसरी बीबी तो इससे बड़ी क्या फैंटेसी पूरी हो सकती थी,
मैंने जा के उनके कान में बोल दिया उन्हें क्या करना है
बस अगले पल मेरी ननदी निहुरी हुयी थीं, कुतिया की तरह,
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कातिक की कुतिया की तरह गरमाई भी तो रहती थीं उनकी बहन और मेरे मरद अपनी बहन को कुतिया बना के चढ़ गए और मैंने इनाम भी बता दिया,
"आज रात हचक के चोद दो, तो कल रात तोहें तोहार महतारी भी दिलवाऊंगी।"
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स्साला मेरा मरद,
महतारी चोदने के नाम पर जैसे मारे ख़ुशी के पागल, मेरी सास के भोसड़े के लालच में क्या कुटाई की मेरी ननद की बुरिया की.
सच्च में महतारी की बुर का लालच दिला के किसी भी मरद से जो काम न करा लो, तलवे चटवा लो, जिसका हफते भर से न खड़ा हो रहा हो उस स्साले का महतारी की बुर का नाम सुन के क़ुतुब मीनार हो जाता है।
कुतिया बनी कातिक की कुतिया की तरह गरमाई मेरी ननद, बिस्तर पर निहुरी, सर बिस्तर से लगा और चूतड़ हवा में बिस्तर से कम से दो फिट ऊपर उठा, कर पीछे से महतारी के भोंसडे के इनाम की बात सुन के गरमाया उसका भाई, पहले धक्के में ही आधा लंड, बहन की बुर में दरेरते, रगड़ते, जैसे आज बहन की बुर को भोंसड़ा बना के ही दम लेगा,
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" अरे भैया, इत्ती जोर से नहीं, तेरी बहन की बुर है तेरी सास का भोंसड़ा नहीं जिसमे तेरी पूरी बारात डुबकी लगा रही थी तीन दिन तक,... ओह्ह्ह नहीं उह्ह्ह लगता है,... "
स्साली ननदें, फटी जा रही है, जान निकल रही है, परपरा रही है लेकिन भौजाई को गरियाने का मौका नहीं छोड़ रही,...

ननंद बनी कुतिया. वैसे तो सारी ननंद कुतिया छिनार ही होती है. पर अपने मरद के नीचे बनी छिनार नांदिया कुतिया बनती है तो बात ही कुछ और है.ननद बनी कुतिया, चढ़े उनके भैया
(सेकेण्ड राउंड)
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स्साली ननदें, फटी जा रही है, जान निकल रही है, परपरा रही है लेकिन भौजाई को गरियाने का मौका नहीं छोड़ रही,...
मेरी ननद के जोबन जबरदस्त थे, मेरे ही बराबर ३४ सी, वैसे ही कड़े, लेकिन झुके हुए एकदम मस्त लग रहे थे
और अब उनके भैया ने वही दबोच लिया,
पता नहीं उन्हें अपने सास के भोंसडे की याद आ गयी या मेरी सास के भोंसडे की चाहत, ... अगला धक्का और जबरदस्त था,... अबकी पूरा बांस उनकी बहन के बिल में, सीधे ननद की बच्चेदानी में, जिसे आज मेरे मरद को अपने बीज से भर देना था, ... मेरी कलाई से भी मोटा लंड और मुट्ठी ऐसा सुपाड़ा, पूरी कमर के जोर से भाई ने बहन की बच्चेदानी पे ठोकर मारी,
जैसे कह रहा हो बहना आज तेरी बच्चेदानी को अपने बीज से भर के ही दम लूंगा, ...
बहनचोद तो हर भाई होता है, लेकिन ब्याहता बहन को जो गाभिन करे, वो भी पहलौठी की बिटिया, वो है असली भाई,...
दर्द से चीखीं मेरी ननद, मजे से सिसकी, उनकी बहन,... लेकिन धक्के के जोर से मुझे लगा की कहीं उनके उठे हुए चूतड़,...
मैंने झट से जितने तकिये थे घर भर के नन्द के पेट के नीचे लगा दिए, जिससे चूतड़ उनके उठे रहें हवा में
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एक तो मुझे आसा बहू की बात याद आ गयी, अगर किसी को गाभिन करवाना है पक्का, स्योर शॉट, तो चाहे पीठ के बल चुदवाये औरत, चाहे निहुर के, चूतड़ खूब उठे रहने चाहिए जिससे बुर के मुंह और बच्चेदानी के मुंह में ढलान रहे , और सब बीज सीधे बच्चेदानी में, एक बूँद भी सरक के फिसल के, बह के बाहर न आये, इसलिए मेरे मरद की बहिनिया को एकदम निहुरना जरूरी था,
दूसरी बात एक और थी,...
मेरे मरद ने कितने चिकने लौंडो को ऐसे नेकर सरका के निहुरा के, मेरे छोटे भाई को तो मेरे सामने ही ट्रेन में, ऐसे ही निहुरा के,... तो निहुरी हुयी उनकी ननद, और उनके मस्त मस्त लौंडा मार्का टाइट टाइट छोटे छोटे चूतड़, उठे हुए, देख के उनके भाई का खूंटा एकदम पागल हो गया था ,
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मन तो मेरा भी कर रहा था ऐसी निहुरि ननदिया की गाँड़ भी उनके भइया से मरवा ली जाए, लेकिन आज तो कुछ और होना था मेरे मरद के बीज से मेरी ननद को गाभिन भी होना था,
दोनों हाथों से कस कस के वो अपनी बहन के गदराये जोबन निचोड़ रहे थे, मसल रहे थे, लंड के बेस से अपनी बहन की बुर के बाहरी हिस्से को रगड़ रहे थे, बहन सिसक रही थी,... मस्ती से चूतड़ मटका रही थीं, दोनों फांके बुर की फूल पिचक रही थीं,...
लेकिन मेरी निगाहें अपनी ननद के कसे छोटे छोटे टाइट पिछवाड़े के छेद पर टिकी थी, मुझसे रहा नहीं गया,
भाई न सही तो भाभी ही सही, बस दो उँगलियाँ मैंने थूक से लिथेड़ी, एक के ऊपर एक रख कर
और पूरी ताकत से इनकी बहन की गाँड़ के छेद पर रख कर पेल दिया पूरे कलाई के जोर से
गच्चाक,
उईईई नाहीई ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ , .... जोर से चीखी मेरी ननद, ...
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पता नहीं बहन की चीख सुन के या बहन की गाँड़ में मेरी ऊँगली देख के वो एकदम जोश से पागल,... और आधा से ज्यादा खूंटा बाहर निकाल के क्या धक्का मारा, क्रिकेट होता तो छक्का स्टेडियम के बाहर जाकर गिरता,... और एक बार फिर मोटे सुपाडे ने सीधे बच्चेदानी पे ठोकर मारी,
उईईई ओह्ह्ह्ह नहीं भैया ओह्ह्ह क्या करते हो , बहिनिया सिसकी मारते हुए चीखी,...
मौका पाके मैंने चौका मार दिया , मेरी तीसरी ऊँगली भी अंदर थी,
और अब गोल गोल दीवालों को करोच रही थी, कैंची की फाल की तरह मैंने उँगलियाँ फैला दी थीं, कुछ देर में मेरी इनकी जुगलबंदी चालू हो गयी, जब इनका लौंडा बाहर निकलता, मेरी तीनो ऊँगली अंदर घुसती और जब लौंड़ा अंदर तो मेरी ऊँगली बाहर, धक्के इनके बुलेट ट्रेन से टक्कर ले रहे थे। सात आठ मिनट इसी तरह,...
ननद की चीखे आधे गाँव में गूँज रही थीं,... बस वो झड़ने के कगार पर थीं, मेरा दायां हाथ तो इनकी बहन के पिछवाड़े बिजी था, दाएं हाथ से मैंने मरद की बहिन की खुली जाँघों के बीच में हाथ डाल के क्लिट को कस के रगड़ना शुरू कर दिया,
और उसी समय इनका एक करारा धक्का इनकी बहन की बच्चेदानी पर, ननद झड़ने लगी, जैसे तूफ़ान में पत्ता कांपे, सब सुध बुध खो के, बस खाली बोल रही थीं,
" ओह भैया उफ़ नहीं हाँ बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह"
और मैंने मौके का फायदा उठा के ननद के पिछवाड़े से निकली ऊँगली, आगे जाके एकदम थेथर हुयी ननद के मुंह में, ...
ये जोर से मुस्करा उठे, मेरी बदमाशी देख के, ... और अपनी बहन से फिर पूछा,
"बहिनिया गाभिन कर दूँ,..."
" हाँ भैया हाँ, लेकिन मुझे बिटिया चाहिए तोहरे बीज से "
नीचे दबी कुचली जा रही उनकी बहन बोली।
एक बार मैं फिर पीछे थी, मुझे एक बदमाशी सूझी, मैंने पहले उन्हें इनाम बताया,
उनकी महतारी का पिछवाड़ा, ... फिर काम
बस ननद के भैया ने कैंची की तरह अपनी टाँगे बाहर निकाल कर अपनी बहन की दोनों टाँगे फंसा के कस ली, अब दोनों टाँगे ननद की चिपकी उनकी चूत चिपकी और अंदर बांस जड़ तक घुसा, जब उन्होंने निकाल के पेला तो लगा की उनकी बहन की बुर की अंदर की चमड़ी छिल गयी हो, पर उसी पर रगड़ते दरेरते, धक्के पर धक्का, उनकी बहन को दर्द भी हो रहा था मजा भी आ रहा था, पांच छह मिनट में वो दुबारा झड़ने लगीं और अबकी साथ में उनके भैया भी
जैसे कोई ऊपर से कुप्पी से तेल भरे उसी तरह इनकी पिचकारी से मलाई निकल रही थी, कहने की बात नहीं सुपाड़ा एकदमझड़ना बच्चेदानी से चिपका जब इन्होंने झड़ना शुरू किया, एक बार दो बार चार बार,...
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और ननद भी बार बार,
इनकी बहन के चेहरे से इतनी ख़ुशी झलक रही थी की जैसे बरस बरस की साध पूरी हो रही हो।
झड़ना बंद होने पर भी दस मिनट तक ये अंदर धसाये रहे, और जब इन्होने बाहर निकाला तो मैं ननद की कमर पकड़ के ऐसी ही निहुराये रही जेसे ज़रा भी मलाई बाहर नहीं आये, आधे घंटे से ज्यादा,
भाई बहन दोनों थक के बिस्तर पर पड़े थे सुध बुध खोये, और साथ में मैं भी,... बाहर चांदनी झर रही थी , आम के बौर की, महुए की मादक महक हवा के साथ आ रही थी।
रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी, मेरी ननद दो बार अपने सगे भाई की सेज चढ़ चुकी थी, और जिस तरह से चूतड़ उठा उठा के उसने मलाई घोटी थी अपने भैया की मुझे पक्का अंदाज था की वो अपने भैया से गाभिन हो गयी होगी।
भाई बहिन एक दूसरे से चिपके मस्ती में लेटे थे, लेकिन लम्बी ड्राइव में गाड़ी की टंकी हरदम फुल रहनी चाहिए
तो मैं भाई बहिन को एक दूसरे की बाँहों में छोड़कर, ... पेट्रोल पम्प मतलब किचेन की ओर,...

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Amezing erotic incast.भाग ८६ ----इन्सेस्ट कथा
सैंया बने नन्दोई
on page 88 please do read, enjoy, like and comment.
एकदम,सैया बने नंदोई. वाह तो ननंद बनी सौंतन. गलत तो दोनों मे से कुछ भी नहीं.
रे कोमलिया तेरे सैया तो चढ़ कर झड गए. फिर भी धक्के नहीं रुके. कही एक ख़तम दूसरा दौर शुरू करने के चक्कर मे तो नहीं. JKG की गुड्डी तो कच्ची कली थी. पर ये तो खेली खाई है. देखा पूरा घोंट के एक बून्द नहीं नहीं निकला अपनी मुनिया से. जब की तेरे साजन झडे तब तू ही पिचकारी की गिनती कर रही थी. 5 बार 6बार.. लगता है पूरा आधा गिलाश पानी घोंट के बैठी है तेरे सैया का.
तू भी बड़ी सोखिन है. नरी रस की. नांदिया की चूतड़ों जैसी उठी चुत देखि नहीं की हाथ फेरने लगी. देखा फिर गरमा गई तेरी सौतन कम नांदिया रानी.
गुड्डी की चंदारमुखी और इसकी चुत सूरजमुखी का फूल. चुत नहीं भोसड़ा.
कैसा लगा नांदिया रानी मेरे सैया का लोडा घोंट के.
बोलने मे बड़ी तेज है. तेरे सैया मेरे बचपन के भईया.
बात भी सही. जब तेरे भईया थे तो थी नुनी. अब हे लोडा.
री भौजी तो तू ब्याह के आई तब तुझे नुनी मिली या लोडा.
खेली खाई नांदिया है. याद दिला दी ना तुझे अपनी पहेली रात. उठा ना गया था तुजसे. और तेरी नंदियाओ ने तेरी निचे वाली मुँह दिखाई की जो.
माझा आ गया. बहोत सारे पॉइंट्स तो लिखना भूल गई.
नांदिया बनी सौतन.
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