Abhishek Kumar98
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Waise bada Gyan de rahi thi hero ko aur khud khule aam chudti fir rahi hai Aur ab najre chura Rahi hai but bua kyu mana kar rahi hai panchayat me jane se kya Pista mil gayi aur sharab wali jagah par kisne hamla kawaya hoga hero ke dad ne bhi bahut dushman bana liye hai#26
भीगा मौसम, लहराते पेड़-पौधे और सामने चलती चुदाई , मेरा खुद पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था तभी मेरी नजर उस
औरत के चेहरे पर पड़ी और मैं बुरी तरह से चौंक गया . मुझे उम्मीद नहीं थी . साली मुझे पाठ पढ़ा रही थी की ज्यादा आग लगी है तो कोई औरत ढूंढ लो और खुद खुले में चुद रही थी.जिस उत्साह से चुदाई चल रही थी लगने लगा था की अब मामला कुछ ही देर का है . पर तभी मेरे दिमाग में सवाल आया की ये आदमी कौन है क्योंकि उसने मुह पर कपडा बाँधा हुआ था .मन किया की दोनों को पकड लिया जाये रंगे हाथ पर तभी उस आदमी ने नाज को धक्का देकर खुद से परे कर दिया और तुंरत ही वहां से जाने लगा. काम होने के बाद उसने एक बार भी नाज को नहीं देखा और पल भर में ही गायब हो गया. ऐसी भी बहनचोद क्या जल्दी थी .खैर, नाज ने अपने कपड़ो को सही किया और चबूतरे से उतर कर रस्ते पर जाने को ही हुई थी की मैं दौड़ कर उसके सामने आ गया.
“देवा, देवा तुम यहाँ इस वक्त ” नाज ने थूक गटकते हुए कहा
मैं- मेरी छोड़ो तुम यहाँ क्या कर रही हो मासी
“खेतो पर गयी थी , बारिश का जोर हुआ तो रुक गयी थी इधर ” नाज ने साफ़ झूठ बोला.
“हसीन औरते झूठ बोलते समय और भी खूबसूरत लगती है ” मैंने बुदबुदाया
नाज- कुछ कहा तुमने
मैं-नहीं कुछ भी नहीं.
मैं नाज से कहना चाहता था की साली अभी कुछ देर पहले तो उचक उचक कर लंड ले रही थी और अभी देखो कितनी मासूम बन रही थी पर अगर औरत को जोर से पाया तो फिर क्या पाया. चाहता तो उसे चोद सकता था उसी समय पर उसमे मजा नहीं रहता. पर सोच जरुर लिया था की जल्दी ही नाज की चूत मारी जाएगी. बारिश में भीगते हुए हम लोग गाँव में पहुँच ही गए.
“आज तो देर बहुत हो गयी ” नाज ने अपने घर की तरफ मुड़ते हुए कहा
मैं रुक गया .
“क्या हुआ देव ”नाज बोली
“कबूतरी कच्छी जंचती है तुम पर ” मैंने नाज से कहा और उसके पैर जैसे धरती पर जम गए. मैं तुरंत अपने घर में घुस गया . घर गया तो पाया की माहोल में कुछ तल्खी सी थी माँ के चेहरे पर चिंता को पढ़ लिया मैंने
“ क्या हुआ माँ, परेशान सी लगती हो ” मैंने पुछा
माँ- किसी ने अपनी शराब फक्ट्री पर हमला किया , काफी नुक्सान हुआ है . तेरे पिताजी बाहर गए है उनको मालूम होगा तो कलेश बहुत बढ़ जायेगा देवा.वैसे ही आजकल क्रोध उनकी नाक पर रहता है मुझे बड़ी फ़िक्र हो रही है
मैं- माँ, सही हुआ है ये जिसने भी किया है . पिताजी के काले धंधे लोगो का भला नहीं करते. शराब से कितने घर बर्बाद होते है तो कभी ना कभी आंच हमारे घर तक भी आयेगी न. वैसे भी ये खून खराबा आये दिन का ही नाटक हुआ पड़ा है .
माँ- लिहाज करना भूल ही गए हो आजकल तुम
मैं- सच कहना कोई बदतमीजी भी तो नहीं ना माँ, तुमसे क्या ही छिपा है .झूठे रुतबे, झूठी शान के बोझ को कब तक धोना पड़ेगा हमें. पिताजी खुश होते है की वो बाहुबली है , इलाके में उनका सिक्का चलता है पर माँ पीठ पीछे वो ही लोग हमें गालिया बकते है . गाँव में कोई हमसे बात तक नहीं करना चाहता.
माँ- गाँव वालो के लिए इतना सब कुछ करने के बाद भी उनके मन में फरक है तो ये हमारी नहीं उनकी समस्या है
मैं- सही कहा माँ तुमने.
माँ- कायदे से तुझे चिंता होनी चाहिए थी की किसने हमारे काम पर हमला किया . हमारे लोगो को चोट आई है , अगर हमने कदम नहीं उठाया तो कल को फिर कोई ऐसी ही हिमाकत करेगा . कैसा बेटा है तू घर पर आंच आई है और तुझे परवाह ही नहीं .
“किसी की मजाल नहीं की मेरे घर की तरफ आँख उठा सके ” मैंने कहा ही था की तभी बाहर से मुनादी करने वाले की आवाज आने लगी .
“सुनो सुनो, सुनो आज रात करीब घंटे भर बाद सब लोग गाँव की चौपाल में इकठ्ठा हो जाए .पंचायत लगेगी ” मुनादी करने वाले की आवाज गली में गूंजने लगी .
मैं बाहर गया .
“पंचायत कैसे होगी, पिताजी तो गाँव में है ही नहीं. और ये पंचायत किस सिलसिले में हो रही है ” मैंने सवाल किया
“मुझे नहीं पता भाई जी, मुझे मुनीम जी ने आदेश दिया मुनादी का आप मुनीम जी से पता कर लो ” उसने कहा और आगे बढ़ गया.
आजकल गाँव में कुछ न कुछ नाटक होते ही रहते थे अब बारिश से भरे रात में पंचायत का आयोजन ऐसा क्या ही हो गया था . पर हमारी गांड के घोड़े भी चढ़ती जवानी की चाबुक से दौड़ रहे थे तो मैं मुनीम के घर पहुँच गया .
“मुनीम जी ” मैंने आवाज दी
“कौन है ” नाज ने बाहर आते हुए कहा .
“तुम इस वक्त यहाँ ”इतना ही बोल सकी क्योंकि जैसे ही हमारी नजरे मिली वो नजरे चुराने लगी. दिल तो मेरा भी धडक गया उसकी गदराई छातियो को देख कर पर फिलहाल मेरी प्रथमिकताये कुछ और थी .
“मुनीम जी कहा है मासी ” मैंने कहा
नाज- घर पर नहीं है आये नहीं अभी तक
मैं- पंचायत का आयोजन करने का आदेश दिया है उन्होंने
नाज- मुझे नहीं मालुम इस बारे में
मैं- हां, तुम्हारे तो अपने अलग ही काम है
नाज- देव मेरी बात सुनो
मैं- अभी नहीं मासी. मुझे जाना है पंचायत क्यों हो रही है मालूम करना है
नाज- मेरी बात सुनो देव.
पर नाज की बात अधूरी ही रह गयी क्योंकि तभी लगभग दौड़ते हुए बुआ वहां आ गयी और बोली- देव, तुम पंचायत में नहीं जाओगे.............
मैं- क्यों भला
बुआ- समझने की कोशिश करो देव
मैं- क्या कह रही हो बुआ, ऐसा क्या है जो मुझे नहीं जाना चाहिए वहां
बुआ- सवाल बहुत करते हो तुम , मैंने कह दिया न नहीं जाना तुम्हे तो नहीं जाना
मैं- मैं जाऊंगा जरुर जाऊंगा
बुआ- समझता क्यों नहीं तू
मैं- तो बता न
बुआ- क्योंकि................................
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