#24
“चौधरी साहब, चौधरी साहब मदद कीजिये ” निचे से किसी औरत की आवाज जोर जोर से आ रही थी, बुआ झट से मुझसे अलग हुई और मैं लालटेन जला कर निचे आया तो पाया की पिस्ता की माँ थी .
“काकी , तुम इस वक्त यहाँ क्या हुआ ” मैंने धडकते दिल से कहा
“क्या हुआ परमेश्वरी , इतनी रात को क्यों आई हो ” पिताजी ने आँगन में आते हुए कहा .
“चौधरी साहब, मेरी लड़की गायब है ” काकी ने कहा
पिताजी- क्या मतलब गायब है , इधर-उधर हुई होगी, मालूम कर ले क्या पता अड़ोसी-पडोसी या किसी सहेली के घर गयी हो .
परमेश्वरी- मुझे लगता है वो भाग गयी किसी के साथ चौधरी साहब, उसके कपडे का झोला भी गायब है और घर से कुछ पैसे भी ले गयी वो .
काकी की बात सुनकर मेरे पैरो तले जमीन ही खिसक गयी. आँखों के आगे अँधेरा सा ही छा गया. पिस्ता भाग गयी , क्यों, किसके साथ . साला समझ से बाहर ही हो गया था ये सब कुछ.
“चिंता मत कर परमेश्वरी , वो केवल तेरी ही बेटी नहीं है गाँव की इज्जत का भी सवाल है , जाने दे उसे कितना दूर जाती है तेरी चोखट पर लाकर जल्दी ही पटक दूंगा उसे. ”पिताजी की आँखों में मैंने गुस्से की लहर देखी.
मेरे तो सर में दर्द ही हो गया था चोबारे में आने के बाद मैं खिड़की पर खड़ा हो गया और आसमान को देखने लगा पिस्ता क्यों भाग गयी घर से इसका दुःख नहीं था किसके साथ गयी ये सोच कर मेरा मन रोने को हो रहा था क्या उसकी जिन्दगी में कोई और था .
“क्या सोचने लगा देव ” बुआ ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा .
मैं- दोस्त है वो मेरी.
“तेरी दोस्त कब से हो गयी वो ”बुआ ने कहा
मैं- कहा न दोस्त है , मुझे फ़िक्र होने लगी है उसकी
बुआ- फ़िक्र की बात तो है , तेरी दोस्त है तो उसने कुछ तो बताया ही होगा तुझे, और अगर तुझे उसकी फ़िक्र है तो तलाश ले उसे की भाई जी तलाश ले उसे . अगर वो उनके हाथ लग गयी तो फिर तू सोच भी नहीं सकता की क्या होगा .
मैंने बुआ की आँखों में खौफ देखा.
“कुछ नहीं होगा उसे, कुछ नहीं होने दूंगा मैं उसे.”मैंने कहा
बुआ- कितना चाहता है तू उसे
मैं- चाहता , दोस्त है वो मेरी
बुआ- पर मैं तो तेरी आँखों में कुछ और देख रही हूँ, भाई जी से पहले अगर पिस्ता तुझे मिल जाये तो कुछ भी करना उसे यहां से इतना दूर कर देना की कोई साया भी तलाश न कर सके उसे, वर्ना आने वाला समय बहुत कठिन होगा उसके लिए भी और तेरे लिए भी
मैं-क्या कह रही है बुआ
बुआ- अगर तू सच्चा है तो रब ही राखा है तेरा . लालटेन बुझा दे ये रात यु ही नहीं कटेगी अब .
मेरी खामोश जिन्दगी अचानक से ही सरपट दौड़ने लगी थी, अचानक ही इतनी सारी घटनाये होने लगी थी . सुबह गाँव में अजीब सी ख़ामोशी छाई हुई थी, जाहिर था पिस्ता वाली खबर सबको मालूम हो ही गयी थी . मैं पिस्ता के घर गया .
“भाई जी , यहाँ ” काकी ने कहा
मैं- काकी, बहुत जरुरी बात करनी है तुमसे . ये बताओ पिस्ता कहाँ जा सकती है
काकी- मुझे क्या मालूम बेटा, मेरी तो उसने सुनी ही नहीं कभी मुह काला करवा गयी हरामजादी ऐसी बेटी दुश्मन को भी न मिले.
मैं- बुरा क्यों सोचती हो काकी, हो सकता है बात वैसी ना हो जैसा सब सोच रहे है वैसे भी ये दुनिया किसी का अच्छा नहीं सोचती .
काकी- क्या कहूँ बेटा, कुछ समझ नहीं आ रही .
मैं- कुछ तो करती होगी,किसी के साथ तो रहती होगी
काकी- ऐसा तो कुछ नहीं था , जंगल चली जाती थी कभी बकरिया लेकर कभी लकडिया लाने बाकी समय मुई रेडियो से चिपकी रहती थी गाने सुनती रहती थी . हजार बार कहा की घर के कामो में ध्यान दे ब्याह के बाद ये सब ही काम आयेंगे पर नही मानती थी .
काकी की बातो से मुझे कुछ भी ऐसा नहीं मिला जो मदद कर सके. मैंने बहुत कोशिश की पर पिस्ता का कुछ पता नहीं चला. जीना हराम हो गया था खाना पीना तो दूर की बात थी . दिन पर दिन गुजरने लगे थे पर पिस्ता ऐसे गायब हुई की जैसे कभी थी ही नहीं, मैं उसकी माँ के पास जाकर दिलासा देता उसे पर हर गुजरते दिन के साथ मैं टूटने लगा था .
“बहुत दिनों से देख रही हु, ना कुछ बताते हो न कुछ छिपाते हो. क्या हुआ है तुम्हे.बस चुपचाप बैठे रहते हो ” चाय का कप पकड़ाते हुए पुछा उसने .
मैं- कुछ नहीं है कहने को मेरे पास
वो- बेशक, पर मैंने सुना है की मन में किसी बात को दबाना नहीं चाहिए और फिर अपने दर्द को हम किसी अपने के साथ बाँट भी तो सकते है न .इतना तो मेरा हक़ है ही तुम मुझे बता सको .
ये बात उसने इतने अधिकार से कही थी की मैं न चाहते हुए भी उसे पिस्ता के बारे में बता ही दिया.
“मामला गंभीर है और सम्भावनाये काफी. पहली तो जाहिर है यही की पिस्ता भाग गयी और दूसरी ये की हो सकता है किसी ने उसका अपहरण कर लिया हो ” उसने कहा
मैं- पर क्यों करेगा कोई ऐसा
“जवान है, खूबसूरत है जैसा तुमने कहा .हो सकता है किसी की नियत में खोट आ जाये. . हो सकता है की किसी ने उसे अगवा करके उसके साथ कुछ ऐसा वैसा किया और मार दिया हो ” उसने हौले से कहा
मेरा दिल इस अनिष्ट की बात सुनकर रोने को हो आया.
“ये सिर्फ वो सम्भावनाये है जिन पर हम विचार कर रहे है .” बोली वो
मैं क्या कहता उसे .पर कुछ तो हुआ ही होगा वर्ना पिताजी जैसा बाहुबली आदमी तक उसने इतने दिन में तलाश नहीं कर पाया तो दूसरी सम्भावना होने के अनुमान अचानक से बहुत बढ़ गए थे . घर आया तो रात काफी हो चुकी थी मालूम हुआ की पिताजी बाहर थे और माँ बुआ गाँव में कीर्तन में गए थे, घर पर मैं अकेला था .न जाने मुझे क्या ख्याल आया बुआ की अलमारी खोली मैंने. ऊपर के दो खानों में कपडे भरे हुए थे, कुछ गहने थे निचे वाले खाने में जुतिया. साइड में कुछ किताबे थे जिनमे शायरिया थी और फिर मुझे वो मिला जो शायद मैं देखना चाहता था . दो और वैसी ही किताबे जिनमे अश्लील कहानिया थी पर मेरी दिलचश्पी उसमे थी , वो रंगीन चित्रों वाली किताब जिसमे सम्भोग के चित्र थे. तरह तरह से चुदाई की फोटो. नसों में बहता खून का जोर लंड में उतर आया था .
जैसे ही उत्तेजना का सुरूर दौड़ा दिमाग से तमाम चिंता, फ़िक्र दूर हो गयी मैंने अपनी पेंट को खोला और कच्छे को सरकाते हुए लिंग को आजाद कर लिया . हाथ से उसे सहलाया तो बदन में कम्पन होने लगा. जिन्दगी में पहली बार मैं हस्मैथुन कर रहा था और जब लगा ही था की मैं उस सुख को प्राप्त करने वाला हु . एक आवाज ने मेरी सिट्टी पिट्टी गुम कर दी.
“बेशरम क्या कर रहा है ये ”
मैं घबराहट में पलटा और तभी मेरे लिंग से पिचकारी सी निकली और उसके पेट पर काफी सारा सफेद सफ़ेद लग गया.................