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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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But we are watching figure in the figures.isme koyi shak nahi . you are a stickler to facts, as my friend says, a statistician, who knows how to figure out figures, and i do not mean the way we use the figure in the stories.
सचमुच उनकी कविता एक नई ऊर्जा भर देता है...सहज होना सबसे कठिन है
हम सब आरुषि जी के शुक्रगुजार हैं की वो हमें अपनी उपस्थिति से लाभान्वित करती हैं। चित्र और काव्य का यह संयोग रूप और कंचन के संयोग की तरह है. जैसे आभूषण किसी सुन्दर स्त्री की सुंदरता बढ़ाते हैं पर हर कहीं वो आकर्षक नहीं लगते, उसी तरह से ये चित्र उनकी कविताओं के साथ नए अर्थ पाते हैं।
आपका आभार की आपने आरुषि जी को अप/नी ओर से और हजारों हजार पढ़ने वालों की ओर से उन्हें धन्यवाद किया
शब्दों के साथ भावों का तालमेल तो कोई आपसे सीखे....कितनी ज्ञान भरी बातें लेकिन कितने कामोत्तेजक शब्दों के साथ, और कितनी आसानी से
काम चार पुरुषार्थों में एक है, लेकिन अर्थ का अर्थ ढूँढ़ते नागरी जीवन में हम शायद इसे भूल गए हैं। गाँव की स्त्रियों और लड़कियों में सेक्स की चर्चा, जिन शब्दों को हम टैबू मानते हैं, भदेस समझते हैं वो भाषा का हिस्सा हैं, चिढ़ाने की छेड़ने की रोज मर्रा की भाषा, ओटीटी और नयी फिल्मो में वो शब्द फिर से बाहर निकले लेकिन गुस्से की तरह, हिंसा के विकल्प के शाब्दिक हिंसा की, गाँव की गारियो की छेड़छाड़ की तरह नहीं।
लम्बाई भी ज़रूरी है पर असली चीज़ मोटाइ है
ये बात वही जाने जिसने अच्छे से मरवाई है
ये एक महिला ही जान सकती है, अधिकतर नर्व एंडिंग्स योनि के शुरू के भाग में होती हैं इलसिए जो टैक्टाइल सुख, स्पर्श का आनद मिलता है उसका बड़ा हिस्सा यही मिलता है. इसलिए मेरी कई कहानियों में दरेरना, रगड़ना ऐसे शब्द इसी संदर्भ में आते हैं। सेक्स की शुरुआत एक क्यूरिऑसिटी की तरह होती है और बाद में सिर्फ एक बॉक्स टिक करने भर तक रह जाती है, लेकिन जिसने उसका आनंद लिया है वही यह जानता है
पिल्स शायद वोमेन एम्पावरमेंट का पहला बड़ा कदम था जिससे नारी को अपनी देह पर अधिकार मिला
आरूषि जी का लाख आभार की नारी मन और तन की बातों को कैसे उन्होंने एरोटिक ढंग से व्यक्त किया.
आगे-पीछे ऊपर नीचे...आपने मेरी ननद को कमजोर समझा है, मैच होने दीजिये देखिये कैसे छक्के मारती है
लेकिन अभी पहला मैच जबरदस्त तो उसका मेरे कमल जीजू के साथ होना है बस दो तीन पोस्टों के अंदर,...
कहानी में राज बनाए रखने के लिए...एकदम और इन्सेस्ट के आँगन में बेबी स्टेप्स बिना डाक्टर साहिबा की मदद के, उनका हाथ थामे मुश्किल है
इसलिए मैंने कहा, कहानी, मुख्य पात्रों के नाम , रिश्ते
अब मुझे डाक्टर साहिबा के जवाब का इन्तजार है
दोनों ओर ऊँचाइयों को छूना है...गुड्डी को दोनों काम करना है,
नर्ड्स को न्यूमेरिकल में पिछाड़ कर बिल बोर्ड पर अपनी फोटो लगवानी है
और मस्ती की पाठशाला में भी अव्वल रहना है।
सबके दिल की रानी...अक्सर हाईस्कूल के बाद ही कोचिंग शुरू हो जाती, कोचिंग वाले ११, १२ की पढाई भी करवा देते हैं और कोचिंग भी, और नहीं हुआ तो एक साल का अलग से कोर्स होता है,... तो तीन साल तो,
पर रानी, रानी है।
और इसी तरह ज्ञान बढ़ता है..Bahut hi gyan milta hai arushi ji se
I will try to keep your suggestion in mind.Ho sake to is baat ko guddi se mt chupana kavita me varna salhaj ko apradh boadh ho baad me. Nanad bhojai ki sehmati hogi to khul kar maje le payegi
सिर्फ कोचिंग...एकदम सही कहा आपने रानी मधुमक्खी ही है, कोचिंग की एक एक लड़के लड़की का हिसाब उसे मालूम है फिर उसकी लिस्ट तो मार्केटिंग रिसर्च वालों को भी मात कर देती है,