आदि से अंत तक लाजवाब....मैंने सासु दामाद यौन संबंध पर अपनी कविता का अंतिम भाग पोस्ट किया है। मुझे आशा है कि यह मेरे सभी पाठकों को अच्छा लगेगा और वे अपनी समीक्षाओं से मुझे प्रेरित करते रहेंगे
हर बार की तरह आपने सराबोर कर दिया....
आदि से अंत तक लाजवाब....मैंने सासु दामाद यौन संबंध पर अपनी कविता का अंतिम भाग पोस्ट किया है। मुझे आशा है कि यह मेरे सभी पाठकों को अच्छा लगेगा और वे अपनी समीक्षाओं से मुझे प्रेरित करते रहेंगे
शुरू हो तो जल्दी खत्म ना हो...Ab to bus party shuru ho jaye jaldi se
जो लड़की ऐसा बोलती है...No. 1 ko jhelna guddi ke liye to bahut mushkil hai, guddi ki bhabhi hi jhel skti hai use
आग और पेट्रोल के मिश्रण से ज्वाला धधक उठेगी...कोमल जी ने पेट्रोल छिड़क और आरुषि आग लगा दी वाह अद्भुत संयोग
आपसे अच्छा कमेंट कोई दूसरा पोस्ट कर हीं नहीं सकता....आपकी कविता और अच्छी न लगे ये हो नहीं सकता। मैं अपने कमेंट आज ही पोस्ट करती हूँ।
जब प्यार करे कोई तो खिल उठे तन बदन...मैं सिर्फ यह कह सकती हूँ जब भी मिसेज मोइत्रा और उनके दामाद का संगम होगा,
ये सभी चित्र और पंक्तियाँ उस भाग के अनिवार्य अंश होंगे।
सास दामाद की सेक्सुअलिटी के सभी आयाम कितने इरोटिक ढंग से आपने पेश कर दिए ये आपके ही बस का था।
एक प्रौढ़ा, एक जवान
एक कब की प्यासी धरती, एक उमडने बरसने को बेचैन गरजता बादल,
कई बात मन की बातें मन में रह जाती हैं, देह से इशारे से कह के हम काम चलाते हैं पर कविता में वह बात खुल के आ जाती है, और ये पंक्तियाँ मिसेज मोइत्रा की, बल्कि उनके बहाने बहुत से क्षुधित, प्यासी सास की दास्तान कह देती है
ऐसे चोदो तुम जैसी मैं हूँ कोई रंडी
जब तक इसकी आग ना हो जाए ठंडी
सब झिझक छोड़कर, न उम्र का हो कोई बंधन, न रिश्तो की हो कोई दीवार, बस देह का सुख, चरम सुख
कुछ चित्रों में आँखों और चेहरे से इतने सुन्दर भाव आये हैं की क्या कहने,
बस सिर्फ यही अनुरोध कर सकती हैं जब भी मौका मिले मेरे दोनों थ्रेडों को अपनी उपस्थित से गौरवान्वित करें और मेरे ऐसे अपने हजारों हजार फैंस की रस सिक्त करें
Amazing super duper poem studded with awesome picsPart 6
बेड पे ले जाके उसको बिठाया
होठों को होठों से उसने मिलाया
हाथो में लेके उसका हसीन चेहरा
लेने लगा चुम्बन होठों का गहरा
साड़ी का सीने से फिर पलु हटाके
चूस रहा था उसके मम्मे दबाके
कोने पे गिरी पड़ी थी उसकी साड़ी
ब्रा और पैंटी लग रहे थे उसको भारी
उतर गए अब वो भी धीरे-धीरे
चूत में रेंगने लगे हजारो कीड़े
एक एक अंग को वो लगा चूमने
उसकी चूत की खुशबू लगा सुंघने
छुप छुप के चुची दिखती हो क्यो
मेरी जान मुझको सताती हो क्यो
तुम्हारी चूत की खुशबू कितनी है प्यारी
चाटूंगा और पेलुंगा इसे मैं रात सारी
नीचे से उसने कमर को अब उठाया
अपनी चूत पे उसके होठों को दबाया
समझ गया सासु माँ का इशारा
चाट गया चूत का रस वो सारा
मछली के जैसे वो तड़पाने लगी
बिस्तर पे बदन को पटकने लगी
दामाद के वो कपडे लगी उतारने
पकड़ उसका लौड़ा लगी निहारने
हाथ में पकड़ लंड वो कांप गई थी
आज मेरी फ़ेडेगा वो भांप गई थी
अपनी जीभ उस पर लगी फेरने
लटक रहे गोटो को लगी छेड़ने
पकड़ मुँह लौड़ा लगा पेलने
चूचो से उसका लगा खेलने
ऐसे ने मुझको तुम इतना सताओ
जल्दी से अपने ये लौड़ा घुसाओ
निचोड़ के रख दो ये ज़ालिम जवानी
मेरी चूत में बरसा दो लौड़े का पानी
आँखो ही आँखो में हुआ फ़िर इशारा
राहुल ने कस के फिर धक्का एक मारा
लन ऐसे घुसा जैसे माखन में छुरी
बरसों की दबी प्यास हुई आज पूरी
पहुंचा दिया था लौड़ा उसने ऐसे छोर
जहां नहीं पहुंचा अब तक कोई और
बरसो बाद उसका भोसड़ा बज रहा था
फच फच का मधुर संगीत सज रहा था
ऐसे चोदो तुम जैसी मैं हूँ कोई रंडी
जब तक इसकी आग ना हो जाए ठंडी
और जब दोनों साथ हों तो कोई शानी नहीं....एकदम सही कहा अपने
आरुषि जी का कोई जवाब नहीं
And this toxic persists forever....Aurhsi ji creates a potent cocktail of words and pictures real intoxicating,
रानी की कलाकारी ..रानी ने ढेर सारी संभावनाएं खोल दी हैं, एकदम सही कहा आपने, और वो सब आयेंगे ही इस कहानी में आगे कभी न कभी