Part 2
पलट के चाचा ने फिर चाची को नीचे लिया लिटा
टागे रख के अपने कांधो पे चूत पे लौड़ा दिया सटा
दो चार धक्के ही मुश्किल से चाचा ने अभी लगाए
और अगले धक्के में चूत पे अपना पानी दिया बहाए
चाची के सुंदर से चेहरे पर फिर से दिखी उदासी
इस प्रेम के खेल में चाची फिर से रह गई प्यासी
गुस्से से बोली चाची से तुम पति हो सिर्फ नाम के
मेरी आग बूझा नहीं सकते मेरे हो किस काम के
कब तक कमजोरी तुम छुपाओ गे करके कोई बहाना
तुम्हारे बस का नहीं है अब मेरे बदन की प्यास बुझाना
तुम्ही बताओ अपने दिल को अब कैसे मैं समझाऊ
कब तक रगड़ रगड़ उंगली से अपनी प्यास बुझाऊ
किसके आगे जाकर अब मैं अपनी टांगें फैलाऊं
मुझे बताओ अब कैसे अपनी चूत की आग मिटाऊं
मैंने सोचा था चाची-चाची से खेले है खूब कबड्डी
लेकिन चचा तो बिस्तर पे निकला है पूरा फिसड्डी
नामर्द चाचा बैठा था बिस्तर पर नीचे मुँह लटकाये
अब अपनी प्यासी बीवी से वो कैसे आँख मिलाए
समझ गया था चाची की अब दुख से भरी कहानी
एक नामर्द पति से ब्याह कर अब कैसे कटे जवानी
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चाची की इस प्यास में मुझे मौका दिया दिखायी
थोड़ी कोशिश करके चाची की कर सकता हूँ चुदाई
एक बार जो फंस गई चाची और पड़ गई मेरे प्यार में
फिर तो बड़े मजे से मैं घुस जाऊंगा उसकी सलवार में
एक बार जो चुद गई मुझसे फिर मेरी मनेगी हर बात
चाचा के बिस्तर पर चोदुगा उसको फिर मैं दिन रात
कैसे बुझाऊ मैं प्यास चाची की लगा सोचने मन में
कैसे चाची को प्यार करूं मैं बिठा के अपने लन पे