Part 3
एक दिन चाची ने छत पर पैंटी सुखने को डाली
मैंने चुपके से छत से चाची की पैंटी वो चुरा ली
सुंघ सुंघ चाची की पैंटी मैं लौड़ा लगा हिलाने
अपने लौड़े पे लपेटे के पैंटी वीर्य लगा गिराने
लेके चाची के सपने मैं अपना लौड़े खूब हिलाता
पर मेरे उठने से पहले ये लौड़ा फिर से उठ जाता
मेरे सर चढ़ के बोल रहा था चाची का योवन भूत
मेरा लौड़ा माँग रहा था अब चाची की प्यासी चूत
रगड़ रगड़ के पैंटी हो गई उसमें छेद
काले रंग के पैंटी हो गई थी सफेद
एक दिन जब आयी चाची मुझे जगाने
चाची की वो पैंटी पड़ी थी मेरे सिरहाने
देख चाची को कमरे में मेरा उड़ गया रंग
अपनी पैंटी देख के चाची तो रह गई दंग
खींच मेरी चादर को चाची ने जब हटाया
मैं सोया नंगा और लौड़ा था पूरा तन्नाया
देख के मेरा मोटा लौड़ा फट के रह गई आँखे
नीचे उसकी चूत नीचे की गिल्ली हो गई फांके
उठा के अपनी पैंटी चाची कमरे से गयी भाग
अब ना जानू फूटी किस्मत या जागे मेरे भाग
रुक के दरवाजे पे चाची मुझे देख मुस्काई
फेंक के पैंटी वापस मुझ पे ली उसने अंगड़ाई
फट गई है ये पैंटी मेरी और ने इसे घिसायो
एक नई डाली है सुखने चाहो तो ले आओ
अच्छा नहीं तुम्हारी उम्र में इतना वीर्य का त्याग
इस वीर्य से कर सकते हैं किसी की ठंडी आग
एक दिन चाची को किचन में तन्हा मैंने पाया
जकड़ लिया पीछे से उसको चुची खूब दबाया
भड़क गई चाची तब मुझ पर गुस्से से बोली मुझको
हाथ मत लगा मुझे क्या ऐसी वैसी लगती हूं तुझको
चाची मैंने देखी है तुम्हारी आँखों में घोर उदासी
देखा है मैंने तुम बिस्तर पर रह जाती हो प्यासी