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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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आरुषि जी का जवाब नहींGajab ki kavita likai hai Arushi ji.
Part 4
चाची लिपट गई मुझसे और बोली मुझको थाम
अगर दोनों पकड़े गए तो सोचो क्या होगा अंजाम
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मेरे नीरस जीवन में तो छाये है काले काले मेघा
मुझे बिस्तर में जो ख़ुशी चाहिए तू वो कैसे देगा
हाथ पकड़ के चाची का रख दिया लन के ऊपर
और कानो में उसके बोला उसके होठों को छुकर
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चाची बिस्तर में जो तुमको चाहिए वो है मेरे पास
पेल के अपने लौड़े से बुझा दूंगा तेरी सारी प्यास
देखा है मैंने जिस दिन से ये लम्बा और मोटा लौड़ा
मेरा भी मन मचलने लगा है इसको लेने को थोड़ा
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लेकिन अभी नहीं है ये वक़्त मिटाने को मेरी प्यास
जब भी मिलेगा सही मौका खुद आऊंगी तेरे पास
प्यासी चाची ने कर दिया था अब खुल के इज़हार
मेरे मोटे लौड़े से चूदने को बिलकुल थी अब त्यार
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आंख मिचौली शुरू हो गई मेरी अब चाची के साथ
ढूंढ रहा था बस इक ऐसा मौका जब आये वो हाथ
जान बूझ के चाची मुझको अब थी बड़ा सताती
सिने से सरका के पल्लू अपनी चूची खूब दिखती
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एक दिन जब बोले चाचू मैं आज शहर को जाउंगा
एक दिन का है कम्म वहां पे परसो वापस आऊंगा
सुन के ये बात चाचा की चाची हल्के से मुस्कायी
देख की मेरी आँखो में धीरे से अपनी आँख दबायी
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समाज गया मैं चाची की चंचल आंखो की वो बात
मधुर मिलन जब होगा अपना आज आएगी वो रात
बाजार से जाकर ब्रा और पैंटी ले के आया खास
इसको पहन के रात को चाची तुम आना मेरे पास
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पकड़ के ब्रा और पैंटी मुझसे चाची थोड़ी शरमाई
बोली मुझसे तु भी नीचे की आज कर लेना सफाई
करने लगे फिर हम दोनों इस हसीन रात की तयारी
हम दूल्हा दुल्हन और आज जैसी सुहागरात हो हमारी
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और इस भाग में जो तैयारी हैPart 5
अभी ब्यूटी पार्लर जाकर मुझको अच्छे से है सजना
पूरी रात तो बिस्तर पे फिर मुझको तुझसे है बजाना
कंडोम की अब नहीं जरूरत सुबह ले लुंगी गोली
तगडे लौड़े से आज है चुदना जब से आई है डोली
तेल की शीशी के साथ रखना ये छोटा छेद है मेरा
चूत मैं मैं तो सुखा ना ले पाऊंगी मोटा लन है तेरा
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रात को जल्दी खाके खाना अपने कमरे में आया
फ़िर खुशबू वाला सबुन ले अच्छे से खूब नहाया
गुलाब चमेली के फूलो की सेज भी ख़ूब सजाई
पूरी रात जहां करनी थी अपनी चाची की ठुकाई
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आधी रात को सज धज चाची जब कमरे में आई
देख के सेज फुलो से महकी चाची फ़िर मुस्कुराईं
हाथ में कंगन नाक में नथनी और आंखों में काजल
चोली में कसे चुचो पर छाये काले बालो के बादल
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भींच लिया चाची को मैंने बाहों की आगोश में
और लगा चूमने अंग अंग उसका पूरा जोश में
चूम रहा था चाची को मैं अपनी पूरी शिद्दत से
आज मिला था मौका हमको कितनी मुद्दत से
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मैंने धीरे से खींच दिया चाची के पेटीकोट का नाड़ा
और हाथों में थाम लिया चाची का चौड़ा पिछवाड़ा
मुझे पता है चाचा तो है बिस्तर पर है पूरे निक्कमे
चाची मैं ही चुसुंगा रोज़ तुम्हारे नरम मुलायम मम्मे
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एक एक वस्त्र चाची की फर्श पे लगा था गिरने
कामदेवी के हर एक अंग पे हाथ लगे तब फिरने
पहले दाबे मम्मे चाची के और फिर गांड सहलाई
आगे से खिस्का पैंटी को उसमे उंगली एक घुसाई
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चूत थी नीचे पूरी गीली और छोड़ रही थी पानी
पहली बार कोई मसल रहा उसकी गरम जवानी
पलट के चाची को फिर मैंने दीवार के साथ लगाया
और खोल के उसकी दोनो जांघें उनके बीच में आया
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पकड़ के चाची को कमर से मैंने खींचा उसे करीब
गांड से लेके चूत तक उसकी मैं लगा चालाने जीभ
मस्ती में बंद करके आंखें चाची मेरे सिर पे फेरे हाथ
चाट ले मेरे पागल प्रेमी इसका सारा पानी तू आज
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पिगल रही चाची की चूत कच्छे में तड़पे मेरा नाग
दोनों तरफ प्रेम मिलन को अब लगी हुई थी आग
चाची मुझको ना तड़पाओ अब करो ना अत्याचार
एक बार मुंह में लेकर ये लौड़ा कर दो इसको प्यार
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मुझे गिरा के बिस्तर पर चाची फिर पलटी वो थोड़ा
झाँक के मेरी आँखों में उसके मुँह में ले लिया लौड़ा
चूम चाट के लौड़ा चाची हलक तक लगी निगलने
नीचे मेरे दोनों अंडे चाची की गरमी से लगे पिघलने
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मजा भी, एक प्रौढ़ा तो नहीं लेकिन किशोरी भी नहीं विवाहिता से मिलन का सुखLast part
चाची उठ कर बिस्तर से जरा मेरी गोद में आओ
मेरे होठों को चूत से अपना अमृत रस पिलवाओ
चाची मेरे मुख पे फिर बैठ गई खोल के योनि द्वार
अपनी जीभ से लगा चाटने ऊसमे से रस की धार
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चाची चलो अब बिस्तर पर वही खेलेंगे अब खेल
आ चाची तेरी प्यासी चूत को लौड़े से दू अब पेल
पहुंच गई चाची बिस्तर पर कच्छी नीचे सरकायी
खोल के अपनी दोनों फाँके टपकती चूत दिखायी
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पहले ही अपनी जीभ से तूने मुझको दिया है झाड़
अब घुसा के अपना मोटा लौड़ा मेरी चूत दे फाड़
पकड़ के कमर चाची की पीछे खिंचा फिर थोड़ा
पकड़ के मम्मे चाची के गांड पे लगा रगड़ने लौड़ा
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खोल के जांघें चाची की फिर रखा छेद पर लौड़ा
रख की तकिया गांड के नीचे पैरों को थोड़ा मोड़ा
थाम के चुची चाची के और होठों पर रख के होठ
अपने लौड़े से चाची की चूत पर मैंने कर दी चोट
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जैसा ही मोटा सुपाड़ा चूत की फांको में हुआ पैबंद
मस्ती में सिस्की चाची और उसकीआँखें हो गईं बंद
हल्के से फिर खींच सुपाड़ा दिया जोर का झटका
चूत की झिल्ली पे फिर जाकर मेरा लौड़ा अटका
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समझ गया चाची की चूत की फटी नहीं है झिल्ली
मुझे ही अब चूत चोद चोद के करनी होगी ढिल्ली
अगले धक्के में चूत फटी चाची की निकली चीख
मुन्ना लौड़ा निकाल ले बाहर तुझसे मांगू मैं भीख
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चाची कोई सुन ले गा चिल्लायो ना इतना ज्यादा
चाची तेरी टाइट चूत में मेरा अभी घुसा है आधा
सुन मुन्ना तेरा चाचा तो बिस्तर पर है पूरा छक्का
असली मर्द का आज लगा है मेरी चूत पर धक्का
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चूत में जब है लगे कुलबुलाने चुदाई वाला कीड़ा
पहली बार लेने पे लौड़ा फिर मिलती है ये पीड़ा
लेकिन इस पीड़ा से कोई औरत कभी नहीं घबराए
मर्द में दम हो तो वो ये पीड़ा ख़ुशी ख़ुशी सह जाए
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औरत की चूत तो बनी हुई है खाने को लंड की मार
औरत की छेद हर रात लंड निगलने को रहते हैं त्यार
चाची इतनी ज्ञान की बातें फ़िर काहे मुझे समझाये
चूत में तुमको जब लेना है लौड़ा फिर काहे चिल्लाये
जिस चूत में घुसा नहीं है कुछ चार इंच से ज़्यादा
एक झटके में घुसा दिया तूने अपना लौड़ा आधा
चाहे मैं चीखू चिल्लाऊं लेकिन तू मत रहम दिखाना
अपना ये लम्बा लौड़ा मेरी बच्चे दानी तक पहुचाना
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चाची को खिसकाया मैने बिस्तर के कोने में थोड़ा
हचक हचक कर लगा पेलने उसकी चूत में लौड़ा
चाची को फिर पलट के बिस्तर पे बना दिया घोड़ी
फ़िर लगा लगाने धक्के गहरे गांड पकड़ के चौड़ी
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मुन्ना अब तुम आ जाओ नीचे मैं तेरे ऊपर आऊंगी
कूद कूद के तेरे लौड़े पे अब अपनी चूत मारवाऊंगी
चार बार उस रात को चाची फिर मुझ से चुदवाई
कभी चुदाई वो मेरे नीचे और कभी वो ऊपर आयी
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पहली बार झड़ी हूं इतना मेरी काँप रही अब टागे
अपनी गांड भी दे दू तुझको कभी जो मुझसे मांगे
उस रात पूरे बदन पे चाची के हो गए थे लव बाइट्
एक रात में कर दी खुल्ली कल तक थी जो टाइट
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छाती पर सिर रख चाची मेरे बा बालों को सहलाए
औरत कैसे ख़ुश रखी जाती है वो मुझको समझाए
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औरत चोदते वक्त बिस्तर में जो मर्द रहम दिखाये
औरत उस मर्द के लंड के नीचे फिर कभी ना आये
चुदते वक्त औरत बिस्तर में पसंद करती है वो मर्द
पटक के चोदे चूत बेरेहमी से दे के मिट्ठा मिट्ठा दर्द
मसल मसल के दोनों चूची जो धक्के खूब लगाए
फाड़ के फुद्दी औरत की लौड़ा नाभी तक पहुँचाये
किसी औरत के लिये नहीं कोई इससे ज्यादा दुख
बिस्तर पर मिलता नहीं जब पति से मन चाहा सुख
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उम्मीद पे दुनिया कायम है लेकिन कहानी में वो हिन्दुस्तान के बाहर दिखाई गयी है और अधिक पात्रों के साथ कहानी में न्याय करना सम्भव नहीं हो पाता। इस बार के प्रंसग में तीन लड़कियां /तरुड़ियाँ है, और तीन पुरुष, मुकाबला बराबर का है।लेकिन हर बार चीनू .. सीन से बाहर रहती है...
क्या उसका भी कोई जुगाड़ संभव है...
Perfect full form,... ekdam sahi kaha aapne Kamal Jiju ke liye and no gender discrimination ab 377 khatam to hogaya hai lekin is forum me kuch rukavat hai abhi bhi ilsiye unki simit pratibha ka hi pata chal paayegaPHD - Doctorate in Pichhwada Holing....
देखते हीं पिछली बार का परपराना याद हो उठा...
पिछले दो दिनों से मैं आपकी समीक्षात्मक टिप्पणियों का इंतजार कर रही थी और अब जब वह आ गई है... तो मैं बहुत गौरवान्वित और सम्मानित महसूस कर रही हूं। जिस तरह से आप कुछ पंक्तियों का चयन करती हैं और फिर उन पंक्तियों का उपयोग अपनी समीक्षाएँ जोड़ने के लिए करती हैं, वह एक अत्यधिक कुशल लेखिका के लक्षण हैं। मुझे स्थान और प्रेरणा देने के लिए धन्यवाद.मजा भी, एक प्रौढ़ा तो नहीं लेकिन किशोरी भी नहीं विवाहिता से मिलन का सुख
कहते हैं जितना मज़ा अपनी कुर्सी पर बैठने से नहीं आता उतना दूसरों की कुर्सी पर बैठने से आता है
बस वही और
काम क्रीड़ा के बाद को पलों को भी कैसे अच्छी तरह से शब्दों में पिरोया है आरुषि जी ने
औरत चोदते वक्त बिस्तर में जो मर्द रहम दिखाये
औरत उस मर्द के लंड के नीचे फिर कभी ना आये
चुदते वक्त औरत बिस्तर में पसंद करती है वो मर्द
पटक के चोदे चूत बेरेहमी से दे के मिट्ठा मिट्ठा दर्द
मसल मसल के दोनों चूची जो धक्के खूब लगाए
फाड़ के फुद्दी औरत की लौड़ा नाभी तक पहुँचाये
किसी औरत के लिये नहीं कोई इससे ज्यादा दुख
बिस्तर पर मिलता नहीं जब पति से मन चाहा सुख
और इन लाइनों में पीड़ा भी है व्यथा भी है असंख्य औरतों की अनकही चाह भी है और भतीजे को सीख भी
छाती पर सिर रख चाची मेरे बालों को सहलाए
औरत कैसे ख़ुश रखी जाती है वो मुझको समझाए
बस यही कह सकती हूँ अपनी ओर से अपने इस थ्रेड की ओर से और मेरे आपके असंख्य मित्रों की ओर से
यह थ्रेड आपका है आपका रहेगा और आपकी अगली कविता का इन्तजार करेगा
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एकदम नहीं