कच्ची कच्ची कोरी टाइट पिछवाड़े पर हमला
जीजू ने दूसरी ऊँगली गुड्डी की कसी कोरी टाइट मस्त गाँड़ में घुसाने की कोशिश की तो गुड्डी बड़ी जोर से चीखी , और जीजू ने ऊँगली निकाल कर ,
उस टीनेजर के चीखने का फायदा उठाकर सीधे , उसके मुंह में ,...
इतनी ट्रेनिंग तो मैंने गुड्डी रानी को दे ही दी थी , वो हलके हलके उस ऊँगली को चूसने चाटने लगी , ... और अब रीनू मेरी बहन भी मैदान में आगयी। आखिर गुड्डी उसकी भी तो ननद थी , उसकी भी तो जिम्मेदारी बनती थी ,...
रीनू ने कस कर गुड्डी के गोल गोल नितम्बों को पकड़ा , प्यार से सहलाया और फिर पूरी ताकत से दोनों नितम्बों को पकड़ कर फैला दिया , रीनू दे दोनों हाथों के अंगूठे गांड के छेद को फैलाये हुए थे ,
बस , कमल जीजू ने गुड्डी के मुंह से गुड्डी के थूक से भीगी गीली ऊँगली निकाली और उस ऊँगली के साथ अब एक ऊँगली उसी के नीचे चिपका कर पेल दी।
रीनू के अंगूठो ने पूरी ताकत से गांड चियार रखी थी , और अबकी दोनों उँगलियाँ जड़ तक अंदर घुसी।
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फिर तो क्या कोई लंड गांड मारेगा , जिस तरह कमल जीजू की दोनों उंगलियां अंदर बाहर , गपागप गपागप , सटासट ,
बीच बीच में वो अंदर घुसी दोनों उँगलियों को कैंची की फाल की तरह फैला देते तो मेरी ननद चीख उठती ,
साथ साथ पिछवाड़े के छेद से अंदर घुसी दोनों उंगलिया , अंदर की दीवालों पर , करोचते रगड़ते , लिसड़ लिसड़ ,...
और अबकी दोनों उँगलियाँ जब एक बार फिर बाहर निकल कर गुड्डी के मुंह की ओर बढ़ीं तो अबकी गुड्डी ने कस के होंठ भींच लिए ,
जैसे कुछ भी अब वो इन उँगलियों को मुंह में नहीं लेगी , .. उसे अब अंदाज हो गया था की वो कहाँ से ,...गीता ने उसे सब ' किंक ' समझा रखे थे, कुछ प्यार दुलार से कुछ जोर जबरदस्ती, देह के हर छेद से निकलने वाले देह रस का गुड्डी को रसिया बना दिया था। तो गुड्डी समझ तो गयी ही थी की ये उँगलियाँ उसके कहाँ से आ रही हैं .
पर मेरी कमीनी बहन थी न , ...
उसने पूरी ताकत से गुड्डी के गाल दबा दिए और गौरेया ने चोंच चियार दी ,
लेकिन उस किशोरी , सारंग नयनी ने अब अपनी पलके मूँद ली , जैसे वो देखेगी नहीं तो ,...
लेकिन रीनू ये भी कैसे होने देती , ... जोर से अपने बड़े लम्बे नाखूनों से उसने कस के गुड्डी के निप्स को नोच लिया , और एक हाथ सीधे गुड्डी की गर्दन पर ,
" स्साली , रंडी , तेरा सारा खानदान गांड मराता है , ... छोड़ छिनारपना , वरना ये टेटुआ दबा दूंगी ,... चूस मजे ले ले के आँख खोल के देख , तेरा ही माल है , तेरी ही मक्खन मलाई ,... खोल , भोंसड़ी की भंडुए की ,... "
गुड्डी ने पट पट आँखे खोल दी ,...
फिर तो थोड़ी देर मुंह में और थोड़ी देर पिछवाड़े , ... और अब रीनू को उसका पिछवाड़ा फैलाना भी नहीं पड़ा न गुड्डी ने सिकोड़ा , दोनों ऊँगली आराम से अंदर बाहर हो रही थीं ,
और ये नहीं जीजू उसकी प्रेम गली को भूल गए थे , सुपाड़ा अभी भी पूरा धंसा था , हलके हलके अंदर बाहर हो रहा था , और जीजू का दूसरा हाथ भी उस किशोरी की जाँघों के बीच घुसा , कभी फांको को रगड़ देता , तो कभी कोई ऊँगली क्लिट को छेड़ देती , बुर एकदम पनिया रही थी , जीजू का सुपाड़ा उस पानी से एकदम गीला हो गया था ,
और अब असली खेल शुरू होने वाला था ,...
और रीनू से भौजाई वाला अपना रोल निभाया , अबकी जब कमल जीजू ने पिछवाड़े से ऊँगली निकाली दोनों तो रीनू ने पिछवाड़े का मोर्चा सम्हाल लिया , उसने कस के नन्द की गांड पूरी ताकत से दोनों हाथों से फैला दिया और जोर से जैसे बच्चे थूक का बबल बनाते हैं , उसी तरह का खूब ढेर सारे थूक का बबल बना के , ... सीधे गुड्डी की गांड फैले खुले छेद पर एक नहीं दो तीन बार , ....
और कमल जीजू ने अपना मोटा खूंटा निकाल के गांड के छेद पर ,
मैं और अजय जीजू सांस रोके देख रहे ,
कच्ची कसी कोरी गांड , मुश्किल से दिख रहा छेद और
बीयर कैन ऐसा मोटा लंड ,
रीनू ने दोनों हाथों का अंगूठा , रीनू के थूक से लथपथ ,जरा सा खुले गांड के छेद में जबरन ठूंस के घुसेड़ दिया और एक बार कस के दोनों अंगूठो को विपरीत दिशाओं में पकड़ के कस के पूरी ताकत से स्ट्रेच कर दिया , ज़रा सा छेद खुला और बस उसी में कमल जीजू ने अपना सुपाड़ा सटा दिया ,...
गुड्डी की हालत कसाई की छुरी के नीचे बकरी के बच्चे की तरह हो रही थी , जो जानता है बस अब किसी भी पल ,...
" स्साली ढीली कर ,... " जोर से रीनू गरजी और दो चांटे कस के चूतड़ पर ,
जब तक गुड्डी सम्हलती , जोर से कमल जीजू का जो हाथ गुड्डी की जांघों के बीच था , उसने कस के मेरी ननद की क्लिट को पिंच कर दिया
साथ ही रीनू ने मेरी ननद की निप्स को शैतान बच्चे के कान की तरह पकड़ के ऐंठ दिया , जोर से , पूरी ताकत से , ... और गुड्डी इस दुहरे हमले से चिल्ला पड़ी।
और वो भूल गयी असली हमला कहाँ होने वाला है , कमल जीजू ने कस के एक हाथ से उसकी पतली कमर पकड़ रखी थी ,
बस पूरी ताकत से ,... जीजू की कमर की ताकत का मुझे अच्छी तरह अंदाजा था और गुड्डी बिचारी तो नयी बछेड़ी थी ,थोड़ा सा सुपाड़ा , खुले छेद में फंस गया , बस दोनों हाथों से अब जीजू ने गुड्डी की कमर पकड़ी ,...
और पूरा जोर लगा के ,
एक बार दूसरी बार तीसरी बार ,... और अब सुपाड़ा आलमोस्ट धंस गया ,
जैसे पतली मुंह वाली बोतल में कोई जबरन पूरी ताकत लगा के मोटा कार्क ठूंस दे , बस उसी तरह ,