बचपन से तेल मालिश जो की थी...होगा होगा बुआ भतीजे का भी मिलन भी होगा,
इनकी कोई मायकेवाली नहीं बचेगी
न उम्र का कोई बंधन, और बुआ जी तो बचपन से नजर लगाए थीं
तो खूंटे पर नजर तो गड़ाए होना वाजिब है...
बचपन से तेल मालिश जो की थी...होगा होगा बुआ भतीजे का भी मिलन भी होगा,
इनकी कोई मायकेवाली नहीं बचेगी
न उम्र का कोई बंधन, और बुआ जी तो बचपन से नजर लगाए थीं
चाची तो काम देवी को भी फेल करते नजर आ रही हैं...Part 5
अभी ब्यूटी पार्लर जाकर मुझको अच्छे से है सजना
पूरी रात तो बिस्तर पे फिर मुझको तुझसे है बजाना
कंडोम की अब नहीं जरूरत सुबह ले लुंगी गोली
तगडे लौड़े से आज है चुदना जब से आई है डोली
तेल की शीशी के साथ रखना ये छोटा छेद है मेरा
चूत मैं मैं तो सुखा ना ले पाऊंगी मोटा लन है तेरा
रात को जल्दी खाके खाना अपने कमरे में आया
फ़िर खुशबू वाला सबुन ले अच्छे से खूब नहाया
गुलाब चमेली के फूलो की सेज भी ख़ूब सजाई
पूरी रात जहां करनी थी अपनी चाची की ठुकाई
आधी रात को सज धज चाची जब कमरे में आई
देख के सेज फुलो से महकी चाची फ़िर मुस्कुराईं
हाथ में कंगन नाक में नथनी और आंखों में काजल
चोली में कसे चुचो पर छाये काले बालो के बादल
भींच लिया चाची को मैंने बाहों की आगोश में
और लगा चूमने अंग अंग उसका पूरा जोश में
चूम रहा था चाची को मैं अपनी पूरी शिद्दत से
आज मिला था मौका हमको कितनी मुद्दत से
मैंने धीरे से खींच दिया चाची के पेटीकोट का नाड़ा
और हाथों में थाम लिया चाची का चौड़ा पिछवाड़ा
मुझे पता है चाचा तो है बिस्तर पर है पूरे निक्कमे
चाची मैं ही चुसुंगा रोज़ तुम्हारे नरम मुलायम मम्मे
एक एक वस्त्र चाची की फर्श पे लगा था गिरने
कामदेवी के हर एक अंग पे हाथ लगे तब फिरने
पहले दाबे मम्मे चाची के और फिर गांड सहलाई
आगे से खिस्का पैंटी को उसमे उंगली एक घुसाई
चूत थी नीचे पूरी गीली और छोड़ रही थी पानी
पहली बार कोई मसल रहा उसकी गरम जवानी
पलट के चाची को फिर मैंने दीवार के साथ लगाया
और खोल के उसकी दोनो जांघें उनके बीच में आया
पकड़ के चाची को कमर से मैंने खींचा उसे करीब
गांड से लेके चूत तक उसकी मैं लगा चालाने जीभ
मस्ती में बंद करके आंखें चाची मेरे सिर पे फेरे हाथ
चाट ले मेरे पागल प्रेमी इसका सारा पानी तू आज
पिगल रही चाची की चूत कच्छे में तड़पे मेरा नाग
दोनों तरफ प्रेम मिलन को अब लगी हुई थी आग
चाची मुझको ना तड़पाओ अब करो ना अत्याचार
एक बार मुंह में लेकर ये लौड़ा कर दो इसको प्यार
मुझे गिरा के बिस्तर पर चाची फिर पलटी वो थोड़ा
झाँक के मेरी आँखों में उसके मुँह में ले लिया लौड़ा
चूम चाट के लौड़ा चाची हलक तक लगी निगलने
नीचे मेरे दोनों अंडे चाची की गरमी से लगे पिघलने
चीनू के शादी के टाइम से हीं जो ललचा रही हैं....Kamal Jiju to aate hi komal sali ki komal komal pichwade ke piche pad gaye
इस जवानी की आग में दोनों ओर सब्र का कोई मायने नहीं है....Na jija na saali , kisi se sabr nhi hi raha . Aate hi kaam shuru. Thoda pani pilao, betho , aram karo. Bechare ate hi sali ji mehnat krane lagi
बेशक...Koi jawab nhi arushi ji ki kavita ka
यही तो उत्तेजना बढ़ाता है...Dikhawa or nakhra to banta hai
सही जगह पर सही प्रस्तुति...आरुषि जी का जवाब नहीं
कविता, कहानी और चित्र तीनों का अद्भुत संगम और सच में पैंटी का क्या बढ़िया इस्तेमाल किया है और कहाँ से ये गीली पैंटी के चित्र लायी होंगी वो।
हम सब आभारी हैं उनके।
और टनटना के खड़ा हो जाता है...Ekdam sahi kaha aapne do char shabdo mne hi padhnevaalon ki haalat kharab kar deti hain
रिश्ते में तो हम तुम्हारे भाई लगते है... और नाम है कमल ... चुदाई का शहंशाह...Mehnat karne ke liye taiyar karne lagi, meri nanad aati hi hogi aur rishte men vo bhi unki to behan hi lagegi naa.
and thanks for such wonderful comments lagata hai kisi ne story ko acchi tarh se padh ke man se likha hai.
अंजाम तो जाना-पहचाना है...Part 5
अभी ब्यूटी पार्लर जाकर मुझको अच्छे से है सजना
पूरी रात तो बिस्तर पे फिर मुझको तुझसे है बजाना
Arushi Ji ki story-poetry ka Part 5 last page ( page 1158 ) par please do read, enjoy and share comments.
Part 4
चाची लिपट गई मुझसे और बोली मुझको थाम
अगर दोनों पकड़े गए तो सोचो क्या होगा अंजाम
Part 4 is on page 1157.