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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

komaalrani

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I am planning to repost my long story or novel,

Phagun ke din chaar फागुन के दिन चार ( without any change and with very few pics)

should I post it in the erotica, thriller, or other sections? I will be waiting for the reader's suggestions.
 

Shetan

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I am planning to repost my long story or novel,

Phagun ke din chaar फागुन के दिन चार ( without any change and with very few pics)

should I post it in the erotica, thriller, or other sections? I will be waiting for the reader's suggestions.
Please post absolutely 100%. You also know that it is a pleasure to read the happiness that happens during your weddings and festivals. That fun is nowhere to be found. please post. Will be waiting impatiently. You can add photos whenever you want to post separately. ya fir Please post even without photos. We are also waiting for Banaras.

Screenshot-20240131-231652
 

komaalrani

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Please post absolutely 100%. You also know that it is a pleasure to read the happiness that happens during your weddings and festivals. That fun is nowhere to be found. please post. Will be waiting impatiently. You can add photos whenever you want to post separately. ya fir Please post even without photos. We are also waiting for Banaras.

Screenshot-20240131-231652
story has both the elements of thriller and erotica. to kis forum me post karun ye saval hai
 

Shetan

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story has both the elements of thriller and erotica. to kis forum me post karun ye saval hai
Aap thriller me likho. Kyo ki thriller me erotic ho sakta he. Par erotic me thriller nahi jamega. Please sab se pahele link muje send karna. Kyo ki mai mohe rang de vali feel ko abhi tak bhul nahi pai hu.

IMG-20240131-231307
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार के शुरूआती भाग के सस्पेंस /थ्रिलर से जुड़े कुछ चुने हुए अंश



मैंने पोजीशन वाला इन्क्लोजर दिखाया। ये लोकेशन हैं जहाँ से फोन होते हैं और उनकी टाइमिंग हैं।

रीत ने थोड़ा जूम किया झुकी और ध्यान से देखा फिर वापस सिर उठाकर बोली- “ये हो नहीं सकता।

“क्यों? मैं और डी॰बी॰ साथ-साथ बोले।

रीत फिर झुकी और मैप में दिखाते बोली- “काशी करवट से लेकर अस्सी तक ये देख रहे हो। पहली काल यहाँ से हुई 8:12 पे दूसरी हुई अब इस जगह से 8:17 पे और तीसरी हुई इस जगह से 8:22 पे। अब सड़क से अगर आप चलोगे। तो इस समय बनारस में इतना जाम होता है की आप किसी तरह पहुँच नहीं सकते।

दूसरी बात मान लो ये बनारस की गलियों से वाकिफ है, मुझसे ज्यादा तो नहीं जानता होगा। गली से भी कोई डायरेक्ट कनेक्शन नहीं है और मोटर साइकिल से भी आओगे तो कम से कम 10-12 मिनट लगेगा…”

हम लोग क्या बोलते। डी॰बी॰ तो बनारस नए-नए आये थे और मुझे भी बनारस की गलियों के बारे में रीत इतना कतई नहीं मालूम था।

रीत फिर कुर्सी से पीठ सटाकर बैठ गई। दोनों हाथ पीछे करके, कोई दूसरा वक्त होता तो मेरी निगाह सीधे उसके कुरता फाड़ उभारों पे जाती पर। एक तो मामला सीरियस था दूसरे सामने डी॰बी॰ बैठे थे। लेकिन फिर भी मेरी निगाहें वहीं पहुँच गई आदत से मजबूर। रीत ने मुझे देखते हुए देखा, आँखों से डांटा और एक बार फिर झुक के एक मिनट के लिए प्लान को देखा।

और फिर सीधे बैठकर मुश्कुराने लगी और बोली- “मैं बेवकूफ हूँ…”

“एकदम। चलो माना तो सही तुमने। तुम दुनियां की पहली लड़की होगी जिसने ये सत्य स्वीकार किया होगा…” मैंने मुश्कुराते हुए कहा।

“पिटोगे तुम और वो भी कसकर…” रीत कोई हथियार खोजते हुए बोली।

“एकदम मेरी ओर से भी…” डी॰बी॰ ने उसी का साथ दिया।

रीत ने मेरी पिटाई का काम टेम्पोरेरी तौर पे स्थगित करते हुए ये रहस्योद्घाटन किया की वो क्यों बेवकूफ है।

“ये देखिये गंगाजी…” वो बोली।

नक़्शे में नदी हम लोगों को भी दिख रही थी।

“तो फोन वाला आदमी अगर नाव पे हो तो इन सारी जगहों पे जो टाइम दिखाया गया है वो पहुँच सकता है हमें जगह देखकर लग रहा था लेकिन लोकेशन तो 100 मीटर के आसपास ही होगी…”

“हाँ एकदम…” और फिर मैंने एक सवाल डी॰बी॰ से किया- “क्या आप लोगों ने फोन चेक करने वाली वैन तो नहीं चला रखी हैं…” मैंने पूछा।

“हाँ करीब 10 दिन से जब से दंगे की अफवाहें आनी शुरू हुई हैं, लेकिन तुम्हें कैसे पता चला। तीन गाड़ियां हैं, और 24 घंटे चल रही हैं…” डी॰बी॰ बोले।

“उनकी रेंज नदी तक है…” मैंने दूसरा सवाल पूछा।

“हाँ और नहीं। घाट और घाट के पास तक का इलाका कवर होगा लेकिन कोई नदी के बीच में या रामनगर साइड में होगा तो नहीं…” वो बोले।

“बस तो ये साफ है। कोई जरूरी नहीं है की उस आदमी को पता हो इन वान्स के बारे में। लेकिन वो कोई प्रोफेशनल है जो पूरी प्रीकाशन ले रहा है और इन फोन की लोकेशन के बारे में और ओनरशिप के बारे में ज्यादा पता नहीं चल पायेगा वो भी मैंने पता कर लिया है।इन दो घंटो के अलावा। इन नम्बरों का पन्द्रह दिनों में और कोई इश्तेमाल नहीं किया गया। ये सिम बहुत पुराने हैं और प्री पेड़ हैं, आशंका है किसी डेड आदमी के ये सिम होंगे और दो घंटो के अलावा सिवाय आज जब होस्टेज वाले टाइम, एक काल आई थी। उनकी लोकेशन भी नहीं पता चल रही है…”

मैंने पूरी इन्फोर्मेशन उनसे शेयर की।

डी॰बी॰ अब पूरी तरह चिंतित लग रहे थे।
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार के शुरूआती भाग के सस्पेंस /थ्रिलर से जुड़े कुछ चुने हुए अंश

रीत ने मुझसे सवाल पूछा- “जब बाम्ब एक्सप्लोड हुआ तो तुम लोग कहाँ थे…”

“अरे यार तुम्हें मालूम है, हम लोग सीढ़ी पे थे बाहर से किसी ने ताला बंद कर दिया था। ये तो अच्छा हुआ बाम्ब एक्सप्लोजन से वो दरवाजा टूट गया…”

रीत ने मेरी बात काटी और अगला सवाल दाग दिया, मुझी से- “और पुलिस बाम्ब एक्सप्लोजन के बाद अन्दर गई…”

“हाँ यार…” मैं किसी तरह से अपनी झुंझलाहट रोक पा रहा था।

“बताया तो था की हम लोग बाहर आ गए एक्सप्लोजन के बाद तब पोलिस वाले, कुछ पैरा मेडिक स्टाफ और फोरेंसिक वाले अन्दर गए थे मेरे सामने…”

डी॰बी॰ ने मेरी ताईद की और अपनी मुसीबत बुला ली।

“अच्छा आप बताइये। जब पुलिस वाले और फोरेंसिक टीम अन्दर गई तो उन्होंने चुम्मन और रजऊ को किस हालत में और कहाँ पर देखा…” रीत ने सवाल दगा।
“वो दोनों बरामदे में थे। पीछे वाली सीढ़ी जिस बरामदे में खुलती है वहाँ… दोनों गिरे हुए थे। रजऊ के ऊपर छत का कुछ हिस्सा गिरा था और चुम्मन के ऊपर कोई अलमारी गिर गई थी। जिस कमरे में बाम्ब था वहां नहीं थे…” डी॰बी॰ ने पूरी पिक्चर साफ कर दी।

“करेक्ट। तो तुम लोग तो सीढ़ी पे थे और वो दोनों बरामदे में और तुमने पहले ही बता दिया था की वो बंम्ब बिना टाइमर के था और रिमोट से भी एक्सप्लोड नहीं हो सकता था…”

रीत अब मेरी और फेस की थी- “तो सवाल है की वो एक्सप्लोड कैसे हुआ?”

“इसका जवाब तो तुम देने वाली थी…” मेरा धैर्य खतम हो रहा था। मैंने थोड़ा जोर से बोला।

“चूहे से…” वो मुश्कुराकर आराम से बोली।

डी॰बी॰ खड़े हो गए।

मैं डर गया मुझे लगा की वो नाराज हो गए।

लेकिन खड़े होकर पहले तो उन्होंने क्लैप किया फिर रीत की ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया। रीत भी उठ गई और उसने तपाक से हाथ मिलाया।

डी॰बी॰ बैठ गए और बोले- “यही चीज मुझे समझ में नहीं आ रहा थी। फोरेंसिक एवीडेंस यही इंडिकेशन दे रहे थे। लेकिन इस तरह कोई सोच नहीं रहा था, ना सोच सकता था। तार पर बहुत शार्प निशान थे, वो चूहे के बाईट मार्क रहे होंगे और लाजिक तुमने सही लगाया, न ये लोग थे वहाँ, ना चुम्मन था और ना पुलिस। तो आखीरकार, कैसे एक्सप्लोड हुआ और फोरेंसिक एविडेंस से कन्फर्म भी होता है। एक मरा चूहा भी वहां मिला…”

“उस चूहे ने बहुत बड़ा काम किया बाम्ब के बारे में पता चल गया…” रीत बोली।



मुझे डर लगा की अब वो कहीं दो मिनट मौन ना रहें।

लेकिन डी॰बी॰ बोले और मुझसे मुखातिब होकर- “यू नो, इट वाज अ परफेक्ट बाम्ब जो रिपोर्ट्स कह रही हैं। मेजर समीर के लोगों ने भी चेक किया और अपने फोरेंसिक वालों ने भी। सैम्पल्स बाईं प्लेन हम लोगों ने दिल्ली सेन्ट्रल फोरेंसिक लेबोरटरी में, हाँ वही जो लोदी रोड में है, भेजे थे। प्रेलिमिनरी रिपोर्ट्स का वाई मेसेज आया है। सिर्फ टाइमर और डिटोनेटर फिट नहीं थे…”

“फिट नहीं थे मतलब…” मैं बोला। ये मेरी पुरानी आदत है की ना समझ में आये तो पूछ लो और इस चक्कर में कई लोग नाराज हो चुके हैं।

“मतलब ये…” डी॰बी॰ मुश्कुराते हुए बोले जैसे टीचर क्लास में ना समझ बच्चों को देखकर मुश्कुराते हैं।

“वो लगाकर निकाल लिए गए थे। इसमें डिटोनेटर टी॰एन॰टी॰ के इश्तेमाल हुए थे जो नार्मली मिलेट्री ही करती है। इसके पहलेकर एक्स्प्लोजंस में नार्मल जो क्वेरी वाले डिटोनेटर्स, पी॰ई॰टी॰एन॰ इश्तेमाल करते हैं वो वाले होते हैं। दूसरी बात, इसमें डबल डिटोनेटर्स लागए गए थे। दूसरा डिटोनेटर्स स्लैप्पर डिटोनेटर्स।
अब बात काटने और ज्ञान दिखाने की जिम्मेदारी मेरी थी।

“वही जो अमेरिका में लारेंस वालों ने बनाए हैं। वो तो बहुत हाई ग्रेड। लेकिन मुझे वहां दिखा नहीं…” मैंने बोला और मुड़कर रीत की तरफ देखा की वो कुछ मेरे बारे में भी अच्छी राय बनाये लेकिन वो डी॰बी॰ को देख रही थी। और डी॰बी॰ ने फिर बोलना शुरू कर दिया।

“बात तुम्हारी भी सही है और मेरी भी की डिटोनेटर्स लगाकर निकाल लिए गए थे। लेकिन इन के माइक्रोस्कोपिक ट्रेसेस थे। और तीसरी बात। इसकी डिजायन इस तरह की थी की फिजिकल बैरियर्स के बावजूद। सेकेंडरी शाक्वेव्स 200 मीटर तक पूरी ताकत से जायेंगी। जिसका मतलब ये की उस समय जो भी उसकी जद में आएगा। सीरियसली घायल होगा। लेकिन डिटोनेटर की तरह शार्पनेल भी अभी नहीं लगे थे बल्की डालकर निकाल लिए गए थे…”
 

Mass

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I am planning to repost my long story or novel,

Phagun ke din chaar फागुन के दिन चार ( without any change and with very few pics)

should I post it in the erotica, thriller, or other sections? I will be waiting for the reader's suggestions.
Zaroor Madam..I think this was one if the blockbuster story...
In my opinion, this story is responsible to take you to the "great writer" status :)
You can put your stories in either genre. Padhna to viewers ko hain naa :)
komaalrani
 

12bara

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I am planning to repost my long story or novel,

Phagun ke din chaar फागुन के दिन चार ( without any change and with very few pics)

should I post it in the erotica, thriller, or other sections? I will be waiting for the reader's suggestions.
Maine puri padi hai apki ye story.aur bhabhi jo sex gyaan deti hai Ismy aaj bhi mujhe wo yaad hai
 

komaalrani

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Maine puri padi hai apki ye story.aur bhabhi jo sex gyaan deti hai Ismy aaj bhi mujhe wo yaad hai
Thanks but i think you are confusing it with Nanad Ki Training.

This one has a terror plot involving three cities, with old names starting from B, Banaras, Bombay and Baroda. The story starts in Banaras and moves to various cities in India. There is a love or erotic angle and of course, a lot of Holi scenes and stories will go to about 1000 pages. The story also includes a tribute to Satyajit Ray. That is why i have shared the excerpts to nudge the memory.

Thanks again.
 

komaalrani

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Zaroor Madam..I think this was one if the blockbuster story...
In my opinion, this story is responsible to take you to the "great writer" status :)
You can put your stories in either genre. Padhna to viewers ko hain naa :)
komaalrani
Thanks aapne ekdam sahi kha lekin saval yahi ki kya viewers ise padhenge or purani story smjh ke ignore kar denge>
 
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