- 22,409
- 58,462
- 259
जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
अपडेट पोस्टेड
कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
अपडेट पोस्टेड
कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
Last edited:
If and when you decide to post it, do let me know..will try to find out some time and definitely read it..(even if a bit leisurely). Thanks again.Thanks I am sure i will require a lot of Luck, if i decide to post it.
Yes this story too begins with a Holi scene and has at least three to four Holi scenes. But it has a lot of realistic background. It required me to read a few books cover to cover to understand the economics of terror, Taliban and Afghanistan , some parts made me feel sad and many readers in the last forum where it was originally posted, some readers did express how sad they felt while reading those parts. It has almost all the Rasa.
The confusion about Holi i found more in this forum. Like Phagun ke din char when i originally posted it got a good readership. and now many have not read this story. so I am still keeping my fingers crossed. If and that is a big IF , i post it will be in the Erotica section. Thanks again.
कोमल जी प्लीज. ऐसे टुकड़ो मे वो मज़ा नहीं आएगा. ये मैजिक कहानी होंगी. प्लीज आप प्रोपर लॉन्च करो. आप जानते हो आप की स्किल के दीवानो की कमी नहीं. पूरा उपन्यास इत्मीनान से पढ़ने मे मज़ा आएगा. ऐसे इन मोतियों को मत बिखेरो. हम परा हार पहेन ना चाहेंगे. प्लीज कोमल जी. लॉन्च कर दो.हमला
आँखें खोलने की कोशिश करते हुए वो अपने साथी से बोला- “पकड़ ले साली को। इस सेठ की लौंडिया को तो तीन दिन में छोड़ दिया था सिर्फ एक ओर से मजा लेकर। इसकी तो चूत का भोंसड़ा बना देंगे। और तुझे तो गाण्ड पसंद है न…”
मैं समझ रहा था ये सिर्फ बोल नहीं रहा है।
और हमारे पास सिर्फ एक रास्ता था, हमला। मैंने जूते पूरी ताकत से उसके घुटने पे दे मारे और एक के बाद एक, चार बार वहीं। एक पैर उसका खतम हो गया। लेकिन उसके गिरने से पहले ही मैंने एक हाथ से उसे पकड़ा और दूसरे हाथ से एक चाप सीधे उसके कान के नीचे और अब वो जो गिरा तो मैं समझ गया की कुछ देर की छुट्टी।
लेकिन मैं कनखियों से देख रहा था की दूसरा जिसे मैं गुड्डी के साथ धक्का देकर गिरा दिया था अब अपने पैरों पे खड़ा था और उसके हाथ की चेन हवा में लहरा रही थी और अगले ही पल ठीक मेरे ऊपर।
अगर मैं झटके से बैठता नहीं। और बैठे-बैठे ही मैंने मेज जिस पर सामान रखा था उसकी ओर दे मारा। लेकिन वो सम्हल गया और पीछे खिसक गया। चेन अभी भी उसके हाथ में लहरा रही थी। मैं चेन की रेंज से तो बाहर हो गया था, क्योंकि अब बीच में मेज और गिरा हुआ सामान था लेकिन मैं भी उसे पकड़ नहीं सकता था।
तब तक नीचे गिरे आदमी ने उठने की कोशिश की और मैंने बायां हाथ बढ़ाकर उसका दायां हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा। जैसे ही वो थोड़ा उठा, मेरे खाली हाथ ने एक चाप उसके दायें हाथ की कुहनी पे दे मारा और साथ ही में पैर उसके घुटने पे। मैं अपने निशाने के बारे में कांफिडेंट था की अब सारे कार्टिलेज घुटने और कुहनी के गए। और वो अब उठने के काबिल नहीं है।
दूसरा चेन वाला ज्यादा फुर्तीला और स्मार्ट था।
मेज से बस वो आधे मिनट ही रुक पाया और घूमकर पीछे से उसने फिर चेन से मेरे ऊपर वार किया। मैं अब फँस गया। मेरे उन आर्म्ड कम्बैट के लेशन तब काम आते जब वो पास में आता और चेन से एक-दो बार से ज्यादा बचना मुश्किल था। वो एक बार अगर हिट कर देती तो।
और फिर गुड्डी।
बचते हुए मैं दुकान के दूसरे हिस्से पे आ गया था, जहाँ इन्सेक्ट रिपेलेंट, मास्किटो रिपेलेंट ये सब रखे थे। और अब मैंने चेन वाले को पास आने दिया। वो भी समझदार था अब वो दूर से चेन नहीं घुमा रहा था। अपनी ताकत उसने बचा रखी थी और जब वो मेरे नजदीक आया तो चेन उसने फिर लहराई। लेकिन मैंने हाथ में पीछे पकड़े काकरोच रिपेलेंट को खोल लिया था और पूरा स्प्रे सीधे उसकी आँख में।
एक पल के लिए उसकी हालत खराब हो गई और इतना वक्त मेरे लिए काफी था और मैंने पहले तो उसकी वो कलाई पकड़कर मोड़ दी जिसमें चेन थी। एक बार क्लाकवाइज और दुबारा एंटीक्लाक वाइज और वो लटक के झूल गई।
उसने बाएं हाथ से चाकू निकालने की कोशिश की, लेकिन तब तक मेरी उंगलियां सारी एक साथ उसके रिब केज पे। वो दर्द से झुककर दुहरा हो गया और मेरी कुहनी उसके गले के निचले हिस्से पे। साथ में घुटना उसकी ठुड्डी पे। जब तक वो सम्हलता मैंने उसकी दूसरी कलाई भी तोड़ दी।
“बचो…” गुड्डी जोर से चीखी।
मैं उस तीसरे आदमी को भूल ही गया था।
अब तक वो चूहे बिल्ली की लड़ाई की तरह हम लोगों को देख रहा था। उसे पूरा कांफिडेंस था की उसके दोनों मोहरे मुझसे निपटने के लिए काफी थे, और वो अपना हाथ गन्दा नहीं करना चाहता था। दूसरा आर्गेजेशन में वो अब मैंनेजमेंट पोजीशन में पहुँच चुका था लेकिन अब दूसरे बन्दे के गिरने के बाद उसके हाथ में चाकू था और तेजी से उसने मेरी ओर फेंका। निशाना उसका भयानक था। मेरे बगल में हटने के बावजूद वो मेरी शर्ट फाड़ते हुए हल्के से बांह में लगा। अगर गुड्डी ना बोली होती तो सीधे गले में।
डेड लाक की हालत थी। उसने पलक झपकते जेब से रिवाल्वर निकाल लिया था और ये कोई कट्टा (देसी पिस्तोल) नहीं था की मैं रिस्क लूं की शायद ये फेल कर जाय।
उसने नहीं चलाया।
मैं पल भर सोचता रहा फिर मेरी चमकी।
दो बातें थी। एक तो उसके मोहरे को मैंने पकड़ लिया था और उस गुत्थमगुत्था में गोली किसे लगेगी ये तय नहीं हो सकता था। दूसरे दिन का समय था, चारों ओर बस्ती थी और गोली चलने की आवाज सुनकर कोई भी आ सकता था।
मैंने एक रिस्क लिया। उस चेन वाले मोहरे को आगे करके मैं बढ़ा। ये बोलते हुए-
“प्लीज गोली मत चलाना, मैं निहत्था हूँ। हम लोगों से कोई मतलब नहीं बस हम दोनों को निकल जाने दीजिये प्लीज। बाकी आपके और सेठजी के बीच है बस हम दोनों को…”
वो थोड़ा डिसट्रैक्ट हुआ लेकिन रिवालवर ताने रहा, और कहा-
“हे इसको छोड़ो पहले। फिर हाथ ऊपर…”
“बस-बस जी करता हूँ जी गोली नहीं जी…”
मैं गिड़गिड़ा रहा था। उस चेन वाले के हाथ से मैंने चेन ले ली और मुट्ठी में लेकर चेन वाले मोहरे को उसकी ओर थोड़ा धक्का देकर छोड़ दिया। उसके घुटने और कुहनी तो जवाब दे ही चुके थे, वो धड़ाम से उसके सामने जा गिरा। मैंने हाथ ऊपर कर लिया था ये बोलते हुए की जी देखिये मेरे हाथ ऊपर है। प्लीज।
जैसे ही वो चेन वाला उसके पैरों के पास गिरा, उसका ध्यान बंट गया और मेरे लिए इतना वक्त काफी था। मैंने पूरी ताकत से चेन उसके रिवाल्वर वाले हाथ पे दे मारी। रिवाल्वर छटक के दूर गिरी। मैंने पैरों से मारकर उसे गुड्डी की ओर फेंक दिया।
वो अपने जमाने का जबर्दस्त बाक्सर रहा होगा। इतना होने के बाद भी वो तुरंत बाक्सिंग के पोज में और एक मुक्का जबर्दस्त मेरे चेहरे की ओर। मैं बाक्सर न हूँ, न था इसलिए जवाब मेरे पैर ने बल्की पैर की एंड़ी ने दिया। सीधे दोनों पैरों के बीच किसी भी पुरुष के सबसे संवेदनशील स्थल पर, और उसका बैलेंस बिगड़ गया। वो सीधे मेरे पैरों के सामने धड़ाम गिरा।
No, No.