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Kamal jiju to isi beham me rahenge ki unhone seal kholi, jo khun nikla wo dekhkar kyunki raaj to renu or apko pta haiगुड्डी - मस्ती ही मस्ती
और कमल जीजू ने ठोंक दिया , पूरी ताकत से ,
बिचारी वो किशोरी तड़प के रह गयी , न चीख सकती थी , न चिल्ला सकती थी , रीनू ने कस के अपने बड़े बड़े बूब्स उसके मुंह में ठूंस रखे थे ,
लेकिन उसकी देह देख कर उसकी तड़पन उसके दर्द का अहसास साफ़ साफ़ लग रहा था ,
पर अब कमल जीजू रुकने वाले नहीं थे , एक के बाद एक , ... रीनू ने इत्ती कस के दबोच रखा था मेरी ननद को , की उसके हिलने सटकने की कोई भी चिंता करने की उन्ही जरूरत नहीं थी। और चूत इतनी सूखी भी नहीं थी इनकी बहन की , ... क्लिट की जो रगड़ाई मेरी बहन और मेरे जीजू ने उनकी बहना की , की थी , वो फ़क़ाफक पानी फेंक रही थी ,... और कमल जीजू ने भी अपने सुपाड़े पर थूक तो लगाया ही था ,
गुड्डी की पतली कमरिया पकड़ के चार पांच धक्के लगा के ही वो रुके ,
पर सुपाड़ा अभी भी पूरा नहीं घुसा था , हाँ तीन चौथाई के करीब अंदर , फंस चुका था , ... और जब रुक कर कमल जीजू ने सांस ली , तो मैंने रीनू दोनों ने एक साथ उन्हें थम्स अप साइन दिया ,
एक तो जीजू का बीयर कैन ऐसा मोटा लंड और गुड्डी , इनकी ममेरी बहन ,कच्ची नयी कसी चूत ,... न वैसलीन , न कड़वा तेल, न कोई लूब , ... सिर्फ थूक के भरोसे ,
रीनू ने भौजी होने का पूरा हक़ अदा किया , एक ऊँगली में थोड़ा सा थूक लगा के , ... एक बार फिर हलके हलके
गुड्डी की खुली एक्सपोज्ड क्लिट पर , ... और दर्द में चूर होने के बावजूद एक बार फिर मेरी ननद पनियाने लगी , उसी चूत सिकुडने मचलने लगी। कमल जीजू ने भी एक हाथ उसकी कमर से हटा के उसके छोटे छोटे टेनिस बॉल्स साइज बूब के ऊपर , कभी हलके से दबाते , मीजते , ... तो कभी अंगूठे और तर्जनी के बीच उसके कबूतर की चोंच मसल देते ,...
बस थोड़ी देर मेरी बहन और जीजू की रगड़ाई मसलाई से शायद मेरी ननद भूल गयी थी की अभी तो ट्रेलर भी नहीं पूरा चला है , ... और
एक बार फिर अचानक , ... अबकी जीजू का एक हाथ मेरी ननद के कमर पर और दूसरा उसकी छोटी छोटी चूँची पर ,...
ये धक्का पहले के किसी भी धक्के से तगड़ा था , ...
दर्द के मारे गुड्डी बिलबिला उठी , पर मेरी बहन , ऐसे उसने दबोच रखा था , सूत भर भी नहीं हिल सकती थी ,
जैसे किसी नयी नयी बछिया को खूंटा से बाँध दिया गया हो , और उसके ऊपर मोटा जबरदस्त सांड़ चढ़ जाए , सबको मालूम हो , की सांड़ बिना पूरे ठेले छोड़ेगा नहीं , पर बछीया खूंटा तुड़ाने की कोशिश कर रही हो ,... बस वही हालत गुड्डी की हो रही थी।
और अब जब कमल जीजू रुके तो सुपाड़ा पूरी तरह अंदर पैबस्त था।
और उन्होंने सोचा की उन्होंने दिल्ली जीत ली , पर ऐसा हुआ नहीं। सुपाड़ा ठेलने के बाद भी , गुड्डी की चूत में उन्हें वैसे ही ,... एक दो बार उन्होंने धक्का मारा , पर,... ,...
यह राज सिर्फ मुझे मालूम था या रीनू को , रीनू मेरी ओर देख कर मुस्करायी , और मैं रीनू की ओर देखकर ,
असल में गुड्डी को हम लोगों के पास आये पांच छ दिन तो हो ही गए थे , और ये बात कमल जीजू , अजय जीजू सब को मालूम थी की अगर मैं इस पटाखा को लायी हूँ , तो पटक कर अपने सैंया से न सिर्फ इसकी सील तुड़वा चुकी होउंगी , वल्कि रोज दिन रात चुदवा रही होउंगी।
और अंदाज उनका सोलहो आना सही
अगर कोई भाभी अपनी कच्ची उम्र की टीनेजर ननद को बहला फुसला कर अपने मायके ले जाते तो उसका सिर्फ एक मतलब होता है , वो उसे अपने भाइयों से चुदवाने ले जा रही है , सगे न हों तो चचेरे , ममेरे , मौसेरे, ... गाँव के रिश्ते के , ... ( सोलहवां सावन में तो आपने देखा ही होगा ).
और अगर वो अपने साथ , अपने घर ले जा रही थी तो बस पक्का , अपने पिया के नीचे अपनी ननद को लिटायेगी , ( जैसे यहाँ ).
जीजू बिचारे , माना की उनका औजार गदहा छाप था , और मेरी ननद की बहुत ही कसी ,... लेकिन यहाँ पिछवाड़े की तरह कोई खैबर का दर्रा तो था नहीं न , जो इस तरह एक दो बार उन्होंने धक्का मारा , थोड़ा आगे भी बढ़ा पर जा कर रुक गया ,... वो ठेल रहे थे पर अंदर घुस नहीं रहा था ,...
मैंने ही कमान अपने हाथ में ली , अजय जीजू का मुठियाते हुए , मैंने वहीँ से कमल जीजू को गरियाया ,
" अरे जीजू , मेरी बहन की फाड़नी की थी तो , ... बेचारी चीनू , सुहागरात के बाद सीधे हस्पताल पहुंच गयी , फाड़ कर उसका खून खच्चर कर दिया , ... और जब अपनी बहन की फाड़नी है तो इतना घबड़ा घबड़ा कर ,... फाड़ दो न स्साली की , "
रीनू क्यों चुप रहती , आखिर कमल जीजू , उसके भी तो जीजू थे , ...और गाली देने का हक़ उसका भी था ,
" नहीं यार कोमल , असली बात और है , आज कल ये चीनू की सास के साथ , चीनू तो छह महीने से अमेरिका में है तो उसकी सास के साथ ही तो इन्हे आदत तो अपनी माँ के भोंसडे की हो गयी है ,... ताल पोखरे टाइप , और शादी के पहले उन्होंने अपनी कुँवारी बहनों के साथ प्रैक्टिस की , उनकी फाड़ फाड़ कर ,... इसलिए चीनू की भी उन्होंने ,... क्यों जीजू सही है न , अरे जो आपके नीचे लेटी है , वो भी आपकी बहन ही है , बस बहन समझ कर चोदिये ,... और वैसे भी मेरी बहन , आपकी बहन,आप बहन बहन में तो फरक करते नहीं ,... "
अब बहुत हो गया था। कमल जीजू ऐसे बचपन के खिलाड़ी के लिए ,... उन्होंने एक बार सुपाड़े को थोड़ा पीछे खींचा , कस कर एक बार फिर से दोनों हाथ मेरी ननद की कमर पर जमाया , पूरी ताकत से
एकदम जैसे धोनी छक्का मारने के पहले अपने दस्तानों को ठीक करते हैं ,
और उन्होंने छक्का मार दिया ,
और एक छक्के पर नहीं रुके वो , छः बालों पर छः छक्के , और हर बार पहले से ज्यादा दूर आडिएंस में , लास्ट वाला तो स्टेडियम के बाहर।
रीनू को पूरा अंदाजा था , क्या होने वाला है ,
(आखिर चीनू की शादी के समय वही कुँवारी साली थी ( मैं भले छोटी थी सबसे पर मेरी शादी और हनीमून दोनों सबसे पहले हो गया था ) , और उसकी भी सबसे पहले फाड़ी कमल जीजू ने ही थी , अपने जीजा होने का हक़ निभाया था उन्होंने )
इसलिए एक बार फिर से उसने पूरी ताकत से अपने हाथों से गुड्डी के कन्धों को कस के दबोच लिया और अपना पूरा बोझ उस कच्ची कली के ऊपर ,
और चीखने का क्या वो चिंचिया भी नहीं सकती थी , जिस तरह से मेरी मंझली बहन ने अपने बड़े बड़े उभार उसके मुंह के अंदर ठूंस रखे थे , हाँ तड़प सकती थी वो और तड़प रही थी , दर्द के मारे उसकी हालत खराब थी , देह उसकी दर्द से ऐंठ रही थी ,
वो तड़पती रही , चीखने की कोशिश करती रही ,
और जब जीजू के धक्के रुके ,... आधा लंड वो खा चुकी थी। साढ़े चार पांच इंच के करीब ,...
मेरी अजय जीजू की और , सबसे ज्यादा तो इनकी निगाहें , गुड्डी की खुली जाँघों के बीच चिपकी पड़ी थीं , जहाँ जीजू का मूसल धंसा हुआ था और गुड्डी जल बिन मीन की तरह तड़प रही थी. और तभी सब की निगाह , गुड्डी की बिल के मुंह पर ,... वहां खून की दो चार बूंदे चुहचुहा आयी थीं , ... जैसे किसी कुँवारी की झिल्ली फटे ,...
इनकी समझ में नहीं आया , जिस दिन मैं गुड्डी को ले आयी थी , उसकी अगली रात तो इन्होने गुड्डी की , ... खूब खून खच्चर हुआ था , सफ़ेद चादर पर जवाकुसुम खिल आये थे ( और मैंने वो चद्दर बहुत सम्हाल के रखी थी , बिना दिए , साफ़ किये , ... इस लिए एक ये भी परम्परा है की , गौने की रात चादर सफ़ेद ही बिछाती हैं ननदें , ... जिससे अगले दिन अपनी नयी नयी आयी भौजाई को छेड़ सकें ) .
बस गुड्डी ने कुछ नहीं देखा , क्योंकि रीनू एकदम उसके ऊपर चढ़ी , उसे दबोच कर ,... हिल भी नहीं सकती थी गुड्डी बेचारी ,.... न चीख सकती थी , न कुछ देख सकती थी।
और कमल जीजू ने नहीं देखा , वो तो एकदम उसे नए माल की फाड़ने में लगे थे , ...
( हाँ लेकिन मैंने अपने सोना मोना को , उनको जीजू लोगों के जाने बाद बता दिया , खून का राज ,... असल में मेरी सहेली डाक्टर गिल ने , जब गुड्डी को कॉपर टी लगाया था , और साथ में हुडोक्टोमी कर के उसकी 'दुल्हन का घूंघट ' हटाया था , उसी समय , ... गुड्डी उनकी भी तो ननद ही लगती थी , कुछ छेड़खानी तो बनती थी , उन्होंने उसकी हाइमनोप्लास्टी कर दी , ज्यादा नहीं बस बहुत पतली सी झिल्ली। इसलिए वो खून की बूंदे , और कमल जीजू को जो एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ी,.. )
और ब्लो हॉट ब्लो कोल्ड की तरह अब कमल जीजू ने , जैसे कोई पहले मारे फिर पुचकारे , झुक कर गुड्डी के उभारों को सहलाना चूमना , चाटना , ..
साथ में उनकी दुष्ट अनुभवी उँगलियों ने ,... डाक्टर गिल ने जो दुलहन का घूंघट उठा दिया था , गुड्डी की एक्सपोज्ड क्लिट पर ऊँगली से ,...
बस थोड़ी देर में ही गुड्डी आह से आहा तक ,...
रीनू भी अब मेरी ननद के ऊपर से उठ गयी , गुड्डी का मुंह फटा पड़ रहा था , रीनू ने उनके मुंह से अपनी चूँची बाहर निकाल ली , लेकिन अभी भी अपने हाथों से उसने गुड्डी के कन्धों को दबोच रखा था ,... जांघों के बीच उस किशोरी के सर को कस के दबा रखा था ,
गुड्डी दर्द से तो कराह रही थी लेकिन अब जीजू की उँगलियों का असर , जीभ का असर बीच बीच में वो सिसकियाँ भी ले रही थी। पर जीजू मेरे , उन्हें तो लड़कियों को तड़पाना अच्छा लगता था , गनीमत थी की रीनू ने अभी भी कस के गुड्डी रानी को दबोच रखा था।
कमल जीजू ने थोड़ा सा अपने मोटे औजार जो पीछे खींचा , और फिर एक बार पूरी ताकत से ,... रगड़ता ,दरेरता , घिसटता , ...
उईईई ओह्ह्ह उईईईईई उहहहह
उईईईईईई ,
गुड्डी जोर से चीख पड़ी , और अबकी न उसे रीनू ने रोका न कमल जीजू ने ,
बस गनीमत थी की रीनू ने उसके कंधे हाथ दबोच रखा था , वो जोर से उछली , चूतड़ पटकते हुए तड़प रही थी ,
अगर रीनू ने उसे इस तरह दबोच नहीं रखा होता तो शर्तिया वो पलटी मारने की कोशिश करती ,
पर कमल जीजू न , फिर से दुबारा उसी जगह पर बार बार , अपने खूंटे को , अपने सुपाड़े से रगड़ते रहे , दरेरते रहे ,
गुड्डी चीखती रही , चिल्लाती रही , ... बार बार इनकी ओर देखती , ... पर ,....
उईईईईईई , नहीं नहीं , ओह्ह्ह्ह छोड़ दो , ... उफ्फ्फ्फ़ नहीं ,...
वो जोर जोर से चूतड़ पटक रही थी , छुड़ाने की कोशिश कर रही थी , ...
पर कोई भौजाई ननद को ऐसे मौके पर छोड़ती है क्या जो मेरी बहिनिया छोड़ देती। उस सारंग नयनी की हिरण सी बड़ी बड़ी आँखों में , आँसू तैर रहे थे और एक छलक कर उसके चिकने गाल पर लुढ़क गया। और रीनू ने झुक कर उस कतरे को बड़े प्यार से चाट लिया ,
"स्साली , तेरे इस नमकीन आंसू से तेरे नमकीन गाल और नमकीन हो जाएंगे ,... "
और साथ में कचकचा कर ननद के गाल भी काट लिए , ये दांत के निशान दो चार दिन जाने वाले नहीं थे।
तबतक कमल जीजू ने उसी फटी जगह को दरेरते और जोर से धक्का मारा , और गुड्डी एक बार फिर बुरी तरह चीख उठी ,
उईईई उईईईईई ,
" यार इसी आवाज को सुनने के लिए कान तरस रहे थे मेरे , जरा और जैसे चीख ,... सच में चुदती हुयी ननद की चीख से मीठी आवाज भौजाई के लिए कुछ हो ही नहीं सकती नहीं सकती। चीख चीख , और जोर से चीख मेरी दिल जनिया।"
रीनू ने उसे और चिढ़ाया ,
और उधर कमल जीजू ने एक बार फिर अपना काम देव का तीर बाहर तक खींच कर गुड्डी की दोनों लम्बी टाँगे अपने कंधे पर सेट कर के वो करारा धक्का मारा की ,
आलमोस्ट अंदर ,...
एक बार फिर गुड्डी ने जोर की चीख मारी ,... पर अब रीनू ने उसे छोड़ दिया और बोली ,
" चल मेरी ननदो अब आराम से अपने भइया से चुदवा , मजे ले ले के , तुझे रोज नए नए मोटे लौंड़े मिलें ,... अब इतना घुस गया है , तो तू चाहे जितना चूतड़ पटक के ,... अब तेरे भइया अपनी प्यारी बहना को बिना प्यार से दूध मलाई खिलाये छोड़ेंगे थोड़ी। "
और अगले पल मेरी कमीनी बहन , गुड्डी को छोड़ कर इनके पास , ... और इनके खूंटे को छूती दबाती बोली ,
" स्साले , बहन को चुदवाते देख कर खड़ा हो रहा है तेरा , पैदायशी बहनचोद है तू। "
फिर हलके से चूम कर बोली ,
" लेकिन जीजू यार तेरी किस्मत है ,इत्ते मस्त माल की तूने फाड़ी , ... बहुत मजा आया होगा न , पहली पहली रात , भइया से सैंया बन के। "
वो बस हलके से मुस्करा उठे , ... पर रीनू कैसे इत्ते आसानी से उन्हें छोड़ देती ,