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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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Wow character gajab chune haiजोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
भाग १
"मेरे भैय्या, आम छू भी नहीं सकते ,…"
" अरे तूने कभी अपनी ये कच्ची अमिया उन्हें खिलाने की कोशिश की , कि नहीं , शर्तिया खा लेते "
चिढ़ाते हुए मैं बोली।
जैसे न समझ रही हो वैसे भोली बन के उसने देखा मुझे।
" अरे ये , "
और मैंने हाथ बढ़ा के उसके फ्राक से झांकते , कच्चे टिकोरों को हलके से चिकोटी काट के चिढ़ाते हुए इशारा किया और वो बिदक गयी।
" पास भी नहीं आएंगे आपके , मैं समझा रही हूँ आपको , मैं अपने भैया को आपसे अच्छी तरह समझतीं हूँ, आपको तो आये अभी तीन चार महीने भी ठीक से नहीं हुए हैं . अच्छी तरह से टूथपेस्ट कर के , माउथ फ्रेशनर , … वरना,… "
उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।
" ये देख रही हो , अब ये चाहिए तो पास आना पड़ेगा न "
मुस्करा के मैंने अपने गुलाबी रसीले भरे भरे होंठों की ओर इशारा करके बताया।
और एक और दसहरी आम उठा के सीधे मुंह में , …
और जब मैं ऊपर कमरे की ओर गयी तो उसे दिखा के ,
मेरे होंठों से न सिर्फ आमरस टपक रहा था बल्कि मेरी जुबान पे एक छोटी सी फांक अभी भी थी
जैसे बच्चे चिढ़ाते हैं बस वैसे , उसे दिखाते हुए , मैंने जुबान दिखायी और जुबान से ज्यादा , उसपर रखी आम की फांक , और धड़धड़ा के सीधे सीढ़ियां चढ़ गयी ऊपर अपने कमरे की ओर।
लेकिन मेरे कानों में सिर्फ उसकी बात गूँज रही थी , और मैंने दिल में तय कर लिया ,
की अपनी इस छुटकी छिनार ननदिया को
की , मेरे भैय्या ये मेरे भैय्या वो , देख तेरे ये नए नए आये कच्चे टिकोरे ,तेरे सीधे सादे भैय्या को न खिलाये तो कहना।
मैं भी न कहीं से कहानी शुरू कर देती हूँ ,इसलिए तो न तो मेरी कहानी को कोई पढता है और न लाइक करता है। अरे कहानी शुरू से शुरू कर और अंत पे खत्म और फिर जब कहानी अपनी हो , अपनी जुबानी हो तो फिर ये उछल कूद क्यों ,
ओके ओके चलिए शुरू से शुरू करती हूँ।
शादी के बाद मेरी विदायी , मम्मी मुझे गलें भेंट रही थी और जब बाकी मम्मी नौ नौ आंसू रोती हैं , बेटी को ससुराल में अच्छे से रहने के कायदे ,सास के पैर छूने के बारे में सिखाती हैं वो मेरे कान में बोल रही थीं ,
' देख जैसा इसके मायकेवालों ने ट्रेन किया हो न एकदम उसके उल्टा , शादी के बाद एकदम बदल जाए तो बात है।
अगर स्मोकर हो न तो एकदम नान स्मोकर और अगर हाथ न लगाता हो तो चेन स्मोकर ,
तभी तो मायकेवालियों को लगेगा की , .... पूरी दुनिया को लगे की शादी के बाद एकदम बदल गया। तभी तो , …"
मैंने अपना पल्लू सम्हालते हुए धीरे से हामी में सर हिलाया।
वो मेरे हबी ,
लेकिन पहले अपने बारे में तो बता दूँ आप में बहुत से तो ,....
ओ के ओ के , साथ में जो फोटो अटैच है न बस वही समझ लीजिये आलमोस्ट ,
Wah ji wah ek se badkr ek aagy or kalakarमेरे हबी
चलिए बहुत हो गयी अपनी तारीफ मुद्दे पे आती हूँ।
मेरे हबी , लम्बे पतले हैंडसम , बल्कि खूबसूरत , जैसे लड़कों को मैं और सहेलियां ,' चिकना माल ' कहती थीं एकदम वैसा ,
हैंडसम से ज्यादा ब्युटीफुल ,
बहुत शर्मीले , शादी में तो मेरी किसी कजिन ने हँसते हुए कमेंट भी किया , एकदम लौंडिया छाप , बेसिकली उनके रंग, फीचर्स और लजाने के कारण ,
लेकिन वैसे वो हर मामले में 'नार्मल ' थे।
शादी के बाद फर्स्ट नाइट को दो बार , …
जितना मेरी शादीशुदा सहेलियों और भाभियों ने किस्से सुनाये थे , उसके हिसाब से नार्मल ही था।
और ' वो ' भी जो मैंने पढ़ा औसत से थोड़ा ज्यादा ही होगा।
हम लोग थोड़े दिन के लिए हनीमून पर भी गए लेकिन , हनीमून ठीक ठीक बल्कि अच्छा था , घूमे भी ,मजा भी किया
लेकिन कुछ दिन में ही ,
कुछ पिनप्रिक्स ,
नहीं नहीं ये पिन साइज प्रिक नहीं जैसा मैंने पहले कहा था न ऐवरेज से २० ही रहा होगा
जो मैंने भाभियों , सहेलियों से सुना था उसके अलावा कई सेक्स सर्वे पढ़े थे , उसके हिसाब से।
हाँ कमल जीजू ऐसा नहीं था , लेकिन उनका तो एब्नार्मल ही कुछ ,…
(अब आप पूछेंगे की कमल जीजू कौन , मेरी मौसेरी बहन चीनू के हसबैंड ,मुझसे कुछ ही बड़ी और उनकी शादी के बाद रिसेप्शन में भी हम लोग गए थे। अगली दिन सुबह ही मम्मी ने बताया की चीनू हस्पताल गयी।
मैं घबड़ा गयी लेकिन मम्मी मुस्करा रही थीं
और तब तक मौसी हॉस्पिटल से आ गयीं और वो भी बजाय परेशान होने के मुस्करा रही थी ,बोली
चीनू को शाम के पहले ही छोड़ देंगे , बस ये बोल रही थी की डॉकटरनी , की बस जरा दो तीन दिन सम्हल के उसके बाद जैसे मर्जी , और उसका बालिश्त भर का ,
मम्मी ने मौसी को छेड़ा , तेरी समधन कहीं गधे घोड़े के पास तो नहीं गयी थी , तब मुझे माजरा समझ आया )
ऊप्स , ये कहानी बार बार भटक जा रही है।
हाँ तो मैं पिनप्रिक्स के बारे में कह रही थी. बातें तो बड़ी छोटी छोटी थीं लेकिन थी कुछ अटपट।
चलिए एक एक कर के बता ही देती हूँ ,
१- उनका ड्रेस सेन्स -
बहुत ही रिजिड था।
ग्रे या व्हाइट या बस उसी तरह की शर्ट्स ,एक बार मैं एक पिंक शर्ट उनके लिए ले आई , कोई ख़ास मौका था तो बस वैसे उछले ये की , बस चीखे चिल्लाये नहीं ,लेकिन मुंह बना के। और कभी पहना नहीं उसे।
जैसे अंग्रेजी में कहते हैं न , ' ही वाज वियरिंग हिज सो काल्ड मैस्क्यूलिनिटी आन हिज शोल्डर्स। '
ऐसे ही एक बार क्लब में , लेडीज डे था शायद ,
ये कहा गया की सभी लेडीज अपने हसबैंड को , एक लेडीज मेकअप कराएंगी। और कितनो ने अपने हस्बेंड्स को पिंक लिपस्टिक लगायी और उन्होंने स्पोर्टिंगली न सिर्फ लगवायी , बल्कि बिना झिझक पूरी क्लब इवनिंग में टहलते रहे।
और मैं इन्हे जानती थी ,इसलिए बस एक भोली सी छोटी सी नन्ही सी बिंदी उनके माथे पे लेगा दी.
और उनका चेहरा एकदम गुस्से से लाल , जैसे बिंदी न हो किसी ने उनका सेक्स चेंज कर दिया हो।
और सब लोग हम दोनों की ओर देख रहे थे।
इत्ती शर्म आई मुझे , सब के सामने घड़ों पानी पड़ गया। बता नहीं सकती कितना खराब लगा /
मेरी एक सहेली थी साइको में मास्टर करने के साथ उसने हस्बेंड साइकोलॉजी में मेजर किया था , जब मैंने उसे ये बात बताई तो वो बोली ,' रिप्रेस्ड फेमिनिटी ' की साइन है।
उनके अंदर 'इन्नेट फेमिनिटी ' है जिसे वो सिर्फ सप्रेस ही नहीं करना चाहते बल्कि उन्हें डर है की कहीं सबको ये पता न चल जाए।
मुझे कुछ तो समझ में आया लेकिन , …
२. उनका टेस्ट खाने पीने का -
खाना -पीना। पीने का तो सवाल ही नहीं कुछ भी सिवाय नलके के पानी के। शुद्ध शाकाहारी , टी टोटलर , नान स्मोकर , ठीक है मैं चलिए अड्जस्ट कर लेती ,
लेकिन उनकी वो छिपकली ममेरी बहन ,मेरी छिनार ननदिया , उसकी बात ऐसे चुभती थी ,कान में की ,
Bivi ki chahat or pati pati dev ki aadat ke bi ky kehne wah ji wah...मेरी छुटकी ननदिया
और सबसे बढ़कर वो उनकी ममेरी बहन।
वो पास के मोहल्ले में थी लेकिन अक्सर आ जाती थी। गुड्डी नाम था।
अभी ग्यारहवीं में गयी है,और जैसे इस उमर की लड़कियों में होती है , एकदम चैटर बॉक्स.
और एकदम चिपकू , अपने भैय्या से , हर समय , मेरे भैया ये नहीं करते , मेरे भैया वो नहीं करते।
लेकिन लगती कैसी थी ?
मैं ये कह सकती थी जैसे ग्यारहवीं में पढने वाली लड़कियां लगती हैं , वाली जिनपे अभी अभी जवानी चढ़ी हो।
लेकिन ये बेईमानी होगी।
जब मेरी शादी में आई थी बारात में तो उसके कच्चे टिकोरे ही आग लगा रहे थे
और अब तो कुछ दिन पहले जवानी की राते मुरादों के दिन वाली उम्र हो गयी।
मैं और मेरी जिठानी उसे चिढ़ाते थे , अरे अब तो इंटर में आ गयी है इंटरकोर्स कर ले तो ऐसा बिदकती थी की
लम्बी ठीक ठाक , ५-४ होगी ,
गोरी ,हंसती है तो गाल में गहरे गड्ढे पड़ते हैं।
और उभार ,
एकदम जम के दिखते हैं , खूब कड़े कड़े कच्ची अमिया जैसे छोटे लेकिन मस्त, उसके क्लास की लड़कियों से कुछ ज्यादा ही बड़े ।
हिप्स भी कड़े और गोल।
जैसा की फिराक ने कहा था , वैसी ही बल्कि थोड़ी बढ़ चढ़ कर ,
लड़कपन की अदा है जानलेवा
गजब की छोकरी है हाथ भर की
और मुझे भी कई बार लगा की सिर्फ वही नहीं चिपकी रहती , इनके मन में भी उसके लिए कुछ 'सॉफ्ट ( या हार्ड !) कार्नर ' है।
शादी के कुछ दिन बाद गाने हो रहे थे और मुझे मेरी जेठानी ने उकसाया गारी गाने के लिए ,
और गारी का असली टारगेट तो ननद ही होती है , तो बस मैं चालू हो गयी उसके टिकोरों की खुल के तारीफ करने
मंदिर में घी के दिए जले मंदिर में
मैं तुमसे पूछूं हे ननदी रानी , हे गुड्डी रानी ,
तोहरे जोबना का कारोबार कैसे चले ,
और उसका सम्बन्ध पहले अपने भैया फिर सैयां से जोड़ने ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे हलवइया का लड़का तो गुड्डी जी का यार रे , अरे गुड्डी रानी का यार रे ,
लड्डू पे लड्डू खिलाये चला जाय , , अरे चमचम पे चमचम चुसाये चला जाय ,
कहना ना माने रे , अरे कहना ना माने रे ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे दरजी का लड़का तो गुड्डी जी का यार रे अरे ननदिया का यार रे ,
अरे चोलिया पे चोलिया सिलाये चला जाय , अरे जुबना उसका दबाये चला जाए
कहना ना माने रे , अरे कहना ना माने रे ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे मेरी सासु जी का लड़का , तो गुड्डी जी का यार रे गुड्डी जी का यार
अरे सेजों पर मौज उड़ाए चलाय जाय कहना ना माने रे।
अरे मेरी मम्मी का लड़का , अरे मेरा प्यारा भैया तो गुड्डी जी का यार रे , अरे ननदिया का यार रे ,..
टाँगे दोनों उठाये चला जाय , अरे जाँघे उसकी फैलाये चला जाय
कहना ना माने रे
और उसी समय कहीं से वो आगये , फिर ऐसे घूरा उन्होंने की तुरंत गाना बजाना सब बंद।
और उस दिन तो मैं उस के चक्कर में इतना ,कह नहीं सकती कितना खराब लगा।
उनकी एक आदत और ख़राब ,
कोई भी सामान अपनी जगह नहीं रखते ,सब इधर उधर।
एकदिन तकिये के नीचे कंडोम रखे थे जो सरक कर बिस्तर पर आगये ,
कोई आया तो जल्दी से मैंने पास में पड़े हमारे वेडिंग अल्बम में उसे रख दिया।
रात में वो कमरे में आये , तो वेडिंग एल्बम उन्होंने खोल कर देखा।
कंडोम जिस पेज पर थे , वहां गुड्डी की फोटोग्राफ्स थे ,शादी में डांस करते।
मैंने उन्हें इतना गुस्सा और दुखी कभी नहीं देखा था। वो वैसे भी कैंसरियन थे , राशि के हिसाब से ,
और गुस्सा होने पे या अकसर वैसे भी अपने शेल में घुस जाते थे।
उन्होंने कंडोम उठाकर झटक कर फर्श पर फ़ेंक दिया जैसे मैंने कैसी गन्दी चीज गुड्डी की तस्वीर के साथ रख दी हो।
और फिर सम्हाल कर उस की फोटो को पोंछा और अपने हाथ से नीचे वाले ड्राअर में एलबम को रख के बंद किया।
और बिना मुझसे कुछ बोले , मेरी ओर पीठ कर के सो गए।
Are wah mujhe lga ab kacche aam ka mja milega bhaiya ko lekin yha to next season ki baazi lg gy jane ky hoga ab J K ji kaजोरू का गुलाम भाग दो
कच्चे टिकोरे और आम रस
जैसा मैंने पहले ही कहा था मेरे उनको फल एकदम पसंद नहीं है लेकिन आम से तो या ऐसी चिढ , बल्कि फोबिया।
एकदम तगड़ा फोबिया। और वो भी एकदम बचपन से ,उनके मायेकवाली किसी ने बताया था की ,क्लास में एक बार टीचर ने सिखाने की कोशिश की , एम फॉर मैंगो , लेकिन वो बोले नहीं। लाख टीचर ने कोशिश की ,मुरगा बना दिया , … लेकिन नहीं।
और जब वो खाना खा रहे हों तो ,अगर टेबल पर आम तो छोड़िये ,टिकोरे की चटनी भी आ जाय , तो एकदम अलप्फ ,मेज से उठ जाएंगे।
छूना तो छोड़िये नाम नहीं ले सकते।
और सब उनको चिढ़ाते थे।
मुझे बहुत बुरा लगता था , उनकी सब आदतों में से ये सबसे ज्यादा , आखिर आम खाने में क्या,...
मैंने तो एक दिन सोचा सबके सामने वो ग़ालिब वाला जोक सुनाऊँ ,
की एक जगह ग़ालिब के कोई दोस्त बैठे थे ग़ालिब आम खा रहे थे , एक गधा आया और सूंघ कर चला गया , उस आदमी ने ग़ालिब का मज़ाक बनाने की कोशिश की , देखिये ग़ालिब साहेब , गधे भी आम नहीं खाते , ग़ालिब ने एक आम चूसते हुए , हंस के जवाब दिया नहीं ज़नाब , गधे ही आम नहीं खाते , ..
पर मैं जानती थी , ये तो एक दम तनतना के उठ के चल देंगे , और वो रात फिर , ..
और उसके बाद मेरी ननद के ,
उस गदहे वाली गली वाली के , जी वो जिस मोहल्ले में रहती थी , जिस गली में उसका पहला घर किसी धोबी का था और गली के बाहर गदहे बंधे रहते थे तो सब लोग उसे गदहे वाली गली कह के कई बार चिढ़ाते भी थे ,
और साथ में जेठानी के ताने
मुझे तो बहुत पसंद थे , दसहरी की तो मलिहाबाद में हम लोगो की एक खूब बड़ी सी बाग़ भी थी , ...
लंगड़ा , चौसा , मलदहिया , सब , लेकिन ये न ,
चलिए न खाएं , न खाएं ,
लेकिन इनकी मायकेवालियों ने जो इसकी एक टेर बना रखी थी ,
भैया को तो एकदम पसंद नहीं है ,
देवर जी , नाम ले के देखो उठ जाएंगे , ...
मैं बस यही सोचती की इन्हे इन्ही सब के सामने एक दिन इन्हे खिलाऊँ यही , तो पता चलेगा ,
ये लड़का अब इनका भैया, देवर नहीं मेरी पति है ,
और ये भी तो और,... जैसे , जैसा इनकी वो ममेरी बहन , भौजाई कहेंगी बस उसी तरह से बिहैव करेंगे , और उसके बाद वो दोनों खासतौर से वो गुड्डी जिस तरह से मुझे देखकर मुस्कराती न , ... मेरी तो बस सुलग के रह जाती , ...
लेकिन नई नई बहू क्या बोलती ,
हाँ बुरा लगने से तो कोई रोक नहीं सकता न ,
इत्ते दिन में मैं समझ गयी थी ,
असली खेल जेठानी का था , वो गुड्डी के लिए इनका जो भी सॉफ्ट हार्ड कार्नर होगा अच्छी तरह समझती थीं , इस लिए उसी की कंधे पर रखकर बन्दूक चलाती थी ,
एक दिन ,अभी भी मुझे याद है ,१० अगस्त।
हम लोग दसहरी आम खा रहे थे मस्ती के साथ ( वो खाना खा के ऊपर चले गए थे )
और तभी मेरी छुटकी ननदिया आई। और मेरे पीछे पड़ गयी।
" भाभी ये आप क्या कर रही हैं ,आम खा रही हैं ?"
मैंने उसे इग्नोर कर दिया फिर वो बोली
"मेरे भैय्या , आम छू भी नहीं सकते ,…"
" अरे तूने कभी अपनी ये कच्ची अमिया उन्हें खिलाने की कोशिश की , कि नहीं , शर्तिया खा लेते "
चिढ़ाते हुए मैं बोली।
जैसे न समझ रही हो वैसे भोली बन के उसने देखा मुझे।
" अरे ये , "
और मैंने हाथ बढ़ा के उसके फ्राक से झांकते , कच्चे टिकोरों को हलके से चिकोटी काट के चिढ़ाते हुए इशारा किया और वो बिदक गयी।
ये देख रही हो , अब ये चाहिए तो पास आना पड़ेगा न "
मुस्करा के मैंने अपने गुलाबी रसीले भरे भरे होंठों की ओर इशारा करके बताया।
और एक और दसहरी आम उठा के सीधे मुंह में , …"
और एक पीस उसको भी दे दिया , वो भी खाने लगी , मजे से।
मम्मी ने भेजे थे खास अपनी बाग़ के मलिहाबाद से , एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले
थे भी बहुत रसीले वो।
लेकिन वो फिर चालू हो गयी ,
"पास भी नहीं आएंगे आपके , मैं समझा रही हूँ आपको , मैं अपने भैया को आपसे अच्छी तरह समझतीं हूँ, आपको तो आये अभी तीन चार महीने भी ठीक से नहीं हुए हैं . अच्छी तरह से टूथपेस्ट कर के , माउथ फ्रेशनर , … वरना,… "
उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।
मैं एड़ी से चोटी तक तक सुलग गयी ,ये ननद है की सौत और मैंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
" अच्छा , चलो लगा लो बाजी। अब इस साल का सीजन तो चला गया , अगले साल आम के सीजन में अगर तेरे इन्ही भैय्या को तेरे सामने आम न खिलाया तो कहना। "
मैंने दांव फ़ेंक दिया।
Ohh Teri transfer hogya lgta hai ab yhe iska bi transform hogaलग गयी बाजी
"अच्छा , चलो लगा लो बाजी। अब इस साल का सीजन तो चला गया , अगले साल आम के सीजन में अगर तेरे इन्ही भैय्या को तेरे सामने आम न खिलाया तो कहना। "
मैंने दांव फ़ेंक दिया।
लेकिन वो भी , एकदम श्योर।
" अरे भाभी आप हार जाएंगी फालतू में , उन्हें मैं इत्ते दिनों से जानती हूँ। खाना तो दूर वो छू भी लें न तो मैं बाजी हार जाउंगी। "
वो बोली।
लेकिन मैं पीछे हटने वाली नहीं थी ,
" ये मेरे गले का हार देख रही हो पूरे सवा लाख का है। असली कुंदन , अगर तुम जीत गयी तो तुम्हारा ,वरना बोलो क्या लगाती हो बाजी तुम ,"
तब तक मेरी जेठानी भी आगयी और उसे चिढ़ाती बोलीं ,
" अरे इसके पास तो एक ही चीज है देने के लिए। "
पर मेरी छुटकी ननद , एकदम पक्की श्योर बोली।
" आप हार जाइयेगा। "
जेठानी फिर बोलीं , मेरी ननद से
" अरे अगर इतना श्योर है तो लगा ले न बाजी क्यों फट रही है तेरी। "
और ऑफर मैंने पेश किया ,
"ठीक है तू जीत गयी तो हार तेरा और मैं जीत गयी तो बस सिर्फ चार घंटे तक जो मैं कहूँगी ,मानना पडेगा। "
पहली बार वो थोड़ा डाउट में थी।
" अरे मेरे सीधे साधे भैया को जबरन पकड़ के उसके मुंह में डाल दीजियेगा आप लोग , फिर कहियेगा ,जीत गयीं "
बोली गुड्डी।
" एकदम नहीं वो अपने हाथ से खाएंगे , बल्कि तुझसे कहेंगे ,तेरे हाथ से खुद खाएंगे अब तो मंजूर।
और तुझे भी अपने हाथ से खिलायंगे। एक साल के अंदर। अब मंजूर। "
मैंने शर्त साफ की और वो मान गयी।
मेरी जेठानी ने मेरे कान में कहा ,
"सुन तेरा हार तो अब गया।"
और कुछ ही दिन में उनका ट्रांसफर हो गया , घर से काफी दूर।
और मैं भी उनकी जॉब वाली जगह पे आ गयी।
kitni romanchak tarike se likhti ho aap Komal ji.स्साली,... रीनू…..
कुछ देर तो तक तो ये और रीनू गुड्डी की सीटी बजने के बाद ऐसे गुथमगुथा , पता नहीं चलता था किसकी देह कहाँ है , दोनों के होंठ एक दूसरे के देह पर चिपकते , चूसते चाटते , सरकते , जैसा जीजा साली कब से एक दूसरे के लिए प्यासे रहे हों ,
इनके हाथ रीनू के बड़े पथराये कड़े जोबन पर , मीजते ,मसलते ,जैसे ये मौका दुबारा नहीं मिलने वाला है , ...
और रीनू का भी एक हाथ कस के इनके पीठ पर , दबाये , जैसे कहीं गलती से भी अलग न हो जाएँ ये ,एक पल के लिए उसके जीजू , एकदम चिपकी , और दूसरा हाथ इनकी साली का ,... और कहाँ ,... इनके तन्नाए खूंटे पर , रगड़ता , मसलता ,...
जैसे संगम पर नदियां मिलती हैं , गलबहियां डाले , सब कुछ भूल कर,....
दो चार मिनट इसी तरह , ... लेकन उन्हें अंदाज था , ... ये वक्त सिर्फ दस मिनट का है , जब वो अपनी साली को अपनी जुबान का ऊँगली का जादू दिखा सकते हैं ,... बस अपनी साली रीनू की देह पर सरकते , फिसलते सीधे ,... शहद के छत्ते पर ,.... लेकिन वहां होंठ लगाने के पहले ,... दो मोटी मोटी तकिया , अपनी साली के भारी चूतड़ों के नीचे ,... वो चूतड़ जिन्हे कभी साडी के तो कभी जींस के अंदर से उनकी साली थिरका के , मटका के उन्हें कब से ललचाती थी , जिया लुभाती थी ,... आज ,..
और आज होंठ ,... नहीं पहले जीभ , बल्कि जीभ की टिप ,
जैसे आदर से , प्यार से , साली की प्रेम गली की उनके जीजू की जीभ ने परिक्रमा की , चक्कर काटे , फिर दोनों गुलाबी मांसल भगोष्ठों के बीच , दोनों फांको को जैसे अलग करते , बस एक हलकी सी लाइन सी ,...
और जब रीनू को , उनकी साली को लगा की उसके जीजू अब कस कस के चूसेंगे , उनके होंठ अलग हो गए ,...
अलग नहीं हुए बल्कि सरक कर अपनी साली के रेशमी मखमली जांघों के एकदम ऊपरी भागों पर थिरक रहे थे , और अब उसके जीजू की उँगलियाँ बस हलके हलके , बसंती हवा की तरह रीनू की गुलाबी गली को सहला रही थीं , कब उँगलियों की जगह हथेलियों ने ली , कब हलके स्पर्श की जगह , कस के गदोरी की रगडन ने ली , उसे पता भी चला , रीनू के हाथ अब कस के दोनों चादर दबोचे इस जादुई मखमली छुअन का बस मजा ले रहे थे।
चिहुंकी वो जब अचानक एक ऊँगली , उस मखमली गली में अचानक ,... एक ऊँगली ने सेंध लगा दी।
पहले एक पोर , फिर दूसरी पोर , ... उस गुलाबी सुरंग में , बस हलके हलके वो ऊँगली सरक रही थी , फिसल रही थी ,
बिचारि साली को क्या मालूम ये ऊँगली ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन होने वाली है , ... दुश्मन का जासूस होने वाली है , गीली मखमली दिवालो पर , वो जादुई बटन ढूंढ लिया , ...
जिसपर एक हलकी सी थाप और काम के सारे मादल एक साथ बजने लगते हैं , प्रेम के उनचासों पवन एक साथ चलने लगते हैं , और उस ऊँगली का साथ देने के लिए , दूसरी ऊँगली भी , बहुत हलके हलके , कभी अंदर बाहर , कभी गोल गोल ,
और जब उँगलियाँ निकली तो रीनू साली के जीजू की मोटी लम्बी जीभ ,...
जिसके आगे मोटा से मोटा , कड़ा से कड़ा लंड मात ,...
लपलपाती , सरसराती ,सरकती ,... और उँगलियों ने जिस जादुई बटन , जी प्वाइंट को ढूंढ लिया था ,
और एक झटके में जैसे सितार पर सरकती उँगलियाँ , मन्द्र सप्तक से सीधे तार सप्तक पर पहुँच जाएँ , बस वही हुआ ,
होंठ भगोष्ठों को चूस रहे थे , पूरी ताकत से ,
जीभ अंदर गोल गोल , .. और बीच बीच में , शरारत से अपनी साली के जी प्वाइंट को भी छेड़ देती ,
और उँगलियाँ , ... बाहर के जादू के बटन को , क्लिट को , कभी तर्जनी उसे फ्लिक करती , तो कभी अंगूठा उसे दबा देता। मटर के दाने के बराबर रीनू का क्लिट , एकदम कड़ा , थरथराता , उत्तेजित ,......
मेरी बहन रीनू काँप रही थी , सिसक रही थी , अपने जीजू के ऊँगली , होंठों और जीभ की ताल पर थिरक रही थी ,... और वो जैसे ही लगता की कहीं साली , कगार के उस पार न चली जाय , ... उँगलियाँ क्लिट को छोड़ देतीं ,... और उनके लम्बे हाथ ऊपर पहुंच कर ,
साली के गोल गोल कड़े कड़े दोनों जुबना कस के दबाने मसलने लगते।
मैं कनखियों से देख के अपनी बहन को मुस्करा रही थी, आज मेरी बहना को पता चल रहा था की मेरा मरद जीभ और ऊँगली के मामले में बाकी मरदों से २० नहीं २५ है। जिस लड़की पे उस का हाथ पड़ जाए, वो उस का नाम सुन के नाड़ा खोलने लगती है।
दो चार मिनट में ही रीनू के मुंह से बस एक ही आवाज निकल रही थी ,
उह्ह्ह्ह आह्हः नहीं नहीं जीजू ,... ओह्ह मेरा , उफ्फ्फ छोड़ न बस एक मिनट रुक जा , जीजू प्लीज , मेरा ,... ओह एक मिनट बस ,....
साली की बात कौन जीजू टालता है , और ये तो साली के पक्के चमचे , रीनू के नाम पर कुछ भी करने को तैयार ,... एक मिनट के लिए तो नहीं , हाँ कुछ पलों के लिए ,
पर , साली के देह में रस के झरनों की कमी थी क्या ,
मस्ती के कूपों की , ... बस उनके दोनों हाथों ने नितम्बो को फैलाया , ... और सीधे जीभ पीछे वाले छेद पर ,
रीमिंग , आस लिकिंग में अगर कोई पी एचडी मिलती तो उन्हें जरूर मिलती और इतने दिनों उन्हें अपनी साली मिली थी , पिछली बार पांच दिनों की छुट्टी के चक्कर में साली बच गयी थी पर अबकी दुनिया इधर से उधर हो जाए वो उसे छोड़ने वाले नहीं थे। अपनी सब काम कला ,...
ये नहीं रीनू के अगवाड़े को आराम मिल गया , बस उन्होंने बाट लिया जीभ गोलकुण्डे के छेद पर और उँगलियाँ एक बार अंदर बाहर प्रेम गली में ,... साथ में थोड़ी देर के बाद अंगूठा भी क्लिट पर ,
दुहरे हमले का असर हुआ , एक बार फिर साली जोर जोर से चूतड़ पटक रही थी ,... गालियां उसके मुंह से झड़ रही थी ,...
कई बार लगा अब गयी , तब गयी ,...
और जब गुड्डी ने सीटी मारी तो एक बार वो कस कस के अपनी साली की रसीली चूत चूस रहे थे , जीभ से लिक कर रहे थे , दोनों हाथ जोबन का रस ले रहे थे
और ये सीटी थी सीधे अटैक की , पेन्ट्रेशन, घुसा दो अंदर पूरा , ...,
गुड्डी की सीटी की गूँज अभी हलकी भी नहीं पड़ी थी की ,...
साली की चीख , .... और रीनू की चीख गुड्डी की सीटी कई गुना तेज थी , दर्द की भी चीख मजे की भी चीख ,...
Woww Renu kya mast malai hai. Jiju ke maje ka andaaj chi nahief laga sakte. Gazab Komal ji.घुस गया, धंस गया, अंडस गया -रीनू स्साली के
और जब गुड्डी ने सीटी मारी तो एक बार वो कस कस के अपनी साली की रसीली चूत चूस रहे थे , जीभ से लिक कर रहे थे , दोनों हाथ जोबन का रस ले रहे थे
और ये सीटी थी सीधे अटैक की , पेन्ट्रेशन, घुसा दो अंदर पूरा , ..., गुड्डी की सीटी की गूँज अभी हलकी भी नहीं पड़ी थी की ,...
साली की चीख , .... और रीनू की चीख गुड्डी की सीटी कई गुना तेज थी , दर्द की भी चीख मजे की भी चीख ,...
उसके जीजू ने, मेरे मरद ने एक बार में ही पूरा पेल दिया था , ...
ऊँगली और जीभ के उनके दूतों ने , जी प्वाइंट का सही सही पता ठिकाना , जी पी एस लोकेशन के साथ ,...
बस , ... जब उन्होंने घुसेड़ा अपना मोटा भाला , तो बस हलके से तिरछे कर के , और सुपाड़ा , उस जी प्वाइंट को रगड़ते , दरेरते , ... और एक पल के लिए रीनू के जीजू ठहरे , अपनी साली की नाजुक कलाई दोनों अपने हाथों में कस के पकड़ी , ....
अपना जस्ट घुसा भाला , एक बार फिर हल्का सा बाहर निकाल कर , अपनी कमर की पूरी ताकत के साथ , .... ठेल दिया, धकेल दिया।
आज पहली बार साली अपनी जीजू की कमर की ताकत देख रही थी।
एक बार फिर उसी जादुई बटन को रगड़ते , मसलते हुए जो भाला अंदर घुसा , ... तिलस्म के सारे दरवाजे अपने आप खुल गए।
और ढाई किलो के मुक्के की तरह , ... किसी मुक्के से कम नहीं होती थी उनके सुपाड़े की चोट ,... सुपाड़ा सीधे साली के बच्चेदानी पर पूरी ताकत से ,
साली वैसे ही जीभ और ऊँगली के डबल अटैक से थोड़ी देर पहले ही बार बार झड़ने के कगार पर पहुँच रही थी , और उसके जीजू की इस जबरदस्त चोट , और वो भी सीधे साली की बच्चेदानी पर ,
जैसे ज्वालामुखी फट पड़ा ही ,
उस तेज चीख के बाद रीनू , उनकी साली चीखती रही , चिल्लाती रही , ... बित्ते बित्ते भर चूतड़ उछाल रही थी ,
पर जीजू का जब बित्ते भर का अंदर धंसा हो , ... तो साली लाख चूतड़ पटके , चीखे चिल्लाये , ... कोई भी जीजू न छोड़ता है न निकालता है।
उन्होंने भी न छोड़ा न निकाला , बस कस के अपनी साली की नरमी कलाई पकडे रहे , आधी दर्जन चुरमुर करती चूड़ियां चूर चूर हो गयीं।
यही तो मजा है , जीजू साली के रिश्ते का , ... और आज पहली बार वो जीजा साली के रिश्ते का असली मजा ले रहे थे।
रीनू झड़ती रही , झड़ती रही , उसके जीजू का मोटा खूंटा उसकी बच्चेदानी तक घुसा रहा , ...
और जब साली का झड़ना , थोड़ा हल्का हुआ , चीखें सिसकियों में बदल गयीं , तो उसके जीजू ने ,... बदमाश नम्बरी ,... लंड तो जड़ तक घुसा ही था , बस लंड के बेस को , अपनी साली के मटर के दाने के बराबर मांसल रसीली क्लिट पर , पहले तो हलके हलके , फिर जोर जोर से ,जबदरस्त घिस्से दे रहे थे थे वो ,
और कुछ देर में ही उनकी साली भी , रीनू उसी तरह अपनी कमर उचका उचका के उनके घिस्सों का जवाब , घिस्सों से दे रही थी ,
वो भी इस मैदान में पहली बार तो नहीं उतरी थी ,... झड़ना उसका रुक गया था , लेकिन एकदम नहीं रुका था ,
हलके हलके बीच बीच में , तूफ़ान में कांपते पत्तों की तरह उसकी देह सिहर उठती , काँप उठती वो जोर से इन्हे , अपने जीजू को अपनी मृणाल बाँहों में भींच लेती , अपने लम्बे नाख़ून इनके वृषभ कन्धों में धंसा देती ,
जितना उन्हें अपनी साली रीनू को चोद कर ख़ुशी नहीं हो रही होगी, जितना रीनू को अपने जीजू, मेरे मरद के मोटे बांस से चुदवा के ख़ुशी नहीं हो रही होगी, उससे ज्यादा ख़ुशी मुझे अपने मरद को मेरी बहिनिया को चोदते देख के हो रहे थी,
और वो और रीनू मेरी बहिनिया मजे से पागल हो रहे थे, रीनू बहुत चुदी थी लेकिन आज जिस तरह मेरा सोना मोना उसे चोद रहा था,... मस्ती से उसकी हालत खराब थी।
और अब ये भी , अपनी पूरी देह से रस की गागर , अपनी साली का रस , ... लालची होंठ , कभी भौंरे की तरह रीनू के होंठों पर बैठते तो कभी कचकचा कर रीनू साली के गोर चम्पई गाल चूस लेते काट लेते। रीनू की बड़ी बड़ी पलकों को तो चूम कर उस खिलाड़ी ने पहले ही बंद कर दिया था। उनके हाथ भी कब की अपनी साली की नरम कलाइयों को छोड़ चुके थे और दोनों हाथ ,
जिसे देख कर हर जीजा का मन ललचाता है , ...और हर हर साली कभी बड़े गले के ब्लाउजमें से झुककर , कभी जानबूझ कर आँचल सरका कर , तो कभी टाइट टॉप में , जीजू की पेंट टाइट करती है ,
वही दोनों जुबना इनके हाथ में थे , जीजू के हाथ में साली के जुबना हों और रगड़े न जाय मीजे मसले न जायँ ,... तो बस खूब रगड़ाई मसलाई इनकी साली की चूँचीयो की ,
और रीनू साली की चूँची थी बहुत जबरदस्त , ३४ डी ,... सिर्फ बड़ी ही नहीं , मांसल भी कड़ी कड़ी भी ,...
साली की चुदाई पूरे जोर से चालू हो गयी थी।
Bahut behatrine update hai Komal ji.रीनू, मेरी बहन और मेरा मरद
और रीनू साली की चूँची थी बहुत जबरदस्त , ३४ डी ,... सिर्फ बड़ी ही नहीं , मांसल भी कड़ी कड़ी भी ,...
साली की चुदाई पूरे जोर से चालू हो गयी थी।
और साली भी रीनू ऐसी , ...साली सिर्फ चुदवा ही नहीं रही थी अपने जीजू से , जीजू को चोद भी रही थी ,
हर धक्के का जवाब धक्के से चूतड़ उछाल उछाल कर , खुद अपनी चूँचियाँ अपने जीजू के चौड़ी छाती में रगड़ रही थी , घिस रही थी , चुम्मा चुम्मी अब सीधे टंग फाइट तक पहुँच गयी , जीजू की जीभ ऐसे चूस रही थी जैसे जीभ न हो जीजू का लंड हो। अपनी लम्बी छरहरी टाँगे , साली ने जीजू की देह में लता की तरह लपेट कर , ... रीनू की बाहें इनकी पीठ पर ,.... कभी जोर से सिसकती तो उसके नाख़ून उसके जीजू के पीठ में गड़ जाते , ... स्क्रैच के निशान उसके जीजू की छाती पर , पीठ पर ,... अगर कभी जीजा का धक्का रुकता तो खुद वो अपने जीजू को जोर से अपनी ओर खींच कर ,... जैसे प्यासी धरती हाथ बढ़ा कर सावन में बादल को बुला ले , ...
और सिर्फ देह बाहर से ही नहीं , वो ट्रिक जो तीनो बहनों ने सीख रखी थी , .... नट क्रैकर ,..... उसकी मस्त रसीली गुलाबी चूत अब अपने जीजू का मोटा लंड , बार बार सिकोड़ रही थी , निचोड़ रही थी ,..
उनके धक्के भी अब लम्बे लम्बे , ... सुपाड़े तक लंड को वो बाहर निकालते , फिर एक धक्के में अपनी साली की बुर में पूरा लंड , ... साली सिसक उठती , लेकिन सुपाड़े का हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,...
पर साली के जीजू की फेवरिट पोज तो कोई और थी न ,
और पूरा लंड घुसेड़े , घुसेड़े ,....
और साली भी कौन नयी बछेड़ी थी , ... और वो भी तो कब से तड़प रही थी जीजू का घोंटने को ,... साली ने भी अपना सारा जोर , अपनी कुहनी मोड़ कर हाथों पर ,
और वो कुतिया बनी , ... हाँ लेकिन ये न इतने केयरिंग , ... ऐसे समय में भी ,... आस पास की सब तकिया , मसनद , साली के नीचे ,
कातिक की कुतिया झूठ जिस तरह से रीनू चुदवा रही थी , और ये चोद रहे थे , अपने पैरों को रीनू के दोनों खुले पैरों के बीच में डाल कर उन्होंने रीनू की खुली टांगो को और अच्छी तरह फैला दिया था इसलिए आराम से सटासट , सटासट लंड जा रहा था , निहुरी हुयी , कुतिया बनी स्साली गपागप गपागप लंड घोंट रही थी।
और तभी उन्होंने साली से बेईमानी कर दी , ... पर सालियाँ मण्डप में गाली देने से , कोहबर में छेड़ने से , ... कोई मौका छोड़ती नहीं तो कभी कभार जीजू का भी मौका ,... और जब उनका खूंटा जड़ तक घुसा था , बस अपनी दोनों टाँगे उन्होंने रीनू की टांगो के बीच से निकाल कर , अब उनके पैरों के बीच रीनू की लम्बी टाँगे , और धीरे धीरे कैंची की तरह सिकोड़ कर ,... उनकी साली की टाँगे एकदम चिपक गयीं और साथ ही टांगों के बीच का छेद भी एकदम कसा , सिकुड़ा और उसके अंदर मोटा भाला धंसा , ... हलके हलके निकाले उन्होंने ,....
पर असली मजा तो तब आया , जब उन्होंने पूरी ताकत से वापस घुसेड़ा , ... उसी कसी चिपकी बुर में ,...
उईईई नहीं ,... जी.... जू ,... नहीं नहीं ओह्ह्ह्हह उईईईईई
साली जोर से चीखी ,
और कौन ननद ये मौका छोड़ देती और गुड्डी तो असल वाली , पक्की बचपन की छिनार ननद थी , रीनू को छेड़ा उसने ,
" क्यों भाभी , मजा आ रहा है न ननद के भाई के साथ ,... "
उस दर्द के बाद भी कुतिया की तरह झुकी रीनू ने , गुड्डी की ओर मुड़ कर बोली ,
" स्साली , ... भाभी , ननद के भाई के साथ मजा नहीं लेगी तो क्या तेरी ऐसी छिनार भाइचोद ननद की तरह अपने भाई के सामने टाँगे फैलाएंगी। "
" अरे नहीं भाभी , आप अपने भाई के साथ भी मजे लीजिये , और मेरे भइया के साथ भी , आखिर भाभियाँ अपने मायके को छोड़ के आती ही इसलिए हैं , ननदों के भाइयों से चुदवाने ,... मैं तो बस ये पूछ रही हूँ मायके में अपने भाइयों के साथ ज्यादा मजा आता था , या मेरे भाई के साथ ,.... " गुड्डी खिलखलाई।
" अपने बहनचोद भाई से तूने अपनी कुँवारी चूत की सील तो तुड़वा ही ली है , ... चल अब तुझे अपने मायके ले चल कर , अपने भाइयों से भी , ... पूरा गाँव चढ़ेगा तेरे ऊपर ननद रानी तब पूछूँगी , किसके साथ ज्यादा मजा आया। "
रीनू कौन चुप होने वाली ,
लेकिन कुछ वो और बोलती , उसके पहले साली की चीख निकल गयी।