Random2022
Active Member
- 560
- 1,363
- 123
तेज मिर्च वाली चाट
हम तीनों बहने मैं, रीनू और चीनू, जब चाट खाने जाते तो चीनू पहले ही बोल देती मेरे वाले में मिर्ची बहुत कम, रीनू को फरक नहीं पड़ता था लेकिन मैं कहती थी, भैया मेरे में एक्स्ट्रा, और वो चाट दे देता था तो भी मैं बोलती थी भैया मिर्च जरा सा ऊपर से और, फिर पूरा मुँह जलता था, आँख नाक हर जगह से पानी निकलता था, सी सी करती रहती, मुंह छरछराता रहता था, आग लग जाती थी गले में लेकिन मजा भी बहुत आता था।
चीनू हड़काती भी थी, ' कमीनी, जब ऐसी हालत खराब हो जाती है तो बार बार ज्यादा मिर्च क्यों "
मैंने सी सी करती रहती और बोलती भी, अरे दी ज्यादा मिर्च वाली चाट का मजा ही अलग है, इसी हालत खराब होने का ही तो मजा है।
और आज एकदम वैसा ही लग रहा था बस ज्यादा मिर्च ही नहीं, लगता था किसी ने सबसे तेज मिर्च भूत झोलकिया का छौंका मार दिया है। इतना तेज छरछरा रहा था, बुरी तरह लग रहा था लेकिन मजा भी नया नया आ रहा था ।
तबतक कमल जीजू ने कस एक मेरी दोनों चूँचियों को पकड़े पकड़े ऑलमोस्ट बाहर निकाला और ऐसा करारा धक्का मारा और वही दरेरते, छीलते, रगड़ते, घिसते, मुझे लगा जैसा मैं अब बर्दास्त नहीं कर पाउंगी, और आलमोस्ट पूरा अंदर,
नहीं नहीं जीजू नहीं, दर्द हो रहा है, बस, अब बस, बहुत ओह्ह्ह उफ्फ्फ उईईईईई
मैं चीख रही थी एक चीख रूकती तो दूसरी शुरू हो जाती हालांकि कमल जीजू ने धक्के मारने बंद कर दिए थे, और जब किसी तरह मेरी चीख रुकी तो मुझे समझ में आया कमल जीजू की शैतानी, चीनू तो सीरियस टाइप थी, लेकिन रीनू के साथ भी एक बार उन्होंने, और रीनू ने ही मुझे बताया था
" कमल जीजू जब बहुत ज्यादा मस्ती के मूड में होते हैं तो ज्यादा मिर्ची वाली चाट खिला देते हैं, "
एक बार रीनू के साथ भी, रीनू उन्हें बहुत छेड़ रही थी, चिढ़ा रही थी लेकिन दे नहीं रही थी। रीनू ने कमल जीजू की ट्रिक भी बता दी,
" कोमलिया, कमल जीजू, बदमाशों के सरदार, बजाय सीधे पेलने ढकलने के हल्का सा तिरछा और धक्का, पिछवाड़े वाली गली में लगने की बजाय दीवाल में लगने लगता है, बस दो चार ठोकर में ही कहीं लाल, तो कहीं हल्का सा छिल जाता है और वो जलन होती है लगता है जैसे गांड में किसी ने मिर्ची वाला पटाखा जला के डाल दिया हो और उसी छिली जगह पे फिर दुबारा तिबारा तो वो वो और,
मैं समझ गयी कमल जीजू आज मुझे तेज मिर्च वाली चाट खिला रहे हैं।
और जब पिछवाड़े को उनके मोटे खूंटे की आदत पड़ी तो कमल जीजू के लम्बे लम्बे नाख़ून मोटी मोटी चूँचियों में धंस गए और मैं जोर जोर से चीखी,
उईईईईई लेकिन उस चीख में दर्द से ज्यादा मजा था।
और जैसे जीजू को ग्रीन सिग्नल मिल गया हो, उन्होंने धकमपेल गांड मारना शुरू कर दिया, क्या ताकत थी उन के धक्को में कभी मैं चीखती, कभी सिसकती, लेकिन थोड़ी बहुत बदमाशी तो मंजू बाई की संगत में कमल जीजू की साली ने भी सीख ली थी। उनका खूंटा पूरा धंसा हुआ था और जब उन्होंने बाहर निकालना शुरू किया तो बस मैंने अपने खैबर के दर्रे को , छले को कस के भींच लिया, फिर तो जैसे कोई मोटा चूहा पिंजड़े में घुसे और बाहर न आ पाए, बस वही हालत, वो जितना बाहर निकलने की कोशिश करते मैं उतना ही कस के भींचती,
लेकिन थोड़ी देर बाद कुछ मेरी पकड़ ढीली पड़ी कुछ उनका जोर बढ़ा और वो मोटू बाहर लेकिन जीजू कुछ भी उधार नहीं रखते थे, अबकी जो उन्होंने ठेला तो बस आधा भी नहीं घुसा था और वो रुक गए,
बहुत कंट्रोल चाहिए मरद को कसी संकरी गांड में आधा घुसा खूंटा रोकने के लिए, तड़पाने के लिए
" करो न जीजू, कर न " मैं बार बार उनसे कह रही थी, उनकी माई बहन को गरियाने का भी असर नहीं पड़ा, और वो बोले,
" हर बार मैं ही धक्का क्यों मारुं, देखूं मेरी साली ने कुछ सीखा भी है की नहीं "
और मैं समझ गयी, बस साली कौन जो जीजा का इशारा न समझे, बस मैं चूतड़ पीछे आगे कर के धीरे धीरे तीन चौथाई घोंट गयी, मान गए जीजू और अब कभी वो धक्का मारते कभी मैं, झूले की पेंग की तरह, कभी दर्द से हालत खराब होती कभी मजे
मेरी बहन रीनू भी मेरे बगल में ही निहुरी हुयी थी, फर्क इतना था की मेरे जीजू को गोलकुंडा का गोल दरवाजा पसंद था तो मेरी बहन रीनू के जीजू, मेरे मरद को प्रेमगली, साली की चम्पाकली पसंद थी
जैसी मेरी हालत खराब थी, उससे कम रीनू की नहीं थी। उसके जीजू के पास दर्जनों हथियार थे और सबसे बड़ी थी उनकी आँख, प्यार से जब वो देखते तो बिना छुए कोई पिघल जाए, दूसरी बात उनकी समझ जो उनकी सास और मंजू ने और तेज कर दी, कोई भी लड़की हो औरत हो
दो मिनट में उसके सारे एरोटिक बिंदु , जहँ बस छूने से वो पिघल जाए, उन्हें पता चल जाते थे, उनका खूंटा तो रीनू की ऐसी की ततैसी कर ही रहा था, इनके होंठ, कभी झुक के कान की लर हलके से काट लेते कभी गले के नीचे चूम लेते कभी जीभ की टिप से अपनी साली की पीठ पे सीधे मेरु दंड पर एक हलकी सी लाइन बनाते कूल्हे तक, रीनू के जोबन तो कोई भी मरद नहीं छोड़ता तो वो क्यों छोड़ते और धक्के भी बाहर निकाल के देर तक वो फांको पे रगड़ते, फिर एक झटके में पेल देते
हालत मेरी भी खराब थी, रीनू की भी
मेरी दर्द और मजे दोनों से , रीनू सिर्फ मजे से ही पागल हो रही थी
एक विज्ञापन में दो क्रिकेट खिलाडी कहते हैं न
मेरे जमाने में सोच के मारते थे
और नए जमाने वाले का जवाब है
मेरे जमाने में ठोक के मारते हैं , बस तो कमल जीजू ठोक के मारने वाले थे,
गुड्डी और अजय तो कभी के झड़े पड़े थे,
मैंने मुंह तकिये में भींच रखा था की चीखे न निकलें, लेकिन दर्द इतना हो रहा था की मेरे मुंह से निकल ही पड़ी चीखें.कमल जीजू
अजय जीजू ने गुड्डी के लौंडा मार्का चूतड़ पर दो तमाचे लगाए चटाक चटाक और खूंटा पूरा बाहर निकाल लिया,
" निहुर स्साली, " जोर से गुड्डी का सर एकदम फर्श पे दबाते हुए अजय जीजू बोले, और अब गुड्डी का सर जमीन पर, चूतड़ हवा में खूब उठे हुए, नहीं अजय जीजू ने गांड नहीं मारी गुड्डी की। आज की रात तो रीनू ने गुड्डी के पिछवाड़े को अभयदान दिया था। लेकिन जिस ताकत से अपना मोटा खूंटा उस किशोरी की कच्ची बिल में ठेला, बेचारी की तो चीख निकल ही गयी,
हम सब हदस गए, और उसका असर कमल जीजू पर भी हुआ ,
उन्होंने मेरी पीठ पर जोर देकर मुझे झुकाया और बोले,
" निहुर स्साली "
और मैं निहुर गयी।
मैं तो इसी का इन्तजार कर रही थी, इत्ती जोर से जीजू का मोटू जो मेरे पिछवाड़े रगड़ रहा था बड़ी जोर जोर से चींटियां काट रही थीं, मन कर रहा बस कमल जीजू कब निहराएँ कब सटाये, कब घुसेड़ें,
कमल जीजू ने कस के मेरी पीठ दबाये और मैं भी अब एकदम गुड्डी की तरह मेरा सर फर्श से चिपका, चूतड़ हवा में उठा,
मेरी गांड में आग लगी थी, इतने देर से कमल जीजू का शैतान मोटू पीछे तंग कर रहा था, बस मन कर रहा था घुसेड़ दें, पेल दें, वैसे तो ललचाते रहेंगे, कभी चूतड़ में चिकोटी काटेंगे, कभी दरार में ऊँगली कर देंगे, और मैं ललचाती भी थी उनको अपने मोटे मोटे नितम्बो मटका के, तीनो बहनो में सबसे चौड़े मेरे ही थे, और आज जब मैं निहुर के तैयार थी, वो तड़पा थे,
" जीजू करो न " मैंने दबी जुबान से कहा,
" का करूँ स्साली "
चिढ़ाते हुए वो बोले और मैं समझ गयी वो गारी सुनना चाहते हैं , मेरे और रीनू दोनों के जीजू , जब तक बहन महतारी गरियाई न जाए, उनका मन नहीं भरता था,
" अरे स्साली क गांड मारो, तोहार बहन महतारी तो हैं नहीं यहाँ जिनकी मारोगे, एक है भी तो उस पे अजय जीजू चढ़े है, "
छनछना के मैं बोली और खुद अपने दोनों हाथों को पीछे कर के कस के अपने दोनों चूतड़ फैला लिए, कसी दरार अच्छी खासी फ़ैल गयी
और सामने छप्पन भोग रखा हो, तो कौन रोक सकता है अपने को और कमल जीजू तो गांड के पुराने शैदाई और मेरे पिछवाड़े के तो वो दीवाने थे।
एक हाथ से उन्होंने चूँची दबोच रखी थी, दूसरे हाथ से कमर को पकड़ के उन्होंने करारा धक्का मारा,
मेरी चीख निकल गयी, लेकिन ये तो अभी कुछ भी नहीं था, अब दोनों हाथ कमर को कस के पकड़ के जो उन्होंने धकेला,
उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह्हह रोकते रोकते भी मैं सिसक पड़ी, पास में फर्श पे रखे एक तकिये को खींच के अपना सर उसमे भींच लिया, दोनों हतहों से तकिये को पकड़ लिया, पिछली बार भी चार पांच बार उन्होंने मेरी मारी थी, और उस बार तो एकदम पहली बार लेकिन ऐसा दर्द,
जीजू ने बाहर निकाल कर बस हलके से ठोंक दिया, पूरा सुपाड़ा भी अंदर नहीं घुसा था लेकिन इतनी कस के उसने मेरी पिछवाड़े की सुरंग की दीवाल को रगड़ा दरेरा, लगता था कुछ छिल सा गया, और वो बार अपना मोटा सुपाड़ा वहीं रगड़ रहे थे, दरेर रहे थे,
दर्द से मैं बेहाल थी, और अभी तो पिछवाड़े का खैबर का दर्रा पार भी नहीं हुआ था, जैसे मेरे मन की बात उन्होंने सुन ली और क्या करारा धक्का मारा की खैबर का दर्रा पार, लेकिन इस बार वहां भी कुछ छिल सा गया,
दर्द भी बहुत हुआ था और मजा भी बहुत आया था जब पिछली बार कमल जीजू ने मारा था लेकिन इस बार तो दर्द की इंतहा से थी, मेर्रो दोनों आँखों से आंसू टप टप चू रहे थे, मैंने मुंह तकिये में भींच रखा था की चीखे न निकलें, लेकिन दर्द इतना हो रहा था की मेरे मुंह से निकल ही पड़ी चीखें
उईईई ओह्ह उईईईईई नहीं नहीं जीजू बहुत लग रहा है थोड़ा हलके से, एक मिनट एक मिनट प्लीज,
जीजू रुक तो गए उन्होंने बाहर निकाल भी लिया लेकिन अबकी जो पेला तो बंद कमरे में भी तारे दिख गए, दर्द बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी आ रहा
जहाँ जहां छिला था अंदर उसी जगह पर दरेरते रगड़ते, और अभी आधा से ज्यादा अंदर था, बिन रोये मेरी आँखों से आंसू छलक रहे थे लेकिन i उत्तेजना के मारे पूरी देह काँप रही थी, मस्ती से मेरे जोबन पथरा रहे थे,
उईईई ओह्ह उईईईईई नहीं नहीं जीजू बहुत लग रहा है थोड़ा हलके से, एक मिनट एक मिनट प्लीज,
Me ese hi samvad hi baat kr raha tha. Bahut badhiya komal ji. Ek sex ke daron direct speech update ko or hot bana deti hai