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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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ऑपरेशन गोल दरवाजा

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तो रीनू का आपरेशन ' गोल दरवाजा' शुरू हो गया था जिसके दो टारगेट थे, एक तो ये, उसके जीजू , उन्हें पक्का पिछवाड़े का रसिया बनाना, ....और दूसरे गुड्डी, जिसके गोल दरवाजे में सुबह सुबह ही एक मोटा बट्ट प्लग रीनू ने ठेल दिया था, जिससे गुड्डी की गांड को आदत पड़ जाए।



और अब वो गुड्डी के भैया को गुड्डी के पिछवाड़े चढ़ने के लिए उकसा रही थी। अभय दान तो रीनू ने खाली कल रात के लिए दिया था अब नई सुबह नए काम,

फिर रीनू अलग हट कर गुड्डी को सुनाते चिढ़ाते बोली ,

" जीजू मेरी ननदिया ने इत्ती बढ़िया , अपनी ,...आपको अभी , सुबह सुबह ,... तो आपको भी तो मेरी सेक्सी टीनेजर ननद के लिए कुछ करना चाहिए न , बेचारी की कसी कसी गांड ही मार लीजिये , सुबह से खुजली मच रही है , इसके पिछवाड़े ,... "
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जोरू का गुलाम तो आधे से ज्यादा मर्द होते हैं, बाकी होते हैं लेकिन मानते नहीं, कम से कम होने दोस्तों और मायके वालों के सामने। लेकिन साली के गुलाम तो सौ प्रतिशत होते हैं और ख़ुशी से होते हैं, और ये तो अपनी साली रीनू के गुलाम ही नहीं चमचे भी थे।

तो अब गुड्डी के पिछवाड़े के बचने का सवाल ही नहीं था,

और उनकी बहन गुड्डी कौन कम छिनार थी,

फिर जिसकी जिसकी गांड में कमल जीजू का मूसल घुस जाता है वो उसके पिछवाड़े हरदम चींटी काटती रहती है,

और ऊपर से इस
आपरेशन गुड्डी का गोल दरवाजा में मैं भी शामिल थी, रीनू अपने जीजू के साथ और मैं अपनी ननदिया के साथ।

गुड्डी निहुरि हुयी, उसके ब्याविश लौंडा मार्का चूतड़, जिसे देख के जिन लौण्डेबाजो का इलाज नीम के पेड़ के बगल वाले, मर्दाना कमजोरी का शर्तिया इलाज करने वाले डाक्टर जैन भी नहीं कर पाते, उन का भी खूंटा गुड्डी के लौंडा छाप छोटे छोटे खूब टाइट चूतड़ देख के खड़ा हो जाता है। और अभी तो गुड्डी रानी अपने भैया को चूतड़ मटका के, उचका के उकसा भी रही थी, ललचा भी रही थी,


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और उसके भैया का खूंटा खड़ा, तन्नाया और उनकी साली ललकार रही थी,

" स्साली रंडी कुतिया बनी निहुरी है मार लो "
लेकिन मेरा यार भी आज बदमाशी पर तुला था।

उनका खूब मोटा फूला सुपाड़ा, अपनी बहन के पिछवाड़े के छेद पर बस वो रगड़ रहे थे, जब लगता अगले धक्के में अंदर घुसेगा बस छुला के हटा लेते, और गुड्डी सिसक उठती।

मेरे साथ भी तो वही करते थे, मेरे गुलाबो के साथ और मैं जैसे गरम तावे पे कोई दो बूँद पानी की डाल दे, उस तरह से छनक उठती थी, और यही हालत गुड्डी की भी हो रही थी। मैं तो उनकी भीं महतारी गरियाती थी, फिर धक्के ऐसे चालू होते थे लेकिन गुड्डी अभी नयी नयी थी, नहीं रहा गया तो बेचारी सिसकती बोली,



" भैया करो न "

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कुछ साली का असर और कुछ एक बार अपनी बहन और साली के पिछवाड़े का मजा ले लेने का असर, वो और चिढ़ाते हुए बोले,

" क्या डालूं मेरी दुलारी बहिनिया "

गुड्डी बेचारी सिसक रही थी लेकिन झिझक भी रही थी बोलने से, पर मैं उसकी भौजाई थी न उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए, समझाने के लिए

" अरे कस के गरिया के एकदम खुल के बोल, मैं जानती हूँ तेरे भैया की बदमाशी, ऐसे तड़पाते रहेंगे, " फुसफुसा के उसके कान में मैं बोली।

लेकिन रीनू जो अपने जीजू की ओर से थी, गुड्डी को गरियाते बोली,

" अबे स्साली रंडी, कुछ पूछ रहे हैं, बोल साफ़ साफ़, रंडी को रंडी की ही जुबान अच्छी लगाती है। "


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गुड्डी अब असली रूप में आ गयी, बोली, " अरे मेरे बहन चोद भइया, अपनी बहन की गांड मार अपने मोटे लंड से, पेल दे अपना मोटा लंड मेरी अपनी बहन की गांड में "

बस रीनू ने अपनी ननद के दोनों चूतड़ फैलाये, और रीनू के जीजू ने वो करारा धक्का मारा की एक बार में सुपाड़ा अंदर,

" उईईई, नहीं भैया, जान गयी, लग रहा है ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ रुक जा, ओह्ह्ह नहीं उफ्फ्फ "

दर्द से जो गुड्डी चीखी, बाहर सड़क तो उसकी चीख जरूर गयी होगी।

" ज़रा और जोर से चीख रंडी रानी, आस पास के मोहल्लों में भी खबर फ़ैल जायेगी, जबरदस्त माल है, कल से तेरी गांड के आशिकों की लाइन लगी रहेगी, "

रीनू एकदम असली भाभी की तरह गुड्डी ननदिया से बोली।

गुड्डी १६० + आई क्यू वाली थी, एक बार में ही सीख गयी थी, गांड मरवाने के लिए आइडियल पोज, निहुरी, सर एकदम नीचे सटा लेकिन चूतड़ खूब उठे और टाँगे फैली, जाँघे खुलीं, लेकिन थी उसकी बहुत कसी, वैसे भी अभी उम्र ही क्या थी, महीने भर पहले ही इंटर पास किया, और कल पहली बार पिछवाड़े का फीता कटा, और तीन तीन मूसल एक के बाद एक पिछवाड़े में चले, लेकिन रात भर में फिर जस की तस,

टाइट, चुहिया की चूत ऐसी, और मेरे मरद का ऐसा की सांड लजा जाये उसके सामने,

ये पूरी ताकत से ठेल रहे थे, पेल रहे थे, दोनों हाथों से कस के उन्होंने अपनी बहिनिया की कमर पकड़ रखी थी, एकदम धीरे धीरे सरक सरक कर, दरेरता, रगड़ता, अंदर घुस रहा था। गुड्डी को कल कमल जीजू ने सबसे पहले, और जिसकी कुँवारी बिन चुदी गांड कमल जीजू खोलें वो अंदर छिली न हो, चमड़ी अंदर की फटी न हो ये हो नहीं सकता और आज जब उसे रगड़ते गुड्डी के भैया का घुस रहा था गुड्डी जोर जोर से चिल्लाती,



" भैया लग रहा है, दर्द हो रहा है ओह्ह ओह्ह, भैया प्लीज "

" सच में दर्द हो रहा है, मेरी बहन को " धक्का रोकते हुए ये बोले,


" हाँ भैया बहुत, मिर्चे ऐसा छरछरा रहा है " सुबकते हुए वो टीनेजर बोली,

" तो निकाल लूँ क्या " अपनी बहन को चिढ़ाते छेड़ते ये मुस्करा के बोले।



अब गुड्डी अलफ़, मारे गुस्से के बोल नहीं निकल रहे थे उस टीनेजर के, बोली भी तो जहर, एकदम जैसे कोई ड्रैगन फुफकार रहा हो

" खबरदार जो निकलने के बारे में सोचा भी, मैंने निकालने के लिए कहा क्या, अगर अगली बार गलती से भी निकालने के लिए बोलै न तो जिंदगी भर राखी नहीं बांधूंगी, बिना पैसे के राखी बाँधने वाली दुनिया की अकेली बहन हूँ मैं और ऊपर से , "


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मैं और रीनू मुस्करा रहे थे, असली दर्द तो अभी बाकी था, गांड के छल्ले का और बहन की इस धमकी का तो किसी भाई के पास जवाब नहीं तो कमर पकड़ के इन्होने कस के ठेल दिया और गांड का छल्ला पार, दर्द से गुड्डी की हालत खराब थी, चेहरा एकदम टेन्स, आँखों में आंसू डबडबा रहे थे, दांतों से होंठ को काट के दर्द को रोकने की कोशिश कर रही थी, दोनों हाथों से चद्दर को कस के दबोचे थी, और बहुत रोकने के बाद भी चीख निकल गयी,

उईईई, उईईई ओह्ह्ह, नहीं उईईई



और एक कतरा शबनम का गुड्डी के दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखों से टपक के गालों पे, गुलाब ऐसे मुलायम ननद के गाल पर से उसके खारे आंसू चाटने का मजा ही और है और मैंने वो आंसू चाट लिया और कचकचा के अपनी ननद का गाल काट लिया, एकदम मालपुआ

गौने की रात दुल्हन की झिल्ली फाड़ने का और किसी कमसिन के गांड फाड़ने का मजा सौ गुना हो जाता है जब वो तड़पे, पानी से निकली मछली की तरह फड़फड़ाये, हाथ पैर फेंके और फिर कस के दबोच के पूरी ताकत के साथ, ठेलने का, पेलने का, धकेलने का



और गुड्डी के भैया ने वही किया।

पेल दिया, ढकेल, ठेल दिया उस सुकुमारी कन्या की कोमल कोमल गांड में,




गुड्डी एक बार फिर जोर से चीखी, दर्द से तड़पी, हवा में उछली, लेकिन फिर,
 
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ढकेल, ठेल दिया, बहिनिया के पिछवाड़े


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और गुड्डी के भैया ने वही किया।

पेल दिया, ढकेल, ठेल दिया उस सुकुमारी कन्या की कोमल कोमल गांड में,

गुड्डी एक बार फिर जोर से चीखी, दर्द से तड़पी, हवा में उछली, लेकिन फिर,

कुछ देर में गुड्डी रानी को भी मजा आने लगा,

एक तो खैबर का दर्रा पार हो गया था, आगे का रास्ता आसान नहीं तो इतना मुश्किल भी नहीं था,

दूसरे मेरे मरद की कमर में ताकत भी जबरदस्त थी, तीसरे मेरे सोना मोना ने, मेरे बाबू ने मोहब्बत की दूकान खोल रखी थी, किसी लौंडिया को पिघलाने के १६८ तरीके होते हैं तो उसे १७२ आते थे, कामदेव के तरकश में पांच तीर थे, लेकिन मेरे वाले के तरकश में कितने तीर थे, आज तक मैं गईं नहीं पायी, कई बार तो लगता था कोका पंडित का अंश है उनमे,

लेकिन असल बात थी छिनार रंडी महतारी की कोख से जन्मने का फायदा,

अब एक हाथ निहुरी हुयी बहिनिया के जोबन को सहला रहा था, होंठ कभी पीठ पे चुंबन की बारिश करते, और कभी सीधे बहिनिया के कंधो से लेकर चिपके चिपके, मेरुदंड से होते हुए मेरी ननद के मस्त कूल्हों तक,

मैंने और मेरे साजन ने गुड्डी छिनार को बाँट लिया था, आखिर उनकी दुलारी बहिनिया थी तो मेरी भी छिनार ननदिया थी। वो गाल चूमते तो मैं उसके रसीले होंठ चूसती, उनका खूंटा मेरी ननद के पिछवाड़े धंसा था तो मेरी जीभ उनकी बहन के मुंह में, एक चूँची वो सहला रहे थे तो दूसरी को मैं कस के निचोड़ मसल रही थी,

ननदिया मेरी मस्ती से मजे से पागल हो रही थी और गांड मराई का खूब मजा ले रही थी, कभी कूल्हे मटका के रस लेती तो कभी धक्के का जवाब धक्के से देती, और सिसकते हुए बोलती,

" हाँ भैया हाँ करो न बहुत मजा आ रहा है, हाँ ऐसे ही, उफ्फ्फ, मेरे भैया कित्ते अच्छे हैं, हाँ ऐसे ही "
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एक बार खूंटा अंदर तक, जड़ तक पूरा बित्ते भर घुस जाता तो वो रुक जाते और फिर थोड़ी देर अपनी बहन को, गांड के अंदर अपने मोटे लम्बे लंड का अहसास होने देते, फिर हलके से धीरे धीरे निकाल कर जब बस थोड़ा सा बचता तो बड़े दुलार से पूछते,

" पेल दूँ बहिनिया, "

" हाँ, भैया हाँ, ऐसे ही ओह्ह्ह उफ़, भैया तू कित्ता अच्छा है, हाँ हाँ "
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और धीरे धीरे सरकते खूंटा अंदर, गुड्डी के चेहरे पर ख़ुशी सुबह की धूप की तरह पसर जाती और मैंने तो बस इन्हे देख रही थी, इतना मजा आ रहा था इन्हे,



ये लम्बी रेस के घोड़े थे, बीस पच्चीस मिनट के पहले तो, और भी तो दस मिनट भी नहीं हुए थे।

और रीनू का इरादा कुछ और था, उनकी साली ने उनके कान में कुछ फुसफुसाया।

साली की बात टालने की हिम्मत में तो किसी की नहीं पड़ती और ये तो खैर साली के असली गुलाम थे और अगले दो चार मिनट में जो हुआ देख के मेरी हालत खराब हो गयी, गुड्डी को तो खैर कुछ समझ में नहीं आया, और जबतक समझ में आया बहुत देर हो गयी थी,



गुड्डी के भैया का बित्ते भर लम्बा मोटा खूंटा गुड्डी के पिछवाड़े जड़ तक गड़ा था एकदम चिपका, और दोनों हाथों से कस कस के अपनी बहिनिया के छोटे छोटे जोबना का वो रस लूट रहे थे, कभी चुम्मा लेते तो कभी कचकचा के गाल काट लेते।

गुड्डी की दोनो टाँगे अच्छी तरह खुली, जाँघे फैली, इनकी टाँगे गुड्डी की टांगो के अंदर और, और उन्होंने अपनी दोनों टाँगे बाहर निकाली, गुड्डी की टांगो को अपनी टांगों के बीच और जैसे कोई कैची की फाल खोल के बंद कर दे, इनकी टाँगे सिकुड़ती गयी और गुड्डी की दोनों टाँगे एकदम चिपक गयीं, और पिछवाड़े का छेद भी सिकुड़ गया,

खूंटा अंदर तक धंसा था इसलिए गुड्डी को पता नहीं चल रहा था, और जब दोनों टाँगे गुड्डी की इनकी टांगों के बीच बुरी तरह चिपक गयीं, इन्होने हलके हलके बाहर निकाला, जैसे तलवार बाहर निकलती गयी, म्यान एकदम सिकुड़ती गयी, और सिर्फ सुपाड़ा बस फंसा सा था तो ये रुक गए, गुड्डी भी मस्त के बोली,

" भैया ठेलो न रुक काहे गए, "

पर ये रुके रहे, मेरी नीचे की सांस नीचे, ऊपर की ऊपर गुड्डी ने फिर सिसकते हुए बोला,

" भैया, पेलो न, बहुत मजा आ रहा था "

बस रीनू चढ़ गयी " कैसे भाई हो बहन गांड मरवाने के लिए तड़प रही है और तू "
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बस इन्होने पेल दिया, दोनों हाथों से कस के इन्होने उस टीनेजर की कमर पकड़ी थी, गांड उस समय गुड्डी की उस से भी ज्यादा टाइट थी जितनी कल कमल जीजू ने जब पहली बार उस इंटर वाली की गांड फाड़ी थी।



कुछ रीनू ने जो जोश दिलाया था अपनी कसम धरायी थी, कुछ इत्ती टाइट गांड वो भी बहन की मारने की ख़ुशी, पूरी ताकत से कमर के इन्होने धक्का मारा,

" उईईई ओफ़्फ़्फ़्फ़ , नहीं नहीं " गुड्डी जोर से चिल्लाई नहीं नहीं भैया रुक जाइये, प्लीज भैया बहुत दर्द हो रहा है, छरछरा रहा है ओह्ह भैया एक मिनट, ओह्ह "



गुड्डी की चीखों के बीच मैं उनका चेहरा देख रही थी, पहले तो मैं या गुड्डी जरा सा भी कहरते, चीखते तो इनके चेहरे का रंग बदलता जैसे हम से ज्यादा इन्हे दर्द हो रहा है और इसलिए मुझे लगता था की गांड मारना इनके बस का नहीं,

लेकिन आज जितना गुड्डी चिल्ला रही थी उतना ही उनके चेहरे पे मजा बढ़ रहा था,

उनके दोनों हाथों का जोर उसकी पतली कमरिया पे बढ़ रहा था और वो ठेल रहे थे, पेल रहे थे ढकेल रहे थे, लेकिन अभी तो ये शुरुआत थी,

असली कमान तो उनकी साली रीनू के हाथ में थी , वो पीछे से अपना जोबन उनकी पीठ में रगड़ रही थी, कान में उनकी माँ बहिन गरिया रही थी लेकिन सबसे बड़ी बात ' घोडा' उसके जीजा का रीनू के हाथ की पकड़ में


और एक बार रीनू साली ने अपने जीजू के घोड़े को जरा दाएं कर दिया, बस बजाय सरपट दौड़ने के अंदर की दीवाल पे, धक्के पे धक्का और अंदर की चमड़ी छिल गयी, बस उसी जगह एक बार दो बार पांच बार, धक्के पे धक्का,

और गुड्डी की चीखे आसमान छू रही थीं,
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कल कमल जीजू ने जो मेरे साथ किया था एकदम वैसे, लेकिन कमल जीजा का तो मारे जोश में और वो भी सिर्फ एक दो बार और उसी में लग रहा था मुझे की अंदर किसी ने मिर्च छिड़क दिया है और ये नई उम्र की लड़की,

और दो चार सीधे धक्को के बाद, फिर रीनू ने जरा सा बायीं और, फिर ऊपर फिर नीचे,

मैं मान गयी भाभी हो तो ऐसे, ननद की गांड ऐसी मारी जाए चाहिए, और उसके बाद उसी टाइट हालत में जोर जोर से ये धक्के मार रहे थे गुड्डी चिल्ला रही थी, रो रही थी और ये बोल रहे थे,

" अरे बहिनिया तू ही तो कह रही थी पेलो भैया, अब पेल रहा हूँ तो काहें चिल्ला रही है, ले घोंट अंदर तक "
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ऊपर से उनकी साली बोल रही थी, " अरे जीजू तोहार बहिनिया चीख चीख के कह रही है भैया और जोर से, ये ख़ुशी के आंसू है पेलो कस कस के "

बस साली की बात, इन्होने करीब करीब पूरा बाहर निकाल लिया, सुपाड़ा भी बस फंसा था, और वो धक्का मारा

,"उईईईईई ,... बचाओ ,... उफ्फफ्फ्फ़ ओहहहह ईईईईईई " गुड्डी जोर से चीखी , लेकिन तबतक मूसल गांड का छल्ला पार कर चुका था।

"ओह्ह्ह्ह , नहीं निकाल लो भइया लगता है , उफ़ उईईई , भाभी , प्लीज बोलो न ,.... उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह।

गुड्डी चीख रही थी , उसके भइया बेरहमी से गांड मार रहे थे।
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यही तो मैं चाहती थी ,

बेरहमी , बेदर्दी , बिना चीख पुकार की परवाह किये धकाधक , गांड फाडू चोदाई , जिसके बिना गांड मारी ही नहीं जा सकती , न किसी लौंडे की न लौंडिया की। औजार तो इनका जबरदस्त था , एकदम थोर का हथोड़ा , कड़ा इतना की लोहे का खम्भा , पर दिल इनका ,... मोम सा मुलायम , कोई ज़रा सा चीखा , बस उसका दिमाग घूम जाता था , अपने तो चाहे जितना दर्द हो बर्दास्त कर लेते थे , पर दूसरे की हलकी सी चीख से भी इनका दिल दहल जाता था , ...

और यह जिम्मेदारी रीनू ने अपने ऊपर ली थी , इन्हे बदलने की , और असर मैं देख रही थी , एक ओर मैं बैठी थी , एक ओर इनकी साली , बीच में इनकी जल बिन मछली की तरह तड़पती चीखती चिल्लाती , दर्द से दहलती , हम लोगों के कान फाड़ती , बिसुरति



और आज उनके चेहरे से लग रहा था अब उन्हें गोल दरवाजे का रहस्य मालूम हो गया है और वो गोल दरवाजे के पक्के रसिया बन गए हैं।

वह आवाज जिससे मीठा संगीत मेरे कान के लिए कुछ हो नहीं सकता था। और सबसे अच्छा ये लग रहा था की उस किशोरी के , इनकी ममेरी बहन के चीखने चिल्लाने , रोने बिसूरने का इन पर कोई असर नहीं पड़ रहा था , हर धक्का पहले से तेज ,...
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साथ में रीनू और लाल मिर्च छिड़क रही थी ,
 
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गोल दरवाजे का रसिया

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एकदम थोर का हथोड़ा , कड़ा इतना की लोहे का खम्भा , पर दिल इनका ,... मोम सा मुलायम , कोई ज़रा सा चीखा , बस उसका दिमाग घूम जाता था , अपने तो चाहे जितना दर्द हो बर्दास्त कर लेते थे , पर दूसरे की हलकी सी चीख से भी इनका दिल दहल जाता था , ...

और यह जिम्मेदारी रीनू ने अपने ऊपर ली थी , इन्हे बदलने की ,

और असर मैं देख रही थी , एक ओर मैं बैठी थी , एक ओर इनकी साली , बीच में इनकी जल बिन मछली की तरह तड़पती चीखती चिल्लाती , दर्द से दहलती , हम लोगों के कान फाड़ती , बिसुरति वह आवाज जिससे मीठा संगीत मेरे कान के लिए कुछ हो नहीं सकता था। और सबसे अच्छा ये लग रहा था की उस किशोरी के , इनकी ममेरी बहन के चीखने चिल्लाने , रोने बिसूरने का इन पर कोई असर नहीं पड़ रहा था , हर धक्का पहले से तेज ,...

साथ में रीनू और लाल मिर्च छिड़क रही थी ,



" अरे चीख काहें रही हो , गुड्डी बाई , ऊप्स , सॉरी रंडी जान , अभी तो दो और सांड़ सो रहे हैं , उठेंगे तो सीधे तेरी इस गाँड़ पर ही ,... स्साली नौटंकी गाँड़ मरवाने में मजा आ रहा है और ऊपर से चीख पुकार मचा रखी है ,... सच बोल और मोटा चाहिए क्या ,... चुप स्साली अगर फिर चीखी न , तो तेरे भाई का लंड निकाल कर बाहर ये तेरी भाभी अपनी मुट्ठी ठेल देगी तेरी गांड में। तुझसे कम उम्र के तेरे मायके के लौंडे , लौंड़ा देख कर खुद ही नेकर सरका कर निहुर जातें है , सारे मर्द गंडुए भंडुए और तू ,... "
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पता नहीं रीनू की वार्निंग , गांड में मुट्ठी डालने की या इनकी ट्रिक , एक बार पूरी ताकत से लंड गांड में जड़ तक घुसेड़ने के बाद , इन्होने अपना रुख उसकी कच्ची अमियों की ओर किया।

जबसे उसके कच्चे टिकोरे हाईस्कूल में आये थे , वो ललचाते थे और उनकी ममेरी बहन को भी मालूम था , वो जान बुझ के झलकाती थी , इन्हे ललचाती थी।

बस एक साथ उन्होंने चूसना मीजना शुरू किया , एक जोबन रगड़ा मसला जा रहा था , मींजा जा रहा था दूसरा चूसा चाटा जा रहा था, गांड में लंड एकदम जड़ तक धंसा था ,

और चीखे सिसकियों में बदल गयीं , मजा दर्द में बदल गया , गुड्डी खुद चूतड़ उचका रही थी ,

और एक बार फिर उसके भैया ने धक्के कस कस के लगाने शुरू किये ,...

और जहाँ धक्के धीमे होते , उसकी रीनू भाभी थी न , वो आ जाती मैदान में दो उंगलिया एक साथ उनके जीजू के पिछवाड़े ,... और जितनी तेजी से वो अपने जीजू के पिछवाड़े गोल गोल , अंदर बाहर दोनों उंगलिया घुसाती , उससे दस गुना ज्यादा ताकत से उसके जीजू , रीनू की ननदिया की , गुड्डी की गांड में , हचाहच हचाहच ,

हर धक्का लंड के बेस तक ,...
बस लगा रहा था आज वो अपनी प्यारी दुलारी , ' सीधी साधी , भोली भाली 'बहनिया की गांड के चीथड़े कर के ही दम लेंगे ,

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चार पांच मिनट तक रीनू की पूरी धंसी ऊँगली, उसके जीजू की गांड के पूरी तरह अंदर , गोल गोल , अंदर की दीवारों से करोचती , चम्मच की तरह मोड़ कर ,

और जब गुड्डी की मीठी भाभी ने उसके बचपन के यार के पिछवाड़े से दोनों उँगलियाँ निकाली

गुड्डी ने जोर से मुंह भींच लिया पर रीनू अकेली भौजाई तो थी नहीं , मैं भी तो थी , इसी मौके के इन्तजार में

एक हाथ से मैंने कस के गुड्डी के नथुनों को भींचा और दूसरे से उसके डिम्पल वाले गाल दबाये ,
बस चट्ट से ननद रानी ने गौरेया की तरह मुंह खोल दिया ,



और झट्ट से रीनू ने चारा खिला दिया ,


" गुड्डी बाई , अरे कल से तेरे तीनो भाई ने तेरे पिछवाड़े का स्वाद , ... आखिर मरवाने के बाद तूने खुद सबका चूसा चाटा की नहीं ,"


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कुछ ये हरकत कुछ उसके भइया जो तूफ़ान मेल छाप उसकी गांड मार रहे थे , थोड़ी देर में ही गुड्डी झड़ने लगी।

पर वो रुके नहीं , उसके बाद भी दस बारह मिनट लगातार , ... गुड्डी और वो साथ साथ झड़े।
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कहने की बात नहीं की , पिछवाड़े से निकाल का सीधे गुड्डी रानी के मुंह में ,... और गुड्डी भी ,... अबकी बिना ना नुकुर के प्यार से उसने चाटा चूसा और एकदम साफ़।

लेकिन उसके बाद तुरंत रीनू से बोली वो ,

" भाभी बहुत तेज आ रही है , टॉयलेट ,.... "

तो आने दे न , जाना नहीं हैं बस ,... " रीनू ने असली भाभी की तरह हुकुम सुनाया

गुड्डी जहां बैठी थी वहीँ बगल में बट प्लग वाले बॉक्स में तीनो बट प्लग पड़े थे ,

" जीजू आप को कौन सा रंग पसंद है , हरा , लाल या काला "

उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया , लाल।

" तो बस ये लाल रंग वाला अपनी इस बारी उमर वाली बहना के पिछवाड़े लगा दीजिये , इस बेचारी की प्रॉब्लम सॉल्व ,

लेकिन बट प्लग देख कर , उनकी , ... ऐसा नहीं था उन्होंने पहले बट प्लग देखा नहीं था , लेकिन गुड्डी की उमर और अभी कल ही तो पहली बार उसके पिछवाड़े ,... बिगिनर बट प्लग हरे रंग का था ,

लेकिन उन्होंने लाल बोल दिया था। और ये अपने सबसे चौड़े हिस्से में करीब ढाई इंच का था ,
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" अगर ये नहीं तो काला वाला , ... " रीनू ने उन्हें डिस्ट्रॉयर ऐनल प्लग दिखाया , करीब तीन इंच चौड़ा , मेरी कलाई से भी मोटा ,

" देखो जीजू आप ही ने अपनी बहना के लिए लाल वाला चुना है , ... तो बस , वरना यहीं आप दोनों को निहुरा के न , दायीं मुट्ठी इसकी गांड में और बायीं आपकी गांड में , च्वायस आपकी है ,... "

रीनू ने हड़काया।

हम दोनों बहनों ने हेल्प भी किया , उन्हें। धक्का देकर गुड्डी को वही गद्दे पर गिरा दिया , और एक टांग मैंने पकड़ कर फैलाई , दूसरी मेरी बहन ने ,... और इनकी बहन का पिछवाड़े का छेद ,... लेकिन तभी उन्होंने पूरी कलाई का जोर लगाया तब जाकर ,...
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जैसे सुअर काटते हैं और वो चीखता है न बस वैसे ही चीख रही थी वो , पर ननदों के चीखने चिल्लाने से अगर भाभियों को फरक पड़ने लगे तो हो चुका ,...

हम तीनों की पूरी ताकत , तब भी दो तीन मिनट की जद्दो जहद के बाद गुड्डी की गांड पूरा बट प्लग लील गयी।

रीनू के जीजू को फ्रेश होने जाना था वो तो बाथरूम गए , और रीनू ने भी ननद रानी को बस एक रोप ऐसी पतली सी थांग दे दी ,



पहन ले , ...वैसे भी ये प्लग इतना कस के धंसा है की निकलने का खतरा नहीं ,और अकेले तू निकाल भी नहीं पाएगी,. पर ये उसको थोड़ा और ,... और अब किसी एक्सडेंट का कोई खतरा नहीं है।

हम तीनो एक बार फिर किचेन में पहुँच गए थे ,...



" बबुनी सीख ले अपने से डालना , घुसेड़ना , ... देख तुझसे भरे बाजार में डलवाउंगी , मॉल में , पिक्चर हाल में ,... और अगर नहीं डाल पायी न तो जबरदस्त पिटाई वहीँ , उसी समय। "



गुड्डी रीनू के साथ ,... अजब रिश्ता हो गया था दोनों का ,.... बस वो रीनू को देख कर खिसर खिसर मुस्करा रही थी।


" और मैं जब चली भी जाउंगी न , तो रोज अपने बट प्लग के साथ पिक मुझे व्हाट्सएप करना। " रीनू ने अब उसके गाल सहलाते दुलार कर कहा।

" एकदम भाभी " गुड्डी अब पूरी तरह मेरी बहन के चंगुल में थी।


मैं जानती थी की मामला सिर्फ बट प्लग पर नहीं रुकेगा , इस एलवल वाली के पिछवाड़े , ऐनल बीड्स भी जाएंगी और वहां से निकल कर इसके मुंह में ,...


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लेकिन बात चल गयी वही जो सब के किचेन में रोज चलता है सुबह सुबह ,... नाश्ते में क्या बनेगा
 
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समोसा जलेबी

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लेकिन बात चल गयी वही जो सब के किचेन में रोज चलता है सुबह सुबह ,... नाश्ते में क्या बनेगा

और गुड्डी ने खुद अपनी मुसीबत मोल ले ली ,

" भाभी मैं बताऊं , ... एकदम हम लोगों के घर के पास ही , बस थोड़ी दूर पर मोड़ पर ,... सुबह सुबह ,... ताज़ी जलेबी और समोसे बनते हैं , वो मंगवा ले , ... सारी झंझट खतम। "

दूकान तो मुझे भी मालूम थी ,जहाँ मंजू -गीता रहती थीं एकदम उन की गली के पास , लेकिन ज्यादातर लफंगे लौंडे , लोगों के घर में काम करने वाले नौकर , बाई लोग , ... हाँ जलेबी समोसा बनाता अच्छा था , मंजू एक दो बार लायी थी।

" तो जा के ला न तू , दूकान तो तूने देख ही रखी है , ... और घबड़ा मत पिछला छेद तो तेरा मैंने सील ही कर दिया है ,... चल आगे वाली भी बिल में ,... "

और जब तक गुड्डी समझे समझे , रीनू ने उसकी टांगों के बीच में बेन वा बॉल्स ,

लेकिन दो भाभी होने का फायदा भी तो है , मैंने कस के पहले उसकी टाँगे , फिर जाँघे ,... और मेरी बहन ने उसकी बिलिया फैला आकर ,

बेन वा बॉल्स ,... तीन बॉल्स थी , ... सबसे छोटी का डायमीटर एक डेढ़ इंच और सबसे बड़ी का ढाई इंच ,... ठूंस कर तीनो बॉल्स मेरी किशोर ननदिया के बिल के अंदर , और उसका धागा , जो रोप वाली थांग थी , उसमें बाँध दी , जिसे निकलने का कोई खतरा नहीं था।

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रीनू ने ड्रेस कोड तय कर दिया था सिर्फ दो ड्रेस , ...लेकिन इस समय रोप थांग , एक्स्ट्रा परमिट कर दिया था ,

एक छोटी सी स्कर्ट और एक देह से चिपका पारभासी एकदम टॉप ,... ब्रा का सवाल ही नहीं था , उभार का कड़ापन , कटाव , और निप्स सब साफ़ झलक रहे थे , ...


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लेकिन गुड्डी रानी को अपनी मीठी भाभी की शरारत नहीं मालूम थी , बेन वा बॉल्स डिजिटल थे , रिमोट कंट्रोल्ड , ... और १५ /४ उसमें रीनू ने सेट कर दिया था मतलब १५ मिनट बाद वो एक्टिवेट हो जायेगी , और चार मिनट के लिए वाइब्रेट करेंगी , फिर चार मिनट के गैप के बाद दुबारा ,... चूत में आग लगाने के लिए काफी था ,



और कॉलर में भी गुड्डी और उसका मोबाइल नंबर , यानी जो उसके यार उसे मिलते उनके लिए मेसेज देने के लिए काफी था ,...



४० मिनट बाद वो लौटी

निप्स एकदम खड़े , और जो टॉप की हालत थी लग रहा था खूब कस के जोबन मर्दन हुआ है ,



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उसकी मीठी भाभी ने सबसे पहले यही पूछा कितनों ने ,..

गुड्डी मुस्काराती हुयी बिना बोले दोनों हाथों की सारी उँगलियाँ दिखा दी , दस।



मोबाइल उसका यही रह गया था , रीनू ने गुड्डी को थमा दिया ,... देख तेरे यारों के कितने मेसेज आये हैं , ...

सब वही समोसे के दूकान वाले पूरे १४ ,...

" अरे यार पहले झट से एक सेल्फी खींच , मस्त मस्त , ...भेज सबको ,... "


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और रीनू ने अच्छी भाभी की तरह गुड्डी की लिपस्टिक और फ्रेश कर दी , फिर जबरदस्त सेल्फी एक नहीं कई और उन चौदहों के पास ,...
" अरे यार , यारों की लिस्ट लम्बी होनी चाहिए और उसमें भी पूरा समाजवाद ,... क्या पता ,... " रीनू उसे चिढ़ा रही थी

" पर भाभी , उन सबों को मेरा नाम , नंबर कैसे ,... " गुड्डी व्हाट्सअप करते हुए सोच रही थी।

" अपनी सेल्फी देख न ,... " मैंने राज साफ़ किया , उस कॉलर में गुड्डी और उसका नंबर साफ़ ,साफ़



" और तेरा नाम ही नहीं काम भी नजर आ सकता है , चल दिखाती हूँ , " मैं बोली और होने मोबाइल के कॉलर वाले ऐप से


सबसे पहले रंडी , फिर स्लट , होर , चुदवासी , फक मी हार्ड , लव कॉक ,..बारी बारी से सब उस के कॉलर पर ,... रीनू ने उसे कॉलर के बाकी गुन भी बता दिए

असल में आइडिया रीनू का था लेकिन कुछ दिमाग मैंने भी लड़ाया था,

हम दोनों भौजाई ने उसको बोला था महीने भर में १०० यार चढ़ेंगे उसके ऊपर, और उसने मना भी नहीं किया, लेकिन सौ यार होने भी तो चाहिए।

अब तक तो सिर्फ तीन ने चढ़ाई की थी, इन्होने, उसके बचपन के यार, उसके भैया ने और मेरे दोनों जीजू ने। हाँ कोचिंग में भी आठ दस थे उसके ऊपर लाइन मारने वाले और अगले हफ्ते जब पार्टी होगी तो सब के सब मेरी ननद के आगे पीछे सेंध लगाएंगे,

लेकिन रीनू का कहना था गली मोहल्ले वाले हों तो अच्छा,

दोनों जीजू तो दो दिन में चले जाएंगे, कोचिंग वाले लौंडे तो कभी कभार,

और जो उसका बचपन का यार है उसकी ड्यूटी लिस्ट बढ़ती जा रही थी, मैं और गुड्डी तो थे ही, जल्द ही मिसेज मोइत्रा की दोनों कबूतरियां और मिसेज मोइत्रा खुद भी, पर अपनी टाउनशिप में ज्यादातर शरीफजादे, पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले,

और रीनू चाहती थी गुड्डी के ये यार एकदम रा, रफ और रस्टिक हों, बिना गाली के बात न करें, खड़े खड़े गली के मोड़ पे लैम्पपोस्ट के नीचे चोद दें,


और मुझे याद आया, जो जलेबी समोसे की दूकान है वहां तो सुबह सुबह इन सब लौंडो का जमावड़ा रहता है,


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वहीँ से वो गली मुड़ती है जिधर मंजू गीता रहती हैं और उसके पास ही स्लम टाइप, काम करने वालियां, और उसी तरह के लौंडे, कितनी बार मैंने देखा था।

गीता के भी तो कितने यार थे और ज्यादातर उसी इलाके के, हलवाई की दूकान के बारे में गुड्डी को मुझे , गीता ने ही बताया था।
और वो हलवाई भी कम रसिया नहीं था, चमचम और रसगुल्ला खिलाने के बहाने बुला के कितनी बार दूकान के अंदर बस चीनी के बोर पे लिटा के पेल देता था।


तो बस, इसी लिए रीनू ने गुड्डी रानी की बिल में बेन वा बॉल्स, जब उसका जादू शुरू होता,


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चूत में चींटिया काटतीं, तो कोई भी लड़की चुदवासी हो जाती, चूँचिया एकदम पथरा जाती, चेहरे पे देख के लगता स्साली लंड मांग रही है।

तो बस वैसे लौंडे, गुड्डी ऐसा गरम माल, और बुर के अंदर उस बॉल्स का कमाल, गुड़ होगा तो चींटे आएंगे ही फिर कॉलर में नंबर, नाम सबको दिखा रही है, कई ने देखा भी होगा की कहाँ रहती है



बस गुड्डी का फोन जो मेरे पास था, घनघनाना शुरू हो गया और मैं रीनू समझ गए तीर चल गया, आ रहे हैं भौरें नन्द रानी के,



सेल्फी गुड्डी के भेजने के बाद तो उन सबो ने समझ लिया मछली ने चारा खा लिया, और उन सब की पिक भीआ गयी और हॉट हॉट मेसेज भी

, और गुड्डी ने स्माइली किस वाली , लिप्स वाली इमोजी, उन सब के पास,

एक की पिक दिखा के गुड्डी बोली यही था

शाहिद, नाम था उसका जाली वाली बनियाइन, चौड़ा सीना, दो दिन की दाढ़ी, उम्र १९-२० से ऊपर की नहीं लगती।


दूकान पे भीड़ बहुत थी लेकिन गुड्डी को कौन रोक सकता था वो, धक्का देके लड़को के बीच,

और फिर लौंडो ने कस के जोबन रस लिया, लेकिन गुड्डी को फरक नहीं पड़ता था, पर इस ने ऊपर ऊपर से नहीं सीधे टॉप के अंदर हाथ डाल के कस के दबाया, और गुड्डी का हाथ पकड़ के अपने नेकर के ऊपर से,

" हे कैसा था, कितना लम्बा मोटा " मैंने नन्द को छेड़ा,
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" मेरे भैया लोगों जैसा तो नहीं था लेकिन १८ भी नहीं होगा, बस उन्नीस बीस " मुस्करा के वो बोली


" पटा पटा ले छोड़ना मत स्साले को , शक्ल से नंबरी चोदू लगता है और तू कह रही है औजार भी मस्त है " रीनू बोली।



" अच्छा चल यार तैयारी करते हैं नाश्ते की, वरना अभी तेरे भाई कम जीजू ज्यादा उठेंगे और भूख भूख चिल्लायेंगे। " मैं बोली

लेकिन तभी गुड्डी के फोन पे फिर टिंग हुयी एक नया व्हाट्सऐप मेसेज, गुड्डी ने देखते ही पहचान लिया, " वही समोसे की दूकान वाला"

" कैसे लगे समोसे" मेसेज था । डबल मीनिंग बातों के लिए अब गुड्डी को सोचना नहीं पड़ता था, उसने तुरंत जवाब ठोंक दिया,

" मेरे वाले ज्यादा मस्त हैं " और कुछ रुक के फिर जोड़ा " और मेरी जलेबी भी ज्यादा रसीली है, टप टप रस टपकता है "

तुरंत उधर से जवाब आया, " यार एक बार चखा दे न अपनी जलेबी भी "



" ऐसे ही, कुछ भी, मेरी जलेबी फ्री की है क्या ?" और गुस्से वाली इमोजी के साथ गुड्डी ने जवाब तुरंत दिया,

" अरे छमिया तेरी जलेबी के बदले में तो मैं अपनी दूकान लिख दूँ पूरी " उधर से जवाब आया,

गुड्डी ने कुछ जवाब नहीं दिया तो दुबारा मेसेज आया

" बस एक बार जलेबी अपनी " और रीनू ने गुड्डी को चढ़ाया, जवाब भेज, गुड्डी ने जीभ निकाल के चिढ़ाने वाली इमोजी भेज दी और लिख दिया

" लालची, लगा रह लगा रह क्या पता, लेकिन अब और मेसेज मत करना, और आउंगी कल सुबह इसी समय समोसे जलेबी लेने " और फोन बंद कर दिया।




गुड्डी मेरे साथ किचेन में लग गयी , फिर रीनू के साथ एक बार फिर से दोनों ने मिलकर लिविंग रूम ठीक किया।
 
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खाये के मांगे गरम जलेबी , पिए के ठंडा पानी ,


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गुड्डी मेरे साथ किचेन में लग गयी , फिर रीनू के साथ एक बार फिर से दोनों ने मिलकर लिविंग रूम ठीक किया।

हम तीनो पहले किचेन में



कमल जीजू को हलवा बनाने के साथ, हलवा खाना भी बहुत पसंद था, खास तौर से बेसन का हलवा,


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और गाडी को अगर लांग ड्राइव पे चलाना है तो टंकी फुल रहनी चाहिए। तो देसी घी का, खूब ड्राई फ्रूट्स डाल के बेसन का हलवा मैं बना रही थी, गुड्डी समोसे जलेबी ले ही आयी थी और रीनू और गुड्डी मिल के वेजिटेबल सैंडविच बना रही थी, लेकिन एक ननद किचेन में हो और दो दो भौजाइयां और ननद रगड़ी न जाए ये हो नहीं सकता । रीनू एक लम्बे मोटे खीरे को साफ़ कर रही थी सैंडविच के लिए और गुड्डी ब्रेड और बाकी तैयारी कर रही थी।


रीनू मुझे देख के मुस्करायी और मैं समझ गयी उसके दिमाग में क्या चल रहा है और मैंने भी मुस्करा के हामी भर दी ।


" हे रंडी रानी, जरा उछल के इसपे बैठ जाय और टाँगे फैला दो "

रीनू गुड्डी से बोली और गुड्डी उछल के किचेन के ग्रेनाइट के स्लैब पे और खुद ही उसने अपनी जाँघे फैला दी,



और रीनू ने मोटे खीरे को गुड्डी की बुर के फांको पे रगड़ना शुरू कर दिया, और गुड्डी को हड़का दिया, " चल फैला अपनी चंद्रमुखी के मुख को "

और गुड्डी ने अपनी बुर दोनों हाथों से फैला दी, और जैसे चुड़ी वाले कलाई में घुमा घुमा के चुड़ी पहना देते हैं

उसी तरह रीनू ने ननद की बिल में और बस ज़रा सा घुसने की देरी थी, मेरी बहन की कलाई में किसी मर्द की कमर से कम जोर नहीं था, और सटाक, गप्प से गुड्डी की बुर ने दो इंच खीरे का घोंट लिया। पर दो इंच तो ऊंट के मुंह में जीरा, रीनू पेलती रही, ठेलती रही, और जब करीब छह इंच घुस गया अंदर तो रीनू ने छोड़ दिया और गुड्डी से बोला,


" अब इसे कस के पंद्रह मिनट तक दबोच के रखना, तेरे चूत रस से मैरीनेट हो जाएगा अच्छी तरह से,"

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मैं बेसन भूनते हुए मुस्करा रही थी सोच सोच के

, गुड्डी के भैया के साथ भी मैंने भी, ये जब आम का नाम भी नहीं ले सकते, एकदम जबरदस्त चिढ, और मैंने खिलाया इन्हे, सबसे पहले आम की रसीली सुनहली फांके लम्बी लम्बी अपनी चूत में ढकेल के, और फिर इनके ऊपर चढ़ के चुसाया, चूत चटोरे तो ये जबरदस्त और साथ साथ आम की वो फांके भी इनके मुंह में, उसके बाद जब उनका मूसल फनफनाया तो चूसते हुए मुंह में मैंने खूब छोटे छोटे बर्फ के टुकड़े रखे, और वो जब खुले सुपाड़े से रगड़ते, तो इनकी हालत खराब हो जाती, और फिर कटे आम के छोटे छोटे टुकड़े भी मेरे मुंह में और मैं कस कस के चूस रही थी, और जब ये झड़े भी तो मैंने छोड़ा नहीं और न एक बूँद मेरे गले से अंदर गयी । सब की सब मेरे मुंह में उन आम के टुकड़ो के साथ और मैंने उन्हें जो चुम्मी ली तो वो स्पेशल मैंगो जूस उनके मुंह में, उसके बाद तो उनकी सब चिढ ख़तम, **

(
जोरू का गुलाम भाग १३आम रस -काम रस)

रीनू गुड्डी को ऐसे ही पकड़ के, बुर के अंदर खीरा धंसाए धंसाए लिविंग रूम में ले गयी, जहँ दोनों ने कमरे को ठीक किया और फिर लौट के उसी की सैंडविच,

हलवा मैंने बना दिया था लेकिन मुझे एक बदमाशी सूझी, मैंने रीनू से कहा आज खाने में बैगन की कलौंजी बनाते हैं,

गुड्डी मेरा मतलब समझ गयी थी और हंस के रीनू से पहले वो बोली, " एकदम भौजी "

उसके जीजू उठे भी , भूख भूख चिल्लाया भी लेकिन नाश्ते के बाद ,

असली भूख तो उन्हें अपनी टीनेजर बहन की लगी थी ,
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जलेबी के साथ मैंने और रीनू ने खूब चिढ़ाया भी , साली हो और गाली न हो ,




" अरे खाये के मांगे गरम जलेबी , पिए के ठंडा पानी , हाय रे दिलवर जानी

अरे सोवे के मांगे कमल जीजू आपन बहिनिया , अरे गुड्डी छिनरिया , हाय रे दिलवर जानी ,

" अरे खाये के मांगे गरम जलेबी , पिए के ठंडा पानी , हाय रे दिलवर जानी


अरे सोवे के मांगे अजय जीजू आपन बहिनिया , अरे गुड्डी छिनरिया , हाय रे दिलवर जानी ,
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जोरू का गुलाम भाग २२६ -गेम टाइम

गुड्डी चढ़ी, भैया के भाले पर
 
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** जोरू का गुलाम भाग १३

आम रस -काम रस


और अब मैंने दूसरी प्लेट खोली ,लम्बे लम्बे सुनहले रसीले आम की फांके ,
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एक साथ मैंने दो लम्बी फांक निकाली

और सीधे मेरी चूत में।



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लम्बी लम्बी फांके थी , पांच छह इंच लम्बी और आधी से ज्यादा बाहर।

और अब मेरे निचले होंठ , उनके होंठो चिपके।

सक इट बेबी , सक इट हार्ड , सक , यस्स यस्स टेक इट।

और वो चूस रहे थे , पूरी ताकत से , जोर जोर से।




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थोड़ी ही देर में फांकों के टुकड़े उनके मुंह में थे और चूसने की रफ्तार और बढ़ गयी थी।

मैंने नीचे की ओर देखा।

इनका लिंग कभी इत्ता तना , इत्ता कड़ा मैंने इसके पहले नहीं देखा।

और कुछ ही देर में प्लेट में रखी सभी फांके , मेरी प्रेम गली से इनके मुंह में ,


और अब हम 69 की पोज में थे।

उनके होंठ अभी भी मेरी चूत से चिपके आम का रस ,चूस चाट रहे थे।

Diya-69-tumblr-ochayv-ZJGH1tlfkb6o1-1280.jpg




और मेरे होंठ , उन्होंने प्यार से 'दुल्हन ' का घूंघट खोल दिया ,और सुपाड़ा मेरे होंठों के बीच,

क्या मस्त कडा था ,कदम खूब फूला , लाल , मेरी जीभ की टिप सीधे 'पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे , और मैं जोर जोर से सुरसुरी करने लगी।

जवाब उन्होंने पूरी ताकत से मेरी आम रस से पगी भीगी चूत को पूरे ताकत से चूस कर दिया ,


और बची खुची आम की फांके , मेरी प्रेमगली से सीधे उनके मुंह में,

मेरे होंठ अब प्यार से सुपाड़े को दबोचे हुए थे और जीभ चारो ओर ,लप लप ,लप लप,…
 
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Shetan

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जोरू का गुलाम भाग २२५

गोल दरवाजे का जादू

२६,९१,७९५

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मेरी ननद ने अपने भइया के सुनहली शराब से भीगे होंठों से होठ हटा कर सीधे , अपनी भाभी के , मेरे होंठों पर ,... और जबरदस्त लिप लाक किया हम ननद भौजाई ने,



लेकिन दूसरी भौजाई , गुड्डी की मीठी भाभी इशारा कर कर के अपनी ननद को बुला रही , और फिर मेरी बहन ,और इनकी बहन ने इनके तन्नाए , बौराये लंड को बाँट लिया , सुपाड़ा इनकी बहन के हवाले और रसगुल्ले मेरी बहन के ,... लेकिन थोड़ी देर मे रोल बदल गया , अब गुड्डी इनके बॉल्स चूस रही थी और रीनू लंड।


कभी अपने जीभ से बस इनके पेशाब के छेद को सुरसुरा देती तो कभी अपने होंठों से मांसल सुपाड़े को कस के भींच लेती , और कभी गप्पाक से उनके लंड को आधा से ज्यादा एक बार में घोंट लेती।


चूत चाटने में अगर रीनू के जीजू ने पी एच डी कर रखी थी ,

तो लंड चाटने में उनकी साली ने भी पी एच डी की हुयी थी ,

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मेरी बहन और उनकी बहन के दुहरे हमले से , बेचारे की हालत ख़राब , वो सिसक रहे थे , चूतड़ पटक रहे थे।

कौन साली अपने जीजू की ये हालत देख सकती थी , रीनू तो कतई नहीं। वो उठकर इनके सर के पास गयी , कुछ उनके कान में फुसफुसाया ,...

सच में अगर त्रेता युग में रीनू होती न, तो मंथरा होती

दुनिया में किसी जीजू की हिम्मत नहीं साली की बात टाल दें , और ये रीनू के पक्के गुलाम , रीनू कुछ देर तक इनके कान में फुसुर करती रही ,

इनकी छोटी बहन मस्ती से,जोर जोर से लॉलीपॉप चूस रही थी , इनका।
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---

रीनू ने आने से पहले मेरे पिछवाड़े के बारे में पूछा,

" बुद्धू राम ने तेरे पिछवाड़े का हाल चाल पूछा ? "
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और मेरे नहीं बोलने पर बहुत जोर से गुस्सा हुयी, मुझ पर नहीं, इनपर, अपने जीजू पर।

मैंने बताया भी की अपनी भौजाई की गांड तो खूब हचक के मारी थी लेकिन, भरतपुर का तो कोई दिन नागा नहीं होता, न मेरा न उनकी बहिनिया का , लेकिन पिछवाड़े के मामले में, "

" थोड़ा फिसड्डी है, चल मैं आ रही हूँ न करती हूँ कुछ " रीनू ने बोल दिया, लेकिन कल जब उसने इन्हे गुड्डी की गांड मारते देखा, टाइम भी मेरे दोनों जीजू से रीनू के जीजू ने ज्यादा लिया और प्यार से हौले हौले अपनी बहिनिया को पागल कर, रीनू मान गयी

" यार अगर तेरे जीजू, कमल जीजू गांड मारने में पी एच डी हैं तो मेरा जीजू डी लिट्ट क्या मस्त गांड मार रहा है स्साली छिनार को पागल कर दिया , खुद धक्के मार रही है। "
और औरतों के बात करने के लिए सबसे प्राइवेट जगह जो होती है, किचेन, मर्दों का कोई दखल नहीं, तो मैं और रीनू जब किचेन में थे तो रीनू ने फैसला सुना दिया,

" मुझे रोग भी मालूम हो गया और इलाज भी, इस स्साले मेरे बहनचोद जीजू का न औजार बीस है न मारने के तरीके में कम है, जानती है स्साली तेरे मरद की असली परेशानी क्या है ये भी पता चल गया। "

मैं आटा गूंथते हुए चुप रही, मैं जानती थी मेरी बहन खुद बताएगी, और रीनू ने बोल दिया,

" असली बात है अच्छा बच्चा, ये स्साला बचपन से अच्छा बच्चा बनने के चक्कर में, काफी कुछ तो स्साली तूने सुधार दिया, लेकिन अभी भी अच्छा बच्चा वाले कुछ कीटाणु बचे हैं। बचपन से उसे मालूम है ये सब काम गंदे बच्चे करते हैं, बस मन के अंदर कही गाँठ है, लेकिन अब उसकी साली आ गयी है न उसका इलाज करने के लिए, और गाली देने में भी स्साले की गांड फटती है, "

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" क्या इलाज करेगी तू " हँसते हुए मैंने रीनू से पूछा।

जिसका इलाज कोई नहीं कर सकता उसे उसकी स्साली ठीक कर सकती है और रीनू ऐसी स्साली हो तो फिर तो शर्तिया।

" ऐसी लहक लगाउंगी, देखना तू, तेरे अगवाड़े के पहले पिछवाड़े वाला छेद ढूंढेगा स्साला, तेरा भी, तेरी ननदिया का भी। जाने के पहले, अगले दो दिन में दर्जन बार से ज्यादा गांड मारेगा वो, और आधा दर्जन से ज्यादा उस कन्या सुकुमारी के, वो भी प्यार मोहब्बत वाले नहीं, जो रफ ऐनल टीन वाली फ़िल्में बनती हैं, उनसे भी दो हाथ आगे, और देखना फिर कैसे उसे में कैसे पिछवाड़े का शौक लगवाती हूँ, "

रोटी सेकंते वो बोली,

" यार तेरे मुंह में घी शक्कर, बल्कि तेरे जीजू और मेरे मरद का मोटा मोटा लौंड़ा, लेकिन, " कुछ सोच के मैं रुक गयी फिर खिलखिलाने लगी।

" क्या हुआ " मेरी बहिनिया से नहीं रहा गया

" आइडिया तो तेरा सही है और सिर्फ तेरे बस का है, लेकिन पिछवाड़े के चक्कर में कहीं उन्हें भी कमल जीजू की तरह " और फिर मेरी हंसी चालू हो गयी।

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" स्साली साफ़ क्यों नहीं बोलती, की कही तेरे मरद को भी लौंडे बाजी का शौक तो नहीं लग जाएगा, वैसे आइडिया अच्छा है लग जाए तो जाए, मेरा वाली भी कमल जीजू इतना तो नहीं लेकिन महीने में दो तीन चिकनों की नेकर सरका ही देता है, अच्छा है फिर तीनो मरद एकदम एक जैसे, तुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है "


रीनू सच में सीरियस हो गयी थी, लौंडेबाजी के नाम पे।

" अरे यार मुझे क्यों फरक पडेगा, छेद तो छेद चाहे लौंडे का हो या लौंडिया का " हँसते हुए मैंने अपना काम ख़तम किया . और अपनी ओर से, रीनू और रीनू के जीजू को ग्रीन सिग्नल दे दिया, रीनू जाने उसके जीजू जाने, हाँ लेकिन अगर रीनू उन्हें गोल दरवाजे का आशिक बना देती है तो उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।
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तबतक गुड्डी किचेन में आ गयी और हम लोगो ने बात बदल दी।

लेकिन एक स्वीट सिक्सटीन टाइप ननद दो दो भौजाइयों के बीच हो और भौजाइयां उसे रगड़ने से छोड़ दें, ये हो नहीं सकता, तो बस रीनू ने पूछा

" क्यों रंडी रानी ( वो गुड्डी को रंडी ही बोलती थी ) अपने भैया की गोदी में बैठी थी का जो इतना पतुरिया अस मुस्करा रही हो ? "

गुड्डी कौन कम, वो भी इठला कर बोली, " और क्या हमारे भैया हैं गोदी में बैठाएंगे, दुलार करेंगे, चुम्मी लेंगे"

उसकी बात काट के मैंने पूछा, " अच्छा ये बता साफ़ साफ और सच सच, पिछवाड़े खूंटा धंस रहा था, खड़ा था न तनतना के "

गुड्डी कुछ देर खिलखिलाती रही फिर बोली," एकदम, हमारे भैया का खूंटा है ही बित्ते भर का तो गड़ेगा तो है ही "
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" एक तरीका बताती हूँ, खूंटे का अपने भैया का मजा भी लो और गड़े भी नहीं इस मुलायम मुलायम चूतड़ में "

रीनू गुड्डी की छोटी सी स्कर्ट उठा के चूतड़ सहलाती बोली,

" बताइये न मीठी भाभी, आप कहेंगी तो जरूर ट्राई करुँगी " रीनू को दुलराते, गुड्डी चिपक गयी।

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" बहुत आसान है चल तू बोल रही है तो सिखा भी दूंगी, अपना पिछवाड़े का छेद थोड़ा चौड़ा कर स्साली, हर बार तेरे भैया ही मेहनत करें, अरे तू भी तो, बस अपना गोल दरवाजा अपने दोनों हाथ से चौड़ा कर, और फैला के सीधे अपने भैया एक खूंटे पे बैठ जा, बस छेद खुला, खूंटा अंदर और तेरा छेद चौड़ा करने की ट्रिक सब तुझे सिखा दूंगी मैं, बस जैसे जैसे कहूं वैसे ही, "

" एकदम मीठी भौजी, आप जैसा कहेंगी एकदम वैसे ही " गुड्डी मान गयी।

तो रीनू का आपरेशन ' गोल दरवाजा' शुरू हो गया था जिसके दो टारगेट थे, एक तो ये, उसके जीजू , उन्हें पक्का पिछवाड़े का रसिया बनाना

अरे मार डाला कोमलजी. पहला ही अपडेट इतना धमाके दार. जबरदस्त इरोटिक.

अपनी बहेनिया के मुँह से उसके जीजा मतलब कोमलिया के साजन की तारीफ सुन कर तो दिल खुश ही हो जता है. वो क्या है की अपने मायके से साजन की तारीफ उनके मायके से ज्यादा अच्छी लगती है.

हा हा तेरा बुद्धू राम, तेरा छोना मोना. तेरा ही है बाबा.

रीनू सच ही कहती है. पूरा चाटोरा परिवार है ये. रीनू के जीजा चुत चाटने के एक्सपर्ट और उनकी बहन लोडा चूसने की एक्सपर्ट.

अपनी बहन और उनकी बहन दोनों को अपने साजन को सेवा करते देखने का माझा ही अलग है. एक साथ दो हसीना. एक अपनी बहन से एक कोमलिया की बहन से. एक के मुँह मे कंचे. और एक के मुँह मे बित्ते भर का खुटा.

हा ये तो सच है. रीनू त्रेता की मंथरा ही होती.

साला असली बहन है कोमलिया की. बचा हुआ अच्छे बच्चे वाला कीड़ा निकल कर ही मानेगी. और बनेगी पिछवाड़े का रसिया. वो ऑपरेशन लॉन्च किया है ना. गोल दरवाजा मतलब गुड्डी का पिछवाडा.

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Shetan

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ऑपरेशन गोल दरवाजा

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तो रीनू का आपरेशन ' गोल दरवाजा' शुरू हो गया था जिसके दो टारगेट थे, एक तो ये, उसके जीजू , उन्हें पक्का पिछवाड़े का रसिया बनाना, ....और दूसरे गुड्डी, जिसके गोल दरवाजे में सुबह सुबह ही एक मोटा बट्ट प्लग रीनू ने ठेल दिया था, जिससे गुड्डी की गांड को आदत पड़ जाए।



और अब वो गुड्डी के भैया को गुड्डी के पिछवाड़े चढ़ने के लिए उकसा रही थी। अभय दान तो रीनू ने खाली कल रात के लिए दिया था अब नई सुबह नए काम,

फिर रीनू अलग हट कर गुड्डी को सुनाते चिढ़ाते बोली ,

" जीजू मेरी ननदिया ने इत्ती बढ़िया , अपनी ,...आपको अभी , सुबह सुबह ,... तो आपको भी तो मेरी सेक्सी टीनेजर ननद के लिए कुछ करना चाहिए न , बेचारी की कसी कसी गांड ही मार लीजिये , सुबह से खुजली मच रही है , इसके पिछवाड़े ,... "
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जोरू का गुलाम तो आधे से ज्यादा मर्द होते हैं, बाकी होते हैं लेकिन मानते नहीं, कम से कम होने दोस्तों और मायके वालों के सामने। लेकिन साली के गुलाम तो सौ प्रतिशत होते हैं और ख़ुशी से होते हैं, और ये तो अपनी साली रीनू के गुलाम ही नहीं चमचे भी थे।

तो अब गुड्डी के पिछवाड़े के बचने का सवाल ही नहीं था,

और उनकी बहन गुड्डी कौन कम छिनार थी,

फिर जिसकी जिसकी गांड में कमल जीजू का मूसल घुस जाता है वो उसके पिछवाड़े हरदम चींटी काटती रहती है,

और ऊपर से इस
आपरेशन गुड्डी का गोल दरवाजा में मैं भी शामिल थी, रीनू अपने जीजू के साथ और मैं अपनी ननदिया के साथ।

गुड्डी निहुरि हुयी, उसके ब्याविश लौंडा मार्का चूतड़, जिसे देख के जिन लौण्डेबाजो का इलाज नीम के पेड़ के बगल वाले, मर्दाना कमजोरी का शर्तिया इलाज करने वाले डाक्टर जैन भी नहीं कर पाते, उन का भी खूंटा गुड्डी के लौंडा छाप छोटे छोटे खूब टाइट चूतड़ देख के खड़ा हो जाता है। और अभी तो गुड्डी रानी अपने भैया को चूतड़ मटका के, उचका के उकसा भी रही थी, ललचा भी रही थी,

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और उसके भैया का खूंटा खड़ा, तन्नाया और उनकी साली ललकार रही थी,

" स्साली रंडी कुतिया बनी निहुरी है मार लो "
लेकिन मेरा यार भी आज बदमाशी पर तुला था।

उनका खूब मोटा फूला सुपाड़ा, अपनी बहन के पिछवाड़े के छेद पर बस वो रगड़ रहे थे, जब लगता अगले धक्के में अंदर घुसेगा बस छुला के हटा लेते, और गुड्डी सिसक उठती।

मेरे साथ भी तो वही करते थे, मेरे गुलाबो के साथ और मैं जैसे गरम तावे पे कोई दो बूँद पानी की डाल दे, उस तरह से छनक उठती थी, और यही हालत गुड्डी की भी हो रही थी। मैं तो उनकी भीं महतारी गरियाती थी, फिर धक्के ऐसे चालू होते थे लेकिन गुड्डी अभी नयी नयी थी, नहीं रहा गया तो बेचारी सिसकती बोली,



" भैया करो न "

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कुछ साली का असर और कुछ एक बार अपनी बहन और साली के पिछवाड़े का मजा ले लेने का असर, वो और चिढ़ाते हुए बोले,

" क्या डालूं मेरी दुलारी बहिनिया "

गुड्डी बेचारी सिसक रही थी लेकिन झिझक भी रही थी बोलने से, पर मैं उसकी भौजाई थी न उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए, समझाने के लिए

" अरे कस के गरिया के एकदम खुल के बोल, मैं जानती हूँ तेरे भैया की बदमाशी, ऐसे तड़पाते रहेंगे, " फुसफुसा के उसके कान में मैं बोली।

लेकिन रीनू जो अपने जीजू की ओर से थी, गुड्डी को गरियाते बोली,

" अबे स्साली रंडी, कुछ पूछ रहे हैं, बोल साफ़ साफ़, रंडी को रंडी की ही जुबान अच्छी लगाती है। "


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गुड्डी अब असली रूप में आ गयी, बोली, " अरे मेरे बहन चोद भइया, अपनी बहन की गांड मार अपने मोटे लंड से, पेल दे अपना मोटा लंड मेरी अपनी बहन की गांड में "

बस रीनू ने अपनी ननद के दोनों चूतड़ फैलाये, और रीनू के जीजू ने वो करारा धक्का मारा की एक बार में सुपाड़ा अंदर,

" उईईई, नहीं भैया, जान गयी, लग रहा है ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ रुक जा, ओह्ह्ह नहीं उफ्फ्फ "

दर्द से जो गुड्डी चीखी, बाहर सड़क तो उसकी चीख जरूर गयी होगी।

" ज़रा और जोर से चीख रंडी रानी, आस पास के मोहल्लों में भी खबर फ़ैल जायेगी, जबरदस्त माल है, कल से तेरी गांड के आशिकों की लाइन लगी रहेगी, "

रीनू एकदम असली भाभी की तरह गुड्डी ननदिया से बोली।

गुड्डी १६० + आई क्यू वाली थी, एक बार में ही सीख गयी थी, गांड मरवाने के लिए आइडियल पोज, निहुरी, सर एकदम नीचे सटा लेकिन चूतड़ खूब उठे और टाँगे फैली, जाँघे खुलीं, लेकिन थी उसकी बहुत कसी, वैसे भी अभी उम्र ही क्या थी, महीने भर पहले ही इंटर पास किया, और कल पहली बार पिछवाड़े का फीता कटा, और तीन तीन मूसल एक के बाद एक पिछवाड़े में चले, लेकिन रात भर में फिर जस की तस,

टाइट, चुहिया की चूत ऐसी, और मेरे मरद का ऐसा की सांड लजा जाये उसके सामने,

ये पूरी ताकत से ठेल रहे थे, पेल रहे थे, दोनों हाथों से कस के उन्होंने अपनी बहिनिया की कमर पकड़ रखी थी, एकदम धीरे धीरे सरक सरक कर, दरेरता, रगड़ता, अंदर घुस रहा था। गुड्डी को कल कमल जीजू ने सबसे पहले, और जिसकी कुँवारी बिन चुदी गांड कमल जीजू खोलें वो अंदर छिली न हो, चमड़ी अंदर की फटी न हो ये हो नहीं सकता और आज जब उसे रगड़ते गुड्डी के भैया का घुस रहा था गुड्डी जोर जोर से चिल्लाती,



" भैया लग रहा है, दर्द हो रहा है ओह्ह ओह्ह, भैया प्लीज "

" सच में दर्द हो रहा है, मेरी बहन को " धक्का रोकते हुए ये बोले,


" हाँ भैया बहुत, मिर्चे ऐसा छरछरा रहा है " सुबकते हुए वो टीनेजर बोली,

" तो निकाल लूँ क्या " अपनी बहन को चिढ़ाते छेड़ते ये मुस्करा के बोले।



अब गुड्डी अलफ़, मारे गुस्से के बोल नहीं निकल रहे थे उस टीनेजर के, बोली भी तो जहर, एकदम जैसे कोई ड्रैगन फुफकार रहा हो

" खबरदार जो निकलने के बारे में सोचा भी, मैंने निकालने के लिए कहा क्या, अगर अगली बार गलती से भी निकालने के लिए बोलै न तो जिंदगी भर राखी नहीं बांधूंगी, बिना पैसे के राखी बाँधने वाली दुनिया की अकेली बहन हूँ मैं और ऊपर से , "


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मैं और रीनू मुस्करा रहे थे, असली दर्द तो अभी बाकी था, गांड के छल्ले का और बहन की इस धमकी का तो किसी भाई के पास जवाब नहीं तो कमर पकड़ के इन्होने कस के ठेल दिया और गांड का छल्ला पार, दर्द से गुड्डी की हालत खराब थी, चेहरा एकदम टेन्स, आँखों में आंसू डबडबा रहे थे, दांतों से होंठ को काट के दर्द को रोकने की कोशिश कर रही थी, दोनों हाथों से चद्दर को कस के दबोचे थी, और बहुत रोकने के बाद भी चीख निकल गयी,

उईईई, उईईई ओह्ह्ह, नहीं उईईई



और एक कतरा शबनम का गुड्डी के दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखों से टपक के गालों पे, गुलाब ऐसे मुलायम ननद के गाल पर से उसके खारे आंसू चाटने का मजा ही और है और मैंने वो आंसू चाट लिया और कचकचा के अपनी ननद का गाल काट लिया, एकदम मालपुआ

गौने की रात दुल्हन की झिल्ली फाड़ने का और किसी कमसिन के गांड फाड़ने का मजा सौ गुना हो जाता है जब वो तड़पे, पानी से निकली मछली की तरह फड़फड़ाये, हाथ पैर फेंके और फिर कस के दबोच के पूरी ताकत के साथ, ठेलने का, पेलने का, धकेलने का



और गुड्डी के भैया ने वही किया।

पेल दिया, ढकेल, ठेल दिया उस सुकुमारी कन्या की कोमल कोमल गांड में,




गुड्डी एक बार फिर जोर से चीखी, दर्द से तड़पी, हवा में उछली, लेकिन फिर,
मान गए. ऑपरेशन गोल दरवाजा लॉन्च हो गया. वाह साली हो तो रीनू जैसी. गरिया के उकसा के उनसे अपनों बहन के पिछवाड़े को रोड़वा ही दिया. अभय दान ख़तम हुआ. कल कमल जीजा और आज रीनू के जीजा.

जब आप साजन जी के लिए प्यारे प्यारे वर्ड उसे करती हो. वो दिल छू लेता है.
मेला छोना मोना.
बुद्धू राम, बूधू कही के.
और आज मेरा यार.

क्या तारीफ करती हो. दिल खुश हो जता है. इरोटिक के बिच रोमांस पैदा कर देती हो. Love it.

इस बार ये नई लाइन सुपर्ब थी. जोरू का गुलाम तो है ही. मगर अपनी साली का गुलाम ज्यादा. और उस से भी ज्यादा साली का चमचा no 1.

दोनों भई बहन भी कितने प्यार से लगे है. भैया तरसा रहा है. कोमलिया ने भी उनकी इसी पर तारीफ की. कैसे गुलाबों पर दो बुद...... और फिर उसकी बहेनिया तो बोल रही है. डालो ना भैया, अरे बहेनिया क्या डाल दू. और जब डाला तो चीख उठी. मिर्ची लग गई पिछवाड़े मे.


ओह हो हो. निकल लू. दया आ रही है अपनी बहेना पर. अरे तेरी बहेनिया पक्की वाली रांड है. निकला तो रखी नहीं बंधेगी. एक तेरी बहेनिया ही तो है. जो बिना पैसे के रखी भी बांधती है. और गांड भी मरवाती है.

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