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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Delta101

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ऑपरेशन गोल दरवाजा

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तो रीनू का आपरेशन ' गोल दरवाजा' शुरू हो गया था जिसके दो टारगेट थे, एक तो ये, उसके जीजू , उन्हें पक्का पिछवाड़े का रसिया बनाना, ....और दूसरे गुड्डी, जिसके गोल दरवाजे में सुबह सुबह ही एक मोटा बट्ट प्लग रीनू ने ठेल दिया था, जिससे गुड्डी की गांड को आदत पड़ जाए।



और अब वो गुड्डी के भैया को गुड्डी के पिछवाड़े चढ़ने के लिए उकसा रही थी। अभय दान तो रीनू ने खाली कल रात के लिए दिया था अब नई सुबह नए काम,

फिर रीनू अलग हट कर गुड्डी को सुनाते चिढ़ाते बोली ,

" जीजू मेरी ननदिया ने इत्ती बढ़िया , अपनी ,...आपको अभी , सुबह सुबह ,... तो आपको भी तो मेरी सेक्सी टीनेजर ननद के लिए कुछ करना चाहिए न , बेचारी की कसी कसी गांड ही मार लीजिये , सुबह से खुजली मच रही है , इसके पिछवाड़े ,... "
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जोरू का गुलाम तो आधे से ज्यादा मर्द होते हैं, बाकी होते हैं लेकिन मानते नहीं, कम से कम होने दोस्तों और मायके वालों के सामने। लेकिन साली के गुलाम तो सौ प्रतिशत होते हैं और ख़ुशी से होते हैं, और ये तो अपनी साली रीनू के गुलाम ही नहीं चमचे भी थे।

तो अब गुड्डी के पिछवाड़े के बचने का सवाल ही नहीं था,

और उनकी बहन गुड्डी कौन कम छिनार थी,

फिर जिसकी जिसकी गांड में कमल जीजू का मूसल घुस जाता है वो उसके पिछवाड़े हरदम चींटी काटती रहती है,

और ऊपर से इस
आपरेशन गुड्डी का गोल दरवाजा में मैं भी शामिल थी, रीनू अपने जीजू के साथ और मैं अपनी ननदिया के साथ।

गुड्डी निहुरि हुयी, उसके ब्याविश लौंडा मार्का चूतड़, जिसे देख के जिन लौण्डेबाजो का इलाज नीम के पेड़ के बगल वाले, मर्दाना कमजोरी का शर्तिया इलाज करने वाले डाक्टर जैन भी नहीं कर पाते, उन का भी खूंटा गुड्डी के लौंडा छाप छोटे छोटे खूब टाइट चूतड़ देख के खड़ा हो जाता है। और अभी तो गुड्डी रानी अपने भैया को चूतड़ मटका के, उचका के उकसा भी रही थी, ललचा भी रही थी,


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और उसके भैया का खूंटा खड़ा, तन्नाया और उनकी साली ललकार रही थी,

" स्साली रंडी कुतिया बनी निहुरी है मार लो "
लेकिन मेरा यार भी आज बदमाशी पर तुला था।

उनका खूब मोटा फूला सुपाड़ा, अपनी बहन के पिछवाड़े के छेद पर बस वो रगड़ रहे थे, जब लगता अगले धक्के में अंदर घुसेगा बस छुला के हटा लेते, और गुड्डी सिसक उठती।

मेरे साथ भी तो वही करते थे, मेरे गुलाबो के साथ और मैं जैसे गरम तावे पे कोई दो बूँद पानी की डाल दे, उस तरह से छनक उठती थी, और यही हालत गुड्डी की भी हो रही थी। मैं तो उनकी भीं महतारी गरियाती थी, फिर धक्के ऐसे चालू होते थे लेकिन गुड्डी अभी नयी नयी थी, नहीं रहा गया तो बेचारी सिसकती बोली,



" भैया करो न "

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कुछ साली का असर और कुछ एक बार अपनी बहन और साली के पिछवाड़े का मजा ले लेने का असर, वो और चिढ़ाते हुए बोले,

" क्या डालूं मेरी दुलारी बहिनिया "

गुड्डी बेचारी सिसक रही थी लेकिन झिझक भी रही थी बोलने से, पर मैं उसकी भौजाई थी न उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए, समझाने के लिए

" अरे कस के गरिया के एकदम खुल के बोल, मैं जानती हूँ तेरे भैया की बदमाशी, ऐसे तड़पाते रहेंगे, " फुसफुसा के उसके कान में मैं बोली।

लेकिन रीनू जो अपने जीजू की ओर से थी, गुड्डी को गरियाते बोली,

" अबे स्साली रंडी, कुछ पूछ रहे हैं, बोल साफ़ साफ़, रंडी को रंडी की ही जुबान अच्छी लगाती है। "


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गुड्डी अब असली रूप में आ गयी, बोली, " अरे मेरे बहन चोद भइया, अपनी बहन की गांड मार अपने मोटे लंड से, पेल दे अपना मोटा लंड मेरी अपनी बहन की गांड में "

बस रीनू ने अपनी ननद के दोनों चूतड़ फैलाये, और रीनू के जीजू ने वो करारा धक्का मारा की एक बार में सुपाड़ा अंदर,

" उईईई, नहीं भैया, जान गयी, लग रहा है ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ रुक जा, ओह्ह्ह नहीं उफ्फ्फ "

दर्द से जो गुड्डी चीखी, बाहर सड़क तो उसकी चीख जरूर गयी होगी।

" ज़रा और जोर से चीख रंडी रानी, आस पास के मोहल्लों में भी खबर फ़ैल जायेगी, जबरदस्त माल है, कल से तेरी गांड के आशिकों की लाइन लगी रहेगी, "

रीनू एकदम असली भाभी की तरह गुड्डी ननदिया से बोली।

गुड्डी १६० + आई क्यू वाली थी, एक बार में ही सीख गयी थी, गांड मरवाने के लिए आइडियल पोज, निहुरी, सर एकदम नीचे सटा लेकिन चूतड़ खूब उठे और टाँगे फैली, जाँघे खुलीं, लेकिन थी उसकी बहुत कसी, वैसे भी अभी उम्र ही क्या थी, महीने भर पहले ही इंटर पास किया, और कल पहली बार पिछवाड़े का फीता कटा, और तीन तीन मूसल एक के बाद एक पिछवाड़े में चले, लेकिन रात भर में फिर जस की तस,

टाइट, चुहिया की चूत ऐसी, और मेरे मरद का ऐसा की सांड लजा जाये उसके सामने,

ये पूरी ताकत से ठेल रहे थे, पेल रहे थे, दोनों हाथों से कस के उन्होंने अपनी बहिनिया की कमर पकड़ रखी थी, एकदम धीरे धीरे सरक सरक कर, दरेरता, रगड़ता, अंदर घुस रहा था। गुड्डी को कल कमल जीजू ने सबसे पहले, और जिसकी कुँवारी बिन चुदी गांड कमल जीजू खोलें वो अंदर छिली न हो, चमड़ी अंदर की फटी न हो ये हो नहीं सकता और आज जब उसे रगड़ते गुड्डी के भैया का घुस रहा था गुड्डी जोर जोर से चिल्लाती,



" भैया लग रहा है, दर्द हो रहा है ओह्ह ओह्ह, भैया प्लीज "

" सच में दर्द हो रहा है, मेरी बहन को " धक्का रोकते हुए ये बोले,


" हाँ भैया बहुत, मिर्चे ऐसा छरछरा रहा है " सुबकते हुए वो टीनेजर बोली,

" तो निकाल लूँ क्या " अपनी बहन को चिढ़ाते छेड़ते ये मुस्करा के बोले।



अब गुड्डी अलफ़, मारे गुस्से के बोल नहीं निकल रहे थे उस टीनेजर के, बोली भी तो जहर, एकदम जैसे कोई ड्रैगन फुफकार रहा हो

" खबरदार जो निकलने के बारे में सोचा भी, मैंने निकालने के लिए कहा क्या, अगर अगली बार गलती से भी निकालने के लिए बोलै न तो जिंदगी भर राखी नहीं बांधूंगी, बिना पैसे के राखी बाँधने वाली दुनिया की अकेली बहन हूँ मैं और ऊपर से , "


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मैं और रीनू मुस्करा रहे थे, असली दर्द तो अभी बाकी था, गांड के छल्ले का और बहन की इस धमकी का तो किसी भाई के पास जवाब नहीं तो कमर पकड़ के इन्होने कस के ठेल दिया और गांड का छल्ला पार, दर्द से गुड्डी की हालत खराब थी, चेहरा एकदम टेन्स, आँखों में आंसू डबडबा रहे थे, दांतों से होंठ को काट के दर्द को रोकने की कोशिश कर रही थी, दोनों हाथों से चद्दर को कस के दबोचे थी, और बहुत रोकने के बाद भी चीख निकल गयी,

उईईई, उईईई ओह्ह्ह, नहीं उईईई



और एक कतरा शबनम का गुड्डी के दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखों से टपक के गालों पे, गुलाब ऐसे मुलायम ननद के गाल पर से उसके खारे आंसू चाटने का मजा ही और है और मैंने वो आंसू चाट लिया और कचकचा के अपनी ननद का गाल काट लिया, एकदम मालपुआ

गौने की रात दुल्हन की झिल्ली फाड़ने का और किसी कमसिन के गांड फाड़ने का मजा सौ गुना हो जाता है जब वो तड़पे, पानी से निकली मछली की तरह फड़फड़ाये, हाथ पैर फेंके और फिर कस के दबोच के पूरी ताकत के साथ, ठेलने का, पेलने का, धकेलने का



और गुड्डी के भैया ने वही किया।

पेल दिया, ढकेल, ठेल दिया उस सुकुमारी कन्या की कोमल कोमल गांड में,




गुड्डी एक बार फिर जोर से चीखी, दर्द से तड़पी, हवा में उछली, लेकिन फिर,
ऑपरेशन गोल दरवाजा बहुत ही दर्दनाक रहा गुड्डी के लिए
 

Shetan

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ढकेल, ठेल दिया, बहिनिया के पिछवाड़े


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और गुड्डी के भैया ने वही किया।

पेल दिया, ढकेल, ठेल दिया उस सुकुमारी कन्या की कोमल कोमल गांड में,

गुड्डी एक बार फिर जोर से चीखी, दर्द से तड़पी, हवा में उछली, लेकिन फिर,

कुछ देर में गुड्डी रानी को भी मजा आने लगा,

एक तो खैबर का दर्रा पार हो गया था, आगे का रास्ता आसान नहीं तो इतना मुश्किल भी नहीं था,

दूसरे मेरे मरद की कमर में ताकत भी जबरदस्त थी, तीसरे मेरे सोना मोना ने, मेरे बाबू ने मोहब्बत की दूकान खोल रखी थी, किसी लौंडिया को पिघलाने के १६८ तरीके होते हैं तो उसे १७२ आते थे, कामदेव के तरकश में पांच तीर थे, लेकिन मेरे वाले के तरकश में कितने तीर थे, आज तक मैं गईं नहीं पायी, कई बार तो लगता था कोका पंडित का अंश है उनमे,

लेकिन असल बात थी छिनार रंडी महतारी की कोख से जन्मने का फायदा,

अब एक हाथ निहुरी हुयी बहिनिया के जोबन को सहला रहा था, होंठ कभी पीठ पे चुंबन की बारिश करते, और कभी सीधे बहिनिया के कंधो से लेकर चिपके चिपके, मेरुदंड से होते हुए मेरी ननद के मस्त कूल्हों तक,

मैंने और मेरे साजन ने गुड्डी छिनार को बाँट लिया था, आखिर उनकी दुलारी बहिनिया थी तो मेरी भी छिनार ननदिया थी। वो गाल चूमते तो मैं उसके रसीले होंठ चूसती, उनका खूंटा मेरी ननद के पिछवाड़े धंसा था तो मेरी जीभ उनकी बहन के मुंह में, एक चूँची वो सहला रहे थे तो दूसरी को मैं कस के निचोड़ मसल रही थी,

ननदिया मेरी मस्ती से मजे से पागल हो रही थी और गांड मराई का खूब मजा ले रही थी, कभी कूल्हे मटका के रस लेती तो कभी धक्के का जवाब धक्के से देती, और सिसकते हुए बोलती,

" हाँ भैया हाँ करो न बहुत मजा आ रहा है, हाँ ऐसे ही, उफ्फ्फ, मेरे भैया कित्ते अच्छे हैं, हाँ ऐसे ही "
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एक बार खूंटा अंदर तक, जड़ तक पूरा बित्ते भर घुस जाता तो वो रुक जाते और फिर थोड़ी देर अपनी बहन को, गांड के अंदर अपने मोटे लम्बे लंड का अहसास होने देते, फिर हलके से धीरे धीरे निकाल कर जब बस थोड़ा सा बचता तो बड़े दुलार से पूछते,

" पेल दूँ बहिनिया, "

" हाँ, भैया हाँ, ऐसे ही ओह्ह्ह उफ़, भैया तू कित्ता अच्छा है, हाँ हाँ "
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और धीरे धीरे सरकते खूंटा अंदर, गुड्डी के चेहरे पर ख़ुशी सुबह की धूप की तरह पसर जाती और मैंने तो बस इन्हे देख रही थी, इतना मजा आ रहा था इन्हे,



ये लम्बी रेस के घोड़े थे, बीस पच्चीस मिनट के पहले तो, और भी तो दस मिनट भी नहीं हुए थे।

और रीनू का इरादा कुछ और था, उनकी साली ने उनके कान में कुछ फुसफुसाया।

साली की बात टालने की हिम्मत में तो किसी की नहीं पड़ती और ये तो खैर साली के असली गुलाम थे और अगले दो चार मिनट में जो हुआ देख के मेरी हालत खराब हो गयी, गुड्डी को तो खैर कुछ समझ में नहीं आया, और जबतक समझ में आया बहुत देर हो गयी थी,



गुड्डी के भैया का बित्ते भर लम्बा मोटा खूंटा गुड्डी के पिछवाड़े जड़ तक गड़ा था एकदम चिपका, और दोनों हाथों से कस कस के अपनी बहिनिया के छोटे छोटे जोबना का वो रस लूट रहे थे, कभी चुम्मा लेते तो कभी कचकचा के गाल काट लेते।

गुड्डी की दोनो टाँगे अच्छी तरह खुली, जाँघे फैली, इनकी टाँगे गुड्डी की टांगो के अंदर और, और उन्होंने अपनी दोनों टाँगे बाहर निकाली, गुड्डी की टांगो को अपनी टांगों के बीच और जैसे कोई कैची की फाल खोल के बंद कर दे, इनकी टाँगे सिकुड़ती गयी और गुड्डी की दोनों टाँगे एकदम चिपक गयीं, और पिछवाड़े का छेद भी सिकुड़ गया,

खूंटा अंदर तक धंसा था इसलिए गुड्डी को पता नहीं चल रहा था, और जब दोनों टाँगे गुड्डी की इनकी टांगों के बीच बुरी तरह चिपक गयीं, इन्होने हलके हलके बाहर निकाला, जैसे तलवार बाहर निकलती गयी, म्यान एकदम सिकुड़ती गयी, और सिर्फ सुपाड़ा बस फंसा सा था तो ये रुक गए, गुड्डी भी मस्त के बोली,

" भैया ठेलो न रुक काहे गए, "

पर ये रुके रहे, मेरी नीचे की सांस नीचे, ऊपर की ऊपर गुड्डी ने फिर सिसकते हुए बोला,

" भैया, पेलो न, बहुत मजा आ रहा था "

बस रीनू चढ़ गयी " कैसे भाई हो बहन गांड मरवाने के लिए तड़प रही है और तू "
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बस इन्होने पेल दिया, दोनों हाथों से कस के इन्होने उस टीनेजर की कमर पकड़ी थी, गांड उस समय गुड्डी की उस से भी ज्यादा टाइट थी जितनी कल कमल जीजू ने जब पहली बार उस इंटर वाली की गांड फाड़ी थी।



कुछ रीनू ने जो जोश दिलाया था अपनी कसम धरायी थी, कुछ इत्ती टाइट गांड वो भी बहन की मारने की ख़ुशी, पूरी ताकत से कमर के इन्होने धक्का मारा,

" उईईई ओफ़्फ़्फ़्फ़ , नहीं नहीं " गुड्डी जोर से चिल्लाई नहीं नहीं भैया रुक जाइये, प्लीज भैया बहुत दर्द हो रहा है, छरछरा रहा है ओह्ह भैया एक मिनट, ओह्ह "



गुड्डी की चीखों के बीच मैं उनका चेहरा देख रही थी, पहले तो मैं या गुड्डी जरा सा भी कहरते, चीखते तो इनके चेहरे का रंग बदलता जैसे हम से ज्यादा इन्हे दर्द हो रहा है और इसलिए मुझे लगता था की गांड मारना इनके बस का नहीं,

लेकिन आज जितना गुड्डी चिल्ला रही थी उतना ही उनके चेहरे पे मजा बढ़ रहा था,

उनके दोनों हाथों का जोर उसकी पतली कमरिया पे बढ़ रहा था और वो ठेल रहे थे, पेल रहे थे ढकेल रहे थे, लेकिन अभी तो ये शुरुआत थी,

असली कमान तो उनकी साली रीनू के हाथ में थी , वो पीछे से अपना जोबन उनकी पीठ में रगड़ रही थी, कान में उनकी माँ बहिन गरिया रही थी लेकिन सबसे बड़ी बात ' घोडा' उसके जीजा का रीनू के हाथ की पकड़ में


और एक बार रीनू साली ने अपने जीजू के घोड़े को जरा दाएं कर दिया, बस बजाय सरपट दौड़ने के अंदर की दीवाल पे, धक्के पे धक्का और अंदर की चमड़ी छिल गयी, बस उसी जगह एक बार दो बार पांच बार, धक्के पे धक्का,

और गुड्डी की चीखे आसमान छू रही थीं,
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कल कमल जीजू ने जो मेरे साथ किया था एकदम वैसे, लेकिन कमल जीजा का तो मारे जोश में और वो भी सिर्फ एक दो बार और उसी में लग रहा था मुझे की अंदर किसी ने मिर्च छिड़क दिया है और ये नई उम्र की लड़की,

और दो चार सीधे धक्को के बाद, फिर रीनू ने जरा सा बायीं और, फिर ऊपर फिर नीचे,

मैं मान गयी भाभी हो तो ऐसे, ननद की गांड ऐसी मारी जाए चाहिए, और उसके बाद उसी टाइट हालत में जोर जोर से ये धक्के मार रहे थे गुड्डी चिल्ला रही थी, रो रही थी और ये बोल रहे थे,

" अरे बहिनिया तू ही तो कह रही थी पेलो भैया, अब पेल रहा हूँ तो काहें चिल्ला रही है, ले घोंट अंदर तक "
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ऊपर से उनकी साली बोल रही थी, " अरे जीजू तोहार बहिनिया चीख चीख के कह रही है भैया और जोर से, ये ख़ुशी के आंसू है पेलो कस कस के "

बस साली की बात, इन्होने करीब करीब पूरा बाहर निकाल लिया, सुपाड़ा भी बस फंसा था, और वो धक्का मारा

,"उईईईईई ,... बचाओ ,... उफ्फफ्फ्फ़ ओहहहह ईईईईईई " गुड्डी जोर से चीखी , लेकिन तबतक मूसल गांड का छल्ला पार कर चुका था।

"ओह्ह्ह्ह , नहीं निकाल लो भइया लगता है , उफ़ उईईई , भाभी , प्लीज बोलो न ,.... उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह।

गुड्डी चीख रही थी , उसके भइया बेरहमी से गांड मार रहे थे।
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यही तो मैं चाहती थी ,

बेरहमी , बेदर्दी , बिना चीख पुकार की परवाह किये धकाधक , गांड फाडू चोदाई , जिसके बिना गांड मारी ही नहीं जा सकती , न किसी लौंडे की न लौंडिया की। औजार तो इनका जबरदस्त था , एकदम थोर का हथोड़ा , कड़ा इतना की लोहे का खम्भा , पर दिल इनका ,... मोम सा मुलायम , कोई ज़रा सा चीखा , बस उसका दिमाग घूम जाता था , अपने तो चाहे जितना दर्द हो बर्दास्त कर लेते थे , पर दूसरे की हलकी सी चीख से भी इनका दिल दहल जाता था , ...

और यह जिम्मेदारी रीनू ने अपने ऊपर ली थी , इन्हे बदलने की , और असर मैं देख रही थी , एक ओर मैं बैठी थी , एक ओर इनकी साली , बीच में इनकी जल बिन मछली की तरह तड़पती चीखती चिल्लाती , दर्द से दहलती , हम लोगों के कान फाड़ती , बिसुरति



और आज उनके चेहरे से लग रहा था अब उन्हें गोल दरवाजे का रहस्य मालूम हो गया है और वो गोल दरवाजे के पक्के रसिया बन गए हैं।

वह आवाज जिससे मीठा संगीत मेरे कान के लिए कुछ हो नहीं सकता था। और सबसे अच्छा ये लग रहा था की उस किशोरी के , इनकी ममेरी बहन के चीखने चिल्लाने , रोने बिसूरने का इन पर कोई असर नहीं पड़ रहा था , हर धक्का पहले से तेज ,...
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साथ में रीनू और लाल मिर्च छिड़क रही थी ,
सबसे पहले तो एक ❤️. क्या है की लाइक्स वाले दिल से काम नहीं चलेगा.

सबसे खास जो कोमलिया अपनी खसम की जो तारीफ करती है. वो दिल छू लेता है. मेरा मरद ये मेरा मरद वो. अमूमन मेंर अपनी कमैंट्स मे साजन जी के लिए देवता वर्ड उसे किया है. साजन देवता. पर आप ने तो उन्हें साक्षात काम देव ही कहे दिया. एकदम असली काम के देवता. और सारी तारीफ तो फीकी हो गई बस इसके सामने. साथ उनके तरीको की तारीफ उनके तरीको को तारीफ. उनके अस मंजस मे कितने तीर है किसी को मालूम नहीं. अमेज़िंग. एक सो छत्तीस तरीके है तो वो एक सो बाहट्टर जानते है. और तो और काम के देवता होने का श्रेय उनकी महतारी को भी अलग ही ढंग से दिया. रंडी के पेट से जने है तो मास्टर होंगे ही.

और साली के गुलाम. अमेज़िंग. बात टालते नहीं रीनू की. रीनू का भी जवाब नहीं. क्या तरीका बताया है. साली नांदिया रानी के गाड़िया का पूछवाडा छिलवा दिया.

माझा तो तब आया जब बोल रही थी. डालो ना भैया और जब तरीका बदला तो गिड़गिड़ाने लगी. चीखने लगी वाह. बचाने को अपनी भाभी ही याद आई ना. भाभी भैया को बोलो ना रुक जाए. पहले तो बोल रही थी डालो. और अब निकालो..

रंडी नांदिया की चीखो का संगीत सुन कर कितना आनंद आता है. ये तो एक भौजी ही बता सकती है. वाह माझा आ गया.

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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २२३

रात अभी बाकी है

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लेकिन बचे हम दोनों भी नहीं, हम दोनों अपने अपने जीजा की गोद में बैठे थे, मैं कमल जीजू के गोद और रीनू मेरे मरद, अपने जीजू की गोद में,

रीनू ने लाइट बंद कर दी थी, सिर्फ नाइट लैम्प जल रहा था,
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खिड़की के बाहर से बरसती बूंदे दिख रही थीं, और शीशे पर पेड़ के पत्तो पर उनकी गिरती आवाज और धीरे धीरे पत्तों से सरक कर मिटटी में बारिश के गिरने की आवाज और मादक लग रही थी, ऊपर से गुड्डी का बाई को मात कर देने वाला नाच, और उसके साथ अजय,

सैंया मारे सटा सट, मारे सटा सट,

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कमल जीजू ने मुझे थोड़ा सा उचका के मेरे चौड़े नितम्बों को और फैला दिया था पूरी ताकत से और अब जब मैं बैठी थी उनका मोटा खूंटा सीधे मेरी पिछवाड़े की दरार के अंदर, म्यूजिक के साथ ताल देते जब कमल जीजू आगे पीछे होते, तो वो मोटा खूंटा भी उनकी साली के पिछवाड़े की दरार में आगे पीछे रगड़ घिस्स रगड़ घिस्स, और मैं भी साथ देते हुए आगे पीछे अपनी दरार को उनके मोटे मूसल पे रगड़ रही थी, कभी पूरा जोर लगा के उसे दबा भी देती,

जैसे कोई कुण्डी खडका रहा हो अंदर आने के लिए, और मुझे मालूम था की ये शेर आज पागल हो रहा है अंदर घुसेगा तो चीड़ फाड़ के रख देगा,


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रख देगा, तो रख देगा, मेरे जीजू हैं,

और कमल जीजू मेरी बड़ी बड़ी चूँचियों को भी पकड़ के साथ में रगड़ रहे थे, और मतलब हलके हलके नहीं, पूरी ताकत से, दबा रहे थे, पीस रहे थे, कभी कस के मेरे निप्स को पिंच कर देते,

और जैसे अजय ने गुड्डी को निहुरा के, कुतिया बना के पेलना शुरू किया हम दोनों बहने भी अपनी ननद की जबरदस्त रगड़ाई के लिए अजय जीजू को उकसा रही थीं,

पेल दे, फाड़ दे, चोद दे, जीजू. मैं बोल रही थी,

अरे भोंसड़ा बना दे, दो दिन तक खड़ी न हो पाए, हचक के चोदो, ऐसा माल चोदने का मौका रोज नहीं मिलत। रीनू बोल रही थी ,अजय को अपने मरद को ललकार रही थी,

और अजय के शॉट को देखकर कमल जीजू की भी हालत खराब हो रही थी और उनकी गोद में बैठी उनकी साली, मेरी भी। मैंने कस के अपने पिछवाड़े का जोर कमल जीजू के मोटे मूसल पर बढ़ा दिया था, अब जो होना हो सो हो, वो कल की लड़की, महीना भर भी नहीं हुआ था मेरे मरद से फ़टे और कैसे चूतड़ उचका उचका के अजय जीजू के धक्को का जवाब धक्को से दे रही थी।
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कमल जीजू से भी नहीं रहा जा रहा था, मोटा लंड साली की गांड के दरार से इतने देर से रगड़ घिस कर रहा था, और सामने एक इंटर वाली कस के चुदवा रही थी,

अजय जीजू ने गुड्डी के लौंडा मार्का चूतड़ पर दो तमाचे लगाए चटाक चटाक और खूंटा पूरा बाहर निकाल लिया,

" निहुर स्साली, " जोर से गुड्डी का सर एकदम फर्श पे दबाते हुए अजय जीजू बोले, और अब गुड्डी का सर जमीन पर, चूतड़ हवा में खूब उठे हुए,

नहीं अजय जीजू ने गांड नहीं मारी गुड्डी की। आज की रात तो रीनू ने गुड्डी के पिछवाड़े को अभयदान दिया था। लेकिन जिस ताकत से अपना मोटा खूंटा उस किशोरी की कच्ची बिल में ठेला, बेचारी की तो चीख निकल ही गयी, हम सब हदस गए, और उसका असर कमल जीजू पर भी हुआ ,

उन्होंने मेरी पीठ पर जोर देकर मुझे झुकाया और बोले,

" निहुर स्साली "
Kya gab ka likha hai Komal ji. "Nihur Ssalli"
 

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तेज मिर्च वाली चाट


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हम तीनों बहने मैं, रीनू और चीनू, जब चाट खाने जाते तो चीनू पहले ही बोल देती मेरे वाले में मिर्ची बहुत कम, रीनू को फरक नहीं पड़ता था लेकिन मैं कहती थी, भैया मेरे में एक्स्ट्रा, और वो चाट दे देता था तो भी मैं बोलती थी भैया मिर्च जरा सा ऊपर से और, फिर पूरा मुँह जलता था, आँख नाक हर जगह से पानी निकलता था, सी सी करती रहती, मुंह छरछराता रहता था, आग लग जाती थी गले में लेकिन मजा भी बहुत आता था।


चीनू हड़काती भी थी, ' कमीनी, जब ऐसी हालत खराब हो जाती है तो बार बार ज्यादा मिर्च क्यों "

मैंने सी सी करती रहती और बोलती भी, अरे दी ज्यादा मिर्च वाली चाट का मजा ही अलग है, इसी हालत खराब होने का ही तो मजा है।

और आज एकदम वैसा ही लग रहा था बस ज्यादा मिर्च ही नहीं, लगता था किसी ने सबसे तेज मिर्च भूत झोलकिया का छौंका मार दिया है। इतना तेज छरछरा रहा था, बुरी तरह लग रहा था लेकिन मजा भी नया नया आ रहा था ।



तबतक कमल जीजू ने कस एक मेरी दोनों चूँचियों को पकड़े पकड़े ऑलमोस्ट बाहर निकाला और ऐसा करारा धक्का मारा और वही दरेरते, छीलते, रगड़ते, घिसते, मुझे लगा जैसा मैं अब बर्दास्त नहीं कर पाउंगी, और आलमोस्ट पूरा अंदर,

नहीं नहीं जीजू नहीं, दर्द हो रहा है, बस, अब बस, बहुत ओह्ह्ह उफ्फ्फ उईईईईई

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मैं चीख रही थी एक चीख रूकती तो दूसरी शुरू हो जाती हालांकि कमल जीजू ने धक्के मारने बंद कर दिए थे, और जब किसी तरह मेरी चीख रुकी तो मुझे समझ में आया कमल जीजू की शैतानी, चीनू तो सीरियस टाइप थी, लेकिन रीनू के साथ भी एक बार उन्होंने, और रीनू ने ही मुझे बताया था

" कमल जीजू जब बहुत ज्यादा मस्ती के मूड में होते हैं तो ज्यादा मिर्ची वाली चाट खिला देते हैं, "


एक बार रीनू के साथ भी, रीनू उन्हें बहुत छेड़ रही थी, चिढ़ा रही थी लेकिन दे नहीं रही थी। रीनू ने कमल जीजू की ट्रिक भी बता दी,

" कोमलिया, कमल जीजू, बदमाशों के सरदार, बजाय सीधे पेलने ढकलने के हल्का सा तिरछा और धक्का, पिछवाड़े वाली गली में लगने की बजाय दीवाल में लगने लगता है, बस दो चार ठोकर में ही कहीं लाल, तो कहीं हल्का सा छिल जाता है और वो जलन होती है लगता है जैसे गांड में किसी ने मिर्ची वाला पटाखा जला के डाल दिया हो और उसी छिली जगह पे फिर दुबारा तिबारा तो वो वो और,

मैं समझ गयी कमल जीजू आज मुझे तेज मिर्च वाली चाट खिला रहे हैं।

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और जब पिछवाड़े को उनके मोटे खूंटे की आदत पड़ी तो कमल जीजू के लम्बे लम्बे नाख़ून मोटी मोटी चूँचियों में धंस गए और मैं जोर जोर से चीखी,


उईईईईई लेकिन उस चीख में दर्द से ज्यादा मजा था।

और जैसे जीजू को ग्रीन सिग्नल मिल गया हो, उन्होंने धकमपेल गांड मारना शुरू कर दिया, क्या ताकत थी उन के धक्को में कभी मैं चीखती, कभी सिसकती, लेकिन थोड़ी बहुत बदमाशी तो मंजू बाई की संगत में कमल जीजू की साली ने भी सीख ली थी। उनका खूंटा पूरा धंसा हुआ था और जब उन्होंने बाहर निकालना शुरू किया तो बस मैंने अपने खैबर के दर्रे को , छले को कस के भींच लिया, फिर तो जैसे कोई मोटा चूहा पिंजड़े में घुसे और बाहर न आ पाए, बस वही हालत, वो जितना बाहर निकलने की कोशिश करते मैं उतना ही कस के भींचती,

लेकिन थोड़ी देर बाद कुछ मेरी पकड़ ढीली पड़ी कुछ उनका जोर बढ़ा और वो मोटू बाहर लेकिन जीजू कुछ भी उधार नहीं रखते थे, अबकी जो उन्होंने ठेला तो बस आधा भी नहीं घुसा था और वो रुक गए,



बहुत कंट्रोल चाहिए मरद को कसी संकरी गांड में आधा घुसा खूंटा रोकने के लिए, तड़पाने के लिए



" करो न जीजू, कर न " मैं बार बार उनसे कह रही थी, उनकी माई बहन को गरियाने का भी असर नहीं पड़ा, और वो बोले,

" हर बार मैं ही धक्का क्यों मारुं, देखूं मेरी साली ने कुछ सीखा भी है की नहीं "

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और मैं समझ गयी, बस साली कौन जो जीजा का इशारा न समझे, बस मैं चूतड़ पीछे आगे कर के धीरे धीरे तीन चौथाई घोंट गयी, मान गए जीजू और अब कभी वो धक्का मारते कभी मैं, झूले की पेंग की तरह, कभी दर्द से हालत खराब होती कभी मजे


मेरी बहन रीनू भी मेरे बगल में ही निहुरी हुयी थी, फर्क इतना था की मेरे जीजू को गोलकुंडा का गोल दरवाजा पसंद था तो मेरी बहन रीनू के जीजू, मेरे मरद को प्रेमगली, साली की चम्पाकली पसंद थी



जैसी मेरी हालत खराब थी, उससे कम रीनू की नहीं थी। उसके जीजू के पास दर्जनों हथियार थे और सबसे बड़ी थी उनकी आँख, प्यार से जब वो देखते तो बिना छुए कोई पिघल जाए, दूसरी बात उनकी समझ जो उनकी सास और मंजू ने और तेज कर दी, कोई भी लड़की हो औरत हो

दो मिनट में उसके सारे एरोटिक बिंदु , जहँ बस छूने से वो पिघल जाए, उन्हें पता चल जाते थे, उनका खूंटा तो रीनू की ऐसी की ततैसी कर ही रहा था, इनके होंठ, कभी झुक के कान की लर हलके से काट लेते कभी गले के नीचे चूम लेते कभी जीभ की टिप से अपनी साली की पीठ पे सीधे मेरु दंड पर एक हलकी सी लाइन बनाते कूल्हे तक, रीनू के जोबन तो कोई भी मरद नहीं छोड़ता तो वो क्यों छोड़ते और धक्के भी बाहर निकाल के देर तक वो फांको पे रगड़ते, फिर एक झटके में पेल देते

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हालत मेरी भी खराब थी, रीनू की भी



मेरी दर्द और मजे दोनों से , रीनू सिर्फ मजे से ही पागल हो रही थी


एक विज्ञापन में दो क्रिकेट खिलाडी कहते हैं न
मेरे जमाने में सोच के मारते थे
और नए जमाने वाले का जवाब है

मेरे जमाने में ठोक के मारते हैं , बस तो कमल जीजू ठोक के मारने वाले थे,


गुड्डी और अजय तो कभी के झड़े पड़े थे,
Wonderful episode. Mast mast chudai ho rahi hai.
 

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गुड्डी

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गुड्डी और अजय तो कभी के झड़े पड़े थे, अजय गुड्डी के अंदर, थोड़ी देर में मैं भी लेटी और कमल जीजू मेरे अंदर झड़ रहे थे, बूँद बूँद, मैं आँखे बंद किये मजा ले रही थी , निचोड़ रही थी

थोड़ी देर बाद मेरी आँख खुली तो रीनू एकदम थेथर, न जाने कितनी बार जैसे झड़ी हो और वो भी उसके अंदर झड़ रहे थे और हम छह उसी तरह बहुत देर पड़े रहे।




और असली जीजा साली तो आज , ... ये और रीनू ,

रीनू मेरी बगल में लेटी नींद में , और नींद में भी उसके उभार कस के पकड़े , उसके जीजू , मेरे ये ,...

दोनों मेरे जीजू , एकदम गुड्डी के छोटे छूटे जुबना के दीवाने, और ऊपर से निपल उसके हरदम खड़े रहते थे, उसके भैया ने जो बाड़ी पियर्सिंग वाले के यहाँ जो गोल्डन रिंग उसके निप्स पे लगवा दिया था, उसका असर, दोनों बटन आती हुयी ट्रक के हेडलाइट की तरह दूर से दिखते,,...
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और आज की रात तो बस ट्रेलर थी , और गुड्डी भी न ,मान गयी मैं अपनी ननद को , कैसे उस कमीनी रीनू को पटा के , एक दिन और मेरे दोनों जीजू , बहन का प्रोग्राम उसने बढ़वा दिया , अब कल और परसों की रात भी , ... और फिर रात और दिन में कोई फरक थोड़े ही होगा ,

मेरी बहन , रीनू भी पक्की लेस्बो , वो भी लेजडॉम ,... एकदम गुड्डी के पीछे पड़ी , ... और गुड्डी भी जैसे चीनी दूध में मिल जाय , वैसे ,... एक से एक किंक , और गुड्डी से हामी भी भरवा ली,...
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इनका ओर रीनू का भी क्या मस्त टांका भिड़ा है , कब से ये साली के चक्कर में ,... और अब साली मिल गयी है , वो भी रीनू ऐसी खूब चिढ़ाती है , मजाक करती है , ... छेड़ती है , और क्या मस्त इन्होने मेरी बहन को चोदा आज , उस को भी मालूम हो गया मेरी मर्द , तीन तीन बार झड़ी वो तब जाकर अपनी साली को थेथर कर के ,... किस तारीफ़ से देख रही थी मेरे सोना मोना को ,..

इनकी साली बोल रही थी, जल भी रही थी चिढ़ा भी रही थी,


" यार सबसे लकी तू ही निकली एकदम चोदमपुर का राजा है, तेरा वाला। मजे लेने से ज्यादा मजे देने के पीछे पड़ा रहता है। दिल मुलायम और खूंटा हरदम हार्ड रहे ऐसा मरद बड़े मुश्किल से मिलता है। "
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" गृहकार्यों में भी दक्ष है, " मुस्करा के मैं बोली, अपने मर्द की तारीफ़ किसे नहीं अच्छी लगती, हाँ मरद के सामने नहीं होनी चाहिए।

हम सब थक गए थे, रीनू की हालत सबसे ज्यादा खराब थी, एकदम थेथर।



और हम सब सो गए थे, उसी कमरे में, मैंने कमल और अजय जीजू के बीच, गुड्डी अजय जीजू और इनके बीच और इनके साथ रीनू, इनकी साली


गुड्डी कस कर सो रही थी, और हम सब थोड़े सोये थोड़े जागे,



गुड्डी इत्ती प्यारी सी भोली सी लग रही थी, कोई कह सकता था की थोड़ी देर पहले तीन तीन मर्दों को अकेले इसने सिर्फ नाच गा के, नए आये जुबना की झलक दिखा दिखा के पागल कर दिया था,


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और अभी महीना भर भी तो नहीं हुआ उसे इंटर किये, मिडल ऑफ़ टीन्स, लेकिन आग लगा दिया आज उसने, हाँ इस समय थकी सी लग रही थी इसलिए सबसे गाढ़ी तगड़ी नींद में वही सो रही थी, लेकिन सुबह ही उठ जाती थी, गीता के आने पर, फिर गीता के संग मस्ती भी किचेन का सब काम और उसके बाद उसकी ऑनलाइन क्लासेज, आज भी सुबह सात बजे से और फिर आज भी आठ घंटे कोचिंग में रगड़ के पढ़ाई, और घर लौटते ही,


मैंने और रीनू ने कमल जीजू को पहले से ही गरमा रखा था,

गुड्डी का पिछवाड़ा फटा कमल जीजू के खूंटे से और रीनू उसकी मीठी भाभी के सहयोग से


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फिर बाकी दोनों मर्दो ने भी उस किशोरी के पिछवाड़े का मजा लिया, और कमल जीजू ने तो आगे पीछे दोनों ओर,

उसके बाद किचेन में भी हम लोगों के साथ खाना बनाना सर्व करना,

और फिर रीनू पीछे पड़ के डांस करीब डेढ़ दो घंटे, नान -स्टाप, आधे दर्जन तो भोजपुरी गाने ही रहे होंगे,


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और फिर अजय ने जो हचक के चोदा है, कोई भी थक जाता



इसलिए मैं श्योर थी की गुड्डी अब सुबह से पहले उठने वाली नहीं।


लेकिन बाकी लोगों के बारे में मैं श्योर नहीं थी,

बगल में एक नहीं दो जीजू हो तो किस स्साली को नींद आएगी और जवानी की राते सोने के लिए थोड़े ही होती हैं, अजय भी कुनमुना रहा था कमल जीजू अपनी जगह पर यानी मेरे पिछवाड़े से मुझे पकड़े और अजय आगे से, हाँ जोबन साली का दोनों जिज्जा ने एकदम ईमानदारी से बराबर बांटा था, एक कमल जीजू के कब्जे में दूसरा अजय के कब्जे में।


बदमाशी अजय ने ही शुरू की,

पहले हलके हलके दबाना, मसलना, फिर जीभ से निप्स को छेड़ना और जैसे उसने चूसना शुरू किया मेरी चूत में आग लग गयी।


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थोड़ी देर पहले ही कमल जीजू ने हचक के गांड मारी थी, अब तक चिल्ख मची थी, लग रहा था किसी ने मिर्चा कूट दिया है अंदर, लेकिन चम्पाकली की रगड़ाई तो उस समय नहीं हुयी थी, इसलिए वहां खुजली मच रही थी और अब अजय की बदमाशी। मैंने भी अजय के साथ, बस देख रही थी उसे गुड्डी से मजे लेते हुए गुड्डी की उसे गांड भी मारी और गाना डांस के साथ कैसे खड़े खड़े उसने गुड्डी की हचक के ली, मान गयी मैं अजय को नंबरी चोदू है स्साला मेरा जीजू, रीनू का मर्द।



मैं स्साली क्यों छोड़ती, मैंने भी अजय जीजू के खूंटे को रगड़ना शुरू कर दिया, अपनी कोमल कोमल उँगलियों से, कभी खुले सुपाड़े को सहलाती कभी मुठियाती कभी मेल टिट्स को दबोच लेती, दांतों से काट लेती,
Kamaal ka update hai komal ji.
 

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मस्ती जीजा साली की

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मैं स्साली क्यों छोड़ती, मैंने भी अजय जीजू के खूंटे को रगड़ना शुरू कर दिया, अपनी कोमल कोमल उँगलियों से, कभी खुले सुपाड़े को सहलाती कभी मुठियाती

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कभी मेल टिट्स को दबोच लेती, दांतों से काट लेती,

मन तो अजय जीजू का भी कर रहा था, औजार एकदम तना, फनफना रहा था. वो भी जानते थे की मेरी भी हालत खराब है मिलेगी तो है ही स्साली, तो वो और तड़पा रहे थे, दोनों जोबन उन्होंने कमल जीजू को गिफ्ट कर दिए और खुद उनके हाथ मेरी जांघ मेरी प्रेम गली और क्लिट में,


चूत में आग लग गयी मेरी और मुझसे रहा नहीं गया,

और मैं सीधे अजय जीजू के खूंटे पर चढ़ गयी, और कोई फोरप्ले नहीं सीधे से अजय के कंधे के पकड़ के वो करारा धक्का मारा, अगर कोई कच्ची कुँवारी भी होती झिल्ली फाड़ते हुए लंड अंदर समा जाता, अजय का बांस बहुत लम्बा था फिर भी आधे से ज्यादा मेरे अंदर घुस गया,
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ये और रीनू भी जग गए थे, ये मुझे मुस्कराते हुए देख रहे थे, उन्हें मालूम था की मैं जब इस मूड में होती हूँ तो माँ बहन सब चोद के रख देती हूँ,

मैंने भी मुस्करा के उनको और उनकी साली रीनू को भी देखा, वो मेरे मरद का मोटा मूसल चूस रही थी,


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उसने जबरदस्त हाई फाइव किया

मैं उसका मरद चोद रही थी,

दोनों हाथों से मैंने अजय के कंधे को पकड़ा और एक जबरदस्त धक्का मारा,

सरसराते बचा खुचा नाग बिल के अंदर और अब बिल ने अपने को सिकोड़ना उसे दबोचना, निचोड़ना शुरू किया, अजय भी कई बार झड़ चूका था शाम से उसके जल्दी झड़ने का सवाल ही नहीं था. कुछ देर उसे तंग करने के बाद मैंने अब हलके हलके धक्के ऊपर से मारने शुरू किये, बस दो चार इंच कमर ऊपर उठा तो और फिर धीरे धीरे खूब धीरे धीरे नीचे, ऊपर नीचे होती कसी प्रेमगली में लंड के रगड़ने पे जो मजा मरद को मिलता है वो कहने लायक नहीं और ऊपर से मैं अपने जोबन कभी अजय के सीने से रगड़ देती कभी उसके होंठों पे छुला के हटा देती,
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कमल जीजू मुझे देख के मुस्करा रहे थे, उनका मूसल भी जग रहा था।

और मैंने कमल जीजू के मोटू को भी मसल दिया, मैं जानती थी ये जग गया तो एक बार फिर मेरे पिछवाड़े की ऐसी की तैसी करेगा,

करेगा तो करे, मेरे जीजू, मेरे जीजू का मूसल,

और मैंने झुक के अपने होंठों से पहले तो कमल जीजू के खूब मोटे सुपाड़े को चूसा और फिर कस के लंड मुंह में लेकर चूसने लगी,

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रीनू को जलाने के लिए मैंने इशारा किया,

" हे मेरे पास दो दो है "

वो कमीनी, मेरे मरद के खड़े खूंटे पर चढ़ते उसने भी इशारा किया, मेरे एक तेरे दो के बराबर है बल्कि उन दोनों से बीस है।
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वो मेरे मरद के खूंटे पे चढ़ी थी और मैं उसके, एकदम अगल बगल, और मैं साथ में कमल जीजू को पागल कर रही थी।

और उसके बाद वही हुआ जो होना था

मेरे जीजू लोगों ने मेरी जबरदस्त सैंडविच बनाई , खासतौर से कमल जीजू ने जो गांड मारी , अब तक कल्ला रही है ,

ऊपर से वार्निंग भी दे दी ,

" यार तेरे ऐसा पिछवाड़ा आज तक नहीं मिला , ...अबकी तो दर्जन भर बार कम से कम तेरी मारूंगा ,... "

मैं सिहर तो गयी लेकिन सुन कर अच्छा भी लगा , उफ़ हाँ कैसे मेरी सैंडविच बनी ये तो बताई नहीं , , ... ये भी बात बता दूँ , अपनी और अपने दोनों जीजू की



रीनू पर तो उसके जीजू चढ़े थे और मैं अपने दोनों जीजू के साथ ,...
Komal ji double entry ka majaa hi alag hai.
 

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सैंडविच
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पर कमल जीजू न , अभी तक मेरा पिछवाड़ा कल्ला रहा था , आग लगी थी एकदम अंदर तक , ऐसे रगड़ रगड़ तक ,... ऊपर से कमल जीजू बोल भी रहे थे , कोमल यार तेरी गांड का मजा ही अलग है , सच में अबकी तो कम से कम दर्जन भर बार मार के ही जाऊँगा ,...



और सच में चीनू की शादी में ही मुझे अंदाज लग गया था , जिस तरह से डांस करते समय मेरे गोल गोल नितम्बों को वो सहला रहे थे , लहंगे के ऊपर से , ...




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खाने के समय हम दोनों अलग ही थे , बरात की भीड़भाड़ से थोड़े अलग से , ...एक ही प्लेट में , मैं उन्हें अपने हाथ से खिला रही थी , और उस समय उनसे नहीं रहा गया , बोल ही दिया कमल जीजू ने ,

"सुन कोमल मैं अगवाड़े ,पिछवाड़े में अंतर नहीं करता। "

मैं उनकी छोटी पक्की साली , और छेड़ा मैंने ,

" जीजू, करना भी नहीं चाहिए। और अगर आपने किया न , तो इस साली की पक्की वाली कुट्टी हो जायेगी। लेकिन आप बीबी और साली में तो अंतर करते होंगे "
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" एकदम नहीं ,... " हँसते हुए बोले वो। फिर जोड़ दिया ,

" लेकिन साली का दर्जा ऊपर है , यार साली तो कभी कभार , इसलिए उसे तो कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए , बीबी तो ,.... और न साली का अगवाड़ा , न पिछवाड़ा। "


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लेकिन कमल जीजू न इतने बेरहम ,... मैं चीखती रही , चिल्लाती रही , बिसूरति रही पर , ऐसे रगड़ रगड़ के गांड मारी उन्होंने मेरी अभी तक ,...



सैंडविच मेरी पिछली बार भी बनी थी , मेरे पिछवाड़े अजय और कमल दोनों जीजू ने अपना मूसल चलाया था , पर सच में अबकी लगा की वो तो बस ट्रेलर था ,...

पिछली बार सम्हाल कर , हलके हलके धीरे पहले सुपाड़ा फिर ,...


लेकिन अबकी तो एक धक्के में , कमल जीजू ने ,... और मोटा भी कितना है उनका मेरी मुट्ठी में नहीं आता।


सिर्फ सुपाड़ा ही नहीं धकेला बल्कि , पूरा गांड का छल्ला पार ,... मैंने अपनी समझ से चूस के उनका चिकना कर दिया था , लेकिन सुपाड़ा बहुत ही मोटा है उनका , इतना जोर से दरेरता रगड़ता घुसेड़ा , मेरी आँख के आगे तारे नाच गए , जोर की चीख निकली मेरी। और आलमोस्ट निकाल के उन्होंने फिर से पूरा ठेल दिया , चार पांच धक्के में तो कमल जीजू ने तो पूरा मेरी गांड के जड़ तक ,
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मैं चीखती रही , चिल्लाती रही , उनकी माँ को गाली देती रही ,


" कमल जीजू , ये तेरी माँ , चीनू की सास , ...स स्साली मायके की रंडी , बचपन से तेरे मामा को चढ़वाती थी , अरे उस कुत्ता चोदी , गदहा चोदी के जने , रंडी के पूत , तेरी मां का भोंसड़ा नहीं है , ताल पोखरा ऐसी , तेरी कोमल साली की कोमल कोमल गांड है , ज़रा सम्हाल के , ..दे तो रही हूँ ,

इन सारे लड़कों का मैंने देखा है , बस माँ का नाम ले ले और लंड में एकदम से नया जोश आ जाता है , जैसे बचपन से माँ का नाम ले के ही मुठ मार रहे हैं , इनकी भी यही हालत और अजय और कमल जीजू की भी यही तीनो लड़कों की।

और हुआ वही , कमल जीजू ने इतना कस के धक्का मारा की मेरे आँख में आंसू आ आगये , और साथ में कमल जीजू ने मेरी दोनों चूँचियाँ भी कस कस के , निचोड़ लीन , निप्स पिंच कर लिए।

वो तो नीचे से अजय का खूंटा मेरी बुर में धंसा हुआ था वरना मैं गद्दे पर ,....

मुझे मालूम था ये दोनों लड़के क्या चाहते हैं , कमल जीजू तो मेरे नितम्बों के पहले दिन से ही दीवाने ,... बस मैं खुद अजय के खूंटे के ऊपर ,.. अब विपरीत रति में तो ,... इनके साथ भी तो आलमोस्ट रोज बिना नागा एक बार ,...

अजय के दोनों हाथों को मैंने अपने हाथ से पकड़ लिया , और आँखों से बरज दिया ,

जीजू अब थोड़ी देर कमान मेरे हाथ में ,

और झुक के अपने जोबन अजय जीजू की छाती पर रगड़ने लगी , मेरी प्रेम गली जीजू के ९० डिग्री पर खड़े , बम्बू के बस सहला रही थी , चिढ़ा रही थी , उकसा रही थी , एक धक्के में मैंने सुपाड़ा तो अपनी बिल में घोंट लिया लेकिन , फिर रुक गयी। मेरी चूत कस कस के अजय के सुपाड़े को भींच रही थी , कुछ देर में ही जीजू की हालत खराब , वो नीचे से पुश करने की कोशिश कर रहे थे


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लेकिन मेरी कलाई ने कस के उन्होंने पकड़ रखा था , सीने का पूरा बोझ उनके सीने पर , इधर मेरी चूत उनके सुपाड़े को भींच कर दबोच कर निचोड़ कर उनकी हालत खराब कर रही थी , वही मेरे जोबन भी दोनों साथ साथ अजय जीजू के सीने पर रगड़ घिस्स ,



लेकिन कुछ देर बाद मुझे दया आ गयी , हचक के चुदवाने का मन तो मेरा भी कर रहा था



ऊपर से मेरी एकदम बगल मेरी बहन , रीनू हचक हचक के इनसे चुदवा रही थी , चूतड़ उठा उठा के धक्के लगा रही , मैं कौन होती थी अपने दोनों जीजू को तरसाने वाली ,


और जब से हम बहनें टीनेजर , बल्कि साफ़ साफ़ कहूं तो हम तीनों बहनों , मेरी रीनू और चीनू की झांटे आयीं ,

दोनों मुझे चिढ़ाती थी की उन दोनों के मर्द मेरे साथ , ... उस समय तो मैं खूब मुंह बनाती थी , चिल्लाती थी , ...

पर बाद में सोचती थी , कितना मजा आएगा , मैं अपने जीजू लोगों के साथ और ये अपनी साली के साथ
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आज वो फैंटेसी पूरी हो रही थी य्ये एकदम मेरे बगल में लेटी मेरी बहन पर चढ़े हुए था , बिना झिझके और उन्ही के सामने मेरे दोनों जीजू ,

और ये सोचते सोचते मैंने कस के धक्का मारा , कलाई की पकड़ धीमी की , नीचे से अजय जीजू ने भी आधा मूसल उनका मेरे अंदर ,

और मैंने हाथ छोड़ दिया अजय जीजू का , उन्होंने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचना शुरू किया , नीचे से धक्के पर धक्का और मैं भी उनका साथ दे रही थी , बस चार पांच मिनट में उनका बालिश्त भर का खूंटा मेरे अंदर धंसा ,

मुझे मालूम था क्या होना है इसके आगे , वही हुआ ,

अजय जीजू ने कस के मेरी पीठ दबोच रखी थी , लंड उनका मेरी बच्चेदानी तक धंसा

और पीछे से कमल जीजू ने अपना लंड मेरी गांड में , पहले धक्के में ही गांड का छल्ला पार
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मैं रो रही थी चिल्ला रही थी और कमल जीजू कस कस के मेरी गांड मार रहे थे , अजय जीजू बस घुसाए
७-८ मिनट तक सिर्फ कमल जीजू के धक्के ,
उसके बाद दोनों जीजू ने मिलकर वो जुगल बंदी की , जैसे तय कर करके आये हों दोनों की अबकी कोमल साली की बुर और गांड दोनों के चिथड़े चिथड़े कर देंगे

और अजय का हर धक्का सीधे मेरी बच्चेदानी पर

कमल जीजू का हर धक्का गांड के एकदम आखिरी हिस्से पर ,
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दोनों के खूंटे का एक सूत भी बाहर नहीं रहता था , एक को मेरी बुर ने घोंट रखा था दुसरे को मेरी गांड ने।

और हर धक्के के साथ मेरी चीख निकलती थी , ...

यहाँ तक की दोनों जीजू लोगों की जबरदस्त चुदाई के बाद जब मैं झड़ रही थी , काँप रही थी , थरथरा रही , तब भी उन दोनों नालायक लड़कों ने , मेरे दोनों बदमाश जीजू ने रुकने को कौन कहे चोदने की रफ़्तार भी नहीं धीमी की , मेरी गांड भी मारी जाती रही बुर भी चोदी जाती रही , पूरी रफ़्तार से , ... साथ साथ।

झड़ने के बाद , लेकिन मैंने भी ,... अब गुड्डी की तरह कोई नौसिखिया तो थी नहीं , ... धक्के का जवाब धक्के से , आगे भी , पीछे भी ,

और साथ में निचोड़ना , मेरी प्रेम गली अजय के खूंटे को निचोड़ रही थी और पिछवाड़ा , कमल जीजू के खूंटे को ,


बहुत पहले मैंने सीख लिया था , लड़की का काम सिर्फ चुदवाना नहीं , चोदना भी है , और अपने साजन को तो मैं रोज चोदती थी , बिना नागा , और जब हम लोग वैसे भी बैठे रहते , बात करते रहते थे , तो भी अपनी आँखों से , अपने जुबना के उभार से , अपने सोना मोना को ,...

लेकिन अभी तो १०० % उसपर मेरी बहन का कब्जा था , हम लोगों के टीनेज अग्रीमेंट के मुताबिक़ और मेरा दोनों जीजू पर ,

हाँ दूसरी बार मैं झड़ी , तो साथ साथ पहले अजय जीजू मेरी चुनमुनिया में और फिर कमल जीजू मेरे पिछवाड़े ,
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और जब कमल जीजू ने निकाला बाहर तो एक बार फिर से मेरी चीख निकल गयी , अंदर जगह जगह रगड़ लग गयी थी।
Bahut hi badhiya komal ji.
 

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सुबह सबेरे
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अजय और कमल दोनों सो रहे थे , बीच में मेरी कच्ची कली , जस्ट जवान होती ननदिया , मैं कमल जीजू के पीछे चिपकी , मेरा हाथ उनके सीने पर , सरकते सरकते जाने अनजाने , मेरी उंगलिया जीजू के खूंटे के बेस पर ,...

मुझे लगा किसी और की भी उँगलियाँ उसे पकडे हैं ,

मैंने जरा सा उचक के ,... गुड्डी सो रही थी , पूरी नीद में , लेकिन उसका एक हाथ कमल जीजू के खूंटे पर और दूसरा अजय के ,


ये भी कम बदमाश नहीं , सोते हुए इनका भी एक हाथ मेरी बहन रीनू के उभार पर और दूसरा उसकी जाँघों के बीच , सीधे अपनी साली की चिकनी चमेली पर , सो वो भी रहे थे पूरी नींद में और उनकी साली भी एकदम चिपके ,...

और मुझे भी नींद आ गयी।

और जब सुबह मेरी नींद खुली तो मैं अजय और कमल जीजू दोनों के बीच,

गुड्डी अपने असली भतार, जिसकी वो रखैल थी, उससे एकदम चिपकी, कस के पकडे,
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जब मैं उठी , तो सब लोग अभी भी खूब गहरी नींद में सो रहे थे , अभी साढ़े छह बज रहे थे , बाहर बादल घिरे थे इसलिए सूरज का कोई सवाल नहीं था , मैंने परदे एक बार फिर ठीक कर दिए , जिससे अगर धूप हो भी तो अंदर इन लोगो के सोने में कोई ,...

पर मेरी बहन रीनू नहीं दिख रही थी,





लेकिन रीनू कहीं नहीं थी , मैंने बाथरूम में झांक लिया , वहां भी नहीं।
Superb Komal ji. Itna sundar
 
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