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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Sach bolu in one word absolute perfect description of war roomमिस्टर षणमुगम, पेंशन फंड,.... और हवा पलटी
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मीनल, अनुराधा दोनों की निगाहें मेरे चेहरे पर, फोन पर नाम साफ़ था, लेकिन मेरे मन में था की पता नहीं सांप का जो मंतर मैंने इतनी मेहनत से फूंका था, चला की नहीं।
फोन पर मिस्टर षणमुगम खुद थे और उनकी आवाज की चहक और खनक से पता चल गया की मंतर चल गया, उन्होंने सिर्फ एक लाइन बोली,
" डोंट वरी, आई नो यू र इन अ सूप। देयर वेयर सम प्रेशर्स, बट वी ओवरकेम, एंड वी आर विद यू, ....जस्ट होल्ड देम फॉर ट्वेंटी मिन्ट्स,.... एंड यस यू मस्ट नो सम मैजिक, थैंक्स सो मच, वो गॉट द ग्रीन लाइट, एंड प्रॉसेस विल बी कम्पलीट इन फोर फाइव डेज। आई में बी गोइंग देयर नेक्स्ट वीक,...."
मैं थैंक यू बोलता उसके पहले उन्होंने फोन काट दिया।
और हवा, माहौल, मूड सब बदल गया।
मेरे रिलैक्स्ड चेहरे को देख के अनु, मीनल सब के चेहरे पर चमक आ गयी और यहाँ तक की अनीस भी खुश हो गया और उसने हम सब की ओर बीयर के कैन उछाल दिए,
" एल आई सी, .....इन ट्वेंटी मिनिट्स " कह के मैंने थम्प्स अप दिया,
' होल्ड ट्रेडिंग फॉर फाइव मिनट्स, मीनल माइक में बोली और ऊँगली से पांच का इशारा किया और मेरी ओर मुड़ी, और कस के मुझे हग कर लिया,
और क्या हग किया, जबरदस्त।
किसी भी लड़की को सबसे पहले यही मालूम होता है की उसके बूब्स लड़के पर क्या असर डाल रहे हैं और मीनल की तो एक्स रे आयी थीं, १०० किमी दूर किस के प्रेशर कूकर में कौन सी दाल पक रही है वो देख सकती थी, किस इन्वेस्टर के जेब में कितना पैसा है तो मेरे ऊपर उसके जबरदस्त कड़क बूब्स का असर तो वैसे भी मेरे तम्बू में बम्बू से पता चल जा रहा था और मीनल अब जान बुझ के अपने बड़े बड़े कड़े कड़े बूब्स मेरे सीने से रगड़ रही थी, और वैसा जबरदस्त डीप फ्रेंच किस तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था और हाथ उसका सीधे मेरे खूंटे पे, कस कस के रगड़रही थी और पहले मुझसे बोली.
" स्साले, अभी इस बीयर दल की गांड न मारनी होती न तो अभी यहीं तुझे बिना चोदे न छोड़ती, लेकिन आज तो बम्बई से बिन चुदवाये नहीं जाएगा, इत्ता मजा आ रहा है, अब स्साले आएंगे गड्ढे में,.... "
और अनु की हालत उससे भी ज्यादा खराब, सामने स्क्रीन को देख के वो ऐसी अराउजड हो रही थी, अपनी जाँघे आपस में रगड़ रही थी , हाथ बार जींस की बटन पे जा के रुक जा रहे थे, आँखे मस्त हो रही थीं थी,
" अरे झड़ स्साली, किस गांडू से लजा रही है, इस चिकने से ,.... ये स्साला तो खुद हमारी हाल में है, एकदम तन्नाया है खोल दे बुलबुल "मीनल मस्ती से अनु को उकसाते बोली, खुद मीनल एकदम गर्मायी
और अनुराधा का हाथ उसकी जींस के अंदर, और क्या जबरदस्त ज्वालामुखी फूटा, भयंकर आर्गाज्म
और मुझसे छुड़ा के मीनल की भी हालत तो अनुराधा से भी ख़राब , दो मिनट तक कांपती रही, बस स्क्रीन को देखती, और झड़ना शुरू
फिर शिब्बू को देख के बोली,
" अबे तुझसे तो इन से कोई मतलब नहीं,.... तू लगा रह "
और अब मुझे दो बातें समझ में आ गयीं
एक तो शिब्बू, उसे लड़कियों से कोई मतलब नहीं था।
नहीं नहीं, लड़कियों के साथ लड़कों से भी मतलब नहीं था। खड़ा होता था, उसका भी, तनता भी और झड़ता भी लेकिन बस दो बातों से
एक तो मैथ्स के लम्बे लम्बे इक्वेशन से और दूसरे सबसे जटिल अलॉगर्थिम से, २१ साल की उम्र में उसने प्रिंसटन से प्योर मैथ्स में पी एच दी थी
वो बीयर भी नहीं पीता था लेकिन काफी अपने हाथ से ग्राइंड करके और बीन्स देख के उसकी हिस्ट्री बता दे, तो शिब्बू हमारे राइवल की कुंडली बनाने में लग गया वो किस लेवल तक जाएंगे और अनीस उन्हें हैक करने,
और अनु और मीनल सामने बोर्ड को देख के इसलिए गरमा रही थीं की अब उन्हें एक नोन इवेंट मालूम थीं जो राइवल को क्या उनके सपोर्ट्स को भी नहीं मालूम था और अब वो अच्छी तरह से मैनिपुलेट कर सकती थीं.
शेयर मार्केट में जहाँ जरा सी टिप लोगों की किस्मत बदल सकती थी, वहां हमें इतनी बड़ी टिप मिल गयी थी, जो अगले आधे घंटे के बाद सब ट्रेडिंग में उलट फेर कर देती। एक छोटे खिलाड़ी के लिए बड़ी खबर होती, और मीनल ऐसी जबरदस्त स्टॉक मार्केट की मछली के लिए तो उथल पुथल करने के लिए काफी थी , फिर जैसे ही एक बड़ा इन्वेस्टर हमारी ओर आता, एकदम से मार्केट का कॉन्फिडेंस मूड सब चेंज होता,
पहली बार मैं देख रहा था बिजेनस का एक्ससाइटमेंट, अराउजल, किसी हालत में सेक्सुअल अराउजल से कम नहीं होता, बल्कि देखने के साथ महसूस भी कर रहा था, न सिर्फ अनुराधा और मीनल की देह में बल्कि अपनी देह में, मेरा भी एकदम तन्नाया हुआ, खड़ा, पागल बौराया था। अभी दो मिनट पहले तक लग लग रहा था की बाजी हम लोगों के हाथ से निकल गयी पर अब एक मौका था, हारी बाजी पलटने का, और जबरदस्त मौका, सोच सोच के ही, पूरी देह में एक जोर का नशा था, बस मौका मिले और, पेल दे
दोनों लड़कियां अभी भी आर्गाज्म के असर में थी,
सामने स्क्रीन पे शेयर्स को देखते हुए और ये इन्फो जो और किसी के पास नहीं थी, हम सब अराउजड थे,
जैसे किसी साँड़ के सामने कोई कोमल कच्ची बछिया आ जाए और साँड़ अपना फुट भर का निकाल के, फुफकारते हुए, चढ़ने के लिए बेताब हो जाए, जैसे गाँव का कोई कड़ियल खूब खेला खाया मर्द, जिससे पूरे गाँव की कोई ब्याही, अनब्याही न बची हो, और वो स्कूल में पढ़ने वाली किसी कच्ची अमिया के पीछे पड़ा हो, वो खुद चल के उसके पास गन्ने के खेत में आ रही हो और वो बार बार लंगोट में बंद अपने अजगर को पुचकार रहा हो, समझा रहा हो, मिलते ही ठेल दूंगा, चिंचियाती रहेगी स्साली, जिन्नगी भर याद करेगी, पहली चुदाई,
एकदम वही हालत अभी थी हम तीनो की,
अनुराधा तो झड़ने के बाद भी एकदम गर्मायी थी, कस कस के टेबल को दबोच रही, और मेरी हालत भी कम तन्नाई नहीं थी
लेकिन अब हम सब जैसे एक देह हो गए थे, जिसका दिमाग मीनल हो, और दस गुनी स्पीड से अपना काम कर रहे थे,
अनुराधा सब टीमों को तैयार कर रही थी, बिना ये नयी इन्फो बताये,
मैं नेटवर्क का काम कर रहा था, दिल्ली, न्यूयार्क, सिनसिनाटी, बात, मेसेज और साथ में मिडिया और बिजनेस एनलिटिक्स का और जो पता चला , हमारे ऊपर अटैक करने वाले छुटभैयों के बारे में, कौन से सिर्फ शेल कम्पनी हैं, किसकी कहा कमजोरी है, सब कुछ
Thanks for the first comment on this post, The story has moved back from Bombay, as you wished.Sa
Sach bolu in one word absolute perfect description of war room
Story pads kar hamko bhi orgasm ho raha hai. Very very good update.मिस्टर षणमुगम, पेंशन फंड,.... और हवा पलटी
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मीनल, अनुराधा दोनों की निगाहें मेरे चेहरे पर, फोन पर नाम साफ़ था, लेकिन मेरे मन में था की पता नहीं सांप का जो मंतर मैंने इतनी मेहनत से फूंका था, चला की नहीं।
फोन पर मिस्टर षणमुगम खुद थे और उनकी आवाज की चहक और खनक से पता चल गया की मंतर चल गया, उन्होंने सिर्फ एक लाइन बोली,
" डोंट वरी, आई नो यू र इन अ सूप। देयर वेयर सम प्रेशर्स, बट वी ओवरकेम, एंड वी आर विद यू, ....जस्ट होल्ड देम फॉर ट्वेंटी मिन्ट्स,.... एंड यस यू मस्ट नो सम मैजिक, थैंक्स सो मच, वो गॉट द ग्रीन लाइट, एंड प्रॉसेस विल बी कम्पलीट इन फोर फाइव डेज। आई में बी गोइंग देयर नेक्स्ट वीक,...."
मैं थैंक यू बोलता उसके पहले उन्होंने फोन काट दिया।
और हवा, माहौल, मूड सब बदल गया।
मेरे रिलैक्स्ड चेहरे को देख के अनु, मीनल सब के चेहरे पर चमक आ गयी और यहाँ तक की अनीस भी खुश हो गया और उसने हम सब की ओर बीयर के कैन उछाल दिए,
" एल आई सी, .....इन ट्वेंटी मिनिट्स " कह के मैंने थम्प्स अप दिया,
' होल्ड ट्रेडिंग फॉर फाइव मिनट्स, मीनल माइक में बोली और ऊँगली से पांच का इशारा किया और मेरी ओर मुड़ी, और कस के मुझे हग कर लिया,
और क्या हग किया, जबरदस्त।
किसी भी लड़की को सबसे पहले यही मालूम होता है की उसके बूब्स लड़के पर क्या असर डाल रहे हैं और मीनल की तो एक्स रे आयी थीं, १०० किमी दूर किस के प्रेशर कूकर में कौन सी दाल पक रही है वो देख सकती थी, किस इन्वेस्टर के जेब में कितना पैसा है तो मेरे ऊपर उसके जबरदस्त कड़क बूब्स का असर तो वैसे भी मेरे तम्बू में बम्बू से पता चल जा रहा था और मीनल अब जान बुझ के अपने बड़े बड़े कड़े कड़े बूब्स मेरे सीने से रगड़ रही थी, और वैसा जबरदस्त डीप फ्रेंच किस तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था और हाथ उसका सीधे मेरे खूंटे पे, कस कस के रगड़रही थी और पहले मुझसे बोली.
" स्साले, अभी इस बीयर दल की गांड न मारनी होती न तो अभी यहीं तुझे बिना चोदे न छोड़ती, लेकिन आज तो बम्बई से बिन चुदवाये नहीं जाएगा, इत्ता मजा आ रहा है, अब स्साले आएंगे गड्ढे में,.... "
और अनु की हालत उससे भी ज्यादा खराब, सामने स्क्रीन को देख के वो ऐसी अराउजड हो रही थी, अपनी जाँघे आपस में रगड़ रही थी , हाथ बार जींस की बटन पे जा के रुक जा रहे थे, आँखे मस्त हो रही थीं थी,
" अरे झड़ स्साली, किस गांडू से लजा रही है, इस चिकने से ,.... ये स्साला तो खुद हमारी हाल में है, एकदम तन्नाया है खोल दे बुलबुल "मीनल मस्ती से अनु को उकसाते बोली, खुद मीनल एकदम गर्मायी
और अनुराधा का हाथ उसकी जींस के अंदर, और क्या जबरदस्त ज्वालामुखी फूटा, भयंकर आर्गाज्म
और मुझसे छुड़ा के मीनल की भी हालत तो अनुराधा से भी ख़राब , दो मिनट तक कांपती रही, बस स्क्रीन को देखती, और झड़ना शुरू
फिर शिब्बू को देख के बोली,
" अबे तुझसे तो इन से कोई मतलब नहीं,.... तू लगा रह "
और अब मुझे दो बातें समझ में आ गयीं
एक तो शिब्बू, उसे लड़कियों से कोई मतलब नहीं था।
नहीं नहीं, लड़कियों के साथ लड़कों से भी मतलब नहीं था। खड़ा होता था, उसका भी, तनता भी और झड़ता भी लेकिन बस दो बातों से
एक तो मैथ्स के लम्बे लम्बे इक्वेशन से और दूसरे सबसे जटिल अलॉगर्थिम से, २१ साल की उम्र में उसने प्रिंसटन से प्योर मैथ्स में पी एच दी थी
वो बीयर भी नहीं पीता था लेकिन काफी अपने हाथ से ग्राइंड करके और बीन्स देख के उसकी हिस्ट्री बता दे, तो शिब्बू हमारे राइवल की कुंडली बनाने में लग गया वो किस लेवल तक जाएंगे और अनीस उन्हें हैक करने,
और अनु और मीनल सामने बोर्ड को देख के इसलिए गरमा रही थीं की अब उन्हें एक नोन इवेंट मालूम थीं जो राइवल को क्या उनके सपोर्ट्स को भी नहीं मालूम था और अब वो अच्छी तरह से मैनिपुलेट कर सकती थीं.
शेयर मार्केट में जहाँ जरा सी टिप लोगों की किस्मत बदल सकती थी, वहां हमें इतनी बड़ी टिप मिल गयी थी, जो अगले आधे घंटे के बाद सब ट्रेडिंग में उलट फेर कर देती। एक छोटे खिलाड़ी के लिए बड़ी खबर होती, और मीनल ऐसी जबरदस्त स्टॉक मार्केट की मछली के लिए तो उथल पुथल करने के लिए काफी थी , फिर जैसे ही एक बड़ा इन्वेस्टर हमारी ओर आता, एकदम से मार्केट का कॉन्फिडेंस मूड सब चेंज होता,
पहली बार मैं देख रहा था बिजेनस का एक्ससाइटमेंट, अराउजल, किसी हालत में सेक्सुअल अराउजल से कम नहीं होता, बल्कि देखने के साथ महसूस भी कर रहा था, न सिर्फ अनुराधा और मीनल की देह में बल्कि अपनी देह में, मेरा भी एकदम तन्नाया हुआ, खड़ा, पागल बौराया था। अभी दो मिनट पहले तक लग लग रहा था की बाजी हम लोगों के हाथ से निकल गयी पर अब एक मौका था, हारी बाजी पलटने का, और जबरदस्त मौका, सोच सोच के ही, पूरी देह में एक जोर का नशा था, बस मौका मिले और, पेल दे
दोनों लड़कियां अभी भी आर्गाज्म के असर में थी,
सामने स्क्रीन पे शेयर्स को देखते हुए और ये इन्फो जो और किसी के पास नहीं थी, हम सब अराउजड थे,
जैसे किसी साँड़ के सामने कोई कोमल कच्ची बछिया आ जाए और साँड़ अपना फुट भर का निकाल के, फुफकारते हुए, चढ़ने के लिए बेताब हो जाए, जैसे गाँव का कोई कड़ियल खूब खेला खाया मर्द, जिससे पूरे गाँव की कोई ब्याही, अनब्याही न बची हो, और वो स्कूल में पढ़ने वाली किसी कच्ची अमिया के पीछे पड़ा हो, वो खुद चल के उसके पास गन्ने के खेत में आ रही हो और वो बार बार लंगोट में बंद अपने अजगर को पुचकार रहा हो, समझा रहा हो, मिलते ही ठेल दूंगा, चिंचियाती रहेगी स्साली, जिन्नगी भर याद करेगी, पहली चुदाई,
एकदम वही हालत अभी थी हम तीनो की,
अनुराधा तो झड़ने के बाद भी एकदम गर्मायी थी, कस कस के टेबल को दबोच रही, और मेरी हालत भी कम तन्नाई नहीं थी
लेकिन अब हम सब जैसे एक देह हो गए थे, जिसका दिमाग मीनल हो, और दस गुनी स्पीड से अपना काम कर रहे थे,
अनुराधा सब टीमों को तैयार कर रही थी, बिना ये नयी इन्फो बताये,
मैं नेटवर्क का काम कर रहा था, दिल्ली, न्यूयार्क, सिनसिनाटी, बात, मेसेज और साथ में मिडिया और बिजनेस एनलिटिक्स का और जो पता चला , हमारे ऊपर अटैक करने वाले छुटभैयों के बारे में, कौन से सिर्फ शेल कम्पनी हैं, किसकी कहा कमजोरी है, सब कुछ
Chalo ab komal or uske sajan ka ek dhasu Milan dekhne ko milega or mujhe nahi lagta komal koi gane kheligi khud kud padegi apne sajan ki Godd meबात रात की
सब समेटते हुए रात लग गयी . दो मुद्दे बचे थे जो खुद हैंडल करने थे और वो आसानी से हैंडल हो गए। वो लड़की जिसे मिसेज दीर्घलिंगम को फंसाने का काम दिया गया था, उसे एजेंसी वालों ने शाम चार बजे ही उठा लिया और उसी तरह जिस लड़के ने मिस दीर्घलिंगम को पटा रखा था और एक रेव पार्टी में ले जा रहा था जहाँ ढेर सारी हार्ड ड्रग्स मिस दीर्घलिंगम के पास से मिलतीं, उस लड़के को ही एन सी बी वालों ने पकड़ लिया और उसके सारे प्लान की रिकार्डिंग भी मिस दीघलिंगम को सुना दी गयी। रेव पार्टी कैंसिल हो गयी और मिस दीर्घलिंगम रास्ते से ही सात बजे तक घर लौट आयीं, लेकिन इन दोनों आपरेशन की जानकारी न तो मिस्टर दीर्घलिंगम को थी न ग्लोबल आफिस को।
शाम को निकलने के पहले मीनल ने बोला तो था की मिलते हैं ब्रेक के बाद, लेकिन उन्हें कुछ लगा नहीं की कब कहाँ कैसे ?
डिनर पर वो दीर्घलिंगम साहेब से मिले जहाँ दिन भर की कम्पनी की उथल पुथल के बारे में पता चला।
मिस्टर दीर्घलिंगम के साथ लेट नाइट कांफ्रेंस में आगे की स्ट्रेटजी इन्होने तय की। रात के डिनर में सिर्फ ये और मिस्टरदीर्घलिंगम थे और तब इन्हे समझ में आया दिल्ली के जिन लोगों ने उन्हें सपोर्ट किया था उसका असली खेल क्या था
बहुत कोशिश करने पर भी सेंसेक्स ऊपर नहीं जा रहा था ,
मार्केट का मूड नहीं चेंज हो रहा था और उन्हें एक किक स्टार्ट के मौके की तलाश थी। और एक बार लोग मार्केट में वापस आ गए तो , एन बी ऍफ़ सी , म्युचुअल फंड्स हर जगह से लोग इन्वेस्टमेंट करने से कतरा रहे थे ,
और सबसे ज्यादा खुश फंड मैनेजर थे , जो कल तक इनलोगों के फोन नहीं उठाते थे , वो बाहर बैठ कर वेट कर रहे थे।
एक मीटिंग और बची थी, जिसके बारे में उन्होंने दीर्घलिंगम को भी नहीं बताया, और एक बार फिर रात में दस बजे बी के सी में अमेरिकन कौंसुलेट में थे और फिर एक घंटे कम्पनी के ग्लोबल आफिस से सिक्योर रूम से, और आज के बारे में कुछ भी बात नहीं हुयी। यह टीम मिडल टर्म और लांग टर्म स्ट्रेटजी डिस्कस करती थी, लेकिन जब वो बाहर निकले तो एक प्लीजेंट सरप्राइज मिली।
लेकिन उसके पहले एक वार्निंग भी मिल चुकी थी, कौंसुलेट में पहुँचने के पहले, वही काउंटर इंटेलिजेंस वाला, रात में आपके पीछे कई लोग रहेंगे और हर होटल पे नजर रहेगी तो रात में होटल अवॉयड करिये।
फ्लाइट तो उनकी सुबह की थीं तो रात,
और बाहर मीनल मिली, अपनी हार्ले डेविडसन पर और उनकी ओर हेलमेट बढ़ा दिया, न पुछा ना ताछा। पक्की बाइकर बेब लग रही थी, देख के कोई सोच नहीं सकता था इसी लड़की ने आज शेयर मार्केट को पलट के रख दिया
थोड़ी देर में वो लोग बांद्रा के एक पब में थे और फिर एक बजे तक लोखंडवाला के मीनल के पैड पर। उन्होंने कुछ बोलने की कोशिश की तो मीनल का जवाब मिल गया
" मालूम है मुझे तेरी फ्लाइट का टाइम, सुबह का, घंटे भर से पहले छोड़ दूंगी /
मीनल के पैड पर क्या हुआ, ये सब आपकी कल्पना पर,.... लेकिन दोनों में से कोई नहीं सोया और टाइम पर एयरपोर्ट पर मीनल ने उन्हें छोड़ दिया।
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वो अगले दिन सुबह,.... बृहस्पतिवार को लौट पाए , पर उन्हें सीधे आफिस जाना था ,
मैंने उन्हें कई बार मेसेज किया, पर मीटिंग कांफ्रेस , ट्रैफिक जाम ,
ही मिस्ड बाई अ व्हिस्कर। उनके आते आते देर हो गयी थी .
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नहीं नहीं मुलाक़ात हो गयी थी दोनों की।
Ufff mast chhokri hai Chhaya Kaur.छाया कौर
मैं, छाया, छाया कौर, रीमा की फ्रेंड, छाया ने हाथ बढ़ाया और मिस्टर चौधरी ने हाथ बढ़ाया और जब तक वो बोले की वो कौन है, छाया ने कस के उनके हाथ को दबा के बोला,
" मुझे मालूम है, आप रीमा के कजिन न, स्साली ने कभी बताया नहीं इत्ता हंग हैंडसम छुपा के रखा है "
बजाय उसे करेक्ट करने के उसका हाथ पकडे, मिस्टर चोधरी ने उसके रैकेट को पकडे हाथ की ओर देख के पूछा,
" हे यू एन्जॉय टेनिस ?"
" जस्ट लर्निंग तो होल्ड द रैकेट, बस अभी पकड़ना सीख रही हूँ "
और अब छाया की निगाह भी सीधे उनके अंगड़ाई लेते बल्ज पे थी तो वो भी डबल मीनिंग डायलॉग में बोली और इतना इशारा काफी था, मिस्टर चौधरी के लिए, वो बोले
" अरे पकड़ना सीख गयी तो इतना काफी है, और मैं भी थोड़ा बहुत खेल लेता हूँ एंड आई फोकस ऑन द बॉल्स, सिर्फ बॉल्स दिखती हैं मुझे और उसके बाद तो सब आसान है "
जिस तरह से वो खुल के उसके आ रहे उरोजों को घूर रहे थे, छाया समझ गयी थी उसकी दुनाली चल गयी है, जोबना का जादू सबसे तगड़ा होता है टीनेजर्स का, जिअसे सुबह का सूरज बस निकल रहा हो, लालछाही लिए, बहुत किस्मत वालों को कच्ची अमिया कुतरने को मिलती हैं। "
और तबतक उनकी बेटी रीमा निकल आयी और कस के छाया को हग कर के बोली, " डैडी माई क्लोजेस्ट, स्वीटेस्ट फ्रेंड, छाया,
छाया कौर, और ये टेनिस सीखना चाहती है तो आप इसे अपने क्लब में इंट्री दिला दीजिये न " बड़े लाड़ से इठलाते हुए रीमा बोली।
" एकदम पक्का " और एक बार फिर टेनिस बॉल्स पे मिस्टर चौधरी ने नजर डाली, और जब मुड़ के दोनों लड़कियां बाहर निकली तो मिस्टर चौधरी की निगाह, मिस कौर के पिछवाड़े, शर्ट्स एकदम दरारों के बीच घुसा चिपका, और साफ़ था की वो जान बूझ के अपने चूतड़ कुछ ज्यादा ही मटका रही थी, और चौधरी के कान भी दोनों टीनेजर्स की बात से चिपके हुए थे,
" यार, योर डैडी इज सो हॉट, हार्ड एंड हंक, " छाया की आवाज थी, और खिखिलाते हुए रीमा बोली,
" क्यों, डैडी हॉट, हार्ड और हंक नहीं हो सकते क्या, यार तुझे लाइन मारना हो मार ले, रगड़ के रख देंगे, मेरी गारंटी "
और बात दो तीन दिन बाद ही आगे बढ़ गयी, जब छाया, एक ज्वाइंट स्टडी के नाम पर फिर से आयी, मिस्टर चौधरी के कमरे में सीधे धड़धड़ाते,
और मिस्टर चौधरी अपना बेयरली अडल्ट हॉट टीन वाला कलेक्शन देख रहे थे, लेस्बो हाईस्कूल क्वींस, और छाया कौर की नजर पड़ गयी, उसके जोबन एकदम पथरा गए, निप्स बरछी हो गए और जाँघों के बीच लसलस होने लगा, लेकिन तबतक मिस्टर चौधरी की निगाह पड़ी और उन्होंने झट से लैपटॉप का टैब चेंज किया, और बोले,
" बेटा रीमा तो ट्यूशन के लिए गयी है अभी बस आ ही रही होगी, तुम बैठो मैं जरा वाशरूम हो के आता हूँ " और खुद उठ के खड़े होगये, और छाया ने सीधे लैपटॉप के सामने वाली चेयर हथियाई, और मुस्करा के बोली,
" श्योर और अगर आप माइंड न करें तो मैं अपनी मेल जरा आपके लैपटॉप पे खोल के देख लूँ, कुछ मैटीरियल मैंने रीमा को भेजा था ज्वाइंट स्टडी के लिए बस और इंस्टा पे स्टेटस अपडेट करनी है "
और छाया ने अपनी मेल खोल ली और उसके बाद इंस्टा लेकिन वो जैसे ही बाथरूम में घुसे, उसने बैक स्पेस कर के न सिर्फ कौन सी मूवीज वो देख रहे थे वो चेक की, और नेट की हिस्ट्री से ढेर सारी बेयरली अडल्ट टाइप साइट्स और उनके पास वर्ड्स भी,
उसे पता चल गया था की चौधरी साहेब को क्या पसंद है, और अपनी पेन ड्राइव में वो ढेर सारी पिक्स भी
चोधरी जी ने कैमरा ऑन किया, और थोड़ी देर में बंद कर दिया, टिपिकल, दोनों लड़कियां पढ़ रही थीं, फिर पिलो फाइट, थोड़ी गाली गलौज, और उसके बाद उनकी बेटी ने फिर से किताब खोल ली, दोनों का कोई वाइवा होने वाला था, और मिस्टर चौधरी ने कैमरा बंद कर के लैपटॉप में लेस्बो टीन्स देखनी शुरू कर दी, पर आधे घंटे बाद फिर उन्होंने अपनी बेटी के कमरे का कैमरा ऑन कर दिया।
लैपटॉप वाली फिल्म कुछ नहीं थी और सबसे ज्यादा बदमाशी छाया कर रही थी
" हे खोल स्साली, क्या छुपा रखा है " बड़ी ताकत थी उस लड़की में एक झटके में रीमा की लेंगिंग खींच के और उसकी छाया की जीभ सीधे बुलबुल की दोनों फांको को फैला के, और कितनी वैरायटी आती थी उस लड़की को और साथ में उसके हाथ भी, और साथ में दोनों टीन्स उनके बारे में बात भी कर रही थी, शरूआत उनकी बेटी ने ही,
" स्साली, डैडी का ऐसे चूसेगी तो वो खुश ही हो जाएंगे "
" तो तू स्साली क्या सोचती हैं, छोडूंगी ? अरे निचोड़ के रख दूंगी, लेकिन पहले उस चौधरी चोदू की बेटी को झाड़ दूँ " एक पल के लिए मुंह हटा के छाया कौर बोली और खूब कस कस के
लेकिन वो डॉमिनेट भी करती थी, " चल स्साली, चूस चूस के झाड़, अब यहाँ स्साला तेरा बाप तो हैं नहीं मुझे चोदने वाला " छाया हड़काते बोली।
और दो घंटे से ज्यादा, बारी बारी से, साथ साथ ६९,
और अगले दिन सुबह छाया ने क्लियर ग्रीन सिग्नल दे दिया, लेकिन असली बात मौका देखकर चौका मारने की थी और वो भी चौधरी को मिल गया बस हफ्ते के अंदर,
अब छाया कौर, रीमा चौधरी और उनके पिता के बीच में भी दूरिया कम करने और बीच बचाव करने का काम करती थी, और मुद्दा था, रीमा की बर्थडे का जो वो अपने फ्रेंड्स के साथ मानना चाहती थी, और मिस्टर चौधरी अपनी एकलौती बेटी की बर्थडे पर रहना चाहते थे। मामला छाया ने ही सुलझाया, पहले घर में, रीमा, छाया और एक दो और सहेलियां और केक कटिंग, उसके डैडी के सामने, उसके बाद वो सब सहेलियां अपनी पार्टी में चली जाएंगी,
और बड़ा सा केक, शैम्पेन सब कुछ आर्डर हुआ, रीमा की दो और सहेलिया, संजना और शिल्पा भी आयीं, लेकिन केक कटने के ठीक बाद, छाया को माइग्रेन शुरू हो गया, तय यह हुआ की रीमा संजना और शिल्पा के साथ पार्टी में चली जाएंगी और छाया, माइग्रेन ठीक होने तक वहीँ रहेगी और अगर दर्द ठीक हो गया तो आ जायेगी।
लेकिन जो मिस्टर चौधरी का शक था वो सही था, छाया को दर्द ' कहीं और ' हो रहा था। रीमा के जाने के दस मिनट के अंदर न सिर्फ दर्द ठीक हुआ। , बल्कि, ' केक भी काटा गया " और एक दो बार नहीं पूरे तीन बार, और पूरी मस्ती के साथ,
और एक बार बाँध टूट जाए तो कौन रोक पाता है जवानी का जोश, फिर हफ्ते में दो तीन बार कम से कम और कई बार तो स्कूल छोड़ के चौधरी के साथ किसी होटल में तो कभी रिसार्ट में लेकिन नतीजा था की छाया की अटेंडेंस कम हो गयी
------चलिए अब ये किशोरी छाया इस कहानी में आ ही गयी है और न सिर्फ मिस्टर चौधरी बल्कि कम्पनी की जिंदगी में भी मिस कौर का बड़ा असर पड़ने वाला है तो थोड़ा सा इस टीनेजर की शुरूआती जिंदगी के पन्ने पलट ले। छाया कौर के पैरेंट्स अच्छे खासे अपर मिडल क्लास वाले, लेकिन सेपेरेटेड थे और अब डायवोर्स भी हो चुका था और इसलिए करीब तीन चार साल से वो बॉर्डिंग में थी, अरेजमेंट कुछ ऐसा था की एक ज्वाइंट अकाउंट था जिसमे से हर महीने का खर्चा बोर्डिंग को मिलता था और छाया को उनका अलाउएंस भी। पहले बारी बारी से महीने में एक बार पिता और माँ आते थे लेकिन पिता उसके अब स्टेटस में सेटल्ड हो चुके थे इसलिए साल में कभी एक बार आये तो आये और माँ ने भी छह महीने पहले बॉम्बे छोड़ दिया था और उन्होंने दिल्ली में डेरा जमा लिया था, वो दिल्ली में महारानी बाग़ की मशहूर सोशलाइट थी और इवेंट मैनेजेमेंट से लेकर कॉर्पोरेट रिलेशंस तक के कामों से जुडी थी और अक्सर पेज तीन पर दिखती थीं, एक बार मिस्टर चौधरी से उनकी पैरेंट टीचर्स मीटिंग में मुलाक़ात भी हुयी बस उसके बाद उन्होंने बोर्डिंग स्कूल हर जगह लोकल गार्जियन में उन का नाम लिखवा दिया और अब तीन चार महीने में कभी किसी इवेंट में आयीं तो बात हो गयी या होटल में मुलाक़ात हो गयी।
कौर सिर्फ चौधरी के साथ मस्ती नहीं करती थी, उसे चौधरी साहेब की नजर और पसंद दोनों मालूम हो गयी थी, कच्ची कली, कोरी हो तो और अच्छी, और वो उन्हें चिढ़ाती भी रहती थी। किसी लड़की के कच्ची अमिया को अगर उन्होंने ज्यादा निगाहों से सहलाया तो वो वार्न भी कर देती थी,
" अरे अंकल, देखने में छोटे छोटे हैं, नीचे पतली संकरी गली नहीं, ८ लेन वाला एक्सप्रेसवे है, दो चार ट्रक तो हरदम दौड़ते रहते हैं। अरे असली कोरी वो देखिये, केसर क्यारी भी नहीं आयी है ठीक से, पसंद आयी हो तो पटाने का इंतजाम करूँ "
super strategy.चौधरी का चक्कर
तो छाया अपनी क्लास टीचर के पास मिस्टर चौधरी को ले गयी, अटेंडेंस के चक्कर में, और वो देखने में तो सुंदर थीं, अभी कालेज से पढ़ कर निकली, टेम्पोरेरी टीचर, अपने कालेज की स्वीमिंग चैम्पियन, पर स्टूडेंट्स पे एकदम चढ़ के रहती थीं और पैरेंट्स को घास नहीं डालती थीं। पर मिस्टर चौधरी ने उन की कुंडली अच्छी तरह निकाल ली थी, और जैसे ही उन टीचर ने भौहें चढ़ायीं, चौधरी साहेब ने तीर चला दिया
" नहीं नहीं मैं बच्चो की पढ़ाई और अटेंडेंस के बारे बात नहीं करने आया, जिसने जो करेगा वो सफर करेगा, आई लाइक टीचर टू बी टफ , हमारे जमाने में तो केनिंग होती थी, मैं सिर्फ आपसे ये रिक्वेस्ट करने आया था की प्रिंसिपल साहिबा से मिलवा दें और दूसरी बात बस आपसे मिलना था, छाया और रीमा दोनों आपकी बहुत तारीफ़ करती हैं और मैंने भी आपके बारे में तबसे सुना था की जब आप कालेज की स्वीमिंग चैम्पियन थीं, और ये दोनों लड़कियां भी स्वीमिंग सीखना चाहती हैं इसलिए,
अब वो टीचर बिफर पड़ी, " क्या बात करते हैं आप भी, स्वमिंग पूल नहीं है पोखर हैं यहाँ पे, फायर प्रोटेक्शन के नाम पे बनाया है और हर बार बस फंड फंड, मेरी जॉब को तो, लेकिन चलिए आप कहते हैं तो मिलवा देती हूँ प्रिंसी से लेकिन वो तो और "
और प्रिंसी के सामने मिस्टर चौधरी ने अपने पत्ते खोल दिए, मल्टीनेशनल कम्पनी के डायरेक्टर, सी यस आर फंड, स्पोर्ट्स और वोमेन एम्पॉवरमेंट और ये स्कूल तो उनका अपना, दो दो बेटियां, तो स्वीमिंग पूल अपग्रेडेशन के लिए वो फंड देंगे जो भी एजेंसी हो या वो खुद सुपरवाइज कर लेंगे, और एक परमानेंट इंचार्च भी होना चाहिए ये कंडीशन है तो ये जो टीचर हैं,
" लेकिन वो टेम्प हैं और हमारे पास साल भर तक कम से कम कोई फंड नहीं है " उनकी बात काट के प्रिंसी बोलीं,
" मैं वही कह रहा था, की हमारी फंडिंग सिर्फ कंस्ट्रक्शन के लिए नहीं बल्कि तीन साल के मेंटेनेंस के लिए है तो हम कम से कम तीन साल तक इनकी परमानेंट सैलरी उस में चार्ज कर देंगे, "
प्रिंसी का चेहरा एकदम ख़ुशी से भर गया, और उन्होंने तुरंत छाया की क्लास टीचर को और छाया को बुलवाया और सबसे पहले क्लास टीचर को बोलीं , " कांग्रेट्स सानिया, यू आर नाउ ऑन अवर परमानेंट रोल एंड वी विल हैव अ बेस्ट पूल इन टाउन, कर्टसी मिस्टर चौधरी "
" नो नो कर्टसी सानिया मैडम एंड छाया, सानिया मैडम का नाम स्वीमिंग की दुनिया में बहुत ऊँचा है। और डिटेल्स मैं मैडम से बात कर लूंगा और एक बात और थी, सी यस आर फंड का एक रूल था, हमारा एक प्रोग्राम था, जिसमे स्कूल गर्ल्स को वालंटियर करना था और हमने तय किया था की जिस स्कूल की लड़की सबसे ज्यादा टाइम देगी उसको हम अपनी तीन साल की पूरी कारपोरेट फंडिंग और सपोर्ट करेंगे , तो मिस कौर वान बाई अ लॉन्ग मार्जिन। लेकिन हम लोगो की गलती थी की हमने ये ध्यान नहीं दिया की बेचारी की अटेंडेंस इस चैरिटी के काम में कम हो गयी और इसका एक्जाम खतरे में पड़ गया। ऑवर फाल्ट एंटायरली बट रूल्स आर रूल्स "
" नहीं नहीं वी विल टेक केयर मिस सानिया विल सब्मिट अ रिपोर्ट आप एक सर्टिफिकेट दे दीजिये, कालेज इज प्राउड आफ हर "एंड आप को पता नहीं कितना फरक पड़ेगा, हमारी रैंकिंग और मैनेजेमेंट विल बी थैंकफुल लेकिन कब तक हो पायेगा, कोई पेपर मिल जाता "
प्रिंसी बोली और अब छाया की क्लास टीचर को अपनी निगाह से निहारते चौधरी साहेब ने तीर चल दिया
" बस आज अगर मिस सानिया थोड़ा टाइम निकाल के "
" श्योर व्हाई नाट" प्रिंसी खुश हो के बोली।
और बाहर निकलते ही लेट इवनिंग ट्राइडेंट ओबेराय में बी के सी में मिस सानिया से एस्टीमेट के बारे में बात करनी तय हुयी , ०२२ में मिलाना तय हुआ। छाया कौर मुश्किल से मुस्कराहट रोक रही थी, कितनी बार मिस्टर चौधरी के साथ, वहां पर लेकिन बात वाइन से शुरू होती थी और सीधे स्यूट में शिफ्ट होती थी और वो भी रात भर, नान -स्टाप, स्साला अंकल अगवाड़ा पिछवाड़ा कुछ भी नहीं छोड़ता था।
छाया की क्लास टीचर के साथ भी यही हुआ, रात भर स्वीमिंग पूल की गहराई नापी गयी और स्ट्रेटजी के साथ बिस्तर पर भी मिस्टर चौधरी नंबरी खिलाड़ी थे, छाया की टीचर भी उनकी मुरीद हो गयी। और स्वीमिंग पूल के इनॉग्रेशन के पहले वाली रात तो थ्रीसम भी छाया, और मिस्टर चौधरी के साथ उसी होटल में
और कच्ची कलियों के लिए छाया ने एक और रास्ता बताया, जिम टीचर, जबरदस्त कन्या रस की शौक़ीन लेकिन बाई भी, मतलब मर्दो से परहेज नहीं था पर कुँवारी लड़कियों को निचोड़ के रख देती थीं वो, तो फिर बस वही, सी एस आर, जिम टीचर को परमानेंट और जिम अपग्रेडेशन और फिर छाया से एक दो साल कम क्लास वालियां भी
लेकिन जिम और स्वीमिंग पूल की फंडिंग के बाद उस साल के एनुअल फंक्शन में कालेज ने चौधरी साहेब को गेस्ट ऑफ़ हॉनरबांया और उनकी मुलाक़ात मिसेज सोमानी से हुयी, मैनेजिंग कमिटी की चेयरपरसन और महिलाओं को तो एकदम मुरीद बना लेते थे तो बस चौधरी साहेब न सिर्फ उस कालेज की बल्कि सोमानी लोगों से जुड़े दो चार और आर्गनाइजेशन में मैनजेम्नेट में घुस गए।
और एक दिन वो एक बार में बैठे उसी जिम टीचर का इन्तजार कर रहे थे, उसका मेसेज आया था की वो ट्रैफिक में है और बस दस मिनट में पहुँच रही है, और कोई उनके पास दो ब्राउन एनवेलप दे गया।
जैसे उन्होंने पहला एनवेलप खोला उन्हें जोर का झटका जोर से लगा, उनकी कुछ पिक्स थीं, कुछ कोरी कच्ची कलियों के साथ, इन्ट्मेट, लेकिन ज्यादा नहीं, टॉपलेस, लैपटॉप टाइप, पर उस पिक्स के नीचे एक नोट लिखा था जो ज्यादा झटका देने वाले था, ' क्या आप अपनी कम्पनी के कंट्री हेड बनाना चाहते हैं ? अगर हाँ तो आपको इन पिक्स से परेशान होने की जरूरत नहीं है और अगर आपने दूसरा एनवेलप खोल लिया तो हम मानलेँगे की आपको हमारा प्रस्ताव मंजूर है। हाँ आप कैमरे की नजर में हैं और फिर दोनों लिफ़ाफ़े और पेपर फाड़ के डस्टबिन में डाल दीजियेगा। "
दूसरे लिफ़ाफ़े में कुछ नहीं था। लेकिन उसे खोलना ही काफी था और उसी के साथ वो जिम टीचर भी आ गयी।
और मिस्टर चौधरी की हर एक्टिविटी में जैसे एक्सीलेरेटर लग गया। वो जिस दरवाजे को छूते खुल जाता। बैंकिंग, मिडिया, फायनेंस नेट्वर्किंग में तो वो गजब के थे ही लड़कियां तो १४ से ४४ तक की उनकी बातों से ही सुपर इन्फुलेन्सड हो जाती थीं। और वह कम्पनी के पब्लिक फेस होते चले गए।
बीच बीच में इंस्ट्रक्शन मिलते थे लेकिन वो अपने आप ही जाल बुनने में काफी था, और वो जिसका चाहे विशवास जीत लेते थे, मिस्टर दीर्घलिंगम का तो पूरा परिवार उनका फैन था और कई बार बोर्ड मीटिंग में मिस्टर दीर्घलिंगम के न रहने पे उन्होंने ही चेयर की।
और डिपार्टमेंट हेड भले ही मिस्टर दीर्घलिंगम ठोंक बजा के अपने ख़ास रखते थे लेकिन धीरे सारे डिप्पार्टमेंट्स के नंबर ३,४, और ५ मिस्टर चौधरी के आदमी हो गए, सी यस आर, परचेज और टेंडर्स तो उन्होंने सीधे अपने अंडर में कर ही लिया था अब सारा सप्लाई चेन, सिक्योरटी और आई टी भी पुराने कांट्रैक्ट टर्मिनेट कर के अपने लोगों को दे दिया था।
उन दो लिफाफों के बाद जो उन्हें मेसेज मिला था उसमें उन्हें तीन महीने का समय बताया गया था। और फिर कुछ रिकार्ड्स की कॉपी, कुछ फाइलिंग में हेरफेर, कुछ रिपोर्टिंग और आडिट और फोरंसिक अकाउंटिंग में किसे रखा जाय
तीन दिन पहले उन्हें मेसेज मिला था उसमें आज के बोर्ड मीटिंग की बात थी और यह कहागया था की आज लंच के पहले ही एक कामोनी उनकी कामोनी के टेकओवर के लिए आएगी और वो टेक ओवर के बाद उसी दिन हुयी मीटिंग में एम् डी बन जाएंगे। अगर यह नहीं हुआ तो शेयर बाजार में बड़ी तेज उथल पुथल होगी, और उनकी कम्पनी आफ्टरनून तक टेक ओवर कर ली जायेगी। अगर कोई परेशानी हुयी तो भी शाम की मीटिंग में मिस्टर दीघलिंगम नहीं होंगे और वो ही चेयर करेंगे तो वो एक प्रोपजल से मिस्टर दीर्घलिंगम को तीन महीने की पेड़ लिव पर भेज दें और मर्जर का प्रोपजल पेश कर दें, कुछ और डायरेक्टर उनका साथ देंगे। अगर मिस्टर दीर्घलिंगम होंगे भी तो मेजारटी डायरेक्र उनका साथ देंगे।
तो जब नयी सिक्योरिटी टीम आयी तो उन्हें यही लगा की शाम तक वो एम् डी हो जाएंगे और अक्वीजिशन शुरू हो गया है।
Very very fine update with full technicality of stock market.बात रात की
सब समेटते हुए रात लग गयी . दो मुद्दे बचे थे जो खुद हैंडल करने थे और वो आसानी से हैंडल हो गए। वो लड़की जिसे मिसेज दीर्घलिंगम को फंसाने का काम दिया गया था, उसे एजेंसी वालों ने शाम चार बजे ही उठा लिया और उसी तरह जिस लड़के ने मिस दीर्घलिंगम को पटा रखा था और एक रेव पार्टी में ले जा रहा था जहाँ ढेर सारी हार्ड ड्रग्स मिस दीर्घलिंगम के पास से मिलतीं, उस लड़के को ही एन सी बी वालों ने पकड़ लिया और उसके सारे प्लान की रिकार्डिंग भी मिस दीघलिंगम को सुना दी गयी। रेव पार्टी कैंसिल हो गयी और मिस दीर्घलिंगम रास्ते से ही सात बजे तक घर लौट आयीं, लेकिन इन दोनों आपरेशन की जानकारी न तो मिस्टर दीर्घलिंगम को थी न ग्लोबल आफिस को।
शाम को निकलने के पहले मीनल ने बोला तो था की मिलते हैं ब्रेक के बाद, लेकिन उन्हें कुछ लगा नहीं की कब कहाँ कैसे ?
डिनर पर वो दीर्घलिंगम साहेब से मिले जहाँ दिन भर की कम्पनी की उथल पुथल के बारे में पता चला।
मिस्टर दीर्घलिंगम के साथ लेट नाइट कांफ्रेंस में आगे की स्ट्रेटजी इन्होने तय की। रात के डिनर में सिर्फ ये और मिस्टरदीर्घलिंगम थे और तब इन्हे समझ में आया दिल्ली के जिन लोगों ने उन्हें सपोर्ट किया था उसका असली खेल क्या था
बहुत कोशिश करने पर भी सेंसेक्स ऊपर नहीं जा रहा था ,
मार्केट का मूड नहीं चेंज हो रहा था और उन्हें एक किक स्टार्ट के मौके की तलाश थी। और एक बार लोग मार्केट में वापस आ गए तो , एन बी ऍफ़ सी , म्युचुअल फंड्स हर जगह से लोग इन्वेस्टमेंट करने से कतरा रहे थे ,
और सबसे ज्यादा खुश फंड मैनेजर थे , जो कल तक इनलोगों के फोन नहीं उठाते थे , वो बाहर बैठ कर वेट कर रहे थे।
एक मीटिंग और बची थी, जिसके बारे में उन्होंने दीर्घलिंगम को भी नहीं बताया, और एक बार फिर रात में दस बजे बी के सी में अमेरिकन कौंसुलेट में थे और फिर एक घंटे कम्पनी के ग्लोबल आफिस से सिक्योर रूम से, और आज के बारे में कुछ भी बात नहीं हुयी। यह टीम मिडल टर्म और लांग टर्म स्ट्रेटजी डिस्कस करती थी, लेकिन जब वो बाहर निकले तो एक प्लीजेंट सरप्राइज मिली।
लेकिन उसके पहले एक वार्निंग भी मिल चुकी थी, कौंसुलेट में पहुँचने के पहले, वही काउंटर इंटेलिजेंस वाला, रात में आपके पीछे कई लोग रहेंगे और हर होटल पे नजर रहेगी तो रात में होटल अवॉयड करिये।
फ्लाइट तो उनकी सुबह की थीं तो रात,
और बाहर मीनल मिली, अपनी हार्ले डेविडसन पर और उनकी ओर हेलमेट बढ़ा दिया, न पुछा ना ताछा। पक्की बाइकर बेब लग रही थी, देख के कोई सोच नहीं सकता था इसी लड़की ने आज शेयर मार्केट को पलट के रख दिया
थोड़ी देर में वो लोग बांद्रा के एक पब में थे और फिर एक बजे तक लोखंडवाला के मीनल के पैड पर। उन्होंने कुछ बोलने की कोशिश की तो मीनल का जवाब मिल गया
" मालूम है मुझे तेरी फ्लाइट का टाइम, सुबह का, घंटे भर से पहले छोड़ दूंगी /
मीनल के पैड पर क्या हुआ, ये सब आपकी कल्पना पर,.... लेकिन दोनों में से कोई नहीं सोया और टाइम पर एयरपोर्ट पर मीनल ने उन्हें छोड़ दिया।
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वो अगले दिन सुबह,.... बृहस्पतिवार को लौट पाए , पर उन्हें सीधे आफिस जाना था ,
मैंने उन्हें कई बार मेसेज किया, पर मीटिंग कांफ्रेस , ट्रैफिक जाम ,
ही मिस्ड बाई अ व्हिस्कर। उनके आते आते देर हो गयी थी .
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नहीं नहीं मुलाक़ात हो गयी थी दोनों की।
Wah Komalji wah. Aap ne to update ke sath maind me background music bhi baja dala. Minal ne khel to khel liya. Magar ab vo bhi janti thi ki dushman bhi game khelega. Aur vo bhi double speed se. Uske lie aap ne jo mast mast wards event kiye hai. Vo to kabile tarif hai. Minal ne fir ek bar bear ki chuski li. Aur unki duhai lekar fir chal padi. Dushmano ki mahtari chodne. Maza aa gaya Komalji.भाग २३९ -बंबई -बुधवार
वॉर २
घबड़ाहट, परेशानी और मीनल
३४,४५,263
सुबह से पहली बार मीनल को घबड़ाते देखा, लेकिन परेशान चेहरे पर उसने मुस्कान चिपकायी और अनु और सुब्बू के साथ मिल के बियर गटकने और बीयर लोगों को लेने की तैयारी में लग गयी,
मीनल ने मुझसे बोला था की स्साले अबकी और कस के हमला करेंगे, देखना गांड में मलहम वलहम लगा के घंटे डेढ़ घंटे में फिर से हाजिर होंगे, अपनी माँ का दूध पी के, लेकिन
ये जो फोन आ गया वो लग रहा था की जीती बाजी पलट देगा, क्योंकि तीन बातें एक साथ हमारे खिलाफ चली गयी थीं, जिनमे से एक भी बाजी पलटने के लिए काफी था,
पहली बात, मिस्टर बुल का खुद का फोन, जो जल्दी नहीं होता था, उसके चमचे ही बड़ी मुश्किल से लिफ्ट देते थे तो ये तो,
इसका मतलब बात सचमुच में बहुत सीरियस थी, दूसरे ये बात अगर उन्हें पता चली थी तो हमारे खिलाफ वालों को भी पता चल गयी होगी और जो अभी अपने घाव पर मलहम लगा रहे थे, वो तो जोश से उछल रहे होंगे ,
दूसरी बात थी, शेयर मार्केट का सिद्धांत, ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे हमने ठगा नहीं।
तो मिस्टर बुल, जो शेयर में उछाल चाहते थे और जिन्हे तगड़ा फायदा होता, वो भी घाटे का सौदा क्यों करते। अगर उन्हें लगता की हम पीछे हट रहे हैं और शाम तक कम्पनी अगर हमारे हाथ से निकल जायेगी तो वो नए लोगों से पंगा क्यों लेंगे ?
और तीसरी बात थी, कोई कितना भी बड़ा गुंडा क्यों न हो, अपनी गली का, अपने शहर का, लेकिन सरकार से बड़ा गुंडा कोई नहीं होता।
और सुबह से इंडिकेशन था की सरकार हमारे साथ थी, सुबह सुबह बीयर मार्केट के उस्तादों पर इंफोर्स्मेंट डायरेक्ट्रोरेट का छापा, सेबी का उनकी ट्रेडिंग बंद करना, बैंको का उनका अकाउंट फ्रीज करना और गवर्नमेंट इन्वेस्टर्स का हमारी कम्पनी में पैसा लगाना, मार्केट में बार बार यही मेसेज जा रहा था और जो किनारे पे बैठे, नदी की धार पर देख रहे थे, उनके लिए ये बहुत बड़ा सिग्नल था।
पर अगर सबसे बड़ा इन्वेस्टर ही हाथ खींच लेगा तो बड़ा मुश्किल था,...
और उसकी देखा देखी और लोग भी,
और अकेले मेरे और मीनल के बस का नहीं था.
हम लोगों ने धारा मोड़ दी थी, डूबती नाव को तेरा दिया था, किनारे की ओर मोड़ दिया था, हवा का रुख बदला था, लेकिन किनारे तक पहुँचाना अकेले हमारे बस का नहीं था।
पर कहते हैं न सांप के काटे का भी मंतर होता है तो इस मामले में भी कुछ काट तो होगी ही और वो बात और काट दोनों मैंने सोच ली थी और इस समय भले ही न्यूयार्क में रात हो, लेकिन अभी तुरंत ही वहां कुछ होना होगा, इसलिए उन्होंने ग्लोबल हेडक्वार्टर को आगाह किया था और दुबारा सीधे एक बार फिर अपने स्ट्रेटजी वाले को फोन किया था, कुछ भी करके, कुछ भी हो, अगर कम्पनी को बचाना हो तो,....
पर अब सब कुछ वहां के हाथ में था
और यहाँ मीनल जो कुछ कर सकती थी, कर रही थी।
अभी ट्रेडिंग का काम उसने शिब्बू के हवाले कर दिया था, एक आँख से वो बोर्ड्स को देख रही थी और दूसरी ओर अनुराधा से मिल के फोन पे बात कर कर के अपनी टीम की हिम्मत बढ़ा रही थी, रिसोर्सेज इकठ्ठा कर रही थी।
एकदम जैसा मीनल ने बोला था,
ठीक एक घंटे बाद, हमला शुरू हुआ, लेकिन डेढ़ घंटे में वो तूफ़ान में बदल गया, जैसे सुनामी आ गयी हो, वो भंवर में फंस गए हो,
पहले हमारी सपोर्टिंग इंडस्ट्रीज, ब्रोकरेज फर्म पे हमला हुआ, और पंद्रह मिनट में लग गया की उन्हें बचाना अब मुश्किल होगा,
फिर ढेर सारी नयी नयी छोटी कम्पनियां, इन्वेस्टर्स, अब हमारे शेयर को बेच रहे थे, और साफ़ लग रहा था की वो घाटा सह के बेच रहे थे और सिर्फ मार्केट गिराने के लिए बेच रहे थे। किसी ने उन्हें फंड किया था।
मीनल ने हाथ रोक दिया और सब को बोल दिया,
अभी तेल देखो, तेल की धार देखो, और बस पंदह मिनट के बाद सारे बिकवाली बाले एक साथ मैदान में आ गए, और न सिर्फ उनकी कम्पनी के बल्कि उन सेक्टर्स के काफी कम्पनी के शेयर बेचने लगे
मीनल ने कुछ सेलेक्टिव बायिंग शुरू की पर लग रहा था जैसे तूफ़ान में कागज़ का जहाज उड़ाए,
लग रहा था उन लोगों ने अपना पूरा वार चेस्ट खोल दिया है
डेढ़ घंटे में बाजी पलट गयी थी, एकदम हमारे खिलाफ।
मीनल भी कुछ नहीं कर पा रही थी।
मीनल ने अनीस की ओर देखा, और अनीस ने एक बियर का कैन उछाल दिया, बियर आधा पी कर के मीनल ने कैन मुझे पकड़ा दिया, गरियाते बोली,
" स्साले अबकी लगता है शिलाजीत खा के आये हैं, लेकिन चल यार आज तेरा साथ है तो बिना स्सालों की माँ चोदे छोड़ना नहीं है "
और तभी मेरा फोन घनघनाया, वही स्पेशल वाला, नान स्मार्ट फोन, जिसका नंबर कुछ लोगों के ही पास था, एल आई सी से,.....
Wow wow wow. Kya update hai. Bilkul sahi moke par MR Sanmygam ne pesa dala. LIC ke investment se to ekdam baji hi palat gai. Aur esi palti ki Minal aur anuradha garma gai. Trading ka khel nahi khelna hota to unhe yahi chod deti. Anuradha to organs hone ke bad bhi garmai rahi. Kya team hai. Sibbu mathematician, Anish hacker. Aur Minal to minal hi hai. Jese market magnet ho. Jabardast update.मिस्टर षणमुगम, पेंशन फंड,.... और हवा पलटी
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मीनल, अनुराधा दोनों की निगाहें मेरे चेहरे पर, फोन पर नाम साफ़ था, लेकिन मेरे मन में था की पता नहीं सांप का जो मंतर मैंने इतनी मेहनत से फूंका था, चला की नहीं।
फोन पर मिस्टर षणमुगम खुद थे और उनकी आवाज की चहक और खनक से पता चल गया की मंतर चल गया, उन्होंने सिर्फ एक लाइन बोली,
" डोंट वरी, आई नो यू र इन अ सूप। देयर वेयर सम प्रेशर्स, बट वी ओवरकेम, एंड वी आर विद यू, ....जस्ट होल्ड देम फॉर ट्वेंटी मिन्ट्स,.... एंड यस यू मस्ट नो सम मैजिक, थैंक्स सो मच, वो गॉट द ग्रीन लाइट, एंड प्रॉसेस विल बी कम्पलीट इन फोर फाइव डेज। आई में बी गोइंग देयर नेक्स्ट वीक,...."
मैं थैंक यू बोलता उसके पहले उन्होंने फोन काट दिया।
और हवा, माहौल, मूड सब बदल गया।
मेरे रिलैक्स्ड चेहरे को देख के अनु, मीनल सब के चेहरे पर चमक आ गयी और यहाँ तक की अनीस भी खुश हो गया और उसने हम सब की ओर बीयर के कैन उछाल दिए,
" एल आई सी, .....इन ट्वेंटी मिनिट्स " कह के मैंने थम्प्स अप दिया,
' होल्ड ट्रेडिंग फॉर फाइव मिनट्स, मीनल माइक में बोली और ऊँगली से पांच का इशारा किया और मेरी ओर मुड़ी, और कस के मुझे हग कर लिया,
और क्या हग किया, जबरदस्त।
किसी भी लड़की को सबसे पहले यही मालूम होता है की उसके बूब्स लड़के पर क्या असर डाल रहे हैं और मीनल की तो एक्स रे आयी थीं, १०० किमी दूर किस के प्रेशर कूकर में कौन सी दाल पक रही है वो देख सकती थी, किस इन्वेस्टर के जेब में कितना पैसा है तो मेरे ऊपर उसके जबरदस्त कड़क बूब्स का असर तो वैसे भी मेरे तम्बू में बम्बू से पता चल जा रहा था और मीनल अब जान बुझ के अपने बड़े बड़े कड़े कड़े बूब्स मेरे सीने से रगड़ रही थी, और वैसा जबरदस्त डीप फ्रेंच किस तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था और हाथ उसका सीधे मेरे खूंटे पे, कस कस के रगड़रही थी और पहले मुझसे बोली.
" स्साले, अभी इस बीयर दल की गांड न मारनी होती न तो अभी यहीं तुझे बिना चोदे न छोड़ती, लेकिन आज तो बम्बई से बिन चुदवाये नहीं जाएगा, इत्ता मजा आ रहा है, अब स्साले आएंगे गड्ढे में,.... "
और अनु की हालत उससे भी ज्यादा खराब, सामने स्क्रीन को देख के वो ऐसी अराउजड हो रही थी, अपनी जाँघे आपस में रगड़ रही थी , हाथ बार जींस की बटन पे जा के रुक जा रहे थे, आँखे मस्त हो रही थीं थी,
" अरे झड़ स्साली, किस गांडू से लजा रही है, इस चिकने से ,.... ये स्साला तो खुद हमारी हाल में है, एकदम तन्नाया है खोल दे बुलबुल "मीनल मस्ती से अनु को उकसाते बोली, खुद मीनल एकदम गर्मायी
और अनुराधा का हाथ उसकी जींस के अंदर, और क्या जबरदस्त ज्वालामुखी फूटा, भयंकर आर्गाज्म
और मुझसे छुड़ा के मीनल की भी हालत तो अनुराधा से भी ख़राब , दो मिनट तक कांपती रही, बस स्क्रीन को देखती, और झड़ना शुरू
फिर शिब्बू को देख के बोली,
" अबे तुझसे तो इन से कोई मतलब नहीं,.... तू लगा रह "
और अब मुझे दो बातें समझ में आ गयीं
एक तो शिब्बू, उसे लड़कियों से कोई मतलब नहीं था।
नहीं नहीं, लड़कियों के साथ लड़कों से भी मतलब नहीं था। खड़ा होता था, उसका भी, तनता भी और झड़ता भी लेकिन बस दो बातों से
एक तो मैथ्स के लम्बे लम्बे इक्वेशन से और दूसरे सबसे जटिल अलॉगर्थिम से, २१ साल की उम्र में उसने प्रिंसटन से प्योर मैथ्स में पी एच दी थी
वो बीयर भी नहीं पीता था लेकिन काफी अपने हाथ से ग्राइंड करके और बीन्स देख के उसकी हिस्ट्री बता दे, तो शिब्बू हमारे राइवल की कुंडली बनाने में लग गया वो किस लेवल तक जाएंगे और अनीस उन्हें हैक करने,
और अनु और मीनल सामने बोर्ड को देख के इसलिए गरमा रही थीं की अब उन्हें एक नोन इवेंट मालूम थीं जो राइवल को क्या उनके सपोर्ट्स को भी नहीं मालूम था और अब वो अच्छी तरह से मैनिपुलेट कर सकती थीं.
शेयर मार्केट में जहाँ जरा सी टिप लोगों की किस्मत बदल सकती थी, वहां हमें इतनी बड़ी टिप मिल गयी थी, जो अगले आधे घंटे के बाद सब ट्रेडिंग में उलट फेर कर देती। एक छोटे खिलाड़ी के लिए बड़ी खबर होती, और मीनल ऐसी जबरदस्त स्टॉक मार्केट की मछली के लिए तो उथल पुथल करने के लिए काफी थी , फिर जैसे ही एक बड़ा इन्वेस्टर हमारी ओर आता, एकदम से मार्केट का कॉन्फिडेंस मूड सब चेंज होता,
पहली बार मैं देख रहा था बिजेनस का एक्ससाइटमेंट, अराउजल, किसी हालत में सेक्सुअल अराउजल से कम नहीं होता, बल्कि देखने के साथ महसूस भी कर रहा था, न सिर्फ अनुराधा और मीनल की देह में बल्कि अपनी देह में, मेरा भी एकदम तन्नाया हुआ, खड़ा, पागल बौराया था। अभी दो मिनट पहले तक लग लग रहा था की बाजी हम लोगों के हाथ से निकल गयी पर अब एक मौका था, हारी बाजी पलटने का, और जबरदस्त मौका, सोच सोच के ही, पूरी देह में एक जोर का नशा था, बस मौका मिले और, पेल दे
दोनों लड़कियां अभी भी आर्गाज्म के असर में थी,
सामने स्क्रीन पे शेयर्स को देखते हुए और ये इन्फो जो और किसी के पास नहीं थी, हम सब अराउजड थे,
जैसे किसी साँड़ के सामने कोई कोमल कच्ची बछिया आ जाए और साँड़ अपना फुट भर का निकाल के, फुफकारते हुए, चढ़ने के लिए बेताब हो जाए, जैसे गाँव का कोई कड़ियल खूब खेला खाया मर्द, जिससे पूरे गाँव की कोई ब्याही, अनब्याही न बची हो, और वो स्कूल में पढ़ने वाली किसी कच्ची अमिया के पीछे पड़ा हो, वो खुद चल के उसके पास गन्ने के खेत में आ रही हो और वो बार बार लंगोट में बंद अपने अजगर को पुचकार रहा हो, समझा रहा हो, मिलते ही ठेल दूंगा, चिंचियाती रहेगी स्साली, जिन्नगी भर याद करेगी, पहली चुदाई,
एकदम वही हालत अभी थी हम तीनो की,
अनुराधा तो झड़ने के बाद भी एकदम गर्मायी थी, कस कस के टेबल को दबोच रही, और मेरी हालत भी कम तन्नाई नहीं थी
लेकिन अब हम सब जैसे एक देह हो गए थे, जिसका दिमाग मीनल हो, और दस गुनी स्पीड से अपना काम कर रहे थे,
अनुराधा सब टीमों को तैयार कर रही थी, बिना ये नयी इन्फो बताये,
मैं नेटवर्क का काम कर रहा था, दिल्ली, न्यूयार्क, सिनसिनाटी, बात, मेसेज और साथ में मिडिया और बिजनेस एनलिटिक्स का और जो पता चला , हमारे ऊपर अटैक करने वाले छुटभैयों के बारे में, कौन से सिर्फ शेल कम्पनी हैं, किसकी कहा कमजोरी है, सब कुछ