और समझने वाले समझ जाते हैं...औरतें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ( विमल साडी के विज्ञापन की एक पुरानी टैग लाइन )
और जो ना समझे वो अनाड़ी...
और समझने वाले समझ जाते हैं...औरतें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ( विमल साडी के विज्ञापन की एक पुरानी टैग लाइन )
चूत चूत पर लिखा है चोदने वाले का नाम...लेकिन नंबर लगेगा ये तो तय है, जैसे दाने दाने पर खाने वाले का नाम लिखा होता है, वैसे ही,
और गीता के पहलौठी का दूध भी....असली ट्रेनिंग तो सास ने ही दी और झिझक भी ख़तम की, साथ में मंजू और गीता भी
और सोलहवां सावन में रविन्द्र को भी च्यूत(आम) की फांके चूत में से निकाल के...ये भौजाइयों की ननदो के लिए खास रेसिपी है, और उसका जादुई असर होता है, ननद को भी मजा और उसके भाई को भी,
ननद की ट्रेनिंग मेरी पहली लम्बी कहानी में भी ऐसी ही मैरीनेट किये बैगन की पकौड़ी ननद के भाई ने खायी थी
लेकिन इस बार चिकनाई भी भाई ने बनायी चूस चाट के, शुद्ध आर्गेनिक और बैगन घुसा भी उनके सामने,
असर तो ननद के भैया पे होना ही था,
मतलब साढ़े तीन घंटे का आराम...अरे नहीं साढे तीन घंटे का टाइम मिला था किचेन टीम को, और चार बैगन में डेढ़ नहीं तो दो घंटे,
एक पर दो फ्री...गुड्डी को मालूम है कौन से ऑफर का क्या असर होगा, उसी की उमर की टीनेजर बल्कि कुछ तो और भी कच्ची उमर वाली, कौन भाई इस ऑफर के बाद छोड़ता, एकदम क्लियरेंस सेल
अब तो चटनी बनाने के लिए..प्रतिभा और ट्रेनिंग का संजोग, गीता ऐसी सिखाने वाली जो मिली, मसाले से लेकर ८४ आसन तक सब सिखा दिया
जो बिना आग के भी आग लगा दे...सच में गुड्डी की खैर नहीं लेकिन वो चाहती भी नहीं की उसकी खैर हो और ऊपर से रीनू ऐसी उत्प्रेरक
लेकिन बुआ भतीजी दोनों का घर तो यही है ..एकदम असल अपने भौजाई की ननद है
महतारी का नाम लेके गरियाने वाली, उसकी बूआ है तो बूआ कह के ही और एक साथ डबल फायदा, एक तो उसके भैया जोश में आ जाते हैं और दूसरे चिढ़ाने छेड़ने का मजा भी
और सबसे बढ़कर बूआ भतीजी का मजाक तो चलता ही है।
टोटकों की तो मंजू बाई खान है..और गुड्डी का, इनका तो आम का पुराना रिश्ता है, आप को तो याद ही होगा, आम की बड़ी बड़ी दो फांको पर उसके भैया की मलाई, कैसे प्रेम से उसे खिलाई गयी थी
(जोरू का गुलाम भाग ८७
...और, गुड्डी ने खोल दिया)
प्लेट में आम की सिर्फ एक फांक बची थी ,
बल्कि दो बड़ी बड़ी फांके आपस में पूरी तरह जुडी ,दूसरे हाथ से मैंने वो उठा लिया
और जैसे ही इनके खुले सुपाड़े से सटाया ,पी होल में सुपाड़े के , आम की फांक के टिप से सुरसुरी की ,
बस
बस , ज्वालामुखी फूट पड़ा।
कल रात मैंने इनके इन्हे झड़ने नहीं दिया था ,इसलिए।
सफ़ेद लावे का झरना , कम से कम कटोरी बाहर गाढ़ी थक्केदार मलाई , सारी की सारी आम की उस फांक पर।
मैंने इनके लंड के बेस को एक बार फिर दबाया ,और अबकी बची खुची मलाई रबड़ी फिर बाहर ,
आम की दोनों जुडी हुयी फांके अब इनके वीर्य से पूरी तरह भीगी ,गीली।
झड़ने के साथ ही होंठों ने गुड्डी के होंठों को आजाद कर दिया था ,
अपनी ननद के चिकने गाल दबाते मैं बोली ,
" अरे गुड्डी रानी ,अपने भैय्या के हाथ से तो बहुत फांक गड़प की हो जरा एक भाभी के हाथ से भी।
और उसके चिरैया की चियारी चोंच की तरह खुले होंठों में , मैंने
इनकी मलाई रबड़ी से भरी टपकती आम की दो जुडी फांके सीधे गुड्डी के मुंह में।
" है न एकदम नया स्वाद ,आराम से मजे मजे ले ले के खाओ न ,टैंगी भी ,मीठा भी "
और अपनी उँगलियों में लगी इनकी बची खुची, मलाई रबड़ी अपनी किशोर ननद के होठों पर लिथेड़ दिया ,
थोड़ा सा उसके चिकने आम रस से भीगे गालों पर भी, अपनी जीत के निशान के तौर पर।
छिनार मजे ले लेकर इनके रस में भीगी आम की फांको का रस लेती रही और फिर जीभ बाहर निकाल कर जो मलाई मैंने उसके होंठों पर लिथेड़ी थी , वो भी चाट ली।
ये ट्रिक मंजू बाई ने बताई थी।
अगर किसी कुँवारी को ,जिसकी चूत अभी तक न फटी हो , किसी मरद की लंड की मलाई खिला दो ,
बस वो एकदम उसकी गुलाम हो जायेगी ,उसकी दीवानी।
पक्का टोटका , अगर उस कोरी चूत वाली को लंड की मलाई आम की फांक पे रख के तो बस ,
फिर तो वो खुद अपनी अनचुदी कसी कोरी चूत लेके , दोनों हाथ से चूत फैला के ,खुद चुदवाने के लिए ,
उस मरद के पीछे पीछे चक्कर काटेगी। हरदम उसकी चूत में बड़े बड़े चींटे काटेंगे ,नम्बरी चुदवासी हो जायेगी वो।
page 125Erotica - जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ८७...और, गुड्डी ने खोल दिया" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। ' गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।…….."है न एकदम है।ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी...exforum.live