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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम - भाग २२९
बहिनिया बनी रंडी -गुड्डी बाई

२९,२५,४८८
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ब्ल्यू फिल्म ख़तम हो गयी थी , व्हिस्की की दो बोतलें भी।

" हे चलते हैं आज शाम को कोई पिक्चर देखने , " कोई बोला।
गुड्डी एकदम उछल पड़ी ,

वाह , मजा आएगा , कौन सी पिक्चर, ...उसने कम टू माई शो खोल लिया था

और जीजू ने उसके उभरते हुए उभार कस के मसल कर बोला ,


" अरे गुड्डी रानी ,... कोई सी भी पिक्चर , पिक्चर नहीं पिक्चर हाल इम्पोर्टेन्ट हैं , हाँ एकदम खाली खाली सा , लास्ट रो छह सीटें ,.... हम तुम साथ साथ होंगे तो परदे वाली पिक्चर किसे देखनी है ,...

और अब गुड्डी समझ गयी की पिकचर , परदे पर नहीं , हाल की आखिरी सीटों पर चलनी है , और हीरोइन वही होगी , हाँ हीरो तीन तीन , उसके भइया लोग,



" तो इम्पीरिअल ठीक रहेगा , ... एकदम उसी तरह का है , भोजपुरी या डब्ड पिक्चर लगती हैं , ... " वो बोले और उनकी सेक्सी बहिनिया फिर उछल पड़ी

" पर भइया वो तो ,... उस जगह ,.... " ब्लश भी कर रही थी।

ननद और उसके भइया को रगड़ने का ये मौका मैं नहीं छोड़ सकती थी ,


" साफ़ साफ़ काहें नहीं बोलती की रंडी बाजार के ठीक बीचो बीच हैं और उसमे रंडी और भंडुए ,... अच्छा तो है की तू और तेरे सो काल्ड भइया अपनी बहनों से भी मिल लेंगे , पता नहीं कब की बिछुड़ी होंगी ...: मैं ने उसे चिढ़ाया।



लेकिन सबसे ज्यादा खुश हुयी मेरी कमीनी बहन रीनू ,

" अरे ये तो बेस्ट है , वहीँ चलेंगे , और आज मैं अपनी प्यारी गुड्डी बाई को एकदम रंडी बना के , सच में यार तू रंडियों के कान काटेगी , ... "

खुश हो कर उसने ननद रानी को गले लगा लिया। और गाल काट लिया।

" रंडियों के खानदान की है , पैदायशी रंडी है , मेरी ननदिया , वो भी कोठा छाप नहीं सड़क छाप , ... " मैंने दूसरा गाल काट लिया ननद का।



सच में जबरदस्त मेक अप किया , रीनू ने अपनी ननद का एकदम पक्की पांच रूपये छाप , कूल्हे के नीचे साड़ी , बहुत छोटी सी चोली , ...ब्रा का तो सवाल ही नहीं था , तने तने ३२ सी जोबन साफ़ साफ़ दिखते थे , डार्क रेड लिपस्टिक , काजल , जंकज्वेलरी , चौड़ी सी पायल , कोहनी तक चूड़ी ,
लेकिन असली खेल था मेकअप की स्टाइल और एट्टीट्यूड का

और रीनू ऐसी सिखाने वाली और गुड्डी ऐसी सीखने वाली, मेकअप खूब डार्क और सस्ता वाला, लिपस्टिक डार्क रेड और स्मज, होंठों से कहीं कहीं हलकी सी बाहर निकली एकदम वेट लुक,




गालों पर भी क्रीम वो भी हलकी चमकती, बिंदी बड़ी सी, नेलपॉलिश डार्क रेड, उँगलियों में भी पैरों में भी, चोली जोबन के एकदम बेस से सटी चिपकी और साडी नाभी से डेढ़ दो बित्ते नीचे, तो गुड्डी का पान ऐसा चिकना और गोरा पेट भी दिख रहा था और उस पे एक पतली सी जंक ज्वेलरी की करधन, जो कूल्हे के सहारे बस टिकी सी थी,

और खूब गहरी नाभि पे बड़ा सा टैटू, जिस से जिसकी नजर न भी जा रही हो वो भी उस गहरी नाभी में जा के अटक जाए और सोचे नाभी ऐसी मस्त है तो नीचे वाली कुइंया कैसे होगी,




और उस से भी बढ़ के रीनू ने दो दिन में ही गुड्डी के ऐटिटूड में जो बदलाव लाया था, मस्त बिंदास थी तो पहले से ही लेकिन अब सेक्स उसके देह से टप टप चूता था।

" देख यार सुंदर तो बहुत लड़कियां होती हैं, लेकिन चढ़ती जवानी में आँखों को होंठों को जुबना को कैसे इस्तेमाल करें, तभी जाल में मछली आती है। जवानी चढ़ी हो और दस पांच लौंडे न मंडराते हो तो निगोड़ी जवानी बेकार है, असली चीज है जवानी का इस्तेमाल कैसे करें , देख लड़कों को जब लगता है ये स्साली पटने वाली नहीं है तो दो चार दिन चक्कर लगाने के बाद

रीनू मेकअप भी कर रही थी और समझा भी रही और गुड्डी रीनू की बात काट के बोली,

" भौजी एकदम सही कह रही हैं, रोज कोचिंग में देखती हूँ, स्साली इंटर में मिस टीन रह चुकी हैं लेकिन टिफिन में अकेले डिब्बा खोल के बैठती हैं और जो न देखने लायक सुनने लायक, गुड़ पे माखी की तरह लौंडे भहराये रहते हैं , बस वही जो आप कह रही हैं "

" और सोच ले तेरे इस रूप और जोबन के साथ ये तेरी मीठी भौजी की सीख, आग लगा देगी " मैं भी और हवा दे रही थी।





चोली को थोड़ा और टाइट किया, रीनू ने ब्रा भी एकदम कोनिकल, नोक की तरह लग रही थी और गुड्डी के जुबना भी मस्त थे बहरे भरे तो देख के लौंडो का टाइट होना ही था। रेनू ने गुड्डी से एक सवाल पूछ लिया,

" ये बोल स्साली, रंडी कौन होती है "

" वो जो पैसे पाने के लिए चूत को लीवरेज करे " गुड्डी ने एक मॉडर्न टीनेजर की तरह आज कल की बोली में जवाब दिया।

गुड्डी की कांख में एक तेज सस्ता वाला परफयूम लगाते हुए रीनू ने जवाब दिया,

" एकदम सही लेकिन सीधे चूत नहीं, उसके पहले जोबना और उसके भी पहले निगाहें, मुस्कान और बोली। लौंडे इन्ही सब चीजों से तो अंदाज लगाते हैं स्साली पटेगी की नहीं, और उससे भी बड़ी बात रंडी वो नहीं पांच रूपये के लिए सड़क पे खड़ी रहती हैं , अरे रंडीपना तो जिंदगी भर काम आता है, वही लीवरेज करना,"
रीनू ने समझाया अपनी फेवरट ननद को,




" कैसे भौजी "

गुड्डी अभी भी नहीं समझी थी तो मैं बोली,

" अरे जॉब में, प्रमोशन, पोस्टिंग, असाइनमेंट, हलकी सी मुस्कान, सिर्फ होंठों से नहीं, आँखों से अंदाज से ड्रेस से, फ्रेंडलीनेस से "

और रीनू ने जोड़ा,

" और उसके पहले भी, क्लास में भी असाइनमेंट्स अपने लड़कों से करवा लो, कुछ मीठा बोल के, लैब में डेमोंस्ट्रेटर, यहाँ तक की टीचर भी, यार तुम इंटेलिजेंट हो, सुन्दर हो, सेक्सी हो, बस थोड़ा सा रंडीपना सीख लो, आखिर रंडी कैसे दर्जनों रंडिया खड़ी होती हैं तब भी ग्राहक अपने पास पटा लेती है, पैसे वाला लौंडा है तो मीठी मीठी बाते कर के, धीरे धीरे उसकी टेंट ढीली करना, स्साले का केंचुआ भी ऐसा है तो भी चिल्लायेगी, ...किसी ग्राहक को नहीं बोलेगी की मजा नहीं आया, या वो कितनी जल्दी झड़ गया, असली खेल मन का है, बस वही बात जिदंगी की है, लेकिन रंडीपन हर जगह अलग अलग चलता है, आफिस में , क्लास में स्टाइल अलग, अंदाज अलग "



" लेकिन है रंडीपना, एकदम सही भौजी,: खिलखिलाती बोली गुड्डी। अब तो एकदम तैयार हो गयी,

" तो चल अभी तेरा टेस्ट है, वो तीनो आएंगे लौंडे, एकदम पांच रूपये वाली सड़क छाप रंडी की तरह, बुला के उन तीनो को झाड़ दो और न तेरी बुर या गांड और बस दस मिनट में खड़े खड़े, " रीनू ने हँसते हुए उस को टास्क पकड़ाया

तब तक तीनो लड़के भी तैयार हो गए , रीनू गुड्डी को लेकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठी थी ,

और उसी समय तीनो लौंडे आये, और रीनू ने उनको भी टास्क पकड़ा दिया था, अपने जीजू को और मेरे जीजू को भी वो सब भी, और मेरे जीजू अजय का भी हाथ था। वो और रीनू दोनों खूब रोल प्ले करते थे और दोनों ही किंक नहीं महा किंक वाले, पक्की जोड़ी, तो अजय ने भी कमल जीजू और इनको तैयार करने में, लेकिन बाजी जीती गुड्डी ने,



क्या जबरदस्त आँख मारी गुड्डी ने,

और हलके से ठुड्डी मोड़ के, जो नकली तिल रीनू पे बनाया था ठुड्डी पे, बस उसे पकड़ के, उस अदा से वो बोली की सेक्सी आवाज की उसके मायके की पुरानी सड़क छाप रंडिया भी मात खा जाये, वो अकेले सब ग्राहक पटा ले,
 
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गुड्डी बाई और तीन भाई
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" तो चल अभी तेरा टेस्ट है, वो तीनो आएंगे लौंडे, एकदम पांच रूपये वाली सड़क छाप रंडी की तरह, बुला के उन तीनो को झाड़ दो और न तेरी बुर या गांड और बस दस मिनट में खड़े खड़े, " रीनू ने हँसते हुए उस को टास्क पकड़ाया

तब तक तीनो लड़के भी तैयार हो गए , रीनू गुड्डी को लेकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठी थी ,

और उसी समय तीनो लौंडे आये, और रीनू ने उनको भी टास्क पकड़ा दिया था, अपने जीजू को और मेरे जीजू को भी वो सब भी, और मेरे जीजू अजय का भी हाथ था। वो और रीनू दोनों खूब रोल प्ले करते थे और दोनों ही किंक नहीं महा किंक वाले, पक्की जोड़ी, तो अजय ने भी कमल जीजू और इनको तैयार करने में,


लेकिन बाजी जीती गुड्डी ने,


क्या जबरदस्त आँख मारी गुड्डी ने, और हलके से ठुड्डी मोड़ के, जो नकली तिल रीनू पे बनाया था ठुड्डी पे, बस उसे पकड़ के, उस अदा से वो बोली की सेक्सी आवाज की उसके मायके की पुरानी सड़क छाप रंडिया भी मात खा जाये, वो अकेले सब ग्राहक पटा ले,

गुड्डी ने अपने गीले होंठों पे हलकी सी जीभ फिराई और अजय जीजू की ओर देख के बोली,



" चल स्साले तुम तीनो के लिए कंसेशन, दो के पैसे में तीनो को खड़े खड़े झाड़ दूंगी, ऐसी मस्ती साले तुम सबो को अपनी माँ बहन चोदने में नहीं आयी होगी, अरे पहले टेंट ढीली करो, तेरी बहन नहीं हूँ जो फ्री में चढ़वा लुंगी, धंधे का टाइम है, टाइम खोटा मत कर साले ( कमल जीजू को देख के उसने बोला )


और गुड्डी ने ज़िप खोल के अजय और कमल जीजू का खूंटा निकाल लिया, और हाथ में पकड़ के मसलते हुए बोली

" अबे सालों, पांच रूपये में इससे ज्यादा कुछ नहीं होता, अगली बार पैसे ले कर आना तो पूरी मस्ती दूंगी, पक्का, बाकी रंडियों के यहाँ बैठने में जो मजा मिलता होगा न उसका दस गुना,... एकदम अपनी बहन की चूत समझ के पेलो, "


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और हलके हलके मुठियाते हुए अपने भैया को देख के मचलते हुए, रसीले अंदाज़ में बोली,

" अबे भोंसड़ी के तुझे अलग से दावत दूंगी क्या चल खोल के मुंह में डाल दे, "

और क्या सेक्सी मुंह खोला, और हलके से जीभ फिराई, जिसका वियग्रा खाने से न खड़ा हो उसका भी खड़ा हो जाये, और साथ में रीनू से बोली

" अरे मैं तो इसकी पुरानी रखैल हूँ, इसलिए "

गुड्डी के मुंह से यह इकबाल सुन के मुझे कितना अच्छा लगा कह नहीं सकती और फिर एक साथ तीनो मरद


मान गयी मैं गुड्डी को, स्साली को गीता ने जबरदस्त ट्रेंड किया था,

गुड्डी की उंगलियां कमल और अजय जीजू के खूंटो को सीधे मुठिया नहीं रही थीं,

दोनों हाथों की उँगलियाँ, आराम आराम से कभी अपने अपने हिस्से के मूसल को छूतीं, कभी सहलातीं तो कभी लम्बे नाख़ून से बिच्छी की तरह डंक मार देतीं, और दोनों जीजू मेरे सिसक उठते। और फिर जब दोनों खूंटे एकदम तनतना गए, तो भी कभी वो कस के दबोच लेती तो कभी ढीला छोड़ देती और साथ में एक दो उँगलियाँ नीचे लटके बॉल्स की हाल चाल भी लेती रहतीं, यहाँ तक की गुड्डी के लम्बे पैर कभी किसी जीजू के टखने को सहला देते तो कभी पंजे से किसी के पंजे को दबा देती

और अपना बेस्ट उसने अपने बचपन के यार, असली भतार, जिसकी, उसने खुद कबूल किया की जिंदगी भर की रखैल है, उसके लिए।


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चूसने में तो उसका कोई जवाब नहीं था।

गुड्डी की हरकते देख के मैं ये सोच रही थी की स्साली पे अगर तीन मरद एक साथ भी चढ़ेंगे न, तो तीनो सोचेंगे सिर्फ वही उसको चोद रहा है। जो हालत उसकी है एक लंड में तो इस स्साली का काम चलना नहीं है। फिर यह सोच के मुस्करा रही थी की चलो कोचिंग वाली पार्टी में तो इस स्साली का गैंगबैंग होना पक्का है और वो भी एक बार नहीं बार बार होगा, तीन तीन चार चार एक साथ चढ़ेंगे तब मेरी इस टीनेजर ननद की जवानी असली खिलेगी, ,



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उस मस्त मुठ मारने का और चूसने का नतीजा ये हुआ की तीनो लौंडे, पहले मेरे दोनों जीजू, उसके मिनट दो मिनट बाद ये

लेकिन रीनू की प्लानिंग पक्की होती है,

क्या कोई होली की पिचकारी पकड़ेगा, दोनों पिचकारियों से सब की सब मलाई, गुड्डी बाई के चेहरे पे और जो थोड़ी बहुत बची वो गुड्डी ने अपने हाथ में खुद रोप के अपने चेहरे पे, रीनू के इशारे पर


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और जो गुड्डी के भैया की मलाई निकली वो सब, रीनू ने चोली खोल के गुड्डी के जोबना पे, और ऊपरी हिस्से पे यहाँ तक की थोड़ा बहुत गले और कंधे पे भी। दस पंद्रह मिनट में जितनी मलाई निकली सब की सब गुड्डी के चेहरे पर ,

जबरदस्त फेसियल किया रीनू ने उस टीनेजर का , ...



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हाँ आज पहली बार उसकी मांग में सिन्दूर भी पड़ा , ... रंडी बिना सिन्दूर के तो नहीं हो सकती और सिन्दूर दान किया उसके भाई ने सबसे पहले

आखिर रखैल किसकी थी, उन्ही की न, और मैंने शुरू में ही उन्हें बोल दिया था, इनके मायके जाने के पहले

" चल रही हूँ, लेकिन चल रही हूँ तेरे उस बचपन के माल के लाने को लिए और ये समझ लो, की आएगी तो है ही, लेकिन मैं उसे तेरी रखैल बना के रखूंगी और सिर्फ तेरी ही रखेल नहीं होगी, मैं भी मजे करुँगी उससे "

और अब तो गुड्डी ने खुद कबूल कर लिया था रीनू और मेरे दोनों जीजू के सामने की अपने भैया की तो वो जनम जिंदगी की रखैल बन के रहेगी


और थोड़ी देर में हम दोनों पिकचर हाल में पहुँच गए,


हाँ गुड्डी बाई तो रंडी थी, रंडी लग रही थी लेकिन वो तीनो लड़के भी कम लोफर नहीं लग रहे थे, शर्ट आधी निकली हुयी, एकदम रंग बिरंगी, बाल भी उसी तरह और मैं और रीनू भी एकदम मस्त बिंदास अंदाज में तैयार हुए थे और रस्ते में भी सब गुड्डी बाई, गुड्डी बाई, ड्राइव मैं कर रही थी, मेरे बगल में मेरे कमल जीजू और पीछे ये रीनू अजय और गुड्डी गोद में, अपने भैया की,





रीनू की शरारतें वहां भी जारी थीं ,

………………………………………….
 
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मजे 'गुड्डी बाई के मोहल्ले' के



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रीनू की शरारतें वहां भी जारी थीं ,

टिकट के लिए भी उसने गुड्डी को ही भेजा ,

गुड्डी सचमुच में पक्की गुड्डी बाई लग रही थी, वही ठसका, वही ठुमके और वही अंदाज, कपडे मेकअप तो एकदम पांच रुपये छाप रीनू ने क्र ही दिया था।


और पिक्चर हाल भी उसी तरह का रंडियों के इलाके का एक्सटेंसन सा ही लग रहा था, कहीं पान की पीक, कहीं अधजली बीड़ी सिगरेट,कोई ज्यादा चहल पहल भी नहीं थी। दो चार रंडियां चक्कर काट रही थीं, एक कोई, पुराने पोस्टर के पास खड़ी सिगरेट सुलगा थी, पोस्टर भी आधा नुचा, नाम बस पढ़ने में आ रहा था, गरम जवानी, दो चार और ऐसे पुराने पोस्टर लगे थे इधर उधर, दीवाल के कोने में एक कुत्ता लेटा तिरछी आँखों से इधर उधर देख रहा था, फिर कुनमुना के लेट गया।

पिकचर शुरू होने में अभी टाइम था।

रीनू ने गुड्डी को ही टिकट लाने भेजा।

टिकट खिड़की वाली भी कान खुजाते हुए खिड़की के बाहर गुड्डी की ओर ही देख रहा था,


गुड्डी उसे देख के मुस्करायी, मैं भी उन दोनों की बात सुनने के लिए एकदम टिकट खिड़की की बगल में दीवाल के पास, गुड्डी के भैया भी गुड्डी के पीछे पीछे चल के लेकिन थोड़ी देर पे खड़े और उनके पीछे रीनू, अजय और कमल जीजू के साथ,

" हे छह टिकट बालकोनी के, सबसे पीछे वाले " गुड्डी बड़े अंदाज से बोली


और जिस अदा से उसने पहले धागे की तरह दोनों उभारों के बीच फंसे आँचल को सरकाया और चोली के ऊपर से दोनों उभारों की नुमाइश की फिर चोली में हाथ डाल के, गोलाइयाँ तो पहले ही झलक रही थीं, अब एकदम खुल के उस टिकट वाले के सामने,


गुड्डी को कोई जल्दी नहीं थी, धीरे धीरे हाथ डाल के , बुदबुदाते हुए,' स्साला कहाँ घुस गया, माँ का,... एक छोटा सा बटुआ निकाला

और जैसे ही खिड़की वाले की ओर देखा, टिकट वाला मुस्करा के बोला,

" लगता है पहली बार आयी हो, अरे इस हाल में बालकनी वाल्कनी नहीं हैं फिर तेरे मोहल्ले वाली सब तो एकदम आगे की सीट पे बैठती हैं , लकड़ी वाली, " तबतक उसकी निगाह गुड्डी से थोड़ी दूर खड़े इन पे पड़ी और वो बोला,

" लौंडा तो बढ़िया पाटा है, मोटा असामी लगता है, इसीलिए, यहाँ सबसे ऊँचा दर्जा, ड्रेस सर्किल हैं, चल उसी की दे देता हूँ, पीछे की दो लाइन, एकदम खाली रहती है। "

और टिकट लेके गुड्डी ने फिर उसे सम्हाल के, उस स्टाइल से पहले चोली के अंदर से वो बटुआ निकाला और फिर बटुए में टिकट और बटुआ चोली में

और उस दौरान गुड्डी के गोल गोल गदराये छोटे छोटे गोरे जुबना को टिकट वाला बिना टिकट देख रहा था, रस ले रहा था,


"माल तो तेरा जबरदस्त है स्साली तू आग लगा देगी, चल अभी तो, लेकिन अगली बार आएगी न तो तेरा महीने का पास बना दूंगा। ये देख रही दोनों जो खड़ी हैं उनका महीने का पास है "


" मतलब, "


गुड्डी को भी बात करने में मजा आ रहा था, पलकें झपकते हुए मुस्करा के उसने टिकट बाबू की ओर देखा और हलके से अपनी जीभ लाल लाल गाढ़ी लिपस्टिक लगे होंठों पे फेरा बस टिकट बाबू गुलाम, और सब बातें बता दी,


" चल तू नयी नयी है, तेरा पहला महीना फ्री, ये सब जो देख रही हैं, अभी कोई स्साला दिखेगा तो उसे पटा के अंदर, असली फिल्ल्म तो दस मिनट में शुरू होगी और फिर ये सब जब तक परदे पे वो वाली चल रही है, ग्राहक का, बस खोल के आगे पीछे, और क्या ज्यादा पैसे देने वाला हुआ तो ऊपर वाला भी खोल के पकड़ा देंगी, वो स्साला कब तक चलेगा, दो मिनट,चार मिनट, और एक बार वो झड़ गया तो खेल ख़तम पैसा हजम, फिर बाहर निकल के दूसरा मुर्गा, तो एक शो में चार पांच तो मिल ही जाते हैं, बस जो कल्लू है न वो गेटकीपर बस वो दस टका



" अरे ये दस रूपया तो बहुत ज्यादा " गुड्डी बनावटी घबड़ा के बोली

" अरे दस रूपया नहीं, मतलब कुल कमाई का दस फीसदी, लेकिन कौन हिसाब रखता है जो मिल जाए और कभी कभी वो कलुआ भी, किसी दिन धंधा किसी का ठंडा हुआ, ग्राहक नहीं मिल रहा है तो वही जाके, और हाँ कुछ तो मुंह में भी लेकिन एक तो कंडोम लगा के और उसका चौगुना, दस गुना जैसा ग्राहक हो " बुकिंग बाबू ने समझाया, नयी नवेली को।

" और किसी ग्राहक का घपाघप का मन हो तो, " पीछे मुड़ के अपने भैया की ओर देख के वो मुस्करा के बोली


" तो करवा ले न, लेकिन इतनी जगह नहीं होती और असली कमाई तो टर्न ओवर की है, जैसे गुजराती थाली होती है, जितनी जल्दी ग्राहक को निपटाया, दूसरा आएगा, हाँ कभी कभार एकाध कोई पुलिस वाला या ऐसे ही कोई आया तो किनारे निहुरा के काम चला लेता है , वैसे नाम क्या है तेरा, "


टिकट बाबू धीरे धीरे यारी बढ़ा रहे थे और अब एक दो और रंडियां भी आस पास मंडरा रही थीं।


" गुड्डी, गुड्डी बाई, हाँ एक बात और बता दे कोई पान की बढ़िया दुकान आस पास " गुड्डी खिड़की से हटते हुए पूछ बैठी,

" जब अंदर सड़क पे जायेगी न थोड़ी दूर पे ठेका है, बस उसी के बाद दो गली छोड़ के तीसरी गली के मोड़ पे, पेसल बोलेगी तो समझ ले पलंग तोड़ पान झूठ दो तीन पानी तो मरद फेंकेगा ही, मेरा नाम बता देना राजू नाम है मेरा और हाँ पिक्चर अभी आधे घंटे में शुरू होगी । "





गली में घुसते ही एक तेज भभका सा उठा।

नाली में जगह जगह इस्तेमाल किये कंडोम फेंके हुए थे, कोने में एक जगह कचड़ा पड़ा था, और दोनों ओर मकानों के बाहर भंडुए मंडरा रहे थे। लेकिन असली खेल गलियों में था जहाँ हर घर के बाहर छह सात लड़कियां, कुछ साड़ी चोली में तो कुछ टॉप जींस में भी, खूब गहरे मेकअप किये, कुछ मकानों में छत पर से भी,




पास ही में वो दारू का ठेका भी था, बगल में एक चाय पकौड़ी की दूकान, जहाँ बेंच पर कुछ लोग बैठे थे, बायीं ओर की एक गली में सड़क पर ताज़ी मछली बिक रही थी



दो भंडुए पीछे गुड्डी के पड़ गए ,


" हे नयी आयी है क्या , ...चल मेरे साथ " एक बोला

" चल न , वरना यहां , आठ दस तो अभी बैठने वाले मिल जाएंगे , जाँघों में ताकत तो तेरे बहुत है ,.... चार टका तेरा , बाकी हमारा। आखिर पुलिस को भी खिलाना पड़ता है , दादा लोगों को ,... "दूसरा बोला


" चल हट , आठ दस से मेरा क्या होगा ,...और ये चार टके पे नहीं सौदा होगा। " गुड्डी ने एक रंडी वाले अंदाज से उसे झिड़का , और आगे बढ़ गयी।


तब तक रीनू ने किसी से पान की दूकान के बारे में , पूछा तो टिकट वाले ने बताया था ठेके के बाद की दूसरी गली में और उसने भी वही बताया की सबसे अच्छी तो एक है जो पेसल डबल जोड़ा बेचता है , लेकिन , वो उस गली ,...

वो गली सच में ‘सड़क छाप’ थी , सड़क के दोनों ओर रंडिया बन ठन के , कोई इशारे से बुलाता तो कोई हाथ पकड़ कर ही ,... चारों ओर शोहदे , सड़क छाप। कोई आँख बचा के झट से घुस जाता तो कोई सिर्फ मोल भाव में ही मजे ले रहा था।





गुड्डी जैसे ही गली में घुसी ,सब की आंख वही टिकी ,


और पान वाले से उसने छह जोड़े डबल पेसल पान बंधवाये , दो जोड़े उसने और बाँध दिए , बोला ,
" एक भी किसी मर्द को खिला देगी न तो बकरा सांड हो जाएगा , लेकिन तेरी जांघ में ताकत है , तू झेल लेगी। नयी आयी लगती है , ... चल तुझे चंदा बाई के कोठे पर रखवा देता हूँ , ... "

पान का उसने पैसा भी नहीं लिया ,गुड्डी ने सिर्फ एक बार झुक कर अपने जोबन की झलक दिखला दी और वादा कर दिया कल पक्का , आज किसी के साथ है


उसी पान के दूकान पे एक औरत सिगरेट सुलगा के खड़ी थी, थोड़ी भरी देह की, पान खाये लाल लाल होंठ, और उस की तेज निगाहों ने पहले तो गुड्डी को ऊपर से नीचे तक देखा और गली के मोड पे खड़े गुड्डी के भैया पे निगाह पड़ गयी, और मुस्करा के बोली,

" वो स्साला भंडुआ,... तेरे साथ है क्या " और गुड्डी ने गली के मोड़ पे देखा तो ये, बस झट से गुड्डी ने कहानी बताई,




वैसे तो रीनू ने गुड्डी को ये टास्क दिया था, रंडियों के मोहल्ले के अंदर पंद्रह बीस मिनट रह के और पान की दूकान से पान लाना,

लेकिन उसके भैया, उनके अंदर हजार गुण हों लेकिन एक खराबी थी, केयर करने वाली और ये खराबी बड़ी तगड़ी थी। तो गुड्डी के साथ तो नहीं लेकिन काफी पीछे पीछे, और इधर उधर की रंडियों को देखते जैसे कोई समझे ये भी ग्राहक है कोई नया माल देख रहा है,

लेकिन उस औरत की तेज और अनुभवी आँखों ने समझ लिया थी को वो कोई ग्राहक नहीं है इस नयी चिड़िया के साथ है,

" तुझे फंसा के लाया है न " उस औरत ने गुड्डी की ओर सिगरेट बढ़ाते हुए कहा ,



" हाँ "गुड्डीने सुट्टा मारते हुए कहा,


और फिर जोड़ा की हम दोनों एक होटल में हैं पांच दिन से, पैसे वैसे सब कब के खलास, तो दो दिन पहले स्साला भंडुआ बोला की मान जा तो एक ग्राहक कोई ले आता हूँ , मोटा असामी होगा तो दे जाएगा तगड़ा। लेकिन,


" कोई नहीं आया न,"


मुस्करा के वो औरत बोली, फिर जोड़ा " मेरा नाम मेरा नाम गुलाब बाई है,सब मौसी बोलते हैं, बीस साल से यही काम कर रही हूँ नया पंछी देखने का,... जिसको जिसको कोठे पे बैठाया, उसका उसका डंका बज गया, ...तेरा नाम क्या है "



" गुड्डी, गुड्डी बाई " गुड्डी के मुंह से निकल गया फिर उसने जोड़ा,

" नहीं, आया था एक आया था लेकिन तीन दिन में एक से क्या,... तो मैं खुद बोली यार बेचना है कोई चीज तो बाजार में बेचो न, यहाँ कहाँ कहाँ से ग्राहक ढूंढोगे और होटल का किराया अलग "

" एकदम सही कहा तूने, बाजार की चीज बाजार में ही बिकती है, किसी को कोई चीज लेनी हो तो मालूम होगा जहाँ मिलती है वहीँ जाएगा न और जब से गली गली में स्पा, पार्लर खुल गए हैं और होटल वाले कस्टरमर सब वही, हजार पांच सौ में सर्विस के नाम पे सब मिल जाता है। लेकिन तूने सही किया, देख चीज तेरी है तो बेचने का हक़ तेरा, और वो स्साला तेरा भंडुआ, लौंडा टाइप उसके बस का कुछ नहीं है , कोई भंडुआ उसको पुलिस का डर दिखा के तुझे गड़प कर देगा या वो तुझे खुद ही औने पौने किसी कोठे पे बेच देगा। और मान लो तेरे होटल में रोज कोई पकड़ के ले भी आया तो वो स्साला बहनचोद कितना देगा, पांच सौ, हजार, दो हजार और यहाँ तो चार पांच घंटे में तू कमा लेगी इस रूप और जोबन पे। " गुलाब बाई बोली,

असली खेल था मेरी बहिनिया और गुड्डी बाई की भौजी रीनू का, जो उसने तीन तीन मर्दों की मलाई गुड्डी के ऊपर क्रीम के साथ लपेटी थी, चेहरे पे, गले पे जुबना पे, और मरद की मलाई, पसीने और सस्ते परफ्यूम की महक का जो जबरस्त महक वाला कॉकटेल बना था व्ही सब ग्राहकों की नजर, भंडुओं की निगाह गुड्डी बाई की ओर खींच रहा था, मर्द की महक जिस लड़की के देह में रची बसी हो, जैसे गौने की रात के बाद बार बार मर्द के नीचे आके जब नयी दुल्हन नीचे उतरती है तो एक अलग ही महक उसकी देह से निकलती है, जैसे पद्मिनी नारियों की देह से कमल की महक निकलती है एकदम उसी तरह अलग सी महक

और गुलाब बाई ने उस महक को पहचान लिया था, और समझ गयी थी, रुप रंग, जोबन बारी उमरिया के साथ ये महक, ग्राहक तो दस गली छोड़ के सूंघते सूंघते इस के पास आएंगे. गुड्डी की भी गुलाब बाई से जम गयी थी तो उसने पूछ ही लिया

" कैसे मौसी " गुड्डी की आँखे चमक गयीं, चेहरा ख़ुशी से दमक गया।

" अरे देख, अगल बगल देख साले जितने चक्कर काट रहे हैं मरद,... सब की निगाह तेरे पे ही है, और हजारो यहाँ हर गली में रोज चक्कर काटते हैं और सैकड़ों रोज बैठते हैं,... बस जोड़ ले। तुझे कभी ग्राहक की कमी तो होगी नहीं, एक को निपटा के बाहर निकलेगी तो दूसरा तुरंत,... तो ये साले पांच दस मिनट से ज्यादा कोई टिकते नहीं, तो एक घंटे में कितने, " मौसी ने पूछा




गुड्डी की मैथ्स अच्छी थी, झट से बोली, मौसी छह,।



" चल पांच मान ले, अरे अपनी मशीन धोएगी, साले का कंडोम फेंकेगी, दल्ले सब कंडोम गिन के ही हिसाब करते हैं, उस का पचास रूपया अलग से, और एक बात, सौदा नीचे वाले का है, जब वो पेंट खोले उसके साथ ही बोल देना की ऊपर वाला छूना है तो उसका पैसा अलग और चोली खोलने का तो दो गुना, टाइम भी तो एक्स्ट्रा खाटी होता है, तो पांच और पांच घंटे में पच्चीस, नहीं तो बीस, १०० रूपये भी जोड़ तो २००० हो जाएगा और तेरा तो इसका तिगुना चौगुना, चलेगी क्या,... लेकिन अभी तो तेरे साथ वो, "

मौसी ने हिसाब समझाया,

" हाँ आज वो दो तीन को और ले आया है पिक्चर हाल में कुछ तो स्साले देंगे " गुड्डी मुंह बना के बोली,

" सही कह रही है, लेकिन मेरी बात याद रखना और तेरा नंबर नहीं मांग रही हूँ लेकिन ये कार्ड रख ले काम आएगा, मर्जी तेरी, लेकिन जब तू चाहे " और कार्ड उसने गुड्डी को पकड़ा दिया लेकिन गुड्डी कार्ड देख के चौक गयी, प्रेम चाय शाप।

" लेकिन मौसी ये तो, " कार्ड देख के गुड्डी बोली,


और वो हंस पड़ी,

" यहाँ मैं नहीं मिलूंगी, बस इस गली के अंत में चाय की ये दूकान है। दूकान के अंत में एक पर्दा है बस बिना कुछ बोले वो पर्दा हटा के अंदर आ जाना, वहां एक बंदा हरदम चौबीस घंटे रहता है उसे कार्ड दिखा देना या खाली बोल देना, गुलाब मौसी से मिलना है वो ले आएगा, या फोन भी करना, तो बस मिस्ड काल मार देना, मेरा कोई बंदा आधे घंटे में वापस फोन करेगा, चल मैं भी चलती हूँ तू भी चल वो स्साला कैसे घूर रहा है, लेकिन एक बात बताऊँ, ....तेरा ख्याल करता है वो "

और एक बगल की गली से वो अंदर और गुड्डी भी पान बाँध के वापस,


हाँ गली से बाहर निकलते समय एकदम एक लड़का सा , उसके पीछे ,...



" हे देती है क्या ,... "

" क्या लेगा , " कमर मटका के गुड्डी बोली , और उसके पाजामे का नाडा पकड़ के खींच दिया ,


" अरे अभी खड़ा वडा होता भी है कि नहीं , ... चल जा अपनी आपा से ६१ -६२ करवा ले , देख कुछ सफ़ेद सफ़ेद निकलता है की नहीं , अगर एकाध बूँद भी निकला न तो तेरे लिए चाइल्ड कंसेशन "


अगल बगल खड़े सब हंसने लगे ,
 
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गुड्डी बाई -मस्ती पिक्चर हाल में
===





पिक्चर हाल में गुड्डी अजय के साथ , ये अपनी साली और मैं कमल जीजू के साथ ,.... हाल में तो बस आगे वाली सीटें भरी थी , ड्रेस सर्किल में में हमी लोग थे ,

सबसे ज्यादा मजे इनके और गुड्डी बाई के थे और सबसे ज्यादा दुरगत मेरी।

अजय सबसे किनारे और उनके बगल में गुड्डी बाई और फिर ये। मतलब गुड्डी के दोनों ओर,

और इनके एक बगल में उनकी बहना, गुड्डी बाई और दूसरी ओर साली, रीनू फिर कमल जीजू और दूसरे किनारे पे मैं।

और बदमाशी सबसे पहले , और कौन, शुरू करेगा, कमल जीजू फिल्म बस शुरू ही हुयी थी, और वो मुझसे बोले,


" कोमलिया, तेरी सीट पे कुछ प्रॉब्लम है जरा उठ देखता हूँ,"

और मैं जैसे उठी, उन्होंने खींच के मुझे अपनी गोद में,

और बात सही भी है , साली की सही जगह जिज्जू की गोद में है।


लेकिन मैं भी कोई ऐसी वैसी साली तो हूँ नहीं, तो बैठते बैठे मैंने पीछे से अपनी साड़ी साया कमर तक, और जीजू की पेंट तो पहले ही सरक गयी थी ।

तो अब बस उनके मोटू और मेरे चिकने चिकने कोमल कोमल पिछवाड़े के बीच में कोई बाधा नहीं थी, और कुछ उन्होंने फैलाया कुछ मैंने, तो पिछवाड़े की फैली दरार के बीच में कमल जीजू का मोटा औजार फंस गया। अब तो जीजू के इस मोटू से मेरे पिछवाड़े से इतनी दोस्ती होगयी थी, पिछले २४ घंटे में ही पांच छह बार घुस चूका था अंदर लेकिन न उसका मन भरता था न मेरे भूरे दरवाजे का।

कमल जीजू भी न बस, कमल जीजू ही थे।

आज हम तीनो, मैं, रीनू और गुड्डी एकदम चनिया चोली वाली चोली पहन के आये थे आलमोस्ट बैकलेस, बस एक धागे से बंधी




और उनके हाथों ने झट से मेरे कैद जुबना को आजाद कराया और सीधे अपने हाथों में और क्या कस कस के मसल रहे थे लेकिन मैं भी उन्ही के ग्रेड की साली थी मैं क्यों छोड़ती, मैं भी अपने चौड़े चौड़े चूतड़ जीजू के तन्नाए बौराये मोटू पे रगड़ रही थी।

लेकिन मजे सबसे ज्यादा ये और इनकी छिनार बहिनिया ले रही थी,

इनके दोनों हाथों में लड्डू और इनकी बहन के दोनों हाथो में भी ल से शुरू होने वाला अंग।

एक हाथ से ये अपनी बहन की छोटी छोटी चूँची दबा रहे थे तो दूसरे हाथ से अपनी साली की बड़ी बड़ी चूँची।

और गुड्डी बाई की दूसरी चूँची पे अजय का हाथ, दो दो मरद सिनेमा हाल में खुल के दोनों चूँची के मजे ले इससे ज्यादा कोई लड़की क्या चाहेगी

और रीनू भी खाली नहीं बैठी थी, अपने जीजू के औजार को पेंट से बाहर उसी ने निकाला और झुक के चुम्मा भी ले लिया।


और प्राइवेसी भी करीब करीब पूरी थी।



सामने की सीटों पर तो और खुल्लमखुला खेल हो रहा था। शुरू में बस दो चार लोग, लेकिन पिक्चर शुरू होते होते ४० -५० लोग हो गए थे , ज्यादातर आगे की पंद्रह बीस रो में और सब के सब जोड़ों में। किनारे की सीटें सबसे पहले भरीं, फिर दो चार लोग बीच की सीटों पर भी और खूब सीटी, हल्ला गुल्ला,

" अरे असली पिक्चर लगाओ "

और दस मिनट के बाद साफ़ था कोई ब्ल्यू फिल्म काट के, दो आदमी दो औरतें एक साथ, और जैसे ही वो पिक्चर चालू हुयी, तेजी से ज़िप खुलने की आवाजें और फिर आहा उईईई हाँ अरे आराम से, साफ़ था फिल्म देख देख के मुठ मारी जा रही थी, और उसी सिसकियों के बीच किसी आदमी की आवाज आयी,

" हे ऊपर वाला खोल न "

" उसका पचास अलग से लगेगा " किसी औरत की आवाज आयी।

" दे दूंगा, एक बार पकड़ने दे न " वही आदमी बोला।

" पहले पैसा निकाल " उसी औरत की आवाज आयी।

सामने परदे पे ब्लो जॉब का क्लोज अप आ रहा था और फिल्म की सिसकियों के साथ पिकचर हाल में भी सिसकियाँ बढ़ गयी थीं।

" हे जरा एक बार मुंह लगा दे न " किसी आदमी की आवाज आयी और तुरंत जवाब आया, " उस का चौगुना लगता है, पहले १०० की पत्ती निकाल और कंडोम लगा ले "

परदे पर का चूसने का सीन था, या हाल का डायलॉग,.... रीनू ने गुड्डी का सर पकड़ के गुड्डी के भैया के खड़े तन्नाए लंड पे झुका दिया और उस ने न १०० का पत्ता माँगा न कंडोम लगाने की जिद की, बस चुसूर चुसूर चूसने लगी,



अजय की दो उँगलियाँ गुड्डी की बिल में घुसी हुयी थीं। और ये अपनी साली के साथ चुम्मा चाटी कर रहे थे।

गुड्डी मल्टी टास्किंग में एक्सपर्ट थी, चूस वो अपने भैया का रही थी लेकिन मुठिया अजय का रही थी।

पर कुछ देर बाद इनकी साली ने अपने जीजू के खूंटे को मुंह में ले लिया और गुड्डी का पूरा ध्यान अजय के ऊपर,

आगे परदे पर ब्ल्यू फिल्म ख़तम हो गयी थी और देखते देखते आधा से ज्यादा सीटें खाली, पर थोड़ी देर में वहीँ रंडिया वापस लेकिन मर्द बदल गए थे और पंद्रह बीस मिनट में जब दोबारा ब्ल्यू फिल्म चलने लगी तो फिर पहले की तरह, मुठ मारना, सिसकिया और इंटरवल के पहले आधे से ज्यादा लोग चले गए।

लेकिन हम लोगो की मस्ती पे कोई फरक नहीं पड़ रहा था, और साथ में हम दोनों बहने अपनी ननद को छेड़ भी रही थीं, चिढ़ा भी रही थीं। रीनू सामने चल रही ब्ल्यू फिल्म को देख के, गुड्डी को चिढ़ाते बोली,

" हे गुड्डी बाई देख कित्ता मोटा है "

" मेरे भैया का उससे बीस है " इनका मोटा खूंटा मसलते इनकी बहिनिया बोली। तबतक एक लड़की जो चूस रही थी, उसके पीछे दूसरा आदमी चढ़ गया और हचक के पेलने लगा।

" क्या ललचा रही है गुड्डी बाई, एक साथ दो दो, अरे तेरे ऊपर एक साथ तीन तीन चढेंगे " मैंने गुड्डी बाई को छेड़ा।

लेकिन गुड्डी असल रंडी, और अब रंडियो की जुबान भी सीख गयी थी,

" अरे भौजी तोहार झांट काहें सुलग रही है, आपके दो दो जीजा है तो दो का मजा साथ लेती हैं तो मेरे भी तीन बहनचोद, मादरचोद भाई है तो मैं भी तीन का मजा एक साथ लूँगी, छेद तीन हैं लंड तीन,... आप दोनों देखिएगा जलियेगा नहीं तो किचेन से बेलन लेके अंदर डाल लीजियेगा। "

अपने मुंह से अजय का खूंटा निकाल के वो बोली और फिर इनका मूसल चूसने लगी।


पिक्चर हाल में मैंने भी बहुत मजे लिए थे, किस करना, ये भी थोड़ी हिम्मत कर के ऊपर से बूब्स पकड़ लेते थे दबा देते थे और मैं शैतानी से बालकोनी में या बॉक्स में कार्नर सीट पे ज़िप खोल के, लेकिन आज ऐसी मस्ती कभी नहीं आयी।

मैंने देखा की पूरे हाल में बस वही आवाज, वही काम,

इंटरवल तक २५ -३० लोगों की मुट्ठ तो मारी ही गयी होगी।

लेकिन न हम तीन लड़कियां झड़ी न कोई मर्द, असल में मेरी और रीनू की प्लानिंग थीं, आज रात में ये तीनो लौंडे गुड्डी पे एक साथ, उसके तीनो छेद की सेवा जबरदस्त हो और कल जब ये लड़के लोग लौंडेबाजी वाले स्पा में जाएंगे तो मैं और रीनू मिल के गुड्डी की जबरदस्त रगड़ाई, डबल स्ट्रेप आन



इंटरवल में हम लोग निकल आये , ... और सीधे एक होटल में



रीनू की शरारत वहां भी जारी थी ,
 
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गुड्डी बाई -होटल में


इंटरवल में हम लोग निकल आये , ... और सीधे एक होटल में



रीनू की शरारत वहां भी जारी थी ,


--

सबसे बड़ी बात तो रीनू ने ये की कि, गुड्डी बाई कि धजा बदली।

जिस तरह से वो 'सड़क छाप रंडी ' लग रही थी किसी होटल में घुसना मुश्किल था लेकिन रीनू एकदम जादूगरनी थी और प्लानिंग में परफेक्ट। कार कि डिक्की में एक बड़ा सा बैग रखा था और उसी पिक्चर हाल के बाथरूम में ही, रीनू और गुड्डी घुसी और जब निकली तो एकदम बदली, चार इंच कि स्टिलेटो हील, छोटा सा माइक्रो स्कर्ट, जो चुनमुनिया से मुश्किल से डेढ़ दो बित्ते नीचे तक और वो भी स्प्लिट, और एक ट्यूब टॉप जो उभारों को और उभार रहा था और चेहरे का मेकअप भी बदला, खूब डार्क मसकारा, फाल्स आईलैशेज, एक अलग रंग कि लिपस्टिक और तेज परफ्यूम

एक हाई क्लास तो नहीं लेकिन खुल्ल्म खुला काल गर्ल या एस्कॉर्ट लग रही थी और सबसे बड़ी बात ड्रेस के साथ ऐटिटूड भी उसी तरह का, लम्बी तो वो थी ही, गोरी गोरी लम्बी लम्बी टाँगे और चार इंच के हाई हील के साथ और खुल के और जिस तरह से वो हिप्स को मटका मटका के चल रही थी

और होटल भी उस रंडियों के मोहल्ले से बहुत दूर नहीं था, उसमें बार और डिस्को भी था और साफ़ था कि ये काल गर्ल्स का भी अड्डा था।


और गुड्डी ने जिस तरह से एंट्री ली सब कि नजर उसकी तरफ और उसका नाम भी सबकी जुबान पर चढ़ गया होगा, क्योंकि रीनू बार बार उसे नाम से ही बुला रही थी, गुड्डी गुड्डी कर के और उस के फेसबुक और इंस्टा के डिटेल भी ,


और जब वेटर आया तो आर्डर देने का काम भी उसी के जिम्मे रीनू ने लगाया और जिस तरह से गुड्डी खुल के फ्लर्ट कर रही थी,

" आई वांट समथिंग हॉट एंड स्ट्रांग, बस मजा आ जाये, च्वायस इज योर्स, "


और सर्व करते हुए भी जब वेटर उसकी ओर आया तो गुड्डी ने वो जबरदस्त अंगड़ाई ली कि लगा दोनों कबूतर टॉप फाड़ के उड़ कयेंगे और वैसे भी जब से उसके निप रिंग उसके भैया ने लगवाई थी, निप्स टनटनाये ही रहते थे तो उस ड्रेस से कबूतर कि दोनों चोंचे साफ़ नजर आ रही थी,

और जब वो गुड्डी कि प्लेट में सर्व कर रहा था तो गुड्डी कि आंखे सीधी उसकी आँखों से टकरायीं और जीभ अपने सेक्सी डार्क लिपस्टिक लगे होंठों पे उसने फिराई,


" उयी आप ने एक बार ही इतना सारा डाल दिया " सर्विंग कि ओर देखते हुए जो डबल मीनिंग डायलॉग उसने बोला तो बेचारे वेटर का तम्बू तन गया।

रीनू ने गुड्डी की ब्रा जब्त कर ली थी और एकदम देह से चिपके करीब करीब पारदर्शी टॉप से जुबना का कड़ाव, कटाव, उभार सब दिख रहा था और गोल्डन रिंग से निप तो हरदम टनाटन रहते थे तो वो भी टॉप में छेद कर रहे थे और वेटर की निगाह भी बार बार वहीँ,...



खाने के बीच में जब वेटर सर्व कर रहा था तो रीनू गुड्डी से बोली ,


" सुन यार तुझे अगर सुसु आ रही है न तो वाशरूम चली जा , वरना यहां गड़बड़ मत करना , और अपना पर्स भी ले जा। "


पर्स तो रीनू का था , लेकिन गुड्डी की ऊँगली दबा के जो इशारा रीनू ने किया था , वो गुड्डी समझ गयी।


पांच मिनट बाद वो वाशरूम से आयी तो पर्स खाली था , रीनू ने खोल कर चेक कर लिया। दोनों ननद भाभी जोर से मुस्करायीं

पर्स के अंदर रेड वाला बट्ट प्लग था




और बेन वा बॉल्स , ... और गुड्डी उसे अगवाड़े पिछवाड़े घुसेड़ कर आयी थी ,

रीनू भी पक्की ,... हलके हलके सरका कर उसने चेक भी किया , वहीँ।

हे और पैंटी गीली तो नहीं कर दी, रीनू ने एकदम खुले आम पूछा

" अरे नहीं आप खुद चेक कर लीजिये, अपने पर्स में से निकाल के अपनी पिंक कलर कि पतली सी थांग लहराते हुए रीनू को दे दिया,

वेटर उस समय स्वीट डिश सर्व कर रहा था और जब बिल ले के आया तो गुड्डी ने उसे दिखा के पहले तो बिल के पीछे लिपस्टिक निकाल के अपना मोबाइल नंबर लिखा और टिप में अपनी थांग भी,

होटल से निकलते ही हम लोगो ने जोर से हो हो किया

दस बजे तक हम लोग घर पर थे और वो रात सच में तूफानी थी , हम सब के लिए लेकिन सबसे ज्यादा गुड्डी के लिए।

लेकिन बदमाशी भी सबसे ज्यादा गुड्डी ने ही की ,

और सबसे जयादा अपने भइया के साथ , और उसकी पिलानिंग में शामिल थीं , और कौन मेरी बहन , इनकी साली और गुड्डी बाई ( अब रीनू के साथ हम सब लोग उसे इस नाम से बुला रहे थे ).

मैंने गुड्डी को जीता था उसके भइया को उसके सामने आम खिला के , ... मैंने और मुझसे ज्यादा मम्मी ने इनकी खाने पीने की सारी आदतें सुधार दी थीं ,

लेकिन पान से ये अभी भी , .... कोहबर में भी मना कर दिया था , ....

और गुड्डी बाई उस मशहूर गली के मशहूर पान वाले से ६ जोड़े पान की जगह आठ जोड़े पान लायी थी , और सब के सब पेसल ,...



होटल से लौटते हुए , गुड्डी बाई ने एकदम रंडी वाली ही अदा में अपने भइया को पान ऑफर किया ,

असल में गाडी मैं चला रही थी , रीनू मेरे बगल में , पीछे तीनों लड़के और गुड्डी अपने भइया की गोद में , और आफ कोर्स एक जोबन उसके भइया के कब्जे में दूसरा अजय के ,


लेकिन गुड्डी के पान वाले ऑफर को उन्होंने बेदर्दी बालमा स्टाइल में ठुकरा दिया ,

गुड्डी बोली , चल भैया मैं ही खा लेती हूँ , और वो पान बस उसने इनके होंठों से छुलाकर सीधे अपने मुंह मे




लेकिन रीनू आयी उसकी बचत को , चल यार तेरे यार ने मना कर दिया , तो तू मुझे दे दे , ... एक जोड़ी पान रीनू के मुँह में भी ,....

और थोड़ी देर में ही पहले बहन के मुंह का फिर साली के मुंह का कुचा कुचाया, मुख रस से भीगा पान इनके मुंह में और हाँ गुड्डी के पीछे से बट्ट प्लग और आगे से बेन वा बॉल्स निकालने का काम भी गुड्डी के भैया ने ही किया।



घर पहुँचते ही ,

कल रात की तरह आज भी लिविंग रूम में रीनू और गुड्डी वाल टू वाल गद्दे लगाकर गयीं थी , एक टेबल पर ड्रिंक्स का सामान भी मौजूद था ,... सोफे कुर्सियां किनारे ,

और गुड्डी ने सबसे पहले अपने भइया को धकेल कर गद्दे पर , बचपन में भाई बहन जिस तरह की धींगामस्ती करते हैं उसी तरह एकदम ,

और उन्होंने भी गुड्डी को अपने ऊपर खींच लिया , रीनू उनकी साली भी अपने जीजू की रगड़ाई में गुड्डी के साथ आ गयी मैदान में ,

जो होना था वही हुआ , थोड़ी देर में इनके कपडे कमरे के चारो तरफ बिखरे पड़े थे ,

और कुछ देर में गुड्डी और रीनू के कपडे भी उनके साथ , ... गुड्डी ने रीनू से सीख लिया था मर्द को कैसे काबू में किया जाता है , बस ऊपर चढ़ कर उस किशोरी ने उनके दोनों हाथ पकड़ कर , उन के सर के नीचे ,

" हिलना मत भैया " उनकी बहना बोली।
" अगर हिले तो बहुत पिटोगे , और रात भर उपवास करोगे सो अलग। तेरी बीबी नहीं आएगी बचाने।
 
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मेरी अन्य कहानियों के पिछले अपडेट

फागुन के दिन चार भाग १९---गुंजा और गुड्डी


छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग ८९ -इन्सेस्ट कथा - इनकी माँ - मेरी सास


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रंडीपना तो जिंदगी भर काम आता है, वही लीवरेज करना,"
रीनू ने समझाया अपनी फेवरट ननद को,

"कैसे भौजी "

गुड्डी अभी भी नहीं समझी थी तो मैं बोली,

" अरे जॉब में, प्रमोशन, पोस्टिंग, असाइनमेंट, हलकी सी मुस्कान, सिर्फ होंठों से नहीं, आँखों से अंदाज से ड्रेस से, फ्रेंडलीनेस से "
ये तो भौजी ने पग पग पर काम आने वाली सीख दे दी है....Real moral of the real world
 
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