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एकदम सही कहा आपने, आये थे काठमांडू से और जा रहे हैं अपने शहर और फिर,कोमल मैम
हमेशा की तरह अपेक्षित शानदार अपडेट लेकिन एक बात समझ में नहीं आई, जीजू लोग आये तो गाड़ी से थे ना पर जा रहे हैं फ्लाइट से ???
खैर हमें क्या ? जैसे चाहे जाए उनकी मर्जी है। तभी थोड़ा माहौल बदलेगा।
सादर
दूसरा एक दिन एक्स्ट्रा रूक भी गए
जोरू का गुलाम भाग २१८ पृष्ठ १२०४ में उनकी वापसी के प्रोग्राम का थोड़ा सा जिक्र हैं, उस पार्ट के आखिरी भागों में
प्रोग्राम चेंज (१२३६ पोस्ट संख्या ) में
रीनू मान गयी मेरी ननद को लेकिन अब मेरी कमीनी बहन ने वही राग अलापना शुरू कर दिया ,... जो तीन दिन से मेरे सामने अलाप रही थी और सारी औरतें अलापती हैं , ...
हबी की नौकरी , मीटिंग , छुट्टी बड़ी मुश्किल से मिलती है ,...
" यार मेरा मन बहुत था लेकिन अजय की एक मीटिंग है , मंडे आफ्टरनून ,.... और मंडे को कोई डायरेक्ट फ्लाइट भी नहीं है , वरना ,..
गुड्डी का एंटीना खुल गया था , अब मजाक छोड़ के वो सीरियस हो गयी ,
" कित्ते बजे मीटिंग हैं ,... "
" साढ़े तीन बजे , लेकिन उन्हें तीन तक आफिस पहुँच जाना ही होगा ,... इसलिए ,... "
अब रीनू की बात अनसुनी कर के , गुड्डी ने उसके हाथ से मोबाईल ले लिया ,... और मेरा मोबाइल उसके पास था ही ,
तो इस फ्लाइट के प्रोग्राम की कुछ झलक भाग २१८ में मिल गयी थी। और गुड्डी ने कैसे फ्लाइट चेंज करवाई उसके डिटेल्स भी
तो कई बार ट्रवेल में एक और का रास्ता कार से और दूसरे ओर का प्रोग्राम लोग फ्लाइट से बना लेते हैं
हाँ शुरू में जो आये भाग ६२ और भाग ६६ के पृष्ठ ९४ पर जहाँ उनके आने का जिक्र है वहां कही यह जिक्र नहीं है की वो अपनी कार से आये
कयोंकि ऐसा होता तो वास्तव में कंटीन्यूटी की बड़ी समस्या होती
लेकिन आप ऐसे पाठक हों जो एक एक बात को रस लेकर ध्यान से पढ़ें तो लगता है की लिखने का परिश्रम, जो ताना बाना बना गया है कई पार्ट्स में वो सब सार्थक हो गया
बहुत बहुत आभार।
अगले भाग से ही कहानी में बदलाव नजर आएगा, बहुत से लोगों ने आगे के हिस्से नहीं पढ़े होंगे और एक तरह से वो कहानी का चौथा और अंतिम भाग होगा।
पहला भाग टाउनशिप का था, दूसरा इनके मायके में जिसमे जेठानी का रोल अहम् था, तीसरे में गुड्डी साथ में आयी और फिर गुड्डी और बाकि सब
और अब एक नया टर्न जल्द ही
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