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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Luckyloda

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नयी क्राइसिस

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मैंने ब्रंच की तैयारी शुरू कर दी , लेकिन मेरे मन से वो सुबह की खबरे , नहीं जा रही थी , दिमाग से उनका चेहरा नहीं उतर रहा था। जब वो मीटिंग के लिए जा रहे थे कित्ते टेन्स थे .


मेरे दिमाग ने फिर उलटा पुलटा सोचना शुरू कर दिया , पिछले हफ्ते की ही तो बात है , पांच छह दिन पहले जब मुझे अंदाज हुआ थी की इनकी कम्पनी क्राइसिस में है। और खास तौर से हमारी लोकेशन

असल में हमारे लोकेशन में जो इक्विपमेंट बनता था , उसमें एक अमेरिकन इक्विपमेंट लगता था जो इनकी पैरेंट कम्पनी का प्रोप्रायटरी आइटम था। वॉल्यूम वाइज वो सिर्फ १५ % था , ७० % पार्ट जहाँ हम पोस्टेड थे वहीँ बनता था , बाकी १५ % आउटसोरस्ड था .

लेकिन वैल्यू वाइज वो पैरेंट कम्पनी से इम्पोर्टेड पार्ट , ४५ % था।

और अब रूपये की वैल्यू गिरने से इम्पोर्ट कास्ट बढ़ गयी , और वह पार्ट अब कुल कास्ट का ६५ % हो गया।


इससे प्रॉडक्ट की प्राइस भी बढ़ गयी , और जो हमें कम्पटीटिव एज थी वो सिर्फ ख़तम नहीं हुयी बल्कि एडवर्स हो गयी थी , और राइवल को फायदा हो रहा था।



और इससे कम्पनी की लिक्विडटी की प्राबलम भी पैदा हो गयी थी।



यह प्रॉब्लम सिर्फ एक्सचेंज रेट तक रहती तो गनीमत ,



पर एक पेंच और था , ... अमेरिका ने , ढेर सारे प्रॉडक्ट्स पर जो इण्डिया से आते हैं टैरिफ बढ़ा दी।



बस इण्डिया ने भी ,...

और जिन प्रॉडक्ट्स पर ये एक्स्ट्रा सरचार्ज लगाए गए थे ,... उनमें स्टेटस से आनेवाला .. वो पार्ट भी शामिल था।


नतीजा , इनपुट कास्ट और बढ़ गयी , ... और लिक्विडटी क्राइसिस शुरू हो गयी थी.



एक और पेंच था , शेयर बहुत ऐब्नॉर्मल बिहैव कर रहे थे , और पता यह चला की कोई परचेज कर रहा है , और हमारी लिक्विडटी क्राइसिस का फायदा उठाकर , एक्वायर करना चाहता है।


एक गड़बड़ और थी कंपनी ने एक डेब्ट ले रखा था , जो एक तरह से डेब्ट कम इक्विटी थी। अगर डेट की मैच्योरिटी या जब भी डेट देने वाली कम्पनी डेट वापस पन्दरह दिन की नोटिस देकर मांगे ,... और कंपनी अगर उसे न दे पाए तो उसे एक राइट था , की वो करेंट शेयर के वैल्यू के बेसिस पर उस डेब्ट को शेयर में कन्वर्ट करने के लिए इंसिस्ट सकता था। वो करीब १४ % शेयर होता।


जिस कम्पनी ने डेब्ट दिया था , वो उसी मार्केट में घुसना चाहता था , जिसमें इनकी कम्पनी थी।

बताया तो था आप लोगो को वो भी इसी पोस्ट में जबरदस्ती दुहरा रही हूँ ,


पर ये न , इन्होने कम्पनी के बाकी लोगों से मिल कर कुछ रास्ता निकाल लिया था , जिस दिन कमल जीजू लोग आये थे उसी दिन यह भी कारपोरेट आफिस से मीटिंग कर के लौटे थे , और रास्ता निकलने से बहुत खुश थे।



जो रस्ते उन्होंने शेयर मैनेजमनेट के लिए निकाला था ,


इसमें एक ये भी है की उन लोगों ने कुछ म्युचुअल फंड मैनेजर्स से बात कर के रखी थी , शेयर के लिए , की वो हम लोगो का शेयर ले।

खासतौर पर अगर जो कम्पनी हमें एक्वायर करने की कोशिश कर रही थी , ये पूरा शक था की वो बल्क में शेयर बेच कर के , एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट करती की , इन शेयर्स के टेकर्स कम होते , और फिर दाम और गिरते , देखा देखी और लोग भी शेयर बेचते ऐसी हालत में , थोड़ा भी प्रेशर , शेयर्स को फ्री फाल्स में बदल देता , कम्पनी की क्रेडिबिल्टी खराब होती , और जो हमें एक्वायर करने वाला था , वो एकदम गिरे दामों पर शेयर खरीद कर अपना हिस्सा कम्पनी में बढ़ा लेता , ... इसी सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए इन्होने कुछ फंड मैनेजर्स से बात की थी , और उन्होंने अश्योर भी किया था की क्योंकिं इनकी कम्पनी के मैक्रो पैरा मीटर्स ठीक हैं इसलिए वो सर्टेनली शेयर का दाम थोड़ा भी गिरंने पर इस कम्पनी में म्युचुअल फंड का का पैसा जरूर लगाएंगे।



ये इनकी स्ट्रेटजी का जरुरी हिस्सा था।



पर जो घर आते हुए मैंने ट्रैकर देखा था , सारे शेयर धड़ाम हो रहे थे।

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बीयर मार्केट पर हावी थे।
और जो इन्होने हल सोचा था वो सब ठीक ठाक था

पर अचानक शेयर मार्केट में बीयर आ जाएंगे, ये इन्होने क्या किसी ने नहीं सोचा था, वैसे भी कम्पलीट रेडियो सायलेंस के चक्कर में तीन दिनों से इन्होने हाल चाल पूछी भी नहीं थी

मुझे लग रहा था कुछ बड़ी गड़बड़ है जो अचानक इस तरह की मीटिंग, और कम्पनी अभी खतरे से निकली नहीं थी अगले हफ्ते दस दिन बड़े इम्पोर्टेंट थे


घर आके मैंने इकोनॉमिक पेपर्स पिछले दो तीन दिन के खगाले,...
Sala aajtak itna to kabhi जाना ही नहीं है शेयर बाजार या किसी कंपनी के बारे में
 
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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३४ क्राइसिस पृष्ठ 1410

please read the latest update,


enjoy, like and comment.
 
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vakharia

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कोमल जी,

आपकी लिखाई पर दिल से प्रशंसा व्यक्त करना चाहता हूँ.. आपने जिस प्रकार से एक एरोटिक कहानी में कॉर्पोरेट वित्तीय जमेले, शेयरों के दरों की उठापटक, अधिग्रहण से जुड़ी संजीदगियाँ, और कॉर्पोरेट सरवेलन्स जैसे जटिल विषयों को मिश्रित किया है, वह अत्यंत प्रभावशाली भी है.. आपने इन कठिन और तकनीकी विषयों को इस सटीकता से प्रस्तुत किया है कि पाठक को न केवल कहानी के रोमांचक मोड़ से जुड़ाव महसूस होता है, बल्कि वे इन कॉर्पोरेट मुद्दों को भी समझ पाते हैं.. एरोटिक तत्वों के बीच भी आपने इन मुद्दों को ऐसे रूप में समाहित किया है कि वे कहानी के मर्म को न केवल बढ़ाते हैं बल्कि उसे और भी अर्थपूर्ण बना देते हैं.. जाहीर होता है की इन सारे विषयों का ज्ञान केवल पढ़कर नहीं आ सकता.. आपने जरूर ऐसे मामलों को प्रवृत्त होकर संभाला भी होगा..

यह कहानी सिर्फ एक सामान्य एरोटिक कथा नहीं है, बल्कि यह आपकी लिखने के कौशल्य का प्रतीतिकरण है, जिसने वित्तीय और कॉर्पोरेट संस्कृति के संसार को बड़े ही सटीकता और सामंजस्य के साथ एक रोमांचक कथा में ढाल दिया है.. आपकी लेखनी ने यह साबित कर दिया है कि लेखन का कोई भी विषय हो, उसे कुशलता से प्रस्तुत किया जा सकता है, अगर उसमें समर्पण और विद्वता हो...
 
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dododo

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कहानी में बदलाव

पिछली कई पोस्टों से मैं जिक्र कर रही थी कहानी में बदलाव आने वाला है तो बस अगली पोस्ट शुरू करने से पहले दो तीन बातें बता दूँ

१ अब तक मैं कोशिश कर रही थी की जो कुछ हुआ उसी घटनाक्रम में हरदिन की बात, और फिर अगले दिन की, लेकिन थोड़ा सा इस क्रम में बाधा पड़ेगी, जैसे अभी तक पोस्ट २१५ से पोस्ट २३३ तक जीजू के आने के बाद की घटनाओं का जिक्र था, लेकिन एक बात थी जो उन के आने के पहले की थी जिसका थोड़ा सा इशारा मैंने पोस्ट २१ ३ में किया भी था, लेकिन अब शायद उसे दुहराना याद दिलाना पड़े क्यों की पोस्ट २१३ नया दिन नयी सुबह पिछले साल दिसंबर में पोस्ट हुयी थी और आगया दिसंबर २४ और वहीँ से फिर से बात शुरू करनी है इसलिए। और अगली पोस्ट यानी २१४ में गुड्डी को छोड़ने गयी थी तो बोला भी था गुड्डी से
" अच्छा तुझे अकेले आने की जरूरत नहीं , तेरा खसम किस बात के लिए है ,..." और बात साफ़भी कर दी " तेरा बचपन का यार , तेरे भइया ,... वो आ जाएंगे तुझे ६ बजे लेने ,... "

जब डेढ़ बजे वो फ्लाइट में बैठे ही थे , उसी समय मैं, ने उन्हें बोल दिया था और ये भी की

अपनी बहन को अंदर भेज कर , गाडी पार्क कर के , पांच छ मिनट के बाद ही अंदर घुसेंगे।

तो बस अब अगले भाग में कहानी फिर मुड़ के उस जगह पहुँच जायेगी जिस दिन जीजू लोग आये थे और जीजू लोगों का किस्सा तो इत्ते विशार में बता दिया तो उसी पार्ट में जीजू लोगों के जाने के बाद की कहानी चलेगी

२ दूसरा फरक ये आएगा की कहानी अब तक फर्स्ट परसन में मैं सुना रही थी लेकिन अब कहानी की जगह एक साथ कई जगहों पर होगी तो सेकेण्ड और थर्ड परसन में भी होगी

३ अब कहानी करीब करीब वहां पहुँच गयी हैं जहाँ पिछला फोरम बंद हुआ था, दो तीन भाग शायद पोस्ट भी हुआ था लेकिन एकदम आखिरी दिनों में जिसे कम लोगों ने पढ़ा और धुंधली सी याद है तो बस अब कहानी वहां पहुँच गयी है

लेकिन कहने वाली वही है, कहानी भी उन्ही लोगो की और पढ़ने वाले भी तो बस आपका प्यार दुलार आशीष मिलता रहेगा यही कामना है।
Main bahut dino se pratiksha kar raha tha ki kab khani pichle forum se aage ki taraf badhegi. Maine to socha tha ki kacchi amiya khane aur khilane ke baad ab meethe rasgullon ka swad milega, per yeh bhi sahi hai. Corporate world ki politics, utaar chadaav kahani ko rochak aur vaastavikta ke adhik paas le aayenge. Saath me alag-alag logon ke pov bhi milte rahenge, unke khud ke munh se apni uttejna aur mann ki sthiti ka vivaran majedaar hoga.
 
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गलती आपकी है , वो वाली बेड टी, ... मैं तो आप के बगल में ही लेटी थी , जग भी गयी थी , आप को जगाने की भी कोशिश की , पर ,... आप भाभी , सपने में न जाने किस के साथ कबड्डी खेल रही थीं , कौन कौन से मायके के यार आगये थे सपने में आप के ,उठी ही नहीं,... तो मैं मन मार के , यहाँ। "

गुड्डी भी , एकदम मेरी असली ननद।
गुड्डी ने तो गलत सोच गुड्डी की भाभी तो अपने कमल जीजा मालिक के याद में खोई हुई थीं इसलिए उतना मोटा और लंबा नहीं मिलेगा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
 
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