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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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भाग २४१ - मस्ती पार्क में अपडेट

पोस्ट हो गया है, पृष्ठ १४८४

कृपया पढ़ें, आनंद लें और लाइक और कमेंट जरूर करें
 
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motaalund

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Amezing update. Me soch rahi thi ki sirf Mr Dirdhlingam hi fase hue hai. Par yaha to har kisi ki gath fasa rakhi hai. Secretary aur honey trep. Teeno directors kahi na kahi kisi na kisi jagah majbur hai. Vo bhi ese hi trep me fas kar kahi na kahi sin kar bethe hai. Vaha market ke girne ka asar yaha ho raha hai. Ek aur war zone. Jise Mr Dirdhlingam ko ladhna hai. Amezing update.

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अकेले के वश की बात नहीं...
अपने अपने फायदे के लिए धोखा देना .. शायद फितरत में शुमार है...
 

motaalund

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बहुत बहुत धन्यवाद,

कहानी में कुछ तो कहानी रहेगी, लेकिन माहौल बहुत कुछ सच्ची दुनिया से भी जुड़ा है और कारपोरेट कब्जे या मर्जर की पृष्ठ भूमि पर मैं इसके पहले भी लिख चुकी हूँ। लेकिन उसमे दो बातें और थीं कारपोरेट कब्जो में जो मारे जाते हैं, जिनकी नौकरियां जाती हैं, विशेष रूप से हायर मैनेजमेंट के और थोड़ा ज्यादा एज वाले, लेट मिडिल एज वाले उन पर क्या गुजरती है।

उसमे भी कारपोरेट हेडक्वार्टर साउथ मुम्बई में था, कोलाबा में ही और मैंने टी एस एलियट की कुछ लाइने इस्तेमाल की थी और कहानी का शीर्षक और अंत एक नोबल पुरस्कार विजेता की लाइनों से हुआ था।

जी, IT IS A HARD रेन


आपने पढ़ी हैं कमेंट भी किया है, चाहें तो फिर से तो एक नजर जरूर डालियेगा

It’s a hard rain



When the evening is spread out against the sky
Like a patient etherized upon a table…


Dusk was dawning on the glass panes of his window, smoke rubbing its muzzle, peeping from outside, streets following like tedious argument, …every evening, it reminded him of Prufrock’s love poem, more than 12 years had gone, him occupying this cabin, but today was to be last day, last evening,

The clock on the wall reminded him: 10 minutes more, 10 minutes to move out, move out forever.

When the day started, it was like any other.

Same pressure, targets to be achieved, calls to be answered, calls to be avoided, and meetings galore. Still, the first hints came when somebody from finance texted about the irrational behavior of company’s stock. Before he could make head of tell, HR had called everybody to be out in hall,


And there was blood bath.
A good writer must be good reader.
And you are gem.
 

motaalund

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Twelve years have passed, a cabin’s quiet breath,
each evening steeped in Prufrock’s weary song...
The streets, like arguments, unraveled, thread by thread,
and now, the final hour—ten minutes long...

The day began as days are wont to do:
targets, calls, the hum of endless grind...
But whispers grew, a shadowed, creeping hue,
a text, a call, the turning of the mind...

And then the hall, the gathering, the fall—
a bloodbath wrought in silence, cold and stark...
The clock ticks on, indifferent to it all,
as evening fades to night, and light to dark...

Oh, hard rain, fall—
not just on rooftops, but on souls that bleed...
Wash clean the wounds, the echoes of the call,
and let the seeds of what remains take heed...

For in the ashes, life will stir anew,
though now it seems the world is cloaked in grey...
The evening falls, but morning’s light breaks through—
a hard rain falls, but it will not stay...
दोनों एक से बढ़कर एक...
 

motaalund

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Bilkul sahi kaha Komalji. Mene bhi aap hi se sikha hai. Koi bhi content ke pichhe kitni kuchh information research karna padta hai. Aap vakei kabile tarif ho. Is content se muje bhi share market ke bare me bahot kuchh pata chalne laga hai. Thankyou very very much

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Intricacies of share market manipulation and its presentation is truly marvelous.
Hats off to you..
 

motaalund

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पहले कम्पनी तो बचे

अगर कंपनी डूबी तो नौकरी जायेगी

अगर नौकरी गयी तो डेरा डंडा उठा के वापस जेठानी के राज में जाना होगा, गुड्डी की कोचिंग भी ख़तम

और तीज पार्टी का तो सवाल ही नहीं, अभी तो कम्पनी पर ही कोई कब्जा करने के चक्कर में है और ये लड़ाई जीतना जरूरी है।
जब इतने बड़े बड़े लोग शामिल हों तो कंपनी को कौन डुबो सकता है...
कंपनी तो बचेगी हीं बचेगी.
सिर्फ किसने क्या चाल चली .. ये जानना जरुरी है...
किसकी काट कैसे की ये मुख्य बात है...
 

motaalund

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Chalo koi bat nahi. Aap koi na koi amezing content bich me laogi hi. Muje maza aa raha hai. Abhi to Minal ki mastiya bhi baki hai. Minal ki Komal se dosti hogi kya??? Muje un dono ko amne samne dekhna hai. Kyo ki dono hi amezing character hai.

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सभी को अपने अपने स्पेस में जीने दें...
 

motaalund

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भाग २३९ -बंबई -बुधवार

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वॉर २

घबड़ाहट, परेशानी और मीनल

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सुबह से पहली बार मीनल को घबड़ाते देखा, लेकिन परेशान चेहरे पर उसने मुस्कान चिपकायी और अनु और सुब्बू के साथ मिल के बियर गटकने और बीयर लोगों को लेने की तैयारी में लग गयी,

मीनल ने मुझसे बोला था की स्साले अबकी और कस के हमला करेंगे, देखना गांड में मलहम वलहम लगा के घंटे डेढ़ घंटे में फिर से हाजिर होंगे, अपनी माँ का दूध पी के, लेकिन


ये जो फोन आ गया वो लग रहा था की जीती बाजी पलट देगा, क्योंकि तीन बातें एक साथ हमारे खिलाफ चली गयी थीं, जिनमे से एक भी बाजी पलटने के लिए काफी था,


पहली बात, मिस्टर बुल का खुद का फोन, जो जल्दी नहीं होता था, उसके चमचे ही बड़ी मुश्किल से लिफ्ट देते थे तो ये तो,
इसका मतलब बात सचमुच में बहुत सीरियस थी, दूसरे ये बात अगर उन्हें पता चली थी तो हमारे खिलाफ वालों को भी पता चल गयी होगी और जो अभी अपने घाव पर मलहम लगा रहे थे, वो तो जोश से उछल रहे होंगे ,


दूसरी बात थी, शेयर मार्केट का सिद्धांत, ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे हमने ठगा नहीं।
तो मिस्टर बुल, जो शेयर में उछाल चाहते थे और जिन्हे तगड़ा फायदा होता, वो भी घाटे का सौदा क्यों करते। अगर उन्हें लगता की हम पीछे हट रहे हैं और शाम तक कम्पनी अगर हमारे हाथ से निकल जायेगी तो वो नए लोगों से पंगा क्यों लेंगे ?

और तीसरी बात थी, कोई कितना भी बड़ा गुंडा क्यों न हो, अपनी गली का, अपने शहर का, लेकिन सरकार से बड़ा गुंडा कोई नहीं होता।

और सुबह से इंडिकेशन था की सरकार हमारे साथ थी, सुबह सुबह बीयर मार्केट के उस्तादों पर इंफोर्स्मेंट डायरेक्ट्रोरेट का छापा, सेबी का उनकी ट्रेडिंग बंद करना, बैंको का उनका अकाउंट फ्रीज करना और गवर्नमेंट इन्वेस्टर्स का हमारी कम्पनी में पैसा लगाना, मार्केट में बार बार यही मेसेज जा रहा था और जो किनारे पे बैठे, नदी की धार पर देख रहे थे, उनके लिए ये बहुत बड़ा सिग्नल था।
पर अगर सबसे बड़ा इन्वेस्टर ही हाथ खींच लेगा तो बड़ा मुश्किल था,...

और उसकी देखा देखी और लोग भी,

और अकेले मेरे और मीनल के बस का नहीं था.

हम लोगों ने धारा मोड़ दी थी, डूबती नाव को तेरा दिया था, किनारे की ओर मोड़ दिया था, हवा का रुख बदला था, लेकिन किनारे तक पहुँचाना अकेले हमारे बस का नहीं था।

पर कहते हैं न सांप के काटे का भी मंतर होता है तो इस मामले में भी कुछ काट तो होगी ही और वो बात और काट दोनों मैंने सोच ली थी और इस समय भले ही न्यूयार्क में रात हो, लेकिन अभी तुरंत ही वहां कुछ होना होगा, इसलिए उन्होंने ग्लोबल हेडक्वार्टर को आगाह किया था और दुबारा सीधे एक बार फिर अपने स्ट्रेटजी वाले को फोन किया था, कुछ भी करके, कुछ भी हो, अगर कम्पनी को बचाना हो तो,....

पर अब सब कुछ वहां के हाथ में था


और यहाँ मीनल जो कुछ कर सकती थी, कर रही थी।

अभी ट्रेडिंग का काम उसने शिब्बू के हवाले कर दिया था, एक आँख से वो बोर्ड्स को देख रही थी और दूसरी ओर अनुराधा से मिल के फोन पे बात कर कर के अपनी टीम की हिम्मत बढ़ा रही थी, रिसोर्सेज इकठ्ठा कर रही थी।

एकदम जैसा मीनल ने बोला था,

ठीक एक घंटे बाद, हमला शुरू हुआ, लेकिन डेढ़ घंटे में वो तूफ़ान में बदल गया, जैसे सुनामी आ गयी हो, वो भंवर में फंस गए हो,

पहले हमारी सपोर्टिंग इंडस्ट्रीज, ब्रोकरेज फर्म पे हमला हुआ, और पंद्रह मिनट में लग गया की उन्हें बचाना अब मुश्किल होगा,

फिर ढेर सारी नयी नयी छोटी कम्पनियां, इन्वेस्टर्स, अब हमारे शेयर को बेच रहे थे, और साफ़ लग रहा था की वो घाटा सह के बेच रहे थे और सिर्फ मार्केट गिराने के लिए बेच रहे थे। किसी ने उन्हें फंड किया था।



मीनल ने हाथ रोक दिया और सब को बोल दिया,

अभी तेल देखो, तेल की धार देखो, और बस पंदह मिनट के बाद सारे बिकवाली बाले एक साथ मैदान में आ गए, और न सिर्फ उनकी कम्पनी के बल्कि उन सेक्टर्स के काफी कम्पनी के शेयर बेचने लगे

मीनल ने कुछ सेलेक्टिव बायिंग शुरू की पर लग रहा था जैसे तूफ़ान में कागज़ का जहाज उड़ाए,

लग रहा था उन लोगों ने अपना पूरा वार चेस्ट खोल दिया है

डेढ़ घंटे में बाजी पलट गयी थी, एकदम हमारे खिलाफ।


मीनल भी कुछ नहीं कर पा रही थी।



मीनल ने अनीस की ओर देखा, और अनीस ने एक बियर का कैन उछाल दिया, बियर आधा पी कर के मीनल ने कैन मुझे पकड़ा दिया, गरियाते बोली,

" स्साले अबकी लगता है शिलाजीत खा के आये हैं, लेकिन चल यार आज तेरा साथ है तो बिना स्सालों की माँ चोदे छोड़ना नहीं है "



और तभी मेरा फोन घनघनाया, वही स्पेशल वाला, नान स्मार्ट फोन, जिसका नंबर कुछ लोगों के ही पास था, एल आई सी से,.....
और तीसरी बात थी, कोई कितना भी बड़ा गुंडा क्यों न हो, अपनी गली का, अपने शहर का, लेकिन सरकार से बड़ा गुंडा कोई नहीं होता।

ये बात सौ टके की कही है...
 

motaalund

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मिस्टर षणमुगम, पेंशन फंड,.... और हवा पलटी
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मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और मीनल, अनुराधा दोनों की निगाहें मेरे चेहरे पर, फोन पर नाम साफ़ था, लेकिन मेरे मन में था की पता नहीं सांप का जो मंतर मैंने इतनी मेहनत से फूंका था, चला की नहीं।

फोन पर मिस्टर षणमुगम खुद थे और उनकी आवाज की चहक और खनक से पता चल गया की मंतर चल गया, उन्होंने सिर्फ एक लाइन बोली,

" डोंट वरी, आई नो यू र इन अ सूप। देयर वेयर सम प्रेशर्स, बट वी ओवरकेम, एंड वी आर विद यू, ....जस्ट होल्ड देम फॉर ट्वेंटी मिन्ट्स,.... एंड यस यू मस्ट नो सम मैजिक, थैंक्स सो मच, वो गॉट द ग्रीन लाइट, एंड प्रॉसेस विल बी कम्पलीट इन फोर फाइव डेज। आई में बी गोइंग देयर नेक्स्ट वीक,...."


मैं थैंक यू बोलता उसके पहले उन्होंने फोन काट दिया।

और हवा, माहौल, मूड सब बदल गया।

मेरे रिलैक्स्ड चेहरे को देख के अनु, मीनल सब के चेहरे पर चमक आ गयी और यहाँ तक की अनीस भी खुश हो गया और उसने हम सब की ओर बीयर के कैन उछाल दिए,

" एल आई सी, .....इन ट्वेंटी मिनिट्स " कह के मैंने थम्प्स अप दिया,

' होल्ड ट्रेडिंग फॉर फाइव मिनट्स, मीनल माइक में बोली और ऊँगली से पांच का इशारा किया और मेरी ओर मुड़ी, और कस के मुझे हग कर लिया,

और क्या हग किया, जबरदस्त।

किसी भी लड़की को सबसे पहले यही मालूम होता है की उसके बूब्स लड़के पर क्या असर डाल रहे हैं और मीनल की तो एक्स रे आयी थीं, १०० किमी दूर किस के प्रेशर कूकर में कौन सी दाल पक रही है वो देख सकती थी, किस इन्वेस्टर के जेब में कितना पैसा है तो मेरे ऊपर उसके जबरदस्त कड़क बूब्स का असर तो वैसे भी मेरे तम्बू में बम्बू से पता चल जा रहा था और मीनल अब जान बुझ के अपने बड़े बड़े कड़े कड़े बूब्स मेरे सीने से रगड़ रही थी, और वैसा जबरदस्त डीप फ्रेंच किस तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था और हाथ उसका सीधे मेरे खूंटे पे, कस कस के रगड़रही थी और पहले मुझसे बोली.

" स्साले, अभी इस बीयर दल की गांड न मारनी होती न तो अभी यहीं तुझे बिना चोदे न छोड़ती, लेकिन आज तो बम्बई से बिन चुदवाये नहीं जाएगा, इत्ता मजा आ रहा है, अब स्साले आएंगे गड्ढे में,.... "

और अनु की हालत उससे भी ज्यादा खराब, सामने स्क्रीन को देख के वो ऐसी अराउजड हो रही थी, अपनी जाँघे आपस में रगड़ रही थी , हाथ बार जींस की बटन पे जा के रुक जा रहे थे, आँखे मस्त हो रही थीं थी,

" अरे झड़ स्साली, किस गांडू से लजा रही है, इस चिकने से ,.... ये स्साला तो खुद हमारी हाल में है, एकदम तन्नाया है खोल दे बुलबुल "मीनल मस्ती से अनु को उकसाते बोली, खुद मीनल एकदम गर्मायी

और अनुराधा का हाथ उसकी जींस के अंदर, और क्या जबरदस्त ज्वालामुखी फूटा, भयंकर आर्गाज्म

और मुझसे छुड़ा के मीनल की भी हालत तो अनुराधा से भी ख़राब , दो मिनट तक कांपती रही, बस स्क्रीन को देखती, और झड़ना शुरू

फिर शिब्बू को देख के बोली,

" अबे तुझसे तो इन से कोई मतलब नहीं,.... तू लगा रह "

और अब मुझे दो बातें समझ में आ गयीं

एक तो शिब्बू, उसे लड़कियों से कोई मतलब नहीं था।
नहीं नहीं, लड़कियों के साथ लड़कों से भी मतलब नहीं था। खड़ा होता था, उसका भी, तनता भी और झड़ता भी लेकिन बस दो बातों से
एक तो मैथ्स के लम्बे लम्बे इक्वेशन से और दूसरे सबसे जटिल अलॉगर्थिम से, २१ साल की उम्र में उसने प्रिंसटन से प्योर मैथ्स में पी एच दी थी

वो बीयर भी नहीं पीता था लेकिन काफी अपने हाथ से ग्राइंड करके और बीन्स देख के उसकी हिस्ट्री बता दे, तो शिब्बू हमारे राइवल की कुंडली बनाने में लग गया वो किस लेवल तक जाएंगे और अनीस उन्हें हैक करने,

और अनु और मीनल सामने बोर्ड को देख के इसलिए गरमा रही थीं की अब उन्हें एक नोन इवेंट मालूम थीं जो राइवल को क्या उनके सपोर्ट्स को भी नहीं मालूम था और अब वो अच्छी तरह से मैनिपुलेट कर सकती थीं.
शेयर मार्केट में जहाँ जरा सी टिप लोगों की किस्मत बदल सकती थी, वहां हमें इतनी बड़ी टिप मिल गयी थी, जो अगले आधे घंटे के बाद सब ट्रेडिंग में उलट फेर कर देती। एक छोटे खिलाड़ी के लिए बड़ी खबर होती, और मीनल ऐसी जबरदस्त स्टॉक मार्केट की मछली के लिए तो उथल पुथल करने के लिए काफी थी , फिर जैसे ही एक बड़ा इन्वेस्टर हमारी ओर आता, एकदम से मार्केट का कॉन्फिडेंस मूड सब चेंज होता,

पहली बार मैं देख रहा था बिजेनस का एक्ससाइटमेंट, अराउजल, किसी हालत में सेक्सुअल अराउजल से कम नहीं होता, बल्कि देखने के साथ महसूस भी कर रहा था, न सिर्फ अनुराधा और मीनल की देह में बल्कि अपनी देह में, मेरा भी एकदम तन्नाया हुआ, खड़ा, पागल बौराया था। अभी दो मिनट पहले तक लग लग रहा था की बाजी हम लोगों के हाथ से निकल गयी पर अब एक मौका था, हारी बाजी पलटने का, और जबरदस्त मौका, सोच सोच के ही, पूरी देह में एक जोर का नशा था, बस मौका मिले और, पेल दे



दोनों लड़कियां अभी भी आर्गाज्म के असर में थी,

सामने स्क्रीन पे शेयर्स को देखते हुए और ये इन्फो जो और किसी के पास नहीं थी, हम सब अराउजड थे,


जैसे किसी साँड़ के सामने कोई कोमल कच्ची बछिया आ जाए और साँड़ अपना फुट भर का निकाल के, फुफकारते हुए, चढ़ने के लिए बेताब हो जाए, जैसे गाँव का कोई कड़ियल खूब खेला खाया मर्द, जिससे पूरे गाँव की कोई ब्याही, अनब्याही न बची हो, और वो स्कूल में पढ़ने वाली किसी कच्ची अमिया के पीछे पड़ा हो, वो खुद चल के उसके पास गन्ने के खेत में आ रही हो और वो बार बार लंगोट में बंद अपने अजगर को पुचकार रहा हो, समझा रहा हो, मिलते ही ठेल दूंगा, चिंचियाती रहेगी स्साली, जिन्नगी भर याद करेगी, पहली चुदाई,

एकदम वही हालत अभी थी हम तीनो की,


अनुराधा तो झड़ने के बाद भी एकदम गर्मायी थी, कस कस के टेबल को दबोच रही, और मेरी हालत भी कम तन्नाई नहीं थी

लेकिन अब हम सब जैसे एक देह हो गए थे, जिसका दिमाग मीनल हो, और दस गुनी स्पीड से अपना काम कर रहे थे,

अनुराधा सब टीमों को तैयार कर रही थी, बिना ये नयी इन्फो बताये,

मैं नेटवर्क का काम कर रहा था, दिल्ली, न्यूयार्क, सिनसिनाटी, बात, मेसेज और साथ में मिडिया और बिजनेस एनलिटिक्स का और जो पता चला , हमारे ऊपर अटैक करने वाले छुटभैयों के बारे में, कौन से सिर्फ शेल कम्पनी हैं, किसकी कहा कमजोरी है, सब कुछ
क्या जबरदस्त ट्यूनिंग है...
एकदम को-ऑरडिनेटेड अटैक...
excitement and orgasm .. compliments each other.
 

motaalund

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मीनल रिंग मास्टर
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मीनल रिंग मास्टर की तरह थी, उसकी आँखे सामने के दर्जनों स्क्रीन्स पर थी लेकिन वो स्क्रीन्स के पार देख रही थी, देह उसकी एकदम अराउजड थी, लेकिन दिमाग एकदम शांत,
और पांच मिनट के बाद उसने आपरेशन लांच किया, जो जो इनपुट हम तीनो ने उसे दिया था वो जोड़ के,

एकदम गुर्रिल्ला वारफेयर, और प्लानड अम्बुश, शिब्बू को उसने मेरी ओर इशारा किया, और फिर अनुराधा को देख के कुछ उँगलियों से फंदा सा बुना,

अनुराधा मुस्करायी, और उसने कुछ मेसेज किये कहीं फोन से बात किया और खेल शुरू किया,



मेरी निगाहें स्क्रीन पर लगी थीं, और मैं अब तक सपोर्टिंग शेयर्स की स्ट्रेटजी समझ गया था, सुबह ही हमने दस ऐसी कम्पनियाँ ढूंढ ली थी जिनके शेयर ज्यादा अट्रैक्टिव भी थे और सेंसिटिव भी, वो हमारी फ्रेंडली कम्पनीया थी, और अटैक उन पे भी होता था


सपोर्टिंग कंपनियां, मतलब अगर कोई कम्पनी रिटेलिंग में है तो उसका कोई थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक प्रोवाइडर होगा, कोई उसको फांइनेसियल सर्विसेज देता होगा, या अगर कोई होटल या टूरिज्म के धंधे में है तो बी २ बी ( बिजनेस टू बिजनेस ) वाली कंपनियां होंगी उसके साथ। अब में कम्पनी अगर डूबेगी तो ये सपोर्टिंग वाली भी डूबेंगी और मेन कम्पनी बढ़ेगी तो ये भी बढ़ेगीं। हाँ छोटे इन्वेस्टर्स के लिए क्योंकि इनके शेयर की कीमत कम होती है तो ये ज्यादा अट्रैक्टिव होती हैं और इनमे उतार चढ़ाव ज्यादा होता है तो फायदा भी ज्यादा होता है और फंड मैनजर्स भी अपने फंड का एक बड़ा हिस्सा इसमें डालते हैं।


लेकिन कोई ये न समझे की अटैक मीनल के ग्रुप से आ रहा है,


जो चार पांच शेयर का मेरा काम शुरू किया था वो मीनल ने इस्तेमाल किया और अनुराधा ने उसे बेचने खरीदने का काम बमबई के बाहर की चार टीमों को लगाया,

पहले जो भी शेयर थे उनकी बिकवाली शुरू की, वो भी छोटे छोटे ५०० के शेयर्स में

चार टीमें बेच रही थीं अलग अलग जगहों से और दो हजार शेयर बिकने पर वो लाइने नीचे सरकनी शुरू हुईं तो बीयर ग्रुप ने खुल के उन पे मोर्चा खोल दिया और उन कंपनियों के शेयर तेजी से गिरे

और अबकी हमारी टीम ने १००० के पांच जगहों पर शेयर्स बेचे,

दाम और गिरे, लेकिन हम सबकी निगाह घडी पर थी बस पांच मिनट बचे थे एल आई सी के मैदान में आने में, लेकिन मीनल जानती थी ये पांच मिनट तो इंस्ट्रक्शन के हैं, खरीद होते होते दस मिनट लगेंगे,

अब तक हम लोग सपोर्टिंग कंपनियों के करीब दस हजार शेयर बेच दिए थे और उनके दाम आधे हो गए थे,

बाकी लोग भी उन शेयर्स से निकलने की कोशिश कर रहे थे

बिग बुल ने भी शेयर बजाय खरीदने के बेचना शुरू कर दिया

पांच मिनट गुजरते ही मीनल ने इंस्ट्रक्शन बदल दिए और वो एकदम जोश में वो भी अनुराधा भी और अब कोई पर्दा नहीं था,

जितने शेयर हमने बेचे थे उस पैसे के आधे से ही ( क्योंकि दाम बहुत कम हो गए थे ) वो सारे शेयर अगले दस मिनट में खरीद लिए लेकिन असली खेल पांच मिनट बाद शुरू हो गया



एल आई सी नहीं आयी मैदान में

पर पहले एल आई सी फायनेंस आयी और उन्होंने एक झटके में पांच हजार शेयर उन सपोर्टिंग कम्पनी के ख़रीदे,

फिर दस मिनट के बाद एल आई सी हाउसिंग आयी और उसने सात हजार शेयर ख़रीदे,



इसी बीच मिस्टर षणमुगम का एक मेसेज आया था और उस का मैंने मीनल से बात करके जवाब दे दिया था

फिर न्यू इण्डिया अश्योरेंस ने पांच हजार सपॉर्टिंग कंपनियों के और पांच हजार हमारी कम्पनी के शेयर ख़रीदे।
अब उन सपोर्टिंग कंपनियों के साथ साथ हमारी कम्पनी के भी शेयर बढ़ने लगे, क्योंकि बाजार को लग गया की इतने लो रेट पर ये शेयर नहीं मिलेंगे और मीनल ने अब सपोर्टिंग कंपनियों के और अपनी कंपनी के शेयर खरीदने पर लगाम लगा दी और शिबू को देखा, वो तेजी से कुछ जोड़ घटाना कर रहा था।

और वो जो जोड़ घटाना शिबू कर रहा था जैसे ही मीनल और अनुराधा ने देखा, अनु की तो जैसे आँखे पलट गयी, जोर से सिसकी मारी उसने जैसे झड़ते हुए लड़कियां करती हैं,

उय्य्यी, ओह्ह्ह्ह उफ़, वाह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह उईईईईई ओह्ह्ह्ह

अनु का हाथ उसकी जींस के अंदर, बल्कि अब खोल के उसने सरका दी, पूरी हथेली चुनमुनिया के ऊपर, दो उँगलियाँ अंदर, दो दोनों फांकों को दबोचे और अंगूठा सीधे क्लिट पे, और जिस रफ़्तार से उसकी उँगलियाँ चल रही थीं, उसी रफ़्तार से उसकी कमर भी धक्के मार रही थी,

क्या कोई चुदक्कड़ लौंडा चोदेगा, जिस तरह से अनु फिंगर फक कर रही थी और मीनल की हालत कम खराब नहीं थी, उसने हाथ से अनीस को इशारा कर के ट्रैकर बंद करने को बोल दिया था १० के इशारे से और उसने सारे स्क्रीन बंद कर दिए,

ओह्ह्ह ओह्ह्ह नेवर गेंड लाइक दिस और चेहरे से लग रहा था की वो भी बस झड़ने के करीब है और धम्म से मेरी गोद में बैठ गयी।

लेकिन वो भी जबरदस्त दुष्ट भी, बैठते बैठते, न उसने मेरी पैंट की सिर्फ बटन खोली, सरका के नीचे किया और 'उसे ' मुट्ठी में पकड़ के बाहर, और उसी के ऊपर बैठ के चूतड़ रगड़ते बोली,

" स्साले तूने तो उन सब की माँ बहन बेटी सब चोद दी, ऐसा नंबरी पेलू आज तक नहीं देखा, लेकिन तुझे तो मीनल चोदेगी, एक बार मेन न तेरा मन भरेगा न मेरा "

और जो टैब उसने दिखाया, तो मेरी भी हालत अनु और मीनल ऐसी ही खराब हो गयी, मन तो कर रहा था वहीँ बैठे बैठे मीनल को चोद दूँ इत्ते मस्त मस्त चूतड़ थे

मैंने ललचाते हुए मीनल के बड़े बड़े बूब्स को टॉप के ऊपर से पकड़ने की कोशिश की तो उसने हाथ झटक दिया और अपना टॉप उठा के सीधे खुले बूब्स पे मेरे दोनों हाथ रखते बोली,

" स्साले चिकने, शेयर मार्केट हो या लौंडिया, दोनों खुल्ला खेल पसंद करती हैं और मजा आधे तीहै में नहीं आता, पूरा अंदर धकेलने में आता है "

और मीनल ने वो टैब मुझे दिखाया जिसे देख के अनु की हालत खराब हो गयी।



मीनल ने मेरे शेयर्स से जो अभी खेल खेला था उसके रिजल्ट और शाम तक का जो शिबू ने जोड़ा था, एक्स्ट्रापोलेट कर के, वो,

मेरी सास साथ जो मेरा अकाउंट था वो तो था ही उन दुष्टों ने चार और अकाउंट मेरे बना दिया थे और सबसे तगड़ा फायदा मेरे और गुड्डी के ज्वाइंट अकाउंट वाले शेयर्स में हुआ था, मेरी कई सालों की सैलरी से भी ज्यादा सिर्फ गुड्डी के साथ वाले अकाउंट में, और वो सब देख के मैं और पागल हो गया, और कस के मीनल को दबोच लिया,

तभी षणमुगम का मेसेज आया, और बिना देखे मैंने मीनल की ओर बढ़ा दिया, और मीनल ने खुद जवाब टाइप कर के भेज दिया और हंस के बोली,

"स्साले एक बार चोदने में तेरा मन नहीं भरता है।चल अब हम सब मिल के पेलते हैं, फाड़ के रखी देनी है, आज मजा आ गया तेरे साथ "
शेर भी इशारे पर चलता है..
अगर मीनल जैसी रिंग मास्टर हो तो शेयर मार्किट भी इशारे पर चलता है...
 
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motaalund

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शेयर मार्केट में आग -जीत गए हम
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और जब दस मिनट के बाद फिर मीनल ने सब स्क्रीन ऑन की, और हमने लाइने देखनी शुरू की, शेयर मार्केट में आग लगी थी।

अब तक ये पता चल गया था की अटैकर के साथ सात कम्पनिया और इस अटैक में शामिल थीं ,

और अब लगा मीनल कितनी दूरदर्शी थीं, उस दस मिनट में जब हमला शुरू हुआ तो हम या हमारे साथ के लोग कुछ भी गलत कदम उठा सकते थे, दूसरे हमारे ट्रेंड को हमारा राइवल भी स्टडी कर रहा था और अब उसके पास उस पीरियड में कुछ नहीं था।

लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा था, अटैक की ताकत कहाँ से आ रही थी, लेकिन मीनल को अंदाजा लग गया था, वो बोली


" सालो को माँ बहन चुदवा के मन नहीं भरा, दादी नानी भी ले आये हैं "
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" और अपनी बेटियां भी " कुछ नयी कंपनियों को ट्रैक करते हुए अनुराधा बोली।

मतलब साफ़ था, अब बीयर ने सब ताकत झोंक दी थी, कोई था जो उन्हें फंड कर रहा था, और जब उनका वार चेस्ट खाली हो गया तो फिर से,....

क्योंकि महंगे दाम पर वो शेयर खरीद के औने पौने बेच रहे थे जिससे कुछ भी हो मंदी आये और कम्पनी की हालत खराब हो, लेकिन उनके फंड की भी लिमिट होती

दोपहर तक पूरी मार्केट लग रहा था , मंदी के चक्कर में फंस जाए ,... देखा देखी लोग बाकी सिमिलर सेक्टर के शेयर बेचने लगे ,



पर डेढ़ घंटे के बाद , जब प्राइसेज एक बार फिर कल से नीचे आ गयीं ,.... बुल , एल आई सी , और दो फंड मैनेजर्स ने पूरी ताकत झोंक दी।

मीनल ने भी अब परचेज धीमे धीमे शुरू कर दी, तभी मेरे पास एक मेसेज सिनसिनाटी से आया, और उसे देखते ही एक बार फिर मीनल और अनुराधा ऑर्गास्म के हालत में वाल

लेकिन मैं मान गया अनु का टीम वर्क, उस इन्फो को लीवरेज कर के धीमे धीमे परचेज उसने अलग अलग जगहों पे शुरू कराई बिना इन्फो बताये

और आधे घंटे में वो इन्फॉर्मेशन पहले स्ट्रीट जर्नल की साइट पर फिर ब्लूमबर्ग पर आयी फिर इंडियन पेपर्स में भी



हमारी कम्पनी की जो पैरेंट कम्पनी थी, अमेरिकन कम्पनी, उसने अगले दो सालो में १५० करोड़ डालर हमारी कंपनी में इन्वेस्ट करने का प्लान बनाया था और उसका २० % यानी ३० करोड़ डालर अगले तीन महीनो में इन्वेस्ट होगा और उससे भी ज्यादा बात थी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और मैन्युफैक्चरिंग इन इंडिया की।

बस उसके दस मिनट के अंदर तो रिटेल इन्वेस्टर्स, फंड मैनेजर,..... अपने आप हमारी कम्पनी के शेयर सुबह के लेवल पर पहुँच गए।

और अटैक अब एकदम बंद हो गया।

लेकिन शेयर मार्केट बंद होने में अभी भी एक घंटा बचा था। मीनल और अनु अब उन कंपनियों के पीछे पड़े थे जो सुबह से हमारे ऊपर अटैक कर रही थीं और धीरे धीरे कर के एक एक की हालत खराब होती जा रही थी।



लेकिन मेरा काम अभी ख़तम नहीं हुआ था, मुझे कुछ और फोन घुमाने पड़े, और एक अनाउंसमेंट हुआ जो हमेशा शेयर मार्केट के बंद होने के बाद होता है, लेकिन वो अभी हो गया


कई मामलों मे टैरिफ में कंसेशन के साथ कुछ सेक्टर्स में फॉरेन इन्वेस्टमेंट ८० % तक परमिट कर दिया गया और उनमे हमारी कम्पनी भी थी

फिर तो फॉरेन इन्वेस्टर्स टूट पड़े,

शाम तक कम्पनी के शेयर मार्किट में 16. २ २ प्वाइंट ऊपर चल रहे थे ,



लेकिन सबसे बड़ी बात थी , जो एक्वायर करने वाला था उसके हाथ से कम्पनी के शेयर निकल गए थे और उसे ४२८ करोड़ का घाटा हो गया था , जो सात कंपनियां उसके साथ थीं , उसमें से तीन तो बैंकरप्सी के कगार पर आ गयीं।


ओवर ऑल सेंसेक्स ५ % ऊपर ट्रेड कर रहा था।

ठीक साढ़े तीन बजे स्टॉक एक्सचेंज बंद हुआ और काम समेटते हम लोगों को आधे घंटे और लग गए।
जो मैं सोच नहीं सकता था, उससे बहुत ज्यादा, कम्पनी तो बच ही गयी, अब जल्दी कोई एक्विजिशन के बारे में सोचेगा भी नहीं। लेकिन जो कल रात में ग्लोबल आफिस से मुझे ब्रीफ मिला था, एक वॉर चेस्ट जिसे मैं खर्च कर सकता था, शेयर एक्वयार करने के लिए, अटैक करने के लिए, उसमें से बजाय पैसे खर्च होने के २० % पैसे बढ़ गए थे, और शेयर जो हमने एक्वायर किये थे न सिर्फ अपनी कम्पनी के बल्कि और लोगो के वो अलग

और पहली बार मैंने ट्रेडिंग की थी, बल्कि मीनल ने मेरी ओर से और उसमें भी जबरदस्त फायदा था,

अनु को किसी पेंटिंग एक्जीबिशन में जगहांगीर आर्ट गैलरी में जाना था, शिब्बू को कोई लेक्चर अटेंड करने, मैंने और मीनल ने फ़्लोरा फाउंटेन के पास एक ईरानी चाय की दूकान में बन मस्का खाया, और ईरानी चाय, लेकिन निकलने के पहले वो बोली, मिलते हैं रात को ब्रेक के बाद,

पर मेरा दिमाग मिस्टर दीर्घलिंगम के पास टिका था, शेयर मार्केट वाली जिम्मेदारी तो हमने निभा दी थी, लेकिन कम्पनी पे जो और हमले आज होने थे, अंदर से छुप के, उस का सामना करना, उन चूहों को पकड़ने का काम और कम्पनी को रेड से बचाने का काम उन्ही के पास था और अगर वो फेल होते तो हम लोगों का किया धरा बेकार हो जाता।
इतना पसीना बहाने के बाद जीत...
खुशी को दुगना कर देता है...
लेकिन अभी एक फ्रंट बाकी है...
 
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