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जोरू का गुलाम भाग १३६
मस्ती होली की - जीजू साली की
![15-Photos-Of-Hot-Pakistani-Model-Sofia-Hayats-Holi-Celebration-9.jpg](https://i.ibb.co/WVVnQLC/15-Photos-Of-Hot-Pakistani-Model-Sofia-Hayats-Holi-Celebration-9.jpg)
“अरे स्साली दो और मजा आप सिर्फ एक से ले रहे हैं …”
और अब वो मुस्करा रहे थे। अपने खूंटे को मेरी गुलाबो पे रगड़ते बोले,..." मुझे तो यही चाहिए "
मैं हंस के बोली
“अरे जिज्जू किस स्साली की हिम्मत मेरे इस हैंडसम जीजू को मना करे…”
![300177-full.jpg](https://i.ibb.co/KrCyPt9/300177-full.jpg)
उनसे भी जोर से मैंने अपने निचले होंठों को उनके खूंटे पे रगड़ते बोला। और उसी तेजी से मेरे रंगे पुते जोबन जीजू की छाती पे रगड़ रहे थे।
और मैंने जीजू को ज्योति के खिलाफ और चढ़ाया
“अरे जरा मेरी सहेली के कबूतरों को भी तो आजाद करिये न? दो से चार अच्छे, ये स्साली तो आपकी हर बात मानने को तैयार है तो आप मेरी थोड़ी सी बात…”
और बिना उनकी हाँ का इन्तजार किये बिना मैंने कसकर चुम्मी ली, मेरे होंठों ने उनके होठों को गपूच लिया मेरी जीभ उनके मुूँह में घुस गई, और मेरी देह एकदम उनकी देह से चिपकी । ज्योती के पैरों की आहट पाकर मैं थोड़ा दूर हो गई।
और जीजू भी जैसे कुछ हुआ न हो , अलग।
ज्योती मुझे देखकर मुस्कराती हुयी , एक टेबल पर गहरे कटोरे गाढ़ा गीला पेण्ट , और जब वो झुकी थी तो जीजू ने उसे पीछे से दबोच लिया ,
ज्योति की भी ३२ नबर की ब्रा खुली
![bra-20.jpg](https://i.ibb.co/qNC7yYG/bra-20.jpg)
और ब्रा ज्योती की भी कलाई की शोभा बढ़ा रही थी। उसके हाथ भी जीजू ने कस के बाँध दिए और जोबना दोनों एकदम खुले ,
![1b597f25b510caf863add9163d474533.jpg](https://i.ibb.co/C7Hbp8D/1b597f25b510caf863add9163d474533.jpg)
और उसके बाद ज्योति की भी शलवार, पैंटी मेरी शलवार पैंटी के साथ। जीजू अब ज्योती के अंग अंग रंग रहे थे और मैं बता रही थी,
" यहाँ अभी बचा हैं , जीजू बायीं चूँची के नीचे, दाएं चूतड़ पर,... "
![1sdtueptu0rk-t.jpg](https://i.ibb.co/c6frgYF/1sdtueptu0rk-t.jpg)
थोड़ी देर में वो गीला गाढ़ा रंग ज्योति के अंग प्रत्यंग पर लगा हुआ, और ज्योती चिल्ला रही थी
“ फाउंल फाउल , जीजू मैंने बोला था न की मैं इसको रंग लगवा दूंगी तो आप बिना नखड़ा किया चुपचाप, बिना उछले कूदे हर जगह रंग लगवा लेंगे…”
जीजू महा दुष्ट , मुस्कराते हुये बोले
“अरे स्साली की बात टाले किस जीजा की हिम्मत चल मैं बिना नखड़े के चुपचाप, बिना उछले कूदे रंग लगवा लूंगा लेकिन हर जगह …कोई जगह बचनी नहीं चाहिए सालियों ”
“पर, पर, जीजू, हम दोनों के तो हाथ बंधे हैं …” वो बेचारी बोली।
![Handcuff-scarf-51-F2-HUXtmc-L-SL800.jpg](https://i.ibb.co/qd0bqrj/Handcuff-scarf-51-F2-HUXtmc-L-SL800.jpg)
“ये तुम दोनों की प्रॉब्लम है …” हंसते हुए वो बोले।
फिर बोले
“अच्छा पांच मिनट में तुम दोनों ने मुझे हर जगह रंग दिया न तो हाथ खोल दूंगा तुम दोनों के …” मान गए वो।
ज्योति सोच में डूबी, हाथ बंधे , कैसे?
पर मेरे शैतानी दिमाग ने रास्ता ढूूँढ़ लिया ।
मस्ती होली की - जीजू साली की
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“अरे स्साली दो और मजा आप सिर्फ एक से ले रहे हैं …”
और अब वो मुस्करा रहे थे। अपने खूंटे को मेरी गुलाबो पे रगड़ते बोले,..." मुझे तो यही चाहिए "
मैं हंस के बोली
“अरे जिज्जू किस स्साली की हिम्मत मेरे इस हैंडसम जीजू को मना करे…”
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उनसे भी जोर से मैंने अपने निचले होंठों को उनके खूंटे पे रगड़ते बोला। और उसी तेजी से मेरे रंगे पुते जोबन जीजू की छाती पे रगड़ रहे थे।
और मैंने जीजू को ज्योति के खिलाफ और चढ़ाया
“अरे जरा मेरी सहेली के कबूतरों को भी तो आजाद करिये न? दो से चार अच्छे, ये स्साली तो आपकी हर बात मानने को तैयार है तो आप मेरी थोड़ी सी बात…”
और बिना उनकी हाँ का इन्तजार किये बिना मैंने कसकर चुम्मी ली, मेरे होंठों ने उनके होठों को गपूच लिया मेरी जीभ उनके मुूँह में घुस गई, और मेरी देह एकदम उनकी देह से चिपकी । ज्योती के पैरों की आहट पाकर मैं थोड़ा दूर हो गई।
और जीजू भी जैसे कुछ हुआ न हो , अलग।
ज्योती मुझे देखकर मुस्कराती हुयी , एक टेबल पर गहरे कटोरे गाढ़ा गीला पेण्ट , और जब वो झुकी थी तो जीजू ने उसे पीछे से दबोच लिया ,
ज्योति की भी ३२ नबर की ब्रा खुली
![bra-20.jpg](https://i.ibb.co/qNC7yYG/bra-20.jpg)
और ब्रा ज्योती की भी कलाई की शोभा बढ़ा रही थी। उसके हाथ भी जीजू ने कस के बाँध दिए और जोबना दोनों एकदम खुले ,
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और उसके बाद ज्योति की भी शलवार, पैंटी मेरी शलवार पैंटी के साथ। जीजू अब ज्योती के अंग अंग रंग रहे थे और मैं बता रही थी,
" यहाँ अभी बचा हैं , जीजू बायीं चूँची के नीचे, दाएं चूतड़ पर,... "
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थोड़ी देर में वो गीला गाढ़ा रंग ज्योति के अंग प्रत्यंग पर लगा हुआ, और ज्योती चिल्ला रही थी
“ फाउंल फाउल , जीजू मैंने बोला था न की मैं इसको रंग लगवा दूंगी तो आप बिना नखड़ा किया चुपचाप, बिना उछले कूदे हर जगह रंग लगवा लेंगे…”
जीजू महा दुष्ट , मुस्कराते हुये बोले
“अरे स्साली की बात टाले किस जीजा की हिम्मत चल मैं बिना नखड़े के चुपचाप, बिना उछले कूदे रंग लगवा लूंगा लेकिन हर जगह …कोई जगह बचनी नहीं चाहिए सालियों ”
“पर, पर, जीजू, हम दोनों के तो हाथ बंधे हैं …” वो बेचारी बोली।
![Handcuff-scarf-51-F2-HUXtmc-L-SL800.jpg](https://i.ibb.co/qd0bqrj/Handcuff-scarf-51-F2-HUXtmc-L-SL800.jpg)
“ये तुम दोनों की प्रॉब्लम है …” हंसते हुए वो बोले।
फिर बोले
“अच्छा पांच मिनट में तुम दोनों ने मुझे हर जगह रंग दिया न तो हाथ खोल दूंगा तुम दोनों के …” मान गए वो।
ज्योति सोच में डूबी, हाथ बंधे , कैसे?
पर मेरे शैतानी दिमाग ने रास्ता ढूूँढ़ लिया ।