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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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और मैं आ गयी - एक मेगा अपडेट

 

Luckyloda

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और मैं आ गयी - एक मेगा अपडेट

बहुत अच्छा लगा आपको आया हुआ देखकर उम्मीद है कि जल्द ही है बहुत शानदार रंग-बिरंगे तरीके आपका स्वागत होगा और फिर उसके बाद जेठानी की लंका लगेगी
 

Luckyloda

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सुबह-सुबह आपने दिन बना दिया।



आने पर तसल्ली से पढता हूँ
 

komaalrani

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और मैं आ गयी -



" अरे मुझे उस की एक एक नस पता है , बस एक बार बोल दो , लोग क्या कहेंगे, लोग क्या सोचेंगे , ... अच्छे घर के लड़कों को ये अच्छा लगता है ,... घर की इज्जत,... और थोड़ी बहुत तारीफ़ बस। हाँ एक बात और है ,

उनकी होने वाली देवरानी ने कान पार के पूछा , बताइये न दीदी।






" अरे किसी लड़की से उसकी बात करने की ही हिम्मत नहीं पड़ती बेचारे की तो उसने अभी तक पेटीकोट की महक सूंघी नहीं है , बस एक बार सुंघा देगी ढंग से तो अपने पेटीकोट के नाड़े से लटका के रखना , जहाँ कहेगी जैसे कहेगी,... "



उनकी बात काट के वो छिनार , अपने भैया की रखेल बोली ,

" अरे उसकी चिंता मत करिये , पहली रात को ही उसका कुंवारापन भी उतार दूंगी , और सिर्फ सुँघाऊँगी नहीं चटाउँगी भी चुसाउंगी भी पेटीकोट के अंदर वाला , बस एक बार आ आऊं , फिर देखिये हम दोनों बहने मिल के कितना गरदा उड़ाएंगी उस आंधी में आप के सास देवर ननद सब उड़ जाएंगी , बस अपनी छोटी बहन को आने तो दीजिये ,... "




" अरे तुझे तो मैं कल ले आऊं , ... " गहरी सांस लेकर जेठानी बोलीं, " इनको भी न उसी समय टूर पर जाना था , पंद्रह दिन का है , बस लौट के आयंगे तो अगले दिन मैं इनके साथ आउंगी और रोका, छेंका सब कर दूंगी , एक बार ये हो जाए न तो उसके बाद तो सास मेरी लाख कोशिश के उनकी ऐसी की तैसी होनी तय है , बस तू आ जा। "


......................................................

लेकिन वो आ नहीं पायी , मैं आ गयी और उनकी सारी पिलानिंग,...



और उसकी ८० % क्रेडिट मेरी मम्मी को १५ % इनकी मम्मी को भी जाती है,...

किसी जानने वाले ने इनके बारे में मम्मी को बताया था तभी से ये लट्टू थीं ,... और उन्होंने तय भी कर लिया था , मुझे भी बता दिया ,..


और मेरी सासू एक दिन आ गयीं , जेठानी को उन्होंने पहले तो कुछ बताया नहीं फिर रास्ते में ये सिर्फ कहा की अरे किसी बहुत जानने वाले ने बार बार कहा , है उनके तो बस एक बार मिल लें , ... फिर मैं ही बोल दूंगी , की बाद में बताएँगे ,... जेठानी अलफ़ लेकिन गाड़ी से कूद तो सकती नहीं थीं ,... और वहां जेठ जी भी , टूर पर उस दिन वो हमारे शहर ही में थे तो मम्मी ने उन्हें भी ,...


बस मुझे देखते ही मेरी सास लहालोट ,



लेकिन समझती मैं भी थी , मुझसे ज्यादा उन्हें अपनी समधन पसंद आ गयीं , और समधन की डबल मीनिंग वाली रसीली बातें,...



और मम्मी ने तुरुप का पत्ता चल दिया,... मेरी सास के फोन पे इनको फोन पे लगा दिया , वीडयो काल और फोन पे मुझे न सिर्फ दिखाया बल्कि बात भी करा दी , बड़ी मुश्किल से वो बोल पाए,

कैसी हैं आप,...

और मैंने बस मुस्करा दिया। और उनकी सास ने अपने होने वाले दामाद से साफ़ साफ़ पूछ लिया ,

"कैसी लगी मेरी बेटी "


बड़ी मुश्किल से उनके बोल फूटे,... " अच्छी हैं "

" अरे पसंद है साफ़ साफ़ साफ़ बोल न " मम्मी ने प्यार दुलार से हड़काया।




" हाँ " लजाते हुए वो बोले पर आँख उनकी मेरे चेहरे पर गड़ी थी , और अब उनकी सास ने फोन अपनी ओर किया और हंस के चिढ़ाते हुए पूछा

" और सास कैसी लगी , पसंद है की नहीं। "

मारे शर्म के उन्होंने आँखे बंद कर ली और मुस्करा के बस फोन काट दिया।

देखिये लड़के को तो लड़की पसंद आ गयी , भैया आप बताइये ,... उन्होंने जेठ जी से पूछा,...

जेठ जी ने बात अपनी माँ पे डाल दी और मेरी सास ने बिना बोले , अपने गले का हार निकाल के मेरे गले में डाल दिया





और मेरी बगल में आ के बैठ गयीं , ... और मेरी ठुड्डी उठा के बोलीं,... अब ये मेरी बेटी है , ... और अपने हाथ से समधन को लड्डू खिला दिया



जेठानी कुछ न सोच भी पायीं न कर पायीं , और उनकी सलाह देने वाली टीम से बात करने का भी मौका नहीं था , तब भी उन्होंने एक आखिरी दांव चला

" एक बार ज़रा कुंडली भी दिखा लें , मेरी सास ये सब बहुत मानती हैं "

लेकिन उन्हें मम्मी की स्ट्रैटेजिक सोच नहीं मालूम थीं , बड़े बड़े कारपोरेट प्लेयर पानी मांगते थे। वो खुद जेठानी के बगल में आ के बैठ गयीं , ...

" मेरी बड़ी बेटी एकदम सही कहती है ,... मैं ने इसी लिए दो दो पंडितों से एक बनारस के और एक झुमरी तलैया के दोनों की कुंडली बिचारवा ली

ऑलमोस्ट सारे गुन मिलते हैं , मेरे दामाद के कुंडली में कोई दोष होने का सवाल नहीं , समधन ने मुहूरत देख के जना था , ... पर अच्छी बात ये है की इसकी कुंडली से मेल खा गयी. कुंडली बिचारवाने के के बाद ही मैंने आगे बात चलाई ,... और मैं भी बहुत मानती हूँ ये सब , एक कुंडली दोनों की आप भी रख लीजिये और दोनों पंडितों ने एक ही लग्न पत्रिका भी निकाल दी है

बस पंद्रह दिन बाद,... ऐसा मुहूर्त साढ़े सात साल बाद आया है , "


जेठानी ने फिर एक और कोशिश की , ... लेकिन इतनी जल्दी क्या है , फिर देवर जी की तो अभी नौकरी लगी है इतनी जल्दी छुट्टी कहाँ मिलेगी। "




" एकदम सही कह रही हो बेटी ये तो मैं भूल ही गयी ,... "

जेठानी से मम्मी बोलीं और अबकी अपने फोन से ही अपने दामाद को फोन लगाया , फिर वीडियो काल ,... और मम्मी का वही अंदाज


"पहचाना , ... सुन लो , यहाँ सब लोग हैं तुम्हारी भाभी, माँ भैया ,... तेरी शादी पंद्रह दिन बाद पड़ी है , तो छुट्टी लेके और कम से कम पन्दरह दिन की ,... आ जाना ,... हाँ दो बातें और ससुराल में तेरी बहुत रगड़ाई होगी , सिर्फ साली सलहज ही नहीं उनसे बढ़ के सास भी ,... और दूसरे ये नंबर मेरे नाम से सेव कर लो ,... "





" ठीक है " वो बोले।

" साफ़ साफ़ बोलो , उसे फिर से देखने का मन कर रहा है , चल एक बार देख ले , पन्दरह दिन बाद भेज दूंगी तेरे साथ दिन रात मन भर देखना। "

और मोबाइल फोन मेरी ओर घुमा दिया ,... अबकी हम दोनों मुस्करा रहे थे और अबकी फोन मम्मी ने काटा।



मम्मी ने अपने हाथ से पहला लड्डू जेठानी को ही खिलाया , और उसके बाद अपनी समधन के पास लड्डू लेकर गयीं और बोलीं , खूब बड़ा सा मुंह खोलिये एक बार में पूरा डालूंगी। "
 
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komaalrani

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समधन के लड्डू



" एकदम सही कह रही हो बेटी ये तो मैं भूल ही गयी ,... " जेठानी से मम्मी बोलीं और अबकी अपने फोन से ही अपने दामाद को फोन लगाया , फिर वीडियो काल ,... और मम्मी का वही अंदाज


"पहचाना , ... सुन लो , यहाँ सब लोग हैं तुम्हारी भाभी, माँ भैया ,... तेरी शादी पंद्रह दिन बाद पड़ी है , तो छुट्टी लेके और कम से कम पन्दरह दिन की ,... आ जाना ,... हाँ दो बातें और ससुराल में तेरी बहुत रगड़ाई होगी , सिर्फ साली सलहज ही नहीं उनसे बढ़ के सास भी ,... और दूसरे ये नंबर मेरे नाम से सेव कर लो ,... "


" ठीक है " वो बोले।

" साफ़ साफ़ बोलो , उसे फिर से देखने का मन कर रहा है , चल एक बार देख ले , पन्दरह दिन बाद भेज दूंगी तेरे साथ दिन रात मन भर देखना। "

और मोबाइल फोन मेरी ओर घुमा दिया ,... अबकी हम दोनों मुस्करा रहे थे




और अबकी फोन मम्मी ने काटा।

मम्मी ने अपने हाथ से पहला लड्डू जेठानी को ही खिलाया , और उसके बाद अपनी समधन के पास लड्डू लेकर गयीं और बोलीं , खूब बड़ा सा मुंह खोलिये एक बार में पूरा डालूंगी। "


मेरी सास को भी ऐसे ही मजाक पसंद थे , हँसते हुए बोलीं ,...

" और मैं भी पूरा ही घोंटूंगी, आधे तीहै में क्या मजा , और फिर समधियाने आयी हूँ,... लम्बा मोटा क्या देखना "




लेकिन इनकी माँ के मुंह में मम्मी ने सच में बड़ा सा पूरा लड्डू डाल दिया था



और समधन का टेस्ट समझ के उन्हें चिढ़ाने का पूरा मौक़ा था , बेचारी मेरी सास तो बोल नहीं सकतीं थी , उनके मुंह में पूरा लड्डू भरा था,... मम्मी ने उन्हें और उकसाया,


" फिर तो आपने सही समधियाना ढूंढा है, यहाँ सब मोटे लम्बे ही मिलेंगे, एकदम आप की पसंद के,... और मैंने सुना है की आपका मायका गदहों वाली गली में है, तो बचपन से ही गदहों का देख पकड़ के ,.... लेकिन आपके लिए नेग में मैंने सब गदहा छाप ही ढूंढ ढांढ के रखा है , आपके बचपन के मज़े लौट आएंगे,... पहले पकड़ के नाप के देख लीजियेगा,... "



मम्मी की जासूसी सेना गज़ब की थी , शादी की बात चलाने के पहले ही उन्होंने इनके बारे में , इनकी माँ के बारे में और इनके उस शहर में रहने वाले रिश्तेदारों के बारे में,... , मेरी ननदें , ... सब कुछ



लड्डू वास्तव में बहुत बड़ा था पर मेरी सास के चेहरे पर आती मुस्कान से साफ़ था की उन्हें लड्डू के स्वाद के साथ समधन की छेड़छाड़ भी बहुत मीठी लग रही है, मैं मुस्कराते हुए थोड़ी सी आँखे नीचे किये सब बातें सुन रही थीं,...

और मम्मी ने दूसरा तीर भी चला दिया,...


" देखिये शादी में घुड़चढ़ी तो हर जगह होती है , दूल्हा घोड़ी पे चढ़ता है ,... लेकिन हमारे यहाँ उसके साथ एक और रस्म होती है,... दूल्हे की माँ की घोडा चढ़ी, ... शादी के पहले बाद , जब आप को मन करे, ... लेकिन क्या करें रसम है तो है, और आप को कुछ करना थोड़ी है,...

इसकी ( मेरी ओर इशारा करके बोलीं ) चाचियां , मौसियां , बुआ सब मिल के पकड़ के आपको निहुरा के लहंगा पलट देंगी,... टांगें फैला देंगी,... बस उसके बाद तो जो कुछ करेगा घोडा करेगा,... ज्यादा नहीं बस आधा घंटा,... घबड़ाइये मत , सब औरतें लड़कियां ही रहेंगी,.... खूब मजे से आराम आराम से ,... और मैं,...आखिर मेरी इकलौती समधन हैं आप , और कोई बेटा बेटी तो मेरी है नहीं, ... तो आप का ख्याल मैं नहीं तो और कौन करेगा,... इसलिए घोड़े का पकड़ के सटाउंगी मैं ही , ये काम रस्म में समधन ही करती है,... फिर कहीं गलती से लम्बे की बजाय गोल छेद में घुस गया तो आपको ज्यादा तकलीफ होगी ".




और तब तक मेरी सास के मुंह में लड्डू ख़तम हो गया था लेकिन तब भी वो कोई जवाब नहीं दे पायीं की क्योंकि समधन की बात सुन सुन के उन पे हंसी का दौर चल गया था। और रुकने के बाद जो जवाब उन्होंने दिया,मेरे लिए हंसी रोकनी मुश्किल हो रही थी।


" देखिये रसम तो रसम होती है , और लड़के की शादी में तो लड़की के घर में लड़की वालों की ही रस्म चलेगी न,... तो मुझे कोई एतराज नहीं है , ... और फिर आप का आजमाया हुआ घोड़ा , आपकी देवरानी जेठानी ननदों और बहनों का,... तो ज्यादा सही रहेगा, और मुझे तो कोई दिक्क्त नहीं मैं तो निहुरी रहूंगी , सटायेंगी आप, लगाएगा घोडा ,... लेकिन वो क्या कहते हैं न अनाड़ी,..."




" चुदवैया, चूत की बर्बादी,... अरे किससे शरमा रही हैं आप,... पूरी बात बोलिये ने, ... यहाँ तो तो सभी उस मैदान में खेल चुके हैं ,... " मम्मी ने बात पूरा करते हुए इनकी माँ को और उकसाया,... फिर मेरी ओर देख के बोलीं ,... क्या इससे शरमा रही हैं? "


मम्मी की यही बात मुझे परेशान करती थी, छेड़छाड़ में वो मुझे भी नहीं छोड़ती थी, बल्कि कहीं शादी के गाने हो रहे हों तो मेरी भाभियों को उकसा के मेरे पीछे, ...

अरे ननद ऐसी ही बैठी जरा अच्छे वाले गाने सुनाओ,.. और फिर मेरा नाम ले ले के वो लोग और कहीं ' शराफत वाली गारियाँ ' हो रही हों तो और ज्यादा पीछे पड़ के ,... अरे मिर्च कितनी हलकी है , छिनार स्साली वाली से काम नहीं चलता था उनका जबतक बुर, चुदाई लंड ये सब गारी में न आएं तो उसे गारी वो मानती ही नहीं थीं और कभी बुआ आ जाएं तो बुआ से ज्यादा मेरी शामत , क्योंकि ननद का नाम लेते नहीं , चाहे बड़ी हो या छोटी,... तो फिर सब गारी में मेरा नाम , और जैसे मुझे सुना सुना के ,


मेरी ओर देख के, कोमल की बुआ बहुत चुदवासी,... कोमल की बुआ चढ़ गयीं खजूर, उनकी दिख गयी बुर, ...




लेकिन मेरी सास मेरी बचत को आगयीं और मेरी ओर खूब दुलार से देख के बोलीं , ...

" अरे इससे क्या शरमाना,... ये तो मेरी बेटी है , बस अभी आप के पास मेरी अमानत है पंद्रह दिन बाद, सोलहवें दिन अपने घर आ जायेगी, ... और ,... "

एक बार फिर मेरी मम्मी ने इनकी माँ की बात बीच में काट दी , किसी की रगड़ाई का मौका वो नहीं छोड़ती थीं, भले ही उनकी एकलौती बेटी ही क्यों न हो ,... और मुझे चिढ़ाते हुए हंस के बोलीं,...

" एकदम सही कहा आपने,... और सोलहवें दिन , बल्कि रात,... ये भी हम लोगों की बिरादरी में आ जाएगी,... "

और फिर मेरी ठुड्डी पकड़ के बोलीं ,

"और फोन का जमाना है सुबह है तेरी ननदें जब तक हाल चाल पूछेंगी न , उसके पहले ही मैं तुमसे और अपने दामाद दोनों से रात का हाल पूछ लूंगी,... सोच लो , जबरदस्त क्लास लूंगी अगर तू हम सबके गोल में नहीं आ गयी , तेरी सास प्रॉमिस कर के जा रहीं है। "

मैं मारे शर्म के , लेकिन गनीमत थी की अगला तीर मम्मी ने अपनी समधन पर छोड़ दिया,...


" और जो आप सोलहवें दिन अपनी बेटी को बिदा करा के अपने घर ले जाने की बात कह रही हैं,... एक बार में कान या और जो जो भी खोलना हो खोल के सुन लीजिये ,... अगर वो समधन के साथ घोड़ा चढ़ी वाली रसम नहीं हुयी न बिदाई के पहले,... तो कोई बिदाई नहीं होगी और मैं अपने दामाद को भी रोक लूंगी। "





" अरे वो तो मैं पहले ही मान चुकी हूँ ,... रस्म रिवाज तो पूरा करना ही चाहिए , और इसे तो अब मैं ले ही जाउंगी ,... ज्यादा बोलियेगा तो अभी ले जाउंगी , शादी के दो चार दिन पहले वापस कर दूंगी ,... हाँ लेकिन हमारे यहाँ शादी में दूल्हे की माँ, चाची बुआ ये सब नहीं जातीं , रात में रतजगे की रस्म होती है लेकिन उसके एकाध दिन पहले या जब आप का घोडा तैयार हो, मैं आ जाउंगी , एकाध दिन रहूंगी अपनी समधन के पास , रस्म रिवाज सब ,... खूब समधियाने का मज़ा लूंगी , अब आप ऐसी समधन मिल गयी है , इत्ती प्यारी बेटी मिल गयी है ,...मैं तो ये मौक़ा छोड़ने से रही " "

लेकिन उसके बाद मेरी सास ने फिर लड्डू की ओर हाथ बढ़ाया।और जो काम वो काफी देर से करना चाहती थीं , बात पूछना चाहती थी , उसका मौका उन्हें मिल गया,और अब मेरी सास ने मुझे लड्डू खिलाते हुए हंस के कहा,

" हे मेरा बेटा कैसा लगा , .. चल मेरे कान में बता दे "

पर मम्मी ने बात काट दी , हंस के बोलीं ,

" एकदम गलत बात अब वो मेरा बेटा है , बेटी आपकी , बेटा मेरा ,"


" मंजूर, लेकिन आपका बेटा लजाता बहुत है , मेरी बेटी से भी ज्यादा "

मेरी सास ने लाड़ दिखाते हुए प्यार से मेरा गाल सहलाया और अपनी समधन को छेड़ा"



लेकिन मम्मी जब मुझे नहीं छोड़ती थीं तो दामाद को तो छोड़ने का सवाल ही नहीं था,...


" उसकी चिंता आप छोड़ दीजिये,... मेरे बेटे की जिम्मेदारी मेरी,... कोहबर में ही उसकी इतनी रगड़ाई होगी न , सारी उसकी माँ बहनों का का नाम ले लेकर उससे पहाड़ा पढ़वाऊंगी, ... इतनी उसकी साली सलहजें है और उनसे भी बढ़ के सास,... उस की सारी लाज शर्म उस की बुआ महतारी के अगवाड़े पिछवाड़े उसी से घुसेड़वाउंगी,... सब लाज़ दूर हो जायेगी,... " वो हंस के बोलीं।




बात वो अपनी समधन से कर रही थीं,... लेकिन हाथ उनका मोबाइल पे चल रहा था टेक्स्ट करने में आज कल के लड़के लड़कियों से भी वो दो हाथ आगे थीं,.. और वो अपने दामाद को टेक्स्ट पर टेक्स्ट कर रही थीं , एक उन्होंने मुझे दिखाया , जिस में मम्मी ने इन्हे मेसेज किया था,...

मिठाई खानी हो तो थोड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है , छुट्टी की एप्लिकेशन दी की नहीं,

और अगले ही पल उनका जवाब आ गया था,

" बस अभी एप्लिकेशन मेल कर दी है, बात भी कर लूंगा , ... पंद्रह दिन की , चार दिन पहले से,... "

मेरे मन में एक ही बात गूँजी, ...

लालची, यानी शादी के बाद दस दिन पूरे,... देखने में इत्ते सीधे लगते हैं ,...




और मम्मी बात तो मेरी जेठानी से कर रही थीं , लेकिन मेसज मुझे पढ़ा रही थीं,.... मैंने मम्मी की ओर से मम्मी के फोन पे दो चार अंगूठे के निशान और जबरदस्त स्माइली भी भेज दी,... और उनकी ओर से भी हाथ जोड़ने का निशान और स्माइल वाली स्माइली आ गयी ,...

मैं समझ गयी मम्मी ने इन्हे अच्छी तरह शीशे में उतार लिया है।

और फिर मम्मी ने मुझसे फोन लेकर , दो चार जगह और फोन , ...बस वही टेक्स्ट ,... मुझे कुछ कुछ अंदाज लग गया था ,... शायद इनके इण्डिया कॉरपोरेट आफिस में कोई सीनियर, बॉम्बे में ,... उन्होने ही दस बारह दिन पहले ही मम्मी को रिश्ता बताया था , फोटो भी भेजी थी, क्वालिफिकेशन भी,...

और कुछ शादी से ही रिलेटेड, ...
 
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komaalrani

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खाना और गाना - समधन , समधन



खाने की मेज पे भी, मम्मी ने समधन को अपनी बगल में बैठाया और जेठानी जी को ठीक सामने, जेठ जी जेठानी के बगल में और मैं मम्मी की बगल में,...
और खाते समय भी समधन बगल में बैठी हों तो मम्मी छेड़ने का मज़ा छोड़तीं,... बैगन की कलौजियां थी , मम्मी ने सच में अपने हाथ से बनाई थी , कोई भी चाटता रह जाता,...




बस एक खूब लंबा और मोटा सा बैगन , मम्मी ने अपने हाथ से निकाल के सास जी की थाली में रखते हुए कहा,...

" देखिये आप के लिए सबसे लम्बा, मोटा चुन के निकाला है , और घबड़ाइये मत, तेल लगा है खूब चिकना , सट से अंदर चला जाएगा,... एक बार मुंह में बस ले लीजिए,... "

और मेरी सास क्यों पीछे रहतीं, आज मम्मी को टक्कर वाली समधन से पाला पड़ा था,... उन्होंने भी एक उसी तरह के बैगन की कलौंजी निकाल के मम्मी की थाली में रखते हुए चिढ़ाया,...

" एकदम, मेरी आप की पसंद एकदम मिलती है,.... मुझे भी लम्बा मोटा ही पसंद है, ... "



जेठानी जी को सर्व करने का काम मेरे जिम्मे था , लेकिन वो बहुत नखड़े दिखा रही थीं,... नहीं बस ज़रा सा , इतना नहीं,... पर मम्मी उन्हें भी इग्नोर नहीं कर रही थीं उनको भी , ... हाँ उसने मज़ाक नहीं कर रही थीं , क्योंकि रिश्ते में तो वो उनकी बेटी ही लगतीं न ,... पर मम्मी ने अपने हाथ से एक साथ दो पूड़ियाँ उनकी थाली में रखते हुए चढ़ाया उनको,...

" अरे एकलौते देवर की शादी है बहुत काम करना पड़ेगा , अभी से थोड़ा खाना पीना बढ़ाओ,... और अपनी सास पे एकदम भरोसा मत करना , वो तो खाली समधियों से नैन मटक्का करने की , धक्के देने और खाने की तैयारी करेंगी,... "



और जेठ जी को भी वो अपने हाथ से,...

सासू जी का हाथ थोड़ा रुका तो मंम्मी ने टोका उनको,...

"अच्छा समझ गयी,... समधियाने में सूखे सूखे कैसे सरकेगा, बिना हाल चाल सुनाये,..."

" एकदम, मैं उसी का इन्तजार कर रही थी,... "

हँसते हुए इनकी माँ बोलीं बिना गाना के समधियाने में खाना,...

और मम्मी खुद चालू हो गायीं ,...

चम्मच से थाली बजा के, कभी चूड़ी खनका के,...




और पहले तो थोड़ी फ़िल्मी तर्ज वाले , कुछ कम ऐसे वैसे,...


समधन जी लहंगा पलट जाएगा , सर नीचे पाँव ऊपर न करना, समधन जी लहंगा पलट जायेगा,

काली घटा में लाल किला, बिन टिकट के सबको नजर आएगा,...

समधन जी लहंगा पलट जाएगा , सर नीचे पाँव ऊपर न करना, समधन जी लहंगा पलट जायेगा,

बचना अब है मुश्किल, जिसको भी मौका मिलेगा, अंदर घुस जाएगा , समधन जी लहंगा पलट जायेगा,


थोड़ा गोरा, थोड़ा काला, समधन तेरा ये दरवाजा जो भी देखेगा ललचाएगा,,...

और उसके बाद,...

शादी के दिन है शादी के दिन , नाचो लिपट नाचो लिपट,

चना जोर गरम, चना जोर गरम ,

नीचे खटिया ऊपर समधन , उसके ऊपर हम चना जोर गरम, चना जोर गरम ,

और उसके बाद वो लखनऊ से जुडी गारी जिसके बिना लखनऊ में कोई कामकाज हो ही नहीं सकता,...


चलो देखि आएं लखनऊ की बारादरी, चलो देखि आएं।


बारादरी के बारह दरवाजे , हो बारह दरवाजे, अरे बारह दरवाजे,

जहाँ समधिन हमारी , अरे समधिन हमरी,उघारे खड़ीं , चलो देखि आएं.

बारादरी के बारह दरवाजे , हो बारह दरवाजे, अरे बारह दरवाजे,

जहाँ समधिन हमारी , अरे समधिन हमरी,सीना उघारे खड़ीं , जुबना ताने खड़ीं।

अरे मिजवाने खड़ीं , दबवावे खड़ीं, चलो देखि आएं लखनऊ की बारादरी,

अरे समधिन चुम्मा देने को खड़ीं, चुम्मा लेने को खड़ीं, टाँगे उठाने को खड़ी , जांघ फ़ैलाने को खड़ी

चलो देखि आएं लखनऊ की बारादरी, चलो देखि आएं।




सास मेरी, मम्मी को देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थीं, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा, ...

" बेटी जरा थोड़ा मिर्च देना , मुझे बिना तेज मिर्च के मज़ा नहीं आता "



तबतक मम्मी लखनऊ की दूसरी ख़ास गारी शुरू कर चुकी थीं,..

लखनऊ कचहरी में हुयी है गवाही , समधिन हमारी बड़ी हरजाई , बड़ी छिनारी

मैं नासमझ , बिना यह समझे की मेरी सास के मिर्च मांगने का क्या मतलब था , मिर्च बढ़ाने लगी लेकिन मम्मी ने मुस्करा के मम्मी ने मुझे इशारे से रोक दिया , और अपनी समधन से कहा ,
" अच्छा देखिये अभी परपायेगा भी और छरछरायेगा भी "


हँसते हुए इनकी माँ ने जवाब दिया अरे समधियाने आने में क्या मजा , जब तक छरछराये और परपराये नहीं, तीन दिन तक।



और मम्मी ने गारी में मिर्च बढ़ा दी,...

समधिन हमारी बड़ी हरजाई , अरे हमरे भैया से आँखे लड़ाई , अरे आँखे लड़ाई, जुबना मिजवायीं ,


कोमल के मामा से चूँची दबवायी , अरे कोमल के मामा के संग की है चुदाई,...

और उसके बाद तो एक से एक ,

चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,... चने के खेत में ,
चने के खेत में पड़ा था गन्ना ,... पड़ा था गन्ना

समधिन को ले गया बभना , दबाय रहा दोनों जुबना ,चने के खेत में

चने के खेत में , चने के खेत में , पड़ी थी राई अरे पड़ी थी राई ,...

समधीन को ले गया हमारा नाइ , कस कस के करे चुदाई चने के खेत में,...




... लेकिन मेरी सास कम नहीं थीं , मम्मी से। खूब रस ले ले के गारियाँ सुन रही थीं और खाना एकदम धीमे धीमे , जैसे चिड़िया चुगती है उससे भी धीमे , ... जैसे कहना चाहती हों देखूं मेरी समधन के पास गारी का कितना स्टॉक है ,... पर दो दर्जन से ज्यादा तो एकदम असली वाली सुन सुन के मुझे याद हो गयी थीं , मम्मी का स्टॉक तो रात भर चलता था। पौन घंटे तक खाना चला।

और मंम्मी ने भी बदला अपने ढंग से लिया,...

" नहीं नहीं खीर तो मैं अपने हाथ से खिलाऊंगी,... सास ने मेरी लो कट ब्लाउज पहन रखा था, बस खीर खिलाते खिलाते , एक दो चम्मच , उन बड़े बड़े ३८ नंबर वाली पहाड़ियों के बीच,...





सास मेरी बजाय गुस्सा होने के खूब मुस्करा रही थीं , मजा ले रही थीं , और अभी तो शुरुआत थी , मम्मी ने साफ़ करने के नाम पर अपने रुमाल से फिर सीधे हाथ से , ब्लाउज के अंदर डाल के,... खूब,.. और बोल भी रही थीं,...

" अरे आपके समधी लोग , समधियाने के सब मरद तो रगड़ मसल के मजा लेंगे ही थोड़ा समधन को भी,... " और बीच में लगता है निपल को पकड़ के चिढ़ाते बोलीं ,

" किशमिस तो बहुत बड़ी है ".


खूब हंसी मजाक हल्ला हुआ,




हाँ लेकिन दो बातें और हुयी ,



साफ़ था जेठानी को कुछ नहीं पसंद आ रहा था , कुछ उन्हें गड़बड़ लग रहा था , जेठ जी तो बस सर झुकाये थाली में देखते,... और जेठानी जी ने बोल ही दिया,...

" अब आप लोगों ने तो सब कुछ इतनी जल्दी तय कर दिया तो मैं क्या बोलूं , लेकिन दहेज़ की बात भी ज़रा साफ़ साफ़ , या तो अभी या खाने के बाद हो जाय,.... मेरे देवर की नौकरी इतनी अच्छी है , पढ़ाई लिखाई में इतना ज्यादा ,... फिर शादी में भी खर्चा , ससुर जी तो हैं नहीं,... सब कुछ हम लोगों को ही ,... और देवर से तो कुछ उम्मीद ही करना बेकार है , अभी पांच छह महीने की नौकरी है,... "




मम्मी चुप ,... लेकिन जब मेरी सास भी तन गयीं , अपनी बड़ी बहू की ओर देखकर उन्होंने एकदम से स्वर बदलकर जो बोला ,... तो मैं तो सन्न रह गयी।

और सास अपनी बड़ी बहू की ओर देखकर सीरियसली बोलीं ,


" मेरी बड़ी बहू एकदम ठीक कह रही है , हंसी मजाक सब ठीक लेकिन,... मैं उस नए जमाने वाली नहीं हूँ की दहेज़ नहीं लूंगी , दहेज प्रथा ,... दहेज़ की बात तो करनी ही है ,... वरना बाद में कन्फूजन होता है सब साफ़ साफ़ ,... और बाद में क्यों अभी कर लेते हैं , क्यों समधन जी,... "



मम्मी क्या बोलतीं उनके खाने का तो कौर मुंह में रुक गया , मेरी भी हालत खराब , क्या क्या सोच रही थी सास के बारे में इन लोगों के बारे में ,..


असल में मेरी ही जिद थी की अगर किसी ने दहेज़ में एक चम्मच भी मुंह खोल के माँगा तो मैं वहां शादी नहीं करुँगी , एक बार मुंह खुल गया तो फिर बंद नहीं होता,

और इस बात में मम्मी भी एकमत थी , उनका कहना था की मैं उनकी एकलौती लड़की हूँ , सब कुछ तो मेरा ही है ,... और अपने मन से भले ही वो घर भर दें , लेकिन अगर किसी डिमांड की , तो वो उसके मुंह पे दरवाजा बंद कर दूंगी।


सब लोग सन्न थे की देखे ये क्या बोलती हैं लेकिन उन्होंने अपनी बड़ी बहू से पूछा ,...

बहू मैं कर लेती हूँ दहेज़ की बात अगर तुम कहो ,...

जेठानी के चेहरे पर पहली बार ख़ुशी की लहर दौड़ी , मुंह खुला उनका और बोलीं , एकदम ,...आप बड़ी हैं आप ही बोलिये,....



मेरी सास उतनी ही सीरियस हो के मम्मी से बोलीं ,

" देखिए बुरा मत मानियेगा , बस दो चीजें मैं मुंह खोल के मांग रही हूँ ,..दहेज़ में अगर मंजूर है तो ,... "



सब लोग चुप्प।



और सास ने मेरी ओर इशारा किया ,

" पहली सबसे बड़ी चीज दहेज़ की ,.यही है .. मेरा मन तो उसे आज ही ले जाने का कर रहा है,... लेकिन सीने पर पाथर रख के पन्दरह दिन इन्तजार करुँगी ,... मुझे मेरी बेटी चाहिए ,... दहेज़ में और आप को अभी कबूलना होगा, और अगर ये आज के बाद आप के पास रह भी रही है तो मेरी अमानत आपके पास रहेगी , तो ये दहेज़ की पहली चीज , बोलिये मंजूर हैं ,..."



और मम्मी की जान में जान आयी , वो मुस्करा के बोली, आप की चीज है आप जब ले जाइये ,...

लेकिन सास फिर कड़क के बोलीं , जी नहीं अभी दहेज़ का दूसरा सामान ,... और उसके लिए आपको तीन तिरबाचा भरना होगा , तीन बार हाँ , तब मैं मुंह खोलूंगी , मेरी बात खाली जाए ये मैं नहीं चाहती ,....

मम्मी घबड़ा रही थी लेकिन उन्होंने तीन बार हाँ कर दिया,..



और मुस्कराते हुए मेरी सास ने मम्मी के गले में हाथ डाल के बोलीं ,...

" ये मेरी समधन चाहिए मुझे , अच्छी अच्छी मीठी वाली,... और हरदम के लिए ,... लेकिन शादी के बाद आपको हफ्ते दस दिन समधियाने में रहना होगा ,और जितने दिन आप समधियाने में रहेंगी उसके दूने दिन मैं अपने समधियाने में रहूंगी,... "



मेरी सास की समधन ने खुश होके कहा , मंजूर अरे जरा मैं भी अपने समधियों, अपने दामाद के असली बाप का , सच बोलिये मामा का जना है न ,... सब का मज़ा ले लूंगी और आपके लिए तो आज से ही मैं बोली लगवानी शुरू कर दूंगी ,... जब आप शादी के एक दो दिन पहले आइयेगा घोडा चढ़ी करवाने , तभी से,...


मेरी जेठानी का चेहरा बुझ गया,..

. मैं एकदम खुश और मम्मी तो महा खुश जैसा लड़का वो चाहती थीं , दामाद , जैसी समधन वो चाहती थीं उससे बढ़कर ,...

और एक बात और हुयी।,.. मम्मी के फोन पे मिस्ड काल आयी , अब वो नंबर मैंने भी याद कर लिया था , इन्ही का था , फिर एक मेसेज, मम्मी तो अपनी समधन को गारी सुनाने में मस्त थीं , लेकिन उन्होंने मेसेज पढ़ा और जोर से मुस्करायीं , फिर मुझे पास कर दिया ,

" मम्मी, छुट्टी सैंक्शन हो गयी है,... और जैसा आपने कहा था , पंद्रह दिन की , बस तारीख से चार दिन पहले पहुँच जाऊँगा,... " और उस के बाद ढेर सारी स्माइलीज और सैंक्शन लेटर की कॉपी भी उन्होंने अटैच कर दी थी। “मैं भी जोर से मुस्करायी, मम्मी का चमचा, अभी से ५०० ग्राम मक्खन लगा रहा है,...

लेकिन मम्मी मुझे भी कहाँ छोड़ने वालीं थीं , धीरे से झुक के मेरे कान में फुसफुसा के बोलीं,



" बस आज शाम को जा के विट की बड़ी बोतल ले आ और अपनी प्रेमपियारी को एकदम चिक्क्न मुककन, मक्खन , बेचारा इतना लिबरा रहा है तेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ,"

और मेरी जांघ पे जोर से चिकोटी काट लीं। और फिर से अपनी समधन की माँ बहन एक करने में जुट गयीं।

मम्मी मेरी सहेली ज्यादा थीं, वो भी बदमाश वाली,... और मम्मी कम.

और खाना ख़त्म होने के साथ ही खाने की टेबल पर ही खड़े हो के ऐलान कर दिया, और उनका चेहरा ख़ुशी से भरा,... और फिर अपने दामाद का मेसेज साथ में अटैच्ड सैंक्शन लेटर जनता को दिखाया और वो भी पढ़ के सुना दिया।


लेकिन मम्मी से ज्यादा कोई खुश था तो वो थीं , मेरी सास वो भी झट से खड़ी हो गयीं, और बोलीं, ...

" ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है , इस ख़ुशी में कुछ मीठा हो जाए,... "

और झट्ट से एक बड़ा सा गुलाबजामुन, निकाल कर मेरी सास ने अपनी समधन के मुंह में गप्प से डाल दिया,...




एक बार में पूरा,... और कुछ शीरा ठुड्डी पर गिरा, और कुछ सरकते हुए ब्लाउज की गहराई में ,...

समधन ने समधन से खीर वाले मज़ाक का बदला ले लिया था,... बाकी शीरा अपनी समधन के गाल पर पोत दिया,



" आप तो वैसी ही इतनी मीठी हैं , थोड़ी और मीठी हो जाइये "
 
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और मैं बन गयी देवरानी



लेकिन मम्मी से ज्यादा कोई खुश था तो वो थीं , मेरी सास वो भी झट से खड़ी हो गयीं, और बोलीं, ...

" ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है , इस ख़ुशी में कुछ मीठा हो जाए,... "

और झट्ट से एक बड़ा सा गुलाबजामुन, निकाल कर मेरी सास ने अपनी समधन के मुंह में गप्प से डाल दिया,... एक बार में पूरा,... और कुछ शीरा ठुड्डी पर गिरा, और कुछ सरकते हुए ब्लाउज की गहराई में ,...




समधन ने समधन से खीर वाले मज़ाक का बदला ले लिया था,... बाकी शीरा अपनी समधन के गाल पर पोत दिया,

" आप तो वैसी ही इतनी मीठी हैं , थोड़ी और मीठी हो जाइये "



और खाने के बाद पंडित जी इन्तजार ही कर रहे थे,... मेरी सास और खुश अपनी बड़ी बहू से बोलीं,... चलो समधन ने ये भी अच्छा किया हम लोग वहां जा के कहाँ पंडित जो को बुलाते,... तो अपनी भी साइत , रस्म रिवाज की अभी तय कर लेते हैं , ... '


और इनकी छुट्टी चार दिन पहले की थी,... तो शादी के दिन से तीन दिन पहले तिलक,... और पहले पंडित जी ने लड़के वालों के लिए उड़द छूने से, सिलपोहना , हल्दी तेल , मटमंगरा सब की साइत निकाल दी , फिर हम लोगों के यहाँ की भी,...

शादी का मुहूर्त जल्दी का था रात में आठ बजे के आस पास का , तो मम्मी और खुश , ...

चलो कोहबर में दो तीन घंटे का टाइम मिलेगा, कम से कम ,... दामाद की रगड़ाई करने का,



लेकिन मेरी सास की ज़िद थी, बिदाई जल्द से जल्द ,... समधन को चिढ़ाते बोलीं,

" अब तो आपका बेटा है, चाहे उसकी रगड़ाई करिये या,... उससे रगड़वाइये,... लेकिन मेरी बेटी को सुबह होने से पहले विदा कर दीजियेगा। "

तो वो भी सूरज निकलने के पहले का तय हो गया।

जेठानी ने पहले ही एक सवाल खड़ा किया लेकिन आजकल तो द्वार पूजा ही नौ बजे के पहले कहाँ होता है, बारात आते आते ही देर हो जाती है , आठ बजे तो शादी बैठ ही नहीं सकती, अपने पंडित से भी एक बार




लेकिन मेरी सास ने ही उनकी पतंग की डोर काट दी,...

बात तो सही कह रही हो,... लेकिन इसका रास्ता है न सिम्पल , तीन घंटे ही तो लगता है , बरात की निकासी जराजल्दी कर देंगे , सबेरे सबेरे,... दिन का खाना कहीं रस्ते में,

" अरे रस्ते में क्यों , १० बजे भी आप लोग चलिएगा तो १ बजे तक पहुँच जाइयेगा,... खाना यहीं ,.... वैसे भी अब सबेरे की बिदाई होगी तो भात तो हो नहीं पायेगा , तो कम से कम दो बार का खाना तो हम लोगों के यहाँ बनता है ,... " मम्मी बोलीं।





" बस, और शाम को ,.. गोधूलि का द्वारपूजा सबसे अच्छा रहता है " उनकी समधन बोलीं , दोनों की जुगल बंदी चल रही थी।


लेकिन क्या पता हमारे पंडित जी को,... न सूट करे , उनसे भी तो पूछ लीजिए एक बार , बल्कि मैं कहती हूँ ,.. इतनी जल्दी क्या है , घर पहुंच के आराम से फैसला कर के बता देंगे ,... जेठानी ने आखिरी दांव खेला।




मेरी सास भी , बड़ी बहू की बात उन्होंने काटी नहीं , बोलीं,

: बात तो तुम्हारी सही है , बिना अपने पंडित से पूछे,... अभी बात कर लेती हूँ,.... और इनके पंडित जी से बात करा देती हूँ , जैसा दोनों लोग तय करें,... "

और उन्होंने पंडित जी को नंबर लगा के शुभ सूचना दी और हम लोगों के पंडित जी को फोन पकड़ा दिया . जब तक वो लोग भद्रा और घड़ी के बारे में बातें कर रहे थे , मेरी सास ने जेठानी से हलके से कहा

" अरे अब तारीख टालने में बड़ी मुश्किल है , तेरे देवर ने तो देख छुट्टी भी सैंक्शन करा ली , कहाँ मिलती है इतनी छुट्टी , ... फिर आफिस में सबको बोला होगा , अब कहाँ कैंसल होगी , फिर दुबारा छुट्टी,... "


तब तक दोनों पंडितों ने बात कर ली और मेरी सास ने फोन स्पीकर फोन पर लगा दिया। इनके पंडित जी बोल रहे ,
"सब घडी एकदम शुभ है , मैंने भी बिचार लिया लड़के की कुंडली तो मेरे पास है ही , और उन तीन चार दिन मैं खाली भी हूँ। "

अब सब पक्का हो गया,... इनकी मम्मी ने अपने मायके भी फोन घुमा दिया,... इनकी बूआ के यहाँ भी , और मेरे साथ की सेल्फी और समधन के साथ की भी , गाँव भी बात कर ली नाउन कहाईन एक हफ्ते पहले आ जाएंगी, ..

मेरी जेठानी का चेहरा झाँवा हो रहा था।





चलते समय मैंने सास का पैर छूने की कोशिश की तो उन्होंने तुरंत पकड़ के गले लगा लिया और मुझे तो क्या बोलतीं,... मम्मी को आने के बाद पहली बार हड़काया,

" किसके साथ मिल के ये बेटी जनी हैं ये तो पता नहीं , इसके मामा, फूफा , पता नहीं,... लेकिन इतनी सुंदर चाँद सी बेटी इतनी गुनी पर इतनी बुद्धू, बेटियां कहीं पैर छूती हैं,... "


और मुझे कस के भींचती हुयी हलके से बोलती हुयी अपनी समधन को चिढ़ाते बोलीं,...

" वो तो अब इनका बेटा हुआ, ... फायदे में मैं ही रही , अब चल तू आ जा तो हम तुम मिल के इनके बेटे का कान खीचेंगे "

पर जेठानी ने बाकायदा पैर छुआया। दोनों पैर आँचल पकड़ के ,...


बस एक पल के लिए उनका चेहरा खुश हुआ जब बिदाई में मम्मी ने उन्हें बनारसी साड़ी और कुंदन का सुन्दर सा सेट,



जेठ जी को हीरे की अंगूठी,... और सूट।

पर मेरी सास ने कुछ भी लेने से मना कर दिया , बेटी का घर कह के,... हाँ समधन के हाथ का बनाया पान उन्होंने जरूर खाया,... और ऐसे उनसे भेंटी जैसे बरसों बिछुड़ी सहेलियां हों ,... हाँ सब के जाते ही मम्मी ने अपना जजमेंट तुरंत मुझे सुना दिया, बाकी सब तो ठीक है , लेकिन वो तेरी जेठानी बड़ी कनटाइन है।

पर अगले पल ही उन्होंने ट्रैक बदला, और तो तेरा वाला तो तेरे ऊपर एकदम लट्टू है।


' मुझसे ज्यादा आप के ऊपर. " हंस के उन्हें चिढ़ाते मैं बोली,...




और क्या अदा से चक्कर काटते हुए हलके से उन्होंने पल्लू गिराया की ऊंचाई गहराई सब झलक गयी. और खिलखिलाते हुए बोलीं,...

" वो तो है , और मैं हूँ ही ऐसी ".

फिर उनकी फ़ोटो अपने मोबाइल से जो उनसे बात करते हुए चुपके से उन्होंने खींच ली थी , मुझे दिखाते बोलीं,...

" देख एकदम लड्डू लग रहा है न मन करता है झट्ट से गप्प कर लूँ "




" तो कर लीजिये ना मैं कौन मना कर रही हूँ " मैं बोली
मैंने कहा था न मम्मी , मम्मी से ज्यादा मेरी सहेली हैं और वो भी बदमाश वाली।

" तू क्या सोचती है तुझसे पूछूँगी ,... गप्प करने से पहले। " और अपने दामाद को उन्होंने फोन घुमा दिया।







लाल डायरी के पन्ने पलटते हुए अचानक मेरी दिमाग में उस दिन की सब घटनाएं एक एक कर के घूम रही थीं ,... और अब मैं समझ रही थी , सब मेरी सास और मम्मी का किया धरा,... पक्का मेरी सास को, 'जो देवरानी नहीं आ सकी' ... उसके गाभिन होने के बारे में तो नहीं पता रहा होगा , नहीं लाल डायरी के बारे, में न जेठानी के इरादों के बारे में,... पर इस उमर में औरतों की छठी इन्द्रिय बहुत जागृत हो जाती है और उनकी तो एड़ी में आँख होती है , तो घर में तो वो बोल नहीं सकती थीं , जेठ जी तो एकदम दबे , ये नौकरी पे ,...

और जेठानी एकदम चढ़ी,...

लेकिन कहीं कुछ उन्होंने सूंघा होगा , लड़की वालों ने एक बार उनसे बात नहीं किया, और फोटो तो सब लोग भेजते हैं,... और जेठानी की छोटी बहन, अभी एक यही चढ़ी रहती है ,... तो बस जैसे ही उन्होंने मौका देखा,



तो इसलिए चट मंगनी पट ब्याह , फिर ये भी मम्मी की बातों ओर मोहनी मंत्र के आगे,... उन्होंने छुट्टी भी लेली , पंडित की भी बात होगयी,... और एक बात और

मेरी सास को अपनी समधन में एक सहेली , जिससे वो खुल के दिल की बात कहें ,... और समधियाने आने की बात ,... तो उन्हें एक तरह का एस्केप स्क्वायर मिल गया , जेठ जी की तो हिम्मत नहीं थी , लेकिन सब के सामने अपनी माँ के खिलाफ भी नहीं ,... इसलिए,...

बस मैं आगयी। और वो जहर की पुड़िया , जिसके किस्सों और प्लानिंग से लाल डायरी भरी थी नहीं आ पायी , पर जेठ जी का क्या चक्कर था , उसका कोई ज़रा सा भी अंदाज लाल डायरी में नहीं था।


तो सौ बात की एक बात , पंद्रह दिन में मैं आ गयी और उस समय मुझे जेठानी जी, उनकी गाभिन बहिनिया के बारे में अंदाजा नहीं थीं , ( जब तक ये लाल डायरी नहीं पढ़ी कुछ भी अंदाजा नहीं था ) मुझे तो सिर्फ ये दीखते थे , पास रहे न रहें,... उनकी लजाती घबड़ाती ललचाती आँखे ,






लेकिन मुझे ये बात नहीं समझ में आ रही थी जेठानी जी ने जेठ जी कैसे इतने दबा के रखा था , ... उस लाल डायरी में कुछ नहीं मिला पार आलमारी में दो कागज़ मिले उनसे अंदाज लग गया , एक तो ऊपर ही था और दूसरा काफी छिपा के उनके अंडर गारमेंट्स के नीचे,
 
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जेठ जी


लेकिन मुझे ये बात नहीं समझ में आ रही थी जेठानी जी ने जेठ जी कैसे इतने दबा के रखा था , ... उस लाल डायरी में कुछ नहीं मिला पर आलमारी में दो कागज़ मिले उनसे अंदाज लग गया , एक तो ऊपर ही था और दूसरा काफी छिपा के अंडर गारमेंट्स के नीचे,



पहला वाला कागज देख के ही होश उड़ गए एक मेडिकल पुर्जा था , जांच का. डाक्टर जावेद कोई सेक्स टाइप डाक्टर थे, इनफर्टिलिटी क्लिनिक भी चलाते थे , उन्ही का, पर्चे के ऊपर मोटे मोटे अक्षरों में लिखा था

इम्पोटेंट, नॉट क्योरेबल,... और उसके नीचे लिखा था

नो इरेक्शन,... फिर स्पर्म काउंट था,... बहुत लो, आलमोस्ट नेग्लिजिबल,... ऊपर जेठ जी का नाम लिखा था , ... एक रिपोर्ट जेठानी जी की भी थी जिसके हिसाब से उनकी बच्चेदानी एकदम दुरुस्त थी , बस खाली मलाई डालने की जरूरत थी और साथ में एक सोनोग्राफी की पिक्क्चर भी थी,...

तो क्या सच में जेठ जी ,




लेकिन कुछ देर बाद मुझे लगा जेठानी का काम इतना सीधा नहीं होता , कुछ तो है और फिर ऐसी रिपोर्ट आलमोस्ट ऊपर ही ,... किसी की भी नजर पड़ जाए,... कुछ तो होगा, फिर कौन डॉक्टर नॉट क्योरेबल लिखता है , ...

एक बार मैंने फिर पर्चे को उलटा सीधा करके आगे पीछे से देखा , और मुझे लग रहा था कुछ तो गड़बड़ है और फिर मैंने गहन तलाशी ली , और जहाँ जेठानी की पहनी उतारी हुई चड्ढी बनियाइन रखी रहती थी , वहीँ कोने में जैसे किसी ने सम्हाल के छुपा के रखा हो , एक लिफाफा बंद था , लेकिन आज जब जेठानी का पिछवाड़ा खुल गया था तो कोई लिफाफा कैसे बचता , और फिर

वही डाक्टर वही रिपोर्ट,... तारीख भी वही,

तो एक कॉपी एकदम खुले में दूसरी इस तरह छिपा के क्यों,....

और जब मैंने दोनों को रौशनी में मिला के अगल बगल करके देखा तो बात साफ़ हो गयी , जो रिपोर्ट छुपा के रखी गयी थी वही असली रिपोर्ट थी , और थोड़े बहुत चेंज के साथ दूसरी रिपोर्ट बनी थी।

छिपी रिपोर्ट में इम्पोटेंट , नाट क्योरेबल नहीं लिखा था , जो बाद में आलमोस्ट उसी राइटिंग में, पर्चे के ऊपर जोड़ा गया था,





छिपी रिपोर्ट में लिटिल इरेक्शन लिखा था , लिटिल को खुरचकर हटा के उसी जगह नो लिख दिया गया था , स्पर्म काउंट में भी आखिर के अंको में फेरबदल कर दिया था।

मैं धम्म से वहीँ फर्श पर बैठ गयी , इत्ता बढ़ा धोखा , सच में दर्जन भर काली नागिनें मरी होंगी तो जेठानी पैदा हुयी होंगी,... कुछ देर तक तो मैं कुछ सोच ही नहीं पायी,....


तो ये फर्जीवाड़ा कर के बनायी गयी रिपोर्ट थी उनका असल हथियार , जब भी रिपोर्ट का ये परचम वो जेठ जी के सामने लहराती होंगी तो जेठ जी सफ़ेद झंडा खड़ा कर देते होंगे , और अपनी माँ के खिलाफ भी हरदम खड़े हो जाते होंगे , और आखिर कौन मरद चाहता है कि उसके इम्पोटेंट होने की बात देस दुनिया में पता चले,...

लेकिन दो सवाल अभी भी अनसुलझे थे और मेरा दिमाग आलमोस्ट रीत के टाइप का था , कही मैंने पढ़ा था कहानी या सच किसी फोरम की कहानी में रीत का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता था , ... तो बस वो चक्कर घिन्नी घूमी उस पर्चे के बारे में कौन हैं डाक्टर जावेद

दूसरा सवाल और टेढ़ा था , ये स्साली जिठानी गाभिन क्यों नहीं हुयी ,



डाक्टर जावेद का तो पता ठिकाना आसानी से मिल गया , जेठानी नगमा के संवादों से वो दोनों उन्हें डाक्टर जे कहती थीं , नगमा का तलुवा चाटने वाला,... असली काम पेट गिराने का था उसका कुंवारियों का और अगर कोई गाभिन होना चाहे तो उसके लिए मोटे इंजेक्शन का इंतजाम करना,...


तो बस जब बच्चे नहीं हुए दो चार साल में , सास ने बार बार बोलना शुरू किया तो जेठ जो की समझा बूझा के , उन्ही डाक्टर जावेद के पास ,... वरना कौन डाक्टर दो रिपोर्ट लिख के साइन करता होगा ,...

और एक रिपोर्ट के ऊपर उसी डाक्टर की कलम से दोनों सहेलियों ने मिलके जोड़ घटाना कर के,... ये ऊपर वाली रिपोर्ट तैयार कर दी

और जेठ जी ने जब रिपोर्ट के बारे में पूछा होगा तो पहले बहुत सी बातें बना के , ... बड़ी मुश्किल से जेठानी ने वो अपनी रिपोर्ट दिखाई होगी जिसमे लिखा था की हर नौ महीने बच्चा जन सकती हैं , कोई गड़बड़ नहीं है , और जेठ जी खुश होके पूछे होंगे ,...

" सब तो ठीक है , और मेरी,... :
जेठानी ने फिर बात टाली होगी , ... " आपकी भी आ गयी है , जाने दीजिये क्या करियेगा देख के "



और फिर जब उन्होंने बहुत जिद्द की होगी तो पैथोलॉजी के नाम वाले लिफ़ाफ़े से उनकी रिपोर्ट भी निकाल के उनके सामने,...



और किस मर्द के आँखे के सामने अँधेरा नहीं छा जायेगा,,,, इम्पोटेंट नॉट क्योरेबल पढ़ के और आगे नो इरेक्शन

बस उनके हाथ से जेठानी ने रिपोर्ट छीन के वापस लिफ़ाफ़े में रख के अलमरी में बंद कर दी होगी , और उनसे कहा होगा,

" देखिये मैं इसी लिए नहीं दिखा रही थी , नहीं मैंने किसी को नहीं बताया , और ये तो अलमारी में बंद रहेगी और उस की चाभी मेरे पास ही रहती है सोते जागते,... आप एकदम चिंता नहीं करिये,... बस आप खुश रहिये , सब को सब चीज नहीं मिलती , मेरी आपकी शादी तो हो गयी है,... बस हम दोनों ,... ( और कुछ देर रुक के ) ,... लेकिन वो बूढ़ा माता को , अपनी माताश्री को थोड़ा कंट्रोल में रखिये ,उन्हें खुल के समझा दीजिये कोई दिन नहीं जाता जब वो ताना नहीं देती कई बार तो पड़ोसिनों के आगे ,... मैं तो बर्दाश्त कर लेती हूँ ,... लेकिन जब मेरे मायके वालों को कुछ बोलती हैं न ,... किसी दिन मेरा मुंह खुल गया तो,..."





और जेठ जी ने अपनी माँ को 'अच्छे से 'समझाना शुरू कर दिया होगा , ...


कभी सास ने पूछा होगा,... " बहू तुम दोनों डाक्टर के पास गयी थी,... क्या हुआ "

" मेरी रिपोर्ट तो एकदम ठीक है , ठीक क्या बहुत अच्छी है , डाक्टर बोल रहा था दस हजार में एक ,.. लेकिन इनकी,... " जेठानी ने बन के बोला होगा

" क्यों उसकी कैसी,... " सास ने कहा होगा।




झनक के पैर पटक के जेठानी ने बोला होगा , ... अपने बेटे से पूछ लीजिए उन्हें सब मालूम है डाक्टर ने खुल के उन्हें समझाया है "

और सास सब समझ जातीं, अपने वाले में ही दोष है तो , दूसरे की बेटी को क्या,...

और कभी गुस्से में जो वो अक्सर रहती थीं जेठानी ने जेठ को याद दिलाया भी होगा

"वो जो कागज़ है न , डाक्टर कोर्ट कचहरी , थाना कोतवाली हर जगह चलती है ,... वो तो कहिये मैं मिली हूँ आपकी किस्मत से , दूसरी कोई होती तो ,... अरे जो काम मरद का होता है वो तो कर नहीं सकते , कमर में जोर है नहीं,... और ऊपर से आपकी माँ,... अगर कहीं मेरी मम्मी को पता चल गया तो,... बेचारी मैं उनकी एकलौती लड़की , नाती का मुंह देखने को,... जरा अपनी माँ को कंट्रोल में रखिये अपने कमरे मैं रहें पूजा पाठ करें अब उनकी उमर हो गयी है , ज्यादा टोकाटोकी बंद करें,...कोई मेरे मायके से आता है, तो दूरबीन लेके "




लेकिन वो सवाल अभी भी बचा था , जेठानी की मम्मी नाती की मुंह क्यों नहीं देख पा रही हैं , बच्चे वाला सवाल ,... और उसका जवाब थोड़ा ही सोचने पर मिल गया, जेठानी की मम्मी
 
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ताम्बे का ताला,.... मेरी सुहागरात ,...

जेठानी की पिलानिंग








लेकिन वो सवाल अभी भी बचा था , जेठानी की मम्मी नाती की मुंह क्यों नहीं देख पा रही हैं , बच्चे वाला सवाल ,... और उसका जवाब थोड़ा ही सोचने पर मिल गया, जेठानी की मम्मी



उत्तर था ताम्बे का ताला, और जेठानी की मम्मी ने ही इसका जिक्र किया था , और ये साफ़ जब हाईस्कूल से ही जेठानी रोज बिना नागा कभी गन्ने के खेत में तो कभी अरहरिया में टाँगे फ़ैलाने लगी होंगी तो उनकी मम्मी ने ही किसी लेडी डाक्टर के पास ले जाकर उनकी गुलाबो के अंदर ताम्बे का ताला ( कॉपर टी ) लगवा दिया होंगी, चुदाये जितना चुदवाना, जिससे चुदवाये,... इस उमर में नहीं चुदवायेगी तो कब चुदवायेगी।




और शादी के समय भी वो ताला बंद ही रहा होगा , कौन गोली वोली का झगड़ा पाले , फिर जेठानी ऐसी चोदासी , कंडोम तो कभी नहीं,... जब तक चमड़ी से चमड़ी न रगड़े,...

और फिर उसी का इस्तेमाल किया जेठ जी के ऊपर,...

"मैं क्या करूँ अगर बच्चे नहीं होते , मैं कोई गोली वोली तो खाती नहीं , और जब कहिये तब टांग फैलाने को तैयार रहती हूँ , आप ही कहते हैं आज थक गया हूँ अभी माँ जग रही है , अरे माँ जग रही है तो क्या , अपनी उम्र ने नहीं चुदवाया होगा ,कहाँ से आप और देवर आये ,... और मौका मिले तो वो आज भी बांस पे चढ़ने को तैयार रहती हैं,... तो उन से क्या चोरी छिपाना ,"




और जब सास ने ताना देना शुरू हुआ किया होगा, तो फिर जेठानी ने तय कर लिया होगा , अब तो ताला बंद ही रहेगा , वैसे भी दस साल तक तो आराम से,... और उसके बाद जो वो फर्जी वाडे वाले जेठ जी की रिपोर्ट इम्पोटेंट नॉट क्योरेबल ,... उसके बाद तो पूछना ही क्या,...


हाँ अगर संदीप की छुटकी बहिनिया उनकी देवरानी बन के आ जाती




तो और सब प्रापर्टी दोनों बहने आपने नाम कर के ( ये तो दूर कहीं अपनी नौकरी पे रहते और जेठ जी की हिम्मत नहीं पड़ती बोलने की ) तो पहले तो सास को नौकरानी बनाती और संदीप से उनके सामने ही ही ,...


आप बच्चा बच्चा कहती हैं न , मेरी देवरानी देखिये जन रही है , ... और मैं,... आप के बेटे के तो तो अब क्या मुंह खुलवाइयेगा , तो मैं अगर किसी और के साथ,...

और उन दोनों के घर में रहते ही संदीप से ,... उसके पहले ताला खुल जाता ,...




पीरियड के दस बारह दिन बाद भैया आते और चार पांच दिन रह के बहिनिया को गाभिन कर के चले जाते , ... उन्होंने खुद कबूला थी की राखी के दिन संदीप से जेठ जी के ही पलंग पर , जेठ जी को दूध में नींद की दो गोली डाल के सुला दिया था और उन्ही सोते जेठ जी के बगल में उनकी पत्नी का भरतपुर उनके साले ने लूटा था , एक बार नहीं तीन बार,...


अब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ रहा था,... उनके छिनारपने से मुझे कोई शिकायत नहीं थी , अपने फुफेरे भाई से चुदवाये उसकी भी नहीं ,

लेकिन कितनी गहरी साजिश , फर्जी डाक्यूमेंट बनाने से लेकर,... और सबसे बड़ी बात तो इनकी जिदंगी में जो ये ये संदीप की बहन की लाके जहर घोलने वाली थीं,




सच में ये बहुत ही सीधे हैं , कुछ ज्यादा ही सीधे,... और जेठानी ने इन्हे अच्छी तरह समझा था, इनकी एक एक कमजोरी,

और प्लानिंग पूरी थी , कैसे उन्हें अंदाज नहीं लगेगा,...

सुहागरात के दिन जेठानी उन्हें समझा के भेजतीं बत्ती जल्दी बुझा देना नयी लड़की बहुत शर्माएगी, ...




और यहाँ तक की वो अगर बत्ती बुझाने में देरी करते तो बाहर से उस कमरे का फ्यूज निकालने का भी प्लान था , और संदीप का माल भी एकदम चतुर चालाक , खूब चीखती चिल्लाती यहाँ तक की नीचे के कमरे में सास और सब को सुनाई पड़ता , सुबह बड़ी मुश्किल से सहारा लेकर चलती,...


सच में भयानक चतुर चालाक थी वो, पहली रात की प्लानिंग तो उसने खुद पूरी कर रखी थी, वो बोली,


" दी अरे आप की ही छोटी बहन हूँ, आप चिंता मत करिये, नगमा दीदी ने मुझे समझा दिया है और एक क्रीम भी दी है , क्या तो नाम है , हाँ टाइट अगेन,... बस जिस दिन छेंका रोका होगया, नीचे के मुंह का पूरा उपवास, अरे नहीं भैया को भूखा नहीं रखूंगी,... मेरे होंठ हैं न आपने जैसे सिखाया था अब चूसने में मैं एकदम एक्सपर्ट हो गयी हूँ ,...




आखिर छुट्टी वाले पांच दिन तो वैसे ही भैया का काम चलता था ,... और नहीं हो तो पीछे वाला छेद, लेकिन पंद्रह बीस दिन एकदम शटर डाउन, नीचे का और नगमा दी ने बोला है दिन में , एक बार और रात में एक बार क्रीम लगाने को और तीन चार बार एक कसरत बताई है , चूत को टाइट करने वाली,... आपके देवर ने तो आप खुद ही कह रही थीं, चोदने को कौन कहे , प्रेम गली का दर्शन तक नहीं किया है ,... तो बस आप लाइट वाला ,... और हाँ एक चीज और सोची है मैंने, एक सेफ्टी पिन या अंगूठी ही कोई नोक वाली, बस उसी से जांघ पे कहीं छेद कर दूंगी,... बस आठ दस खून टपक जाएगा , जितना ज्यादा उतना अच्छा,.... उस समय तो दिखेगा नहीं , सुबह के पहले जब लाइट आएगी तो,... "



और जेठानी ने और सोने में सुहागा जोड़ा ,... बस एक काम करना,...

मैं ताला बाहर से बंद कर दूंगी और सुबह मैं ही आके एक दो ननदों के साथ खोलूंगी,... बस तुम उस खून लगे चादर को बदलना मत, और ननदों के सामने मैं देवर को चिढ़ाऊंगी, देखो कैसा खून खच्चर कर दिया है मेरी देवरानी को , इतनी कम उमर वाली देवरानी इसी लिए लायी थी,...




दूसरे महीने तक वैसे भी पेट का तो पता चलता नहीं ,... और चौथी में जब मायके से आते तो उनके साथ बिदा , मायके का रिवाज है,... हफ्ते भर के अंदर कोई पूजा होती है उससे गर्भाधान में ,... बस सास जी के मना करने का सवाल ही नहीं होता,... और हफ्ते दस दिन बाद वहीँ से खबर आ जाती की बहू माँ बनने वाली है , ये देवर को चिढ़ातीं की पहले दिन ही छक्का मार दिया ,... और ये अपनी नौकरी पे ,... और बच्चा मायके में ही होता सात महीने में की आठ में कौन जानता , हाँ ये कह दिया जाता की ददिहाल पे मूल ही तो पौने आठ महीने तक ददिहाल का कोई बच्चे को नहीं देख सकता,



ये सब प्लानिंग लाल डायरी में लिखी थी,...

लेकिन सबसे खतरनाक बात थी की, उनकी पिलानिंग फेल होने के बाद भी उनकी जहरीली पिलानिंग जारी रही,मैं शादी के बाद घर में आगयी तब भी जेठानी और उनकी छिनार बहिनिया ने हार नहीं मानी,


और उस का एक एक सूत्र उस लाल डायरी में था ,

संदीप की बहिनिया की सुहाग रात तो नहीं मनी लेकिन मेरी सुहागरात के बारे में भी उनकी जबरदस्त पिलानिंग थी,.. उसको फेल कराने की और मुझे बदनाम कराने की,... मुझे वो सब घटनाएं याद आ रही थीं , लेकिन उस का मतलब समझ में नहीं आया था। लेकिन मेरी मम्मी, बिदाई के समय ही उन्होंने समझा दिया था ,... जेठानी के हाथ की कोई चीज़ कम से कम रात को सुहाग रात के समय मत खाना , पीना। लेकिन जेठानी भी कम लोमड़ी नहीं थी। उसने दूध का गिलास , गुड्डी के हाथ भिजवाया , इस इंस्ट्रक्शन के साथ वो मुझे अपने सामने पिला दे.

और उसने वो दूध का ग्लास मेरे हाथ में पकड़ा दिया , सामने खड़ी की मैं पूरा पी लूँ तभी वो जायेगी




लेकिन मैंने उसे चिढ़ाते हुए पूछा ,... "हे तूने दूध भी देना शुरू कर दिया ,... माना बारात में मेरे भाइयों ने नहीं छोड़ा होगा , लेकिन नौ महीने लगेंगे बियाने में उसके बाद ही दूध,... "



वो चिढ गयी , खुद उगल दिया,... आपकी जेठानी ने भेजा है और मुझसे कहा है अपने सामने पिला देना , रात में उनपर बहुत मेहनत पड़ेगी ,... वो थोड़ी देर में अपने देवर के साथ आएँगी ,


और ननद का रिश्ता मैं क्यों छोड़ देती,...

"अरे यार फिर सिर्फ दूध ही क्यों बाकी काम धाम भी अपने सामने देख लेना , रुक जा यहीं पे बहुत काम देगा ,... सब सीख लेगी, चौथी में मेरे गांव से भैया लोग आयंगे बस जिससे कहेगी उससे जोड़ी लगवा दूंगी बल्कि सबसे बदल बदल के स्वाद ले लेना। "

मैंने और चिढ़ाया , कमरे में हम दोनों ही थे।

वो चुप , फिर मैं उसे समझाते बोली, अच्छा यही रख दे , मैं पी लुंगी , अब इत्ती बड़ी ग्लास ,.. तू जा पक्का तेरे यारों की कसम,... और मुंह फुला के बाहर चली गयी। मैंने दूध का ग्लास कहीं इधर उधर रख दिया की कहीं हाथ वाथ लग के गिर न जाए , मुझे ज़रा भी अंदाज नहीं था ,

वो मीरा को भेजे गए जहर के प्याले की तरह था ,...


वो तो लाल डायरी से पता चला ,

दो गोली नींद की उसमें घुली थी , और नींद की गोलियों का नाम भी लिखा था ,... मैंने गूगल किया तो चौंक पड़ी बहुत ही स्ट्रांग , पंद्रह मिनट के अंदर कोई भी सो जाएगा ,... और आठ से बारह घंटे ढोल भी पीटो तो नहीं उठेगा,... और यहाँ तो एक के बदले दो उस दूध में पड़ी थीं,... लेकिन ये भी था की बिना डॉक्टर के पुर्जे के नहीं मिल सकतीं औरवो भी बड़ी रिस्ट्रिक्टिव , .... मैं समझ गयी वही डाक्टर जावेद और लाल डायरी में लिखा भी था , नगमा ले आयी थी , वही डाक्टर जावेद जिससे वो रोज चटवाती थी ,... दो पत्ते, मेरे पहले दस दिन के लिए , उसके बाद तो उनकी छुट्टी ख़तम हो जाती ,...

और ऊपर से दो गोली,... न सिर्फ रात में १०-१२ घंटे सोती बल्कि दिन में निदासी रहती ,...


और अब मेरी समझ आया की जब गुड्डी दूध का गिलास मुझे पकड़ा के गयी उसके पौन घंटे बाद जेठानी अपने देवर के साथ आयीं,... और साथ में दो चार ननदें भी, ...

उन्हें पूरा विश्वास था की मैं अब तक अंटागफील सो रही होउंगी, लेकिन मैं तो चौकस,... पहले तो उन्होंने इधर देखा , लेकिन ग्लास नहीं दिखा तो वो समझी होंगीं की चलो दस पांच मिनट बाद मैं निद्रा देवी के पास पहुँच जाउंगी,... लेकिन मैं तो जम्हाई तक नहीं ले रही थीं , ..

और सेफ्टी के तौर पर उन्होंने अपने देवर को भी समझा रखा था, की दुल्हन को मैंने एक ग्लास दूध भेजा था , अगर उसने न पीया हो तो तुम अपने हाथ से पिला देना,... उन्होंने दूध देख लिया लेकिन कहा कुछ नहीं,... वो तो सिर्फ एक बात में इंटरेस्टेड थे,
नहीं नहीं वो नहीं ,...

बात करने में ,... मुझे कम्फर्टबेल बनाने में ,.. और बोलने से ज्यादा सुनने में, एक घंटे हम दोनों बात ही करते रहे , सबसे ज्यादा मम्मी , फिर मेरी कजिन सिस्टर्स , भाभियाँ सहेलियां ,... हाँ ललचाते हुए बार बार ' वहीँ ' देखते, मेरी चोली के अंदर वाले , लेकिन खोलने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी



,खैर एक डेढ़ घंटे बाद जब बत्ती बुझी तो चोली भी खुली, और उनके मन की भी हुयी ,...
लेकिन मैं समझ गयी थी ये जिंदगी भर मुझे देख के ललचाएगा,... तो ललचाये ,... उसी के लिए तो आयी थी सब कुछ जो होता है

तो , सुबह जब जेठानी आयीं तो टूटी चूड़ियां , मेरी बिंदी इनके माथे पर , मेरे पैर का महावर इनके माथे पर,...

मैं तो बाथरूम में थीं ,... हाँ इन्होने मम्मी से सब पूछ रखा था मुझे क्या अच्छा लगता है , तो सुबह बहुत हलके दूध वाली बेड टी भी मिली, ..जेठानी के आने के पहले ही

.


और तब मुझे उस दूध का ध्यान आया तो वो बोले की मैंने तो उसे नाली में गिरा दिया,... ये फ्रेश,...


और सिर्फ रात में ही नहीं दिन में भी दर्जनों तो बातें थीं मेरे बारे में उस लाल डायरी में ,

किचेन में तेल गिरा दिया था उन्होंने और बल्ब बदल दिया था ,.. फ्यूज बल्ब लगा के जिससे फिसल के मैं गिर जाऊं,...

खाने में थाली लगाने वो खुद आतीं और मुझे किसी बहाने हटा के इनकी थाली में सब्जी दाल दोनों में खूब नमक , जिससे खाने की मेज पर ये चिल्लाएं , .. पर ये तो मुझे देखने में मगन रहते,... और गुड्डी से मेरे कपड़ों के बारे में पता करके,... हम लोगो के हनीमून का प्लान बिगाड़ा और और उन का चलता तो पूरे दो साल मैं यहीं रहती ,...

लेकिन एक बात जो लाल डायरी में थी मेरे बारे में उसे पढ़ के मेरे बस आंसू निकल आये,... मेरे आने के दो दिन के अंदर ही किचेन मेरे हवाले , बेड टी से लेकर रात के खाने तक सब मेरे जिम्मे,.. सास शायद गाँव गयी थीं, दो दिन के लिए, और जेठानी ने रोज की तरह , लेकिन उस दिन ख़ास हुकुम था ,... कल एक पूजा होती है , जिसमें मुंह अँधेरे सूरज निकलने के पहले सब बन जाना चाहिए, साढ़े पांच बजे के पहले,... और आज कल चार बजे से पावर कट रहता है छह बजे तक,... मोमबत्ती और दियासलाई दोनों किचेन में ध्यान से रख देना,... किचेन में वो कहाँ रहता है ये मत पूछना,... रोज तो सुबह नौ बजे तक उठती हो , महरानी की तरह , एक दिन जल्दी उठ जाओगी तो क्या ,... और हाँ नहा जरूर लेना फ्रेश कपडे भी , ये नहीं की वही सब .. पहने , पूजा का खाना बनना है नयी बहू ही बनाती है,...

और रात को भी उन्होंने जब मैं किचेन समेट रही थी , दस बार मोमबत्ती माचिस और चार बजे का नाम लिया ,

खैर मैंने अलार्म लगा लिया था , सोने तो ये खैर देते नहीं , मेरी सासू जी का बेटा मेरे कपड़ों और नींद दोनों का दुश्मन था,... पौने चार बजे ही उठ के मैं नहा धो के फ्रेश कपडे पहन के , सवा चार बजे मैं किचेन में पहुंची, लाइट तो चार बजे ही चली गयी थी ,... बस किसी तरह मोमबत्ती और दियासलाई ढूंढ के , चूल्हे के पास ही रखा था मैंने ,... और माचिस जलाने ही वाली थी की एक हलकी सी महक नाक में आयी ,... मेरी कुछ समझ में नहीं आया , .... लेकिन फिर वो थोड़ी सी तेज ,... मैं डरी और जल्दी से इनको आवाज लगाई ,... इनकी नींद,.. लेकिन मेरी आवाज तो इन्हे दूर से ही सुनाई पड़ जाती थी और गहरी नींद में हो तो भी , बस पल भर में वो मेरे पास ,... और मुझसे पहले वो चिल्लाये गैस,... और झट झट किचेन की सारी खिड़कियां खोल दी, माचिस मेरे हाथ से छीन के दूर फेंक दी ,...

और उनकी चिल्लाहट सुन के जेठानी जी आ गयीं और पीछे पीछे जेठ जी भी,... और डांट मुझे ही पड़ी,

" इत्ती जल्दी रहती है रात में, दस बार बोला है गैस ऊपर नीचे दोनों ओर से बंद करो,... लेकिन इतनी जल्दी रहती है ऊपर जाने की , अरे नयी शादी मेरी भी हुयी थी, ऐसी आग तो नहीं लगी रहती थी,... मायके में कैसे रहती थी , कैसे खुजली मिटाती थी , आठ दस यार तो कम से पाले होंगे,.... कहाँ से आ गयीं , एक बात की तमीज नहीं,... "

मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो जेठ जी मुझसे तो नहीं इन पर,... " कम से कम बड़े छोटे की तमीज तो होनी चाहिए, बड़ो की बात का जवाब नहीं देते ये तो , पहले तो गलती करें,... "

और उस होते होते रह गए हादसे का पूरा हाल लाल डायरी में था , जेठानी का हस्तलिखित, ... उन्होंने ही जेठ जी से कहलवा के सास को दो दिन के लिए गाँव भिजवाया था और,... जैसे ही मेरे कमरे की ऊपर बत्ती जली,... किचेन में आ के पहले तो उन्होंने सारी खिड़कियां अच्छी तरह से चिपका के बंद कीं, फिर गैस फुल पे खोल के किचेन का दरवाजा भी चिपका के बंद कर दिया , जिससे मेरे आने के आधे घंटे के अंदर किचेन में गैस अच्छी तरह भर जाए और मैं जैसे मोमबत्ती जलाने के लिए माचिस जलाऊं ,...धड़ाम,...
इतनी बातें थीं , पूरे डिटेल्स के साथ,... मैं पढ़तीं कभी आँखों में आंसू नाचते कभी बिस्तर पर सोई जेठानी को देखती और गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ता ,...

और मैंने लाल डायरी और दोनों पुर्जों को सहेजा और ,....

में गुस्से को रोक नहीं पायी,... जेठानी अपने देवर के बगल में निसुति सो रही थीं , ... मैंने डायरी और दोनों परचे सम्हाल के रखे और जेठानी को पलंग से नीचे घसीट लिया ,

अब बताती हूँ इस छिनार को, मेरे मरद के साथ ऐसी गहरी प्लानिंग, मेरे साथ ये चालें


 
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anvesharonny

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Bahot harami cheez hain jethani,kya kya ek se badh kar ek planning ki thi lekin unki to nauka hi dub gayi komal ke aane se.Bechare Jeth ji impotent na hote hua bhi impotent bank ke jee rahe hain.
 
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