टॉवेल क्वीन
उसे भी तैयार होने की जल्दी थी ,मुझे भी इलसिए ननद भाभी संवाद को यहीं विराम देते हुए मैंने ऊपर अपने कमरे में प्रस्थान किया ,तैयार होने के लिए।
नीचे बाथरूम से अभी भी फ्लश की ही आवाजे आ रही थीं इसलिए मैं समझ गयी थीं की मेरी जेठानी बाथरूम में अभी आधे घंटे तो ,
और मैंने भी नहाने में तो ज्यादा नहीं ,पर तैयार होने में अच्छी तरह टाइम लिया। जो रिप्ड जींस और क्रॉप टॉप कल मैंने अपनी ननदों दिया ,गुड्डी और छन्दा के लिए खरीदी थी उन नालायकों ने जिद्द कर के एक सेट मेरे लिए भी बस साइज का फर्क था ,
आज मैंने वही पहना।
मैं सोच भी नहीं सकती थी की इस घर में कभी जींस ,मेरी फेवरिट ड्रेस पहन के टहलूंगी ,पर सोचने से सब होता है क्या , जेठानी ने भी तो बहुत कुछ सोचा था ,गुड्डी के पर काटने को ,अपने अंगूठे के नीचे दबा के रखने को ,
जब मैं नीचे पहुंची तो ये भी नहाने चले गए थे और बाथरूम में से अब शावर की आवाज आ रही थी यानी जेठानी अब ,
आज लगता है खूब रगड़ रगड़ के वो नहायी और चन्दन वाला साबुन लगा के , ...
जब तक वो निकली तब तक उनके देवर वापस आ गए थे और हम दोनों ने एडिटेड सिनेमेटिक वो डेढ़ घंटे वाली कन्डेन्स्ड डीवीडी बना दी थी उसे लगा के ,सामने लगे ५१ इंच के टीवी पर उनकी फिल्म चालू हो गयी थी ,सराउंड साउंड के साथ।
बात सही है ,फिल्म में असली जौहर तो एडिटिंग का है और मन लगा के उनके देवर ने एडिटिंग की थी ,क्लोज अप और ज़ूम शॉट्स से लेकर वाइड ऐंगल तक ,जेठानी जी के चेहरे के एक्सप्रेशन ,उनके दांए बूब्स के पास का ,पीछे पीठ और जांघ के एकदम ऊपरी हिस्से में जो तिल था ,सबका बार बार क्लोज अप ,लेकिन बेस्ट थे जेठानी के बूब्स ,कोई भी पॉर्न एक्ट्रेस मात।
और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और जेठानी निकली , बाल तौलिये में लपेटे , बाल धो के नहाईं थीं वो आज। एक तौलिया 36 डी डी बूब्स को कस के बांधे हुए और दूसरा कमर के नीचे वाले खजाने को छिपाए हुए।
क्या फिल्म थी ,मैंने बहुत सी हॉट हॉट xxx देखी थीं लेकिन इसने सबको मात कर दिया था।
और इन्होने चोदा भी तो अपनी भौजाई को खूब रगड़ रगड़ के था। बिस्तर तो छोड़िये, कमरे की कोई जगह नहीं बची थी जहाँ मेरी प्यारी संस्कारी जेठानी की ली न गयी हो। टेबल पर निहुरा के ,सोफे पर एक टांग उठा के ,दीवाल के सहारे खड़ी कर के ,
एक बार तो खुली खिड़की के इन्होने जेठानी को आधा बाहर लटका दिया था , हलकी हलकी रिमझिम हो रही थी , जेठानी के खुले बाल पीठ पे बाहर के काले बादलों की तरह छितराये हुए थे , और वो हचक हचक के चोद रहे थे।
और इनसे ज्यादा इनकी भौजाई ,एकदम कातिक की कुतिया की तरह गरमाई ,जैसे न जाने कितने दिन बाद लंड मिला हो , एकदम चोदवासी , और खूब गाली दे दे के , इन्हे उकसा उकसा के ,इनके ऊपर चढ़ के , ताकत भी बहुत थी जेठानी की जांघ में। इनके ऊपर चढ़ी , पूरा का पूरा बालिश्त भर , ये तो धक्के भी नहीं लगा रहे थे ,
सब वही और कैमरे में उनकी मांसल वासना खूब उभर कर के आयी थी। एक एक गालियां ,जिस तरह से वो इन्हे चैलेंज कर रही थीं ,
" चोद ,चोद स्साले अपनी माँ के यार , देखती हूँ आज उस छिनार ,रंडी के जने में कितनी ताकत है , गांड मार दूंगी तेरी अगर मुझसे पहले झड़ा तो , हाँ हाँ ,पेल दे हचक के , ओह स्साला मस्त कहाँ से सीखा है ऐसे चोदना ,तेरी माँ ने सिखाया क्या , रंडी। "
इनके अपनी भौजाई के झड़ने से पहले झड़ने का सवाल ही नहीं था , इत्ती ट्रेनिंग इसी बात की तो मम्मी और मंजू बाई ने दी थी इन्हे।
हर बार दो तीन बार अपनी भौजाई को झाड़ के ही ,और उनकी भौजाई के झड़ने को कैमरे ने इतना मस्त कैप्चर किया था ,जिस तरह से तूफ़ान के पत्ते की तरह उनकी देह कांपती ,आँखे बंद हो जातीं ,अपने दोनों हाथों से चादर जोर से वो पकड़ लेतीं ,मुट्ठियां भींच लेती , और जैसे तूफ़ान गरज बरस के धीमे धीमे ठंडा पड़ता है , उसी तरह मेरी जेठानी लस्त पस्त शिथिल पड़ जाती।
जेठानी जी की आवाजें , उनकी सिसकियाँ ,उनके एक एक शब्द इत्ती अच्छी तरह कैप्चर हुए थे की एकदम स्टूडियो प्रोडक्शन लग रहा था।
फिर वाइन पीते हुए जेठानी जी , खुद पकड़ के उनका लंड मुंह में लेते जेठानी जी ,
किसी हालत में जबरदस्ती या मॉर्फिंग का ,...
बीच बीच में क्लोज अप भी और उसके बाद कैमरा जैसे किसी मर्द का स्लो लिगरिंग तड़पाने वाला टच हो ,उसी तरह बहुत धीमे धीमे सहलाते हुए आगे बढ़ता ,पैन करके नीचे या उपर।और जब जेठानी तौलिए लपेटे सीन पर नमूदार हुईं स्क्रीन पर सिर्फ एक क्लोज अप था
३६ डी डी , ऊंचाई ,गहराई , गुम्बद की गोलाई ,कड़ापन सब साफ़ साफ़
और जेठानी की आहट होते ही मैंने उसे पाज कर दिया।
और उनके देवर ने वही किया जो ऐसी मस्त नहा के निकली भौजी के साथ करना चाहिए ,
एक झटके में वो अपने देवर की गोद में थीं ,और दूसरे झटके में उनके देवर ने ऊपर वाली तौलिया हटा के उन दोनों मांसल गोलाइयों को अनावृत्त कर दिया।
" तुम दोनों भी न सुबह सुबह , ऐसी ऐसी फिल्म देखने ,... "
बड़ी अदा से उन्होंने मुड़ के मुझ से कहा। और फिर उन की निगाहें भी ५१ इंच वाले स्क्रीन पर चिपक गयीं।
" लेकिन है बड़ा मस्त ,कोई एक्ट्रेस है क्या ? " ये सवाल भी मुझसे था पर जवाब मेरे साजन ने दिया ,
जेठानी तो बचपन की छिनार...
कहीं भी ... किसी के सामने भी...
अपनी टाँगें फैला देती थीं...
तो देवर का हक तो और ज्यादा है ( दे बुर...दे बुर)
टेबल के ऊपर... टेबल के नीचे.. टेबल पर झुका के... टेबल पर लिटा के...
सब जगह... सब एंगल से..
इतने दिन में गाभिन नहीं हुई जेठानी ... तो देवर के गाढ़े रस से भी हो सकती हैं..... और खुशखबरी ससुराल के साथ साथ मायके वालों को भी दे सकेगी...