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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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मेंहदी





" अरे भौजी यह के अपनी बुरिया में बस आधा पौन घंटा डाल के , जोर जोर से भींचिये , एकदम आपके बुर रस में जब भीग जाय ,अच्छे से मॅरिनेट हो जाय फिर उसकी बैंगनी ,... बस ज़रा भी सरक के बाहर न आने पाए ई समझ लीजिये वरना मैं तो चली जाउंगी पर आपका नाम कल सबेरे तक , ... "
समझदार को इशारा काफी था,

गुड्डी ने साडी ढीली कर दी और एक बार फिर साडी नीचे तक ,

" और नाश्ता ,... " जेठानी तो थोड़ा मंद समझती थीं।

" अरे इसके मॅरिनेट होने के बाद ही तो आप बैंगनी बना पाएंगी ,उतनी देर इन्तजार कर लूंगी और तबतक ,... "




" और तब तक ये तुम्हे बुकवा लगा के चिकना कर देंगी ,पेडिक्योर , मैनीक्योर ,मेहन्दी ,.... पौन घंटा तो झट से ,उसके बाद नाश्ता ,... बैगनी का " मैंने तबतक वाली बात पूरी की।



जेठानी फिर लग गयीं गुड्डी की सेवा में।

पैरों में रगड़ रगड़ के चंदन हल्दी बेसन का उबटन, हलकी सी मालिश , गुड्डी एक कुर्सी पर बैठी और जेठानी जमीन पर बैठ के ,




लेकिन अब मैं जेठानी के साथ मिल के अपनी ननद की खिंचाई कर रही थी ,

" दीदी ,हाँ जरा इसके पैरों की मालिश ठीक से करियेगा ,अब आज रात से तो उठे ही रहेंगे , हवा में। " मैंने छेड़ा पर गुड्डी भी ,




" भाभी ,हमारे इनके आपके यार तो एक ही हैं , तो इन्हे तो मालूम ही होगा की कितनी देर टांग उठाना पड़ता है ,पर नहीं , मेरी बड़ी भाभी को तो कुतिया बनना ही पसंद है ,कच्ची जवानी की आदत और पहले प्यार सामू की पसंद। "

गुड्डी ने फिर लूज बाल पे छक्का मार दिया।

पर जेठानी भी उबटन लगाते हुए उनके हाथ छोटे छोटे स्कर्ट के अंदर तक पहुँच गए और गुड्डी की जाँघे रगड़ते बोलीं ,

"सुन चाहे टाँगे उठा के करवाना ,चाहे टाँगे फैला के या निहुर के ,असली ताकत तो जांघ फ़ैलाने में लगेगी ,इसलिए यहाँ की मालिश तो सबसे जरूरी है। "
कहने की बात नहीं उनकी ऊँगली बीच बीच में गुड्डी की चुनमुनिया को छू देती थीं और वो सिहर उठती थी।




फिर उन्होंने मेहन्दी लगानी शुरू की ,पहले पैरों में ,वो स्टूल पर बैठीं ,और गुड्डी सामने कुर्सी पर।



"भाभी साडी उठा लीजिये न वरना मेहँदी कहीं कल इत्ती मेहनत से खरीदी साडी में लग गयी तो ,... "

थोड़ा मेरी जेठानी ने साडी सरकायी लेकिन उससे ज्यादा गुड्डी ने अपने पैर से पुश कर के साडी एकदम कमर तक ,

और दोनों पैरों को बीच में डाल के जाँघे भी एकदम खुलवा दीं।

जिस पैर में मेहंदी लग रही थी ,गुड्डी ने उसे तो अपनी बड़ी भाभी की मांसल जाँघों पर रख दिया और अपने दूसरे पैर अपनी बड़ी भाभी की बुर में धंसे मोटे बैंगन को अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगी। कभी कभी अंगूठे से वो उनकी क्लिट भी खुजला देती और बेचारी जेठानी सिहर के रह जातीं।




ये ऊपर चले गए थे ,आज शाम को हम लोग पहुँच रहे थे तो कल से ऑफिस शेड्यूल ,पेंडिंग काम ,मीटिंग के बारे में अपनी सेक्रेटरी मिसेज डी मेलो से बात करने और मिस्टर खन्ना वाइस प्रेसिडेंट ,जिनके डायरेक्ट ये अंडर थे उन्हें रिपोर्ट करने।

नीचे वाली मंजिल पर सिर्फ मैं ,जेठानी और गुड्डी।
गुड्डी का मुंह चल रहा था और पैर तो जेठानी जी की उँगलियाँ ,



एक हथेली में तो उन्होंने कामसूत्र की सारी पोजीशन भी बना दी ,मिशनरी ,साइड से ,गोद में बिठा के ,निहुरा के ,...




और सबकी अच्छाई बुराई भी बता दी।

दूसरे हाथ में एक खूब मोटे लंड की डिजायन उन्होंने इस तरह बनाई की जै से ही गुड्डी हथेली बंद करेगी लगेगा की वो मुट्ठी में मोटा तगड़ा शिश्न पकड़े है।

दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।




यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,

गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।





लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।





और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।
 
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komaalrani

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वाह,क्या सीन है







दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।

यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,

गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।





लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।

और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।



हालांकि वो गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कालेज ,एकदम हम लोगों के घर के पास ही था ,




funny poem lines

फिर भी अभी नाश्ता बनना था ,गुड्डी को खाना था ,फिर मेहँदी छुड़ाना।

जेठानी किचेन की ओर आलमोस्ट भागते हुए , थोड़ी देर में कड़ाही चढ़ने की बैंगनी छनने की आवाजें आने लगीं।



और जब ताज़ी गरमागरम बैगनी लेकर मेरी जेठानी आयीं तो मैं वो और गुड्डी टीवी पर हाइलाइट्स देख रहे थे।

अपने हाथों से बैगनी उन्होंने देवर को भी खिलाई ,ननद को भी और देवरानी को भी।

पर गुड्डी ने जेठानी जी को खींच के बैठा लिया ,

जेठानी ने लाख बहाना बनाया ,कड़ाही जल रही है ,तवा ठंडा हो रहा है , दूध उबल रहा है ,बर्फ पिघल रही है पर


गुड्डी ,





भाभी बस एक मिनट ,बडा इम्पॉर्टेंट सीन आने वाला है।

और सीन आ गया ,मेरी जेठानी के सीधे साधे आज्ञाकारी देवर ,हचक हचक कर अपनी भौजी की कुँवारी गांड मारने के बाद ,गांड से निकाल कर लंड

लिथड़ा ,चुपड़ा

मलाई मक्खन से लिपटा ,

सीधे अपनी भाभी के प्यारे प्यारे मुंह के अंदर , शुरू शुरू में उन्होंने मुंह बनाया ,सर हिलाया पर हचक हचक के ,...


वो सीधे गांड से निकला लंड उनके मुंह में एकदम जड़ तक





बस पांच मिनट बचे ,गुड्डी ने एक पकौड़ी उठायी ,मुंह में ठुंसी और सीधे कालेज की और ,

हाँ जाने से पहले वो एक लम्बी फेहरिस्त अपनी भौजी की लिखा गयी दिन के लंच के लिए , ढाई बजे वो तो तीन तितलियाँ कालेज से सीधे हमारे यहाँ

बड़ी भाभी के हाथ का बना खाना खाने।

…………

ननदों की बड़ी भाभी किचेन में धंस गयी ,खाना बनाने और मैं अपने साजन के साथ ऊपर



नहीं नहीं कुछ और करने वरने ,


सिर्फ सोने ,मैंने तो ये इनके मायके में आने के पहले ही तय कर लिया था की अबकी इनकी मलाई सिर्फ इनके मायके वालियों के अंदर ही जायेगी , बहन हो भाभी हो ,

हाँ जब ये मेरे मायके जाएंगे तो फिर मेरी मायकेवालियाँ ,इनकी सालियाँ ,सलहजें ( सगी नहीं तो रिश्ते की ही सही ) इनकी मलाई की हकदार होंगी।

मैं इनके मायकेवालियों के और अपने मायकेवालों के बीच कोई भेदभाव नहीं करती।

कुछ देर इन्होने पैकिंग की और मैंने गुड्डी की पैकिंग में उसका सूटकेस खोल के कुछ कतरब्योंत और फिर हम दोनों सो गए।



कल रात के रत जगे के बाद ,और आज फिर रतजगा होना था

कल की रात मेरी जेठानी के नाम थी तो आज की रात मेरी 'सीधी साधी ' ननद के साथ गुजरने वाली थी।

इसलिए थोड़ी सी नींद कहीं भी ,कभी भी।
 
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komaalrani

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आज की रात






आज रात न मैं सोने वाली थी और न इनको और इनके माल को सोने देने वाली थी।

जिन कच्चे टिकोरों के लिए ,वो जब हाईस्कूल में थी,.... तब से ये तड़प रहे थे आज उनके मुट्ठी में होंगे।




जब चाहो,जितना चाहो दबाओ मीजो रगड़ो।


और वो कच्ची अमिया आज उन्हें अच्छी तरह डेकोरेटेड मिलनी वाली थी , आखिर एक तरह भाई बहन की सुहागरात थी।




और उन नए आये उरोजों को सजाया संवारा किसने था , उसी ने जिसने पूरी कोशिश की थी की
भाई बहना की ये मुलाकात न हो पाए ,

न भाई अपनी बहना को चोद पाए ,न बहना अपनी भैय्या से चुदवा पाए।






पर मैं असली भौजाई कैसे देख सकती थी ननद बिना अपने भइआ से चुदे रह जाय।



और मेरी उन्ही जेठानी ने मेरी ननद की उन टांगो को जो अब ज्यादा तर उठी रहने वाली थीं, उबटन लगाया ,

पेडिक्योर किया और

क्या रच रच कर मेंहदी लगाई ,




असल में उनके देवर को मेंहदी का सिंगार बहुत पसंद था और उनसे ज्यादा ,
उनके मूसलचंद को ,

मेरी जेठानी ने जो सुन्दर मेंहदी अपनी किशोर कमसिन ननदी को लगायी , और उन्ही मेंहदी लगे छोटे छोटे टीनेजर हाथों से आज

उनके देवर के मूसलचंद को उनकी छोटकी ननदिया पकड़ेगी ,सहलायेगी,दबाएगी ,मसलेगी। अपने भइया के औजार के कड़ेपन का मोटापे का अहसास अपनी कोमल हथेली में करेगी।




मेरी उन जेठानी ने जो एकदम खिलाफ थीं ,मेरी सास से शिकायत करने वाली थीं ,खुद अपने हाथों से उसके हाथों में मेंहदी रच रच कर लगाई।

लेकिन रिकार्ड तोड़ दिया मेरी जेठानी ने मेरी ननद के छोटे छोटे जुबना पर ,जिसके लिए मेरी ननद जिल्ला टॉप माल के नाम से जानी जाती थी।

बूब्स के बेस से लेकर निप्स तक , क्या रच रच के मेंहदी लगाई मेरी सैंया की बहना को ,

बेल बूटे सब काढ़ दिए गुड्डी के उभरते उभारों पर ,


उसकी कच्ची अमिया तो वैसे ही आग लगाती थी , और अब मेरी जेठानी ने जो मेंहदी लगायी थी उन चूँचियों पर ,

आज की रात तो मेरी जेठानी की ननद की इन कच्ची अमियों की ,...




बस थोड़ी देर ही आँख लगी।





उन्होंने ही मुझे उठाया , पैकिंग इन्होने पूरी कर दी थी।



दो बजने वाले थे ,गुड्डी और उसकी मस्त मस्त सहेलियों के आने का टाइम ,

गुड्डी के स्कूल की पार्टी यानी फुलटाइम मस्ती



funny poem lines

स्कूल से कालेज एक लम्बी छलांग होती है ,इंटर की सारी लड़कियॉं और पार्टी दे रही ११ वीं की लड़कियां

मस्ती तो होनी ही थी , फिर कौन कहाँ जाए , कब मिले

स्कूल की यूनिफार्म ,चहारदीवारी लांघ कर कालेज में पहुंचने की खुशी ,



funny poem lines

और सहेलियों से बिछुड़ने का गम भी





कोई अपनी सालियों का इतनी बेसब्री से इन्तजार नहीं करता जितना वो अपनी 'बहनों ' का कर रहे थे।



हम दोनों धड़धडाते नीचे आगये ,किचेन से खाने की खुशबू आ रही थी ,आज पहली बार मैं जेठानी के हाथ का बना खाना खाने वाली थी।

टेबल आलरेडी सेट थी ६ के लिए ,हम तीन हमारे तीन ,गुड्डी और उसकी शैतान सहेलियां , दिया और छन्दा ,मेरी फेवरिट ननदें , पार्टनर्स इन क्राइम।



हम लोग बरामदे में खड़े ही थे की बाहर से चहकने की आवाजें आने लगीं , और धड़ाक से दरवाजा खुला , सबसे पहले दिया।



मैंने उसको आँख भर देखा भी न होगा की उसने मुझे दबोच लिया और जोर से चीखी ,
 
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SamsuSlr

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आज की रात






आज रात न मैं सोने वाली थी और न इनको और इनके माल को सोने देने वाली थी।

जिन कच्चे टिकोरों के लिए ,वो जब हाईस्कूल में थी,.... तब से ये तड़प रहे थे आज उनके मुट्ठी में होंगे।




जब चाहो,जितना चाहो दबाओ मीजो रगड़ो।


और वो कच्ची अमिया आज उन्हें अच्छी तरह डेकोरेटेड मिलनी वाली थी , आखिर एक तरह भाई बहन की सुहागरात थी।




और उन नए आये उरोजों को सजाया संवारा किसने था , उसी ने जिसने पूरी कोशिश की थी की
भाई बहना की ये मुलाकात न हो पाए ,

न भाई अपनी बहना को चोद पाए ,न बहना अपनी भैय्या से चुदवा पाए।






पर मैं असली भौजाई कैसे देख सकती थी ननद बिना अपने भइआ से चुदे रह जाय।



और मेरी उन्ही जेठानी ने मेरी ननद की उन टांगो को जो अब ज्यादा तर उठी रहने वाली थीं, उबटन लगाया ,

पेडिक्योर किया और

क्या रच रच कर मेंहदी लगाई ,




असल में उनके देवर को मेंहदी का सिंगार बहुत पसंद था और उनसे ज्यादा ,
उनके मूसलचंद को ,

मेरी जेठानी ने जो सुन्दर मेंहदी अपनी किशोर कमसिन ननदी को लगायी , और उन्ही मेंहदी लगे छोटे छोटे टीनेजर हाथों से आज

उनके देवर के मूसलचंद को उनकी छोटकी ननदिया पकड़ेगी ,सहलायेगी,दबाएगी ,मसलेगी। अपने भइया के औजार के कड़ेपन का मोटापे का अहसास अपनी कोमल हथेली में करेगी।




मेरी उन जेठानी ने जो एकदम खिलाफ थीं ,मेरी सास से शिकायत करने वाली थीं ,खुद अपने हाथों से उसके हाथों में मेंहदी रच रच कर लगाई।

लेकिन रिकार्ड तोड़ दिया मेरी जेठानी ने मेरी ननद के छोटे छोटे जुबना पर ,जिसके लिए मेरी ननद जिल्ला टॉप माल के नाम से जानी जाती थी।

बूब्स के बेस से लेकर निप्स तक , क्या रच रच के मेंहदी लगाई मेरी सैंया की बहना को ,

बेल बूटे सब काढ़ दिए गुड्डी के उभरते उभारों पर ,


उसकी कच्ची अमिया तो वैसे ही आग लगाती थी , और अब मेरी जेठानी ने जो मेंहदी लगायी थी उन चूँचियों पर ,

आज की रात तो मेरी जेठानी की ननद की इन कच्ची अमियों की ,...




बस थोड़ी देर ही आँख लगी।





उन्होंने ही मुझे उठाया , पैकिंग इन्होने पूरी कर दी थी।



दो बजने वाले थे ,गुड्डी और उसकी मस्त मस्त सहेलियों के आने का टाइम ,

गुड्डी के स्कूल की पार्टी यानी फुलटाइम मस्ती



funny poem lines

स्कूल से कालेज एक लम्बी छलांग होती है ,इंटर की सारी लड़कियॉं और पार्टी दे रही ११ वीं की लड़कियां

मस्ती तो होनी ही थी , फिर कौन कहाँ जाए , कब मिले

स्कूल की यूनिफार्म ,चहारदीवारी लांघ कर कालेज में पहुंचने की खुशी ,



funny poem lines

और सहेलियों से बिछुड़ने का गम भी





कोई अपनी सालियों का इतनी बेसब्री से इन्तजार नहीं करता जितना वो अपनी 'बहनों ' का कर रहे थे।



हम दोनों धड़धडाते नीचे आगये ,किचेन से खाने की खुशबू आ रही थी ,आज पहली बार मैं जेठानी के हाथ का बना खाना खाने वाली थी।

टेबल आलरेडी सेट थी ६ के लिए ,हम तीन हमारे तीन ,गुड्डी और उसकी शैतान सहेलियां , दिया और छन्दा ,मेरी फेवरिट ननदें , पार्टनर्स इन क्राइम।



हम लोग बरामदे में खड़े ही थे की बाहर से चहकने की आवाजें आने लगीं , और धड़ाक से दरवाजा खुला , सबसे पहले दिया।



मैंने उसको आँख भर देखा भी न होगा की उसने मुझे दबोच लिया और जोर से चीखी ,
Sandarr
 
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Luckyloda

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मेंहदी





" अरे भौजी यह के अपनी बुरिया में बस आधा पौन घंटा डाल के , जोर जोर से भींचिये , एकदम आपके बुर रस में जब भीग जाय ,अच्छे से मॅरिनेट हो जाय फिर उसकी बैंगनी ,... बस ज़रा भी सरक के बाहर न आने पाए ई समझ लीजिये वरना मैं तो चली जाउंगी पर आपका नाम कल सबेरे तक , ... "
समझदार को इशारा काफी था,

गुड्डी ने साडी ढीली कर दी और एक बार फिर साडी नीचे तक ,

" और नाश्ता ,... " जेठानी तो थोड़ा मंद समझती थीं।

" अरे इसके मॅरिनेट होने के बाद ही तो आप बैंगनी बना पाएंगी ,उतनी देर इन्तजार कर लूंगी और तबतक ,... "




" और तब तक ये तुम्हे बुकवा लगा के चिकना कर देंगी ,पेडिक्योर , मैनीक्योर ,मेहन्दी ,.... पौन घंटा तो झट से ,उसके बाद नाश्ता ,... बैगनी का " मैंने तबतक वाली बात पूरी की।



जेठानी फिर लग गयीं गुड्डी की सेवा में।

पैरों में रगड़ रगड़ के चंदन हल्दी बेसन का उबटन, हलकी सी मालिश , गुड्डी एक कुर्सी पर बैठी और जेठानी जमीन पर बैठ के ,




लेकिन अब मैं जेठानी के साथ मिल के अपनी ननद की खिंचाई कर रही थी ,

" दीदी ,हाँ जरा इसके पैरों की मालिश ठीक से करियेगा ,अब आज रात से तो उठे ही रहेंगे , हवा में। " मैंने छेड़ा पर गुड्डी भी ,




" भाभी ,हमारे इनके आपके यार तो एक ही हैं , तो इन्हे तो मालूम ही होगा की कितनी देर टांग उठाना पड़ता है ,पर नहीं , मेरी बड़ी भाभी को तो कुतिया बनना ही पसंद है ,कच्ची जवानी की आदत और पहले प्यार सामू की पसंद। "

गुड्डी ने फिर लूज बाल पे छक्का मार दिया।

पर जेठानी भी उबटन लगाते हुए उनके हाथ छोटे छोटे स्कर्ट के अंदर तक पहुँच गए और गुड्डी की जाँघे रगड़ते बोलीं ,

"सुन चाहे टाँगे उठा के करवाना ,चाहे टाँगे फैला के या निहुर के ,असली ताकत तो जांघ फ़ैलाने में लगेगी ,इसलिए यहाँ की मालिश तो सबसे जरूरी है। "
कहने की बात नहीं उनकी ऊँगली बीच बीच में गुड्डी की चुनमुनिया को छू देती थीं और वो सिहर उठती थी।




फिर उन्होंने मेहन्दी लगानी शुरू की ,पहले पैरों में ,वो स्टूल पर बैठीं ,और गुड्डी सामने कुर्सी पर।



"भाभी साडी उठा लीजिये न वरना मेहँदी कहीं कल इत्ती मेहनत से खरीदी साडी में लग गयी तो ,... "

थोड़ा मेरी जेठानी ने साडी सरकायी लेकिन उससे ज्यादा गुड्डी ने अपने पैर से पुश कर के साडी एकदम कमर तक ,

और दोनों पैरों को बीच में डाल के जाँघे भी एकदम खुलवा दीं।

जिस पैर में मेहंदी लग रही थी ,गुड्डी ने उसे तो अपनी बड़ी भाभी की मांसल जाँघों पर रख दिया और अपने दूसरे पैर अपनी बड़ी भाभी की बुर में धंसे मोटे बैंगन को अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगी। कभी कभी अंगूठे से वो उनकी क्लिट भी खुजला देती और बेचारी जेठानी सिहर के रह जातीं।




ये ऊपर चले गए थे ,आज शाम को हम लोग पहुँच रहे थे तो कल से ऑफिस शेड्यूल ,पेंडिंग काम ,मीटिंग के बारे में अपनी सेक्रेटरी मिसेज डी मेलो से बात करने और मिस्टर खन्ना वाइस प्रेसिडेंट ,जिनके डायरेक्ट ये अंडर थे उन्हें रिपोर्ट करने।

नीचे वाली मंजिल पर सिर्फ मैं ,जेठानी और गुड्डी।
गुड्डी का मुंह चल रहा था और पैर तो जेठानी जी की उँगलियाँ ,



एक हथेली में तो उन्होंने कामसूत्र की सारी पोजीशन भी बना दी ,मिशनरी ,साइड से ,गोद में बिठा के ,निहुरा के ,...




और सबकी अच्छाई बुराई भी बता दी।

दूसरे हाथ में एक खूब मोटे लंड की डिजायन उन्होंने इस तरह बनाई की जै से ही गुड्डी हथेली बंद करेगी लगेगा की वो मुट्ठी में मोटा तगड़ा शिश्न पकड़े है।

दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।




यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,

गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।





लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।





और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।
Wah kya mehndi lag rahi h nayi bin byahi dulhaniya par.... jiski jaldi hi fatne wali hai.......


Gajab update 😘😘😘😘
 

Luckyloda

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वाह,क्या सीन है







दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।

यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,

गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।





लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।

और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।



हालांकि वो गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कालेज ,एकदम हम लोगों के घर के पास ही था ,




funny poem lines

फिर भी अभी नाश्ता बनना था ,गुड्डी को खाना था ,फिर मेहँदी छुड़ाना।

जेठानी किचेन की ओर आलमोस्ट भागते हुए , थोड़ी देर में कड़ाही चढ़ने की बैंगनी छनने की आवाजें आने लगीं।



और जब ताज़ी गरमागरम बैगनी लेकर मेरी जेठानी आयीं तो मैं वो और गुड्डी टीवी पर हाइलाइट्स देख रहे थे।

अपने हाथों से बैगनी उन्होंने देवर को भी खिलाई ,ननद को भी और देवरानी को भी।

पर गुड्डी ने जेठानी जी को खींच के बैठा लिया ,

जेठानी ने लाख बहाना बनाया ,कड़ाही जल रही है ,तवा ठंडा हो रहा है , दूध उबल रहा है ,बर्फ पिघल रही है पर


गुड्डी ,





भाभी बस एक मिनट ,बडा इम्पॉर्टेंट सीन आने वाला है।

और सीन आ गया ,मेरी जेठानी के सीधे साधे आज्ञाकारी देवर ,हचक हचक कर अपनी भौजी की कुँवारी गांड मारने के बाद ,गांड से निकाल कर लंड

लिथड़ा ,चुपड़ा

मलाई मक्खन से लिपटा ,

सीधे अपनी भाभी के प्यारे प्यारे मुंह के अंदर , शुरू शुरू में उन्होंने मुंह बनाया ,सर हिलाया पर हचक हचक के ,...


वो सीधे गांड से निकला लंड उनके मुंह में एकदम जड़ तक





बस पांच मिनट बचे ,गुड्डी ने एक पकौड़ी उठायी ,मुंह में ठुंसी और सीधे कालेज की और ,

हाँ जाने से पहले वो एक लम्बी फेहरिस्त अपनी भौजी की लिखा गयी दिन के लंच के लिए , ढाई बजे वो तो तीन तितलियाँ कालेज से सीधे हमारे यहाँ

बड़ी भाभी के हाथ का बना खाना खाने।

…………

ननदों की बड़ी भाभी किचेन में धंस गयी ,खाना बनाने और मैं अपने साजन के साथ ऊपर



नहीं नहीं कुछ और करने वरने ,


सिर्फ सोने ,मैंने तो ये इनके मायके में आने के पहले ही तय कर लिया था की अबकी इनकी मलाई सिर्फ इनके मायके वालियों के अंदर ही जायेगी , बहन हो भाभी हो ,

हाँ जब ये मेरे मायके जाएंगे तो फिर मेरी मायकेवालियाँ ,इनकी सालियाँ ,सलहजें ( सगी नहीं तो रिश्ते की ही सही ) इनकी मलाई की हकदार होंगी।

मैं इनके मायकेवालियों के और अपने मायकेवालों के बीच कोई भेदभाव नहीं करती।

कुछ देर इन्होने पैकिंग की और मैंने गुड्डी की पैकिंग में उसका सूटकेस खोल के कुछ कतरब्योंत और फिर हम दोनों सो गए।



कल रात के रत जगे के बाद ,और आज फिर रतजगा होना था

कल की रात मेरी जेठानी के नाम थी तो आज की रात मेरी 'सीधी साधी ' ननद के साथ गुजरने वाली थी।

इसलिए थोड़ी सी नींद कहीं भी ,कभी भी।
Wah chokdi aa gyi lagta hai...... ab dekho badi bhabhi ka kya haal karti h ye nayi gang
 

Luckyloda

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आज की रात






आज रात न मैं सोने वाली थी और न इनको और इनके माल को सोने देने वाली थी।

जिन कच्चे टिकोरों के लिए ,वो जब हाईस्कूल में थी,.... तब से ये तड़प रहे थे आज उनके मुट्ठी में होंगे।




जब चाहो,जितना चाहो दबाओ मीजो रगड़ो।


और वो कच्ची अमिया आज उन्हें अच्छी तरह डेकोरेटेड मिलनी वाली थी , आखिर एक तरह भाई बहन की सुहागरात थी।




और उन नए आये उरोजों को सजाया संवारा किसने था , उसी ने जिसने पूरी कोशिश की थी की
भाई बहना की ये मुलाकात न हो पाए ,

न भाई अपनी बहना को चोद पाए ,न बहना अपनी भैय्या से चुदवा पाए।






पर मैं असली भौजाई कैसे देख सकती थी ननद बिना अपने भइआ से चुदे रह जाय।



और मेरी उन्ही जेठानी ने मेरी ननद की उन टांगो को जो अब ज्यादा तर उठी रहने वाली थीं, उबटन लगाया ,

पेडिक्योर किया और

क्या रच रच कर मेंहदी लगाई ,




असल में उनके देवर को मेंहदी का सिंगार बहुत पसंद था और उनसे ज्यादा ,
उनके मूसलचंद को ,

मेरी जेठानी ने जो सुन्दर मेंहदी अपनी किशोर कमसिन ननदी को लगायी , और उन्ही मेंहदी लगे छोटे छोटे टीनेजर हाथों से आज

उनके देवर के मूसलचंद को उनकी छोटकी ननदिया पकड़ेगी ,सहलायेगी,दबाएगी ,मसलेगी। अपने भइया के औजार के कड़ेपन का मोटापे का अहसास अपनी कोमल हथेली में करेगी।




मेरी उन जेठानी ने जो एकदम खिलाफ थीं ,मेरी सास से शिकायत करने वाली थीं ,खुद अपने हाथों से उसके हाथों में मेंहदी रच रच कर लगाई।

लेकिन रिकार्ड तोड़ दिया मेरी जेठानी ने मेरी ननद के छोटे छोटे जुबना पर ,जिसके लिए मेरी ननद जिल्ला टॉप माल के नाम से जानी जाती थी।

बूब्स के बेस से लेकर निप्स तक , क्या रच रच के मेंहदी लगाई मेरी सैंया की बहना को ,

बेल बूटे सब काढ़ दिए गुड्डी के उभरते उभारों पर ,


उसकी कच्ची अमिया तो वैसे ही आग लगाती थी , और अब मेरी जेठानी ने जो मेंहदी लगायी थी उन चूँचियों पर ,

आज की रात तो मेरी जेठानी की ननद की इन कच्ची अमियों की ,...




बस थोड़ी देर ही आँख लगी।





उन्होंने ही मुझे उठाया , पैकिंग इन्होने पूरी कर दी थी।



दो बजने वाले थे ,गुड्डी और उसकी मस्त मस्त सहेलियों के आने का टाइम ,

गुड्डी के स्कूल की पार्टी यानी फुलटाइम मस्ती



funny poem lines

स्कूल से कालेज एक लम्बी छलांग होती है ,इंटर की सारी लड़कियॉं और पार्टी दे रही ११ वीं की लड़कियां

मस्ती तो होनी ही थी , फिर कौन कहाँ जाए , कब मिले

स्कूल की यूनिफार्म ,चहारदीवारी लांघ कर कालेज में पहुंचने की खुशी ,



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और सहेलियों से बिछुड़ने का गम भी





कोई अपनी सालियों का इतनी बेसब्री से इन्तजार नहीं करता जितना वो अपनी 'बहनों ' का कर रहे थे।



हम दोनों धड़धडाते नीचे आगये ,किचेन से खाने की खुशबू आ रही थी ,आज पहली बार मैं जेठानी के हाथ का बना खाना खाने वाली थी।

टेबल आलरेडी सेट थी ६ के लिए ,हम तीन हमारे तीन ,गुड्डी और उसकी शैतान सहेलियां , दिया और छन्दा ,मेरी फेवरिट ननदें , पार्टनर्स इन क्राइम।



हम लोग बरामदे में खड़े ही थे की बाहर से चहकने की आवाजें आने लगीं , और धड़ाक से दरवाजा खुला , सबसे पहले दिया।



मैंने उसको आँख भर देखा भी न होगा की उसने मुझे दबोच लिया और जोर से चीखी ,
Dekho wo Aa gyi......



Dekho wo Aa gyi...




Love you diya😘😘😘😘😘😘
 

anvesharonny

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Ab to shaitan kaliyo ki gang bhi aa gayi ab dekhna interesting hoga ke wo jethani ka hal karte hain.
 

anvesharonny

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Guddi ki suhaagrat itni jaldi toh nahi chahiye,Hamra bhukha Sher jethani ke sath kabaddi khel ke thak gaya hoga use th aur uske aujar ko thoda aaram chahiye hoga.Aur guddi ko bhi aur thoda tadpana hoga aur usaki training bhi komal bhabi se karwani hogi.
 
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