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मेंहदी
" अरे भौजी यह के अपनी बुरिया में बस आधा पौन घंटा डाल के , जोर जोर से भींचिये , एकदम आपके बुर रस में जब भीग जाय ,अच्छे से मॅरिनेट हो जाय फिर उसकी बैंगनी ,... बस ज़रा भी सरक के बाहर न आने पाए ई समझ लीजिये वरना मैं तो चली जाउंगी पर आपका नाम कल सबेरे तक , ... "
समझदार को इशारा काफी था,
गुड्डी ने साडी ढीली कर दी और एक बार फिर साडी नीचे तक ,
" और नाश्ता ,... " जेठानी तो थोड़ा मंद समझती थीं।
" अरे इसके मॅरिनेट होने के बाद ही तो आप बैंगनी बना पाएंगी ,उतनी देर इन्तजार कर लूंगी और तबतक ,... "
" और तब तक ये तुम्हे बुकवा लगा के चिकना कर देंगी ,पेडिक्योर , मैनीक्योर ,मेहन्दी ,.... पौन घंटा तो झट से ,उसके बाद नाश्ता ,... बैगनी का " मैंने तबतक वाली बात पूरी की।
जेठानी फिर लग गयीं गुड्डी की सेवा में।
पैरों में रगड़ रगड़ के चंदन हल्दी बेसन का उबटन, हलकी सी मालिश , गुड्डी एक कुर्सी पर बैठी और जेठानी जमीन पर बैठ के ,
लेकिन अब मैं जेठानी के साथ मिल के अपनी ननद की खिंचाई कर रही थी ,
" दीदी ,हाँ जरा इसके पैरों की मालिश ठीक से करियेगा ,अब आज रात से तो उठे ही रहेंगे , हवा में। " मैंने छेड़ा पर गुड्डी भी ,
" भाभी ,हमारे इनके आपके यार तो एक ही हैं , तो इन्हे तो मालूम ही होगा की कितनी देर टांग उठाना पड़ता है ,पर नहीं , मेरी बड़ी भाभी को तो कुतिया बनना ही पसंद है ,कच्ची जवानी की आदत और पहले प्यार सामू की पसंद। "
गुड्डी ने फिर लूज बाल पे छक्का मार दिया।
पर जेठानी भी उबटन लगाते हुए उनके हाथ छोटे छोटे स्कर्ट के अंदर तक पहुँच गए और गुड्डी की जाँघे रगड़ते बोलीं ,
"सुन चाहे टाँगे उठा के करवाना ,चाहे टाँगे फैला के या निहुर के ,असली ताकत तो जांघ फ़ैलाने में लगेगी ,इसलिए यहाँ की मालिश तो सबसे जरूरी है। "
कहने की बात नहीं उनकी ऊँगली बीच बीच में गुड्डी की चुनमुनिया को छू देती थीं और वो सिहर उठती थी।
फिर उन्होंने मेहन्दी लगानी शुरू की ,पहले पैरों में ,वो स्टूल पर बैठीं ,और गुड्डी सामने कुर्सी पर।
"भाभी साडी उठा लीजिये न वरना मेहँदी कहीं कल इत्ती मेहनत से खरीदी साडी में लग गयी तो ,... "
थोड़ा मेरी जेठानी ने साडी सरकायी लेकिन उससे ज्यादा गुड्डी ने अपने पैर से पुश कर के साडी एकदम कमर तक ,
और दोनों पैरों को बीच में डाल के जाँघे भी एकदम खुलवा दीं।
जिस पैर में मेहंदी लग रही थी ,गुड्डी ने उसे तो अपनी बड़ी भाभी की मांसल जाँघों पर रख दिया और अपने दूसरे पैर अपनी बड़ी भाभी की बुर में धंसे मोटे बैंगन को अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगी। कभी कभी अंगूठे से वो उनकी क्लिट भी खुजला देती और बेचारी जेठानी सिहर के रह जातीं।
ये ऊपर चले गए थे ,आज शाम को हम लोग पहुँच रहे थे तो कल से ऑफिस शेड्यूल ,पेंडिंग काम ,मीटिंग के बारे में अपनी सेक्रेटरी मिसेज डी मेलो से बात करने और मिस्टर खन्ना वाइस प्रेसिडेंट ,जिनके डायरेक्ट ये अंडर थे उन्हें रिपोर्ट करने।
नीचे वाली मंजिल पर सिर्फ मैं ,जेठानी और गुड्डी।
गुड्डी का मुंह चल रहा था और पैर तो जेठानी जी की उँगलियाँ ,
एक हथेली में तो उन्होंने कामसूत्र की सारी पोजीशन भी बना दी ,मिशनरी ,साइड से ,गोद में बिठा के ,निहुरा के ,...
और सबकी अच्छाई बुराई भी बता दी।
दूसरे हाथ में एक खूब मोटे लंड की डिजायन उन्होंने इस तरह बनाई की जै से ही गुड्डी हथेली बंद करेगी लगेगा की वो मुट्ठी में मोटा तगड़ा शिश्न पकड़े है।
दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।
यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,
गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।
लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।
और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।
" अरे भौजी यह के अपनी बुरिया में बस आधा पौन घंटा डाल के , जोर जोर से भींचिये , एकदम आपके बुर रस में जब भीग जाय ,अच्छे से मॅरिनेट हो जाय फिर उसकी बैंगनी ,... बस ज़रा भी सरक के बाहर न आने पाए ई समझ लीजिये वरना मैं तो चली जाउंगी पर आपका नाम कल सबेरे तक , ... "
समझदार को इशारा काफी था,
गुड्डी ने साडी ढीली कर दी और एक बार फिर साडी नीचे तक ,
" और नाश्ता ,... " जेठानी तो थोड़ा मंद समझती थीं।
" अरे इसके मॅरिनेट होने के बाद ही तो आप बैंगनी बना पाएंगी ,उतनी देर इन्तजार कर लूंगी और तबतक ,... "
" और तब तक ये तुम्हे बुकवा लगा के चिकना कर देंगी ,पेडिक्योर , मैनीक्योर ,मेहन्दी ,.... पौन घंटा तो झट से ,उसके बाद नाश्ता ,... बैगनी का " मैंने तबतक वाली बात पूरी की।
जेठानी फिर लग गयीं गुड्डी की सेवा में।
पैरों में रगड़ रगड़ के चंदन हल्दी बेसन का उबटन, हलकी सी मालिश , गुड्डी एक कुर्सी पर बैठी और जेठानी जमीन पर बैठ के ,
लेकिन अब मैं जेठानी के साथ मिल के अपनी ननद की खिंचाई कर रही थी ,
" दीदी ,हाँ जरा इसके पैरों की मालिश ठीक से करियेगा ,अब आज रात से तो उठे ही रहेंगे , हवा में। " मैंने छेड़ा पर गुड्डी भी ,
" भाभी ,हमारे इनके आपके यार तो एक ही हैं , तो इन्हे तो मालूम ही होगा की कितनी देर टांग उठाना पड़ता है ,पर नहीं , मेरी बड़ी भाभी को तो कुतिया बनना ही पसंद है ,कच्ची जवानी की आदत और पहले प्यार सामू की पसंद। "
गुड्डी ने फिर लूज बाल पे छक्का मार दिया।
पर जेठानी भी उबटन लगाते हुए उनके हाथ छोटे छोटे स्कर्ट के अंदर तक पहुँच गए और गुड्डी की जाँघे रगड़ते बोलीं ,
"सुन चाहे टाँगे उठा के करवाना ,चाहे टाँगे फैला के या निहुर के ,असली ताकत तो जांघ फ़ैलाने में लगेगी ,इसलिए यहाँ की मालिश तो सबसे जरूरी है। "
कहने की बात नहीं उनकी ऊँगली बीच बीच में गुड्डी की चुनमुनिया को छू देती थीं और वो सिहर उठती थी।
फिर उन्होंने मेहन्दी लगानी शुरू की ,पहले पैरों में ,वो स्टूल पर बैठीं ,और गुड्डी सामने कुर्सी पर।
"भाभी साडी उठा लीजिये न वरना मेहँदी कहीं कल इत्ती मेहनत से खरीदी साडी में लग गयी तो ,... "
थोड़ा मेरी जेठानी ने साडी सरकायी लेकिन उससे ज्यादा गुड्डी ने अपने पैर से पुश कर के साडी एकदम कमर तक ,
और दोनों पैरों को बीच में डाल के जाँघे भी एकदम खुलवा दीं।
जिस पैर में मेहंदी लग रही थी ,गुड्डी ने उसे तो अपनी बड़ी भाभी की मांसल जाँघों पर रख दिया और अपने दूसरे पैर अपनी बड़ी भाभी की बुर में धंसे मोटे बैंगन को अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगी। कभी कभी अंगूठे से वो उनकी क्लिट भी खुजला देती और बेचारी जेठानी सिहर के रह जातीं।
ये ऊपर चले गए थे ,आज शाम को हम लोग पहुँच रहे थे तो कल से ऑफिस शेड्यूल ,पेंडिंग काम ,मीटिंग के बारे में अपनी सेक्रेटरी मिसेज डी मेलो से बात करने और मिस्टर खन्ना वाइस प्रेसिडेंट ,जिनके डायरेक्ट ये अंडर थे उन्हें रिपोर्ट करने।
नीचे वाली मंजिल पर सिर्फ मैं ,जेठानी और गुड्डी।
गुड्डी का मुंह चल रहा था और पैर तो जेठानी जी की उँगलियाँ ,
एक हथेली में तो उन्होंने कामसूत्र की सारी पोजीशन भी बना दी ,मिशनरी ,साइड से ,गोद में बिठा के ,निहुरा के ,...
और सबकी अच्छाई बुराई भी बता दी।
दूसरे हाथ में एक खूब मोटे लंड की डिजायन उन्होंने इस तरह बनाई की जै से ही गुड्डी हथेली बंद करेगी लगेगा की वो मुट्ठी में मोटा तगड़ा शिश्न पकड़े है।
दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।
यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,
गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।
लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।
और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।
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