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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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Incestlala

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आज की रात






आज रात न मैं सोने वाली थी और न इनको और इनके माल को सोने देने वाली थी।

जिन कच्चे टिकोरों के लिए ,वो जब हाईस्कूल में थी,.... तब से ये तड़प रहे थे आज उनके मुट्ठी में होंगे।




जब चाहो,जितना चाहो दबाओ मीजो रगड़ो।


और वो कच्ची अमिया आज उन्हें अच्छी तरह डेकोरेटेड मिलनी वाली थी , आखिर एक तरह भाई बहन की सुहागरात थी।




और उन नए आये उरोजों को सजाया संवारा किसने था , उसी ने जिसने पूरी कोशिश की थी की
भाई बहना की ये मुलाकात न हो पाए ,

न भाई अपनी बहना को चोद पाए ,न बहना अपनी भैय्या से चुदवा पाए।






पर मैं असली भौजाई कैसे देख सकती थी ननद बिना अपने भइआ से चुदे रह जाय।



और मेरी उन्ही जेठानी ने मेरी ननद की उन टांगो को जो अब ज्यादा तर उठी रहने वाली थीं, उबटन लगाया ,

पेडिक्योर किया और

क्या रच रच कर मेंहदी लगाई ,




असल में उनके देवर को मेंहदी का सिंगार बहुत पसंद था और उनसे ज्यादा ,
उनके मूसलचंद को ,

मेरी जेठानी ने जो सुन्दर मेंहदी अपनी किशोर कमसिन ननदी को लगायी , और उन्ही मेंहदी लगे छोटे छोटे टीनेजर हाथों से आज

उनके देवर के मूसलचंद को उनकी छोटकी ननदिया पकड़ेगी ,सहलायेगी,दबाएगी ,मसलेगी। अपने भइया के औजार के कड़ेपन का मोटापे का अहसास अपनी कोमल हथेली में करेगी।




मेरी उन जेठानी ने जो एकदम खिलाफ थीं ,मेरी सास से शिकायत करने वाली थीं ,खुद अपने हाथों से उसके हाथों में मेंहदी रच रच कर लगाई।

लेकिन रिकार्ड तोड़ दिया मेरी जेठानी ने मेरी ननद के छोटे छोटे जुबना पर ,जिसके लिए मेरी ननद जिल्ला टॉप माल के नाम से जानी जाती थी।

बूब्स के बेस से लेकर निप्स तक , क्या रच रच के मेंहदी लगाई मेरी सैंया की बहना को ,

बेल बूटे सब काढ़ दिए गुड्डी के उभरते उभारों पर ,


उसकी कच्ची अमिया तो वैसे ही आग लगाती थी , और अब मेरी जेठानी ने जो मेंहदी लगायी थी उन चूँचियों पर ,

आज की रात तो मेरी जेठानी की ननद की इन कच्ची अमियों की ,...




बस थोड़ी देर ही आँख लगी।





उन्होंने ही मुझे उठाया , पैकिंग इन्होने पूरी कर दी थी।



दो बजने वाले थे ,गुड्डी और उसकी मस्त मस्त सहेलियों के आने का टाइम ,

गुड्डी के स्कूल की पार्टी यानी फुलटाइम मस्ती



funny poem lines

स्कूल से कालेज एक लम्बी छलांग होती है ,इंटर की सारी लड़कियॉं और पार्टी दे रही ११ वीं की लड़कियां

मस्ती तो होनी ही थी , फिर कौन कहाँ जाए , कब मिले

स्कूल की यूनिफार्म ,चहारदीवारी लांघ कर कालेज में पहुंचने की खुशी ,



funny poem lines

और सहेलियों से बिछुड़ने का गम भी





कोई अपनी सालियों का इतनी बेसब्री से इन्तजार नहीं करता जितना वो अपनी 'बहनों ' का कर रहे थे।



हम दोनों धड़धडाते नीचे आगये ,किचेन से खाने की खुशबू आ रही थी ,आज पहली बार मैं जेठानी के हाथ का बना खाना खाने वाली थी।

टेबल आलरेडी सेट थी ६ के लिए ,हम तीन हमारे तीन ,गुड्डी और उसकी शैतान सहेलियां , दिया और छन्दा ,मेरी फेवरिट ननदें , पार्टनर्स इन क्राइम।



हम लोग बरामदे में खड़े ही थे की बाहर से चहकने की आवाजें आने लगीं , और धड़ाक से दरवाजा खुला , सबसे पहले दिया।



मैंने उसको आँख भर देखा भी न होगा की उसने मुझे दबोच लिया और जोर से चीखी ,
Superb superb update दीदी
 

anvesharonny

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are bas jude rahiye, padhte rahiye , dhire dhire baaten badhengi to sab pata chalega, abhi se bata dungi to kahani ka kya maja
Haa wo to hain bas humne ek suzav diya padh to hum rahe hain aur enjoy bhi kar rahe hain.Aisa lagta hain ke aap Roz likhe aur hum aur padhe.intezar ab sehen nahi hota.
 
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komaalrani

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Jethani ko ab pata chalega kiske sath palla pada hain.
Ekdm sahi kaha apne
 
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komaalrani

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Byw didi aapki little red hiding hood story kaha padhne milegi??
mushkil hai, but you have raised an issue close to my heart.

I had posted it in a yahoo group HILMS, and some other forum and it was lapped as it was a play on very popular story, little red riding hood.

Actually, there are many versions, and one latest was a
romantic horror movie made by Leonardo DiCaprio, from a screenplay by David Leslie Johnson.

There is erotic significance in the story as has been pointed out many times, i am sharing a few versions,

'Red Riding Hood has also been seen as a parable of sexual maturity. In this interpretation, the red cloak symbolizes the blood of menstruation, braving the “dark forest” of womanhood. Or the cloak could symbolize the hymen (earlier versions of the tale generally do not state that the cloak is red). In this case, the wolf threatens the girl’s virginity. The anthropomorphic wolf symbolizes a man, who could be a lover, seducer or sexual predator. This differs from the ritual explanation in that the entry into adulthood is biologically, not socially, determined.''

another version is,

" Firstly, the color red, the color of the riding hood itself, can be seen as a symbol. The color red is usually associated as the color of passion, love, blood, sin or as a reference to a woman’s biological crossroad (her menstruation) transitioning from girl to woman. Perhaps, LRRH’s entire adventure which started out as a journey to visit grandmother becomes a trip down the path to womanhood. There is also LRRH carrying cake and wine to take with her to visit her grandmother. A somewhat obvious reference to the religious sacrament, which could also be seen as LRRH carrying her virtues with her on this path. As Shavit, points out, “It is clear that the erotic aspect of encourages the reading of the text as the story of a gentleman exploiting the innocence of a village girl and enjoying her charms, rather than simply as the story of a little girl who is devoured by a wolf” (Shavit, p. 325).
Symbolically speaking, the wolf represents a ‘male beast’ but also offers a reflection of wolf’s true nature, as wolves are seen as predators and this story insinuates that men (or rather, their inner beast) can prey on the young and innocent. Like the wolf in LRRH, a man will disguise his inner beast (perhaps, for example as a cad might hide behind the mask of a gentlemen) in an effort to make a woman feel comfortable and familiar. In the tale of LRRH, the wolf dresses up as her beloved grandmother (cross-dressing) and uses LHHR’s own curiosities against her and to his own advantage, aiding him in his overall seduction. The act of devouring her flesh and blood can be seen in a sexual manner as well."

(Reference-
Perrault, Charles. "Little Red Riding Hood." Pitt. N.p., n.d. Web. 2 April 2012.
Shavit, Zohar. “The Concept of Childhood and Children’s Folktales: Test Case-‘Little Red Riding Hood’” p. 317-331.)

I did a further twist on that thinking that wolf can be she - wolf too, and example of Ismat Chughtai's famous story ' Quilt' was before me. so, I wove a story based on that. And kept the general pattern of little red riding hood. My purpose was to explore female to young female sexuality.

However, later on an issue arose about the age.

In the story I had avoided any direct sexual actions, and it was more symbolic, and the young girl was also not forced ( i hate rape or any story with violent dominations) and she went happily back.

But now minimum age is 18 and the can you imagine a little red riding hood of 18 years, unsure about her sexuality, moving in a dark forest to her grandmother, it defeats the whole tenor of the story,


but i agree with the forums and groups, LAW is LAW and the risk of losing the server is very high.
so now the story is consigned to the memories only and another part is i rarely keep a record of my old stories, just sheer carelessness so when a lappy goes berserk, or i change it things get lost.

so yes, it's sad, but the story is Lost.
 
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komaalrani

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Another problem is that i want my stories to work at many levels like even in this story, but sometimes instant gratification sticks and multi layered joys of reading and writing stories take a back seat. and it becomes hard to handle such comments, when they border to the personal innuendos. Otherwise, I had thought about a series of stories like that. secondly i write English stories and Hindi stories in Hindi using Devanagari font. and readers of English stories are dwindling. A good example is, my story in English section, hardly 3 000 views in three years. So, rest can be left unsaid.
 

komaalrani

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Superb superb update दीदी
Thanks so much
 

motaalund

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मेंहदी





" अरे भौजी यह के अपनी बुरिया में बस आधा पौन घंटा डाल के , जोर जोर से भींचिये , एकदम आपके बुर रस में जब भीग जाय ,अच्छे से मॅरिनेट हो जाय फिर उसकी बैंगनी ,... बस ज़रा भी सरक के बाहर न आने पाए ई समझ लीजिये वरना मैं तो चली जाउंगी पर आपका नाम कल सबेरे तक , ... "
समझदार को इशारा काफी था,

गुड्डी ने साडी ढीली कर दी और एक बार फिर साडी नीचे तक ,

" और नाश्ता ,... " जेठानी तो थोड़ा मंद समझती थीं।

" अरे इसके मॅरिनेट होने के बाद ही तो आप बैंगनी बना पाएंगी ,उतनी देर इन्तजार कर लूंगी और तबतक ,... "




" और तब तक ये तुम्हे बुकवा लगा के चिकना कर देंगी ,पेडिक्योर , मैनीक्योर ,मेहन्दी ,.... पौन घंटा तो झट से ,उसके बाद नाश्ता ,... बैगनी का " मैंने तबतक वाली बात पूरी की।



जेठानी फिर लग गयीं गुड्डी की सेवा में।

पैरों में रगड़ रगड़ के चंदन हल्दी बेसन का उबटन, हलकी सी मालिश , गुड्डी एक कुर्सी पर बैठी और जेठानी जमीन पर बैठ के ,




लेकिन अब मैं जेठानी के साथ मिल के अपनी ननद की खिंचाई कर रही थी ,

" दीदी ,हाँ जरा इसके पैरों की मालिश ठीक से करियेगा ,अब आज रात से तो उठे ही रहेंगे , हवा में। " मैंने छेड़ा पर गुड्डी भी ,




" भाभी ,हमारे इनके आपके यार तो एक ही हैं , तो इन्हे तो मालूम ही होगा की कितनी देर टांग उठाना पड़ता है ,पर नहीं , मेरी बड़ी भाभी को तो कुतिया बनना ही पसंद है ,कच्ची जवानी की आदत और पहले प्यार सामू की पसंद। "

गुड्डी ने फिर लूज बाल पे छक्का मार दिया।

पर जेठानी भी उबटन लगाते हुए उनके हाथ छोटे छोटे स्कर्ट के अंदर तक पहुँच गए और गुड्डी की जाँघे रगड़ते बोलीं ,

"सुन चाहे टाँगे उठा के करवाना ,चाहे टाँगे फैला के या निहुर के ,असली ताकत तो जांघ फ़ैलाने में लगेगी ,इसलिए यहाँ की मालिश तो सबसे जरूरी है। "
कहने की बात नहीं उनकी ऊँगली बीच बीच में गुड्डी की चुनमुनिया को छू देती थीं और वो सिहर उठती थी।




फिर उन्होंने मेहन्दी लगानी शुरू की ,पहले पैरों में ,वो स्टूल पर बैठीं ,और गुड्डी सामने कुर्सी पर।



"भाभी साडी उठा लीजिये न वरना मेहँदी कहीं कल इत्ती मेहनत से खरीदी साडी में लग गयी तो ,... "

थोड़ा मेरी जेठानी ने साडी सरकायी लेकिन उससे ज्यादा गुड्डी ने अपने पैर से पुश कर के साडी एकदम कमर तक ,

और दोनों पैरों को बीच में डाल के जाँघे भी एकदम खुलवा दीं।

जिस पैर में मेहंदी लग रही थी ,गुड्डी ने उसे तो अपनी बड़ी भाभी की मांसल जाँघों पर रख दिया और अपने दूसरे पैर अपनी बड़ी भाभी की बुर में धंसे मोटे बैंगन को अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगी। कभी कभी अंगूठे से वो उनकी क्लिट भी खुजला देती और बेचारी जेठानी सिहर के रह जातीं।




ये ऊपर चले गए थे ,आज शाम को हम लोग पहुँच रहे थे तो कल से ऑफिस शेड्यूल ,पेंडिंग काम ,मीटिंग के बारे में अपनी सेक्रेटरी मिसेज डी मेलो से बात करने और मिस्टर खन्ना वाइस प्रेसिडेंट ,जिनके डायरेक्ट ये अंडर थे उन्हें रिपोर्ट करने।

नीचे वाली मंजिल पर सिर्फ मैं ,जेठानी और गुड्डी।
गुड्डी का मुंह चल रहा था और पैर तो जेठानी जी की उँगलियाँ ,



एक हथेली में तो उन्होंने कामसूत्र की सारी पोजीशन भी बना दी ,मिशनरी ,साइड से ,गोद में बिठा के ,निहुरा के ,...




और सबकी अच्छाई बुराई भी बता दी।

दूसरे हाथ में एक खूब मोटे लंड की डिजायन उन्होंने इस तरह बनाई की जै से ही गुड्डी हथेली बंद करेगी लगेगा की वो मुट्ठी में मोटा तगड़ा शिश्न पकड़े है।

दोनों हथेलियों की मेहन्दी पूरे कोहनी तक।




यहीं नहीं उन्होंने गुड्डी की दोनों हथेलियों में मेंहदी लगे होने का फायदा उठा के ,उसके स्कूल यूनिफार्म का टॉप उठा के ,

गुड्डी के छोटे छोटे कबूतरों के पंख भी रंग दिए।





लेकिन तब तक हम तीनो की निगाहें घडी की ओर गयी , सवा ग्यारह।





और बारह बजे से तो गुड्डी की पार्टी शुरू होनी थी।
मेहंदी की कलाकारी तो जबरदस्त है...
एकदम्मे तहलका मचा दिया.....
जेठानी जी की तैयारी भी जोरदार है...
हल्दी उबटन... उफ्फ्फ...
लेकिन पार्टी में और लड़कियां भी होंगी... उन लोगों ने हाथों की ये चित्रकारी देख ली तो गुड्डी की क्या हालत होगी...
उन लोगों की छेड़खानी सोच-सोच के दिल घबरा रहा है....
 
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