गुड्डी की तयारी तो आपने पूरी करवा दी...गुड्डी के कपडे
तो अब इनका मादरचोद बनना पक्का।
गुड्डी का सूटकेस खोल कर मैं चेक कर रही थी। मैंने उससे बोला था की अपनी हाईस्कूल की यूनिफार्म, दो -चार रख ले। उसने दो नहीं चार ही रखी थी।
दो मतलब था मेरा ,उस ड्रेस में उसके टेनिस बाल साइज बूब्स खूब छलक के बाहर आते और दूसरे जब वो मेरी छुटकी ननदिया की कच्ची अमिया देख के ललचाये थे पहली बार तो वो तो हाईस्कूल में ही तो थी।
लेकिन मेरे मन में एक शरारत सूझी ,गुड्डी के सूटकेस में रखी सारी ब्रा पैंटी मैंने निकाल के बाहर कर दी।
कच्ची जवानी वाली उमर की ननद, बाला जोबन ,
अरे दिखाने उभारने की उम्र है उसकी या छिपाने की।
यही नहीं , हाईस्कूल के टॉप में उन गदराये उभारों को घुसने में अब थोड़ी मुश्किल तो होती ही ,इसलिए मैंने सारे टॉप्स के ऊपर के दो दो बटन तोड़ दिए ,सिर्फ एक बटन के सहारे
थोड़ा दिखाओ , बल्कि ज्यादा दिखाओ
थोड़ा छिपाओ।
और गुड्डी का सूटकेस लेके मैं नीचे। एक बार फिर जेठानी के कमरे में ,बस अब हम लोगों को निकलना था। शाम होने वाली थी।दिया गुड्डी और जेठानी ,जेठानी के कमरे में थीं और ये बाहर। मैंने इनको गुड्डी का भी सूटकेस पकड़ा दिया , और चिढ़ाया भी ,
" हे बहुत जल्दी में हो। बहिनी पर चढ़ने की बहुत जल्दी हो रही है क्या ?"
गाडी में उन्होंने बाकी सामान पहले ही रख दिया था , मुस्कराते झिझकते गुड्डी का सूटकेस लेकर वो जल्दी से बाहर निकल गए।
जेठानी के कमरे में घुसते ही मुझे याद आया , कुछ समान मेरा जेठानी के कमरे में भी था।
अलमारी से दोनों डिलडो ,८ इंच,जिससे मैंने जेठानी की गांड फाड़ी थी और दस इंच वाला जिससे सुबह सुबह जेठानी की गांड हचक हचक के मारी गयी थी ,मैंने निकाले और मुस्करा के जेठानी को दिखाया ,
"क्यों दीदी याद है इनकी , ... "
वो झिझकी और शर्माने लगी।
" हे भाभी ,घोंटते समय तो बहुत मस्ती से चीख चीख कर गांड में ले रही थीं और अब ,... " दिया ने चिढ़ाया और मेरे हाथ से दोनों डिलडो ले लिए।
" हे तू ही रख ले , क्या पता कब जेठानी जी का मन कर जाए " मैंने दिया को डिलडो दे दिया।
" हे तू ही रख ले , क्या पता कब जेठानी जी का मन कर जाए " मैंने दिया को डिलडो दे दिया।" एकदम भाभी , आगे से कोई मर्द चढ़ेगा तो पीछे से उनकी ननद , इस दस इंची वाली से , अरे इत्ती मस्त गांड हो और मारी न जाए ,बिचारी भौजी इतनी मुश्किल से अपने गाँव से अपनी गांड कोरी बचा के ले आयी थीं। "
" और क्या तभी तो इनके देवर ने कल रात हचक हचक के मारी इनकी ,मेरे मोबाइल में पूरा वीडियो है। " गुड्डी छेड़ते बोली।
पर अब जेठानी भी मजाक के मूड में थी ,वो गुड्डी के पीछे पड़ गयीं।
" अरे मेरी वही देवर आज तेरी लेंगे , कल सुबह फोन से पूछूँगी तेरी सोनचिरैया की हाल ,जब चारा खा लेगी तो उसकी फोटो खींच के व्हाट्सएप करना। "
पर गुड्डी भी अब उसकी हिम्मत खुल गयी थी ,मजे से जवाब देते बोली ,
" अरे हमार भौजी, ,चिरैया है तो चारा तो खायेगी ही । बिचारी कब तक उपवास रखेगी " गुड्डी ने जेठानी के गाल पर चिकोटी काटते चिढ़ाया।
तभी मुझे याद आया मम्मी ने दो बार दुहराया था ,चलने से पहले अपनी सास भोंसड़ी वाली से बात कर लेना और याद दिला देना मेरे दामाद का मोटा मूसल उसकी ओखली में धमाधम चलेगा।
और मैंने सासु माँ को फोन लगाया , मुझे भी इंश्योर करना था की वो अगले शुक्रवार को ये घर छोड़ दें , तभी तो इन जेठानी का परमानेंट इंतजाम हो पायेगा।
लेकिन गुड्डी की रात की तैयारी....
गुड्डी की सील टूटने का वर्णन एकदम उग्र और एकदम हटके होना चाहिए.....