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सही कहा.... और छोटे बेटे का तीसरा टाँग आपकी सास की सेवा में...एकदम नहीं, जेठानी जी की दोनों टाँगे तो हरदम फैली रहेंगी,... तीसरी टांग की सेवा के लिए, लंगड़ी कैसे लगा पायेंगी। अबकी सास जी की टांगो के बीच उनका छोटा बेटा सेंध लगा के रहेगा।
जबरदस्त चोदुओं का इंतजाम कर रही है दिया....भाग १५३
ननद -भौजाई
" अच्छा अब गाडी चल दी है ,कल रात में नौ दस बजे तक आउंगी ,खाना बना के रखना "
बोल के सासु जी ने पता नहीं फोन काट दिया या ट्रेन चलने से कवरेज एरिया के बाहर पहुँच गयीं।
सासु जी की आवाज तो फोन से आनी बंद हो गयीं ,लेकिन जेठानी जी की दोनों ननदें ,दिया और गुड्डी चालू हो गयीं , वो भी सुर में।
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" हमरी भौजी तो हईं नईहर के छिनार ,चाहि इन्हे दस दस भतार
चार गो मुसहर हैं चार जो गो राजपूत।
मुसहर हउये बड़ मजबूत, हो बड़ मजबूत।
अरे जब ले भौजी कुँवार रहुली नइहर क पक्की छिनार रहुली "
दिया गाना रोकते बोली ,
"लेकिन भौजी अब घबड़ाने की कउनो बात नहीं ,आखिर हम दोनों ननदें है न , देखिये आपके लिए ५ यार ढूंढ दिए हैं , तीन को कल दिन में १० बजे ,आप नहा धो के तैयार रहिएगा ,और दो शाम को पांच बजे , अब आपके वो और सासु तो नौ बजे के पहले नहीं ही आएँगी तो फिर थोड़ी सी मौज मस्ती ,.. "
और और दिखाओ ,और दिखाओ की स्टाइल में उसने मेरी जेठानी के मोबाइल पर ही पांचो की फोटो भी दिखा दी और पात्र परिचय भी करा दिया।
" अरे भौजी ,आपके पक्के दोस्त हैं ये आपकी फ्रेंड लिस्ट में फेसबुक में भी हैं और फ़ेकबुक में भी। आपने उन्हें अपनी सेल्फी भी भेजी थी और लहक लहक के जवाब भी दिया था। "
कहने की बात नहीं उन की भाभी की सेल्फी भेजने का काम और हॉट हॉट जवाब देने का काम गुड्डी ने किया था। हाँ मोबाइल मेरी जेठानी का ही इस्तेमाल हुआ था।
पर गुड्डी को दिया का ये इंतजाम पसंद नहीं आया।
"दिया स्साली कमीनी , मैं इसी भरोसे तेरे सहारे प्यारी भाभी जान को छोड़ के जा रही थी। कल रात तो इन्होने देवर के साथ मस्ती की लेकिन आज सुबह से वैसे ही कुछ भी नहीं ,.. और आज रात भी सूखा सूखा ,... कैसी ननद हो तुम। " ताना मारते वो बोली।
दिया ने अपनी मोबाइल पे फोटो खोली , और मैं और गुड्डी दोनों पहचान गए।
" अरे हमार भौजी को कौन देवर की कमी ,मेरा भाई भी तो भौजी का देवर है , कल रात तेरे भाई के साथ तो आज रात मेरे भाई के साथ ,.. और वो भी अकेले नहीं। आखिर इस शहर के सरे लौंडे ,भौजी के देवर ही तो हैं। तो जब भौजी के सैंया नहीं है तो उनका हक़ भी है और ड्यूटी भी है ,... और ये दोनों भी उसके साथ ,...
दिया ने दो और लड़को की फोटो दिखाई। दोनों ही जबरदस्त हंक ,तगड़ी मसल्स वाले और शक्ल से ही नम्बरी चोदू लग रहे थे।
उन दोनों को मैंने तो नहीं पहचाना लेकिन गुड्डी पहचान गयी।
दिया के भाई के दोस्त थे ,
गुड्डी का मुंह खुला का खुला रह गया , बड़ी मुश्किल से हलके से वो बोली , ये तो दोनों ,... इमरान और ताहिर ,.. एक ही ,..
मैंने जब गुड्डी की ओर सवालिया नजरों से देखा तो फुसफुसाते हुए मेरे कान में मेरी ननदिया बोली ,
" अरे भाभी ये दोनों तो नम्बरी हरामी चोदू ,एक ही काफी होता है , जिस औरत के पास ये जाते हैं वो दो दिन तक टाँगे फैलाये घूमती हैं , इतना हचक के ,... '
मेरी दूसरी ननद दिया मेरी जेठानी को उनके आज के यारों की फोटो दिखाने में बिजी थी।
और ये बाहर , ... चलने के लिए बेताब ये बार बार अंदर बाहर हो रहे थे।
' लेकिन भाभी ये आपके यार घास फूस वाले नहीं है इनका तो बिना चिकन मटन के काम नहीं चलेगा। गाडी में पेट्रोल डालियेगा तभी तो गाड़ी चलेगी। "
दिया ने बताया।
गुड्डी के पास हर चीज का इलाज था।
बोली ," अरे भाभी ने जो कल गलावटी कबाब,रोगन जोश ,चिकन टिक्का खाया था बचा ही होगा, बस वही ,... नान वेज ,.. "
और अपनी बचपन की महबूबा ,पुरानी प्रेमिका की आवाज सुन के ये रुके,... हो नहीं सकता था।
ये झट से अंदर आये और आवश्यक सूचना इन्होने दे डाली ,
" अरे एक किलो फ्रेश मटन और चिकेन ,और आधा किलो कीमा बड़े वाले फ्रीज में रखा है। "
ये इस घर का पवित्रतम फ्रिज था
मेरे पहले ही दिन जेठानी ने बताया था की अगर बिना नहाये इस फ्रिज को छूआ,...
दिया खिलखिलाती बोली
" फिर तो फ्रेश मटन बनवाउंगी आज अपनी भौजी से किचेन में , ... और इमरान तो माहिर है किसी से कुछ भी करवाने में आज भौजी बहुत कुछ सीख जाएंगी। "
पर ये एक बार फिर बाहर ,और अब अपनी बेताबी में गाडी में हार्न बजा रहे थे।
बेचारे बहुत बेसबरे हो रहे थे अपनी ममेरी बहन को ले जाने को।
हम चारों बाहर ,मैं दिया जेठानी और गुड्डी।
गाड़ी के बजाय... बहन का हॉर्न बजाएं तो साजन को तसल्ली होगी..चली पिया के संग
( इनकी छुटकी बहिनिया को लेकर )
पर ये एक बार फिर बाहर ,और अब अपनी बेताबी में गाडी में हार्न बजा रहे थे।
बेचारे बहुत बेसबरे हो रहे थे अपनी ममेरी बहन को ले जाने को।
हम चारों बाहर ,मैं दिया जेठानी और गुड्डी।
उनकी भौजाई ने छेड़ा उन्हें ,
" अरे भेज तो रही हूँ तेरी बहिनिया को तेरे साथ इसका हार्न दबाओ न , ये तो जा ही रही है दबवाने। बिचारी गाडी का हार्न काहें को दबा रहे हो। "
मैंने गुड्डी को कार के पीछे का दरवाजा खोल के ,पीछे की सीट पर बैठा दिया और हँसते हुए उनकी साइड का भी दरवाजा खोल के बोली ,
" आपकी भौजाई सही तो कह रही हैं , पीछे बैठे मेरी छिनार ननदिया के साथ और दबाओ मन भर के उसका हार्न। आज गाडी मैं चलाऊंगी , तुम अपने बचपन के माल के साथ के बैठ के उसे चलाओ। "
दिया क्यों पीछे रहती , अपनी सहेली से बोली ,
" अरे घर पहुँचने का इन्तजार करने की कोई जरूरत नहीं है , सीटें बहुत चौड़ी हैं ,एक राउंड तो रास्ते में भी हो सकता है। "
मैंने खुली खिड़की से हलके से दिया के मम्मे दबाये और हंस के बोली ,
" तू एकदम सही कह रही है , तेरे भैया ने जान बूझ के ऐसी कार ली है। "
गुड्डी सचमुच पक्की छिनार , इतनी खिचाई के बावजूद पीछे से बोली ,
" भाभी लगता है आपने पिछली सीट पर ट्राई किया है कभी। "
एकदम मेरी असली ननद।
मैंने भी उसी तरह जवाब दिया ,
" कभी ? अरे कभी क्या कितनी बार , अपने भैया से पूछ न। बल्कि तेरे साथ अभी ट्राई कर के दिखा ही देंगे। "
और मैंने कार स्टार्ट कर दी ,जेठानी और दिया वेव कर रहे थे।
हम लोग इनके मायके के गेट से निकले ही थे , की तीन लड़के, बाइकर हंक्स , दनदनाती हुयी मोटर साइकिलों पर ,... गेट से अंदर घुसे।
आगे वाला ,दिया का भाई।
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साजन का बहिनिया प्रेम तो बचपन का था..मेरे साजन का
बहिनिया प्रेम
मैंने डार्क टिंटेड पावर विंडो कार की चढ़ा दीं ,और रियर व्यू मिरर एडजस्ट कर लिया , अब पीछे की सीट की हर सीन मुझे साफ़ साफ नजर आनी थी।
दोनों ,वो जिल्ला टॉप मॉल , उनकी ममेरी बहन , गुड्डी
और ये ,
एकदम चिपक कर बैठे थे। इनका हाथ अपनी ममेरी बहन के कंधे पर , जैसे कोई टिकट लिफ़ाफ़े पर चिपका हो ,उस तरह चिपके
जैसे बहुत दिन बाद कोई आशिक मिले हों , एक दूसरे को प्यार से ललचाते देखते।
इन्होने खुद बताया था अपनी बर्थडे के अगले दिन,
जब मेरी छुटकी ननदिया हाईस्कूल में गयी ही थी , एक शादी में जाड़े में , रजाई में ये उनकी ममेरी बहन उनके बगल में ,... लाइट चली गयी थी , और उन्होंने ,... हिम्मत कर उसके कच्चे टिकोरों को कॉटन की पतली सी फ्राक के ऊपर से पहले तो हलके हलके छुआ ,फिर सहलाया और ,... उसकी छोटी छोटी घुंडी को भी हलके से ,...
तो उसकी कच्ची अमिया पर ललचाते तो ये थे ही।
लेकिन मैं अपने साजन को दोष नहीं देती , जालिम की कच्ची अमिया थी ही ऐसी ,
मेरी शादी में डेढ़ साल पहले करीब जो आयी थी मेरे गाँव में ,.. क्या अपने टिकोरे उभार उभार के मेरे गाँव को लौंडो को ललचाते जो अपने भइया की शादी में नाचा था उसने,
हाईस्कूल में ही तो पहुंची थी उस साल,
और कसी कसी चोली में कच्चे कच्चे टिकोरे, और क्या जुबना मटका मटका के अपने भैया के सालों को ललचाया था,
रंडी फेल।
मेरे कजिन , गाँव के लौंडो को छोड़िये आज तक गाँव के सारे मर्दों को ,उसकी कच्ची अमिया याद है।
उसके अपने शहर में भी ,... जिल्ला टॉप माल की टाइटिल उनकी ममेरी बहन को ऐसे थोड़ी ही मिली थी।
गोरी ,छरहरी किशोरी , अछूती हिरणी सी आँखे , चिकने भरे भरे गाल ,
लेकिन जो आग लगाते थे वो थे उसके जोबन। नए नए आये गदराये जोबन ,और तो आज वो अपनी दो साल हाईस्कूल वाली यूनिफार्म में थी।
सफ़ेद ब्लाउज , जिसमे उसके टिकोरे हाईस्कूल में ठीक से नहीं समाते थे और अब तो दो दिन पहले उसने इंटर भी पास कर लिया था।
इसी यूनिफार्म में तो इन किशोर उभारों को देख कर मेरे सैयां ललचाये थे अपनी ममेरी बहन पर ,
और आज तो वो छोटे छोटे चूजे अब बड़े होकर , ड्रेस में तने उन्हें फाड़ते।
मेरे सैंया में सब गुन थे सिवाय एक के , अभी भी झिझकते बहुत थे।
मैंने अपनी ननद को ही चढ़ाया ,
" गुड्डी , यार तू अपने भइया को क्या एकदम प्यार नहीं करती , ... इतनी दूर दूर बैठी हो। "
बस इतना इशारा काफी था , उनकी ममेरी बहन फुदक कर उनकी गोद में जा बैठी , गुड्डी की बाहें अपने भैया कम सजना के गले में और उनकी बहना के रसीले टीनेजर होंठ अपने भैया के होंठों से चिपके।
गुड्डी ने सिर्फ होंठ छुआए नहीं ,हलके हलके अपने भइया के होंठों पर रगड़ने लगी , और अब उन्होंने होंठ खोल दिए और अपने होंठों में गुड्डी का निचला होंठ पकड़ कर जैसे कोई आम की फांक चूस रहे हों चूसने लगे।
होंठ चूसने में उसके भइया की कोई सानी नहीं थी।
दोनों होंठों में दबाकर जिस तरह वो हलके हलके चूसते थे न और फिर जीभ की टिप से होंठों को छूते थे ,उस पर जीभ फिराते थे ,... कोई भी औरत टांग फैला देती।
देख देख के मैं गीली हो रही थी।
और गुड्डी उनकी ममेरी बहन तो उनका बचपन का माल थी।
और गुड्डी क्विक लर्नर भी थी ,मैंने कल परसों ही तो उसको फ्रेंच किस सिखाया था और आज खुद ,...
जैसे मैंने बताया था , उसे एकदम उसी तरह ,... जैसे कोई मरद किसी नयी नयी किशोरी के ,कच्ची कली के बिल में फ़ोर्स करके ,
जबरदस्ती अपना मूसल ठेलता है , कस के उसकी कमर पकड़ के बिलकुल उसी तरह ,
गुड्डी ने अपने भइया के सर को दोनों हाथ से पकड़ रखा था और वो इंटर वाली किशोरी , अपनी रसीली जीभ अपने भैया के मुंह में हलके हलके ठेल रही थी ,पुश कर रही थी। और थोड़ी देर में जब जीभ पूरी अंदर घुस गयी तो उस कच्ची अमिया वाली ने अपने रसीले होंठों से उनके होंठ सील कर दिए।
मेरी तरह उनकी ममेरी बहन को भी मालूम था की उस झझकते लजीले लड़के के साथ थोड़ी तो जोर जबरदस्ती ,पहल करनी पड़ती है , पर उसके बाद वो ,
और अब यही हुआ।
वो कस कस के अपने मुंह में घुसी अपनी ममेरी बहन की जीभ चूस रहे थे और उनके हाथ भी उसके स्कूल के सफ़ेद ब्लाउज के ऊपर से खुल के उस नवेली के किशोर उभारों का रस ले रहे थे।
वो मींजने में मगन थे ,
वो मिजवाने में मगन थी ,
और मैं उन दोनों को देखने में मगन थी ,
लेकिन तबतक गाडी खड़ी हो गयी , थोड़ा सा जाम था आगे।
कालीन गंज ,
इनके मायके का रंडियों का अड्डा , ... आगे कोई बैलगाड़ी चल रही थी ,बल्कि खड़ी थी।
मुझे तो लगता है कि चंपा बाई की शक्ल जेठानी जी की महतारी से मिलती होगी...वो ,... मोहल्ला
वो मींजने में मगन थे ,वो मिजवाने में मगन थी ,
और मैं उन दोनों को देखने में मगन थी ,
लेकिन तबतक गाडी खड़ी हो गयी , थोड़ा सा जाम था आगे।
कालीन गंज ,
इनके मायके का रंडियों का अड्डा , ... आगे कोई बैलगाड़ी चल रही थी ,बल्कि खड़ी थी।
यहाँ सड़क भी थोड़ी संकरी थी और सड़क के दोनों ओर इनके शहर की रंडिया , अपने अपने दरवाजे के सामने खूब रंगी पुती , छोटे छोटे कपडे पहने खड़ी ,ग्राहकों से मोल भाव कर रहे थीं ,कुछ खुल के चुदाई के इशारे कर कर के बुला रही थीं।कुछ तो हाथ पकड़ पकड़ के , ...
चम्पा बाई ने जेठानी को तो यही चेतावनी दी थी ,मैंने आगे की खिड़कियां थोड़ी नीचे कर ली और उन के खेल तमाशे देखने लगी।
" एक बार अगर चम्पा बाई को हाँ कहने के बाद जो नहीं आती है न उसको मैं सड़क छाप रंडी बना के चौराहे पर खड़ा कर देती हूँ , अगले शुक्रवार को रंजीत को भेंजूंगी ,शाम होने के पहले आ जाना उसके साथ ,.. वरना जो मेरे साथ ,... शाम के बाद सड़क पर खड़ी होकर ,.. रात रात भर चवन्नी छाप उसे चोदते हैं और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए , समझ ले ,... "
चंपा बाई की इस बात ने जेठानी की डील सील कर दी थी। और जेठानी जी ने तुरंत हामी भर दी थी की वो तो दोपहर से ही तैयार रहेंगी ,अगले शुक्रवार को।
और ऊपर से मेरी सास ने एकदम पक्का कर दिया था की वो सुबह ही हमारे यहां के लिए चल देंगी।
अगले शुक्रवार से , मेरी जेठानी की टाँगे ,... जमींन पर कम पड़ेंगी , ... हवा में ज्यादा उठी रहेंगी ,वो भी चंपा बाई के कोठे पर।
इस सड़क पर उन का कोठा नहीं था ,इस पर तो सच में चवन्नी छाप वाली ही ,... अगले मोड़ से जो सड़क चौक जाती थी ,उस पर एक बड़ा सा मकान , तीन मंजिल का , दूर से दिखता था ,... जहां मेरी कार खड़ी थी , चम्पा बाई के कोठे की तीसरी मंजिल दिखती थी।
मुझे कुछ शरारत सूझी ,मैंने पीछे जिस सीट पर गुड्डी और वो चुम्मा चाटी कर रहे थे ,उस का भी शीशा थोड़ा नीचा कर दिया।
आखिर इस शहर की टॉप माल को ले के जा रही हूँ ,इस शहर के छैलो को मालूम तो पड़ जाए जिस कच्चे टिकोरों को सोच सोच के रोज बीसों लौंडे मुठियाते थे आज फड़वाने मेरे साथ जा रही थी।
" हे देख न ,तेरी बहन भौजाइयां ,.. कैसे पैसे मांग रही हैं , जरा बाहर तो झांक के देखो "
मैंने उन्हें चिढ़ाया , पर जवाब उनके माल ने दिया ,
" अरे भौजी , देखो पीछे इनकी बहन तो बिना पैसे के ही ,... आपके सैंया ही ,.. "
मैं कुछ पलट के जवाब देती उसके पहले आगे वाली वो बैलगाड़ी निकल चुकी थी ,जाम हल्का हो गया और मैंने किसी तरह गाडी बढ़ाई।
तबतक पीछे वाली खिड़की से झाँकने वाले भी बढ़ गए और एक बार फिर मैंने ग्लासेज चढ़ा लिए और जब मोड़ से आगे निकल रही तो बगल वाली सड़क पे चंपा बाई का कोठा दिखा।
और मेरे सामने स्काइप पर चम्पा बाई का चेहरा घूम उठा जब वो जेठानी से बात कर रही थीं , गोरी चम्पई देख ,गदराया मांसल बदन। और उस समय भी मुझे लग रहा था की उनका चेहरा किसी से मिलता था ,
उस समय तो मुझे नहीं याद आया ,
लेकिन अब जब उनका कोठा देखा तो मुझे याद आ गया ,
ट्रैफिक अब साफ़ हो गयी थी और हम लोग बाई पासपर आ गए थे ,
चंपा बाई की शकल ,...
अब तो पक्की शेफ बन जाएंगी.....Dono nanad ab nahi chhodengi jethani ko,chahe kabab khulwana pade , lekin mutton bhi usi se banwayengi.
Very nice update
जेठानी जी के मजे का अंत नहीं....Hunks ,deeya aur jethani.Ab to jethani ki kher nahi.wow,kya erotic update hai
ममेरी बहन तो बोल्ड है...Ab to mameri bahan lagta hai apne bhai ki sharm hata kar hi dam legi.Very madak story.
शक्ल जिससे मैच करेगी वो...