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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Ye to suspense bna diya aapne.. kon he champa bai ki humshaklवो ,... मोहल्ला
वो मींजने में मगन थे ,वो मिजवाने में मगन थी ,
और मैं उन दोनों को देखने में मगन थी ,
लेकिन तबतक गाडी खड़ी हो गयी , थोड़ा सा जाम था आगे।
कालीन गंज ,
इनके मायके का रंडियों का अड्डा , ... आगे कोई बैलगाड़ी चल रही थी ,बल्कि खड़ी थी।
यहाँ सड़क भी थोड़ी संकरी थी और सड़क के दोनों ओर इनके शहर की रंडिया , अपने अपने दरवाजे के सामने खूब रंगी पुती , छोटे छोटे कपडे पहने खड़ी ,ग्राहकों से मोल भाव कर रहे थीं ,कुछ खुल के चुदाई के इशारे कर कर के बुला रही थीं।कुछ तो हाथ पकड़ पकड़ के , ...
चम्पा बाई ने जेठानी को तो यही चेतावनी दी थी ,मैंने आगे की खिड़कियां थोड़ी नीचे कर ली और उन के खेल तमाशे देखने लगी।
" एक बार अगर चम्पा बाई को हाँ कहने के बाद जो नहीं आती है न उसको मैं सड़क छाप रंडी बना के चौराहे पर खड़ा कर देती हूँ , अगले शुक्रवार को रंजीत को भेंजूंगी ,शाम होने के पहले आ जाना उसके साथ ,.. वरना जो मेरे साथ ,... शाम के बाद सड़क पर खड़ी होकर ,.. रात रात भर चवन्नी छाप उसे चोदते हैं और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए , समझ ले ,... "
चंपा बाई की इस बात ने जेठानी की डील सील कर दी थी। और जेठानी जी ने तुरंत हामी भर दी थी की वो तो दोपहर से ही तैयार रहेंगी ,अगले शुक्रवार को।
और ऊपर से मेरी सास ने एकदम पक्का कर दिया था की वो सुबह ही हमारे यहां के लिए चल देंगी।
अगले शुक्रवार से , मेरी जेठानी की टाँगे ,... जमींन पर कम पड़ेंगी , ... हवा में ज्यादा उठी रहेंगी ,वो भी चंपा बाई के कोठे पर।
इस सड़क पर उन का कोठा नहीं था ,इस पर तो सच में चवन्नी छाप वाली ही ,... अगले मोड़ से जो सड़क चौक जाती थी ,उस पर एक बड़ा सा मकान , तीन मंजिल का , दूर से दिखता था ,... जहां मेरी कार खड़ी थी , चम्पा बाई के कोठे की तीसरी मंजिल दिखती थी।
मुझे कुछ शरारत सूझी ,मैंने पीछे जिस सीट पर गुड्डी और वो चुम्मा चाटी कर रहे थे ,उस का भी शीशा थोड़ा नीचा कर दिया।
आखिर इस शहर की टॉप माल को ले के जा रही हूँ ,इस शहर के छैलो को मालूम तो पड़ जाए जिस कच्चे टिकोरों को सोच सोच के रोज बीसों लौंडे मुठियाते थे आज फड़वाने मेरे साथ जा रही थी।
" हे देख न ,तेरी बहन भौजाइयां ,.. कैसे पैसे मांग रही हैं , जरा बाहर तो झांक के देखो "
मैंने उन्हें चिढ़ाया , पर जवाब उनके माल ने दिया ,
" अरे भौजी , देखो पीछे इनकी बहन तो बिना पैसे के ही ,... आपके सैंया ही ,.. "
मैं कुछ पलट के जवाब देती उसके पहले आगे वाली वो बैलगाड़ी निकल चुकी थी ,जाम हल्का हो गया और मैंने किसी तरह गाडी बढ़ाई।
तबतक पीछे वाली खिड़की से झाँकने वाले भी बढ़ गए और एक बार फिर मैंने ग्लासेज चढ़ा लिए और जब मोड़ से आगे निकल रही तो बगल वाली सड़क पे चंपा बाई का कोठा दिखा।
और मेरे सामने स्काइप पर चम्पा बाई का चेहरा घूम उठा जब वो जेठानी से बात कर रही थीं , गोरी चम्पई देख ,गदराया मांसल बदन। और उस समय भी मुझे लग रहा था की उनका चेहरा किसी से मिलता था ,
उस समय तो मुझे नहीं याद आया ,
लेकिन अब जब उनका कोठा देखा तो मुझे याद आ गया ,
ट्रैफिक अब साफ़ हो गयी थी और हम लोग बाई पासपर आ गए थे ,
चंपा बाई की शकल ,...
Kisse mil rahi hai sakal campa Bai kaa ......वो ,... मोहल्ला
वो मींजने में मगन थे ,वो मिजवाने में मगन थी ,
और मैं उन दोनों को देखने में मगन थी ,
लेकिन तबतक गाडी खड़ी हो गयी , थोड़ा सा जाम था आगे।
कालीन गंज ,
इनके मायके का रंडियों का अड्डा , ... आगे कोई बैलगाड़ी चल रही थी ,बल्कि खड़ी थी।
यहाँ सड़क भी थोड़ी संकरी थी और सड़क के दोनों ओर इनके शहर की रंडिया , अपने अपने दरवाजे के सामने खूब रंगी पुती , छोटे छोटे कपडे पहने खड़ी ,ग्राहकों से मोल भाव कर रहे थीं ,कुछ खुल के चुदाई के इशारे कर कर के बुला रही थीं।कुछ तो हाथ पकड़ पकड़ के , ...
चम्पा बाई ने जेठानी को तो यही चेतावनी दी थी ,मैंने आगे की खिड़कियां थोड़ी नीचे कर ली और उन के खेल तमाशे देखने लगी।
" एक बार अगर चम्पा बाई को हाँ कहने के बाद जो नहीं आती है न उसको मैं सड़क छाप रंडी बना के चौराहे पर खड़ा कर देती हूँ , अगले शुक्रवार को रंजीत को भेंजूंगी ,शाम होने के पहले आ जाना उसके साथ ,.. वरना जो मेरे साथ ,... शाम के बाद सड़क पर खड़ी होकर ,.. रात रात भर चवन्नी छाप उसे चोदते हैं और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए , समझ ले ,... "
चंपा बाई की इस बात ने जेठानी की डील सील कर दी थी। और जेठानी जी ने तुरंत हामी भर दी थी की वो तो दोपहर से ही तैयार रहेंगी ,अगले शुक्रवार को।
और ऊपर से मेरी सास ने एकदम पक्का कर दिया था की वो सुबह ही हमारे यहां के लिए चल देंगी।
अगले शुक्रवार से , मेरी जेठानी की टाँगे ,... जमींन पर कम पड़ेंगी , ... हवा में ज्यादा उठी रहेंगी ,वो भी चंपा बाई के कोठे पर।
इस सड़क पर उन का कोठा नहीं था ,इस पर तो सच में चवन्नी छाप वाली ही ,... अगले मोड़ से जो सड़क चौक जाती थी ,उस पर एक बड़ा सा मकान , तीन मंजिल का , दूर से दिखता था ,... जहां मेरी कार खड़ी थी , चम्पा बाई के कोठे की तीसरी मंजिल दिखती थी।
मुझे कुछ शरारत सूझी ,मैंने पीछे जिस सीट पर गुड्डी और वो चुम्मा चाटी कर रहे थे ,उस का भी शीशा थोड़ा नीचा कर दिया।
आखिर इस शहर की टॉप माल को ले के जा रही हूँ ,इस शहर के छैलो को मालूम तो पड़ जाए जिस कच्चे टिकोरों को सोच सोच के रोज बीसों लौंडे मुठियाते थे आज फड़वाने मेरे साथ जा रही थी।
" हे देख न ,तेरी बहन भौजाइयां ,.. कैसे पैसे मांग रही हैं , जरा बाहर तो झांक के देखो "
मैंने उन्हें चिढ़ाया , पर जवाब उनके माल ने दिया ,
" अरे भौजी , देखो पीछे इनकी बहन तो बिना पैसे के ही ,... आपके सैंया ही ,.. "
मैं कुछ पलट के जवाब देती उसके पहले आगे वाली वो बैलगाड़ी निकल चुकी थी ,जाम हल्का हो गया और मैंने किसी तरह गाडी बढ़ाई।
तबतक पीछे वाली खिड़की से झाँकने वाले भी बढ़ गए और एक बार फिर मैंने ग्लासेज चढ़ा लिए और जब मोड़ से आगे निकल रही तो बगल वाली सड़क पे चंपा बाई का कोठा दिखा।
और मेरे सामने स्काइप पर चम्पा बाई का चेहरा घूम उठा जब वो जेठानी से बात कर रही थीं , गोरी चम्पई देख ,गदराया मांसल बदन। और उस समय भी मुझे लग रहा था की उनका चेहरा किसी से मिलता था ,
उस समय तो मुझे नहीं याद आया ,
लेकिन अब जब उनका कोठा देखा तो मुझे याद आ गया ,
ट्रैफिक अब साफ़ हो गयी थी और हम लोग बाई पासपर आ गए थे ,
चंपा बाई की शकल ,...
चंपा बाई की शकल?? ये नया ट्विस्ट आया है। कहीं आपकी सासू मां से तो नहीं मिलती है? इंतजार रहेगा इस भेद के खुलने कावो ,... मोहल्ला
वो मींजने में मगन थे ,वो मिजवाने में मगन थी ,
और मैं उन दोनों को देखने में मगन थी ,
लेकिन तबतक गाडी खड़ी हो गयी , थोड़ा सा जाम था आगे।
कालीन गंज ,
इनके मायके का रंडियों का अड्डा , ... आगे कोई बैलगाड़ी चल रही थी ,बल्कि खड़ी थी।
यहाँ सड़क भी थोड़ी संकरी थी और सड़क के दोनों ओर इनके शहर की रंडिया , अपने अपने दरवाजे के सामने खूब रंगी पुती , छोटे छोटे कपडे पहने खड़ी ,ग्राहकों से मोल भाव कर रहे थीं ,कुछ खुल के चुदाई के इशारे कर कर के बुला रही थीं।कुछ तो हाथ पकड़ पकड़ के , ...
चम्पा बाई ने जेठानी को तो यही चेतावनी दी थी ,मैंने आगे की खिड़कियां थोड़ी नीचे कर ली और उन के खेल तमाशे देखने लगी।
" एक बार अगर चम्पा बाई को हाँ कहने के बाद जो नहीं आती है न उसको मैं सड़क छाप रंडी बना के चौराहे पर खड़ा कर देती हूँ , अगले शुक्रवार को रंजीत को भेंजूंगी ,शाम होने के पहले आ जाना उसके साथ ,.. वरना जो मेरे साथ ,... शाम के बाद सड़क पर खड़ी होकर ,.. रात रात भर चवन्नी छाप उसे चोदते हैं और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए , समझ ले ,... "
चंपा बाई की इस बात ने जेठानी की डील सील कर दी थी। और जेठानी जी ने तुरंत हामी भर दी थी की वो तो दोपहर से ही तैयार रहेंगी ,अगले शुक्रवार को।
और ऊपर से मेरी सास ने एकदम पक्का कर दिया था की वो सुबह ही हमारे यहां के लिए चल देंगी।
अगले शुक्रवार से , मेरी जेठानी की टाँगे ,... जमींन पर कम पड़ेंगी , ... हवा में ज्यादा उठी रहेंगी ,वो भी चंपा बाई के कोठे पर।
इस सड़क पर उन का कोठा नहीं था ,इस पर तो सच में चवन्नी छाप वाली ही ,... अगले मोड़ से जो सड़क चौक जाती थी ,उस पर एक बड़ा सा मकान , तीन मंजिल का , दूर से दिखता था ,... जहां मेरी कार खड़ी थी , चम्पा बाई के कोठे की तीसरी मंजिल दिखती थी।
मुझे कुछ शरारत सूझी ,मैंने पीछे जिस सीट पर गुड्डी और वो चुम्मा चाटी कर रहे थे ,उस का भी शीशा थोड़ा नीचा कर दिया।
आखिर इस शहर की टॉप माल को ले के जा रही हूँ ,इस शहर के छैलो को मालूम तो पड़ जाए जिस कच्चे टिकोरों को सोच सोच के रोज बीसों लौंडे मुठियाते थे आज फड़वाने मेरे साथ जा रही थी।
" हे देख न ,तेरी बहन भौजाइयां ,.. कैसे पैसे मांग रही हैं , जरा बाहर तो झांक के देखो "
मैंने उन्हें चिढ़ाया , पर जवाब उनके माल ने दिया ,
" अरे भौजी , देखो पीछे इनकी बहन तो बिना पैसे के ही ,... आपके सैंया ही ,.. "
मैं कुछ पलट के जवाब देती उसके पहले आगे वाली वो बैलगाड़ी निकल चुकी थी ,जाम हल्का हो गया और मैंने किसी तरह गाडी बढ़ाई।
तबतक पीछे वाली खिड़की से झाँकने वाले भी बढ़ गए और एक बार फिर मैंने ग्लासेज चढ़ा लिए और जब मोड़ से आगे निकल रही तो बगल वाली सड़क पे चंपा बाई का कोठा दिखा।
और मेरे सामने स्काइप पर चम्पा बाई का चेहरा घूम उठा जब वो जेठानी से बात कर रही थीं , गोरी चम्पई देख ,गदराया मांसल बदन। और उस समय भी मुझे लग रहा था की उनका चेहरा किसी से मिलता था ,
उस समय तो मुझे नहीं याद आया ,
लेकिन अब जब उनका कोठा देखा तो मुझे याद आ गया ,
ट्रैफिक अब साफ़ हो गयी थी और हम लोग बाई पासपर आ गए थे ,
चंपा बाई की शकल ,...
Thanks sooooooooooooo muchDono nanad ab nahi chhodengi jethani ko,chahe kabab khulwana pade , lekin mutton bhi usi se banwayengi.
Very nice update![]()
sochiye sochiye, agale update tak, tab tak INCEST vaali story men update aaj hiYe to suspense bna diya aapne.. kon he champa bai ki humshakl![]()
Mujhe to kammo ki yaad aa rhi he..sochiye sochiye, agale update tak, tab tak INCEST vaali story men update aaj hi
Sochiye Sochiye,... main bhi soch rahi hun aap gayab kahan ho gaye theKisse mil rahi hai sakal campa Bai kaa ......