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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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1०० वां भाग

छुटकी -होली दीदी की ससुराल में का १०० वां भाग पोस्टेड, पृष्ठ १०३५


भाग १०० - ननद की बिदायी

कृपया पढ़ें और अपने कमेंट जरूर दें
 
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motaalund

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Btou ye koi Baat Hai... hamesha ras m dube rahne walo.ko.kaise tadpaya Jaa rha hau......




Guddi k liye use khatarnaak mod m laga ja rha hai.... jisse wo bokhlaya saand uas kachchi kalj par jara bhu raham na kare.... aur khoon khacchar aur shor sharaba me koi kami na rahe
बौखलाया सांड एक हीं धक्के में.... एकदम चोकर रही ....
 

motaalund

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हाथ बंधे हैं। बाकी तो सब कुछ खुला है।
जो खुला है वो कड़ियल नाग लहरा रहा है ...
गोटियां चूसी जा रही हैं....
 

motaalund

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हमारी खेली खाई भौजी थोड़ी झड़ेगी, अब तो नन्द की गांड़ मरवानी पक्की है
ध्यान से शर्त पढ़िए ... साजन की गांड़ की शर्त है...
 

raniaayush

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मेरा अपना मानना है कि 'लबालब' तरल पदार्थ के लिए प्रयोग होना चाहिए...
सही शब्द मेरे विचार से ठसाठस होना चाहिए...
मस्तिष्क ज्ञान से ठसाठस भरा हुआ है...
अगर गलत है तो करेक्ट करें...
वस्तुतः ज्ञान को कोई पदार्थ नहीं है तो इसे ठोस या द्रव कुछ भी निर्धारित नहीं किया जा सकता। लबालब हो या ठसाठस अर्थ यही निकलेगा कि प्रचुर मात्रा में/ अधिकाधिक।
 

komaalrani

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सारी शरम अगर गुड्डी की गांड़ में घुसा देंगी...
तो आपके कमल जीजू का क्या होगा...
😉😉😉😉
आपने एकदम सही याद दिलाया ,

बस कुछ दिन की बात है,

वो अपना मोटा मूसल घुसा के वो सारी शरम लाज निकालेंगे। अगवाड़े की सैंया, पिछवाड़े की वो,...
 
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komaalrani

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दोनों ही रसीले होते हैं.... शायद इसलिए.....
एकदम सही कहा आपने

इसलिए मैंने पेज १२५ को कोट किया था और फिर उसी की लाइनें दुहरा रही हूँ और लिंक भी दे रही हूँ

"हम तीनो,मैं, गुड्डी और मेरी जेठानी कान पारे सुन रहे थे ,इन्तजार कर रहे थे।


और उनके बोल फूटे , झटपट जैसे जल्दी से अपनी बात ख़तम करने के चक्कर में हों।

" गुड्डी , चूत ज़रा अपनी चूत मुझको दो न। "

जैसे ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो सबको ,सब लोग एकदम पत्त्थर।

गुड्डी के तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था

मेरी जेठानी भी एकदम ,

मैंने बात सम्हालने की कोशिश की ,

" अरे गुड्डी चूत मतलब , ये तेरी दोनों जांघो के बीच वाली चीज , नीचे वाले मखमली कोरे होंठ नहीं मांग रहे है ,

बल्कि ऊपर के होंठ के बीच में फंसी सिंदूरी रसीली फांक मांग रहे हैं। अरे आम को चूत ही तो कहते हैं संस्कृत में। रसाल ,मधुर और होता भी तो है वैसे ही चिकना , रसीला। चाटने चूसने में दोनों ही मजा है , हैं न यही बात। "


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