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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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बहन बहन के रिश्ते में गीता रगड़ाई कैसे कर पाती गुड्डी रानी की, फिर रिश्ते तो मन के और तन के होते हैं,...


फिर दो बातें और,...

गुड्डी रानी को भी मालूम है की वो ' किस ' काम के लिए आयी है, फिर जिस तरह सब कपडे उतरवा के सिर्फ मोज़े जूते में , चलते हुए उसके घर में आयी , उसको गोद में उठा के अंदर उसके, ' भैया ' लाये उसी पल रिश्ता बदल गया , और फिर जिस तरह पहली रात गुजरी,...

फिर दूसरी बात, गीता ने पहले ही कहा था गुड्डी को न सिर्फ लाने के लिए बल्कि पहलौठी का दूध, और अब तो उनकी सास ने भी यही बात कह दी और उन्होंने मान भी ली

और सबसे बड़ी बात दोनों ने ये रिश्ता मान भी लिया, गीता ननद और गुड्डी भौजाई नयी नवेली सुहागरात को तैयार ,
Well explained...
रिश्ता तो मन से होता है...
कई बार कोई सामाजिक रिश्ता नहीं होने के बावजूद भी कोई-कोई बहुत नजदीक लगने लगता है...
और मन से मन का रिश्ता स्थापित हो जाता है...

और यहाँ तो गुड्डी मन से तैयार होके आई थी ... भैया को सैंया बनाने के लिए....
तो फिर गितवा की भौजाई हीं लगी....
असली वाली तब ... जब सोहर होगा...
 

motaalund

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एकदम, गीता और मंजू दोनों की ही इच्छा थी की ये गुड्डी को ले आएं , दोनों ने उनके साथ उनकी बहन और माँ का रोल प्ले भी इसी लिए एकदम खुल के किया की इनकी मन की माँ -बहन के प्रति दबी इच्छा खुल के सामने आ जाए


और पृष्ठ ४६ भाग ४२ में जहाँ मंजू बाई पहली बार इस कहानी में पहली बार आती हैं वो रिश्ता वहीँ से सेट हो जाता है

"लेकिन मम्मी की निगाह से इनकी चोरी कैसे बचती , उन्होंने मंजू बाई से इनकी ओर इशारा कर के पूछ लिया ,

" सुन तू मेरी बेटी को बहू कहती है तो फिर ,... तेरी बेटी इसकी क्या लगेगी। "


मंजू बाई इशारा समझ गयी थी , मुस्करा के इनकी ओर देख के बोली ,

" बहन लगेगी ,और क्या। "

और फिर अपने बड़े बड़े उभार छलकाते हुए पल्लू खोंस लिया।


( गीता ,मंजू बाई की बेटी ,देह तो मंजू बाई ऐसे थी खूब भरी भरी थी ,गदरायी लेकिन रंग एकदम गोरा चम्पई था ,जैसे कोई दूध में केसर डाल दे।)


फिर मंजू बाई जब पहली बार गुड्डी की पिक्चर घर में देखती है तो फिर से,...

" डस्टिंग करते करते उनकी निगाह पिक्चर फ्रेम पे पड़ी जिसमें गुड्डी की तस्वीर लगी थी।


वो उसे झाड़ रहे थे की पीछे से काम ख़तम कर के मंजू बाई भी आगयी।

" बड़ा पटाखा माल है ,कौन है ये। "


" मेरी बहन है ,छोटी। गुड्डी। "

उन्होंने बोल दिया।

" कबूतर तो बड़े मस्त हैं इसके , खूब दबाये होंगे तूने। "

और पेज ४९ पर जब गीता और इनका प्रसंग परवान चढ़ता है, तो उस समय फिर गीता को को देख के इन्हे अपनी ममेरी बहन याद आती है,...

" सच में भैया बहुत नाइंसाफी है मैंने तो तेरा सब कुछ देख लिया ,छू लिया ,इतना मस्त मोटा और अपना , खजाना छुपा के बैठी हूँ। "

कुछ देर तक तो वो उनका चेहरा देखती रही फिर उकसाया

" अरे भैया देख क्या रहे हो खोल दो न अपने हाथ से बहन के पेटीकोट का नाड़ा "
उनके आँखों के सामने एक बार फिर गुड्डी का चेहरा घूम गया।

गुड्डी का नाड़ा



वो भी तो उन्हें ऐसे भैया बोलती थी ,ऐसे ही खूब प्यार से ,..

और आज कल तो वो कुरता शलवार ही पहनती है ,


शलवार का नाडा।

" शरमाते काहें हो ,भइय्या तुम सच में बहुत बुद्धू हो ,प्यारे वाले बुद्धू , अरे हर बहन यही चाहती है , इससे अच्छी बात क्या हो सकती है बहन के लिए की उसका भाई नाडा खोले , ,... खोलो न। "

और गीता ने खुद उसका हाथ पकड़ के अपने नाड़े पर रख दिया।

बस अपने आप उनके हाथ नाडा खोलने लगे , सरसरा के पेटीकोट नीचे ,

लेकिन मन उनका कहीं और , उस दिन जब वो मौका चूक गए थे।




शादी में ,

गुड्डी ने पहले उनसे केयरफ्री लाने को बोला था और जैसे ही वो निकले ,

ढेर सारी स्माइली के साथ गुड्डी का मेसेज आया

,"आल लाइन क्लीयर ,अब नहीं चहिये। आंटी जी चली गयीं। टाटा बाई बाई। मेरी छुट्टी खत्म "

और साथ में हग की साइन भी।


और गीता ने वादा किया था की बस गुड्डी को किसी तरह पटा के लाने की देर है, ... बस एक बार घर की चौखट डांक गयी तो अगली सुबह से उसकी जिम्मेदारी होगी, उसे गीता से भी चार हाथ आगे बढ़ाने की,... तो बस उसी पृष्ठ भूमि में ये प्रसंग है,


और इस कहानी के किंक से जुड़े जो प्रसंग है वो भी मंजू और गीता वाले प्रसंग में ही इसलिए न मैंने सिर्फ लिंक दिया बल्कि गीता वाले हिस्से की पहली पोस्ट जस की तस छाप दी ,

आप के कमेंट्स के लिए कोई भी आभार कम हैं , कहानी का कोई भी प्रसंग, संवाद बचता नहीं और मैं मानती हूँ , की पत्रिका में छपी कहानी या किताब की कहानी और फोरम में यही फरक है,


यहाँ कहानी सुनाने वाला और सुनने वाला दोनों के बीच संवाद भी होता रहता है और कहानी के प्रसंगों को विस्तारित करके चर्चा भी,

एक बार फिर धन्यवाद
पिछले प्रसंग का उद्धरण ... वो उचित स्थान पर ...
काफी सारी यादें ताजा कर देती हैं....

गुड्डी का केयरफ्री लाने को बोलना और फिर ऑल लाइन क्लीयर का इशारा...
ये छोटी-छोटी बातें अन्य कहानियों में नहीं मिलती और फिर वो रस नहीं मिल पाता उनमें...
यही इस कहानी को बेमिशाल बनाती है...
 

motaalund

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इसीलिए तो गोद में उठा के चौखट डकायी थी,...

और जिन दैहिक रिश्तों के लिए वो आयी है वो तो उसे ' भौजाई' ही बनाएंगे,... गीता की

फिर कहानी में ननद भाभी की छेड़ खानी और मस्ती के लिए एक अदद ननद चाहिए थी तो गीता से बढ़कर कौन मिलती,...
हाँ यहाँ ननद की कमी थी...
तो गीता तो एकदम सांचे में फिट बैठती है...
और आपके वो भी तो बहन को बीवी बनाने को लाए थे.. फिर गाभिन करने को भी...
तो फिर गीता ननद और मंजू ... सास....(गुड्डी की)
 

motaalund

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एकदम गीता को न सिर्फ खबर थी बल्कि उसकी ' जिम्मेदारी' भी उसे मालूम थी, पहली सुबह ही न सिर्फ लाज सरम छुडवानी है बल्कि घर का काम धाम, भी सिखाने की शुरुआत हो जाए
नई-नई दुल्हनिया पर नए घर के तौर-तरीके... काम-काज को सिखाने..समझाने बुझाने की जिम्मेदारी गीता ने अपने कंधों पर बखूबी संभाल ली है....
 

motaalund

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Dr Razi is very humble her story is galloping ahead in the incest section and somebody whose first language is not HINDI, writing in Hindi ( in Roman script ) migrating from Punjabi on the request of readers and attracting a huge following in her first two stories says a lot and success has not changed my friend a writer with the golden heart.
Yes I too agree and admire her writing skill with good command over all the intricacies of story writing.
 

motaalund

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इनकी सास को तो सबूत चाहिए न और मुझे बाद में इन्हे और इनकी उसको चिढ़ाने छेड़ने के लिए भी,... तो वीडियोग्राफी तो जबरदस्त होगी, एक एक पल की क्लोज अप के साथ और ऐसी इन दोनों में किसी को पता न चले, वरना नेचुरल परफॉर्मेंस में फरक न पड़ जाए
Multiple camera with close up shots...
focusing on every minute details...
and that too without their awareness..
Wowwwwww...
 

motaalund

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एकदम गीता और उसके साथ मंजू इस कहानी में सिखाने पढ़ाने में, ख़ास तौर से जो कुछ वर्ज्य है, सामन्यतया या शायद अन्य पात्रों के द्वारा जिन घटनाओं का उतने विस्तार से निरूपण नहीं हो सकता, वो सब , और सबसे बढ़कर बहन और माँ के रोल प्ले से इनके मन की सब दीवारों और वर्जनाओं को गिराने का काम,..

लेकिन साथ ही साथ मंजू और गीता एक तरह ट्रिब्यूट भी हैं, कथाप्रेमी जी को और उन की कुछ प्रसिद्ध रसरोचक दो कहानियां जो शायद इस फोरम में भी पी डी एफ में है,.... उनमें भी मंजू का चरित्र है और मंजू की एक बेटी भी है,

इसके पहले फागुन के दिन चार में भी पिछले फोरम में पहले छपी और अति पॉपुलर बात एक रात की, को ट्रीब्यूट्स थे और सत्यजीत राय को भी जिनकी जन्म शती पर मैं एक थ्रेड भी इस फोरम में शुरू किया था, उनकी फिल्मों और व्यक्तित्व के बारे में, तो फागुन के दिन चार में फेलू दा का चरित्र और कार्लोस दोनों ट्रिब्यूट थे डिटेक्टिव के कुछ महान राइटर्स को

पर छुटकी की कहानी में गीता का प्रवेश इन्सेस्ट पर मेरे पहले प्रथम प्रयास के लिए हुआ
सच में आप बहुमुखी प्रतिभाशाली हैं...
कहानी में सम्मिलित हरेक कैरेक्टर अपने रोल को जस्टीफाई करता है....
और संवाद .. छेड़छाड़... आघात-प्रतिघात से कहानी को उस मुकाम तक पहुँचाता है .. जहाँ रोमांच और जोश-खरोश से पाठक डूबते-उतराते रहते हैं....
 

motaalund

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अरे रीनू बहुत रसीली है,पिछली बार भी उसी ने तो ट्रुथ और डेयर वाले खेल से इनकी सब झिझक,.. और पिछली बार वो छुट्टी पे थी पांच दिन वाले तो अपने जीजू को ललचा के वादा करा के गयी है तो इस बार तो ये भी इन्तजार कर रहे हैं अपनी साली का, छोटी न सही बड़ी ही सही,... और इतनी बड़ी भी नहीं है,

चीनू नहीं है तो क्या हम तीन हमारे तीन , गुड्डी रानी रहेंगी न,...
जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा..
पिछली बार अपने जीजू से बच गई थी...
लेकिन इस बार उसकी जबरदस्त रगड़ाई होनी चाहिए....
क्या पता.. एक छेद में दो-दो भी.....
 

motaalund

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will request all my reader friends to support this story by appending like and more importantly sharing comments, comments have increased but if i count number of readers commenting this story it will not be more than fingers of one hand on most of the post and it sustains and nourishes the story
In erotica section your story comes in top slots.
With millions views I think readers are visiting your thread and enjoying too.
But I think they are either shy or hesitate to put a word or two...

I also appeal to all viewers of the thread to post comment to motivate and encourage the writer.
This will boost the morale of writer to dive into untouched territory and theme in this as well as new story.
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने,

दान करने से धन और जोबन दोनों बढ़ता है,...
और दोनों का बढ़ना एक नई उत्तेजना भर देता है....
 
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