Jiashishji
दिल का अच्छा
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घर के पिछवाड़े गुड्डी का पिछवाड़ा ।।जोरू का गुलाम भाग १६१
गीता की ट्रेनिंग
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गुड्डी झाड़ू लगा रही थी की गीता ने उसकी लांग शार्ट और ऊपर कर दिया , कमर से भी ऊपर ,.. और चिढ़ाते बोली
" राजा तनी चूतड़ और ऊपर करो , जैसे तोहरे मायके के लौंडन ऊपर करत हैं, तोहार भाई चूतड़ उठाते हैं, आगे निहुर के गाँड़ मरवाने के लिए, बस वैसे,...हाँ ठीक,... नंबरी गांडू हैं सब नयकी भौजाई के भैया कुल" "
और जैसे ही गुड्डी ने अपने किशोर नितम्बो की उठाया ,
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चटाक , एक हाथ हलके से गीता लगाती बोली ,
" अरे नयकी भौजी , चूतड़ तो तोहार बहुत मस्त है , चिक्कन नमकीन लौंडन मात हैं तोहरे चिक्क्न चूतड़ के आगे "
गीता ने काम ख़तम कर दिया डस्टिंग का, बस वो गुड्डी से झाड़ू लगवा रही थी,... और उसके प्यारे प्यारे गोल मटोल चूतड़ों को निहार रही थी, सोच रही थी बड़ा मजा आएगा इस स्साली की कोरी कोरी गाँड़ मारने में, फटेगी तो बहुत चिल्लायेगी,... लेकिन अब तो सब करम उसके होने ही हैं, अब एक बार आ गयी है गीता की मुट्ठी में तो,...
निहुरे निहुरे गुड्डी की कमर झुकी झुकी ,
लेकिन उसने भी झाड़ू ख़तम कर दिया पर उसके उठने के पहले ही गीता ने फिर प्यार से एक हाथ कस के जड़ा और चिढ़ाया
" अरे भौजी ससुरार में हो , अब निहुरने की प्रैक्टिस कर लो ,रात भर सैंया निहुरा के चांपेंगे , ...और दिन में देवर , ननदोई ,.. "
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गुड्डी भी अब एकदम गीता के रंग में रंगती जा रही थी। पक्की भौजाई की तरह उसने गीता के गाल पे जोर से पिंच किया बोली ,
" अरे ननद तो एक है ,... और ननदोई ,.. " फिर गुड्डी खुद ही गुनगुना के जवाब देने लगी ,
" मेरे तो एक पिया है, ननदी के दस दस ,... क्यों ननद रानी है न "
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गीता ने बहुत बुरा सा मुंह बनाया ,बोली ,
"अरे भौजी ,दस से का होगा तोहरी ननद का , पन्दरह बीस से कम नहीं "
" अरे मायके में हो सब बचपन के यार होंगे इंहा कौन कमी हमारी ननद को यारों की। "
मेरे साथ साथ गुड्डी भी अब जवाब देने में तेज हो गयी थी ,उसने भी गीता को चिढ़ाया।
" और का भौजी , ...कुछ दिन अपने सैंया के साथ मौज उड़ा लो फिर हमारे सैंया का भी मजा ले लेना , सब तोहार ननदोई लगेंगे और नन्दोई का तो सलहज पर हक होता है। "
इतनी ही देर में गीता गुड्डी पक्की ननद भौजाई हो गयी थीं।
गीता गुड्डी को फिर से किचेन में ले गयी ,नाश्ते की तैयारी करनी थी।
फिर एक एक सामान कहाँ क्या रखा है , बिस्किट , कार्न फ्लेक्स ,अंडे , ब्रेड, चाय ,काफी ,.. एक एक समान ,...
गुड्डी एक एक सामान देख ,समझ रही थी और गीता किचेन सिंक से गार्बेज बैग निकाल रही थी।
" हे चल भौजी , तानी इहो काम निपटा दें , ...वैसे तो मैं या हमार माई आएँगी रोज ,लेकिन अगर कउनो दिन नहीं आयीं तो ,... तुहुं देख ला , कुल काम समझ ला , अब ई तोहार ससुराल है , कुल काम काज ,.. अरे ससुराल में बहुरिया खाली चुदवाने थोड़ी आती है, घर का कुल ...." गीता बोली।।
गुड्डी एक पल के लिए हिचकिचाई , वो सिर्फ अपने भैय्या की लम्बी सी शर्ट पहनी थी , नीचे कुछ भी नहीं ,... और वो शर्ट भी मुश्किल से उसके मोटे मोटे चूतड़ों को ढँक पा रही थी।ऊपर से जरा सा वो झुकती तो शर्ट कमर से ऊपर और अगवाड़ा पिछवा सब एकदम साफ़ साफ़ दिखता था,...
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और गीता ने कस के उसके चूतड़ पे एक हाथ दिया , आगे की ओर धकेला , हंस के बोली,
" अरे नयकी भौजी तोहार लजाल शरमायल क दिन गयल ,चला अरे कोई देखेगा तो तोहार देवर ननदोई ही लगेगा। और ई जुबना छुपाने के लिए थोड़े,... दिखाने ललचाने के लिए ही है। ज्यादा नहीं बस पीछे होते के ठीक बाहर ही है ,.. "
कुछ मना के कुछ जबरदस्ती गुड्डी बस उसी लांग शर्ट में ,... घर के बाहर पिछवाड़े