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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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घुस गया,... धंस गया , .... अड़स गया,



उईईईईई,......









तभी फोन बजा , ... मैंने फोन साइलेंट पर कर के रखा था पर ये नंबर ,... और वीडियो काल

ऊप्स ऐन मौके पे लेकिन ये फोन लेना ही था , मैंने टीवी म्यूट किया पर वीडियो काल था तो सब का सब दिखता तो मैं ज़रा बाहर निकल के

मम्मी थीं , और वही सवाल जो मम्मी से उम्मीद थी,...

' शो चालू हुआ "



"बस थोड़ी देर पहले, आप को ज़ूम पे लिंक तो भेजा था "

" अरे यार एक बोर्ड मीटिंग थी, ताज प्रेजिडेंट में,...( ( मम्मी मुम्बई में थीं कोई मीटिंग के चक्कर में ) )फोन बाहर रखवा लेते हैं अभी ख़तम हुयी तो मैंने सोचा तुझे फोन कर के हाल चाल पता कर लूँ ,... " मम्मी हँसते हुए बोलीं , पीछे से ढेर सारी आवाजें भी आ रही थी,... कोई पार्टी थी शायद,...

" तो देखिये लाइव शो, रूम में जाकर अभी आप कहाँ है " मैंने हँसते हुए सलाह दी।



" अरे नहीं , अभी एक मीटिंग के बाद वाली कॉकटेल वाली पार्टी चल रही है , दो चार लोगों से मिलना है , आधा पौन घंटा लगेगा , अबकी रुकी भी यहीं हूँ तो चल के वरना वीडियो तो रिकार्ड कर रही हैं न, ... " मम्मी बोलीं।

" हाँ , एकदम ,... "

मैं बोली , जल्दी थी मुझे फोन काटने की पर तब भी चार पांच मिनट लग गए। और कमरे में घुसने के पहले ही मैंने रिमोट से साउंड फुल वॉल्यूम पर कर दी।





मुझे लगा उसकी फट गयी होगी इसलिए इतनी तेज चीख मचा रही थी , पर ,...

उसकी दोनों जाँघे पूरी तरह फैली , टाँगे उनके कंधे पर , उनके दोनों हाथ उसकी कलाई पर ,कस कर पकड़े ,

और ,...

और,... सुपाड़ा उनका सिर्फ उसकी चुनमुनिया में थोड़ा सा फंसा था।



उनके नितम्बो में बहुत ताकत थी ,और आज जो गीता ने 'उनकी तैयारी' करवाई थी, दस सांड़ों के बराबर ताकत उनके हिप्स में आ गयी थी ,

उन्होंने एक बार थोड़ा और धकेला,


ओहहहहहह नहीं नहीं उईईईईईई

चीख से कमरा गूँज गया।



"प्लीज भैया ,प्लीज, निकाल लो न ,बस थोड़ी देर रुक के ,.... बहुत दरद कर रहा है , ओह्ह्ह्ह भैय्या ,... ओह्ह"



वो तड़प रही थी ,चीख रही थी , एक निगाह उनके मूसल पे पड़ी और मैं समझ गयी ,


गीता

ये गीता न , ... जो गीता ने इनके खूंटे पर तेल लगाया था ,मालिश की थी , दूध अपने थन से छरछर गिराया था , वो सब इनके शिश्न के अंदर पहले सुखा दिया था और फिर अपनी साड़ी से रगड़ रगड़ के , पोंछ पोंछ के , एकदम साफ़ कर दिया था, ज़रा भी चिकनाई नहीं थी।


सिर्फ सुपाड़े पर वो भी छेद के पास ,


इसलिए थोड़ा सा सुपाड़ा तो घुस गया था और उसके बाद अड़स गया ,...

वो तड़प रही थी , पलंग पर छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ,अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें देख रही थी।

" भैय्या प्लीज , हाथ जोड़ती हूँ , बस थोड़ी देर के लिए ,... फिर कर लेना न , मना तो मैंने कभी नहीं किया ,.... बहुत दर्द हो रहा है। "



और उन्होंने कमर अपनी थोड़ी सी बाहर खींची , मुझे डर लगा की कहीं उसकी दर्द से डूबी आँखों ने,...


उन्होंने दोनों कलाई उसकी छोड़ दी ,और अब उसकी कटीली कमरिया पकड़ ली,
हल्का सा उन्होंने फिर बाहर निकाला ,

उसकी आँखों में से दर्द अब निकल गया था ,चेहरे पर भी आराम लग रहा था। वो हलके हलके मुस्कराने की कोशिश कर रही थी ,

और तभी एक जबरदस्त चीख ,जैसे किसी भोंथरे चाकू से किसी मेमंने की गरदन कोई काट रहा हो ,



उईईईईई ओह्ह्ह्ह नहीइ



वो तड़प रही थी ,

छटपटा रही थी ,


अपने छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी ,

दोनों हाथों से उसने चद्दर पकड़ रखी थी ,




ऐसी चीख मैंने कभी सुनी नहीं थी , जैसे कान फट जाए ,

और वो

ढकेल रहे थे ,


पेल रहे थे ,

ठेल रहे थे।

…….

न उन्होंने उसके होंठों को अपने होंठों से भींचने की कोशिश की , न उसकी चीखों ने उनके ठेलने को कम कियन उन्होंने उसको मनाने ,समझाने की कोई कोशिश की ,न वो रुके
बस पेलते रहे ,ठेलते रहे , अपना पूरा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा उस कच्ची कली की चूत में घुसेड़ के ही वो रुके।

वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,बिनती कर रही थी , चूतड़ पटक रही थी ,

उस टीनेजर की बड़ी बड़ी दीये जैसे आँखों से दर्द का एक कतरा उसके नमकीन गालों पर छलक कर उतर आया।

पूरा का पूरा सुपाड़ा उनकी ममेरी बहन ने घोंट लिया था।



चीखें उसकी कम हो गयी थी , जैसे चीखते चीखते थक गयी हो। लेकिन गले से थकी थकी आवाजें अभी भी निकल रही थीं , उसके पूरे चेहरे पर दर्द पसरा पड़ा था।

झुक कर उन्होंने उस कोमल किशोरी के गालों पर अटके आँख से निकले दर्द के टुकड़े को चूम लिया और हलके से उसके गाल को ,जहाँ उसके डिम्पल पड़ते थे ,काट लिया।



मैं समझ रही थी ,अभी तो सिर्फ चवन्नी का बल्कि दुअन्नी का खेल हुआ है।



अभी तो इसकी फटनी बाकी है ,जब सिर्फ सुपाड़ा घुसाने में ये हाल हुआ है तो जब फटेगी उसकी तो सच में पूरे मोहल्ले में उसकी चीख सुनाई देगी।



मैं अब पलंग पर ठीक से बैठ गयी थी , मेरी निगाहें एकदम टीवी पर चिपकी थीं , जहाँ बगल के कमरे की सब चीजें जस की तस आ रही थीं।

फ्रिज से एक बीयर का कैन मैंने निकाल लिया था और गटकते हुए इन्तजार कर रही थी अपनी ननद की फटने का , अब उस की फटने से कोई रोक नहीं सकता था।

वो भी एक पल रुक गए थे , और एक बार फिर उन्होंने सुपाड़ा थोड़ा पीछे खींचा ,और ,...

मेरी ननद के लौंडा मार्का चूतड़ों के नीचे उन्होंने एक मोटा सा कुशन लगा दिया। ( पूरी पलंग पर मैंने ढेर सारे तकिये और कुशन लगा रखे थे ). एक बार फिर उन्होंने उस टीनेजर की मखमल सी जाँघों को थोड़ा और फैलाया।

थोड़ा सा उसे सांस लेने का मौका मिल गया। दर्द से भरी आँखे उसने खोल दी ,और उन्हें टुकुर टुकुर देखने लगी। चीखें भी रुक गयी थीं।

सुपाड़ा उनका पूरा अंदर उस कुँवारी कच्ची चूत में पूरी तरह धंसा हुआ था और वो सोच रही थी शायद की अब दर्द ख़तम हो गया।



पर असली दर्द तो अभी होना था।

उन्होंने भी गहरी सांस ली ,एक बार फिर से उसकी कमर कस के जकड़ ली , अपने औजार को थोड़ा सा बाहर निकाला , ...
मैं जान रही थी क्या होने वाला था , मुझसे देखा नहीं जा रहा था पर देखे बिना रहा भी नहीं जा रहा था।

और उन्होंने पूरी ताकत से धक्का मारा , एक बार ,दो बार, तीन बार ,

उसका तड़पना एक बार फिर शुरू हो गया था , मैंने सोचा था की नहीं देखूंगी , पर उसकी तड़पन , उसका दर्द ,उसकी चीखें ,देखे बिना रहा भी नहीं जा रहा था।



उह्ह्ह नही ओह्ह्ह्ह

उईईईईई उईईईईई ईईईई ओहहहह उईईईईईई ,...


वो चीख मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती , सच में पूरे मोहल्ले को सुनाई पड़ी होगी ,

जैसे पानी के बाहर मछली तड़पती है , बस उसी तरह वो तड़प रही थी ,

और बजाय रुकने के उन्होंने अपना मोटा लंड बाहर खींचा और एक बार उसकी दोनों कलाइयों को पकड़ के हचक के पेल दिया ,



आधी चूड़ियां टूट गयीं।



उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह् उईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ उफ्फफ्फ्फ़ नहीं उईईईईईई
Ufff, kya shuruat hai
 

Random2022

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सैंया


भैया के संग





मैं मंजू बाई की मुरीद हो गयी। सिर्फ उसकी फोटो देखकर उन्होंने बोला था ,



" शकल से ये जबरदस्त चुदक्कड़ लग रही है एकदम चुदवासी। "

"पर माँ ,चेहरा तो एकदम भोला ,... "
गीता बोली , वो भी मेरे साथ बैठी थी।



" यही तो ,... "
फिर मुझसे मंजू बाई बोलीं ,


" बहू,... मैंने जिंदगी में एक से एक रंडी छाप चुदक्कड़ लौंडिया देखी हैं पर ये सबका नंबर कटायेगी। और फरक १९ -२० का नहीं है ,अगर ये २० है तो वो सब १६-१७ होंगी बस. बस किसी तरह के बार पटा के ,समझा बजा के ले आओ , ... अरे इसकी तो जितनी रगड़ाई होगी , जितनी दुरगत होगी उतनी ही तेज झड़ेगी ये। उतनी ज्यादा चुदवासी होगी। नमबरी लौंडा खोर होगी , और एक बार मेरे और गीता के हाथ में पड़ेगी तो बस जिंदगी के सारे मजे हफ्ते भर में सीख जायेगी , बेरहमी से इसकी रगड़ाई करनी होगी। "



और वो काम मैंने और मंजू बाई ने गीता के ऊपर छोड़ दिया था ,

गुड्डी की पूरी ट्रेनिंग ,.. एक तो गीता उस की समौरिया , गुड्डी से मुश्किल से साल भर बड़ी,दोनों किशोरियां और किंक के मामले में वो अपनी माँ से भी हाथ भर आगे।


मेरी निगाह टीवी पर चिपकी थी , वो किशोरी मस्ती से मचल रही थी ,जिंदगी में पहली बार लंड के धक्कों से झड़ रही थी,

उनकी निगाहें भी अपनी बहन के भोले भाले कोमल किशोर चेहरे पर चिपकी थीं।




एक हाथ अब उनका अपने बचपन के माल के नए नए आये उरोज पर टिक गया था , अब उस की रगड़ाई मिसाई चालू हो गयी थी।



गुड्डी का झड़ना कुछ कम होते ही इनके धक्को ने फिर से तेजी ले ली थी ,अब वो जम के धक्के लगा रहे थे चोद रहे थे अपनी किशोर ममेरी बहन को।

अब तक वो ज्यादातर ढकेल रहे थे , पुश कर रहे थे लेकिन अब जब गुड्डी की फट गयी थी


एक फायदा था और एक नुक्सान ,



फायदा ये हुआ की झड़ने से गुड्डी रानी की बुरिया कुछ तो गीली हो गयी ,



और नुक्सान ये हुआ की अब मेरे सैंया और उसके भैया , धक्के पूरी ताकत से लम्बे लम्बे लगा रहे थे , झिल्ली तो कुंवारेपन की अपनी ममेरी बहन की उन्होंने फाड़ ही दी थी , और अब उनका मोटा कड़ा मूसल उनकी बहन की चूत में उस जगह घुस रहा था ,जहां मेरी ऊँगली भी कभी नहीं गयी थी ,




दरेरते ,

रगड़ते ,

घिसटते


और अब वो बजाय सिर्फ धकेलने के , ठेलने के , आलमोस्ट सुपाड़ा भी बाहर निकाल के ,पूरी ताकत से हचाहच ,

हचक हचक के ,

और गुड्डी की कसी कुँवारी किशोर अनचुदी चूत में फाड़ते हुए जब वो घुस रहा था तो बस ,

गुड्डी की चीखें , कमरे में गूंज रही थी , उस की बड़ी बड़ी आँखों से आंसू छल छल उसके चम्पई गालों पर छलक कर बह रहा था ,



वो दर्द से बिस्तर पर अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ रही थी।



चीखते , रोते ,चिल्लाते वो भइया से रुकने के , बस पल भर ठहरने के लिए बिनती कर रही थी।


लेकिन गुड्डी की चीखों से उनका जोश दस गुना बढ़ जा रहा था , एक बार फिर से उन्होंने अपनी ममेरी बहन के चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई , उसकी लम्बी गोरी टांगों को मोड़ कर उसे दुहरा कर दिया, पूरी ताकत से उस किशोरी की कोमल कलाई को कस के दबोच लिया ,आधी चूड़ियां तो पहले ही चुरुर मुरूर कर के टूट कर बिखर चुकी थीं।



गुड्डी की बिलिया से लाल लाल थक्के ,गोरी गोरी जाँघों पर साफ़ साफ़ दिख रहे थे।

फिर से उन्होंने सुपाड़े तक लंड को बाहर निकाला , पल भर रुके और ठोंक दिया।

अभी अभी फटी झिल्ली, चूत में लगी ख़राशों को रगड़ते दरेरते , आलमोस्ट पूरा मूसल अंदर था , मुश्किल से एक डेढ़ इंच बाहर रहा होगा , सात इंच अंदर




चीखों के मारे गुड्डी की हालत खराब थी


उईईईईईई नहीं नहीं उफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह ,निकाल लो , ओह्ह्ह्हह्हह



उसके दर्द भरे पर चेहरे पर पसीना और आंसू मिले हुए थे,

वो तड़प रही ,मचल रही थी ,...

और उसके भैय्या ने निकाल लिया , आलमोस्ट पूरा ,

एक दो पल के लिए गुड्डी की जैसे सांस में सांस आयी और फिर ,


वो चीख , दर्दनाक दूर तक


इतनी जोर से तो मेरी ननद तब भी नहीं चीखी थी जब उसकी फटी थी।मारे दर्द के गुड्डी के गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी ,

उनका बित्ते भर का लंड पूरी तरह से गुड्डी की कसी पहली बार चुद रही चूत में एकदम जड़ तक घुसा ,

और मैं समझ गयी पूरी ताकत से उनके सुपाड़े ने उनकी बहन की बच्चेदानी पर पूरी ताकत से ठोकर मारी है ,



एक तो इतना मोटा तगड़ा , उनका हथौड़े ऐसा सुपाड़ा , .... फिर उनकी जबरदस्त ताकत,... किसी चार पांच बच्चे उगलने वाली भोंसड़ी की भी चूल चूल ढीली हो जाती

और ये बिचारी बच्ची , अभी चार दिन पहले तो इंटर पास किया है , और आज इतना लंबा मोटा लौंड़ा,

दर्द से तड़प रही थी ,बिसूर रही थी ,...



पर तभी ,

देखते देखते ,

आह से आहा तक


उनकी बहन के चेहरे पर एक अलग सी तड़पन , उसकी देह में मरोड़ ,

हलकी हलकी सिसकी ,

उसकी मुट्ठी अपने आप बंद खुल रही थी , देह जैसे अब उसके कब्ज़े में नहीं थी

मैं समझ गयी वो झड़ रही थी , पहले तो हलके हलके लेकिन थोड़ी देर में जैसे कहीं कोई ज्वालामुखी फूटा हो,



मेरी ननद को जैसे जड़ईया बुखार हो गया , ऐसे वो काँप रही थी ,

उसका झड़ना रुकता , फिर दुबारा ,... तिबारा

चार पांच मिनट तक वो झड़ती रही ,झड़ती , फिर रुकती , फिर झड़ना शुरू कर देती



और कुछ ही देर में वो थेथर होकर बिस्तर पर पड़ गयी , जैसे उसे बहुत सुकून मिला हो , देह उसकी पूरी ढीली हो गयी।
पर आज ये न ,

उन्होंने धीमे धीमे लंड बाहर खींचा जैसे अपनी उस उनींदी ममेरी बहन की मस्ती को कम नहीं करना चाहते हो ,

फिर धीरे धीरे ,सिर्फ एक तिहाई लंड से , ढाई तीन इंच अंदर करते वो भी धीमे धीमे , और फिर उतने ही हौले हौले अंदर ,... से बाहर




चार पांच मिनट में ही उस कोमल कन्या ने आँखे खोल दिन और टुकुर टुकुर अपने भैया को देखने लगी।


बस उन्होंने दोनों जुबना को कस के पकड़ के दबोच लिया , वही जोबन जिन्होंने पूरे शहर में आग लगा रखी थी ,सैकड़ों लौंडे एक नजर देखने को बेताब रहते थे आज उसके भइया की मुट्ठी में



जितनी ताकत से वो अपनी बहन की चूँची मसल रहे थे उससे भी दस गुना तेजी से अब उन्होंने अपनी ममेरी बहन को चोदना शुरू कर दिया ,

हर तीसरा चौथा धक्का , उस किशोरी के बच्चेदानी पर पूरी ताकत से धक्का मार रहा था।

और हर धक्के के साथ वो इतनी तेज चीखती की कान बंद करना पड़े ,




और उन चीखों का उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था , बस वो धक्के पर धक्का ,हचक हचक कर

पूरे लंड से उस किशोरी की कच्ची चूत चोद रहे थे ,



दस पन्दरह मिनट तक ,...

वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,

ये चोद रहे थे ,पूरी ताकत से अपनी कुँवारी किशोरी बहना को



और एक बार फिर से उस की चीखें सिसकियों में बदल गयी
गुड्डी ने अपने भैय्या को अपनी कोमल बांहो में भींच लिया , जोर से अपनी ओर खिंच लिया ,

वो काँप रही थी , देह उसकी फिर ढीली पड़ रही थी ,

दूर कहीं से बारह का घंटा बजा ,



टन टन टन टन ,



और उन्होंने एक बार फिर लंड बाहर तक निकाल के जोरदार ठोकर सीधे उसकी बच्चेदानी पर ,... और अब वो भी उसके साथ ,..

उन्होंने भी अपनी ममेरी बहन को जोर से भींच लिया ,उनका मूसल सीधे उनकी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर ,



वो भी झड़ रह थे , वीर्य की पहली फुहार उस कुँवारी की चूत में ,



टन टन टन टन ,



मैं ये सोच रही थी आज इस ननद रानी को मैंने अगर पिल्स न खिलाई होती तो ये शर्तिया गाभिन हो जाती।



कुछ देर रुक कर फिर थक्केदार गाढ़ी मलाई उनकी ममेरी बहन की चूत में




टन टन टन टन ,



बारह का घंटा बजना बंद हो गया था लेकिन उनका झड़ना नहीं रुका था ,और वो भी जैसे उन्हें निचोड़ रही हो.

आठ दस मिनट तक दोनों भैया बहिनी एक दूसरे की बाँहों में बंधे,

पलंग पर चूड़ी के टुकड़े बिखरे पड़े थे , दोनों हाथों में उसने दो दो दर्जन चूड़ियां पहनी थी , एक दर्जन भी नहीं बची होंगी।


……………………………………………..
Ek idle suhagraat, kisi kuwari ki
सैंया


भैया के संग





मैं मंजू बाई की मुरीद हो गयी। सिर्फ उसकी फोटो देखकर उन्होंने बोला था ,



" शकल से ये जबरदस्त चुदक्कड़ लग रही है एकदम चुदवासी। "

"पर माँ ,चेहरा तो एकदम भोला ,... "
गीता बोली , वो भी मेरे साथ बैठी थी।



" यही तो ,... "
फिर मुझसे मंजू बाई बोलीं ,


" बहू,... मैंने जिंदगी में एक से एक रंडी छाप चुदक्कड़ लौंडिया देखी हैं पर ये सबका नंबर कटायेगी। और फरक १९ -२० का नहीं है ,अगर ये २० है तो वो सब १६-१७ होंगी बस. बस किसी तरह के बार पटा के ,समझा बजा के ले आओ , ... अरे इसकी तो जितनी रगड़ाई होगी , जितनी दुरगत होगी उतनी ही तेज झड़ेगी ये। उतनी ज्यादा चुदवासी होगी। नमबरी लौंडा खोर होगी , और एक बार मेरे और गीता के हाथ में पड़ेगी तो बस जिंदगी के सारे मजे हफ्ते भर में सीख जायेगी , बेरहमी से इसकी रगड़ाई करनी होगी। "



और वो काम मैंने और मंजू बाई ने गीता के ऊपर छोड़ दिया था ,

गुड्डी की पूरी ट्रेनिंग ,.. एक तो गीता उस की समौरिया , गुड्डी से मुश्किल से साल भर बड़ी,दोनों किशोरियां और किंक के मामले में वो अपनी माँ से भी हाथ भर आगे।


मेरी निगाह टीवी पर चिपकी थी , वो किशोरी मस्ती से मचल रही थी ,जिंदगी में पहली बार लंड के धक्कों से झड़ रही थी,

उनकी निगाहें भी अपनी बहन के भोले भाले कोमल किशोर चेहरे पर चिपकी थीं।




एक हाथ अब उनका अपने बचपन के माल के नए नए आये उरोज पर टिक गया था , अब उस की रगड़ाई मिसाई चालू हो गयी थी।



गुड्डी का झड़ना कुछ कम होते ही इनके धक्को ने फिर से तेजी ले ली थी ,अब वो जम के धक्के लगा रहे थे चोद रहे थे अपनी किशोर ममेरी बहन को।

अब तक वो ज्यादातर ढकेल रहे थे , पुश कर रहे थे लेकिन अब जब गुड्डी की फट गयी थी


एक फायदा था और एक नुक्सान ,



फायदा ये हुआ की झड़ने से गुड्डी रानी की बुरिया कुछ तो गीली हो गयी ,



और नुक्सान ये हुआ की अब मेरे सैंया और उसके भैया , धक्के पूरी ताकत से लम्बे लम्बे लगा रहे थे , झिल्ली तो कुंवारेपन की अपनी ममेरी बहन की उन्होंने फाड़ ही दी थी , और अब उनका मोटा कड़ा मूसल उनकी बहन की चूत में उस जगह घुस रहा था ,जहां मेरी ऊँगली भी कभी नहीं गयी थी ,




दरेरते ,

रगड़ते ,

घिसटते


और अब वो बजाय सिर्फ धकेलने के , ठेलने के , आलमोस्ट सुपाड़ा भी बाहर निकाल के ,पूरी ताकत से हचाहच ,

हचक हचक के ,

और गुड्डी की कसी कुँवारी किशोर अनचुदी चूत में फाड़ते हुए जब वो घुस रहा था तो बस ,

गुड्डी की चीखें , कमरे में गूंज रही थी , उस की बड़ी बड़ी आँखों से आंसू छल छल उसके चम्पई गालों पर छलक कर बह रहा था ,



वो दर्द से बिस्तर पर अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ रही थी।



चीखते , रोते ,चिल्लाते वो भइया से रुकने के , बस पल भर ठहरने के लिए बिनती कर रही थी।


लेकिन गुड्डी की चीखों से उनका जोश दस गुना बढ़ जा रहा था , एक बार फिर से उन्होंने अपनी ममेरी बहन के चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई , उसकी लम्बी गोरी टांगों को मोड़ कर उसे दुहरा कर दिया, पूरी ताकत से उस किशोरी की कोमल कलाई को कस के दबोच लिया ,आधी चूड़ियां तो पहले ही चुरुर मुरूर कर के टूट कर बिखर चुकी थीं।



गुड्डी की बिलिया से लाल लाल थक्के ,गोरी गोरी जाँघों पर साफ़ साफ़ दिख रहे थे।

फिर से उन्होंने सुपाड़े तक लंड को बाहर निकाला , पल भर रुके और ठोंक दिया।

अभी अभी फटी झिल्ली, चूत में लगी ख़राशों को रगड़ते दरेरते , आलमोस्ट पूरा मूसल अंदर था , मुश्किल से एक डेढ़ इंच बाहर रहा होगा , सात इंच अंदर




चीखों के मारे गुड्डी की हालत खराब थी


उईईईईईई नहीं नहीं उफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह ,निकाल लो , ओह्ह्ह्हह्हह



उसके दर्द भरे पर चेहरे पर पसीना और आंसू मिले हुए थे,

वो तड़प रही ,मचल रही थी ,...

और उसके भैय्या ने निकाल लिया , आलमोस्ट पूरा ,

एक दो पल के लिए गुड्डी की जैसे सांस में सांस आयी और फिर ,


वो चीख , दर्दनाक दूर तक


इतनी जोर से तो मेरी ननद तब भी नहीं चीखी थी जब उसकी फटी थी।मारे दर्द के गुड्डी के गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी ,

उनका बित्ते भर का लंड पूरी तरह से गुड्डी की कसी पहली बार चुद रही चूत में एकदम जड़ तक घुसा ,

और मैं समझ गयी पूरी ताकत से उनके सुपाड़े ने उनकी बहन की बच्चेदानी पर पूरी ताकत से ठोकर मारी है ,



एक तो इतना मोटा तगड़ा , उनका हथौड़े ऐसा सुपाड़ा , .... फिर उनकी जबरदस्त ताकत,... किसी चार पांच बच्चे उगलने वाली भोंसड़ी की भी चूल चूल ढीली हो जाती

और ये बिचारी बच्ची , अभी चार दिन पहले तो इंटर पास किया है , और आज इतना लंबा मोटा लौंड़ा,

दर्द से तड़प रही थी ,बिसूर रही थी ,...



पर तभी ,

देखते देखते ,

आह से आहा तक


उनकी बहन के चेहरे पर एक अलग सी तड़पन , उसकी देह में मरोड़ ,

हलकी हलकी सिसकी ,

उसकी मुट्ठी अपने आप बंद खुल रही थी , देह जैसे अब उसके कब्ज़े में नहीं थी

मैं समझ गयी वो झड़ रही थी , पहले तो हलके हलके लेकिन थोड़ी देर में जैसे कहीं कोई ज्वालामुखी फूटा हो,



मेरी ननद को जैसे जड़ईया बुखार हो गया , ऐसे वो काँप रही थी ,

उसका झड़ना रुकता , फिर दुबारा ,... तिबारा

चार पांच मिनट तक वो झड़ती रही ,झड़ती , फिर रुकती , फिर झड़ना शुरू कर देती



और कुछ ही देर में वो थेथर होकर बिस्तर पर पड़ गयी , जैसे उसे बहुत सुकून मिला हो , देह उसकी पूरी ढीली हो गयी।
पर आज ये न ,

उन्होंने धीमे धीमे लंड बाहर खींचा जैसे अपनी उस उनींदी ममेरी बहन की मस्ती को कम नहीं करना चाहते हो ,

फिर धीरे धीरे ,सिर्फ एक तिहाई लंड से , ढाई तीन इंच अंदर करते वो भी धीमे धीमे , और फिर उतने ही हौले हौले अंदर ,... से बाहर




चार पांच मिनट में ही उस कोमल कन्या ने आँखे खोल दिन और टुकुर टुकुर अपने भैया को देखने लगी।


बस उन्होंने दोनों जुबना को कस के पकड़ के दबोच लिया , वही जोबन जिन्होंने पूरे शहर में आग लगा रखी थी ,सैकड़ों लौंडे एक नजर देखने को बेताब रहते थे आज उसके भइया की मुट्ठी में



जितनी ताकत से वो अपनी बहन की चूँची मसल रहे थे उससे भी दस गुना तेजी से अब उन्होंने अपनी ममेरी बहन को चोदना शुरू कर दिया ,

हर तीसरा चौथा धक्का , उस किशोरी के बच्चेदानी पर पूरी ताकत से धक्का मार रहा था।

और हर धक्के के साथ वो इतनी तेज चीखती की कान बंद करना पड़े ,




और उन चीखों का उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था , बस वो धक्के पर धक्का ,हचक हचक कर

पूरे लंड से उस किशोरी की कच्ची चूत चोद रहे थे ,



दस पन्दरह मिनट तक ,...

वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,

ये चोद रहे थे ,पूरी ताकत से अपनी कुँवारी किशोरी बहना को



और एक बार फिर से उस की चीखें सिसकियों में बदल गयी
गुड्डी ने अपने भैय्या को अपनी कोमल बांहो में भींच लिया , जोर से अपनी ओर खिंच लिया ,

वो काँप रही थी , देह उसकी फिर ढीली पड़ रही थी ,

दूर कहीं से बारह का घंटा बजा ,



टन टन टन टन ,



और उन्होंने एक बार फिर लंड बाहर तक निकाल के जोरदार ठोकर सीधे उसकी बच्चेदानी पर ,... और अब वो भी उसके साथ ,..

उन्होंने भी अपनी ममेरी बहन को जोर से भींच लिया ,उनका मूसल सीधे उनकी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर ,



वो भी झड़ रह थे , वीर्य की पहली फुहार उस कुँवारी की चूत में ,



टन टन टन टन ,



मैं ये सोच रही थी आज इस ननद रानी को मैंने अगर पिल्स न खिलाई होती तो ये शर्तिया गाभिन हो जाती।



कुछ देर रुक कर फिर थक्केदार गाढ़ी मलाई उनकी ममेरी बहन की चूत में




टन टन टन टन ,



बारह का घंटा बजना बंद हो गया था लेकिन उनका झड़ना नहीं रुका था ,और वो भी जैसे उन्हें निचोड़ रही हो.

आठ दस मिनट तक दोनों भैया बहिनी एक दूसरे की बाँहों में बंधे,

पलंग पर चूड़ी के टुकड़े बिखरे पड़े थे , दोनों हाथों में उसने दो दो दर्जन चूड़ियां पहनी थी , एक दर्जन भी नहीं बची होंगी।


……………………………………………..
Idle suhagraat, jese ki kachhi kali ki honi chahiye
 

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पायल की झंकार



और अब जो मेरी ननद ने झड़ना शुरू किया तो उसके भइया रुके नहीं ,उसी तरह धक्के पर धक्के
वो बार बार काँप रही थी ,रुक रुक कर झड़ रही थी ,उसकी बोली नहीं निकल रही थी ,एकदम थेथर ,

पर वो आज तो जैसे ,.. बस उन्होंने थोड़ा सा पोज चेंज किया , गुड्डी को उन्होंने दुहरा कर दिया , उस कोमल किशोरी के घुटने उसके पेट से लगे , और उनके दोनों हाथ उस गोरी के चूतड़ पर ,एक बार फिर धक्के पर धक्के



वो न उसके उरोजों को छू रहे थे न कोई चुम्मा चाटी , सिर्फ धक्के पर धक्के


लेकिन अब धक्के वो रुक के लगा रहे थे , एक बार लंड जड़ तक घुसा कर फिर धीमे धीमे पूरा निकाल कर फिर एक झटके में पूरी ताकत से एकदम जड़ तक पेल देते
,

हर धक्के के साथ जो झटका लगता तो गुड्डी के पैरों की हजार घुंघरुओं वाली पाजेब गुनगुना उठती। उस कुँवारी के पैरों में बिछिया झनक उठती। उस टीनेजर, कुँवारी बहिना के पैर अपने भैया के कंधे पर चढ़े और उसके भैया अपनी कच्ची उमर वाली कमसिन बहिनिया पर चढ़े





हर धक्का सीधे बच्चेदानी से लग रहा था और जड़ तक घुसेड़ने के बाद ,अपने खूंटे के बेस से उस किशोरी की क्लीट वो कस कस के रगड़ देते ,

अब नीचे उनकी बहन भी अपने चूतड़ हलके से ही ,लेकिन , उठा देती ,


और मेरी ननद की कमर की चांदी की करधनिया भी जैसे वो चूतड़ उठाती ,झनझना उठती।



गुड्डी थी दर्द से चूर थी लेकिन कोशिश कर रही थी अपने भैय्या का साथ देने का , इस धुंआधार चुदाई का असर भी दस बारह मिनट में आ गया जब वो एक बार फिर झड़ने लगी ,

लेकिन फिर वो नहीं रुके

वो चोदते रहे ,

वो झड़ती रही

वो चोदते रहे ,अपनी बहन को ,...



मेरा व्हाट्स ऐप पर कोई मेसेज आया , मैंने इग्नोर किया मेरी निगाह अपनी ननद से चिपकी थी।

अब उस का झड़ना बंद हो गया था , वो लस्त पस्त बिस्तर पर थकी पड़ी थी, वो भी जैसे पल भर के लिए ठहर गए थे ,लेकिन मूसल पूरी तरह अंदर था ,.




मैं मेसेज देखा।

सिर्फ दो शब्द ,

" चुद गयी ?


टिपिकल दिया।




मैंने सामने टी वी से एक स्क्रीन शॉट लेकर जवाब में व्हाट्सऐप कर दिया,

फिर मेसेज आया ,

," राउंड नंबर ?"

" दो " मैंने जवाब दिया और उलटे पूछा,

" और तुम ?"



फिर जवाब आया

" अरे भाभी आपकी पक्की ननद हूँ ,खाने में उपवास हो जाए नीचे वाले मुंह को मैं भूखा नहीं रखती। भैय्या ने अभी छोड़ा , चलिए अब मेरी सहेली भी मेरी तरह ,अपने भइया से,... "

और फिर मेसेज से दिया सीधे वीडियो काल पर आ गयी। मैंने प्रॉमिस किया कल सुबह सुबह उसकी सहेली की फटने की वीडियो रिकार्डिंग उसे व्हाट्सएप कर दूंगी।

फिर दिया ने जेठानी की हाल चाल बतायी।

दिया के गुर्गे ,शाम के ७ बजे के आसपास चले गए थे ,फिर नहा धो कर सीधे पल्ले की साडी पहनकर ,जेठानी मेरी एक बार फिर से संस्कारी बहू बन गयी थीं।




दिया आठ बजे के करीब चली आयी थी ,लेकिन जेठानी का ही फोन उसके पास आया था , दस बजे के करीब। सासु जी और जेठ जी साढ़े नौ बजे के करीब आ गए थे। सासु जी ने खुद जेठानी को पहुंचने के बाद मेरे यहां आने का प्रोग्राम ,मेरी जेठानी को बता दिया।

जेठ जी ने हालांकि बोला भी की उसी पीरियड में उन्हें हफ्ते भर के लिए बम्बई ट्रेनिंग में जाना है , तो जेठानी जी ने ही उन्हें चुप करा दिया ,

' तो क्या हुआ ,दो चार दिन मैं अकेले नहीं रह सकती क्या। 'और अपनी सास से भी बोलीं, " अरे माता जी आप आराम से जाइए और जब तक मर्जी हो रहिएगा, वो भी तो आपका ही घर है , इस बार वो लोग आपसे मिल भी नहीं पाए,... मैं सब सम्हाल लूंगी, फुरसत से आइयेगा। मुझे कोई परेशानी नहीं होगी। "





मैं समझ गयी , एक बार जेठानी के हड़काने के बाद जेठ जी की हिम्मत नहीं थी दुबारा टांग अड़ाएं।

यानी अब सासू जी का यहाँ आना पक्का ,और जेठानी जी का चंपा बाई के कोठे पर चढ़ना पक्का।


दस मिनट तक दिया से गप्पें होती रहीं ,जब वो सोने चली गयी ,वीडियो काल बंद हुयी पर मेरी निगाह टीवी की ओर, एक पल का भी भैया बहिनी का सीन मैंने मिस नहीं किया

गुड्डी खूब जोर में थी ,पायल करधनी बिछुए सब की आवाजें गूँज रही थीं।

सिसकियाँ और चीखें दोनों साथ साथ ,




वो भी बिना रुके धक्के पर धक्का ,

और अबकी गुड्डी झड़ी तो साथ साथ वो भी , देर तक ,... और उसी के ऊपर ढेर हो गए।





मेरी निगाह घडी पर पड़ी , पौने दो हो रहे थे।

मान गयी मैं इन्हे पहला राउंड पूरे एक घंटे का था और अबकी तो एक घंटे से भी ज्यादा क्या हचक हचक के चोदा अपनी बहिनिया को ,

लेकिन अब बेचारी उठने लायक नहीं थी टाँगे छितरी , मलाई जाँघों तक बह रही थी




और उसका भाई भी उसके अंदर धंसा , आधे घंटे तक उसके अंदर ही फिर जैसे बाहर निकाला तो गुड्डी ने खुद उसे रोक लिया, फिर कुछ देर वो ऐसे ही,


मैं किचेन में काफी का मग रख के आयी , मम्मी से बात भी हुयी और दो ढाई बजे तीसरा राउंड

क्या सीन था , वो पलंग तोड़ पान का जोड़ा , उनकी ममेरी बहन के हाथ में ,उन्हें दिखा के ललचा रही थी , फिर गप से उस किशोरी ने अपने मुंह में ,
Bechari guddi , bhurta bana diya guddi hai, ghante ghnte karke, desi dawaon ka asar
 

komaalrani

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Ufff, kya shuruat hai
Thanks so much, aur agala part bhi post ho gaya us pe bhi aapke comments ka intezar rahega uske baad suhaag raat ka last part
 
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Thanks so much, aap ko pasand aaya , bahoot din se sb log isi mauke ka intezaar kar rahe the, Bhai Behan ke alava bhi
 
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Abhi to ye angadyi hai, aage aur,... ladayi hai .
 
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Waiting for next apdate
Bahoot jld
 

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imagebb is down, waiting for posts
 
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जोरू का गुलाम भाग १६९

गुड्डी की सुहागरात, भैया के साथ,

मज़ा पलंग तोड़ जोड़ा पान का


इमेज बी बी के काम न करने के कारण अभी पिक्स नहीं पोस्ट हो पा रही हैं
 
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