Random2022
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Ufff, kya shuruat haiघुस गया,... धंस गया , .... अड़स गया,
उईईईईई,......
तभी फोन बजा , ... मैंने फोन साइलेंट पर कर के रखा था पर ये नंबर ,... और वीडियो काल
ऊप्स ऐन मौके पे लेकिन ये फोन लेना ही था , मैंने टीवी म्यूट किया पर वीडियो काल था तो सब का सब दिखता तो मैं ज़रा बाहर निकल के
मम्मी थीं , और वही सवाल जो मम्मी से उम्मीद थी,...
' शो चालू हुआ "
"बस थोड़ी देर पहले, आप को ज़ूम पे लिंक तो भेजा था "
" अरे यार एक बोर्ड मीटिंग थी, ताज प्रेजिडेंट में,...( ( मम्मी मुम्बई में थीं कोई मीटिंग के चक्कर में ) )फोन बाहर रखवा लेते हैं अभी ख़तम हुयी तो मैंने सोचा तुझे फोन कर के हाल चाल पता कर लूँ ,... " मम्मी हँसते हुए बोलीं , पीछे से ढेर सारी आवाजें भी आ रही थी,... कोई पार्टी थी शायद,...
" तो देखिये लाइव शो, रूम में जाकर अभी आप कहाँ है " मैंने हँसते हुए सलाह दी।
" अरे नहीं , अभी एक मीटिंग के बाद वाली कॉकटेल वाली पार्टी चल रही है , दो चार लोगों से मिलना है , आधा पौन घंटा लगेगा , अबकी रुकी भी यहीं हूँ तो चल के वरना वीडियो तो रिकार्ड कर रही हैं न, ... " मम्मी बोलीं।
" हाँ , एकदम ,... "
मैं बोली , जल्दी थी मुझे फोन काटने की पर तब भी चार पांच मिनट लग गए। और कमरे में घुसने के पहले ही मैंने रिमोट से साउंड फुल वॉल्यूम पर कर दी।
मुझे लगा उसकी फट गयी होगी इसलिए इतनी तेज चीख मचा रही थी , पर ,...
उसकी दोनों जाँघे पूरी तरह फैली , टाँगे उनके कंधे पर , उनके दोनों हाथ उसकी कलाई पर ,कस कर पकड़े ,
और ,...
और,... सुपाड़ा उनका सिर्फ उसकी चुनमुनिया में थोड़ा सा फंसा था।
उनके नितम्बो में बहुत ताकत थी ,और आज जो गीता ने 'उनकी तैयारी' करवाई थी, दस सांड़ों के बराबर ताकत उनके हिप्स में आ गयी थी ,
उन्होंने एक बार थोड़ा और धकेला,
ओहहहहहह नहीं नहीं उईईईईईई
चीख से कमरा गूँज गया।
"प्लीज भैया ,प्लीज, निकाल लो न ,बस थोड़ी देर रुक के ,.... बहुत दरद कर रहा है , ओह्ह्ह्ह भैय्या ,... ओह्ह"
वो तड़प रही थी ,चीख रही थी , एक निगाह उनके मूसल पे पड़ी और मैं समझ गयी ,
गीता
ये गीता न , ... जो गीता ने इनके खूंटे पर तेल लगाया था ,मालिश की थी , दूध अपने थन से छरछर गिराया था , वो सब इनके शिश्न के अंदर पहले सुखा दिया था और फिर अपनी साड़ी से रगड़ रगड़ के , पोंछ पोंछ के , एकदम साफ़ कर दिया था, ज़रा भी चिकनाई नहीं थी।
सिर्फ सुपाड़े पर वो भी छेद के पास ,
इसलिए थोड़ा सा सुपाड़ा तो घुस गया था और उसके बाद अड़स गया ,...
वो तड़प रही थी , पलंग पर छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ,अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें देख रही थी।
" भैय्या प्लीज , हाथ जोड़ती हूँ , बस थोड़ी देर के लिए ,... फिर कर लेना न , मना तो मैंने कभी नहीं किया ,.... बहुत दर्द हो रहा है। "
और उन्होंने कमर अपनी थोड़ी सी बाहर खींची , मुझे डर लगा की कहीं उसकी दर्द से डूबी आँखों ने,...
उन्होंने दोनों कलाई उसकी छोड़ दी ,और अब उसकी कटीली कमरिया पकड़ ली,
हल्का सा उन्होंने फिर बाहर निकाला ,
उसकी आँखों में से दर्द अब निकल गया था ,चेहरे पर भी आराम लग रहा था। वो हलके हलके मुस्कराने की कोशिश कर रही थी ,
और तभी एक जबरदस्त चीख ,जैसे किसी भोंथरे चाकू से किसी मेमंने की गरदन कोई काट रहा हो ,
उईईईईई ओह्ह्ह्ह नहीइ
वो तड़प रही थी ,
छटपटा रही थी ,
अपने छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी ,
दोनों हाथों से उसने चद्दर पकड़ रखी थी ,
ऐसी चीख मैंने कभी सुनी नहीं थी , जैसे कान फट जाए ,
और वो
ढकेल रहे थे ,
पेल रहे थे ,
ठेल रहे थे।
…….
न उन्होंने उसके होंठों को अपने होंठों से भींचने की कोशिश की , न उसकी चीखों ने उनके ठेलने को कम कियन उन्होंने उसको मनाने ,समझाने की कोई कोशिश की ,न वो रुके
बस पेलते रहे ,ठेलते रहे , अपना पूरा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा उस कच्ची कली की चूत में घुसेड़ के ही वो रुके।
वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,बिनती कर रही थी , चूतड़ पटक रही थी ,
उस टीनेजर की बड़ी बड़ी दीये जैसे आँखों से दर्द का एक कतरा उसके नमकीन गालों पर छलक कर उतर आया।
पूरा का पूरा सुपाड़ा उनकी ममेरी बहन ने घोंट लिया था।
चीखें उसकी कम हो गयी थी , जैसे चीखते चीखते थक गयी हो। लेकिन गले से थकी थकी आवाजें अभी भी निकल रही थीं , उसके पूरे चेहरे पर दर्द पसरा पड़ा था।
झुक कर उन्होंने उस कोमल किशोरी के गालों पर अटके आँख से निकले दर्द के टुकड़े को चूम लिया और हलके से उसके गाल को ,जहाँ उसके डिम्पल पड़ते थे ,काट लिया।
मैं समझ रही थी ,अभी तो सिर्फ चवन्नी का बल्कि दुअन्नी का खेल हुआ है।
अभी तो इसकी फटनी बाकी है ,जब सिर्फ सुपाड़ा घुसाने में ये हाल हुआ है तो जब फटेगी उसकी तो सच में पूरे मोहल्ले में उसकी चीख सुनाई देगी।
मैं अब पलंग पर ठीक से बैठ गयी थी , मेरी निगाहें एकदम टीवी पर चिपकी थीं , जहाँ बगल के कमरे की सब चीजें जस की तस आ रही थीं।
फ्रिज से एक बीयर का कैन मैंने निकाल लिया था और गटकते हुए इन्तजार कर रही थी अपनी ननद की फटने का , अब उस की फटने से कोई रोक नहीं सकता था।
वो भी एक पल रुक गए थे , और एक बार फिर उन्होंने सुपाड़ा थोड़ा पीछे खींचा ,और ,...
मेरी ननद के लौंडा मार्का चूतड़ों के नीचे उन्होंने एक मोटा सा कुशन लगा दिया। ( पूरी पलंग पर मैंने ढेर सारे तकिये और कुशन लगा रखे थे ). एक बार फिर उन्होंने उस टीनेजर की मखमल सी जाँघों को थोड़ा और फैलाया।
थोड़ा सा उसे सांस लेने का मौका मिल गया। दर्द से भरी आँखे उसने खोल दी ,और उन्हें टुकुर टुकुर देखने लगी। चीखें भी रुक गयी थीं।
सुपाड़ा उनका पूरा अंदर उस कुँवारी कच्ची चूत में पूरी तरह धंसा हुआ था और वो सोच रही थी शायद की अब दर्द ख़तम हो गया।
पर असली दर्द तो अभी होना था।
उन्होंने भी गहरी सांस ली ,एक बार फिर से उसकी कमर कस के जकड़ ली , अपने औजार को थोड़ा सा बाहर निकाला , ...
मैं जान रही थी क्या होने वाला था , मुझसे देखा नहीं जा रहा था पर देखे बिना रहा भी नहीं जा रहा था।
और उन्होंने पूरी ताकत से धक्का मारा , एक बार ,दो बार, तीन बार ,
उसका तड़पना एक बार फिर शुरू हो गया था , मैंने सोचा था की नहीं देखूंगी , पर उसकी तड़पन , उसका दर्द ,उसकी चीखें ,देखे बिना रहा भी नहीं जा रहा था।
उह्ह्ह नही ओह्ह्ह्ह
उईईईईई उईईईईई ईईईई ओहहहह उईईईईईई ,...
वो चीख मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती , सच में पूरे मोहल्ले को सुनाई पड़ी होगी ,
जैसे पानी के बाहर मछली तड़पती है , बस उसी तरह वो तड़प रही थी ,
और बजाय रुकने के उन्होंने अपना मोटा लंड बाहर खींचा और एक बार उसकी दोनों कलाइयों को पकड़ के हचक के पेल दिया ,
आधी चूड़ियां टूट गयीं।
उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह् उईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ उफ्फफ्फ्फ़ नहीं उईईईईईई