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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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जोरू का गुलाम भाग १७३

गुड्डी की सुहागरात, भैया के साथ,



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मज़ा पलंग तोड़ जोड़ा पान का


मैं किचेन में काफी का मग रख के आयी , मम्मी से बात भी हुयी और दो ढाई बजे तीसरा राउंड

क्या सीन था , वो पलंग तोड़ पान का जोड़ा , उनकी ममेरी बहन के हाथ में ,उन्हें दिखा के ललचा रही थी , फिर गप से उस किशोरी ने अपने मुंह में ,

" भैय्या , कुछ लेने का मन करे न तो मांगना पड़ता है ,ऐसे नहीं मिलता। " उन्हें छेड़ते हुए वो कोमलांगी बोली।



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उन्हें धक्का दे कर उस शोख ने उन्हें पलंग पर गिरा दिया , फिर उनके सीने पर सर रख कर , गुड्डी के रसीले होंठों से निकला पान , एकदम उनके मुंह से बस थोड़ी ही दूर ,...

" हे दो साल पहले मांगता तो दे देती , ...? "


गुड्डी के हाईस्कूल के दिन की याद दिला कर उन्होंने पूछा।

कहते हैं महिलायें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं , गुड्डी ने भी वही किया , उसके जिस कच्चे टिकोरे के उसके हाईस्कूल के दिनों से वो दीवाने थे , उनकी छुटकी बहना ने उनकी छाती पर रगड़ दिया , और शोख अंदाज में बोली,

" भैय्या जो तुम देख देख के ललचाते थे न मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे , ...अरे मुझे क्या ,... मेरी सारी सहेलियों को पता था की तुम देख देख के ,.. सब मुझे खूब चिढ़ाती थीं। बोलती थीं , अरे यार दे दे न ,... क्या करेगी बचा के ,... कोई न कोई तो रगड़ेगा ही ,... वो बिचारा बहुत सीधा है ,तुझे ही उसका पैंट खोलकर ,... "



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और अब उस शोख टीनेजर के होंठ , मुश्किल से इंच भर दूर थे ,... गुड्डी ने फिर इन्हे चिढ़ाया ,

" वैसे मांगने के भी जरुरत नहीं थी , सीधे से ले लेते न मैं मना थोड़े ही करती। और उन्होंने ले लिया।

उनके होंठ उस इंटरवाली के होंठों पर , और गुड्डी के मुंह में दबा घुसा ,पान अब उनके मुंह में।


पर पान तो बहाना था ,उनकी जीभ अब अपनी बहना के मुंह में घुसी और वो धीमे धीमे चूस रही थी साथ साथ में अपनी कच्ची अमिया इनकी चौड़ी छाती पर रगड़ रही थी।



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कुछ ही देर में वो जोड़ा पान दोनों भइया बहन ने आपस में बाँट लिया था और उस पलंग तोड़ पान का रस दोनों के मुंह में घुल रहा था. कभी गुड्डी की जीभ इनके मुंह में तो कभी इनकी जीभ गुड्डी के मुंह में ,इनके मुंह से लार टपक कर उस किशोरी के चिकने चम्पई गालों पर टपक रही था ।

और उन की छुटकी बहिनिया ने वो अपने ऊँगली में लपेट कर चाट लिया।

मैं देख रही थी, मुस्करा रही थी,...

इस पलंग तोड़ पान का असर बस अब शुरू होने वाला था और दो चार घंटे तो चलता ही कम से कम, ... पान में असली चीज होती है चूना, बहुत जरा सा भी काफी है,... और मुंह के अंदर लगते ही मुंह के अंदर के म्यूकोसा में हलका सा वो काटता है, जैसे कोई रगड़ लगा जाए,, छिल जाए,... और गुड्डी रानी की प्रेम गली तो इससे सौ गुना ज्यादा छिली होगी, तो बस छिलने का असर मुंह के अंदर और जो पान का सत्त घुलता है मुंह में वो छिले हुए हिस्से से सीधे, शिराओं और धमनियों में, फिर मस्तिष्क में,... सोच नयी, वर्जिन विद वियाग्रा या हिन्दुस्तानी उदहारण दूँ तो कातिक की कुतिया जैसे गर्मायी रहती है, बस उससे भी दो हाथ आगे.



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और पान में क्या क्या पड़ा था ये तो मंजू, गीता की माँ किसी को नहीं बताती, हाँ जहाँ से लाती है ये खास पान, उसमें कुछ अपना भी,,... उसने मुझसे खुद कहा कितनी भी चुदी थकी चिल्लाती लौंडिया हो बस पांच मिनट ये पान उसके मुंह में घुल जाए,... ,

और फिर ये मेरे सैंया, मेरी ननदिया के रसिया,...

आज चुम्मा भी एकदम पागल की तरह ले रहे थे अपनी बहिनिया का, दस जगहों पर होंठ उन्होंने चूसते हुए काटा होगा, और दुल्हन का तो सुहागरात में यही आभूषण है,.. चुदती तो सब हैं ( उनकी माँ बहने भाई भेजते इसी लिए हैं, बिदा होके बेटी, बहन दिन में पंहुचे और रात में उसकी टाँगे उठ जाएँ )

पर नुचती कितनी है हैं उसी से लगता है की सुहागरात कितनी गरम थी, तो बस उन कटे हुए होंठों से भी होकर पान का रस गुड्डी रानी के अंदर,...

फिर आज तो एकदम ये डीप किस ले रहे थे, दो बार चोदने और चुदने के बाद जल्दी तो किसी को थी नहीं,...


तो बस इन्होने अपनी जीभ भी भी अपनी बहन, मेरे ननद के मुंह पे ठेल बल्कि पेल दिया था,... जहाँ वो डबल जोड़ा पलंग तोड़ पान का रिस रहा था था और फिर पांच मिनट क्या सात आठ मिनट तक भाई बहन की टंग फाइट ही चलती रही, और पान का मादक रस , मुंह के अंदर चूने से छिली जगह, होंठों पर सैंया मेरा मतलब भैया की काटी जगह से गुड्डी रानी के अंदर,... उसकी आँखों से चेहरे से लग रहा था खूब मस्त हो रही है, गरमा रही है,...

फिर वो अपने भैया के ऊपर चढ़ के, अपने मुंह से लार की तरह टपका टपका के पान की पीक अपने भैया के गौरेया की तरह खुले मुँह के अंदर एक धागे की तरह , धीरे धीरे,...


ये बात भी मंजू बाई ने मुझे बताई थी मरद पे असली असर तब पड़ता है जब गोरी आठ दस मिनट अपने मुंह में रचा बसा लेती है और उस का असर मर्द को एकदम पागल बना देता है बस उस का एक मन करता है, स्साली को पटक के चोद दें,...

और गुड्डी तो पक्की शरारती, जब से जोबना आने शुरू हुए थे तभी से लाइन मार रही थी अपने भाई को , ..



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लेकिन ये तो महा बुद्धू,...

पर अब ये एकदम बदल गए थे, ... गुड्डी इनके ऊपर सिर्फ चढ़ी नहीं थी बल्कि अपने छोट छोट जुबना इनकी चौड़ी छाती पे रगड़ रही थी, पान का असर शुरू होगया था, वो मद में डूबी टीनेजर अभी अभी फटी चुनमुनिया जो दर्द से चूर थी, अभी भी खून की बंदे लिपटी लिथड़ी थी,... उस प्यारी प्यारी गुलाबो को जिसकी सिर्फ एक झलक पाने के सारे शहर के लौंडे कुर्बान थे, अपने भैया के खूंटे पे रगड़ रही थी,... और वो थोड़ा सोया ज्यादा जागा एकदम तनतना के उठ खड़ा हुआ,...

थोड़ी ही देर में वो ऊपर और गुड्डी फिर नीचे , और उसके बाद जो होना था वही हुआ ,वो अंदर ,..



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गौरेया जो अबतक बहुत चहक रही थी ,चीख उठी पहले ही धक्के में।

मैंने टीवी का वॉल्यूम थोड़ा कम कर दिया

लेकिन उनका दूसरा धक्का और गुड्डी की कानफाड़ने वाली चीख एक बार फिर से ,... मैं समझ गयी गीता की शरारत ,... उसने भले ही परदे बंद किये होंगे लेकिन कोई खिड़की खुली छोड़ दी थी थोड़ी , जिससे होकर गुड्डी रानी की चीखें ,... यानी जब रात में फटी उस टीनेजर की ,तो सच में दूर दूर तक ,

टीवी मैंने म्यूट ही रहने दिया , एक के बाद एक चीखें , अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,

यही तो मैं चाहती थी, बस ऐसी ही कुटाई ऐसी जबरदस्त की जिंदगी भर याद रखे,... एकदम मेरे मन की बात,

सच में जो बिन समझे मन की बात की समझ जाए, बिन बिन बोले मन की बात करे,... वही है साजन मेरा,... बहुत प्यार उमड़ रहा था मेरा उनके ऊपर, इस कुँवारी टीनेजर को देख के सोच के जो फैंटेसी मेरे मन में उभरती थी वो सब आज पूरी हो रही है , साथ में एच डी क्वालिटी में रिकार्डिंग,... एक एक पल की,...

खूब रगड़ता दरेरता फाड़ता, उस जस्ट फटी छिली झिल्ली को घिसता, ... वो आठ इंच का खूंटा, मेरी कलाई से बीयर कैन से भी मोटा और हर धक्के में आलमोस्ट पूरा निकाल के जब वो पेलते तो सीधे जड़ तक, ... जैसे ही घुसना शुरू करता मेरी ननदिया की कान फाडू चीखें कमरे को पार कर के निकलती



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और जब मोटा सुपाड़ा उस स्साली के बच्चेदानी पे पूरी ताकत से ठोकर मारता तो उसकी पूरी देह काँप जाती,... एकदम उसे दुहरी कर के जैसे उसके घुटने उसके चेहरे को छू रहे हों, दोनों हाथों से कुछ देर तक तो उसके छोटे छोटे चूतड़ों कप पकड़ के, फिर पतली कमरिया को बिना रुके, गिन के सौ धक्के तो मारे होंगे ही उन्होंने,...

मैं बीच बीच में सामने लगी दीवाल घडी देख रही थी पूरे दस मिनट तक बिना रुके , और दस मिनट तक वो चीखती रही, बिसूरती रही हाथ गोड़ जोड़ती रही, पर आज उसके भैया पर कोई असर नहीं हो रहा था चोद चोद के , क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा,

और जो रुके भी तो मैं मुस्कराने लगी उनकी बदमाशी देख के , सच में उनकी सास ने पंद्रह दिन में एक दम मस्त ट्रेनिंग दी थी,... एक तो लगातार उन्हें मादरचोद बहन चोद बोल के उनसे ही उनकी माँ बहन को रोज दस दस गाली दिन में दस बाद दिलवा के सब झिझक ख़तम कर दी थी और उसके बाद एक से एक ट्रिक,... बस वही सीखा हुआ, उनका मोटा पिस्टन उनकी बहन की बुर में जड़ तक धंसा, फट रही होगी स्साली की दर्द के मारे,...

और अब वो लंड के जड़ से उसकी क्लिट रगड़ रहे थे, ... पहले धीरे धीरे फिर जोर जोर से,...



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और साथ में जिस तरह से वो उस छिनार की चूँची मसल रहे थे ... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,

" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय

अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।


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जोड़ा पलंग तोड़ पान का





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... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,

" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय

अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।

वो मजे से पागल भी हो रही थी और दर्द से चिल्ला भी रही थी और अब तो उसकी चूँचिया रोज इसी तरह मसली जाएंगी , ननद रानी के जोबन छिपाने के दिन ख़तम हो गए, जोबन लुटाने के दिन आ गए,... दो चार दिन तो सिर्फ मेरे सैंया और उसके बाद,... लम्बी लाइन लगेगी,...

मिजने मसलने के साथ वो चूस भी रहे थे निपल और रह रह के काट भी लेते,



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वो भी ननद की टेनिस बाल साइज चूँचियों के ऊपर के हिस्से पे , बस अब तो कपडे पहनने के बाद भी हफ़्तों ये निशान दिखने वाले थे, भरे बाजार में, कोचिंग में,... और जैसे ही उनके दांत लगते , चीख और तेज से गूँज जाती,

" भैया काटो मत, प्लीज इत्ती जोर से नहीं,... "



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लेकिन जैसे कोई तूफ़ान थम के धीमे धीमे हलकी हवाओं में बदल जाये , बस उसी तरह उन्होंने हलके हलके ,... धक्के अब धीमे हो गए थे रात भर की तूफानी चुदाई के बाद अब उन्हें कोई जल्दी भी नहीं थी गुड्डी भी न , ... थोड़ी देर में उन्होंने थोड़ा सहारा दिया , और वो उनकी गोद में बैठी , खूंटा पूरा अंदर धंसा।

अब वो कुछ नहीं कर रहे थे ,उनकी ममेरी बहन ही ,कभी उनकी छाती पे अपने नए नए आये जोबन रगड़ती तो कभी हलके से उनके गाल चूम लेती।

पलंग तोड़ पान का रस उसके अंदर अच्छी तरह घुल चुका था।

वो हलके हलके धक्के मारते तो तो वो किशोरी भी उनका साथ देने की कोशिश करती। और खुद अपनी कच्ची अमिया उसने अपने भइया के मुंह में दे दी। अपने दोनों हाथों से गुड्डी ने उनका सर कस के पकड़ रखा था , जैसे कह रहे हो भैय्या तू बहुत तड़पा है न ले ले ,मन भर के ले। वो भी प्यार से धीरे धीरे उसकी कच्ची अमिया कुतर रहे थे। कभी दांत कस के लग जाता तो वो चीख उठती

और म्यूट होने के बाद भी चीख सीधे मेरे कमरे में , और ये चीख आस पास भी ,..

पर मेरी ननद ,... उस ने मुड़ कर बचा हुआ जोड़ा पलंग तोड़ पान का उठा लिया और अबकी पूरा का पूरा अपने मुंह में ,

वो गुड्डी की कच्ची अमिया कुतर रहे थे और वो मस्ती में भरने वाले पान को ,


लेकिन अकेले नहीं खाया उस शरारती शोख ने , थोड़ी देर में जैसे ही उन्होंने अपना मुंह उसके जोबना पर हटाया , एक बार गुड्डी के हाथों ने उनके सर को जोर से पकड़ कर दबोच लिया और गुड्डी के होंठ ,अपने भैय्या के होंठों पर , ... उनका मुंह खुल गया , और कुचला ,अधखाया ,उनकी ममेरी बहन के थूक में लिसड़ा पान ,पान का रस ,सीधे गुड्डी के मुंह से उनके मुंह में ,

और गुड्डी ने अबकी अपनी जीभ भी ठेल दी , दोनो के शरीर एक दुसरे में गुथे लिपटे , होंठ चिपके हुए ,जीभ गुड्डी की उनके मुंह में ,गुड्डी के दोनों हाथ उनके सर को दबोचे

मेरे साजन की टीनेजर बहन, गुड्डी उनकी गोद में बैठी थी, ठसके से,... और दोनों के मुंह आपस में चिपके, जीभ अंदर घुसी। पलंग तोड़ पान का रस धीरे धीरे ढलती रात की तरह दोनों के मुंह में घुल रहा था, और साथ ही उन दोनों की शरम झिझक रिश्तों की हिचक भी घुल रही थी, ... भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की चूत में जड़ तक धंसा था,... और यही नजारा देखने के लिए तो मैं तड़प रही थी,...




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सामने दो दो मीठे मीठे लड्डू हों तो ललचाते होंठ कब तक दूर रह पाते और कचकच्चा के भैया ने अपनी बहना की छोटी छोटी चूँची कुतर ली. ये कच्ची अमिया स्साली तो आती ही हैं कुतरी जाने के लिए,... और ये भी न जाने कब से तरस रहे थे इन्ही कच्ची अमियों के लिए ,...

वो चीख रही थी, चिल्ला रही थी जैसे ही उसके भैया का दांत लगता और गीता ने चालाकी से जो खिड़कियां हलकी हलकी खुली छोड़ दी थीं , उनसे ये चीखें निकल के आस पड़ोस में भी,...

और कुतर भी कैसे रहे थे, निप्स के चारो और दांतों के निशान की माला सी बन गयी थी,... जब वो नहाएगी, कपडे बदलेगी,... तो देख के लजा जायेगी, गरमाएगी और उसकी बिल भैया के लिया पनिया जायेगी,... और साथ में,...



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उनकी सास ने जबरदस्त ट्रेनिंग दी थी, सारे गाढ़े पक्के निशान उन छोटे छोटे उरोजों के एकदम ऊपरी हिस्से पे,... हफ्ते भर तक तो ये निशान उसके भैया के जाने वाले नहीं थे और एकदम ऊपरी हिस्से में तो चाहे चोली पहनती या टॉप साफ साफ़ दिखते,...

पर दर्द के मारे भले ननद रानी की जान निकल रही थी,... मस्ती के मारे भी उनकी हालत खराब थी,... और अब वो अपने होंठों से कभी भैया के बाल चूमती तो कभी दोनों हाथों से कस के उनके सर को पकड़ के अपनी और खींचती तो कभी साथ साथ अपनी छोटी छोटी चूँचियाँ मेरे सैंया और अपने भैया के मुंह में ठेल देती,... पेल देती,... आधी से ज्यादा उनके मुंह में,... उनकी गोद में

बस वो मस्ती में बेबस अपनी टीनेजर बहन को गोद में बिठाये बिठाये चोद रहे थे,... दो बार की मलाई उसकी बुर में भरी पड़ी थी,...

इसलिए लंड सटासट, ...सटासट,... धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा था , लेकिन वो धक्के नहीं मार रहे थे जोर जोर से , बस कभी अपनी गोद में बैठी अपनी बहना गुड्डी को आगे पीछे करते, और मोटा खूंटा उस कसी चूत ( जो अभी थोड़ी देर पहले ही फटी थी ) की हर दीवाल से रगड़ रही थी. और वो भी गोद में बैठी बैठी अपने भैया से चुदवाने का मजा ले रही थी लेकिन कुछ देर में उनका एक हाथ गुड्डी के जोबन को रगड़ता मसलता और दूसरा उसके मस्त किशोर नितम्बो पर , उनका कामदण्ड उनकी बहन के अंदर धंसा और झूले की पेंगो की तरह , धक्के मारते हुए



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कुछ पान में घुली मस्ती का असर, गुड्डी ने कमान अब अपने हाथ में ले ली थी बस वो अपने भइया को मज़ा दे रही थी उसके लंड का मज़ा ले रही थी, कौन कहा सकता है उसे देख के की मेरी ननदिया इनकी बहिनिया आज पहली बार चुद रही थी, ...

कभी अपने छोटे छोटे जोबन अपने भैया के सीने में गुड्डी रगड़ती, तो कभी कस के उन्हें पकडे पकडे, ऊपर नीचे हो के गुड्डी अपने भैया के मोटे मूसल के ऊपर उछल के चोद रही थी, एकदम काम रस में डूबी,....


पल भर के लिए मेरी निगाह इधर उधर हुयी , कोई व्हाट्सएप मेसेज आया या किसी ने इंस्टा पे कुछ पोस्ट किया , आप ऑनलाइन हो और पांच मिनट में लाइक न करो तो लोग बुरा मान जाते हैं फिर आपकी पोस्ट कौन लाइक करेगा, शेयर करेगा,...

और जब निगाह फिर उधर मुड़ी , तो मैं बिन मुस्कराये नहीं रह सकी,... दोनों भाई बहन लेटे, अलग अलग नहीं साइड साइड एक दूसरे के आमने सामने और एकदम चिपके,... और क्या धक्के लग रहे थे

ऐसे ही गुंथे दोनों पलंग पर लेकिन साइड साइड ,




और अब धक्कों में गुड्डी भी साथ दे रही थी , बल्कि वही कस के धक्के लगा रही थी , ये पक्का उस पान का असर था जो उसके मुंह में घुल रहा था मंजू ने सच कहा था मुझसे की जोड़ा पान का एक भी खा ले तो कातिक की कुतिया झूठ ऐसे गर्माएगी,.. और एक दो बार की चुदाई से चूत की आग ठंडी नहीं होगी और मेरी ननद ने तो दोनों पान खाये थे,...



ये कस के उसके छोटे छोटे चूतड़ पकडे, और फिर उन्होंने भी धक्को का जवाब धक्कों से,... मेरी निगाह एक बार घड़ी की तरफ पड़ी पौने चार बज रही थे , पोरे बयालीस मिनट से इस राउंड की चुदाई चल रही थी,... ननद रानी दो बार झड़ चुकी थीं,... और तभी दोनों की जोर जोर की आवाज कानों में पड़ी,...

" ले गुड्डी ले घोंट अपने भैया का लंड, ले ले ले पूरा,... "

"दे भैया दे , आज चोद दो कस के भैया,... "


सिसकियों के बीच ननद की आवाज सुनाई पड़ी,... मैं आंखे गड़ा के देख रही थी,... और इनके धक्के तूफानी हो गए थे साथ में मस्ती भरी गारियाँ उनके मुंह से , अबे और स्साले कहने में जिनकी गाँड़ फटती थी,... और अब उनके धक्क्के एकदम तूफानी हो गए थे मैं समझ गए थे वो बस अब झड़ने वाले हैं गुड्डी ने कस के उन्हें भींच लिया और उसकी चूत भी कस के सिकुड़ रही थी अपने भैया के लंड को अंदर दबोच रही थी,

गुड्डी ने झड़ना शुरू किया और साथ में उसके भैया भी,...




कस के उन्होंने अपनी बहन को दबोच रखा था, लंड अंदर पेल रखा था जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाये और गुड्डी भी दुबकी जैसे चूत की अंजुरी में एक एक बूँद रोप लेना चाहती हो

मैं आँख गड़ा के देख रही थी , थोड़ी देर बाद पहले एक बूँद, फिर पतली सी धार, रेंगती सरकती वीर्य की, ...भैया के वीर्य की बहन की बुर से,... बहन की चिकनी रेशमी जाँघों से होती हुयी , खून और वीर्य से सनी चद्दर पर दबे कुचले चांदनी और बेला चमेली के लाल सफ़ेद फूलों के बीच खो गई,



जलती हुई मोमबत्तियां आधी हो हो गई थीं,... घड़ी की टनटनाहट ने मेरा ध्यान बंटाया,..चार बज गए थे ये तीन बार अपनी बहिन की बुर में झड़ चुके थे,...




दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...
 
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साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी,..सुना है तेरी महफ़िल में आज रतजगा है ,






दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...

नींद तो मुझे भी आ रही थी लेकिन आज की रात सोने की नहीं थी,... मैं एक बार फिर किचेन की ओर,...

अब अगले आधे घंटे तक तो कुछ होना नहीं था और अभी भी साढ़े पांच घंटे पूरे बचे थे,... दोनों के पास,... गीता साढ़े नौ के पहले तो कमरे का ताला नहीं ही खोलती,...

मम्मी का फोन भी आया , बड़ी खुश,... मुझसे नहीं अपने दामाद से,... वो लाइव शो देख रही थी और उन्होंने भविष्यवाणी कर दी,...

"उनका दमाद एकदम आज्ञाकारी है , और जिस तरह वो अपनी बहन चोद रहा है उससे भी हचक हचक के अपनी माँ,... मेरी सास और अपनी सास की समधन को चोदेगा और वो सीन हम माँ बेटी स्क्रीन पे नहीं देखेंगी एकदम अपनी आँखों के सामने और मम्मी तो उकसाएंगी भी गरियायेंगी भी,... बस हफते भर की बात , मम्मी खुद जा के अपनी समधन को ले आएंगी और एक बार यहां आने के बाद तो , बस जो मैं और मम्मी चाहेंगे,"




जैसे बस अब एक बार इनकी बहन आ गयी है तो बस जैसा मैं चाहूंगी,..

मैं काफी पीते हुए गुनगनाते हुए लौटी,

"
साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी,.. नींद नहीं आएगी, सुना है तेरी महफ़िल में आज रतजगा है ,

आँखों ही आँखों में रात गुजर जायेगी, सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है, ... साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी,...

साकी है और शाम भी, उल्फत का ज़ाम भी हो तक़दीर है उसी की जो इनसे ले काम भी,

रंग महफ़िल है आज रात भर के लिए , सोचना क्या है सहर के लिए,...


तेरा चेहरा है तेरा जलवा है और,...



और ननद मेरी जलवा दिखा रही थीं,... और जबरदस्त दिखा रही थीं,... साढ़े चार बज रहे थे, सुबह अभी थोड़ी दूर थी,... और गुड्डी झुकी हुयी, निहुरी हुयी अपने भैया लंड चूस रही थी, सिर्फ सुपाड़ा मुंह के अंदर था लेकिन कोमल मुट्ठी लंड के बेस पे और बहुत हलके हलके मुट्ठ नहीं मार रही थीं, बस सहला रही थीं,...



साढ़े चार बजने वाले थे

ये हलके से थके लग रहे थे, पिछले छह सात घंटे से लगातार,.... लेकिन ननद रानी एकदम मस्ता रही थीं, .... और चौथा राउंड शुरू हो गया था

कोई भी मरद हो, अगर एक टीनेजर बहन इस तरह से झुक के खूंटा मुंह में ले के चूसेगी, चुभलायेगी ,... तो पागल हो जाएगा , बस चाहेगा पटक के चोद दे स्साली को,...




पर इस समय ननद मेरी छिनरपन पे उतारू थी,... जब वो एकदम पागल हो गए मस्ती से, तो बस उनकी ओर पीठ कर के लेट गई. करवट,...


न पीठ के बल न पेट के और न उनकी ओर मुंह कर के, बल्कि पीठ कर के,...ये सोच के की अब गुड्डी चुदने से बच गयी,... लेकिन जब वो हमारे साथ कार में बैठी थी यभी से उसकी लिख गयी थी अब तो कोई रात बिन मूसल के उसकी चूत को आराम नहीं मिलाना

पर बदमाश, खिलखिलाते हुए अपने चूतड़ सेउनके फनफनाते हुए मोटे खूंटे को रगड़ रही थी, ये सोच सोच के की भैया अब इधर से तो हमला कर नहीं सकते

और मैं मुस्करा रही थी उस पगली को क्या मालूम अब उसके भैया पहले वाले नहीं रहें अब मेरे सैंया और उससे भी बढ़ के मेरी मम्मी के दामाद हो गए है और ८४ आसन के एक्सपर्ट,... कितनी आसानी से उस की कसी चूत चोद के चिथड़ा कर देंगे उस बेचारी को नहीं मालूम था, और उन के तरकस में एक से एक तीर हैं,


पहले तो एक हाथ से उन्होंने अपनी किशोरी बहन के मस्त जोबन को पीछे से ही पकड़ के दबाना रगड़ना शुरू किया, और दूसरे हाथ से उसकी चिकनी जांघ को सहलाना शुरू किया,... वो पिघलने लगी, झटके से ही उन्होंने उसी हाथ से उसकी ऊपर वाली टांग को फैलाया उठाया और पीछे से ही सेट करके उसकी चूत में पूरी ताकत से पेल दिया और



गच्चाक,...गच्च से मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया, और बहन की चूत ने उसे दबोच लिया,


अब एक बार लंड घुस गया था तो निकलने का सवाल नहीं था,... बस एक हाथ से उन्होंने गुड्डी की जांघों को पकड़ के कस के एक पैर उठा लिया , वो अभी भी साइड से ही लेटी थी उन की ओर पीठ किये लेकिन क्योंकि एक पैर उठा हुआ था चूत खुल गयी थी




और लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था, साथ में चूँची भी मसली जा रही थी,...

बहुत अच्छा लग रहा देखने में, बहन के पीछे से भाई धंसा हुआ,... उसने बहुत तड़पाया था उनके लंड पे अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ के अब उनकी बारी थी, उन्होंने आधे घुसे लंड को अंदर छोड़ के धक्के मारने बंद कर दिए,...


वो आग से सुलग रही थी, उसने खुद ही कमर आगे पीछे कर के धक्के मारने शुरू कर दिए अपने भैया का लंड अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया,... उसके भैया का लंड रगड़ता सटकता अंदर जा रहा कभी बाहर निकलता,... लेकिन इस पोज में आधे तिहे से ज्यादा घुसना मुश्किल से घुस पा रहा था,




उन्होंने पलटा खाया और अब बहन उनकी पीठ के बल लेटी थी, चुदवासी, मस्त लंड के लिए दीवानी,...

यही तो मैं चाहती थी की ये इतनी बड़ी छिनार हो पूरे शहर में मशहूर खुद रोज नए नए लंड खोजे,... किस दिन दो चार से कम न खाये,...


और ये बैठे थे, एक पैर इनका फर्श पे दूसरा बिस्तर, पूरी ताकत से उन्होंने अपनी बहिनिया को अपने लंड पे खींचा और लगे धक्के कस के मारने ,

एक पैर जो उन्होंने फर्श पे रखा तो धक्के अब पूरी ताकत से लग रहे थे और वो छिनार, गुड्डी भी उसी तरह से उछल उछल के अपने भैया का लंड अपनी कसी चूत में घोंट रही थी, साथ में कभी कभी वो कस के गुड्डी क्लिट रगड़ दे रहे थे,... वो कांपने लगी, ... मैं समझ रही थी की बस अब वो झड़ने वाली है, पूरी देह मथ रही थी , अपने चूतड़ पटक रही थी,... बस पांच छह धक्कों की बात थी,...


लेकिन मेरे साजन ने धक्के रोक दिए,...



कुछ देर तक तो उसने बर्दास्त किया,... फिर शर्म लाज छोड़ के बोल पड़ी, गुड्डी,...

" करो न भैया,... "

" क्या करूँ " ... उन्होंने छेड़ा,...
 
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" करो न भैया,... "





लेकिन मेरे साजन ने धक्के रोक दिए,...

कुछ देर तक तो उसने बर्दास्त किया,... फिर शर्म लाज छोड़ के बोल पड़ी, गुड्डी,...

" करो न भैया,... "


" क्या करूँ " ... उन्होंने छेड़ा,...

वो हलके से मुस्करायी कुछ गुस्से में कुछ प्यार से बोली,...

" जो अबतक कर रहे थे,... "




उफ़ मैं सोच रही थी बस अब उन्हें करना नहीं चाहिए, और तड़पाना चाहिए स्साली को , खुल के अपने मुंह से जब तक न बोले न छिनार लंड न मांगे अपने भाई से तब तक,... मैं होती पास में न तो जरूर इनके कान में बोल के, इशारे से पर वो क्या कहते है न टेलीपैथी, ... बस वही,... और बिन बोले सजनी की बात साजन न समझे तो साजन क्या,.. लेकिन दूर से बिन देखे भी पर हुआ वही,...

कस के उसके निपल पे उन्होंने चिकोटी काटी और चिढ़ाया ,



" बोल न गुड्डी क्या कर रहा था मैं, बोल न,..."

वो समझ गयी चुदवाना है तो बोलना पडेगा,... और उसके बिना, फिर कुछ उस पान का असर कुछ रात भर से चल रहे मूसल का, .... थोड़ा हिचकिचा के बोली,..

" जो अबतक कर रहे थे , चोद रहे थे,... और क्या चोद न भैया , चोद, रुको नहीं प्लीज़,... "


मैं टीवी पर देख रही थी पर मन यही कर रहा था , अभी नहीं बस थोड़ा सा और,... और उन्होंने मेरी मन की बात सुन ली,... और वो बोले

" किसको चोदू, गुड्डी यार मेरी बहन साफ़ साफ़ बोल न,... "

अब वो एकदम बिफर पड़ी, खुद चूतड़ उठा के धक्के मारने की कोशिश करते बोली,


" और किसको चोदेगा, अरे मुझे गुड्डी को अपनी बहन को चोद,... इत्ते दिन से चुदवाने के लिए तड़प रही हूँ ,....अपनी बहन को नहीं तो क्या अपनी महतारी को चोदोगे, अबे स्साले चोद दोना उसको भी,... मुझे फरक नहीं पडेगा, बल्कि जरूर चोदना लेकिन अभी तो अपनी बहन चोद स्साले, ... "



बस बस यही तो मैं सुनना चाहती थी,... और उन्होंने भी बस अपना मोटा मूसल सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक धक्के में पूरा ठोंक दिया बच्चेदानी तक फिर लेकिन दूसरा धक्का नहीं मारा बस लंड के बेस से उसकी क्लिट रगड़ते रहे,...

" अरे तेरी ऐसी बहन हो तो चोदना पाप है , ले घोंट अपने भाई का लंड, ... घोंट पूरा , भाई चोद ले,.... "



बस गुड्डी ने झड़ना शुरू कर दिया और वो उसी तरह लंड के बेस क्लिट पे रगड़ते रहे जबतक वो झड़ती रही , दो चार मिनट तक

उसके बाद उसे दुहर कर क्या धक्के मारे अगले बीस मिनट तक बिना रुके और साथ में दोनों एक से एक गन्दी गालियां,....



जब वो झड़े अपनी भीं के बिल में थोड़ी देर पहले ही पांच का घंटा बजा था, वो उसके ऊपर चढ़े दबोचे

हलकी हलकी लालिमा आसमान में छा रही थी ,

बाहर किसी मुर्गे ने बांग दी ,अंदर उनका मुरगा बांग दे रहा था , अपनी बहनिया के बिल में ,

झड़ने के बाद जैसे कोई कटा पेड़ गिरे वो अपनी बहन के अंदर उसके ऊपर, चढ़े, उसी तरह बड़ी देर तक,... जैसे चार बार चोदने और हर बार कटोरी भर मलाई छोड़ने के बाद अब वो हिलने की हालत में न हों,...

और बहन उनकी,... गुड्डी रानी की हालत तो और खराब,... चोदने के साथ साथ जिस तरह से उन्होंने उसे चूसा था, काटा था, रगड़ा था,... पूरी देह, ... कोई जगह न बची थीं जहाँ उनके निशान न हों होंठ चूस चूस के काट काट के, निचला होंठ हल्का सा जैसे फूल गया था, जगह जगह दांत के निशान ,... गालों पे भी पहले वो उस गोरी के गुलाबी गाल ले के मुंह में देर तक चूसते थे फिर मुंह में लिए लिए वहीं पर हलके से दांत का निशान,... और चोदते समय जहाँ जहाँ हलके हलके निशान थे उसी को मुंह में ले के कचकचा के काटते थे, एक बार दो बार पांच बार एक ही जगह पर,...



वो चीखती थी, चिल्लाती थी चूतड़ पटकती थी लेकिन उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था,... और जितना चिल्लाती थी उनकी बहन गुड्डी उतने ही जोर से और,... गाल पर तो दसों जगह निशान,... फिर नाखूनों के निशान जोबन पर खरोंचे चूतड़ों पर,...



अब वो एकदम थकी लग रही थी , पान का असर भी कम हो रहा था,... पूरी जांघ पर अभी भी खून और वीर्य के दाग,...ऐसी थेथर लग रही थी की अब हिल भी नहीं पाएगी,...



विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...

प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी , कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...

बस थोड़ी देर में,...

और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...
 
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प्रत्युषा




विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...

प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी ,





कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...

बस थोड़ी देर में,...

और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...

बहन की बिल में घुसा भाई का मुर्गा भी बांग देने लगा था, ...

कोई मुझसे पूछे , सुबह के समय तो इनका मुर्गा जरूर बांग देता था , मैं सोती रहती थी ये पीछे से पकडे रहते थे मैं कुनमुनाती रहती थी




और ये पीछे से सेंध लगा देते थे बस मैं टांग थोड़ा सा उठा देती थी अपनी तो इन्हे धँसाने की पूरी जगह, और पीछे से ही ,...



और ये हालत सिर्फ मेरी नहीं थी टाउनशिप में दस में से मेरी आठ सहेलियों के साथ यही होता था रोज बिना नागा, साजन के साथ गुड मॉर्निंग,... और दो वहीँ बचती थीं जिनका मरद कहीं टूर पे गया हो या पांच दिन वाली छुट्टी चल रही हो , और इसलि सजा भी पति को मिलती थी,... गुड मॉर्निंग के बाद कौन उठने की हालत में रहता तो बेड पे बेड टी लाने का काम हबी का ही, सिर्फ मेरे साथ नहीं सबके साथ,...

मैं भी न अपनी बात ले बैठी,...

ये स्साली मेरी ननद भी एकदम मेरी बाकी ससुराल वालियों की तरह पक्की छिनार चुदवासी रहेंगी पर नखड़ा पेलेंगी,...

तो वो भी जब उसे लगा बस अब कुटाई शुरू होने वाली है,... बस हँसते खिलखिलाते हलके से इन्हे धक्का दिया और पेट के बल लेट गयी और इनकी ओर देख के इन्हे चिढ़ाने लगी ,...

लेकिन उसके क्या मालूम था मैं उसे लायी ही उसे इसी लिए हूँ ,... अभी कुछ दिन तक तो मेरे साजन नंबर लगाएंगे उसके बाद तो,... मैं मुस्करा पड़ी ,...

इनकी हरकत देख के ,... उन्होंने बिस्तर पर के सब तकिये कुशन उस किशोरी के पेट के नीचे लगा दिए,... सुबह तो मरद का इतना जबरदस्त खड़ा होता है ,... तो बस पीछे से दोनों जाँघे फैला के सीधे बिल में मूसल घुसा दिए, और घचा घच



कुछ देर में एकदम थकी पस्त ननद भी नीचे से चूतड़ हिलाने लगी,... फिर क्या था हचक के उन्होंने चोदना शुरू कर दिया, ननद कभी चीखती कभी सिसकती और अब ये आवाजें बाहर खुल के जा रही थीं,... पर किसी को फरक नहीं पड़ रहा था,...

कुछ देर में घुसाए घुसाए उन्होंने गुड्डी को पलट दिया और अब एक बार फिर वो नीचे उसकी दोनों टाँगे इनके कंधे पर,... जब दोनों झड़े तो मेरा अलार्म बजा,



ऊप्स मैं अलार्म बंद करना भूल गई थी,

सात बजकर चौदह मिनट ये अलार्म इनके मायके में मैंने सेट किया था , यहाँ तो गुड मॉर्निंग यही कराते थे,... और उसी समय ये पांचवी बार मेरी ननद की बिल में मलाई भर रहे थे,... पहले का उनका वीर्य अब गुड्डी की जाँघों पर चूतड़ पे चद्दर पे सूख चुका था,...

मैं थोड़ी देर में एक बार फिर किचेन में थी काफी का मग रखने,... मैंने खिड़की खोली , धूप दस्तक दे रही थी , एक नन्हा सा टुकड़ा, खिलंदड़ा उछलता कूदता अंदर घुस गया,...
 
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komaalrani

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सुबह सबेरे




सात बजकर चौदह मिनट ये अलार्म इनके मायके में मैंने सेट किया था , यहाँ तो गुड मॉर्निंग यही कराते थे,... और उसी समय ये पांचवी बार मेरी ननद की बिल में मलाई भर रहे थे,... पहले का उनका वीर्य अब गुड्डी की जाँघों पर चूतड़ पे चद्दर पे सूख चुका था,...

मैं थोड़ी देर में एक बार फिर किचेन में थी काफी का मग रखने,... मैंने खिड़की खोली , धूप दस्तक दे रही थी , एक नन्हा सा टुकड़ा, खिलंदड़ा उछलता कूदता अंदर घुस गया,...

मोबाइल में मैंने,..सुबह सुबह आधे दर्जन से ज्यादा गुड मार्निग आ जाते थे, कुछ फार्वर्डेड कुछ गैलरी में से निकाल के गुलाब के फूल चिपकाए,... मैंने भी वही किया एक फूल दूसरे को चिपका के जवाब दे दिया कहीं हाथ जोड़ा कहीं अंगूठा,...

साढ़े सात तक जब मैं अपने कमरे में वापस आयी तो दोनों एक दूसरे से गुथे पर किसी की हालत हिलने की भी नहीं लग रही थी, ... मुझे लग रहा था शायद ये ये आखिरी राउंड हो , ... पांच बार मूसल चला , बल्कि चला तो सारी रात, ये पांच बार झड़े, वो तो बारह चौदह बार ,... और कोई मुझसे पूछे एक बार झड़ती थी तो पूरी देह निचुड़ जाती थी बस उस समय मन करता था न कोई बोले न छूये,

कुछ देर तक तो दोनों एकदम शिथिल पड़े, बस एक दूसरे के हाथ को पकडे,... गुड्डी की देह तो बिस्तर पर पड़े सुहागरात के फूलों से भी ज्यादा कुचली मसली लग रही थी, लग रहा था मिक्सी में डाल के किसी ने उसे निचोड़ लिया है,... पूरी देह पर रात भर उसे भैया से जो कुश्ती हुयी थी उसके निशान थे, दांतों के नाखूनों के, रगड़े जाने के, ... जगह जगह उसकी गोरी गुलाबी देह रगड़ रगड़ के लाल हो गयी,...

चूत रानी तो पहचानी नहीं जा रही थीं,




जब गयीं कल रात में तो एकदम चिपकी कसी, चिकनी गुलाबी मक्खन, गुलाब की पंखुड़ियों से भी कोमल, दोनों फांके एक दूसरे को कस के पकडे जकड़े जैसे खुलेंगी ही नहीं कभी, अलग ही नहीं होंगी,...



पर आज खुली खुली सी दरार, और उस में बजबजाती रात भर की गाढ़ी मलाई,..अभी भी बूँद बूँद कर के बाहर चू रही थी, जाँघों पर लिथड़ी,... सफ़ेद चादर पर, फूलों पर फैली और साथ में रात का हुआ खून खच्चर, चूत के आसपास अभी भी कुछ खून के धब्बे सूखे,... रात की कहानी कह रहे थे,...

रात भर की थकी चुदी, मेरी ननद रानी,...

लेकिन अब उसकी तो हर रात ही ऐसी बीतनी थी,...

पर मैं भी आज तीसरी रात रतजगा कर रहे थी बार बार आँखों के पपोटे बंद हो रहे थे, पल भर के लिए मैंने पलके बंद की, नहीं सोई नहीं, बस ननद रानी और इनकी मायकेवालीयो के बारे में सोच रही थी,...

अभी तो मेरी सासू रानी बची थीं और उनका हांका कर के मम्मी खुद ले आएँगी अपने सामने अपनी समधन के ऊपर अपने दमाद को चढ़ायेंगी, अपने हाथ से अपने दामाद का खूंटा पकड़ के उनकी माँ के भोंसडे में,... .. हाँ लेकिन मेरे सामने ही, ..




और उन्होंने मंजू बाई के साथ मिल के क्या क्या प्लांनिंग बनायीं है,... और अब तो जेठानी जी ने भी ग्रीन सिंग्नल दे दिया है उनकी सास जितने दिन हमारे यहाँ रहें उन्हें कोई परेशानी नहीं है,.... फिर तो,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर उन के बेटे से हल चलवाउंगी अपने सामने,....



मेरी कोई सगी ननद नहीं है यही अफ़सोस है लेकिन ये गुड्डी सगी से बढ़कर,... और चचेरी, फुफेरी की तो कमी नहीं, कित्ती तो कच्ची कलियाँ, हाईस्कूल वाली,... गुड्डी से भी छोटी,... सब के शलवार का नाडा इन्ही से खुलवाउंगी,...




लेकिन इनकी माँ के बाद मिसेज मोइत्रा और उनके दोनों रसगुल्ले,...

और जब मेरी आँख खुली तो मैं घबड़ा गयी , घड़ी बाई सवा आठ का टाइम बता रही थीं बस थोड़ी देर में गीता आ रही होगी, हाँ कमरा तो इन लोगों का नौ के बाद ही खुलना है,... लेकिन क्या भाई बहन सो गए,... थक तो अच्छी तरह गए थे,...



और मैंने निगाह टीवी की ओर मोड़ दी,...

और मुस्कराने लगी,..

चुदाई चालू थी और जबरदस्त,... लेकिन बिस्तर पर नहीं थे वो,... पर गुड्डी वो इनकी टीनेजर बहन बिस्तर पर ही, .... उन्होने उसे खींच के पलंग के एकदम किनारे पे, ... चूतड़ एकदम उस स्साली के पाटी पे,... वो लेटी एकदम थकी,... पर दोनों टाँगे उठी, जाँघे फैली अपने भैया के कंधे पर और भैया उसके फर्श पे खड़े, ... लंड आधे से ज्यादा बहन की चूत में घुसा, ... और धक्के पे धक्का,... मेरी थकी हारी रात भर की चुदी ननदिया की आँखें बंद थी , मुश्किल से कोई हरकत वो कर रही थी,... जैसे बच्चे खेलते खेलते किसी गुड़िया के चिथड़े चिथड़े कर देते हैं न, एक एक अंग अलग,... बस वैसे ही लग रही थी ,...

रिकारिंग तो हो ही रही थी मैंने अपने मोबाइल पे बैक किया,... चुदाई शुरू हुए पूरे २२ मिनट हो चुके थे. और बदमाशी मेरे साजन की नहीं थी,

गुड्डी स्साली पक्की छिनार,... हिला नहीं जा रहा था,... लेकिन करवट मुड़ के इन्हे देखते हुए मुस्करा रही थी, होंठो पे जीभ फिरा रहा थी, ... आवाज नहीं निकल पा रही थी तभी बड़ी अदा से मुस्कराते बोली,...

" सो गए क्या ",... "

" नहीं तो,... तुम्हे नींद लग रही हो तो सो जा, थक गयी हो " वो प्यार दुलार से बोले,... और मारे प्यार के बहन को चिपका लिया।

मेरा सीधा साधा बालम,... पता नहीं मेरी छिनार, पैदायशी रंडी ससुरालवालियों के बीच ये कहाँ से इतने सीधे साधे,...

वो छिनार मेरी ननद बोली,...



" अरे भैया तुझसे नहीं इस से पूछ रही हूँ, इस मोटू बदमाश से, बहुत उछल कूद कर रहा था न, ... अब ऐसे सो रहा है की लगता है कई दिन की छुट्टी, बहुत थक गया है बेचारा,... अब उसके बस का,... "


 
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komaalrani

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छठवां राउंड




गुड्डी स्साली पक्की छिनार,... हिला नहीं जा रहा था,... लेकिन करवट मुड़ के इन्हे देखते हुए मुस्करा रही थी, होंठो पे जीभ फिरा रहा थी, ... आवाज नहीं निकल पा रही थी तभी बड़ी अदा से मुस्कराते बोली,...

" सो गए क्या ",... "

" नहीं तो,... तुम्हे नींद लग रही हो तो सो जा, थक गयी हो " वो प्यार दुलार से बोले,... और मारे प्यार के बहन को चिपका लिया।

मेरा सीधा साधा बालम,... पता नहीं मेरी छिनार, पैदायशी रंडी ससुरालवालियों के बीच ये कहाँ से इतने सीधे साधे,...


वो छिनार मेरी ननद बोली,... " अरे भैया तुझसे नहीं इस से पूछ रही हूँ, इस मोटू बदमाश से, बहुत उछल कूद कर रहा था न, ... अब ऐसे सो रहा है की लगता है कई दिन की छुट्टी, बहुत थक गया है बेचारा,... अब उसके बस का,... "

चिढ़ाते हुए गुड्डी न सिर्फ उनके खूंटे को देख थी थी, सच में सोया हुआ था दोनों जाँघों की तकिया लगा के दुबका,..जाहिर क. और गुड्डी ने अपनी मखमली जाँघों से उसे रगड़ के अपना इरादा जाहिर कर दिया।

गुड्डी से हिला नहीं जा रहा था लेकिन बदमाशी में,...
उसके भैया ने कस के उसे बाहों में बाँध रखा था,... हलकी हलकी धूप कमरे में पसर चुकी थी,... अब उन्होंने भी साफ़ साफ पूछ लिया,..

" क्यों मन कर रहा है , मुझे तो लगा तू बहुत,... "



उनकी बात पूरी होने के पहले ही गुड्डी ने अपने छोटे छोटे जोबन इनकी छाती पे रगड़ के अपना इरादा जाहिर कर दिया, और इन्हे चूम लिया,... और कमेंट तो उसके बाण की तरह होते थे बोली,...

" अब जाने दो ये बेचारा बहुत थक गया है, ... अब इसके बस का कुछ है नहीं,... "

बस उसके बाद उन्होंने गुड्डी को खींच के पलंग के किनारे औरक्या हचक के पेला उन्होंने लंड अपनी बहिनिया की बुर में,.... चीख स्साली की पूरे मोहल्ले में,...और अब तो दिन हो गया था,... बेचारी गुड्डी,... उसे पता नहीं था उसने गलत घर ललकार लगाई थी, उनके खूंटे को सोते से जागने में टाइम नहीं लगता था, और गियर भी ऑटोमेटिक था सीधे चौथे गियर में, फिर रात भर की मलाई थी अंदर,...

गपागप, सटासट, गपागप,




वो बेचारी रात भर की थकी, थेथर, पूरी देह दर्द में डूबी,.... और हर धक्के के साथ चीख निकलती थी,... लेकिन ललकारा भी तो उसीने था,... उन्होंने मोड़ के अपनी बहिनिया को, उस टीनेजर गुड्डी को दोहरा कर दिया था घुटने से मुड़ी हुयी और फिर पलंग के तकिये उठा के अपनी बहिनी के चूतड़ के नीचे मेरे साजन ने रख दिया, लंड पूरी तरह से जड़ तक अंदर धंसा था,... और अब दोनों हाथ दोनों जोबन पे, और एक बार फिर धक्के चालू थे,...

मारे थकान और दर्द के गुड्डी की हालत खराब थी, बीच बीच में कहर भी रही थी, लेकिन जब मैंने उसके चेहरे की ओर ध्यान दिया तो मैं मुस्करा दी,

सच्ची मेरी असली ननद थी,... मेरी ससुराल वाली पक्की,... दर्द और थकान के बीच भी जब उनका मूसल पेलते हुए गुड्डी की बच्चेदानी पे धक्का मारता था वो सिसक उठती थी, और उसका चेहरा पूरा खिल उठता था, मज़ा मस्ती से भरा हुआ,... और दोनों जोबन एकदम पथराये, निप्स एकदम टनटनाये, मस्ती की निशानी, और आठ दस धक्के मारने के बाद अगर वो जरा भी रुकते तो जिस तरह से चिढ़ाते हुए मुस्करा के वो देखती की बिन बोले मतलब साफ़ था,

" थक गए क्या "

और उसके भैया दुबारा हचक हचक के,... बोलने की क्या सिसकने की भी ताकत उसमें अब बची नहीं थी, पर थोड़ी देर में ही वो तूफ़ान में पत्ते की तरह कांपने लगी,... और उसके कुछ देर बाद ही गुड्डी के भैया, गुड्डी की बिल में ,...छठवीं बार,...

साढ़े आठ बज रहे थे,... देर तक दोनों साथ साथ,,... फिर बिना बाहर निकाले,...

गुड्डी और वो पलंग पे, ... ये अंदर तक गुड्डी के अंदर धंसे, साइड साइड अब दोनों में से किसी के अंदर हिलने डुलने की बोलने की ताकत नहीं बची थी,... गुड्डी की बिल से एक बार फिर मलाई धीरे धीरे बाहर बह रही थी,... वो कस के इनसे चिपकी,... इनका एक हाथ गुड्डी के जोबन पे और दूसरे से उसकी पीठ पकडे,...


पौने नौ बजे मैंने टीवी बंद किया,... मैं ये जानती थी की अब घंटे दो घंटे तक तो ये ,... हाँ अगर थोड़ी देर, घंटे दो घण्टे सो जायें ,.. उतना रेस्ट काफी था इन्हे रिचार्ज होने के लिए

किचेन में से खटपट की आवाज आ रही थी।

.....

गीता के पास घर की चाभी थी , और वो किचेन में थी ,

" भाभी चाय ,.. " वहीँ से उसने आवाज लगायी।

"एकदम , ले आओ यही पे " लेटे लेटे मैंने आवाज लगायी।

नौ बज गए थे , मैंने टीवी खोला और सबसे पहले फास्ट रिवाइंड ,... लास्ट राउंड आधे घंटे पहले ही ख़तम हुआ था , छठवां राउंड ,... वो तो सो गए थे लेकिन मेरी ननद अभी आधी नींद में थोड़ी अलसायी थोड़ी दर्द में डूबी , कभी सोती तो कभी करवट बदलती ,...

मैंने बगल के कमरे का हाल बंद कर दिया , और तभी गीता घुसी कमरे में चाय लेकर ,


" अभी तो आधे घंटे बचे हैं ,साढ़े नौ बजे जाउंगी नउकी भौजी का हाल चाल लेने। " गीता बोली।

"तोहरे नयकी भौजी क हाल भी ख़राब हो गयी होगी और चाल भी खराब हो गयी होगी , अपने भैय्या के नीचे आके। "



गीता बड़ी जोर से खिलखिलाई फिर बोली ,



" अरे भैया बहुत सीधे हैं ,वरना तो उसकी झांटे आने के पहले ही निहुरा के पेल दिए होते , ... "



थी तो गीता भी मेरी ननद सी ही ,मैंने चिढ़ाया ,

"अरे चल अब तो तेरे भैय्या बहनचोद हो गए न ,... "


लेकिन वो अपने भैय्या का सपोर्ट छोड़ने वाली नहीं थी ,बोली ,

"अरे आपकी ननदे ही सब पक्की भाइचोद हैं , और भैय्या हैं भी तो ऐसे ,.. फिर भौजाई तो रोजे बिना नागा मजा लेती हैं , तो कबो कबो बहिनोयो का भी ,... "

" अरे तो चलो थोड़ी देर से ही सही ,उस भाईचोद ने फड़वा तो लिया ही ,अपने भइया से ,... " मैं हंस के बोली।


" अरे अबहीं तो ,...उ का कहते हैं ,... हाँ अबहीं तो ट्रेलर भी ठीक से नहीं चला ,.. अब भाभी आप ने उस को हमरे हवाले कर दिया है न तो बस देखते जाइये ,कौन कौन चढ़ता है ,कहाँ कहाँ से कितनी बार , ... कुछ दिन बाद तो रात में उस को याद भी नहीं रहेगा आज बिल में कितने खूंटे घुसे थे , अरे ऐसी मस्त जवानी आयी है , उसकी तो मौज मस्ती तो होनी ही चाहिए ,... " गीता बोली।




मेरा जी खुश हो गया ,
 
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komaalrani

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Mja aaya...
Aur mai ye mja pure hindustan ko dena chahta hu 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
Kamal komal ji💋💋💋💋❤❤
Thanks for the comments and like.
 

komaalrani

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