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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Kamukta se bhara hua yeh update padh kar maan mantr mukt hogaya komal jiभैया भी भाभी भी
और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।
" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। " झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...
………………………
उस शोख किशोरी ने अपने होंठ खोल दिए थे और मेरे निचले होंठ , सीधे उसके भीगे शहद से मीठे होंठो पर , और हलके हलके उसके होंठ मेरे निचले होंठों पर रगड़ रहे थे ,घिसट रहे , कुछ ही देर में उसने चूसना भी शुरू कर दिया। मैंने थोड़ा और जोर बढ़ाया और अब मेरी बुर गुड्डी के होंठों से चिपकी। मेरा मुंह मेरे सैंया की ओर ,...
अब गुड्डी रानी को हम दोनों ने बाँट लिया था ,चूत उस किशोरी की उनके हिस्से में बाकी उसके ऊपर का सब कुछ मेरे हिस्से में ,... आखिर भाभी थी उसकी।
एक हाथ ने फिर कच्ची अमिया का रस लेना शुरू किया और दूसरे हाथ ने नीचे , कभी मैं उसकी पतली कमरिया सहलाती तो कभी पान के पत्ते ऐसे चिकना पेट।
थोड़ी देर में गुड्डी की क्लिट मेरे अंगूठे और तर्जनी के बीच , कभी सिर्फ सहलाती कभी रगड़ देती। पता नहीं कितनी बार वो झड़ने के करीब आयी , पर हम दोनों में यह तय था , आज इसे जल्दी नहीं झड़ने देना है ,तड़पने देना है। मैं जोर जोर से अपनी बुर अपनी ननद के मुंह पर रगड़ रही थी ,घिस रही थी और अब गुड्डी ने अपनी जीभ भी मेरी बुर में ठेल दी।
गोल गोल ,ऊपर नीचे ,
मैं उनकी ओर देख के मुस्कराती , वो अपने होंठ मेरे ओर बढ़ाते और मैं कस के उन्हें चूम लेती . फिर तो अगला धक्का इतना करारा लगता की बस गुड्डी की रग रग कराह उठती।
हम दोनों मिल कर उस मस्त गुड़िया को कुचल मसल रहे थे , बिना किसी रहम के
रहम के लिए थोड़ी में इतनी मुश्किल से उसे फंसा के लायी थी।
और जब लगता की हम दोनों से दबी उनकी ममेरी बहिनिया झड़ ही जायेगी तो बस वो मुझे देख कर मुस्कराते और मेरे लम्बे नाखून
कभी उनकी बहन के निप्स पर ,कभी क्लिट पर ,... जोर से गड़ जाते , और दर्द की लहर ,...
पर थोड़े देर में ही वो मस्त माल , कभी चूतड़ उचकाती तो कभी सिसकने की कोशिश करती ,
मैंने अपने नितम्ब गुड्डी के चेहरे से हटाया,दोनों चूतड़ खोला अपना पूरी ताकत से ,
" मुंह खोल ,पूरा ,...और बड़ा , ...सुन साफ़ साफ़ अगर मुंह बंद हुआ तो एक हाथ से तेरी नाक दबाऊँगी दूसरे से टेंटुआ , सांस के लिए तरस जायेगी। चाट ,... अरे अभी यार अपने भइया की गांड तो इत्ता मस्त चाट रही थी , अब भाभी का ,... "
और जब तक वो कुछ समझती ,मुंह बंद करने की कोशिश करती , मेरी खुली गांड का छेद सीधे मेरी ननद के मुंह पर , ... और अब वो चाह कर भी अपना मुंह नहीं बंद कर सकती थी। मैंने उसे वार्न करने के लिए अपना एक हाथ उसके नथुने पर रखा ,पर उसकी जरूरत नहीं पड़ी।
लौंडिया समझदार थी ,
उसकी जीभ लपड़ सपड़
अब मेरी हालत खराब हो रही थी ,किसी कुंआरी किशोरी की जीभ पहली बार वहां ,...
मेरे हाथ अब गुड्डी के जुबना पर तो कभी क्लीट पर ,
पर गुड्डी भी कम नहीं थी , फास्ट लरनर
मेरी पक्की ननद , कुछ देर में उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े वाले छेद के अंदर ,
और साथ में ही गुड्डी के हाथ मेरे आगे के आग लगे छेद पर ,दो उंगलिया , अंदर अंगूठा क्लीट पर ,
मैं भी अब जोर जोर से गुड्डी का क्लिट रगड़ रही थी ,
इनके धक्के भी तूफानी हो गए थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,
झड़ी सबसे पहली गुड्डी ,फिर ये और साथ में मैं ,
हम तीनो साथ साथ देर तक झड़ते रहे ,रुक जाते फिर झड़ते ,... और जैसे बेहोश , ... कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर ,
मेरी निगाह खुली तो ये अभी भी गुड्डी के अंदर धंसे , थोड़ी सी रबड़ी मलाई बाहर छलक गयी थी।
गुड्डी के होंठों पर मेरा रस ,
उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर। अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर। …….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।
मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा
Thoda busy hoga ye week , jald hi samay nikal ke reply deta hu …. Happy Holi komaalrani jiaapki emoji ne hi bahoot kuch kah diya, thankooo mere naye thread ( HOLI ke liye khaas )
rang prsang par bhi ek najar daalen
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https://exforum.live/threads/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0.126857/page-81भाग ६ -चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी Phagun ke din chaar update postedplease read, like, enjoy and commentतेल...exforum.live
भैया भी भाभी भी
और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।
" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। " झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...
………………………
उस शोख किशोरी ने अपने होंठ खोल दिए थे और मेरे निचले होंठ , सीधे उसके भीगे शहद से मीठे होंठो पर , और हलके हलके उसके होंठ मेरे निचले होंठों पर रगड़ रहे थे ,घिसट रहे , कुछ ही देर में उसने चूसना भी शुरू कर दिया। मैंने थोड़ा और जोर बढ़ाया और अब मेरी बुर गुड्डी के होंठों से चिपकी। मेरा मुंह मेरे सैंया की ओर ,...
अब गुड्डी रानी को हम दोनों ने बाँट लिया था ,चूत उस किशोरी की उनके हिस्से में बाकी उसके ऊपर का सब कुछ मेरे हिस्से में ,... आखिर भाभी थी उसकी।
एक हाथ ने फिर कच्ची अमिया का रस लेना शुरू किया और दूसरे हाथ ने नीचे , कभी मैं उसकी पतली कमरिया सहलाती तो कभी पान के पत्ते ऐसे चिकना पेट।
थोड़ी देर में गुड्डी की क्लिट मेरे अंगूठे और तर्जनी के बीच , कभी सिर्फ सहलाती कभी रगड़ देती। पता नहीं कितनी बार वो झड़ने के करीब आयी , पर हम दोनों में यह तय था , आज इसे जल्दी नहीं झड़ने देना है ,तड़पने देना है। मैं जोर जोर से अपनी बुर अपनी ननद के मुंह पर रगड़ रही थी ,घिस रही थी और अब गुड्डी ने अपनी जीभ भी मेरी बुर में ठेल दी।
गोल गोल ,ऊपर नीचे ,
मैं उनकी ओर देख के मुस्कराती , वो अपने होंठ मेरे ओर बढ़ाते और मैं कस के उन्हें चूम लेती . फिर तो अगला धक्का इतना करारा लगता की बस गुड्डी की रग रग कराह उठती।
हम दोनों मिल कर उस मस्त गुड़िया को कुचल मसल रहे थे , बिना किसी रहम के
रहम के लिए थोड़ी में इतनी मुश्किल से उसे फंसा के लायी थी।
और जब लगता की हम दोनों से दबी उनकी ममेरी बहिनिया झड़ ही जायेगी तो बस वो मुझे देख कर मुस्कराते और मेरे लम्बे नाखून
कभी उनकी बहन के निप्स पर ,कभी क्लिट पर ,... जोर से गड़ जाते , और दर्द की लहर ,...
पर थोड़े देर में ही वो मस्त माल , कभी चूतड़ उचकाती तो कभी सिसकने की कोशिश करती ,
मैंने अपने नितम्ब गुड्डी के चेहरे से हटाया,दोनों चूतड़ खोला अपना पूरी ताकत से ,
" मुंह खोल ,पूरा ,...और बड़ा , ...सुन साफ़ साफ़ अगर मुंह बंद हुआ तो एक हाथ से तेरी नाक दबाऊँगी दूसरे से टेंटुआ , सांस के लिए तरस जायेगी। चाट ,... अरे अभी यार अपने भइया की गांड तो इत्ता मस्त चाट रही थी , अब भाभी का ,... "
और जब तक वो कुछ समझती ,मुंह बंद करने की कोशिश करती , मेरी खुली गांड का छेद सीधे मेरी ननद के मुंह पर , ... और अब वो चाह कर भी अपना मुंह नहीं बंद कर सकती थी। मैंने उसे वार्न करने के लिए अपना एक हाथ उसके नथुने पर रखा ,पर उसकी जरूरत नहीं पड़ी।
लौंडिया समझदार थी ,
उसकी जीभ लपड़ सपड़
अब मेरी हालत खराब हो रही थी ,किसी कुंआरी किशोरी की जीभ पहली बार वहां ,...
मेरे हाथ अब गुड्डी के जुबना पर तो कभी क्लीट पर ,
पर गुड्डी भी कम नहीं थी , फास्ट लरनर
मेरी पक्की ननद , कुछ देर में उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े वाले छेद के अंदर ,
और साथ में ही गुड्डी के हाथ मेरे आगे के आग लगे छेद पर ,दो उंगलिया , अंदर अंगूठा क्लीट पर ,
मैं भी अब जोर जोर से गुड्डी का क्लिट रगड़ रही थी ,
इनके धक्के भी तूफानी हो गए थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,
झड़ी सबसे पहली गुड्डी ,फिर ये और साथ में मैं ,
हम तीनो साथ साथ देर तक झड़ते रहे ,रुक जाते फिर झड़ते ,... और जैसे बेहोश , ... कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर ,
मेरी निगाह खुली तो ये अभी भी गुड्डी के अंदर धंसे , थोड़ी सी रबड़ी मलाई बाहर छलक गयी थी।
गुड्डी के होंठों पर मेरा रस ,
उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर। अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर। …….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।
मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा।
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रंग -प्रसंग,
कोमल के संग
होली हो और होली के किस्से न हों,... लेकिन इस बार मैं अपनी कुछ कहानियों के जो इस फोरम में हैं उन्ही के होली से जुड़े हुए अंश एक बार फिर से पन्ने पलट के साझा करुँगी, जैसे हर होली की बयार हर फगुनाहट मस्ती के साथ टीस भी लाती है, कुछ गुजरी हुयी होलियों के, ऐसी होली जो हो ली,... लेकिन मन में बार बार होती है, पड़ोस वाली से, क्लास वाली से या फिर देवर भाभी, जीजा साली की हो, उम्र गुजरती है, रिश्तों पर वक्त की चादरें चढ़ने लगती हैं,... लेकिन मन तो वही रहता है तो मैं शुरू करुँगी
मोहे रंग दे, के होली प्रसंग से
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