• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
भाग १७९



लो मेरे भैया बन गयी घोड़ी


( आरुषि जी से प्रेरित उन्ही को समर्पित, होली के अवसर पर यहपोस्ट )



पति, पत्नी और

वो ( पति की बहिनिया)



दस पंद्रह मिनट में वो भी आ गए ,साथ में चाइनीज खाना।

……………….

लो मेरे भइया बन गयी घोड़ी

डाल दो लौडा कर दो चौड़ी



इनके आने के पहले मैंने गुड्डी को आरुषि दयाल की यह पंक्तिया पढ़वाई थीं तो गुड्डी खिलखिला के बोली,

" अरे आरुषी जी को मेरे मन की ये बातें कैसे पता चल गयीं " तो मैंने उसे हँस के समझाया,

" जिसे तन की सब एक नजर में देख के पता चल जाए उसे डाक्टर साहिबा कहते हैं और जिस बिन देखे मन की बात पता चल जाए उसे आरुषि दयाल कहते हैं , लेकिन ये बोल तेरा मन करता है घोड़ी बनने का "



" एकदम भाभी, आपके साजन का घोड़े जैसा है तो घोड़ी तो बनना बनता है न " वो गुड्डी मेरी ननद कम छिनार नहीं थी , और अभी खाना खाते हुए भी मैं उसे वही दो लाइने बार बार सुना के चिढ़ा रही थी,....


खाना बाद में ख़तम हुआ , इनकी नयी नयी रखैल को हम दोनों ने पहले ही खाना शुरू कर दिया। सामने इत्ते मस्त कच्चे टिकोरे हों तो कौन छोड़ता है। उसकी वही हाईस्कूल वाली फ्राक , और अब तो ब्रा का कवच भी नहीं था कच्ची अमिया के ऊपर , हम दोनों कुतरने लगे , वो हलके हलके प्यार से , और मैं कचकचा कर।


कुछ देर में हम तीनों बेड रूम में थे , और ननद रानी की फ्राक जमीन पर ( उसके अलावा कुछ पहना भी नहीं था उसने ).

बस उस को हम दोनों ने बाँट लिया , बाएं वाला उस छिनार के बचपन के यार के हिस्से , और दाएं वाला मेरे।



यही तो मैं चाहती थी उनकी इस सो कॉल्ड सीधी साधी बहना की हम दोनों मिल के बिस्तर पर , ... और आज तो गुड्डी रानी की ऐसी की तैसी होने वाली थी , और ये बस शुरुआत थी।

सच में मैं उनको ब्लेम नहीं करती , स्साली के नए नए आये छुटके जुबना थे ही ऐसे , किसी का ईमान डोल जाय। मैं कभी हलके से तो कभी कचकचा के उसकी कच्ची अमिया कुतर रही , दांतो के निशान पड़ने हो तो पड़ें ,



कुछ देर में हम दोनों के कपडे भी फर्श पर ,जहाँ गुड्डी की फ्राक पड़ी थी।

हाँ अपने भइया की शार्ट तो उसी ने खोली ,और जैसे बटन दबाने पर स्प्रिंग वाला चाक़ू उछल कर बाहर , उसी तरह वो मोटा मूसल भी ,एकदम खड़ा तना ,तन्नाया ,बौराया।

और हम दोनों ने साथ चाटना शुरू कर दिया ,जैसे दो सहेलियां मिल कर लॉलीपॉप चाटती हैं , बस उसी तरह से। एक ओर से उनकी किशोर ममेरी बहन की जीभ सपड़ सपड़ और दूसरी ओर से मेरी जीभ लपड़ लपड़ लंड के बेस से लेकर , एक दम ऊपर तक , कभी सुपाड़े को वो अपनी जीभ से चाटती तो कभी मैं , और फिर लिक करते हुए वापस लंड के बेस तक , मस्त लिक कर रही थी वो अपने भैया के खूंटे को एकदम जैसे कोई हाईस्कूल वाली लड़की सॉफ्टी चाटती है ,


बिचारे उनकी हालत ख़राब हो रही थी , पर हालत तो उनकी तबसे ख़राब थी जबसे उनकी इस बहना पर जवानी चढ़ी थी ,




'सॉफ्टी ' शेयर करते हुए मैं और गुड्डी एक दूसरे को देख भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे , सुपाड़ा उनका गजब का कड़ा , तना , और मुझसे नहीं रहा गया ,

गप्प

पूरा सुपाड़ा मैं घोंट गयी और चूसने चुभलाने लगी , नीचे का हिस्सा उनकी टीनेजर बहन के हिस्से में था , पर मेरे रसीले होंठ सरकते हुए और नीचे ,और नीचे , ,

मेरे और मेरी ननद की लार ने इनके लंड को एकदम मस्त चिकना कर दिया था और सटक लिया मैंने आधे से ज्यादा , पांच छह इंच , ... गुड्डी की जीभ अब सिर्फ बेस के आसपास ,

एक पल के लिए मैंने होंठ बाहर किये और अपनी ननद को समझाया ,

" अरे यार बाँट लेते हैं न , मैं गन्ना चूस रही हूँ तो तू रसगुल्ले का मजा ले न। "

समझ तो वो गयी ,पर जो नहीं समझी तो मेरे हाथ ने समझा दिया।

अबकी गन्ना आलमोस्ट पूरा मेरे मुंह के अंदर और मेरे हाथ ने मेरी किशोर ननदी के होंठ उनके बॉल्स पर , और उस नदीदी ने उनके एक बॉल को अपने रसीले होंठ के बीच गड़प कर लिया ,और लगी चूसने चुभलाने। उनका गन्ना अब सीधे मेरे हलक पर ठोकर मार रहा था , मैं मजे से उस मोटे मीठे डंडे को चूस रही थी , और इनकी ममेरी बहन इनके पेल्हड़ ( बॉल्स )को



मैंने गुड्डी को जरा सा इशारा किया तो उसने पैतरा बदला और अब दूसरा वाला उस किशोरी के मुंह में था , कुछ देर तक तो बारी बारी से उसने ,फिर एक बार बड़ा सा मुंह उसने खोला , कल जैसे गीता ने उसका मुंह खोलवाया

और

गप्प



दोनों रसगुल्ले उनकी ममेरी बहन के मुंह में ,

पूरा खूंटा मेरे मुंह में ,... कुछ देर चूस के मेरे होंठ खूंटे को चाटते हुए ऊपर और एक बार फिर मेरी जीभ उनके पेशाब के छेद को छेड़ रही थी ,सुरसुरी कर रही थी ,

मेरी ननद ने भी मेरी देखा देखी दोनों बॉल्स को आजाद किया पर उसकी जीभ अब बॉल्स को कस कस के चाट रही थीं और जैसे ही मेरे होंठ सरकते हुए एक बार फिर उनके बालिश्त भर के लंड के बेस तक पहुंचे ,

मेरी टीनेजर ननद ने ,एक बार फिर से रसगुल्लों को अपने मुंह में लेकर चूसना चुभलाना शुरू कर दिया।

बीबी और बहन के इस डबल अटैक ने उनकी हालत खराब कर दी थी , वो सिसक रहे थे चूतड़ पटक रहे थे , पर अभी तो बाजी हम दोनों के हाथ में थी। मै कसकस के चूस रही थी और उनकी बहन भी ,
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
मस्त थ्रीसम

खसम, बीबी और खसम की बहन


मैं जानती थी की इन्हे सबसे ज्यादा मजा उस जगह पर आता है ,जो बॉल्स और पिछवाड़े के छेद के बीच में हैं , वहां लिक करने से एकदम उनकी हालत ख़राब हो जाती है ,

एक पल के लिए मैंने इनके खूंटे को आजाद किया ,इनकी ममेरी बहन के कान में फुसफुसाया , समझाया और अपने हाथ से उस टीनेजर के सर को पकड़ के गाइड किया ,

अगर भाई से उसकी बहन को चुदवाना है तो भौजाई को ननद को थोड़ी ट्रेनिंग तो देनी पड़ेगी।

और गुड्डी तो सच में पैदायशी छिनार , क्विक लर्नर ,उसकी जीभ आगे पीछे ,आगे पीछे , लपड़ लपड़



और एक बार फिर मैं भी साथ साथ पहले तो साइड से इनका खड़ा खूंटा चाट रही थी ,फिर गप्प से मैंने मुंह में ले लिया , और एक बार फिर डीप थ्रोट

उस किशोरी की जीभ चाटते चाटते लगता है , इनके पिछवाड़े के छेद पर लग गयी और ये बहुत जोर से चिहुंके और मैंने गुड्डी का सर वही दबा दिया ,

एक बार फिर मेरे होंठ मेरी ननद के कान पर

" अरे यार यही पर चाट , हाँ , हाँ , "

अब मैंने खूंटे को छोड़ दिया था , मेरे दोनों हाथ उनके नितम्बों पर , उन्होंने खुद अपने चूतड़ अच्छी तरह ऊपर उठा दिए और में ढेर सारे कुशन वहां लगा दिए ,

गुड्डी के होंठ अब सीधे , अपने भइया के पिछवाड़े के छेद पर , मैंने कस के उस किशोरी के सर को जकड़ रखा था।

" हे एक चुम्मा ले ,और कस कस के , .. हाँ सीधे वहीँ ले न , एक दम होंठ सटा दे वहां।"



थोड़ी देर तक सकपकायी वो , उचकी भी पर मेरे हाथों की पकड़ के आगे कोई रास्ता बचा भी नहीं था मेरी छुटकी ननदिया के सामने। उस किशोरी इंटर वाली , के रसीले होंठ अपने भैया के पिछवाड़े वाले छेद पर ,और मैंने भी एक बार पूरी ताकत से उनके नितम्बों को फैलाया और गुड्डी के होंठ 'सीधे वहीँ' सेट किया, एक बार फिर मेरे दोनों हाथ हाथ उस नयी आयी जवानी के सर को दबोचे ,पुश करती ,

थोड़ा जोर जबरदस्ती तो करनी ही पड़ती है , और थोड़ा क्यों ,जरूरत पड़ने पर तो ज्यादा भी ,

और अब गुड्डी की लम्बी मीठी शहद सी जीभ लपड़ लपड़ , उसे सिखाने की बहुत ज्यादा जरूररत नहीं पड़ती थी ,बस थोड़ा सा इशारा ,

उस टीनेजर की जीभ , ऊपर से नीचे ,नीचे से ऊपर फिर खुद उसने थोड़ी देर में जीभ की टिप से छेद के किनारे किनारे गोल गोल ,मैंने सर पर पकड़ अपनी हलकी कर दी , फिर भी उनकी ममेरी बहन ने अपने भैया के पिछवाड़े से अपने होंठ नहीं हटाए। मस्ती से उनकी हालत ख़राब थी। कभी चूतड़ उचका रहे थे , कभी सिसक रहे थे , और ये बात मैं ही नहीं उनकी बचपन की माल , भी देख रही थी और समझ रही थी।

लेकिन अभी तो खेल सिर्फ चवन्नी का हुआ था , असली खेल तो अभी बाकी था ,

मेरी हाथों की पकड़ अब एकदम ढीली हो गयी थी ,पर उनकी ममेरी बहन , सपड़ सपड़ उनके चूतड़ के छेद पर कभी ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल

कभी पूरी जीभ से तो कभी सिर्फ जीभ की नोक से ,.... लपड़ लपड़ ,




लेकिन जबतक जीभ अंदर न घुसे गाँड़ में ,अंदर का मजा ,स्वाद न ले ,... तो मेरे भौजाई होने का फायदा क्या
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
पिछवाड़े का स्वाद








लेकिन अभी तो खेल सिर्फ चवन्नी का हुआ था , असली खेल तो अभी बाकी था ,

मेरी हाथों की पकड़ अब एकदम ढीली हो गयी थी ,पर उनकी ममेरी बहन , सपड़ सपड़ उनके चूतड़ के छेद पर कभी ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल कभी पूरी जीभ से तो कभी सिर्फ जीभ की नोक से ,.... लपड़ लपड़ ,


लेकिन जबतक जीभ अंदर न घुसे गाँड़ में ,अंदर का मजा ,स्वाद न ले ,... तो मेरे भौजाई होने का फायदा क्या ,

वैसे भी गुड्डी की जीभ तीन साढ़े तीन इंच से कम लम्बी नहीं होगी ,मेरी ,गीता मंजू बाई किसी की भी जीभ से ज्यादा लम्बी ,वो अपनी नाक और ठुड्डी दोनों आलमोस्ट,.... एक बार ये मंजू बाई के हाथ लगेगी न , बस दो तीन दिन की बात और है , इसके गाँव जाने के पहले , पक्की गंडचट्टो बना के छोड़ेगी इसे वो , और फिर इतनी लम्बी जीभ तो ,गाँड़ के अंदर तो छोड़िये , गांड का छल्ला पार करवाएगी वो इससे ,

पर अभी तो मैं ,

" हे यार जरा ,सा बहुत ज़रा सा अंदर डाल जीभ , मेरी अच्छी ननदो। "



वो थोड़ा सा सकपकायी , हिचकी ,.... बहुत नेचुरल था ये ,... मैंने कुछ सोचा ,फिर वही ब्रम्हास्त्र चलाया , वो तीर जो फेल नहीं हो सकता था , जवानी आने के पहले से ही ये अपने भैय्या पर ,...

" यार बस ज़रा सा , ... बस एक बार ,... अरे तेरे भैय्या को बहुत मजा आएगा , सच्ची , चाट तो रही ही है तू , बस थोड़ा सा ,... "



वो हिचकिचा रही थी ,मन कर रहा था पर दिमाग रोक रहा था और ऐसे मौके पर थोड़ी सी जबरदस्ती बहुत काम देती है। मैंने उनके गांड के छेद को पूरी ताकत से फैलाया , , उनकी ममेरी बहन की जीभ वही पर थी ,बस एक बार फिर मैंने दोनों हाथ से कस के उस टीनेजर के सर को दबा के पुश किया , और दबा के रखा ,

उसकी जीभ की टिप अंदर थी।
मैंने दबा के रखा और फुसफुसाती रही ,

" अरे यार ,बस ज़रा और , थोड़ा सा ,कोशिश कर न , ... देख तेरे भैया कब से तेरे लिए तड़प रहे हैं ,तू हाईस्कूल में आयी उसके पहले से , अरे यार थोड़ा मजा दे दे , .उन्हें बहुत अच्छा लगेगा , "

और जीभ की टिप का असर उनके ऊपर हुआ , जोर से उन्होंने सिसकी भरी , ओह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह ईईईई उन्हहह्ह।




बस थोड़ा सा और पुश ननद रानी की जीभ धीरे धीरे ऊँगली के एक पोर के बराबर अंदर थी ,
कुछ देर तक तो उसने कुछ नहीं किया ,पर मुझे अपनी ननद पर पूरा विश्वास था , कुछ ही देर के बाद हलके हलके जीभ घूमने लगी , गोल गोल , लपड़ लपड़
मैंने हाथ का जोर हल्का कर दिया , एक हाथ हटा दिया , पर अभी भी गुड्डी के होंठ उनके पिछवाड़े के छेद से चिपका था और जीभ अंदर।

बहुत देर से मेरा ध्यान सिर्फ अपनी टीनेजर ननद की ओर था , अब मैंने उनकी ओर देखा मस्ती में उनकी आँखे बंद थी , अपनी बहन से चुसवाते , चटवाते , रुक रुक के सिसक रहे थे। और 'वो ' उनका झंडा एकदम तना , कड़ा

मुझसे नहीं रहा गया।

गपुच।



मेरे कोमल हाथ ने हलके से उसे पकड़ लिया और फिर धीरे धीरे कभी सहलाती तो कभी छेड़ती और तर्जनी की ऊँगली सीधे पेशाब के छेद पर , सुरसुरी करती ,छेड़ती ,

आज मेरे सामने इसमें से मलाई निकलकर इनकी बहना की बुर में जायेगी। मुठियाते हुए कभी कभी मेरी ऊँगली इनके बॉल्स को भी छेड़ देती।

एक साथ दो दो , एक के होंठ पिछवाड़े और दूसरे की उँगलियाँ लंड को छेड़ती सहलाती , कुछ देर के लिए मैंने गुड्डी पर से ध्यान हटा दिया , वो किशोरी अब खुद ही अपने होंठ से इनकी 'स्टारफिश' चूस रही थी , उसकी जीभ , पिछवाड़े के छेद के अंदर सैर सपाटा कर रही थीं।





मेरे दोनों हाथ अब उसके सर के ऊपर से हट गए थे और मेरी टीनेजर ननद खुद ही , ... दो तीन मिनट ही बहुत होते हैं और चार पांच मिनट तक वो अंदर ,... पहली बार के लिए इतना बहुत था।

मैंने खुद उसका सर हटाया और उन्हें चैलेंज किया ,

" हे तुम न ,ये मेरी बारी ननदिया , तुझे इत्ते मजे दे रही है , और तुम आराम से लेटे लेटे , तुम भी तो कुछ करो।

इतना इशारा बहुत था , उन्होंने खुद उठा कर अपनी ममेरी बहन को पलंग पर पीठ के बल ,
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
भाई चढ़ा बहिनिया के ऊपर



मैंने खुद उसका सर हटाया और उन्हें चैलेंज किया ,
" हे तुम न ,ये मेरी बारी ननदिया , तुझे इत्ते मजे दे रही है , और तुम आराम से लेटे लेटे , तुम भी तो कुछ करो।

इतना इशारा बहुत था , उन्होंने खुद उठा कर अपनी ममेरी बहन को पलंग पर पीठ के बल , जो तकिये कुशन इनके चूतड़ के नीचे लगे थे अब मेरी बारी ननद के छोटे छोटे लौंडा मार्का चूतड़ों के नीचे,
उनके हाथ अपनी ममेरी बहन की पतली कटीली कमर पर
और क्या करारा धक्का मारा, ... अगर मेरी भोंसड़ी वाली पैदायशी रंडी सास भी होती न तो चीख उठती ,





और ये बेचारी तो नयी बछेड़ी , अभी इसकी फटे भी चौबीस घंटे नहीं हुए थे , अभी वो वो चिलख चूत के अंदर बाकी थी ,
उईईईईई , जोर से चीखी वो ,

और उन्होंने जवाब में दूसरा धक्का और करारा मारा।
लगता है उसकी जान निकल गयी , मेरी ननद इतनी जोर से चीखी ,...

उसकी यही चीख तो सुनने के लिए मेरे कान तरस रहे थे ,

" क्यों मजा आ रहा है न ननद रानी , अपने भइया से चुदवा के ,... मस्त है न लंड , अरे अभी तो आधा बाहर है , ... मैंने उस कच्ची कली की कच्ची अमिया सहलाते हुए कहा।




और मेरी बात सुन के ,एक पल उन्होंने एक बार फिर से लंड को आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर खींचा , अपनी बहन की लम्बी टाँगे अपने कंधे पर सेट कीं और

और

क्या धक्का मारा ,आलमोस्ट पूरा लंड अंदर।

पानी से बाहर निकली मछली की तरह मेरी ननद तड़प रही थी। पर अभी तो उसे बहुत तड़पना था , बहुत दर्द सहना था , जब उसकी कच्ची कोरी गांड फाड़ी जायेगी
जब एक साथ दो दो मोटे लंड उसकी बुर और गांड दोनों का भुरकुस बनाएंगे ,



और मैं भी उस खेल तमाशे में शामिल हो गयी ,चूँची सहलाते हुए मैंने झुक के पहले तो उसके निपल हलके से चूमा और फिर कचकचा कर काट लिया।
उईईईईई जोर से चीखी वो





तबतक मेरे सैंया ने एक धक्का और , ... अबकी सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी पर

वो चीखी दर्द के मारे और सिसकने लगी।
मैं समझ गयी थी इसे दर्द में मजा मिलता है ,बिना निपल्स छोड़े ,मेरे दूसरे हाथ ने ननद की क्लिट को दबोचा ,

और वो झड़ने लगी , झड़ती रही देर तक और जैसे ही उसका झड़ना थोड़ा सा धीमे पड़ा , ...

क्या धक्कापेल चुदाई शुरू की उन्होंने अपनी ममेरी बहन की। हर धक्का चूत में रगड़ते ,दरेरते ,घिसटते

और साथ में अब मैं भी मजे ले रही थी अपनी ननद के ,लायी ही उसे इस लिए थी की हम दोनों मिल कर।

कुछ देर तक तो मेरी निगाहें मेरी ननद की नंगी कच्ची जवानी को दुलराती सहलाती रहीं ,मैं मान गयी सच्च में स्साली जिल्ला टॉप माल है। अपने शहर में तो आग लगा के रखा ही था , यहाँ भी बस दो तीन दिन और , पूरे शहर के लौंडो , मर्दों के बीच इसकी नमकीन जवानी ,...

पर देखने से मन भरने वाला थोड़े ही था , मेरे हाथ सीधे मेरी ननद के जवानी के फूलों पे ,

एकदम गोल परफेक्ट साइज , ३२ सी , खूब कड़े , मांसल , टेनिस बाल साइज के गुड्डी के बूब्स , पहले मेरी उंगलिया उस किशोरी के छोटे छोटे जुबना सहलाती रहीं , मसलती रहीं , फिर मुझसे नहीं रहा गया , मैं कस कस के उस इंटर वाली की अमिया रगड़ने मसलने लगी। बीच बीच में मेरा अंगूठा उसके छोटे छोटे निपल्स फ्लिक भी करता था , रगड़ भी देता था।




वो एक बार फिर जोर जोर से सिसक रही थी , चूतड़ उचका रही थी , और हर बार उसके चूतड़ उचकाने का जवाब मेरे सैंया जबरदस्त धक्के से देते , और तीन चार धक्के के बाद एक तूफानी धक्का सीधे अपनी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर , उसकी चूल चूल हिल जाती , और फिर अपने लंड के बेस से उसकी क्लिट जोर जोर से रगड़ घिस्स ,

और जैसे ही मेरी ननद की हालत खराब होने लगती , पूरा लंड बाहर निकाल कर एक फिर करारा धक्का , गुड्डी की चीख कमरे में ही नहीं कमरे के बाहर भी गूँज जाती। एक बार तो वो झड़ चुकी थी और दुबारा हम उसे जल्दी झड़ने नहीं देना चाहते थे।

और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।

" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। "
झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...


………………………
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259
भैया भी भाभी भी



और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।

" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। " झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...

………………………
उस शोख किशोरी ने अपने होंठ खोल दिए थे और मेरे निचले होंठ , सीधे उसके भीगे शहद से मीठे होंठो पर , और हलके हलके उसके होंठ मेरे निचले होंठों पर रगड़ रहे थे ,घिसट रहे , कुछ ही देर में उसने चूसना भी शुरू कर दिया। मैंने थोड़ा और जोर बढ़ाया और अब मेरी बुर गुड्डी के होंठों से चिपकी। मेरा मुंह मेरे सैंया की ओर ,...

अब गुड्डी रानी को हम दोनों ने बाँट लिया था ,चूत उस किशोरी की उनके हिस्से में बाकी उसके ऊपर का सब कुछ मेरे हिस्से में ,... आखिर भाभी थी उसकी।

एक हाथ ने फिर कच्ची अमिया का रस लेना शुरू किया और दूसरे हाथ ने नीचे , कभी मैं उसकी पतली कमरिया सहलाती तो कभी पान के पत्ते ऐसे चिकना पेट।
थोड़ी देर में गुड्डी की क्लिट मेरे अंगूठे और तर्जनी के बीच , कभी सिर्फ सहलाती कभी रगड़ देती। पता नहीं कितनी बार वो झड़ने के करीब आयी , पर हम दोनों में यह तय था , आज इसे जल्दी नहीं झड़ने देना है ,तड़पने देना है। मैं जोर जोर से अपनी बुर अपनी ननद के मुंह पर रगड़ रही थी ,घिस रही थी और अब गुड्डी ने अपनी जीभ भी मेरी बुर में ठेल दी।

गोल गोल ,ऊपर नीचे ,

मैं उनकी ओर देख के मुस्कराती , वो अपने होंठ मेरे ओर बढ़ाते और मैं कस के उन्हें चूम लेती . फिर तो अगला धक्का इतना करारा लगता की बस गुड्डी की रग रग कराह उठती।

हम दोनों मिल कर उस मस्त गुड़िया को कुचल मसल रहे थे , बिना किसी रहम के

रहम के लिए थोड़ी में इतनी मुश्किल से उसे फंसा के लायी थी।

और जब लगता की हम दोनों से दबी उनकी ममेरी बहिनिया झड़ ही जायेगी तो बस वो मुझे देख कर मुस्कराते और मेरे लम्बे नाखून
कभी उनकी बहन के निप्स पर ,कभी क्लिट पर ,... जोर से गड़ जाते , और दर्द की लहर ,...
पर थोड़े देर में ही वो मस्त माल , कभी चूतड़ उचकाती तो कभी सिसकने की कोशिश करती ,

मैंने अपने नितम्ब गुड्डी के चेहरे से हटाया,दोनों चूतड़ खोला अपना पूरी ताकत से ,

" मुंह खोल ,पूरा ,...और बड़ा , ...सुन साफ़ साफ़ अगर मुंह बंद हुआ तो एक हाथ से तेरी नाक दबाऊँगी दूसरे से टेंटुआ , सांस के लिए तरस जायेगी। चाट ,... अरे अभी यार अपने भइया की गांड तो इत्ता मस्त चाट रही थी , अब भाभी का ,... "

और जब तक वो कुछ समझती ,मुंह बंद करने की कोशिश करती , मेरी खुली गांड का छेद सीधे मेरी ननद के मुंह पर , ... और अब वो चाह कर भी अपना मुंह नहीं बंद कर सकती थी। मैंने उसे वार्न करने के लिए अपना एक हाथ उसके नथुने पर रखा ,पर उसकी जरूरत नहीं पड़ी।

लौंडिया समझदार थी ,
उसकी जीभ लपड़ सपड़

अब मेरी हालत खराब हो रही थी ,किसी कुंआरी किशोरी की जीभ पहली बार वहां ,...

मेरे हाथ अब गुड्डी के जुबना पर तो कभी क्लीट पर ,
पर गुड्डी भी कम नहीं थी , फास्ट लरनर

मेरी पक्की ननद , कुछ देर में उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े वाले छेद के अंदर ,

और साथ में ही गुड्डी के हाथ मेरे आगे के आग लगे छेद पर ,दो उंगलिया , अंदर अंगूठा क्लीट पर ,
मैं भी अब जोर जोर से गुड्डी का क्लिट रगड़ रही थी ,
इनके धक्के भी तूफानी हो गए थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,


झड़ी सबसे पहली गुड्डी ,फिर ये और साथ में मैं ,

हम तीनो साथ साथ देर तक झड़ते रहे ,रुक जाते फिर झड़ते ,... और जैसे बेहोश , ... कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर ,

मेरी निगाह खुली तो ये अभी भी गुड्डी के अंदर धंसे , थोड़ी सी रबड़ी मलाई बाहर छलक गयी थी।

गुड्डी के होंठों पर मेरा रस ,

उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर। अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर। …….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।

मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा।
 

komaalrani

Well-Known Member
22,209
57,779
259


रंग -प्रसंग,


कोमल के संग



होली हो और होली के किस्से न हों,... लेकिन इस बार मैं अपनी कुछ कहानियों के जो इस फोरम में हैं उन्ही के होली से जुड़े हुए अंश एक बार फिर से पन्ने पलट के साझा करुँगी, जैसे हर होली की बयार हर फगुनाहट मस्ती के साथ टीस भी लाती है, कुछ गुजरी हुयी होलियों के, ऐसी होली जो हो ली,... लेकिन मन में बार बार होती है, पड़ोस वाली से, क्लास वाली से या फिर देवर भाभी, जीजा साली की हो, उम्र गुजरती है, रिश्तों पर वक्त की चादरें चढ़ने लगती हैं,... लेकिन मन तो वही रहता है तो मैं शुरू करुँगी

मोहे रंग दे, के होली प्रसंग से


please do visit my new thread dedicated to HOLI. Link is on top of this post
 

Innocent- heart

New Member
17
36
13
भैया भी भाभी भी



और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।

" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। " झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...

………………………
उस शोख किशोरी ने अपने होंठ खोल दिए थे और मेरे निचले होंठ , सीधे उसके भीगे शहद से मीठे होंठो पर , और हलके हलके उसके होंठ मेरे निचले होंठों पर रगड़ रहे थे ,घिसट रहे , कुछ ही देर में उसने चूसना भी शुरू कर दिया। मैंने थोड़ा और जोर बढ़ाया और अब मेरी बुर गुड्डी के होंठों से चिपकी। मेरा मुंह मेरे सैंया की ओर ,...

अब गुड्डी रानी को हम दोनों ने बाँट लिया था ,चूत उस किशोरी की उनके हिस्से में बाकी उसके ऊपर का सब कुछ मेरे हिस्से में ,... आखिर भाभी थी उसकी।

एक हाथ ने फिर कच्ची अमिया का रस लेना शुरू किया और दूसरे हाथ ने नीचे , कभी मैं उसकी पतली कमरिया सहलाती तो कभी पान के पत्ते ऐसे चिकना पेट।
थोड़ी देर में गुड्डी की क्लिट मेरे अंगूठे और तर्जनी के बीच , कभी सिर्फ सहलाती कभी रगड़ देती। पता नहीं कितनी बार वो झड़ने के करीब आयी , पर हम दोनों में यह तय था , आज इसे जल्दी नहीं झड़ने देना है ,तड़पने देना है। मैं जोर जोर से अपनी बुर अपनी ननद के मुंह पर रगड़ रही थी ,घिस रही थी और अब गुड्डी ने अपनी जीभ भी मेरी बुर में ठेल दी।

गोल गोल ,ऊपर नीचे ,

मैं उनकी ओर देख के मुस्कराती , वो अपने होंठ मेरे ओर बढ़ाते और मैं कस के उन्हें चूम लेती . फिर तो अगला धक्का इतना करारा लगता की बस गुड्डी की रग रग कराह उठती।

हम दोनों मिल कर उस मस्त गुड़िया को कुचल मसल रहे थे , बिना किसी रहम के

रहम के लिए थोड़ी में इतनी मुश्किल से उसे फंसा के लायी थी।

और जब लगता की हम दोनों से दबी उनकी ममेरी बहिनिया झड़ ही जायेगी तो बस वो मुझे देख कर मुस्कराते और मेरे लम्बे नाखून
कभी उनकी बहन के निप्स पर ,कभी क्लिट पर ,... जोर से गड़ जाते , और दर्द की लहर ,...
पर थोड़े देर में ही वो मस्त माल , कभी चूतड़ उचकाती तो कभी सिसकने की कोशिश करती ,

मैंने अपने नितम्ब गुड्डी के चेहरे से हटाया,दोनों चूतड़ खोला अपना पूरी ताकत से ,

" मुंह खोल ,पूरा ,...और बड़ा , ...सुन साफ़ साफ़ अगर मुंह बंद हुआ तो एक हाथ से तेरी नाक दबाऊँगी दूसरे से टेंटुआ , सांस के लिए तरस जायेगी। चाट ,... अरे अभी यार अपने भइया की गांड तो इत्ता मस्त चाट रही थी , अब भाभी का ,... "

और जब तक वो कुछ समझती ,मुंह बंद करने की कोशिश करती , मेरी खुली गांड का छेद सीधे मेरी ननद के मुंह पर , ... और अब वो चाह कर भी अपना मुंह नहीं बंद कर सकती थी। मैंने उसे वार्न करने के लिए अपना एक हाथ उसके नथुने पर रखा ,पर उसकी जरूरत नहीं पड़ी।

लौंडिया समझदार थी ,
उसकी जीभ लपड़ सपड़

अब मेरी हालत खराब हो रही थी ,किसी कुंआरी किशोरी की जीभ पहली बार वहां ,...

मेरे हाथ अब गुड्डी के जुबना पर तो कभी क्लीट पर ,
पर गुड्डी भी कम नहीं थी , फास्ट लरनर

मेरी पक्की ननद , कुछ देर में उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े वाले छेद के अंदर ,

और साथ में ही गुड्डी के हाथ मेरे आगे के आग लगे छेद पर ,दो उंगलिया , अंदर अंगूठा क्लीट पर ,
मैं भी अब जोर जोर से गुड्डी का क्लिट रगड़ रही थी ,
इनके धक्के भी तूफानी हो गए थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,


झड़ी सबसे पहली गुड्डी ,फिर ये और साथ में मैं ,

हम तीनो साथ साथ देर तक झड़ते रहे ,रुक जाते फिर झड़ते ,... और जैसे बेहोश , ... कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर ,

मेरी निगाह खुली तो ये अभी भी गुड्डी के अंदर धंसे , थोड़ी सी रबड़ी मलाई बाहर छलक गयी थी।

गुड्डी के होंठों पर मेरा रस ,

उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर। अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर। …….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।

मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा
Kamukta se bhara hua yeh update padh kar maan mantr mukt hogaya komal ji 😍
 
Last edited:

pprsprs0

Well-Known Member
4,106
6,255
159
aapki emoji ne hi bahoot kuch kah diya, thankooo mere naye thread ( HOLI ke liye khaas )

rang prsang par bhi ek najar daalen


Thoda busy hoga ye week , jald hi samay nikal ke reply deta hu …. Happy Holi komaalrani ji
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,524
48,352
304
भैया भी भाभी भी



और मेरी ननद की रगड़ाई देख कर अब मेरी चूत में भी चींटे काट रहे थे।

" ननद रानी , तेरी बुर में तो मेरे मरद का मोटा लौंड़ा घुसा हुआ है ,मेरी बुर का क्या होगा , चल चाट मेरी बुर और सिर्फ चाटने से ही नहीं होगा , झाड़ना भी होगा। " झुक कर मैंने अपनी टीनेजर ननद के गाल की चुम्मी ली ,उसके कान में बोला और ठीक उसके चेहरे के ऊपर ,...

………………………
उस शोख किशोरी ने अपने होंठ खोल दिए थे और मेरे निचले होंठ , सीधे उसके भीगे शहद से मीठे होंठो पर , और हलके हलके उसके होंठ मेरे निचले होंठों पर रगड़ रहे थे ,घिसट रहे , कुछ ही देर में उसने चूसना भी शुरू कर दिया। मैंने थोड़ा और जोर बढ़ाया और अब मेरी बुर गुड्डी के होंठों से चिपकी। मेरा मुंह मेरे सैंया की ओर ,...

अब गुड्डी रानी को हम दोनों ने बाँट लिया था ,चूत उस किशोरी की उनके हिस्से में बाकी उसके ऊपर का सब कुछ मेरे हिस्से में ,... आखिर भाभी थी उसकी।

एक हाथ ने फिर कच्ची अमिया का रस लेना शुरू किया और दूसरे हाथ ने नीचे , कभी मैं उसकी पतली कमरिया सहलाती तो कभी पान के पत्ते ऐसे चिकना पेट।
थोड़ी देर में गुड्डी की क्लिट मेरे अंगूठे और तर्जनी के बीच , कभी सिर्फ सहलाती कभी रगड़ देती। पता नहीं कितनी बार वो झड़ने के करीब आयी , पर हम दोनों में यह तय था , आज इसे जल्दी नहीं झड़ने देना है ,तड़पने देना है। मैं जोर जोर से अपनी बुर अपनी ननद के मुंह पर रगड़ रही थी ,घिस रही थी और अब गुड्डी ने अपनी जीभ भी मेरी बुर में ठेल दी।

गोल गोल ,ऊपर नीचे ,

मैं उनकी ओर देख के मुस्कराती , वो अपने होंठ मेरे ओर बढ़ाते और मैं कस के उन्हें चूम लेती . फिर तो अगला धक्का इतना करारा लगता की बस गुड्डी की रग रग कराह उठती।

हम दोनों मिल कर उस मस्त गुड़िया को कुचल मसल रहे थे , बिना किसी रहम के

रहम के लिए थोड़ी में इतनी मुश्किल से उसे फंसा के लायी थी।

और जब लगता की हम दोनों से दबी उनकी ममेरी बहिनिया झड़ ही जायेगी तो बस वो मुझे देख कर मुस्कराते और मेरे लम्बे नाखून
कभी उनकी बहन के निप्स पर ,कभी क्लिट पर ,... जोर से गड़ जाते , और दर्द की लहर ,...
पर थोड़े देर में ही वो मस्त माल , कभी चूतड़ उचकाती तो कभी सिसकने की कोशिश करती ,

मैंने अपने नितम्ब गुड्डी के चेहरे से हटाया,दोनों चूतड़ खोला अपना पूरी ताकत से ,

" मुंह खोल ,पूरा ,...और बड़ा , ...सुन साफ़ साफ़ अगर मुंह बंद हुआ तो एक हाथ से तेरी नाक दबाऊँगी दूसरे से टेंटुआ , सांस के लिए तरस जायेगी। चाट ,... अरे अभी यार अपने भइया की गांड तो इत्ता मस्त चाट रही थी , अब भाभी का ,... "

और जब तक वो कुछ समझती ,मुंह बंद करने की कोशिश करती , मेरी खुली गांड का छेद सीधे मेरी ननद के मुंह पर , ... और अब वो चाह कर भी अपना मुंह नहीं बंद कर सकती थी। मैंने उसे वार्न करने के लिए अपना एक हाथ उसके नथुने पर रखा ,पर उसकी जरूरत नहीं पड़ी।

लौंडिया समझदार थी ,
उसकी जीभ लपड़ सपड़

अब मेरी हालत खराब हो रही थी ,किसी कुंआरी किशोरी की जीभ पहली बार वहां ,...

मेरे हाथ अब गुड्डी के जुबना पर तो कभी क्लीट पर ,
पर गुड्डी भी कम नहीं थी , फास्ट लरनर

मेरी पक्की ननद , कुछ देर में उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े वाले छेद के अंदर ,

और साथ में ही गुड्डी के हाथ मेरे आगे के आग लगे छेद पर ,दो उंगलिया , अंदर अंगूठा क्लीट पर ,
मैं भी अब जोर जोर से गुड्डी का क्लिट रगड़ रही थी ,
इनके धक्के भी तूफानी हो गए थे ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,


झड़ी सबसे पहली गुड्डी ,फिर ये और साथ में मैं ,

हम तीनो साथ साथ देर तक झड़ते रहे ,रुक जाते फिर झड़ते ,... और जैसे बेहोश , ... कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर ,

मेरी निगाह खुली तो ये अभी भी गुड्डी के अंदर धंसे , थोड़ी सी रबड़ी मलाई बाहर छलक गयी थी।

गुड्डी के होंठों पर मेरा रस ,

उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर। अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर। …….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।

मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा।


रंग -प्रसंग,


कोमल के संग



होली हो और होली के किस्से न हों,... लेकिन इस बार मैं अपनी कुछ कहानियों के जो इस फोरम में हैं उन्ही के होली से जुड़े हुए अंश एक बार फिर से पन्ने पलट के साझा करुँगी, जैसे हर होली की बयार हर फगुनाहट मस्ती के साथ टीस भी लाती है, कुछ गुजरी हुयी होलियों के, ऐसी होली जो हो ली,... लेकिन मन में बार बार होती है, पड़ोस वाली से, क्लास वाली से या फिर देवर भाभी, जीजा साली की हो, उम्र गुजरती है, रिश्तों पर वक्त की चादरें चढ़ने लगती हैं,... लेकिन मन तो वही रहता है तो मैं शुरू करुँगी

मोहे रंग दे, के होली प्रसंग से


please do visit my new thread dedicated to HOLI. Link is on top of this post
JKg 175
All Some ,all in one, erotic madak kamuk super duper gazab sexiest update.
👌👌👌👌👌👌👌
✅✅✅✅✅✅
⭐⭐⭐⭐⭐
 
Top