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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

arushi_dayal

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दुनिया की पहचान है नारी,
हर घर की जान है नारी।
बेटी, बहन, माँ और पत्नी बनकर,
घर घर की शान है नारी।।

Happy women’s Day

C9-D14-AEE-6-D9-A-47-E9-AFA3-D43-BD7314-BB1
 

komaalrani

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बधाइयाँ अंतराष्ट्रीय नारी दिवस की





यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।।



Anvaya: यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।

जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
Where women are worshiped, there lives the Gods. Wherever they are not worshiped, all actions result in failure.
 

komaalrani

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Happy women’s Day

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On the day of IWD a perfect picture by Arushi Ji, ,most apt and befitting to you, thank so much. I am always against commodification and objectification of women even in erotic stories and try to present her point, your picture, attitude and approach gives me strength, may your tribe increase.🙏🙏🙏🙏🙏
 
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komaalrani

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komaalrani

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Dedicated to Arushi's post on Women's day


when i first wrote JKG ( this story ) it was in English and had a marginally different slant, and i am sharing the last part where the story JKG ended.


[FONT=Lobster, cursive]this also underlines the spririt of story and spirit of IWD.[/FONT]


I had sent an article about ‘feminine approach’…it was basically in reference to “Make poverty history”.
I had suggested a three fold approach to this issue.
First was that defence spending, it is 2.5 % of GDP and more over the way it is increasing…touching, 1204 billion dollars in 06, US spending more money than any other country, and its defence budget which was 300 Billion dollars in 2001 is now crossing 700 Billion dollar. If was can divert most of it to development….and shutting down of defence conglomerates will not only release financial capital but human capital, scientists administrators, managers…it will unleash huge amount of human capital. And then the issue of environment most important global concern now, In 2006, the US operations in Iraq and Afghanistan burned about 16 gallons of fuel per soldier on average per day , almost twice as much as the year before. The US Air Force spends about $5 billion a year on fuel, mostly to support flight operations. The Navy and Army are close behind. But the big issue was how…peaceniks are talking about since centuries, but business interests all over the world favors things other wise.



But the question of influencing decision comes next and that was the third corner stone, where ‘feminine approach’ came.

Enron, Taliban and Roman ******** Church have one thing in common, they never permitted women to go on top, and we know where they are now. I presented a study of 50 companies led by business women and compared it to those where strong masculine culture is prevalent, and indicated that how growth is faster and smother in first category. My focus was not on gender issues, but attitudes and value systems which define its organizational culture. It was typically Atenian vs Spartan, Athenian loved to love, enjoy and discuss poetry, focused on softer aspects of life and in Sparta; they knew how to fight and liked to fight. My contention was in post competitive, post modern world war is obsolete. We should show care, cooperation and instead of wasting time in fighting learn to show compassion, karuna.
And women innately have that characteristic, that cashmere glove approach. Contemporary successful women leaders do it their way, utilizing the positive feminine characteristics in a visible and conscious way that helps instead of hinders their careers.
And they are by nature opposed to wars and violence as well evidenced in Lysistarta projects which declares ‘The Lysistrata Project recognizes that in the widening spiral of escalation now gripping our world, each act of violence, blamed on the previous one, necessarily begets another. "An eye for an eye," Gandhi said, "leaves the whole world blind.”

My paper had a lot of practical suggestions too, apart from bringing more women to decision making arena, it suggested on focusing more on EQ rather than IQ, along with process, focus on attitudes and cultural issues and went into lot of details. Like it had a suggestion that weekends should be extended to 4 days, where for one and half days people will telecommute, work from home and company will share their household infra expenses as house will be an extension of office. It will save power, maintenance staff, support staff and moreover, commuting hours…on Fridays there will be club afternoons where apart from meeting socially managers can sort our issues in more relaxed atmosphere.



Thanks Arushi Ji as your post goaded me to share almost forgotten past of this story,

Happy Women's day
 
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Jiashishji

दिल का अच्छा
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जोरू का गुलाम भाग १७१

ननदिया मांगे नेग, गीता की जिद्द



गीता ने ननद का काम किया , टॉप्स उठा कर गुड्डी के कान में पहना दिया और फर्श पर बैठ कर , अपनी नयकी भौजी के पैरों में पाजेब पहनते हुए बोली

" अब रोज बजना है ,दिन रात , घर में भी घर के बाहर भी "



मैंने चूड़ियों के टुकड़े चुन लिए और फिर मैंने और गीता ने मिल कर वो चादर समेट ली जिसमें इनकी बहन के खून के और इनकी मलाई के धब्बे लगे थे , धुलने के लिए नहीं सम्हाल कर रखने के लिए। एक नयी हलकी गुलाबी चादर फिर से बिछा दी।

" इसको भी तो साफ़ कर दें " और गीता ने अपने आंचल को ऊँगली में लपेट कर अपनी नयकी भौजी की चूत में रगड़ रगड़ कर ,एक बूँद भी अंदर उस शैतान ने न छोड़ा होगा।

मतलब मैं समझ रही थी , बेचारी गुड्डी को क्या मालूम ,... वो गुड्डी की चूत को एकदम सूखा कर दे रही थी ,जैसी कल चुदने के पहले थी , और अब सूखी होने पर फिर से चोदने वाले को भी उतनी ही मेहनत करनी होगी और चुदवाने वाली को भी उतना ही तेज दरद होगा जैसे कल हुआ था ,

अच्छी तरह से साफ़ ,सूखी करने के बाद जिस ट्रे में पान रखे थे और थे और जिस ग्लास में दूध रखा था उसे लेकर गीता , किचेन में गयी और अब मैं अपनी ननद का हाल चाल पूछ रही थी।

……………

लेकिन उसके पहले मैंने उसे एक नाइटी पकड़ा दी , पिंक ,सिर्फ एक डोरी से बंधी , जाँघों तक बस , ... जैसे मैंने पहन रखी थी ,चड्ढी बनियान देने का तो सवाल ही नहीं था।



और मैंने उससे वही सवाल पूछा जो हर भाभी अपनी ननद की पहली रात के बाद उससे पूछती है ,

" क्यों मज़ा आया। "
उसने आँखे बंद कर ली , और खूब जोर से ब्लश किया।
मैंने खूब जोर से चिकोटी काट ली,
उईईई वो मजे से चीखी , फिर मेरे कंधे पर सर रख दिया और मेरे कानों में हलके से वो किशोरी बोली ,
" लेकिन भाभी ,... दर्द बहुत हुआ। बस जान नहीं निकली। "

" पहले ये बताओ , मज़ा आया की नहीं ,... " मैं छोड़ने वाली नहीं थी उसे।



अब उसने एक बार फिर आँखे बंद कर ली , फिर मुस्करायी , आँखे खोली और उस उसका खुश चेहरा सब बता रहा था , और फिर मेरी ननद ने हलके से मुझे चूम लिया , ... और जोर से शरमा गयी।
" आया न मज़ा " उसकी ठुड्डी उठा के मैंने पूछा।

अब उसने सर ऊपर नीचे कर के हामी में सर हिलाया और उसके मीठे मुंह से बोल फूटे ,...

" लेकिन भाभी , ये सब,... बस आपके कारण हुआ , वरना भैय्या तो इतने,... बस मैं ये सोच रही थी की ,... "



"क्या ,.. बोल न। " मैंने उसे उकसाया

" यही की ,... यही की ,... भय्या ने दो साल पहले क्यों नहीं किया , मन तो उनका तब से कर रहा था ,ललचा ललचा के मेरी अमिया देखते थे। "

मैंने जाँघों पर से उसकी नाइटी सरका दी , और अब उसकी चिरैया सहलाते बोली ,

" देख जैसे दाने दाने पर खाने वाले का नाम लिखा होता है न उसी तरह इस पर भी , ... इस पर तो तेरे भैय्या का ही नाम लिखा था , फाड़ना तो उन्हें ही था , इसे ,...देर सबेर ,... और फिर जहाँ तक मेरा सवाल है , मैं क्या हर भौजाई चाहती है ,उस की नंनद की चिरैया जल्दी से उड़ने लगे। तो चल अब बन गयी न भाई चोद , अब तो रोज बिना नागा घचाघच्च,... " और अपनी तर्जनी का एक पोर अंदर ठेल दिया।



जहाँ मुश्किल से एक दरार दिखती थी , वहां अब एक बहुत छोटा सा छेद ,... लेकिन अभी भी बहुत ही कसा,... और गीता ने सुखा के मेरी ननद की बिल को एक बार फिर ,... घुसते ही उसकी बड़ी जोर से परपरायेगी।

तभी दरवाज़ा खुला ,मैंने अपनी ऊँगली तो हटा ली लेकिन उसे नाइटी ठीक नहीं करने दी। गौरेया अभी भी खुली थी।

गीता और हाथ पकड़ कर के ,उसके पीछे पीछे ,

मेरी भाइचोद ननद के बहनचोद भैया, एक छोटी सी मेश की बॉक्सर शार्ट पहने ,



मेरी निगाह घडी पर पड़ी , पौने बारह ,... यानी वो तीन घण्टे से ऊपर सो चुके थे , और ये उनको ताज़ादम करने के लिए बहुत था। मेरे ' वो ' का ' वो ' भी झलक रहा था , लेकिन अभी आराम करता।

गीता ने उन्हें उनकी बहना के बगल में बैठा दिया और खुद नीचे फर्श पर दोनों के सामने बैठ गयी , और बोलने लगी ,

" भइया ,पहली रात का बहन का नेग होता है , ... तो पहले हाँ कर दो ,... "

वो भी छेड़खानी के मूड में थे , गुड्डी के कंधे पर हाथ रख कर बोले ,

" तो अपनी नयकी भौजी से काहे नहीं मांगती ?"

गीता गुड्डी की आँखों में झांकती बोली ,

" मेरी नयकी भौजी बहुत अच्छी हैं , उन्होंने तो तुरंत हाँ कर दिया , बल्कि तिबाचा भी भर दिया ,अब भइया आप का नंबर है , आपभी हाँ कर दीजिये।"

"जब इन्होंने अपनी ननद को हाँ कर दी है तो मेरी क्या औकात चल मेरी ओर से भी हाँ ,... " वो बोले।

" ऐसे नहीं तीन बार ,.... तिरबाचा , और हाँ मेरी कसम , अगर हाँ करने के बाद मुकरे,... " बड़ी अदा से जिद करती हुयी वो किशोरी ,गीता बोली।

और उन्होंने तिरबाचा भर दिया और उससे बोला ,अच्छा चल अब ऊपर आके बैठ न ,... "

गीता ने बड़ी जोर से ना ना में सर हिलाया , और अब गुड्डी की ओर देखा ,

" भाभी भइया ने बोल दिया है ,अब आप भी ननद की नेग के लिए हाँ कर दो न ,मेरी अच्छी भौजी ,... " बहुत इसरार के साथ गीता बोली।

" अरे मैंने तो पहले ही तुझे हाँ कर दिया है ,आओ न ऊपर ,... " गुड्डी खिलखिलाते हुए बोली।

नहीं नहीं ,गीता जैसे रूठ कर बैठ गयी और बोली ,

" आप दोनों लोग साथ साथ तिरबाचा करो , मेरे नेग में बेईमानी नहीं करोगे , जो मैं मांगूंगी दोगे "



" अरे मैं अगर दे सकती हूँ तो जरूर दूंगी , ननद रानी मान जाओ न ,... " गुड्डी भी अपने भौजी वाले रोल में आ गयी थी।
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ,मैंने गीता को उकसाया

" अरे साफ़ साफ़ बोल न क्या चाहिए , मैं हूँ न ,ये दोनों बेईमानी करेंगे ,.. "

पर दोनों एक साथ बोले , " अरे बेईमानी क्यों करेंगे , .... हाँ हाँ हाँ " गुड्डी और उसके भैया ने तिरबाचा भर दिया।

" अरे चल अब तो मुंह खोल , ... " मैंने गीता को उकसाया।
इसी छेड़ छाड़ के तो सब दीवाने हैं । जितनी ज्यादा मनुहार । उतना ज्यादा प्यार
 

komaalrani

Well-Known Member
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इसी छेड़ छाड़ के तो सब दीवाने हैं । जितनी ज्यादा मनुहार । उतना ज्यादा प्यार
क्या बात कही है आपने बहुत बहुत धन्यवाद
 
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Jiashishji

दिल का अच्छा
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नेग




" अरे मैंने तो पहले ही तुझे हाँ कर दिया है ,आओ न ऊपर ,... " गुड्डी खिलखिलाते हुए बोली।

नहीं नहीं ,गीता जैसे रूठ कर बैठ गयी और बोली , " आप दोनों लोग साथ साथ तिरबाचा करो , मेरे नेग में बेईमानी नहीं करोगे , जो मैं मांगूंगी दोगे "

" अरे मैं अगर दे सकती हूँ तो जरूर दूंगी , ननद रानी मान जाओ न ,... " गुड्डी भी अपने भौजी वाले रोल में आ गयी थी।

मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ,मैंने गीता को उकसाया

" अरे साफ़ साफ़ बोल न क्या चाहिए , मैं हूँ न ,ये दोनों बेईमानी करेंगे ,.. पर दोनों एक साथ बोले , " अरे बेईमानी क्यों करेंगे , .... हाँ हाँ हाँ " गुड्डी और उसके भैया ने तिरबाचा भर दिया।

" अरे चल अब तो मुंह खोल , ... " मैंने गीता को उकसाया।




गीता बोली कुछ नहीं बस बड़ी जोर से मुस्करायी और दोनों हाथो से जैसे छोटे बच्चे को खिला रही हो ,उस तरह की ऐक्टिंग की।

मैं उस की बदमाशी समझ तो गयी लेकिन मैंने उसे और चढ़ाया

" हे साफ़ साफ़ बोल ,... क्या चाहिए ,... "

और गीता , स्साली पक्की नौटंकी , सीधे गुड्डी की ओर देखते बोली , " भतीजा ,.. चलिए भौजी ,... भतीजी भी चलेगी ,... आज से ठीक नौ महीने बाद। फिर मैं जड़ाऊ कंगना लूंगी। "

शरमा के गुड्डी ने आँखे बंद कर लीं , चेहरा उसका लाज से लाल , मैं क्यों मौका छोड़ती , गुड्डी के कान में बोली ,अब देख तूने तीन तिरबाचा भर दिया है ,अपनी ननद की कसम भी खा ली है ,... "

गीता ने उस सवाल का जवाब दे दिया जो गुड्डी बोलती ,

" भौजी ई बात नहीं चलेगी की अबहिन उमरिया क बारी हो , मैं तोहसे छह महीने छोट थी तो पेट फुलाय ली थी , " और फिर उसने अपनी तोप इनकी ओर मोड़ दी ,

" भैया तुम बोलो न ,भौजी को समझाओ , ... फिर जैसे कुछ सोच के बोली ,

" कतौं तुम उ का कहते हैं ,... हाँ कंडोम तो नहीं इस्तेमाल करते , ... फिर बेचारी भौजी का करेंगी ,"


कुछ रुक के गीता खुद बोली " लेकिन लेकिन हमके तो मालूम था की तोहैं कंडोम एकदम पसंद नहीं है , और अइसन माल के साथ तो एकदम नहीं ,... फिर ,... "

मैंने मुश्किल से हंसी दबायी , शादी के दो तीन बाद ही तो गलती से मैंने कंडोम शादी के ऐल्बम में रख दिया था जहां मेरी इस छुटकी ननद की फोटो थी और वो ऐसे अलफ़ ,

और अब गीता गुड्डी की ओर ,... " कहीं गोली वोली तो नहीं ,... "


गुड्डी की मुस्कराहट ने उसे जवाब दिया और गीता भी खिलखिलाते हुए बोली

"चलो भौजी ,नौ न सही दस महीने , और जो तोहार छुट्टी पांच दिन वाली अबकी बार ख़तम होइ न तो तोहार उ गोली वाली हम उठाय के फेंक देब। दिन रात चोदवावा भैया से ,और ओकरे बाद ,..."



गुड्डी शर्म से चुप

मैं बोली , " अरे चुप मतलब हाँ , अब बैठ जाओ न ऊपर , और गीता आ के इनके बगल में बैठ गयी।



…………..

गीता बैठ तो गयी उनके बगल में लेकिन गीता तो गीता थी , चालू हो गयी।

' नयकी भौजी बहुत उदास थीं , कह रही थीं , ... मैं भैय्या के साथ आयी लेकिन रात में भैय्या ने कुछ किया ही नहीं। "

गुड्डी बिचारी नयी बछेड़ी , उसे गीता ऐसी पक्की छिनार की चाल की क्या खबर , चिहुँक के बोली ,

" नहीं नहीं मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था ,... "

" अच्छा अच्छा तो ,... भैया ने किया था , तो बोलो न क्या किया था , ... चुम्मा लिया था , जुबना दबाया था या ,... हमरे समझ में नहीं आ रहा है की का किया था। " गीता बड़े भोलेपन से बोली।

और मैं भी मैदान में आ गयी ,

" अच्छा मान लो ,कुछ किया भी था तो पता नहीं , तुम दोनों भाई बहन की चाल हो ,रात भर खर्राटे मार मार के सोये हो और ,... अरे जंगल में मोर नाचा किसने देखा ,क्यों गीता। "


" अरे हमार छुटकी भौजी , ...नैहर क बांकी ,... इनमे चाहे जो बुराई हो ,लेकिन झूठ नहीं बोलतीं। मगर बात आपकी भी सही है , जंगल में मोर वाली ,... अरे हम लोगन के सामने भी करवाय लेंगी भैया से। आखिर भौजी लोग आपन घर दुआर छोड़ के , काहें आती हैं , भैया से चुदवाने ही तो , ... "

गुड्डी का गाल प्यार से सहलाते वो बोली।

मैंने भी गीता की तरह नाटक किया , अपनी ननद को चढ़ाते बोली ,

" करना करवाना तो दूर की बात है , ... अगर तोहार नयकी भौजी अपने भइया क ,... खाली एक्के खोल के ,... तो मैं मान जाउंगी की रात भर मूसल चला इनकी ओखरिया में। "

बस गीता को मौका मिला गया , गुड्डी के कोमल किशोर हाथों को पकड़ के सीधे उसने इनके बित्ते भर के छोटे से मेश शीयर शार्ट के ऊपर रख दिया ,और बोली,

" छुटकी भौजी तनी देखाय दा इन्हे , खोल दो न ,... समझती का हैं ई ,.. "

और थोड़ी जोर जबरदस्ती ,थोड़ी शरारत ,... कुछ गुड्डी ने खींचा ,कुछ गीता ने पकड़ के जबरन खिंचवाया ,लेकिन शार्ट जमीन पर था ,और शेर आजाद था ,पिंजड़े से बाहर।

शेर अभी भी सोया ज्यादा था जागा कम। लेकिन कुनमुना रहा था। पर सोते हुए भी औरों के तन्नाए हुए से भी ज्यादा मोटा लम्बा दिख रहा था ,




गीता ने इनकी ममेरी बहन को और उकसाया , " अरे तनी एक चुम्मी तो ले लो ,इसकी ,... "

मेरी छुटकी ननद थोड़ी हिचकिचाई पर मैंने उसके कान में फुसफुसाया,

' अरे यार ये छोड़ेगी नहीं , कुछ नहीं करना , बस जरा सा , ...और वैसे भी अभी वो सोया हुआ है ,... कोई ख़तरा नहीं है तुझे ,बस जरा बड़ा सा मुंह खोल के एक छोटी सी चुम्मी , मुंह लगा के , बस हटा लेना ,... सच में कुनमुना रहा था ,लेकिन था अभी सोया ही , और ये बात नहीं की इनकी बहन ने कभी उसे मुंह में न लिया हो ,

वो अभी भी थोड़ी हिचकिचा रही थी , पर मैंने फिर चढ़ाया ,' यार तू भी न , बस मुंह में सिर्फ सुपाड़ा ले लो न , वो भी दस तक गिनती गिन के छोड़ देना , बात भी हो जाएगी और ,... "

हिचकिचाते हुए वो कुँवारी किशोरी झुकी , और उसने खूब बड़ा सा मुंह खोल लिया ,...

" उन्ह उन्ह नहीं ,... और बड़ा मुंह खोलो न ननद रानी ,... " मैंने और उकसाया ,और मेरी छुटकी ननदिया ने सच में खूब बड़ा सा मुंह खोल के उनके सुपाड़े को बस थोड़ा सा एकदम ज़रा सा ,

पर उसे पता नहीं था की छिनारों की छिनार गीता की चाल , गीता मुझे देख के मुस्करायी ,और फिर दोनों हाथ पूरी ताकत से इनकी ममेरी बहन के सर पर रखकर दबा दिया।

गीता का हाथ था मजाक नहीं ,फिर उनका वो अभी सोया सा ही ,
सोया था ? कोई बात नहीं अब जाग जाएगा।
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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गीता की छेड़खानियां




गीता ने इनकी ममेरी बहन को और उकसाया , " अरे तनी एक चुम्मी तो ले लो ,इसकी ,... "

मेरी छुटकी ननद थोड़ी हिचकिचाई पर मैंने उसके कान में फुसफुसाया, ' अरे यार ये छोड़ेगी नहीं , कुछ नहीं करना , बस जरा सा , ...और वैसे भी अभी वो सोया हुआ है ,... कोई ख़तरा नहीं है तुझे ,बस जरा बड़ा सा मुंह खोल के एक छोटी सी चुम्मी , मुंह लगा के , बस हटा लेना ,...

सच में कुनमुना रहा था ,लेकिन था अभी सोया ही , और ये बात नहीं की इनकी बहन ने कभी उसे मुंह में न लिया हो ,

वो अभी भी थोड़ी हिचकिचा रही थी , पर मैंने फिर चढ़ाया ,' यार तू भी न , बस मुंह में सिर्फ सुपाड़ा ले लो न , वो भी दस तक गिनती गिन के छोड़ देना , बात भी हो जाएगी और ,... "

हिचकिचाते हुए वो कुँवारी किशोरी झुकी , और उसने खूब बड़ा सा मुंह खोल लिया ,...

" उन्ह उन्ह नहीं ,... और बड़ा मुंह खोलो न ननद रानी ,... " मैंने और उकसाया ,और मेरी छुटकी ननदिया ने सच में खूब बड़ा सा मुंह खोल के उनके सुपाड़े को बस थोड़ा सा एकदम ज़रा सा ,


पर उसे पता नहीं था की छिनारों की छिनार गीता की चाल , गीता मुझे देख के मुस्करायी ,और फिर दोनों हाथ पूरी ताकत से इनकी ममेरी बहन के सर पर रखकर दबा दिया। गीता का हाथ था मजाक नहीं ,फिर उनका वो अभी सोया सा ही , गुड्डी छटपटाती रही ,लेकिन आधा ,फिर दो तिहाई और अंत में पूरा पांच इंच गुड्डी के मुंह में , ( जितना ज्यादातर लोगों का टनटनाने पर होता है ,उतना गुड्डी के भैय्या का सोते में ही ,... ) गीता ने अपना जोर कम नहीं किया , वो जोर से उस इंटरवाली के सर को पकड़ कर प्रेस करती रही ,जब तक उसने पूरा घोंट नहीं लिया।




और मैंने भी गुड्डी बस एक जरा सी नाइटी ही तो पहने थी ,वो भी सिर्फ एक गाँठ के सहारे अटकी ,और मैंने वो गाँठ खोल दी ,नाइटी सरक के जहां उनका शार्ट गिरा था ,उसी के ऊपर ,..

झुकी हुयी वो मस्त रसीली किशोरी , उसके गुलाबी शहद से होंठों के बीच में उसके भैया का खूंखार लंड

और अब नाइटी खुलने से उस इन्टर वाली की झुकी झुकी छोटी छोटी खटमीठी कच्ची कच्ची अमिया ,... कुछ उनकी ममेरी बहन के कच्चे टिकोरों का असर ,कुछ उसके मीठे मीठे होंठों का , शेर जगने लगा ,अंगड़ाई लेने लगा ,

गीता ने सिर्फ एक हाथ उसके सर पर रखा था , हलके से पकड़ रखा था बस ,... और गुड्डी भी अब स्वाद ले ले कर सपड़ सपड़ चूस चाट रही थी ,


उसने पहले भी उनका मूसल घोंटा , था उनकी ममेरी बहन ने लेकिन सिर्फ सुपाड़ा और एक बार दिया ने बहुत जबरदस्ती की थी ऑलमोस्ट आधा,चार इंच के आसपास और उसी में उसकी जान निकल रही थी ,

गीता ने सिर्फ हलके से और गुड्डी खुद , ...सच में गीता सही कहती थी ,ये बचपन की पक्की छिनार है ,उसे कुछ सिखाने पढ़ाने की जरूरत नहीं , जैसे मछली को तैरना सिखाने की जरूरत नहीं पड़ती , एकदम वैसे ,...

गुड्डी मस्ती से चूस रही थी उनके आधे सोये आधे जागे खूंटे को ,

गीता की चालाकी मैं अच्छी तरह समझ रही थी ,


जैसे किसी हाथी के बच्चे को जब वो बहुत छोटा होता है तो बस एक सांकल से बांध देते हैं , और धीमे धीमे उसे उस छोटी सी जंजीर की आदत पड़ जाती है , बस जब हाथी खूब बड़ा पूरा ताक़तवर हो जाता है , बस तभी भी उसी सांकल से एक खपच्ची से खूंटे से बंधा रहता है ,



बस वही हालत अब गुड्डी की होने वाली थी ,

गीता ने एक बार फिर से दोनों हाथ गुड्डी के सर पर कस के ,... अब गुड्डी सर हटाने को कौन कहे ,हिलाने की भी नहीं सोच सकती थी, लिंग उसके भइया का अब पूरा तन्नाने लगा था ,
मेरी छुटकी किशोर ननद की हालत ख़राब होने लगी थी ,सुपाड़ा उसके भैया का उस इंटर वाली टीनेजर के हलक तक धंसा था , गाल दोनों एकदम फूल गए थे ,आँखे निकली पड़ रही थीं , पर गीता ने कस के मेरी ननद के सर को दबा रखा था.

पानी से बाहर निकलने के बाद जिस तरह मछली तड़पती है ,बस उसी तरह तड़प रही थी वो,अब लंड अपने असली रूप में आ चुका था , पूरे बित्ते भर का , उनकी किशोरी ममेरी बहन के गले में , एकदम हलक तक घुसा , अटका,...

और अब वो छूटने की कोशिश कर रही थी किसी तरह मुंह से निकालने की ,

पर गीता की पकड़ ,उसका जोर , अब उसके दोनों हाथ पूरी तरह मेरी ननद के सर पर पूरे जोर से ,मुश्किल से गों गों की आवाज उसके गले से निकल रही थी ,हलकी हलकी लार भी बूँद बूँद कर,



मुझे लग रहा था की कहीं कुछ , पर गीता बजाय दबाव कम करने के उसका मज़ाक बना रही थी ,छेड़ रही थी ,

" अरे भौजी काहें हमसे झूठ बोल रही थी। इतने चौड़े चाकर मुंह में तो घोंट नहीं पा रही हो , मार गों गों कर रही हो , जैसे जान निकल रही हो ,... और कह रही हो की चुनमुनिया में घोंटी थी पूरा का पूरा। चुप चाप घोंटो और चूसो मजे से ,ज्यादा नखड़ा नहीं ,... नौटंकी स्साली। "

मुझे लग रहा था की कहीं गैंग रिएक्शन हो , चोक करे वो पर गीता ने दो चार मिनट तक

और उसके बाद हल्का सा बस , बस थोड़ा सा , जैसे किसी की साँस डूब रही हो , और उसे थोड़ी सी हवा मिल जाय बस उसी तरह गुड्डी के चेहरे पर राहत झलक उठी।

…..लेकिन अभी भी आधे से ज्यादा उनका लौंड़ा , उनकी ममेरी बहन के मुंह में घुसा हुआ था। उस किशोरी के गाल अभी भी फूले हुए थे , उनका था भी तो बहुत मोटा, आँखे अभी भी उबल रही थीं, पर चेहरे पर दर्द एकदम कम हो गया था , मुंह उसका पूरी तरह खुला ,फैला था।

कुछ देर तक तो मेरी छुटकी ननदिया इसी तरह ,... लेकिन गीता इत्ती आसानी से ,... उसने फिर हलके हलके धीरे धीरे प्रेशर बढ़ाना शुरू किया , और सूत सूत सरकते हुए मोटा लिंग अब एक बार फिर अंदर की ओर ,...

कुछ देर में एक बार जड़ तक धंसा , घुसा और वो टीनेजर , एक बार फिर तड़प रही थी , छुड़ाने के लिए चूतड़ पटक रही थी , गों गों की आवाजें निकाल रही थी ,

लेकिन गीता ने पूरी तरह जोर से ,जबरदस्ती अपने दोनों हाथों की ताकत से, उस इंटर वाली का सर उसके भइया के लंड पर दबोच रखा था। निकालने को कौन कहे , वो किशोरी अपना सर हिला डुला भी नहीं सकती थी।



वो हाथ पैर पटक रही थी ,एक बार फिर उसका चेहरा दर्द से भरा , और उनका मोटा बांस उस कच्ची कली के हलक तक धंसा ,

मेरी निगाह बार बार घडी की ओर जा रही थी , आधा मिनट ,... एक मिनट ,... डेढ़ मिनट ,... मोटा सुपाड़ा सीधे उस किशोरी के हलक में धंसा ,... और फिर गीता ने जोर थोड़ा हल्का किया ,... और गुड्डी के सर को ,जैसे इशारा मिला हो धीमे धीमे ,ऊपर ,उकसाती निगाहने की ओर ,...

और अबकी आलमोस्ट पूरा बाहर ,... सिवाय मोटे सुपाड़े के

कुछ ही देर में गुड्डी के चेहरे से दर्द गायब था और सिर्फ मजा था ,जैसे कोई स्कूल की लड़की मजे ले ले कर लॉलीपॉप चूसती है , बस उसी तरह मस्ती से गुड्डी अपने भइया का मोटा सुपाड़ा चूस रही थी।
मस्त
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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डीप थ्रोट




वो हाथ पैर पटक रही थी ,एक बार फिर उसका चेहरा दर्द से भरा , और उनका मोटा बांस उस कच्ची कली के हलक तक धंसा ,
मेरी निगाह बार बार घडी की ओर जा रही थी , आधा मिनट ,... एक मिनट ,... डेढ़ मिनट ,... मोटा सुपाड़ा सीधे उस किशोरी के हलक में धंसा ,...

और फिर गीता ने जोर थोड़ा हल्का किया ,... और गुड्डी के सर को ,जैसे इशारा मिला हो धीमे धीमे ,ऊपर ,उकसाती निगाहों की ओर ,... और अबकी आलमोस्ट पूरा बाहर ,... सिवाय मोटे सुपाड़े के कुछ ही देर में गुड्डी के चेहरे से दर्द गायब था और सिर्फ मजा था ,जैसे कोई स्कूल की लड़की मजे ले ले कर लॉलीपॉप चूसती है , बस उसी तरह मस्ती से गुड्डी अपने भइया का मोटा सुपाड़ा चूस रही थी।



गीता ने अपना एक हाथ हटा लिया था और दूसरा हाथ भी बहुत हलके से ,

और गुड्डी कभी जीभ से चाटती तो कभी होंठों से कस कस के चूसती साथ ही उस शरीर की छेड़ती उकसाती निगाहें बार बार अपने भइया के चेहरे की ओर

और उन की आँखे भी उसे देख कर मुस्करा रही थीं , गीता के एक हाथ के हलके से इशारे से एक बार फिर उनकी ममेरी बहन के रसीले किशोर शहद से मीठे होंठ सरकते हुए उनके बांस पर तीन चौथाई , छह इंच के करीब घोंट गयी। और फिर गीता के दोनों हाथ , जैसे सिर्फ गाइड कर रहे हों , हलके से पुश कर रहे हों ,और इस बार वो टीनेजर भी अपनी ओर से पूरी तरह कोशिश कर रही थी ,थोड़ी देर में बित्ते भर का वो घोंट गयी।

तड़प वो अभी रही थी ,छटपटा रही थी , गों गों कर रही थी ,... पर उस दर्द में एक मजा भी उसके चेहरे पर दिख रहा था.

और इनके चेहरे पर भी एक मस्ती थी ,गुड्डी का तड़फड़ाना , छटपटाना देख कर , उन्होंने कोई भी कोशिश नहीं की अपना खूंटा अपनी ममेरी बहन के मुंह से अलग करने की।

गीता के हाथ अभी भी गुड्डी के सर पर कस कर , और फिर धीरे धीरे ,... एक बार फिर आधे से ज्यादा बाहर और कुछ रुक कर फिर उस किशोरी के होंठ उनके मूसल पर रगड़ते ,दरेरते , घिसटते , सीधे जड़ तक ,

चार पांच बार ,

और मेरी आंखे अचरज से फ़ैल गयी जब मैंने देखा अगली बार गीता का सिर्फ एक हाथ और वो बस सहारा दिए हुए ,पुश भी नहीं कर रही थी और

मेरी ननद खुद पूरी ताकत से , अपना मुंह इनके मोटे बांस पर , पूरी ताकत से , और जब आखिरी का एक इंच बाकी रह गया , इन्हे लगा की उनकी ममेरी बहन के लिए मुश्किल हो रहा है तो खुद अपने दोनों दोनों हाथ उसके सर पर रख कर अपनी ओर खींच रहे थे , नीचे से हिप उठा उठा के , पूरी ताकत से पुश कर रहे थे , और जब एक बार फिर उनका सूपाड़ा , उनकी ममेरी किशोर बहन के गले में धंस गया , दोनों के चेहरे पर एक अजब सुकून , एक अजब मजा दिख रहा था। फिर खुद गुड्डी ने धीमे धीमे , अपना सर उठा के ,



और कुछ देर बार गुड्डी की एक्सपर्ट डीप थ्रोट वाली एक्सपर्ट की तरह , मजे से चूस रही थी चाट रही थी। और मैं तारीफ़ से गीता को देख रही थी ,

मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी की ये कल की छोरी अभी चार दिन पहले इंटर पास किया और ये बित्ते भर का मोटा खूंटा , जड़ तक

गुड्डी के गाल दुःख रहे थे , फट रहे थे फिर भी वो ,... और जिस तरह से उस की खुश खुश आँखे अपने भैया के चेहरे की ख़ुशी को निहार रही थी , जैसे यह रही हो ,भइया तेरी ख़ुशी के लिए , ... तेरे मजे के लिए तो ,... मुंह में लेना क्या ,.. मैं कहीं भी , ...कैसे भी ,... कुछ भी ,...

जब उनके सोते जागते औजार को गुड्डी ने मुंह में लिया था तबसे अबतक १२ -१४ मिनट हो चुके थे , और थक कर ,... उस किशोरी ने अपने होंठ अलग कर लिए।

वो ऐसे देख रहे थे जैसे किसी ने उनके हाथ से मिठाई छीन ली हो ,

मीठी मिठाई तो थी ही मेरी टीनेजर ननदिया , एकदम रसमलाई।

दो चार मिनट वो सुस्ताई , फिर के जबरदस्त आँख मारी उसने अपने भैया को , प्रिया प्रकाश फेल।

और उनका खूंटा तो अभी भी तन्नाया बौराया ,

गुड्डी ने साथ में एकदम सुपाड़े के पास ले जाके अपने दोनों गुलाबी रसीले होंठ खोल कर उन्हें ललचाया ,... और उन्होंने सीधे अपना मूसल उसके मुंह में ठोंक दिया।

अब वह न चूस रही थी न वो चुसवा रहे थे , सिर्फ चोद रहे थे , हचक हचक कर , अपनी ममेरी बहन के मुंह को , जबरदस्त फेस फक , हर शॉट सीधे हलक तक ,



कोई खेली खायी होती तो भी हार मान लेती पर ये शोख किशोरी , उस की नाचती गाती हंसती मुस्कराती आँखे अपने भइया को और उकसा रही थी ,छेड़ रही थी ,चैलेन्ज कर रही थी ,

और वो भी हर धक्का पहले वाले से तेज , जबरदस्त फेस फकिंग ,... न उन्होंने उस किशोरी का सर पकड़ रखा था न गीता की जोर जबरदस्ती , खुद वो मुंह खोले ,हर धक्के के बाद अगले धक्के का इन्तजार करती ,



पन्दरह बीस धक्कों के बाद गीता ने दोनों को अलग कर दिया ,असली कुश्ती तो अभी बाकी थी।

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"चलो छुटकी भौजी मान गयी तुम अपने मुंह में घोंट सकती हो ,लेकिन एह चुनमुनिया में जरा भैया का खूंटा घोंट दिखाओ , तब मानी तोहार बात की कल भइया तुम्हारी फाड़ दिए। "

और अब हम सब उस बेड पर जहां कल रात भर कुश्ती हुयी थी भइया बहिनी की।

मेरी ननद बिस्तर पर लेटने ही वाली थी की गीता ने उसका हाथ पकड़ के रोक लिया और उसके भइया को बिस्तर पर लिटा दिया ,उनकी ममेरी बहन की मस्त चुसाई का असर ,

लंड कुतुबमीनार को मात कर रहा था , एकदम तना खड़ा ,

" भौजी , भइया मस्त खड़ा किये हैं , चढ़ जाओ ,... अरे एही पर चढ़ने के लिए तो आपन घर दुवार , मायका छोड़ के आयल हउ ना। "




गीता ने उकसाया ,गुड्डी की आँखों के देख के कर रहा था मन तो उसका भी कर रहा था , पर इतना लम्बा ,मोटा ,... पूरा तन्नाया,

" अरे यार बगल में बैठ तो जा न ,ज़रा झुक के अपनी मुट्ठी में ले लो , झुक के एकाध चुम्मी ले ले , .... फिर देखा जायेगा। "

मैंने उस किशोरी को समझाया , और वो अपने भइया कम सैंया के बगल में बैठ गयी , उस कोमल किशोरी की मुट्ठी में वो मोटा मूसल क्या अटता, पर अपनी कोमल कोमल उँगलियों से उसने पकड़ने की पूरी कोशिश की , और झुक के मोटे खुले सुपाड़े पर एक मीठी सी चुम्मी ले ली।



उस स्वाद को कौन लड़की भूल पाती , और एक चुम्मी से कौन उनकी ममेरी बहन का मन भरने वाला था , और अभी तो पूरा खूंटा वो चूस चुकी थी वो टीनेजर , बड़ा सा मुंह उसने खोला और आधा सुपाड़ा उसके मुंह में गप्प ,

मस्त चाट रही थी , साथ में उसकी जीभ जैसे गाँव की बरात में पतुरिया नाचती है , इनके मोटे मांसल सुपाड़े पर ,...

और अब उनकी भी हालत खराब थी , मन तो उनका भी बहुत हो रहा था अपनी ममेरी बहन को चोदने का ,... इस बात का कोई फरक नहीं पड़ने वाला था की गीता भी सामने थी , बस उनका मन तो उस किशोरी पर चढ़ने का हो रहा था , जिसके कच्चे टिकोरों ने कब से उन्हें बेचैन कर रखा था।

" हे भौजी रानी , मुंह में लेने से नहीं होगा , नीचे वाले मुंह में लो। अभी कह रही थी न की रात में भैया का पूरा घोंटा था , तो चल चढ़ ऊपर ,... "

गुड्डी कुछ कहते कहते रुक गयी , मन भी कर रहा था लाज भी लग रही थी , रात की बात बताते , पर गीता थी न उस की मन की बात बताने के लिए.

गीता ने पूछ लिया ,

"कल रात भर कौन चढ़ा था "

गुड्डी ने अपने भइया की ओर देखा और मुस्कराने लगी , पर गीता वो तो आज गुड्डी की सारी सरम लाज की ऐसी की तैसी करने में ,

"हे भाउज अइसन रंडी जस मुस्की जिन मारा। साफ़ साफ बोलो न की कल रात भर ऊपर कौन था , कौन चढ़ा था ,

गुड्डी समझ गयी थी गीता को उसने ननद बना तो लिया था लेकिन इस ननद से पार पाना आसान नहीं थी।

" भइया ,... " गुड्डी हलके से बोली।

" ,तो रात भर वो चढ़े थे , तो अब तुम्हारा नंबर , ... रात भर हचक हचक कर ,.. थोड़ा थक नहीं गए होंगे ,चलो चढ़ो ,.... " उसकी नयी बनी ननद ने हड़काया।

" अरे यार चढ़ जा न , बस एक बार सटा देना ,... फिर नहीं जाएगा तो बोल देना साफ़ साफ़ , मैं हूँ तेरी हेल्प करने के लिए " अपनी ननद की पीठ सहलाते हुए मैं बड़े प्यार से समझाते मनाते बोली मैं बोली।

मैं और गीता , गुड कॉप बैड कॉप रूटीन कर रहे थे।

गीता भी अब थोड़ा मुलायम ढंग से , " अरे चलो मैं बताती हूँ , कैसे चढ़ते हैं ,मायके में कुछ सीख वीख के नहीं आयी , ... "

ऐसी नन्द भौजाई मिली हैं कि गुड्डू जो नहीं सीख के आई वह सब यही सिखा दिया जाएगा ।
और फिर अपनी गुड्डी तो है ही क्विक लर्नर ।
 
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