जोरू का गुलाम भाग १४४
जेठानी जी का हिसाब किताब ( सूद सहित )
goodwill la jolla
,....लेकिन एक बात जो लाल डायरी में थी मेरे बारे में उसे पढ़ के मेरे बस आंसू निकल आये,... मेरे आने के दो दिन के अंदर ही किचेन मेरे हवाले , बेड टी से लेकर रात के खाने तक सब मेरे जिम्मे,.. सास शायद गाँव गयी थीं, दो दिन के लिए, और जेठानी ने रोज की तरह ,
लेकिन उस दिन ख़ास हुकुम था ,... कल एक पूजा होती है , जिसमें मुंह अँधेरे सूरज निकलने के पहले सब बन जाना चाहिए, साढ़े पांच बजे के पहले,... और आज कल चार बजे से पावर कट रहता है छह बजे तक,... मोमबत्ती और दियासलाई दोनों किचेन में ध्यान से रख देना,... किचेन में वो कहाँ रहता है ये मत पूछना,... रोज तो सुबह नौ बजे तक उठती हो , महरानी की तरह , एक दिन जल्दी उठ जाओगी तो क्या ,... और हाँ नहा जरूर लेना फ्रेश कपडे भी , ये नहीं की वही सब .. पहने , पूजा का खाना बनना है नयी बहू ही बनाती है,...
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और रात को भी उन्होंने जब मैं किचेन समेट रही थी , दस बार मोमबत्ती माचिस और चार बजे का नाम लिया ,
खैर मैंने अलार्म लगा लिया था , सोने तो ये खैर देते नहीं , मेरी सासू जी का बेटा मेरे कपड़ों और नींद दोनों का दुश्मन था,...
पौने चार बजे ही उठ के मैं नहा धो के फ्रेश कपडे पहन के , सवा चार बजे मैं किचेन में पहुंची, लाइट तो चार बजे ही चली गयी थी ,... बस किसी तरह मोमबत्ती और दियासलाई ढूंढ के , चूल्हे के पास ही रखा था मैंने ,...
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और माचिस जलाने ही वाली थी की एक हलकी सी महक नाक में आयी ,... मेरी कुछ समझ में नहीं आया , .... लेकिन फिर वो थोड़ी सी तेज ,... मैं डरी और जल्दी से इनको आवाज लगाई ,... इनकी नींद,.. लेकिन मेरी आवाज तो इन्हे दूर से ही सुनाई पड़ जाती थी और गहरी नींद में हो तो भी , बस पल भर में वो मेरे पास ,... और मुझसे पहले वो चिल्लाये गैस,... और झट झट किचेन की सारी खिड़कियां खोल दी, माचिस मेरे हाथ से छीन के दूर फेंक दी ,...
और उनकी चिल्लाहट सुन के जेठानी जी आ गयीं और पीछे पीछे जेठ जी भी,... और डांट मुझे ही पड़ी,
" इत्ती जल्दी रहती है रात में, दस बार बोला है गैस ऊपर नीचे दोनों ओर से बंद करो,... लेकिन इतनी जल्दी रहती है ऊपर जाने की , अरे नयी शादी मेरी भी हुयी थी, ऐसी आग तो नहीं लगी रहती थी,... मायके में कैसे रहती थी , कैसे खुजली मिटाती थी , आठ दस यार तो कम से कम पाले होंगे,.... कहाँ से आ गयीं , एक बात की तमीज नहीं,... "
मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो जेठ जी मुझसे तो नहीं इन पर,... " कम से कम बड़े छोटे की तमीज तो होनी चाहिए, बड़ो की बात का जवाब नहीं देते ये तो , पहले तो गलती करें,... "
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और उस होते होते रह गए हादसे का पूरा हाल लाल डायरी में था ,
जेठानी का हस्तलिखित, ... उन्होंने ही जेठ जी से कहलवा के सास को दो दिन के लिए गाँव भिजवाया था और,... जैसे ही मेरे कमरे की ऊपर बत्ती जली,... किचेन में आ के पहले तो उन्होंने सारी खिड़कियां अच्छी तरह से चिपका के बंद कीं, फिर गैस फुल पे खोल के किचेन का दरवाजा भी चिपका के बंद कर दिया , जिससे मेरे आने के आधे घंटे के अंदर किचेन में गैस अच्छी तरह भर जाए और मैं जैसे मोमबत्ती जलाने के लिए माचिस जलाऊं ,...धड़ाम,...
इतनी बातें थीं , पूरे डिटेल्स के साथ,... मैं पढ़तीं कभी आँखों में आंसू नाचते कभी बिस्तर पर सोई जेठानी को देखती और गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ता ,...
और मैंने लाल डायरी और दोनों पुर्जों को सहेजा और ,....
गुस्से को मैं रोक नहीं पायी,... जेठानी अपने देवर के बगल में निसुति सो रही थीं , ... मैंने डायरी और दोनों परचे सम्हाल के रखे और जेठानी को पलंग से नीचे घसीट लिया ,
अब बताती हूँ इस छिनार को, मेरे मरद के साथ ऐसी गहरी प्लानिंग, मेरे साथ ये चालें
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मैंने उन्हें पीछे से हलके से पकड़ रखा था , और हलके हलके गदराये जोबन सहला रही थी ,
मेरा एक हाथ उनके जोबन पर था जिसमे उनके देवर के दांतों नाखूनों के निशान साफ़ नजर आ रहे थे ,और दूसरा उनके भरे भरे चूतड़ों पर जहाँ कमल खिल चुका था।
बीच की दरार पर मेरी ऊँगली सेंध लगाने की कोशिस कर रही थी ,एक बार मेरा डिलडो और दूसरी बार इनका मूसल चंद ,हचक हचक के ,इसलिए पिछवाड़े का रास्ता अब थोड़ा खुल गया था।
जेठानी को हलके हलके उंगलियाते मैं बोली ,
" आपने आज मेरा मन रख लिया ,मेरा बहुत दिन से मन था की मेरे पिछवाड़े का स्वाद ,... बुर तो बहुत लड़कियां चाट लेती हैं ; लेकिन गांड का स्वाद ,... सच में आप बहुत अच्छी हो। लेकिन आपने मेरी गांड के लिए इतना किया तो मेरा भी तो कुछ करना बनता है न। :"
क्या बोलतीं वो ,अब उनके बोलने के दिन खंत्म हो गए थे और सुनने के शुरू।
" चलिए ज़रा एक बार फिर से कुतिया बन जाओ न ,हाँ गुड , सामू जैसे बनाता था आपको बस वैसे ही हाँ लेकिन फर्श पर बिस्तर पकड़ के ,कस के पकड़ियेगा। "
और अगले पल वो फर्श पर ,निहुरि कुतिया बनी।
मैंने आलमारी खोल के जैसे ही उस डिलडो को छुआ जिसने उनकी सील तोड़ी थी , तो बस कनखियों से देखते हुए वो चीख पड़ीं ,
" हे ये कहा था न की ये वाला नहीं ,..." वो आलमोस्ट रुआँसी बोलीं।
" अब आपकी बात तो मैं टालूंगी नहीं , और आपकी बात सही है मैंने प्रामिस किया था और कोमल का प्रॉमिस ,... लेकिन आप बस दो मिनट आँखे बंद कर के प्लीज। "
और उनको दिखा के मैंने वो ८ इंच वाला डिलडो वापस रख दिया ,
और एक दूसरा डिलडो निकाला।
एकदम काला ,पूरे दस इंच का , और मोटाई में मेरे साजन की साइज का ,एकदम बीयर कैन की चौड़ाई बल्कि बीस ही होगा उससे। और सबसे बड़ी बात ये थी की रिब्ड था और ख़ास तौर पे जहाँ सुपाड़ा ख़तम होता था वहां तो एक बड़े कड़े छल्ले की तरह ,
"
,....लेकिन एक बात जो लाल डायरी में थी मेरे बारे में उसे पढ़ के मेरे बस आंसू निकल आये,... मेरे आने के दो दिन के अंदर ही किचेन मेरे हवाले , बेड टी से लेकर रात के खाने तक सब मेरे जिम्मे,.. सास शायद गाँव गयी थीं, दो दिन के लिए, और जेठानी ने रोज की तरह ,
लेकिन उस दिन ख़ास हुकुम था ,... कल एक पूजा होती है , जिसमें मुंह अँधेरे सूरज निकलने के पहले सब बन जाना चाहिए, साढ़े पांच बजे के पहले,... और आज कल चार बजे से पावर कट रहता है छह बजे तक,... मोमबत्ती और दियासलाई दोनों किचेन में ध्यान से रख देना,... किचेन में वो कहाँ रहता है ये मत पूछना,... रोज तो सुबह नौ बजे तक उठती हो , महरानी की तरह , एक दिन जल्दी उठ जाओगी तो क्या ,... और हाँ नहा जरूर लेना फ्रेश कपडे भी , ये नहीं की वही सब .. पहने , पूजा का खाना बनना है नयी बहू ही बनाती है,...
goodwill la jolla
और रात को भी उन्होंने जब मैं किचेन समेट रही थी , दस बार मोमबत्ती माचिस और चार बजे का नाम लिया ,
खैर मैंने अलार्म लगा लिया था , सोने तो ये खैर देते नहीं , मेरी सासू जी का बेटा मेरे कपड़ों और नींद दोनों का दुश्मन था,...
पौने चार बजे ही उठ के मैं नहा धो के फ्रेश कपडे पहन के , सवा चार बजे मैं किचेन में पहुंची, लाइट तो चार बजे ही चली गयी थी ,... बस किसी तरह मोमबत्ती और दियासलाई ढूंढ के , चूल्हे के पास ही रखा था मैंने ,...
goodwill la jolla
और माचिस जलाने ही वाली थी की एक हलकी सी महक नाक में आयी ,... मेरी कुछ समझ में नहीं आया , .... लेकिन फिर वो थोड़ी सी तेज ,... मैं डरी और जल्दी से इनको आवाज लगाई ,... इनकी नींद,.. लेकिन मेरी आवाज तो इन्हे दूर से ही सुनाई पड़ जाती थी और गहरी नींद में हो तो भी , बस पल भर में वो मेरे पास ,... और मुझसे पहले वो चिल्लाये गैस,... और झट झट किचेन की सारी खिड़कियां खोल दी, माचिस मेरे हाथ से छीन के दूर फेंक दी ,...
और उनकी चिल्लाहट सुन के जेठानी जी आ गयीं और पीछे पीछे जेठ जी भी,... और डांट मुझे ही पड़ी,"
कोमल जी कहानी का सबसे बुरा भाग ऊपर वाला प्रसंग ही लगा. आखिर कोमलिया जितनी प्यारी कन्या को कोई मारने के बारे सोच भी कैसे सकता है. कोमलिया तो सबका अच्छा ही करने की कोशिश करती है. उसके साथ ऐसी हरकत करने का तो कोई राक्षस ही सोच सकता है.
इस राक्षसनी जैसी जेठानी का कोई उपचार नहीं है. इसे भगायो और जेठ की दूसरी शादी करवायो जिससे मोहे रंग दे कहानी मै जैसी जेठानी थी वैसी आये जो कोमलिया को अपनी छोटी बहन माने.