हम पाठक भी आभारी हैं...आरुषि जी इस फोरम की सर्वश्रेष्ठ कवियत्री हैं, मैं उनकी हजारों पंखे, पंखियों में एक हूँ
आपने एकदम सही कहा, आरुषी जी लिखती नहीं पेण्ट करती है, एक असली कलाकार
हम सब उनके आभारी हैं की वो एक थ्रेड पर आयीं
हम पाठक भी आभारी हैं...आरुषि जी इस फोरम की सर्वश्रेष्ठ कवियत्री हैं, मैं उनकी हजारों पंखे, पंखियों में एक हूँ
आपने एकदम सही कहा, आरुषी जी लिखती नहीं पेण्ट करती है, एक असली कलाकार
हम सब उनके आभारी हैं की वो एक थ्रेड पर आयीं
क्या सटीक ऑब्जरवेशन और निष्कर्ष है....
लड़कियों की सिक्स्थ सेंस उन्हें जवानी के उस मोड़ पर जाती है..भाग १७६
मामा की बेटी बनी है लुगाई,
भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
मामा की बेटी बनी है लुगाई
भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
कोमल बदन की कुंवारी छमिया
नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
भैया के लौड़े से दिन रात खेले
होठों से चुमा और कभी मुंह में लेले
मेरे प्यारे भाई मेरे जोबन से खेलो
पूरा घुसा दो और जी भर के पेलो
भैया को भी बहना लगे बड़ी प्यारी
मस्ती सी जब करती लौड़े की सवारी
भैया ने मक्खन से भर दी कटोरी
उन्गली से चाटे अब मामा की छोरी
,,,,
उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर।
अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर।
…….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।
मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा।
……………..
और छोटी मोटी चुम्मी नहीं कस के , जैसे कोई मर्द किसी नई नवेली , कच्ची जवानी की सील तोड़ते हुए चूमता है , अधिकार से। कचकचा कर ,कुछ देर तक मैं उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसती चुभलाती रही , फिर मेरे होंठ उसकी ठुड्डी पर थे , हलके हलके चाटते , और मेरी ऊँगली उस टीनेजर के होंठ पर ,
मेरे बिना कहे उस किशोरी ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी , आज उस जीभ ने मुझे बहुत मजे दिए थे , आगे पीछे दोनों छेदों में ,
और अब मेरे होंठ गुड्डी के होंठों से दूर थे , लेकिन उन होंठों ने गुड्डी की जीभ दबोच ली और पहले हलके हलके , फिर कस के चूसने लगी।
क्या रस था उस छोरी की मीठी मीठी जीभ में ,
और जब उसने जीभ अंदर कर ली तो साथ में मेरी जीभ भी उसके मुंह में , और साथ में मैंने जैसे स्कूल की लडकियां बबल गम का बुलबुला बनाती है ,मैंने अपने सैलाइवा का , .... वो सब मेरी ननद के मुंह में , ... मेरे होंठों ने उसकी होंठ को सील कर रखा था। मेरा सैलाइवा उसके मुंह में , .... और जब मेरे होंठों ने उस किशोरी के होंठ छोड़े तो सीधे उसके कान में ,
फुसफुसाते हुए मैंने सारे राज़ बता दिए ,
" अरे ननद रानी अभी तो तेरे मुंह में बहुत कुछ जाएगा , रोज नया नया स्वाद। "
और एक बार फिर मेरे हाथ ने जबरन उस गौरेया के गाल दबाकर मुंह खोलवा दिया और मेरी दो उंगलिया सीधे हलक तक ,
अब गुड्डी ने अपने गैग रिफ्लेक्स पर कंट्रोल करना सीख लिया था , दो के बाद तीन , फिर चार उँगलियाँ , पूरी ताकत से मैंने ठोंक दिया , एकदम गले तक. .... वो गों गों कर रही थी , हाथ पैर पटक रही थी पर मैंने कस के उसे दबोच रखा था। चार ऊँगली उसके मुंह में , फिर धीरे धीरे गोल गोल उसके मुंह के अंदर , चारों उँगलियाँ चम्मच की तरह मोड़ कर ,
" अरे रानी देख एक से एक मोटे लंड तेरे इस मुंह में जाएंगे , लंड से निकलने वाले तरह तरह के रस ,.... तनी मुंह फैला के घोंटना सीख ले ,... "
मैंने इशारे में उसे साफ़ साफ़ बता दिया , भले उस की किताब में पहले पन्ने पर उस के बचपन के आशिक का नाम है ,लेकिन अब उस उसपर इतने लोग नाम लिखेंगे की याद करना तो दूर वो पढ़ना भूल जाएगी /
मेरी चारो उँगलियाँ गुड्डी के मुंह के लार से ,थूक से लिथड़ गयी थीं।
मैंने उँगलियाँ बाहर निकालीं और उस किशोरी के मुँह पर लथेड़ दीं ,जहाँ उस के भइया की लंड की मलाई लिपटी थी वहीँ अब उस का भी सैलाइवा , एकदम अच्छी तरह ,पूरा चेहरा गीला।वो हम दोनों का खेल तमाशा देख रहे थे टुकुर टुकुर ,
" हे क्या देख रहे हो शर्म नहीं आ रही ,दो लड़कियों की बातें छुप छुप के सुन रहे हो , बेसरम घर में माँ बहन नहीं है क्या " मैंने कस के हड़काया उन्हें , और बोली ,
" चलो उधर मुंह करो। अपना पिछवाड़ा इधर करो , और अगर बिना हम लोगों के कहे इधर देखा न , तो बस , .... तेरी गांड मार लुंगी , चाहे डिलडो से या मुट्ठी से या लंड से। "
गुड्डी खिलखिला रही थी और वो बिचारे उन्होंने ,.... अपना पिछवाड़ा हम लोगों की ओर कर लिया।
" भाभी आप भी न ,... " गुड्डी खिलखिलाते हुए बोली।
मेरा हाथ अब मेरी ननद के नितम्बों को दबा रहा था ,
" सही तो कह रही हूँ यार, जो मारने वाली चीज है वो तो मारी ही जायेगी , चाहे तेरी हो या तेरे भइया की। "
मैंने उसे चिढ़ाया ,
मेरा दूसरा हाथ उसकी गोलाइयों को सहला रहा था। सच्च में उसकी अमिया का जवाब नहीं था , खूब कड़ी कड़ी , देखने में भी छूने में भी और स्वाद में भी एकदम खटमिठ्वा।
उनकी ममेरी बहन के चढ़ती जवानी के नए जुबना को सहलाते , दबा के मैंने पूछा।
" हे इन टिकोरों पे सब से पहले किस ने नजर लगाई? "
मैंने पूछा।
बजाय जवाब देने के गुड्डी जोर से खिलखिला रही थी , फिर खिलखिलाते हुए ही हम लोगों की ओर पिछवाड़ा किये , उस ने अपने भाई की ओर इशारा किया।
गुड्डी की खिलखिलाहट जारी थी में दूसरा सवाल पूछ दिया , उसके कान को चूमते ,फुसफुसाते ,
" तुम दसवीं में थी न ,... "
"नहीं भाभी ,हाईस्कूल में जस्ट गयी थी। "
अब मैं समझ गयी , मैं भी तो यू पी बोर्ड वाली थी। वहां नौवीं दसवीं दोनों को हाईस्कूल कहते हैं।
" और तुझे पता कैसे चला ,... "
" भाभी आप भी न ,लड़कियां तो सबसे पहले नोटिस करती हैं , ... वो मुझे देखते तो एकदम घबड़ा के और जब मैं उनकी ओर न देखने की ऐक्टिंग करती थी तो चुपके चुपके से वहां ,... " वो बोली।
" वहां , ?" मैंने हड़काया।
वो फिर जोर से हंसी ,बोली ,
" मेरे नए आ रहे उभारों पे , ... अभी तो बहुत छोटे छोटे थे लेकिन आ रहे थे , एकदम रुई के फाहों की तरह। और अगर मैं उन्हें वहां सीखते पकड़ लेती तो क्या कोई चोर घबड़ा जाएगा जैसे वो ,... बोली नहीं निकलती थी। जल्दी से जैसे थूक निगलते थे ,... मैं क्या मेरी सारी सहेलियां भी ,दिया ,छन्दा भी ,... बल्कि छन्दा ने तो मुझसे भी पहले नोटिस किया था। स्कूल की बाकी लड़कियां भी। "
" तुझे बुरा नहीं लगा , तेरे स्कूल की लड़कियां इनका नाम ले ले के तुझे छेड़ती थीं " मैंने उसके उभार प्यार से सहलाते पूछा।
" उन्हह , भाभी अच्छा लगता था। बस वो बेचारे ललचाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते , ... और मैं उन्हें खूब दिखा दिखा के ,उभार उभार के ललचाती। बहुत मजा आता था , बल्कि छन्दा तो बोलती थी यार तेरे भइया से कुछ नहीं होगा , तू ही उनका खोल के ,... '
" तेरा क्या मन करता थी की वो क्या करें ,... " मैंने बात साफ़ साफ़ पूछी।
" आप भी न भाभी ,आप को मालूम नहीं क्या की जब नयी नयी जवान होती लड़की के जोबन उठने शुरू होते हैं तो क्या मन करता है उसका ?'
उसने बात घुमाने की कोशिश की और मैंने कस के उसके निपल उमेठ दिए ,
" बोल साफ़ साफ़ न ,वरना ,... " और उस शोख ने बोल दिया।
" वही भाभी , ... रगड़वाने , मिजवाने ,मसलवाने का ,... मेरी किसी भी सहेली के पास दो चार से कम नहीं थे ,मीजने रगड़ने वाले ,हाईस्कूल में भी। पर , पर भइया बहुत सीधे थे सिर्फ बिचारे ललचाते रहते थे। "
बात उसकी एकदम सही थी , बहुत सीधे थे वो। ससुराल में भी कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी थी लेकिन बोल नहीं फूटे ,...
जवानी की आग दोनों तरफ बराबर की लगती है...कच्चे टिकोरों के रसिया ,
कोमल बदन की कुंवारी छमिया
नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
" तुझे बुरा नहीं लगा , तेरे स्कूल की लड़कियां इनका नाम ले ले के तुझे छेड़ती थीं " मैंने उसके उभार प्यार से सहलाते पूछा।
" उन्हह , भाभी अच्छा लगता था। बस वो बेचारे ललचाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते , ... और मैं उन्हें खूब दिखा दिखा के ,उभार उभार के ललचाती। बहुत मजा आता था , बल्कि छन्दा तो बोलती थी यार तेरे भइया से कुछ नहीं होगा , तू ही उनका खोल के ,... '
" तेरा क्या मन करता थी की वो क्या करें ,... " मैंने बात साफ़ साफ़ पूछी।
" आप भी न भाभी ,आप को मालूम नहीं क्या की जब नयी नयी जवान होती लड़की के जोबन उठने शुरू होते हैं तो क्या मन करता है उसका ?'
उसने बात घुमाने की कोशिश की और मैंने कस के उसके निपल उमेठ दिए ,
" बोल साफ़ साफ़ न ,वरना ,... " और उस शोख ने बोल दिया।
" वही भाभी , ... रगड़वाने , मिजवाने ,मसलवाने का ,... मेरी किसी भी सहेली के पास दो चार से कम नहीं थे ,मीजने रगड़ने वाले ,हाईस्कूल में भी। पर , पर भइया बहुत सीधे थे सिर्फ बिचारे ललचाते रहते थे। "
बात उसकी एकदम सही थी , बहुत सीधे थे वो। ससुराल में भी कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी थी लेकिन बोल नहीं फूटे ,... बात मैंने थोड़ी बदली ,
," और तेरी गली में इन कच्चे टिकोरों के रसिया ,... "
मेरी बात काट के वो खिलखला के बोली ,
" बारह नहीं ,... पंद्रह ,... "
" सिर्फ पन्दरह ,... " मैंने उसे चिढ़ाते हुए भौंह तरेर कर कहा।
" अरे भाभी , आप ने भी तो सिर्फ मेरी गली के बारे में पूछा। मेरी गली भी तो बहुत छोटी है हाँ आप सड़क , मेरा मोहल्ला ,स्कूल के बाहर खड़े रहने वाले जोड़ ले तो चालीस बयालीस ,... सबसे ज्यादा मेरी लिस्ट ही लम्बी थी। और वो सिर्फ ललचाते नहीं था , उन का बस चलता तो रगड़ना ,मीजना ,मसलना ,... लेकिन ,...”
"लेकिन ,... " मैं भी अपनी ननद के यारों की लिस्ट के बारे में जानना चाहती थी।
" लेकिन ,... अरे भाभी आप ने ही तो मेरी गुलाबो के बारे में कहा था , इस पर जिसका नाम लिखा होगा वही उसको फाड़ेगा , तो बस उसी ने फाड़ा। और उसी का नाम मेरी अमिया पर भी लिखा था , बाकी लोग ललचाते लार टपकाते रह गए। " हंस के वो टीनेजर बोली।
बात उस की एकदम सही थी , मेरी शादी में जो उसने अपने छोटे छोटे टीनेज उभार उछाल उछाल के डांस किया था , लड़के तो छोड़िये ,कोई मर्द नहीं था जो उसके टिकोरों को देख के लार नहीं टपका रहा था।
" अच्छा देखती हूँ तेरी अमिया पर ,... "
और मैंने अपना चेहरा उस के टेनिस बाल साइज बूब्स के पास कर के जैसे पढ़ने का नाटक किया , थोड़ी देर कोशिश करती रही , फिर बोली,
" अरे यार ये ,तो बड़ी लम्बी लिस्ट है , इसे दबाने मीजने रगड़ने वालों की ,४८ , ... नहीं ९१ ,... नही १०० से ऊपर है नाम। "
हंसती खिलखिलाती मेरी शरारत समझती वो बोली ,
" अरे भाभी होगी ,होगी लेकिन सबसे पहला नाम किसका है ,... ये तो देखिये "
" उसी का है जिसने तेरी फाड़ी। " मैंने कबूला ,फिर जोड़ा लेकिन ,... उसके बाद ,...
" अरे भाभी उसके बाद की बात उसके बाद ,... नाम तो उद्घाटन करने वाले का होता है। "
गुड्डी सच में समझदार थी।
झुक कर मैं अब उसकी चुनमुनिया देखने लगी ,
" हे यहाँ भी लम्बी लिस्ट है ,... " पर अब बिना उसकी बात का इन्तजार किये , मेरे होंठ उसकी चिकनी चमेली पर
और बजाय कुछ बोलने के वो सिसकने लगी। पहले तो मैं हलके हलके चूस रही थी पर कुछ देर में ही मेरी जीभ उसकी चूत में , वो क्यों छोड़ती मुझे ,... मैं भौजाई थी तो वो भी तो ननद थी मेरी। हम दोनों अब 69 की पोज मेंक्या मस्त मलाई थी , मेरी छुटकी ननदिया की। ,
उसकी जीभ के पहले मैंने ऊँगली ट्राई की , ऊँगली उसके मैंने पहले भी की थी। कौन भौजाई होगी जो अपनी कुँवारी कच्ची ननद की ऊँगली न की , होली हो , कोई बहाना हो या न हो ,...
कल उसकी फट चुकी थी ,और तब से अबतक ,दस बार चुद चुकी थी , लेकिन वैसे ही कसी की कसी , मुश्किल से एक ऊँगली घुसी।
इसका मतलब मेरा ननद ,कित्ता भी ,कितनों भी से चुदेगी उसकी बिलिया वैसे ही कसी की कसी रहेगी , हर मर्द के लिए चुनौती होगी , मैंने दूसरी ऊँगली भी ठेली पर बहुत कोशिश के बाद भी एक पोर भी मुश्किल से नहीं घुस पायी। ऊँगली के बाद जीभ का नंबर था , अंदर गोल गोल , और मेरे होंठ ननद रानी की चुनमुनिया से चिपके ,
गुड्डी सच में क्विक लरनर थी ,जो जो मैं कर रही थी उसकी चुनमुनिया वही मेरे साथ मेरी ननदिया भी , उसकी जीभ अब मेरी बिलिया में ,
मस्त चूस रही थी ,चाट रही थी और जीभ उसकी कभी अंदर बाहर कभी गोल गोल ,
जवाब में मैं भी अपनी बुर ननद रानी के मीठे मीठे होंठों पर रगड़ रही थी। एक नौसिखिया टीनेजर से बुर चुसवाने चटवाने का मजा ही अलग है।
मैंने अपनी जाँघों से कस के गुड्डी के सर को दबोच रखा था , और जम कर उसके शहद से मीठे होंठों को रगड़ रही थी।
तबतक मैंने देखा की बिचारे वो चुपके चुपके तांक झांक ,... मैंने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,लेकिन इशारे से बोल दिया , एकदम चुपचाप ,
और वो अपनी ममेरी बहन की खुली जाँघों के पास , और ,... उनकी बहन की बुर पर मेरे होंठ जम कर रगड़ घिस कर रहे थे। गुड्डी की रसीली फांके मेरे होंठों के बीच और मैं कस कस के चूस रही थी।
बहन की बुर की ये चुसाई देख कर भाई का जो हाल होना चाहिए था वही हुआ ,
…………………………………..
खूंटा एक दम बौराया ,तन्नाया
फेसियल के नए नए तरीके....Soooooooooooooooooo sexy update.
Ab facial ka ek aur material bata diya didi tum ne, gazab.
जबरा मारे लेकिन रोये ना दे..मेरे प्यारे भाई मेरे जोबन से खेलो
पूरा घुसा दो और जी भर के,....
भाई चढ़ा बहिनिया पे
बहन की बुर की ये चुसाई देख कर भाई का जो हाल होना चाहिए था वही हुआ ,
…………………………………..
खूंटा एक दम बौराया ,तन्नाया
होंठ मेरे भले बिजी थे लेकिन हाथ तो खाली थे। मैंने अपने कोमल हाथों से अपने साजन के खूंटे को पकड़ लिया , एक झटके में सुपाड़ा बाहर। मेरे अंगूठा का प्रेशर अब सीधे उनके सुपाड़े के छेद पर , कुछ देर के रगड़ घिस्स के बाद मैं हलके हलके मुठियाने लगी। अब तो उनकी हालत ख़राब
और हालत उनकी बहन की बुर भी बुरी थी , मेरे चूसने से ,
मैंने एक पल के लिए होंठों से उनकी बहन की बिल को आजाद किया और फिर उनका खूंटा मेरे होंठ के बीच
पहले हलके हलके फिर कस के मैं चूसने लगी ,
बारी बारी से , कुछ देर उनका लंड चूसने के बाद उनकी बहन की बुर का नंबर लगता , फिर बहन के भइया का।
" हे चाहिए ,... " बिना बोले मेरी आँखों ने उनसे पूछा ,
सामने एक कच्ची जवानी ,जिसने अभी कुछ दिन पहले ही इंटर पास किया हो ,उसकी फैली जाँघे हो ,गीली भीगी कच्ची चूत हो कौन मना करेगा।
मैंने भैया का लंड पकड़ कर उनकी ममेरी बहन की बुर में सटा दिया ,
एक धक्का
दो धक्का
और सुपाड़ा अंदर।
बेचारी चीख नहीं सकती थी ,उसके होंठ पर मेरे निचले होंठ कस कर चिपके थे मैंने अपना पूरा बजन उसके ऊपर कर रखा था. और उसकी बुर अपने भइया के लंड का धक्का भी खा रही थी और भौजाई के होंठों की रगड़ाई भी, मेरे होंठ कभी उसकी क्लिट की रगड़ाई करते ,तो कभी उसकी बुर में आधे घुसे उसके भइया के लंड की।
लेकिन कुछ देर बाद मैं हट गयी
और अब उस की ताबड़तोड़ चुदाई एक बार फिर से शुरू हो गयी।
कुछ देर में , मेरे चुसाई का असर ,उनकी चुदाई का असर , मेरी ननद झड़ने के कगार पर थी , लग रहा था अब गयी तब गयी।
पर मैंने रोक दिया।
" हे ननद रानी , ... जरा खुद चढ़ के मजा लो न , कब तक नीचे लेटी रहोगी। "
और मेरा इशारा पाते ही ,वो अपने पीठ के बल , खूंटा क़ुतुब मीनार की तरह
चढ़ जा ननद रानी , बहुत मजा आएगा , लेकिन सुबह की तरह मैं नहीं चढ़ाउंगी अपने आप चढ़ना पड़ेगा कुतबमीनार पर ,
मैंने अपनी ननद को चढ़ाया।
बेचारी , मन तो उसका बहुत कर रहा था , और किस लड़की का नहीं करेगा ,इतना लम्बा मोटा कड़क तना ,
" अच्छा चल देख , मैं चढ़ती हूँ , अब तू ठीक से देख ,उसके बाद तेरा नंबर , " मैंने उसका गाल सहलाते हुए कहा ,
जैसे कुतिया बना के चोदना उनकी फेवरिट पोज़ थी ,उसी तरह ऊपर चढ़ के चोदना ,वोमेन ऑन टॉप वाली मेरी। मेरी पर्सनालिटी से मैच भी करती थी।
दोनों टाँगे फैला के ,... मेरी गुलाबो बस उनके मोटे सुपाड़े को छू रही थी , और अपने भगोष्ठों से रगड़ रगड़ के मैं उन्हें ललचा रही थी , मेरे दोनों हाथों ने उनकी कलाइयां पकड़ रखी थी। उनकी आँखों की प्यास मुझे उकसा रही थी ,पर उन्हें तड़पाने में भी मुझे मजा आता था और आज तो उनकी ममेरी बहन के सामने ,,
" बोल बहनचोद , चाहिए ,... " मैंने पूछा।
" हाँ ,... " हलके से वो बोले।
और मैंने हलके से पुश किया , सिर्फ आधा सुपाड़ा मेरी बुर में घोंट के मैं रुक गयी ,और अपनी मसल्स से उसे हलके हलके दबाने लगी।
मस्ती से उनकी हालत खराब थी , वो नीचे से उचकाने लगे अपना चूतड़, पर मेरी पकड़ बहुत तगड़ी थी।
" बोल मादरचोद , चहिए , " झुक के अपने उरोज उनके होंठों पर रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया , पर जैसे ही उनके होंठ मेरे निप्स को पकड़ते , मेरे जोबन उससे दूर थे।
एक बार फिर मैं झुकी , उनके होंठों को चूमा और ,... उड़ गयी उनकी पहुँच से दूर , मेरी बुर कस के उनके सुपाड़े को भींच रही थी। बिचारे वो , मस्ती से उनकी हालत खराब ,
" बोल न चहिये , ले लूँ पूरा अंदर ,... " मैंने फिर चढ़ाया ,
" हाँ हाँ ,... " वो लगभग चिल्लाते बोले।
" बोल फिर , तेरी मायके वाली सब छिनार हैं , हैं न , सब की सब पैदायशी रंडी है , ... " उनकी ममेरी बहन की ओर देख के मुस्कराती मैं बोली। गुड्डी ने भी मुस्कराकर देखा मेरी ओर , उसे भी बहुत मजा आ रहा था।
" बोल बहनचोद, मादरचोद , हैं न सब तेरी मायकेवालियाँ , रंडी ,छिनार ,.... " मैंने फिर उन्हें उकसाया।
" हाँ ,हाँ ,... " उनके मुंह से निकल गया।
बस मेरा अगला धक्का और उनका आधा खूंटा मेरे अंदर , मैंने थोड़ी पकड़ भी ढीली कर दी। बस अब मेरे धक्के का जवाब वो धक्के से दे रहे थे , मैं भी झुक के जिस जोबन के वो दीवाने थे कभी उनकी छाती पर रगड़ती तो कभी होंठों पर।
मैंने थोड़ी कमर ऊपर की आलमोस्ट सुपाड़ा बाहर , और फिर एक पूरे तेज धक्के से , दो तिहाई मूसल अंदर ,
वो सिसक रहे थी।
और गुड्डी भी समझ रही थी ,इस घर ,में चोदता कौन है और चुदवाता कौन है।
सिर्फ ऊपर नीचे ही नहीं ,आगे पीछे गोल गोल , तरह तरह से ,
गुड्डी देख भी रही थी सीख भी रही थी।
ये तो मैं समझ गयी थी की वो बचपन की चुदवासी है बस ,अब उसे नम्बरी चुदक्कड़ बनाना मेरा काम था। और जितना अच्छे तरीके से , जितने पोज़ आयंगे उसे ,...उतना ही ज्यादा मजा दे पायेगी ,न सिर्फ अपने भैया को ,.. बल्कि ,...
कुछ ही देर में पूरा मूसल अंदर था चुदाई चरम सीमा पर पहुँच गयी थी , और वो अभी भी झड़े थे तो उनका इतनी जल्दी झड़ने का कोई सवाल नहीं था।
कुछ देर के लिए मैंने कमान उनके हाथ में दे दिया। उन्होने कस के मुझे अपनी बाहों में भींच लिया फिर उनका टिपिकल तिहरा अटैक
उनके होंठ उंगलिया , मेरे जोबन ,मेरी क्लिट , और उनका हर धक्का , मेरी बच्चेदानी पर बस थोड़ी देर में मैं झड़ने लगी। वैसे भी वो मुझे अक्सर दो तीन बार झाड़ के ही ,
देर तक मैं सिसकती रही कांपती रही और कुछ देर बाद उतर गयी।
लेकिन खूंटा वैसे का वैसे खड़ा ,
पर उनकी ममेरी बहन थी न ,
जो कुछ उसने देखा था सीखा था , और कुछ मेरी मदद से वो इनकी मीठी शूली पर चढ़ गयी।
और फिर सारा मेहनत भैया क्यों करे..भैया को भी बहना लगे बड़ी प्यारी
मस्ती सी जब करती घोड़े की सवारी
बहिनिया चढ़ गयी मीठी शूली
लेकिन खूंटा वैसे का वैसे खड़ा , पर उनकी ममेरी बहन थी न , ....जो कुछ उसने देखा था सीखा था , और कुछ मेरी मदद से वो इनकी मीठी शूली पर चढ़ गयी। …सुबह की तरह अब वो नौसिखिया नहीं लग रही थी , वो सीख गयी थी की ऊपर चढ़ के ,... का मतलब सिर्फ मेकेनिकल ढंग से ऊपर नीचे करना नहीं , बल्कि छेड़ना , चिढ़ाना ,मजे लेना ,मजे देना है। उसकी हंसती गाती आँखे उन्हें उकसा रही थी ,चिढ़ा रही थी। अपने छोटे छोटे जुबना दिखा के उन्हें ललचा रही थी।
ताकत तो उसके अंदर बहुत थी , योग और पी टी दोनों में क्लास में नंबर वन थी। धीरे धीरे कर के सूत सूत कर के अपनी कमर के जोर से , न सिर्फ सुपाड़ा बल्कि आधा खूंटा घोट गयी। सुबह तो गुड्डी के कंधे पर गीता ने पूरा प्रेशर डाला और मैं भी अपनी ननद की कमर पकड़ के नीचे की ओर ,लेकिन अभी उसने सिर्फ अपने जोर से ,
और अब उसके भइया ने उसकी कमर पकड़ ली , अपनी ओर खींच लिया था , नीचे से चूतड़ उठा उठा के , अब तीन चौथाई अंदर घुस गया था ,गुड्डी झुकी हुयी थी और उसके भैय्या ने उसकी कच्ची अमिया कुतर ली।
मैं गुड्डी का पिछवाड़ा देख रही थी ,मस्त चूतड़ , एकदम बबल बॉटम , खूब फूले भरे मांसल , देख के ही किसी का गांड मारने का मन ललच जाय। छेद पिछवाड़े का एकदम कसा , अभी तक किसी की ऊँगली भी नहीं गयी मेरी ननद की कुंवारी कसी गांड में।
ऊपर चढ़ के चोदते समय वो बहुत प्यारी लग रही थी ,और इस पोज में ,... बहुत जरूरी था ,क्योंकि उसकी सैंडविच भी तो इसी पोज में बननी थी। वो मोटे खूंटे पर चढ़ती , अपने अगले छेद में घोंटती और जैसे अभी झुक के ,... जैसे अभी झुकी थी , पीछे से दूसरा उसके पिछवाड़े, एक साथ दो दो सांड जल्द ही इस बछिया पर चढ़ने वाले थे। एक साथ बुर भी चोदी जाएगी , गांड भी मारी जायेगी।
भइया बहिनी मिल के मस्त चोदाई कर रहे थे , और मैं दोनों को उकसा रही थी ,चिढ़ा रही थी।
लेकिन कुछ देर में ही गुड्डी थकने लगी , और मेरा भी मन कुछ और कर रहा था ,मैंने बहिनी के भैया को उकसाया
" हे ज़रा अपनी बहिना को कुतिया बना के चोद न , बहुत मजा देगी , बुर का भी मजा ,टिकोरे का भी मजा। '
बस अगले ही पल गुड्डी रानी निहुरी हुयी
और पीछे से भइया उसके चढ़े हुए ,चार पांच धक्के में उन्होंने पूरा मूसल ठोंक दिया अंदर , कुतिया बना के लेने का यही सबसे बड़ा फायदा है , धक्का पूरे जोर से लगता है और सीधे बच्चेदानी पर लंड की ठोकर पड़ती है। और साथ ही झुकने में दोनों उभार नीचे झुके , दबाने मसलने मिजने में भी आराम , कुछ देर तक तो वो अपनी बहन के जोबना दबाते रहे मीजते मसलते रहे
,फिर मेरी ननद को हम दोनों ने बाँट लिया। कस के एक चूँची वो दबा रहे थे दूसरी मैं मसल रही थी। उनके हर तेज तेज धक्को के साथ मैं भी बीच बीच में ननद की क्लिट रगड़ने का मौका नहीं छोड़ रही थी।
वो एकदम तूफानी रफ़्तार से अपनी ममेरी बहना को चोद रहे थे। गुड्डी हर धक्के के साथ सिसक रही थी चीख रही थी। लेकिन मान गयी मैं अपनी ननद को सच में स्साली पक्की छिनार थी ,
बीच बीच में धक्को के साथ वो भी अपने चूतड़ से पीछे से धक्का लगा के , धक्के का जवाब धक्का से दे रही थी।
आठ दस मिनट की ऐसी तूफानी चोदाई के बाद वो झड़ने लगी , और साथ में वो भी।
मैं बगल में ही बैठी थी , पहली बूँद गिरने के साथ ही मैंने अपने साजन का लंड उसकी बुर से निकाल लिया और एक बार फिर से वो मेरे मुंह में
सारी मलाई मेरे मुंह में , एकदम मेरा गाल फूल गया ,कटोरी भर से कम मलाई उन्होंने नहीं निकाली होगी।
और कुछ देर रुक कर मैंने जैसे खूंटे का बेस दबाया तो एक बार फिर से , और सब की सब मेरे मुंह में।कटोरी भर गाढ़ी गाढ़ी थक्केदार मलाई मेरे मुंह में ,
और कुछ देर में ही उस मलाई में मेरी अपनी थूक, लार ,.... मिल जुल कर ,...
मेरी ननद आँखे बंद किये पलंग पर अपने भइया के बगल में लेटी पड़ी थी ,लथर पथर , थकी शिथिल।
लेकिन इसके पहले एक राउंड और ,इस बार शुद्ध चुदाई गुड्डी की उन्होंने की।ननद भौजाई
आठ दस मिनट की ऐसी तूफानी चोदाई के बाद वो झड़ने लगी , और साथ में वो भी।
मैं बगल में ही बैठी थी , पहली बूँद गिरने के साथ ही मैंने अपने साजन का लंड उसकी बुर से निकाल लिया और एक बार फिर से वो मेरे मुंह में
सारी मलाई मेरे मुंह में , एकदम मेरा गाल फूल गया ,कटोरी भर से कम मलाई उन्होंने नहीं निकाली होगी।
और कुछ देर रुक कर मैंने जैसे खूंटे का बेस दबाया तो एक बार फिर से , और सब की सब मेरे मुंह में।कटोरी भर गाढ़ी गाढ़ी थक्केदार मलाई मेरे मुंह में , और कुछ देर में ही उस मलाई में मेरा अपना थूक, लार ,.... मिल जुल कर ,...
मेरी ननद आँखे बंद किये पलंग पर अपने भइया के बगल में लेटी पड़ी थी ,लथर पथर , थकी शिथिल।
और मैं उसके पास जाकर , ... मेरे एक हाथ ने उसका सर पकड़ा और दूसरे ने कस के उस सोनचिरैया के गाल दबा दिए पूरी ताकत से ,
सोनचिरैया ने अपनी चोंच चियार दी और उस खुले होंठों के ठीक ऊपर मेरे होंठ ,
उसके भैया की गाढ़ी मलाई और मेरी लार ,...
बूँद बूँद ,
मेरे मुंह से उसके मुंह में और जब उसके मुंह से वीर्य और मेरे थूक का मिश्रण छलकने लगा तो मेरे होंठों ने उसके होंठ बंद कर दिए , जबतक
बूँद बूँद
मेरी ननद उसे गटक नहीं कर गयी।
लेकिन अभी भी मेरे मुंह में बहुत बचा था , वो सीधे मेरे मुंह से पहले थोड़ा सा उस चंद्रमुखी के मुख पर , ... और मैंने ऊँगली से उसके चेहरे पर अच्छी तरह फैला दिया ,
फिर बचा खुचा , मेरी ननद की कच्ची अमिया पर।
पर न अभी सिंगार पूरा हुआ था न मेरे साजन की मोटी पिचकारी का सारा माल मत्ता निकला था।
मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा , उनकी मोटी पिचकारी को ननद की बालों की ओर ,... और बेस पर दबा दिया ,
एक छोटी सी फुहार उनकी ममेरी बहन के मांग पर सीधे , ... सिन्दूर न सही उनका वीर्य ही सही ,...
और उनके सुपाड़े में लगा माल हम ननद भौजाई ने मिलजुल कर चाट चूट कर साफ़ कर दिया।
लेकिन अब प्यास उन्हें लग गयी थी और मुझे भी , फिर ऐसे मौके पर पानी कौन पीता है। गुड्डी को अब मालूम पड़ गया था इस घर में कौन चीज कहाँ रहती है , वो जा के व्हिस्की की बोतल और चिप्स ले आयी। थोड़ी देर में आधी बोतल हम तीनों ने खाली कर दी और आफ कोर्स उसका आधा मेरी ननद के पेट में ही गया , कुछ मेरे होंठों से कुछ उसके भइया के होंठों से पर रगड़ाई मेरी ही हुयी ,
दोनों भाई बहन ने मिल के कर दी मेरी ऐसी की तैसी।पहले चुसाई वो अकेले काफी थे , उनके ऐसा चूत चटोरा कोई हो ही नहीं सकता था
पर अब अब उनकी ममेरी बहन भी उनके साथ थी। पहले कुछ देर उन्होंने चूसा , फिर मेरी ननद के हवाले कर दिया दिया
और फिर दोनों ने मिल कर ,एक की जीभ मेरी बुर की ऐसी की तैसी करती तो दूसरे की जीभ मेरी क्लिट फ्लिक करती। और जब मैं झड़ने के कगार पर पहुँच आयी तो भी वो दोनों नहीं रुके , झड़ झड़ कर जब मेरी बुर लथपथ हो गयी तो पहले मेरी टीनेजर ननद से सब रस चाटा और उसके बाद उसके भइया ने जीभ अंदर तक डाल के , उनकी जीभ उनके लंड से कम नहीं थी , मैं एक बार फिर से गरमाने लगी तो मैंने बोला ,
" अरे यार तुम दो हो तो मेरे छेद भी तो दो हैं ,बाँट लो न , ....क्यों दोनों एक ही के पीछे ,... "
बस उन्हें आइडिया मिल गया , बाकी मैंने अपनी टाँगे उठा के अपने पिछवाड़े वाले छेद को भी एक्सपोज कर दिया , गुड्डी ने थोड़ा नाटक किया , थोड़ा छिनारपना , ना नुकुर ,
पर अब उसके भैय्या को भी उसके साथ जोर जबरदस्ती में मजा आने लगा था।
बस ,पिछवाड़े का छेद ननद के हवाले और आगे वाला , ननद के भइया के।
मैं झड़ चुकी थी तो मुझे भी अब टाइम लगना था। दोनों ने पहले तो आगे पीछे का छेद दोनों ने जीभ से चूमा कस कस के , फिर सपड़ सपड़ चाटा।
यही तो मैं चाहती थी ,इसलिए तो इस किशोरी को ले आयी थी पटा फंसा के ,... अब बिना न नुकुर किये , जोर जोर से कभी आगे पीछे कभी ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल
आगे वाले छेद में साजन की जीभ गयी , तो पीछे वाले छेद में इनकी बहिनिया की जीभ , क्या मस्ती आ रही थी।
मैं चूतड़ पटक रही थी ,सिसक रही थी ,और जब झड़ने के कगार पर थी ,इन्होने दुहरा कर के पेल दिया , एक झटके में पूरा अंदर।
हचक हचक के मैं चुद रही थी ,ये चोद रहे थे , बगल में उनकी बहन,
और अब वो भी सीख गयी थी ,पहले तो उसकी ऊँगली फिर उसके होंठ कभी मेरी चूँची पर तो कभी मेरे क्लिट पर
इस समय मैं सिर्फ मजा ले रही थी और दोनों भाई बहन मुझे मजा देने में लगे थे।
जब वो झड़े तो सारी मलाई मेरी बिल में ,
लेकिन मैंने खींच के अपनी ननद के होंठों को , आखिर बिचारि ने इतनी मेहनत की थी ,कुछ तो रबड़ी मिठाई उसे मिलनी थी। और उसने भी जीभ अंदर डाल डाल कर करोच कर , सब मलाई अपने भइया की ,...
हम लोग चार बजे के करीब सोये ,लेकिन इसके पहले एक राउंड और ,इस बार शुद्ध चुदाई गुड्डी की उन्होंने की।
मैं सिर्फ बगल में लेटी।
ये बीच में, हम दोनों अगल बगल ,... हम दोनों का हाथ उनके खूंटे पर/
मुर्गे ने कुकुड़ कूँ किया और दरवाजे की घंटी बज गयी।
और कौन , गीता।
आज न मेरे कहने की जरूरत पड़ी न समझाने की। गुड्डी खुद झट से उठ कर , फर्श पर उसका वो हाईस्कूल, वाला फ्राक पड़ा था , बस झट से उसमें घुसी और दरवाज़ा खोलने बाहर।
लिस्ट से हीं तो आगे का प्रोग्राम तैयार होगा...Nanad se list bhi sab puchhli
Aur sath me uski achhe se chusli
Kya update hai erotic madak kamuk
सच में आग लगा दी...“”
भैया को भी बहना लगे बड़ी प्यारी
मस्ती सी जब करती लौड़े की सवारी
भैया ने मक्खन से भर दी कटोरी
उन्गली से चाटे अब मामा की छोरी
“”
Bhai waaaaah