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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

komaalrani

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Ye to ek akhri dav he. Hari bazi ko jit me badalne ka. Woman on top.

Or vese bhi aurate top par hi jyada achhi lagti he.

Sorry komalji. Sorry dosto bhadas ko erotic tarike se bahar nikalne ka yahi tarika he. Its woman's World.


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बहुत बहुत धन्यवाद

आपने ये बात एकदम मेरे मन की कही औरतें टॉप पर ही अच्छी लगती हैं, और इस कहानी में कहीं न कहीं ये थीम बैकग्राउंड में लगातार चलती रहती है, ढेर सारी अच्छी पिक्स के साथ कहानी पर इत्ते सुन्दर कमेंट के लिए आभार
 

komaalrani

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Ban gae na fudu
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Sach much bade bhole ho.
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erotic-001-1

Ban gae na fuddu
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The woman' is always Top

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Ye gulbi duniya he jalim. Pink word.
Pink World is beautiful world. aur ye kahani usi ke bare men hain thanks so much saath nibhaane ke liye Nari ka Tan Man uska hai pyar se bolo to sb kurbaan kar degi lekin jabrdsti ho to ,... and again bahoot sundar pics
 

komaalrani

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komaalrani

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Ufff ese shapne mat dikhao komalji. Jo kabhi pura na ho sake. Bas isi karan mene ye kahani start nahi ki thi. Fantacy to aap peda karwa deti ho. Par bahar bhi jalimo ki kami nahi he.

pink world.
Bas aap saath deti rahiye aur kahani men saath baanaiye rkahiye , ... sapne poore hote hain jamaain pe aaten hain aur jaalim jo is kahani men kabhi Jethani ban ke aate hai to kabhi aur koyi lekin hardam ghutane tekte hain hoti hai Jeet Pink world ki Thanks soooooooooooooooooooooo much bas isi tarh saath deti rahiye
 

komaalrani

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Ooo ho.... Khel ka maza dugna. Vahi kache tikore. Maza aa gaya. Ab to sara khel apne hisab ka hi he. Amazing.

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naughty goose and moose drool crossword

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young hare 7 letters

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dutch lager crossword
इस कहानी के इन पार्ट्स में मैंने कुछ कुछ बातें एक एक लाइनों में मन की कहने की कोशिश की है, जैसे

" नहीं बात स्मोकिंग की नहीं थी , बात उनके एट्टीट्यूड की थी और चेंज को खुलेआम स्वीकार करने की थी , मजे लेने की थी।

स्मोकिंग तो सिर्फ एक बहाना था,"

या

परेशानी यही थी। वो बदल तो रहे थे , अपने नए रूप को इंज्वाय भी करना उन्होंने शुरू कर दिया था ,लेकिन घर के अंदर ,सिर्फ मेरे सामने।

बाहर वही ,जो बचपन से अपनी इमेज एक बना रखी थी , उनके असली 'पर्सोना ' जो मन से मजा लेना चाहती थी , एंज्वॉय करना चाहती थी और जो उन्होंने पूरी दुनिया के सामने अपने मायके वालों के सामने एक इमेज बना रखी थी ,

एक तगड़ा अंतर्द्वंद चल रहा था।

मैं उसकी गवाह थी लेकिन सिर्फ मूक गवाह बनने से काम नहीं चलने वाला था , मुझे अपने 'उनके ' जो रियल वो थे , जो मस्ती करना चाहते थे , वाइल्ड होना चाहते थे ,उसे आजाद कराना था।

या फिर इस पोस्ट के पहले वाली पोस्ट में

इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।

मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।


बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।

और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।


और जीत हम दोनों गए थे ,


वह मुझे और मैं उन्हें।


तो ये लाइनें कहानी की अंडरलाइंग भावना को हाईलाइट करती हैं और अच्छी बात है की कई पाठक सेक्स के चक्कर में इन्हे छोड़ देते है या बस यूँही


देह तो बस एक नसेनी है , एक सीढ़ी है मन तक पहुँचने के लिए

लेकिन देह को नकार कर, तन को मन से दूर कर भी आप मन तक नहीं पहंच सकते और आपने न सिर्फ इस स्प्रीट को समझा बल्कि अपनी पिक्स और कमेंट से सकारा भी,


व्यूज, लाइक्स आते रहते हैं लेकिन हर लिखने वाला एक ऐसा पाठक ढूंढता है जिसके साथ वो तादाम्य स्थापित कर सके , जिस तक जो वो कहना चाहता है वो पहुंचा सके , और मैं कभी भी यांत्रिक ढंग से देह के सुख नहीं लिखती,

और ऐसे पाठक विरले ही मिलते हैं और मिलने के साथ साथ वो कमेंट्स भी दें , कदम से कदम मिला के चलें ये सौभाग्य की बात है
 

komaalrani

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आखिरी पोस्ट पेज ६३७ पर


भाग १७७

गुड मार्निंग -गीता की

अगला भाग


भाग १७८

डाक्टर गिल

आज ही
 

Shetan

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इस कहानी के इन पार्ट्स में मैंने कुछ कुछ बातें एक एक लाइनों में मन की कहने की कोशिश की है, जैसे

" नहीं बात स्मोकिंग की नहीं थी , बात उनके एट्टीट्यूड की थी और चेंज को खुलेआम स्वीकार करने की थी , मजे लेने की थी।

स्मोकिंग तो सिर्फ एक बहाना था,"

या

परेशानी यही थी। वो बदल तो रहे थे , अपने नए रूप को इंज्वाय भी करना उन्होंने शुरू कर दिया था ,लेकिन घर के अंदर ,सिर्फ मेरे सामने।

बाहर वही ,जो बचपन से अपनी इमेज एक बना रखी थी , उनके असली 'पर्सोना ' जो मन से मजा लेना चाहती थी , एंज्वॉय करना चाहती थी और जो उन्होंने पूरी दुनिया के सामने अपने मायके वालों के सामने एक इमेज बना रखी थी ,

एक तगड़ा अंतर्द्वंद चल रहा था।


मैं उसकी गवाह थी लेकिन सिर्फ मूक गवाह बनने से काम नहीं चलने वाला था , मुझे अपने 'उनके ' जो रियल वो थे , जो मस्ती करना चाहते थे , वाइल्ड होना चाहते थे ,उसे आजाद कराना था।

या फिर इस पोस्ट के पहले वाली पोस्ट में

इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।

मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।


बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।

और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।


और जीत हम दोनों गए थे ,



वह मुझे और मैं उन्हें।


तो ये लाइनें कहानी की अंडरलाइंग भावना को हाईलाइट करती हैं और अच्छी बात है की कई पाठक सेक्स के चक्कर में इन्हे छोड़ देते है या बस यूँही


देह तो बस एक नसेनी है , एक सीढ़ी है मन तक पहुँचने के लिए

लेकिन देह को नकार कर, तन को मन से दूर कर भी आप मन तक नहीं पहंच सकते और आपने न सिर्फ इस स्प्रीट को समझा बल्कि अपनी पिक्स और कमेंट से सकारा भी,


व्यूज, लाइक्स आते रहते हैं लेकिन हर लिखने वाला एक ऐसा पाठक ढूंढता है जिसके साथ वो तादाम्य स्थापित कर सके , जिस तक जो वो कहना चाहता है वो पहुंचा सके , और मैं कभी भी यांत्रिक ढंग से देह के सुख नहीं लिखती,

और ऐसे पाठक विरले ही मिलते हैं और मिलने के साथ साथ वो कमेंट्स भी दें , कदम से कदम मिला के चलें ये सौभाग्य की बात है
Aap ko yaad hoga ki mohe rang de me komal or sajan ke bich sath janam vali bat yaad hogi. Sat janam bad a at be 8th janam bad tum sajni or me sajan banungi. Aab aap bhi vo feelings ko bhuli to nahi hogi.
Sajan ji hi to harna chahte he. Kyo ki pink world me jina chahte he. Feelings ki gaherai bahot he. Jeet ne ke sath harna ka apna hi alag maza he. Kahi vo kahi me.
 

komaalrani

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Aap ko yaad hoga ki mohe rang de me komal or sajan ke bich sath janam vali bat yaad hogi. Sat janam bad a at be 8th janam bad tum sajni or me sajan banungi. Aab aap bhi vo feelings ko bhuli to nahi hogi.
Sajan ji hi to harna chahte he. Kyo ki pink world me jina chahte he. Feelings ki gaherai bahot he. Jeet ne ke sath harna ka apna hi alag maza he. Kahi vo kahi me.
ekdam sahi kaha aapne yahi bhavana is story ki bhi hai
 
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Shetan

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जोरू का गुलाम भाग ९



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अँधेरे बंद कमरे -मन के





हाँ तो मैं कह रही थी ,असल में बात कुछ ख़ास नहीं बहुत लोग करते हैं। न सुनाना बेईमानी होगी।


फिर भी समझ में नहीं आ रहा है कैसे शुरू करूँ।



बात ये है की मैं एक सीढ़ी ढूंढ रही थी , ऊपर चढ़ने वाली नहीं नीचे उतरने वाली।


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हम लोगो की गाडी पटरी पर आ गयी थी , लेकिन आलमोस्ट।


मुझे लगता था की जैसे मैंने किसी तिलस्म को तोड़ तो दिया है ,


जिसमें इनके मायकेवालियों ने इन्हे बंद कर रखा था ,


लेकिन तब भी ऐसे कई कमरे हैं जिसकी चाभी मेरे पास नहीं है।








बात करते करते वो अक्सर 'आफ ' हो जाते थे , कई बार मुझे लगता था की वो मेरे पास हैं लेकिन ,मेरे पास नहीं है।


चारो ओर जैसे रौशनी की दरिया बह रही हो ,


लेकिन बीच में अँधेरे के बड़े बड़े द्वीप होंऔर वो वहां ये ग़ुम हो जाते हों।


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अब हम दोनों एक दुसरे से बहुत खुल गए थे फिर भी ,



और उनमे एक चीज थी उनकी लैपी



वो कई बार उसमें उलझे रहते थे। लेकिन जो चीज जिसने मुझे स्ट्राइक की वो थी , ओ के , हिस्ट्री।



मैंने एक दो बार उनसे उनका लैपी माँगा , तो कुछ देर से दिया उन्होंने।

मुझे लगता था की आफिस का कोई काम कर रहे होंगे।



लेकिन एक बार मैंने थोड़ी देर कुछ साइट्स देखने के बाद गलती से बंद कर दिया ,और फिर खोला , जब मुझे याद नहीं आया तो हिस्ट्री खोली , कुछ देर बाद मैंने रिएक्ट किया।






मुझसे पहले की सारी हिस्ट्री साफ ,




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अब गलती मेरी ही थी , सिम्पल क्यूरियॉसिटी।



फिर तो हर बार जब मैं इन से इन का लैपी मांगती , तो मारे क्यूरियॉसिटी के पहले हिस्ट्री चेक करती

और हर बार वो शुरू से साफ होती।





और एक दिन मौका मिल गया , आफिस से कोई काल आया और उन्हें तुरंत जाना पड़ा।



बस मैंने सीढ़ी लगा ली ,



सिर्फ उनके मन के गहरे अँधेरे कूएँ में ही नहीं , बल्कि उसके अंदर से ढेर सारी सुरंगे निकलती हुईं ,





कुछ पर भारी भारी पत्थर रखे हुए , कुछ जाले पड़े हुएउनके अंदर चलना मुश्किल , मेरी ऐसी 'बोल्ड ब्यूटी ' के लिए भी ,



हिस्ट्री साइट में कुछ तो पोर्न साइट्स थी , वो मेरे लिए अजूबे की बात नहीं थी , सारे मर्द देखते हैं , लेकिन उसमें ऐसे छिप के देखने का क्या , हम साथ साथ भी देख सकते थे। लेकिन पॉर्न से बहुतज्यादा चैट साइट्स , थोड़ी बहुत चैट तो सभी करते हैं लेकिन व्हाटसऐप आने के बाद।


पर चैट साइट्स के नाम देखते ही मुझे जोर का झटका जोर से लगा।



ज्यादातर बी डी एस एम साइट्स थीं।






चैट्रोपॉलिस , आल्ट , बांडेज और भी न जाने क्या क्या ,


और जब मैंने चैट साइट को खोला तो उसके अंदर तरह तरह के रूम , सब रूम , इन्सेस्ट रूम , मिस्ट्रेस रूम।





एक नयी दुनिया।



ये नहीं की बी डी एस एम से के बारे में मुझे पता नहीं था।


मुझे मालूम था की मैं थोड़ी डॉमिनेटिंग टेण्डेंसीज रखती हूँ , मुझे लाइट बांडेज स्टोरीज पढने में मजा आता था।

और एक बार मेरी कुछ फ्रेंड्स ने चढ़ा दिया तो मैंने नाम बदल के एक कांटेस्ट में लिटइरोटिका पे एक स्टोरी भी लाइट बांडेज की पोस्ट की। और उन्होंने इनाम में एक फर रैप्ड हैंडकफ भी मुझे दिया


जो मैंने सोचा था की हनीमून में इस्तेमाल करुँगी ,



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पर कर्टसी उनके मायकेवालों के न हनीमून पे गयी न वो डिब्बा खुला।






पर मैंने कभी इस तरह की चैट नहीं की थी।



अब अगला सवाल था की उनकी आई डी कौन सी है।


मैंने थोड़ा जासूसी लगाई।


मेरे अंदर का छिपा बॉबी जासूस जाग उठा।

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Shetan

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सब मिसिव


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और जिस तरह की ड्रेसेज उन्होंने पहनी थी चैट रूम में , जिस तरह अपने को डिस्क्राइब किया था ,


" ब्रोकेड , लो कट वेरी टाइट बैकलेस चोली शोइंग ३२ सी फर्म एंड हार्ड बूब्स , लॉन्ग हेयर कास्केडिंग ओवर शोल्डर्स , आइस फुल आफ कोहल , लिप्स पेंटेड विथ डार्क लिपस्टिक , …"



ये साफ था की वह आई डी सिर्फ लड़कों को अट्रैक्ट करने के लिए नही थी ,

उनके अंदर के छिपे फेमिनिन पर्सोना को एक्सप्रेस करने के लिए रास्ता ढूंढने का भी एक तरीका था।


लेकिन सब में वो एक सब मिसिव गर्ल की तरह थे , चाहे वो किसी डॉमिनेटिंग महिला के साथ हो या पुरुष के साथ।



६०-६५ % चैट डाली के नाम से थीं।

लेकिन मेल आई डी भी थी जो उनके नाम को ही उलट पुलट के बनायीं गयी थी।



और पुरुष की रूप में उनकी जो चैट्स थीं , वो ज्यादातर एम आई एल फ ( मदर ,आई लव टू फक ), और इन्सेस्ट रूम मेंथी।




बड़ी उम्र की औरतों के बीच वो काफी पॉपुलर थे , और वो ख़ास तौर से उन ४० साल की ऊपर की लेडीज के चक्कर में थे , जिसके जोबन खूब बड़े बड़े ३८ + और हिप्स भी बड़े थे यानी + साइज वाली औरतोंके साथ।

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और इन्सेस्ट रूम में रोल प्ले में कोई रिश्ता बचा नहीं था ,


लेकिन ब्रदर सिस्टर उनका फेवरिट था।


एक रूम था जहाँ मैं उनका रूप धर के गयी , और मिस्ट्रेस पेट्रीसिया नाम की एक डॉमीनेटरिक्स ने मुझे दबोच लिया।


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कुछ बहाना बना के मैं ….


और अपनी हैकर विद्या से और कुछ बॉबी जासूस के रूप में ,


मैंने पहले तो एम आई ल फ महिलाओं के बारे में पता किया , ज्यादाार असली थीं


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और वो डॉमिनिट्रेक्स भी कोई प्रोफेशनल थी।


मैंने साइट्स सब बंद आकर दी और अपने फूट प्रिंट्स मिटा दिए।


और वैसे भी मैंने अब कभी भी 'परकाया प्रवेश ' के लिए सभी पासवर्ड जुटा लिए थे।


लेकिन मैं एक बार फिर सोच में पड़ गयी।

क्या करूँ , क्या न करूँ।




एक बात तय थी ये मैं उन्हें कभी बता नहीं सकती थी की उनका ये पहलू मुझे मालूम है।


वो और अपने कोकून में चले जाएंगे ,


और ये बात मैं मांम से भी शेयर नहीं करुँगी ,

बल्कि खुद भी कोशिश करुँगी अपने जेहन से गायब करने की।


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फैंटेसी किस की नहीं होती , और उन की इन फैंटेसी के पीछे तो साफ साफ उनकी 'मायकेवलियां '

जिन्होंने उन्होंने कभी इमोशनली ग्रो नहीं करने दिया , एक अच्छे बच्चे की इमेज में ट्रैप कर दिया ,

लेकिन कहीं तो उनकी मेल सेक्सुअलिटी रास्ता ढूंढती , और इन अँधेरी गलियों , सुरंगो में उन्हें भटकने को छोड़ दिया ,
उनके उस रिप्रेशन ने। इस लिए उन के मन में सिर्फ गांठे ही गांठे बच गयी और वो कुछ ठीक से इंजाव्य नहीं कर पाते।


मेरे उनका रिश्ता नार्मल हसबैंड वाइफ से थोड़ा हटकर था।

और दो बाते हमारे रिश्ते को गवर्न करती थीं ,



पहली तो ये की मैं उन्हें बेइंतहा प्यार करती थी , बस बता नहीं सकती। और वो भी , अपने ढंग से मुझे।
और अब धीमे धीमे वह हर चीज के लिए मुझ पे रिलाई करते थे।


दूसरी बात ये की मैंने ये मान लिया था की मेरा साजन सिर्फ मेरा है।


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इसलिए वो जो भी चाहता है , खुले मन से , छुप छुप कर , अवचेतन में सब पूरा कराने की ,


अगर कोई किसी होटल को देखता है , बार बार देखता है ,

महीने में एकाध बार खाना खा लेगा , उसका मन भर जाएगा।

लेकिन उसे मना करो , तो वो रोज वही सोचेगा।


इसलिए कोई भी फैंटेसी अगर कभी कभार थोड़ा बहुत पूरी हो जाय , खुल के हंसी मजाक में ही सही , उस पे बात हो , तो वो रिप्रेस्सेड नहीं होगा।

और ये रिप्रेसन , पर्सनल रिलेशन पर , काम काज में हर जगह अपना काला साया छोड़ता है।

इसलिए मैंने तय कर लिया , कि ,…
……………………..

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