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बहुत बहुत थैंक्स
इसी पार्ट से कहानी इनके मायके की ओर मुड़ी थी जहाँ इनकी बहन कम माल ज्यादा और मेरी ननद
और वैम्प मेरी जेठानी, उनके बचपन के किस्से
बहुत बहुत आभार पढ़ने के लिए भी कमेंट के लिए भी
बहुत बहुत थैंक्स
एकदम सही कहा आपने छिनार नंबर वन बनेगी वो
Bahot jabardast part.जोरू का गुलाम
भाग १७९ - कैसे ननदिया होगी गाभिन
page 663
Last part
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Erotica - जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्लीअपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करेंexforum.live
Wowww kya entry karai hai apne mayke me Komalji. You are just superb.घर आयी मोरी छोटी ननदिया
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लाइट्स से पता चल रहा था की हम लोग टाऊनशिप में घुस गए हैं और अपने घर की ओर मुड़ गए हैं।
….
काले काले बादल छाए थे , हल्का अँधेरा था ,और जिधर हम लोगों का घर था ,घरों के बीच में थोड़ी दूरी भी ,आगे छोटा सा लान और पीछे किचन गार्डन ,
जब वो गाडी घर के सामने रोक रहे थे तो मुझे एक शरारत सूझी।
वो गाडी की डिक्की खोल कर सामान निकाल कर घर में गए ,मैंने आगे की सीट से अपना पर्स उठाया , गुड्डी की ब्रा पैंटी , हाईस्कूल वाला सफ़ेद ब्लाउज ,स्कर्ट और गाड़ी से निकल पड़ी।
और मुस्कराते हुए लान का गेट खोल कर उससे बोली ,
आ न ,...
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जहाँ कार खड़ी थी वहां से दस पांच कदम पर लॉन में और मुश्किल से ६० -७० कदम घर का दरवाजा ,
लेकिन गुड्डी बिचारी उहापोह में ,
कार का दरवाजा खोलकर झिझकती वो बोली
"पर भाभी मेरे कपडे ,.. मैं ,.. "
" हैं न मेरे पास ,देख तेरी स्कर्ट ,तेरा ब्लाउज ,... मैंने गुमाये नहीं है। "मैं उसे चिढ़ाते बोली।स्ट्रीट लाइट हम लोगों के घर से थोड़ी दूर थी ,इसलिए गेट पर झुटपुटा अँधेरा ही रहता था।
"पर भाभी ,मेरे कपडे ,... " वो बिचारी परेशान हो रही थी।
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वो भाभी कौन जो ननद को परेशान न करे ,..
" अच्छा चल आ , दे दूंगी यार ,... अब ये तो तुझे भी नहीं आते , मेरे किस काम के ,... " मैंने छेड़ा फिर हड़काया
" देख मैं अंदर जा रही हूँ , तीन तक गिनती गिनूँगी , आना हो तो आओ ,... कार रात भर वही खड़ी रहेगी , और तुम जानती हो ,पीछे वाला दरवाजा ठीक से बंद भी नहीं होता तो रात में कहीं आस पास के लौंडे ,... "
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और दो तक ही गिन के मैं घर की ओर बढ़ गयी ,
और वो ,... जब तक मैं दरवाजे पर पहुंची उसके पहले ही कार का दरवाजा खोल के उनकी बहना ,वैसे ही ,बर्थडे सूट में ,... लान पार करते ,दरवाजे पर
तभी वो सामान ले कर बाहर निकले ,... और मैंने उन्हें इशारा किया
" अरे तेरा माल देख चुदवाने के लिए कितना बेताब है , मैं लाख कहा कपडे पहन ले , पर बोली भैया तो अभी उतार देंगे ही। "
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और फिर उनसे बोली ,अरे यार मेरी ननद और तेरा माल पहली बार हमारे घर में ऐसे थोड़ी ही ,...घर की चौखट ,...
और इशारा समझ कर उन्होंने अपनी ममेरी बहन को गोद में उठा लिया और ऐसे
वो हमारे घर की चौखट पार कर के अंदर।
……मुश्किल से दो साल हुए थे जब मैंने इनके मायके की चौखट पार की थी ,
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ननद ,जेठानी ,सास ,...
यह मत करो ,वह मत करो
और आज गुड्डी ने इस घर की चौखट पार कर ली।
जिस तरह से मैं चाहती थी ,एकदम उसी तरह से ,
और जिसकी गोद में ,मैं चाहती थी ,उसी की गोद में।
मेरे बिना कुछ कहे उसे पता चल गया होगा की यहां कौन क्या तय करता है ,और अब बस उसे वही ,...
असली बात तो ये ही की ये कहना न पड़े की क्या करो ,क्या न करो और अगला खुद वही करे ,...
आगे आगे वो अपनी ममेरी किशोर कुँवारी बहन को गोद में उठाये ,
और पीछे पीछे मैं ,गुड्डी की ब्रा ,पैंटी ,स्कर्ट ,टॉप ,मेर हाथ में ,
और गुड्डी अपनी भैया की गोद में स्कूल के साक्स और शूज पहने ,
सिर्फ।
……………….
Matlab jethani ji bachpan se hi mota khuta dhudh rahi thi.अगले दिन
अगले दिन बजाय पौन घंटे के मैं एक घंटे पहले ही तैयार ,नहा धो के एकदम रेडी। नीचे स्कूल यूनिफार्म में बैग ले के खड़ी।
साइकल पे बैठते ही फिर मैंने पूछा , कहाँ बताओ न।
" अरे ले चल रहा हूँ लेकिन मान गया तुझे। तू भी न। .. हंस के वो बोला।
मेरे स्कूल के रास्ते से हट के एक और पतली सी पगडण्डी पर उतर गया ,साईकिल का बैलेंस सम्हालना उसी के बस की बात थी ,पतली सी पगडण्डी ,दोनों ओर गन्ने के बड़े खेत , खूब ऊँचे गन्ने , हम दोनों साइकिल पे थे पर गन्ने के खेत इतने ऊँचे की चार हाथ दूर से भी कोई हम दोनों को देख नहीं सकता था।
एक किनारे उसने साइकिल लगाई और मुझे ले के गन्ने के खेत में ,मेरा हाथ पकड़ के धीमे दबे पाँव।
तभी कुछ सरसराहट सुनाई पड़ी ,और मुझे चुप रहने का इशारा किया और हाथ पकड़ के बैठा दिया।
एक औरत और एक आदमी।
औरत चोली और घाघरे में ,आदमी बनियाइन पाजामे में।
पीछे से उसकी चोली के अंदर हाथ डाल के मसल रहा था , फिर चोली उतार के बगल में फेंक दी। अब उस औरत के खुले बड़े बड़े गदराये जोबन साफ़ दिख रहे थे , लेकिन चेहरा दोनों का नहीं दिख रहा था।
फिर उसने उस औरत को पीठ के बल लिटा के उसका घाघरा मोड़ के कमर तक और अपना पाजामा भी उतार दिया और सीधे उसकी टांगों के बीच।
मेरे मुंह से चीख निकल ही जाती अगर सामू मेरा मुंह न भींचते।
Wow teen girl jethani. School girl life. Naga shakha.स्कूल
रोज यही था ,गाँव के अंदर हमलोग एक दम चुपचाप और गाँव से बाहर निकलते ही छेड़छाड़ ,चिढ़ाना सब चालू।
" अरे तेरे मुंह में घी गुड़ ,.. " मैंने चट जवाब दे दिया।
" अभी तो ज़रा ये वाली जलेबी तनी चिखाय दो। " सामू ने अपनी एक ऊँगली मेरी हलकी लिपस्टिक लगे होंठों पर फिराते बोला।
" लालची ," मैंने हड़काया लेकिन अपना चेहरा मोड़ के उसकी ओर पीछे ,और साइकल चलाते झुक के उसने मेरा होंठ चूम लिया।
मेरे मन में आया एडवांस में गुड़ चखा दिया है अब तो जरूर सपना सच होगा। लेकिन आज एक चीज मैंने समझ ली थी और तय भी कर लिया था ,
मुझे ही पहल करना होगा । अगर मैंने नहीं कुछ किया तो हाईस्कूल ,इंटर बीए सब हो जायगा और मैं कन्या कुंवारी ही बनी रहूंगी। सामू की हिम्मत नहीं पड़ेगी लाइन पार करने की।
" का था सपने में ," उस से नहीं रहा गया।
" एक तो सबेरे सबेरे हमका जूठी कर दिए ऊपर से , ... अरे ई नहीं मालूम का की सपना बताने से सपने का असर कम हो जाता है , और हम तो तुमको एडवांस में गुड़ चखा दिए हैं , सपना जब पूरा हो जाएगा तो तुमको बता देंगे। मैंने खिलखिलाते हुए कहा।
तब सायकिल गन्ने के खेत के बीच में पतली पगडंडी से गुजर रही थी , दोनों ओर इतने ऊँचे गन्ने के खेत ,कोई दस हाथ दूर हो तो भी हम लोगों की साइकिल नहीं देख सकता था।
और वो जगह देख के हिम्मत कर के ऊँगली से उसने मेरे कसे कसे टॉप फाड़ते उभारों को छु के कहा ,
" मुझे तो ये वाली गुड़ की डली चाहिए। "
" लालची ,कल मन नहीं भरा क्या , " अपने उभारों को और उभार के में बोली।
"ना "वो बोला और मेरी कच्ची अमिया उसकी मुट्ठीमें।
हम लोग उसी जगह से गुजर रहे थे जहां कल उसने साइकल खड़ी की थी और अंदर जाकर खेत में हमने गुलबिया की ,...
" मुझे तो रोज रोज चाहिए" कस कस के कच्ची अमिया मसलते उसने अपना इरादा जाहिर कर दिया,... मैं भी तो यही चाहती थी, पर बिना उसका हाथ हटाए मैं उसे चिढ़ाते, छेड़ते, उकसाते बोली,
' रोज रोज खाओगे तो पेट खराब हो जाएगा"
कुछ तो था उसके हाथ में, मसल वो मेरे बस उभरते हुए कच्चे टिकोरे रहा था, पर गीली मेरी मुनिया हो रही थी और आँख के सामने बार बार कल गन्ने के खेत में गुलबिया जिस तरह, ख़ुशी से भरा चेहरा,... और बार बार रात का सपना जिसमें गुलबिया की जगह मैं और,... ये,.. यही सामू,...
मेरे मन में आया पूछ लूँ ,सिर्फ यही चाहिए की नीचे वाला शहद का छत्ता भी। लेकिन मैं चुप रही।
जिस तरह से वो मेरे उभारों को रगड़ मसल रहा था ,मेरी पूरी देह गिनगीना रही थी।
पतली सी सूनसान पगडण्डी, दोनों ओर हाथी से भी ऊँचे गन्ने की खूब घने खेत, ... जितना उसका मन कर रहा होगा, उससे ज्यादा मेरा मन कर रहा था।
लेकिन कुछ देर में खुला रास्ता आ गया , और उसने हाथ हटा लिया।
लेकिन हम लोगों की बात ,छेड़छाड़ चलती रही ,मैंने ये भी ध्यान नहीं दिया की मेरे क्लास की लड़कियां कुछ साइकिल से वापस आ रही थीं ,उन्होंने कुछ इशारा भी किया , कहा भी लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया।
एक बड़ी सी बाग़ पड़ती थी ,उसके बाद वो कन्या हाईस्कूल। मैंने घड़ी पर निगाह डाली मैं दस मिनट आलरेडी लेट हो चुकी थी।
इसका मतलब अभी प्रेयर चल रही होगी ,मैं चुपके से जाके अपने क्लास में बैठ सकती थी।
जबतक हम लोग स्कूल पहुंचे ,स्कूल में सन्नाटा पसरा था। बस एक दो लड़कियां पैदल वापस हो रही थीं, आपस में मगन। न उन्होंने हमेदेखा न हमने ध्यान दिया।
गेट पर ताला लटका हुआ था और एक कागज चिपका था।
बस मैंने एक बात पढ़ी , स्कुल दो दिन के लिए बंद ,और मेरा शैतानी दिमाग ओवरटाइम करने लगा। मैंने ये भी ध्यान नहीं दिया की क्यों ,शायद प्रिंसिपल की भैंस भाग गयी थी ,या किसी मास्टरनी के देवरानी की जेठानी बियाई थीं पर असली चीज ये दो दिन स्कूल बंद।
अब मुझे समझ में आया रास्ते में वो लड़कियां मुझसे वही बोल रही थीं ,स्कूल बंद है और मैं वापस घर चली जाऊं।
मैं फिर सामू के साइकल पे और मैंने उससे वापस घर चलने को कहा , ये भी बताया स्कूल दो दिन के लिए बंद है।