- 22,208
- 57,754
- 259
आप जैसे ज्ञानी जन की कहानियां पढ़कर... नए नए आयाम से परिचय होता है...
आप जैसे ज्ञानी जन की कहानियां पढ़कर... नए नए आयाम से परिचय होता है...
बिल्कुल इसी लिए कहा क्यों की मेरा पुस्तैनी परिवार पूरा वाराणसी का ही है।। बाकी हमारा जन्म राजधानी मैं हुआ और नौकरी गोवा मैं कर रहे है ।।।मेरी कहानियों में सिर्फ वहां की बोली ही नहीं, लोकगीतों की, रीत रिवाजों की झलक मिलेगी और माटी की महक भी।
एक बार फिर से आभार कहानी पढ़ने के लिए कमेंट्स के लिए भी।
एकदम बारिश से रूमानी मौसम शायद ही कोई होता होतभी तो ऊपर वाले भी इस मौसम में मेहरबान होते हैं..
तेज हवा और बारिश... और एक लड़की भीगी भागी सी....
बहुत बहुत धन्यवाद, कविता से मेरा संबध पढ़ने का पसंद करने का है,आपके पद्य भी लाजवाब होते हैं...
एकदम सही कहा आपने , एक तरह से मुझे मिसेज मोइत्रा का शुक्रगुजार होना चाहिए की उन्होंने डिब्बे को इतना टाइट बंद किया था की मेरे सोना मोना को ताजे ताजे फ्रेश रसगुल्ले मिलेंगे,... वरना क्या पता कोई चख लेता।ताजे-ताजे रसगुल्ले..
एकदम फ्रेश माल...
arushi_dayal ji तो गजब है ही।। मैं देख पा रहा जितना उन्होंने हर सिचुएशन k लिए कुछ न कुछ लिखा जरूर है।।बहुत बहुत धन्यवाद, कविता से मेरा संबध पढ़ने का पसंद करने का है,
वैसे यह कविता पूरन मुद्गल जी की है
और उस की चंद लाइने जो मुझे ज्यादा पंसद आयी मैंने शेयर की, कविता पढ़ना, सुनना और शेयर करना अच्छा जरूर लगता है लेकिन आरुषि जी ऐसी प्रतिभा विरलों को मिलती है।
एकदम अब वक्त आ गया है कलियाँ भी तैयार और खिलाने वाला भी,... और जिसने भौरों के बाग़ में घुसने पे पाबंदी लगा रखी थी, खुद उलझ गया है मंजू के जाल में।हाँ... ये कलियाँ तो खिलने को बेताब हैं....
Thanks soooooooooooooooo much lekin aap aise padhne vaale bhi chahiye naaआपका हर पोस्ट विशिष्ट है..
कुछ नए शब्द.. नई परिभाषा... नए मनोभाव....
सबका सम्मिश्रण....
थैंक्सउस भीगते हुए बालक के मनःस्थिति को उसके आंतरिक भावों को बाखूबी दर्शाया है आपने....
मैं कोशिश करती हूँ एक मूड सेट करने की, एक माहैल बनाने कीइन्हीं पूरक अपडेट्स में आपके अन्य रूचि और प्रभाव का पता चलता है...