Wow bahot jabardast erotic seen create kiya he. Amezing.जोरू का गुलाम भाग १९८
घन गर्जन बादर आये
मेरी टीन ननदिया
१७४७६२९
मैं भूल ही गयी थी इनकी कांफ्रेंस काल , साढ़े पांच बजे तीन चार देशों के बीच वाली , घंटे पौन घंटे पहिले इन्हे आफिस पंहुचना होता था , थोड़ी बहुत तैयारी , पेपर्स ,
और साढ़े चार बज रहे थे। थोड़ी देर में तैयार होकर ये आफिस चले गए और मैं और मेरी ननद ,
न मेरी देह की प्यास बुझी थी न उसकी।
और लग रहा था बाहर धरती की,.... जेठ बैशाख की गर्मी में किसी विरहिणी की तरह सूखी, प्यासी धरती,.... अब बादल ला ला कर प्यार उड़ेल रहे थे.
इनके आफिस जाने के समय बारिश लगभग रूक सी गयी थी,... बस पेड़ो की डालों से पत्तियों से रुकी हुयी बूंदे रह रह के टिप टिप गिर रही थीं, अब छत पर, खिड़कियों पर आ रही पानी की आवाजें बंद हो गयी थीं,... लेकिन धीरे धीरे बादल फिर उमड़ने लगे,
आज शाम को जब मैं और गुड्डी बारिश में भीगते मस्ती कर रहे थे, एक मल्हार मैं गुनगुना रही थी और गुड्डी भी मेरा साथ दे रही थी,...
अब बाहर उमड़ते घुमड़ते बादलों को देख के, एक बार फिर मैं गुनगुनाने लगी,... मम्मी ने सिखाया था, मियां की मल्हार का ये गाना,.... और बाद में एक दिन मैंने और गुड्डी ने साथ साथ कोक स्टूडियो पर सुना था, तबसे हम दोनों का फेवरिट हो गया था
घन गरजत बादर आये
उमड़ घुमड़ कर बादर छाये,.... घन गरजत बादर आये
और अब गुड्डी ने भी मेरे साथ ज्वाइन कर लिया, बारिश हम दोनों को अच्छी लगती थी, ...वो गा रही थी
बिजुरी चमके जियरा तरसे, बिजुरी चमके जियरा तरसे,
मेहा बरसे छम छम छम छम
और फिर हम दोनों साथ साथ,... खिड़की के पास खड़े हो के, खिड़की से अंदर आ रही बूंदों से भीगते एक दूसरे से, खिलवाड़ करते साथ साथ, गा रहे थे
घन गरजत बादर आये
और अब गुड्डी सिर्फ, बाहर बादलों को देख कर,...खिड़की के अंदर आती बारिश की बौछार से भीगता उसका चेहरा, गाती
उमड़ घुमड़ घन गरजे बादर, कारे कारे,
अति ही डराए कारी कारी रतियाँ,...
चमक चमकचमके बिजुरिया दमक दमक दमके दामिनिया,
चलत पुरवैया,... उमड़ घुमड़ घन गरजे बादर
और फिर मैं,...
बिजुरी चमके गरजे बरसे,... घनन घन बिजुरी चमके, पपीहा पीहू की तेर सुनावे
कहाँ करूँ कित जाऊं,... मोरा जियरा लरजे,... बिजुरी चमके गरजे बरसे,..
उमड़ घुमड़ कर बादर छाये,.... घन गरजत बादर आये
कौन ननद कमीनी होगी जो भौजाई को चिढ़ाने का ये मौका छोड़ देती,.... बस वो पीछे पड़ गयी,...
अरे भाभी, कहिये तो भैया को फोन लगाऊं, मेरी एकलौती भाभी बेचारी,... उनकी दो टकिया की नौकरी, भाभी का लाखों का सावन बेकार हो रहा है,... लेकिन भाभी अभी तो बादल बरसा था इत्ते कस के अभी तक देखिये यहाँ कीचड़ है,
और वो अपनी हथेली मेरी चिकनी चमेली पर रगड़ने लगी जहाँ भाई भी उसके भैया की मलाई बजबजा रही थी, छलक रही थी।
मैं क्यों छोड़ देती उसे रगड़ने का तो मैं पहले तो खींच के गुड्डी को पलंग पर ले आयी और अपने साथ लिटाती बोली,...
" बात तो तेरी सही है, लेकिन भैया नहीं है भैया की बहिनिया तो है, .... सावन ने जो आग लगाई है अब वही बुझाये,...
एकदम भाभी एनीथिंग फार माई स्वीट भाभी वो मुस्करा के बोली
मेरी प्यास भले ही वो बुझा दे उसकी तो खैर बुझनी भी नहीं थी , मुझे तो उसकी तपन भी बढ़ानी थी और अगन भी , जैसे जब वो कोचिंग में पहुंचे, छनछनाती रहे, जोबन टनाटन, चुनमुनिया में आग लगी रहे,... तभी तो लौंडों का फायदा होगा
लेकिन गले की उसकी प्यास बुझाने से कौन रोक सकता था , ।
स्पार्कलिंग वाइन की एक बॉटल और बची थी , और वो गुड्डी ने खोल दी।
जब ' वो ' नहीं होते थे , तो गुड्डी की शरारतें और बढ़ जाती थीं , वाइन सबसे पहले इस बॉटल से उसी ने चखी , लेकिन
न पेग से न बॉटल से।
बहुत ही बदमाश थी , एकदम शरीर , ...
सीधे मेरी देह से , बूँद बूँद मेरे उभारों पर ,... और वहां से उसके होंठों पर।
न उसने मेरे हाथ बांधे न आँखे , लेकिन मेरी छोटी ननद की हिरण ऐसी आँखों ने जो मुझे बरज दिया था ,
मैं बस पलंग पर ऐसे ही ,...
और जैसे बचा खुचा कई चाट ले , वो मेरे जोबन , मेरे निप्स कस कस के चाट रही थी ,
और उस के बाद वाइन मेरी नाभि में ,... ( जो जो मैंने और उसके भइया ने उसके साथ किया था उसका सूद के साथ बदला ले रही थी )
मैं तो उसकी ' गुलाबो ' को बचा रही थी , वहां १२ घण्टे के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा था ,
उसके साथ ये रिस्ट्रिक्शन तो था नहीं , ... इसलिए मेरी गहरी नाभि से छलकती वाइन चूसते चाटते , सीधे मेरी प्रेम गली पर ,
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Abhi tak barish ke seen logo ne alag alag create kiye. Par kisi ne bhi lazbo seen vo bhi is tarah to create nahi kiya hoga.हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी 'शराब' ... पर बरसात ने ...
ननद -भौजाई
और उस के बाद वाइन मेरी नाभि में ,... ( जो जो मैंने और उसके भइया ने उसके साथ किया था उसका सूद के साथ बदला ले रही थी ) मैं तो उसकी ' गुलाबो ' को बचा रही थी , वहां १२ घण्टे के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा था ,
उसके साथ ये रिस्ट्रिक्शन तो था नहीं , ... इसलिए मेरी गहरी नाभि से छलकती वाइन चूसते चाटते , सीधे मेरी प्रेम गली पर ,
निचले गुलाबी फांकों को चूसते , चाटते अपनी बड़ी बड़ी आँखे उठा के उस सारंग नयनी ने मुझे चिढ़ाया ,
" भाभी , आप कहती थीं न चल मेरे साथ तुझे ये पिलाऊंगी , वो पिलाऊंगी , अब देखिये ,.. कौन "
मुझे चिढ़ाते हुए चैलेन्ज करते हुए बजरिये सुदर्शन फ़ाकिर मेरी ननदिया ने अपनी बात रखी, हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी 'शराब' ... पर बरसात ने ...
लेकिन मैंने उसकी बात बीच में काट दी, मैं भी सोच रही थी हे गुड्डी बहुत हुआ अब चोर सिपहिया, आज हो जाए . हम दोनों समझ रहे थे वो किस 'शराब' की और कहाँ से होने वाली बारिश की बात कर रही थी,
मैंने उसे खींच कर अपने ऊपर ,... और अब मेरी आँखे उस की आँखों में झाँक रही थी ,
मेरे होंठ उस के होंठों के पास ,
" हे पिलाऊंगी तो ना ना तो नहीं करेगी ,... "
वो मुझे छेड़ते उकसाते मेरी आँखों में आँखे डाल कर बोली ,
" नहीं , एकदम नहीं। और अगर करुँगी भी न , तो अब तो आपके कब्जे में हूँ , ... कर लीजियेगा न अपने मन की। "
मैंने उसे पलट दिया और अब मैं ऊपर थी , एक चुम्मी ली मैंने कस के फिर साफ़ साफ़ बोला ,
" चल आज तुझे स्पेशल वाइन पिलाऊंगी , अपनी ,... तेरी भौजाई स्पेशल ,... बस भागना मत। "
" इत्ता कस के आपने पकड़ रखा है , कहाँ भाग पाउंगी , " गुड्डी मेरी टीन ननदिया खिलखिलाते, बोली
फिर मेरे गाल पर कस के चूम के वो किशोरी बोली ,
" अब तो मेरी मीठी भौजी , आप भगाइएगा न तो भी आपकी ये ननद कहीं जानेवाली नहीं , समझ लीजिये। "
लेकिन मैं विषय से भटकने नहीं देने वाली थी उसको ,
" हे मैं पिलाऊंगी तो ,... कहीं बुरा तो नहीं मानेगी ,... "
और अब वो बोली भी , और उसने मेरे मुंह भी बंद कर दिया।
बोली एकदम मेरी स्टाइल में , " अरे आप कैसी भौजाई हो जो,... ननद के बुरा मानने से मान जाएंगी। "
और वाइन के बॉटल से सीधे मेरे मुंह में , घल घल , एक पेग से ज्यादा ,..
और अब वह मुझे पिला रही थी जैसे ये सोच के की यही वाइन तो अभी थोड़ी देर बाद छल छल छल छल, उसकी भाभी के निचले होंठों से उसके होंठों के बीच
लेकिन जब मैंने अपने सैंया को इस लड़की के साथ बाँट लिया था तो वाइन क्या चीज थीं , मेरे मुंह से उसके मुंह में। साथ मे मेरा सैलाइवा मिला हुआ, लेकिन अभी तो आज बहुत कुछ जाना था इस बारिश में उसके मुंह में,... सलाइवा का क्या,...
और अब गुड्डी, वह शोख टीनेजर मेरे ऊपर चढ़ी, अपनी कच्ची अमिया पर से मेरे होंठों से सिर्फ दो इंच की दूरी पर और उस पर वो मेरी ननद स्पार्कलिंग वाइन की बॉटल से बूँद बूँद अपने निप्स पर जहाँ आज सुबह ही मैंने गोल्डन रिंग लगवाई थी, ...
और उस निप्स से छलक कर मेरे होंठो में, धार टूट नहीं रही थी , और वो मेरे ऊपर बैठी तो मैं अपने मुंह से उसके मुंह में भी नहीं, पर जब मुझसे नहीं रहा गया, तो मैंने हाथो से पकड़ कर उस किशोरी को अपनी ओर खींच लिया और वाइन से भीगा उसका निप सीधे मेरे मुंह में, मैं कस के चूस रही थी , दूसरे उभार को अपने हाथ से दबा रही थी
और जब मैंने उसे छोड़ा तो हम ननद भौजाई ने साथ वाइन सीधे बॉटल से,... बॉटल अबकी आधी से ज्यादा मेरे अंदर , मैं बॉटल से बॉटम्स अप कर रही थी,... बचा खुचा सब मेरे अंदर,...
और वो लड़की मछली की तरह मेरे ऊपर से फिसलती सीधे मेरी खुली जांघो के बीच, जहाँ अभी भी उसके भैया की मलाई छलक रही थी, कौन भाभी नहीं चाहेगी की सैंया की मलाई सैंया की छोटी बहिनिया से चुसवा के साफ़ करवावे,... पर मेरी ननद ने अपनी चुम्बन यात्रा रस कूप से दूर मेरी जाँघों से शुरू की, और चुम्बन के छोटे छोटे पग भरते उस अमृत सरोवर की ओर जिसमे डुबकी लगाने के लिए उसके भैया, कुछ भी करने को तैयार रहते थे, लेकिन फिर जीभ लम्बी सी निकाल के सिर्फ जीभ की टिप से चारो ओर जैसे पूजा अर्चन के पहले परिक्रमा कर रही हो, ...
' अरी कमीनी, अबे तेरी भैया की गाढ़ी मस्त मलाई है, आज तेरे निचले मुंह में तो नहीं जा सकती तो मेरे ही निचले मुंह से,... " ख़त्म हो गयी वाइन को बॉटल को पलंग के नीचे रख के मैंने उसे छेड़ा,...
" एकदम भाभी,... जबरदस्त डबल स्वाद मिलेगा, आपका भी मेरे भैया का,... अब तो मैं खीर इसी कटोरी से खाउंगी " खिलखिलाती वो षोडसी बोली।
बस दो दिन की बात और है मैं सोच रही थी मन ही मन मुस्करा रही थी, इस कटोरी से देखो उसे किसकी किसकी मलाई खाने को मिलती है,... परसों या नरसों ,...
Bechari seva kar rahi he. Shadi se pahele to bhabhi hi unki bhagvan hoti hena. Jo unhe bina byahe shuhagrat mana ne ka moka deti he. Unke aur apne bhaiya dono se hi. Unhe jill top banati he. Achhhe se chatvaoपिछवाड़े का मजा
" झाड़ दूंगी लेकिन आप वादा करती हैं पूरा नहीं करती,... मेरे आने के पहले से कह रही है,... बाहर कितना पानी गिर रहा है, रोज आप कहती हैं ,... तुझे पिलाऊंगी, पिलाऊंगी,... मैंने एक बार भी मना नहीं किया लेकिन आप इतनी कंजूस की ननद के लिए ज़रा सा,..."
मैं मान गयी उसका छिनारपन,.... वह क्या पिलाने की बात कर रही थी,
" अच्छा चल आज ही पिला दूंगी पक्का, लेकिन यार एक बार झाड़ दे, ... " मैं बोली और खींच के उसका सर अपनी बुर की ओर,... छुड़ा तो वह नहीं पायी लेकिन थोड़ा फिसल गयी , और साथ में उसने सब तकिये मेरे चूतड़ों के नीचे,
मैं समझ गयी उसकी बदमाशी, उसके होठ अपने आप नहीं फिसले थे, वो उसकी प्लानिंग थी, ... दोनों हाथों से पूरी ताकत से उसने मेरे चौड़े नितम्बों को फैला दिया,... और वो छिद्र जिसका मजा तो सब लेना चाहते हैं लेकिन उसे छूने से होंठ कौन कहे ऊँगली से भी गर्हित समझते हैं,
और ननद की जीभ गोल गोल उस गोलकुंडा के चारों ओर चक्कर काट रही थी, पूरी देह तो मजे से सिहर ही रही थी मेरा गुदा छिद्र भी सिकुड़ खुल रहा था, ... एक कुँवारी टीनेजर के गुलाबी होंठों के स्पर्श की चाह में
और चुम्मी जबरदस्त लिया गुड्डी मेरी प्यारी ननद ने पिछवाड़े के छेद पर, और उस चुम्मे के साथ ही गुड्डी के मुंह ने ढेर सारा थूक भी वहां निकाल दिया,
फिर एक के बाद एक, दर्जन भर किस तो उस लड़की ने वहीँ किये ही होंगे,... मैंने अपनी देह अपना पिछवाड़े का रस्ता सब ढीला कर दिया, उसके होंठों में इतना नशा था, और अब गुड्डी ने जैसे कोई खेला खिलाया लौण्डेबाज हो, अपने दोनों अंगूठों के जोर से मेरी गाँड़ का छेद पूरी ताकत से फैला दिया, जैसे गाँड़ मारने वाले , गाँड़ मारने से पहले फैलाते हैं,.. औरअब एक फिर चुम्मा, जीभ उस कुंए के किनारे किनारे जैसे उसकी गहराई नाप रही हो,...
और फिर और ताकत लगा के,...
पहले वहां देख के फिर मेरी ओर देख के,… जिस तरह से वो मुस्करायी मैं समझ गयी, ये छिनार है समझदार,... दरार की जगह छेद देख कर समझ गयी इसमें मूसल चल चुके हैं, क्या बताती इसको एक नहीं दो दो जबरदस्त मूसल, कम से कम चार पांच बार,...
उसकी मुस्कराहट का मैंने भी मुस्करा के जवाब दिया जैसे मैं उसकी बात समझ गयी हूँ, " भाभी आपने तो पिछवाड़े का खूब मजा लिया, इत्ते मूसल घोंटे और मेरा पिछवाड़ा अभी भी कोरा है,... "
और मेरी आँखों ने जवाब दे दे दिया, बिना बोले , बहुत जल्द तेरी गाँड़ भी ह्च्चक के मारी जायेगी, घबड़ा मत,...
और अब फिर एक बार उसने ढेर सारे थूक के साथ फैलाये हुए पिछवाड़े में चुम्मा लिया, होंठ वहीँ चिपके रहे पर जीभ ने सेंध लगा ली,... और पूरी ताकत से जीभ वो अंदर पुश कर रही थी,...
मैंने ननद को चिढ़ाया, "कुछ मिला खाने पीने को, स्वाद ले लो,...."
मान गयी मैं ननदिया को,... सच में उसने और जोर लगा के जीभ अंदर तक, फिर जैसे कोई ऊँगली से करोचने लगे, जीभ से ही अंदर की दीवालों पे
मेरी देह गिनगीना गयी, जीभ अंदर घूम रही थी बार बार, वह अब समझ गयी थी की देह के इस खेल में कुछ भी वर्जित, गर्हित नहीं, उन पलों में जो भी मन करे,...
बस उसे रोको मत हो जाने दो, ये बारिश आज सब बांध तोड़ के ही मानेगी
लेकिन साथ में उसने आगे भी हमला बोल दिया, पहले एक हाथ की उँगलियों से दोनों फांको को पकड़ के रगड़ने लगी, ... मैं वैसे ही बड़ी देर से पनिया रही थी,... बार बार झड़ने के करीब पहुँच के,... गुड्डी सच में दुष्ट थी अब उसने पूरी तीन उँगलियाँ एक साथ मेरी बुर में पेल दी,
मेरे पिछवाड़े जीभ उसकी,... अगवाड़े तीन उँगलियाँ अंदर,... मेरी हालत खराब एक बार फिर मैं झड़ने के करीब, लेकिन मैं जान रही थी फिर ये आखिरी मिनट पे अब नहीं
और इस दुष्ट लड़की का एक इलाज था ,
जबरदस्ती।
बस मैंने उसे पलंग पर पटक दिया और चढ़ गयी उसके ऊपर ,
मेरे निचले होंठ उसके गुलाबी प्यारे रसीले होंठों पर ,
थोड़ी देर तक तो मैं उसका सीधे मुंह चोदती रही , फिर वो हार मान गयी
एकदम,इसीलिए टाईम की बचत के लिए...
एक साथ कई लोग... कोई कोना खुदरा घर और गुड्डी का नहीं बचना चाहिए...
कुछ मेरे सहृदय मित्र नया नया रूप धर कर के, नए नए चेहरे लगा के आते हैं, विशेष कृपा है उनकी मेरे ऊपर,...When you are on this forum.. you will more of them.
गनीमत है डाक्टर गिल थीं , रुकावट सिर्फ एक दिन की हैशटर उठते हीं दुकान चालू....
"Maybe Raji's favorite KomaalRani's story as well might have crossed such a milestone...unfortunately, somehow due to lack of time, not following it. Sorry for that Komaal Madam...maybe I'll try..."