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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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motaalund

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एकदम हक़ मेरा भी है, मेरे सोना मोना का भी है

और जो दो तीन में मेरी बहिनिया आ रही है, वो तो छोड़ेगी नहीं बिना ' पिलाये'....


लेकिन गीता की बात और है, गुड्डी की ट्रेनिंग का जिम्मा गीता के ऊपर है और गीता ने इनकी सास से वादा किया है की गुड्डी को अपने से भी दस हाथ आगे कर देगी वो, ... इसलिए गीता रोज रोज ट्रेनिंग देगी, सीखने का इनाम देगी।
क्या पता अमृत वर्षा भी हो...
 

motaalund

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गलती उनकी भी नहीं है जो एक पुरुष और कई स्त्रियों वाली कहानी की मांग करते हैं , ९५ % से ऊपर कहानियां इसी तरह की होती हैं,...

पहला मुद्दा है एट्टीट्यूड का,... वीरभोग्या वसुंधरा टाइप,... मर्द है तो उसका हक़ है और हर लड़की, तो सिर्फ कहने की देर है टांग फैला देगी,... रिश्ता कोई हो, जान पहचान न भी हो , कोई सिडक्शन भी न हो,... तो भी

और में उस एट्टीट्यूड के खिलाफ हूँ इसलिए वो मेरी कहानी में चाह कर भी नहीं आ सकता,... मैं मानती हूँ देह की मांग लड़की की भी होती है,... लेकिन हीरो के कितनी भी स्त्रियों से संबंध हो पर उसकी पत्नी या हीरोइन के किसी और से संबंघ नहीं होने चाहिए, मेरा मानना है की संबध का यह अधिकार दोनों का है लेकिन कुछ भी पीठ पीछे छुप छुप के, नहीं होना चाहिए, वहीँ से अविश्वास उपजता है , और वही एडल्ट्री है,...

इस कहानी में कोमल के पति का संबध, ( कोमल के उकसाने पर ही, उसकी स्वीकृति से उसके सामने ही ) आधी दर्जन लड़की/स्त्री से तो हुआ ही,... सास,... गीता, मंजू, ममेरी बहन गुड्डी उसकी सहेली दिया, ( बी जे ही सही ), जेठानी,... और अब मिसेज मोइत्रा और उनकी दो बेटियां,...

हीरोइन के संबध का एक प्रसंग है, जीजा साली का,... लेकिन कितने पाठकों ने क्या क्या नहीं कहा.

दूसरी बात है मेरी कहानी स्त्री प्रधान है, स्त्री के पर्स्पेक्टिव से लिखी जाती है इसलिए वह पक्ष प्रबल हो जाता है।

मेरी दो चार कहानियों में नैरेटर पुरुष है जैसे फागुन का दिन चार, लेकिन उसमें भी रीत, गुड्डी और रंजी का चरित्र प्रमुख हो
गया,


तीसरी बात कथ्य विषयों में जोर मे स्ट्रांग प्वाइंट है,... लोक गीत, रीत रिवाज, ननद भौजाई के मजाक, सास बहु और देवरानी जेठानी के रिश्ते,...उन सब में स्त्रियाँ ही प्रधान होती हैं
यही विविधता तो हम लोगों को आपकी कहानी की ओर खींच लाती है....
जहाँ इतनी सारी कहानियों के लिए जगह है वहाँ आपकी कहानी एकदम लीक से हटकर और एक नए पन का अहसास कराती है...
 
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motaalund

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yes, and it takes more time visualize, create than an erotic scene. I must mention books topics but there should not be too much of it other wise it looks forced, labored, It must come naturally.
But I think more difficult part is penning down those events, aspirant dedication, conversation and environment surrounding those places.
Even though I can recall those moments but presentation of those memories in written form ( I am not capable of) and your vivid style is magical.
 

motaalund

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Moitra Manyagi Teej,
damad chakhega unki chupai hui cheez.
Teej party ka to hain bahana
Damad to hai kacche santro ka deewana
Jab Moitra hongi baher,
Tab Rasgulla lenge kela andar.
आएगा सास और कबूतरियों दोनों को मजा..
जब होंगे जड़ तक अंदर उनके जीजा...
 

motaalund

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तभी तो तीनों भाई एक साथ चढ़ेंगे अपनी छुटकी बहिनिया के ऊपर,... छेद तीन, भाई तीन

कोई नाइंसाफी नहीं होगी,...

और वो उतरेंगे तो हम दो भाभियाँ होगीं, मैं और मेरी बहन रीनू, स्ट्रैप ऑन के साथ तैयार

अपनी छोटी ननद को ज़रा भी खालीपन महसूस नहीं होने देंगें,.
इतने लोगों के बाद खालीपन होना भी नहीं चाहिए....
 
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motaalund

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एकदम कुछ दिनों बाद ही तो इन लड़कियों को घर से दूर हॉस्टल में रहना होता है, कोई अनजान लड़की रूम पार्टनर होती है, फिर सीनियर्स, मेडिकल की रैगिंग तो मशहूर है। और क्लास में लड़के भी,... पढाई भी खुलापन भी,... दोनों का बैलेंस, पंख फैला कर उड़ने की तमन्ना और गिरने का डर और कहीं आखों में बचपन से जग रहे सपनों के, आसमानों के छूने वाले, उनको टूटने का डर भी,

दैहिक संबध, उनका रस कहानी का हिस्सा हो सकते हैं लेकिन सिर्फ वो कहानी नहीं हो सकते, वरना xxx फिल्मो की तरह दुहराव और मेकेनिकल चित्रण से वो बोरिंग भी हो जाती है रस का सृजन भी नहीं करती, क्षणिक आनंद में सहभागी बनने की कोशिश भले करे।
दैहिक संबध, उनका रस कहानी का हिस्सा हो सकते हैं लेकिन सिर्फ वो कहानी नहीं हो सकते, वरना xxx फिल्मो की तरह दुहराव और मेकेनिकल चित्रण से वो बोरिंग भी हो जाती है रस का सृजन भी नहीं करती, क्षणिक आनंद में सहभागी बनने की कोशिश भले करे।

सही कहा आपने .. ये जीवन का एक पार्ट तो हो सकता है... लेकिन पूरा जीवन नहीं...
और दुहराव से बचने का करिश्मा आपने हर बार अंजाम दिया है...
 
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