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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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क्या ऑफिस में मराठी या साउथ इंडियन ब्यूटी भी है....एकदम माँ भी बेटी भी
Well expressed.Very well said Komal ji. So clear honest and transparent in your thoughts.
शायद वे रीडर्स किसी एक्सट्रीम दुनिया या फिर इंसेस्ट के रसिक हों...and such views does not resonate with a number of readers,... but i can;t help it.
No doubt...Komal Madam, while her thoughts are good and discerning, her shayaries are far more super, authentic and incredibly sexy and good. Hope you agree. I think Raji (& even myself) are such big fans of her shayaries
komaalrani Rajizexy arushi_dayal
I came to know her only in this forum through her fantastic poems.I know this fact since last so many years. She is my ideal I respect her a lot.
Very talented writer
& the best person.
Yes.... indeed...The list is long and i am also there. Arushi Ji can express in a few words for which others will use page after page. Three cheers for Arushi Ji
हम किसी से कम नहीं....एकदम कई बार नयी जवान होती लड़कियां, खास तौर से बहनें और जुड़वां हो तो कहना ही क्या, एक दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में, वो कदम उठा लेती हैं जो वैसे कोई सोच भी नहीं सकता,... तो बस यही बात है छुटकी का कुछ स्वभाव है और कुछ अपनी जुड़वां बहन से आगे निकलने के चक्कर में और जीजू पर गिरी पड़ रही है।
मोटी चाभी और खुल जा सिमसिम...अरे दामाद भी नहीं,
दामाद ही जोर लगाएंगे,
पिछवाड़े की कुण्डी खटकायेंगे,. एक बार अपनी जेठानी, इनकी भौजाई के पिछवाड़े का स्वाद जो लगा दिया है मैंने इनको तो ये भी अब पिछवाड़े के शैदाई हो गएँ हैं खास तौर से एम आई एल ऍफ़ टाइप के,
वो तिलस्म का बंद दरवाजा इन्ही की चाभी से खुलेगा, लेकिन उसके पहले उन दोनों जस्ट टीनेजर्स का खुलेगा,
मिसेज मोइत्रा की दोनों बेटियों का।
और आपकी यही मेहनत इन्हीं सूक्ष्म प्रसंगों में चाहे मीनू हो या पहनावा... या फिर कॉलेज स्ट्रीट भटकना...आप के कमेंट पढ़ के लगता है मेहनत सफल हो गयी,
उस कमेटी के चेयर परसन को पटाने के लिए की गयी सारी कोशिशें,... और कहानी में ऐसे ही सूक्ष्म प्रसंगो को लिखने सोचने में ज्यादा मेहनत लगती है और फिर इस तरह की वो एक nuanced subtle फॉर्म में ही रहें,
जामदानी साड़ी, वो भी ढाकयी, खाने का मेनू
और प्रेसिडेंसी कालेज और फ्लूरीज से मिसेज मोइत्रा के भद्रलोक अतीत पर भी कुछ रौशनी पड़ गयी।
ओहो.. तो सारी तैयारियां पूर्ण है...अरे नहीं फड़वाने के बाद नहीं, वो पांच दिन की मासिक छुट्टी फड़वाने के पहले ही,.... अभी तो सिर्फ सालियाँ पटेंगी,
फटेगी तब, जब दिन भर के लिए मिसेज मोइत्रा गायब होंगी तीज मनाने, स्कूल की छुट्टी होगी और मेरा सोना मोना दिन भर अपनी सालियों का रस लूटेगा,
जब वो पांच दिन की छुट्टी खत्म होती है तो और आग लगती है,... फिर पांच दिन की छुट्टी का फायदा कोई और शिकार नहीं कर पायेगा।