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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Luckyloda

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हुक्का बार

hokkah-download.jpg


इन्होने हुक्का बार के मैनेजर को पहले ही सेट कर लिया था इसलिए जब ये अपनी दोनों सालियों के साथ पहुंचे तो वो खुद रिसीव करने आया , और बजाय रेस्टोरेंट में ले जाने के सीधे एक केबन जो असल में एक स्यूट था , ले गया। दोनों रसगुल्ले महा इम्प्रेस , और उसके साथ ही इन्होने वेट्रेस को भी एडवांस में ही खूब टिप्स दे दी थीं , बस , वो भी ,... इसलिए ये तय था की था इन लोगों को कोई बीच में डिस्टर्ब नहीं करेगा ,... बियर ने तो थोड़ा ही लेकिन असली खेल हुक्के का था,


hookah-and-beer.jpg



पहला सुट्टा तो नार्मल था लेकिन दूसरे में प्योर शीशा टोबैको के साथ हलकी सी ,...

और उस का सुरूर दोनों के सर पर चढ़ कर बोलने लगा। आधे पौन घंटे बाद जब दोनों लड़कियां थोड़ी खुल गयीं तो थर्ड राउंड में , प्योर कश्मीरी ,... असली माल , जिसका एक सुट्टा किसी छिनार से छिनार की बुर में आग लगा दे ,... और यहाँ तो दोनों नयी खिलाड़ी थीं ,
Hookah-bar-a1a89cf6c81d301bf9b2eed9e6cf8d60.jpg



और इस राउंड के पहले ही , छुटकी खुद इनकी गोद में बैठ चुकी थी , ये दोनों के उभारों के नाप जोख कर रहे थे , बड़की थोड़ी उचक रही थी। लेकिन उभार उसके भी पथरा रहे थे , टॉप के बटन ने इन्होने थोड़ी जबरदस्ती कर के उसके भी खोल दिए थे ,


पर एक दो सुट्टे के बाद , उसने खुद ही अपने टॉप के सारे बटन ,... और पहले जो ये पकड़ के अपने बल्ज के ऊपर उसका हाथ ला रहे थे और वो नखड़ा दिखा रही थी , खुद ही उनका हथियार पैंट के ऊपर से रगड़ मसल रही थी।


मैनेजर ने उन्हें बोल रखा था की वहां पूरी प्राइवेसी है , और वो चाहते तो , वहीँ ,...

और बाद में उनकी सालियों ने ही बताया की उन दोनों की कितनी सहेलियां , उस हुक्का बार में आ कर अपने टाँगे फैलाती थीं, कोई लड़की बताती थी की वो अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ हुक्का बार से आ रही है तो अगला सवाल उसकी सहेलियां यही दागतीं थी , बोल कित्ते राउंड।
hookah-5-download.jpg


लेकिन वो उस राउंड का सुरूर ख़तम होने के पहले ही घर पहुँचाना चाहते थे , जहां आराम से

वहां भी छुटकी ने तो खुद पहुँचते ही अपना टॉप उतार दिए , और बड़की ने थोड़ा नखड़ा पेला तो अपनी बहन के दोनों हाथ पकड़ के ,


बस आराम आराम से उन्होंने बड़की का टॉप उतारा , ब्रा खोली और ,..
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ये तो मैं जानती थी , मीजने मसलने में इनका कोई जवाब नहीं , अगर एक बार जिस लड़की के खुले जोबन पर इनका हाथ पड़ जाय , तो बस वो खुद टाँगे फैला देगी।



और वो सोच रहे थे ... मस्ती के सुरूर में, जैसे कहीं खो गए हों ,



" ये स्साली , ... नौवें ,...दसवें वाली लड़कियां ,... जस्ट ग्रोइंग बूब्स लेकिन आग लगाती हैं। "




( फोन पर उन्हें चिढ़ा के पूछ के मैंने सब बातें उगलवा ली थीं )

और यही बोले , बहुत मस्त हैं दोनों के , छोटे छोटे है एकदम रुई के फाहे जैसे , लेकिन ,...

और मैंने उकसाया , सिर्फ ऊपर से मीज कर छोड़ दिया था , या ,... और आगे की बातें उन्होंने पूरी की।

" अरे तेरी ट्रिक ,...तूने सही कहा था , वो बड़की थोड़ी ज्यादा ही ,... मैंने उसके कान में उसके लव लेटर्स के बारे में बताया और फिर तो आलमोस्ट अपनी गोद में बिठा के , खुल के मैंने उसके स्कूल टॉप के ऊपर से ,... पहले तो थोड़ा भिचकी , झटकने की कोशिश की

लेकिन मैंने कस के पकड़ रखा था , और एक बार उसके कान में उन चिट्ठियों के बारे में बोला बस , ... फिर तो एकदम खुल के

पहले तो हलके से सहलाया , दबाया , फिर जम के मीजा भी और टॉप के ऊपर से निप्स को भी , मस्त हैं एकदम निप्स उसके। "

वो चुप हो गए , और मैंने उन्हें छेड़ा भी नहीं , मुझे मालूम था खुद बोलेंगे

और बोले वो ,

हुक्का बार में तो खुद ही वो आ गयी मेरी गोद में और टॉप उठा के दोनों का खूब मैंने मीजा ,
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अब मुझसे नहीं रहा गया ,

" अरे पूरा खोल के , उन दोनों के जुबना का रस ,... "

और मेरी बात काट के वो बोले भी और मुझे समझाने की कोशिश भी की ,

"असल में वो हुक्का बार में , ... वो तो नहीं मना कर रही थीं लेकिन मैं खुद ही , प्राइवेसी ,... इसलिए घर पहुँच कर "



" ये नहीं सुधरेंगे ,... प्राइवेसी की माँ की चूत ,... " मैंने सोचा। जिस हुक्का बार में किसी ब्वाय फ्रेंड के साथ जाने के नाम पर ही लड़कियां इन दोनों रसगुल्लों के स्कूल की ही लड़कियां आई पिल पहले खरीदती हैं , व्हाट्सएप पर बाद में पोस्ट करती हैं , और लौटते ही उनकी सहेलियां पहला सवाल यही पूछती हैं , कितना राउंड ,...वहां ये प्राइवेसी के मारे ढंग से टॉप भी नहीं उतार पा रहे थे। "

मैं कुछ नहीं बोली आगे का हाल उन्होंने ही खुलासा बताया ,

" छुटकी की थोड़ी ज्यादा बड़ी हैं , ... लेकिन दोनों की खूब रसीली , जस्ट ग्रोइंग ,... छोटी छोटी हैं लेकिन एकदम मस्त ,... "


मैंने उन्हें चिढ़ाया ,


" कुछ किया भी या खाली निहारते रहे अपनी सालियों की छोटी छोटी चूँचियॉं। "

वो जोर से मुस्कराये ,

"सब कुछ किया , और जैसे मैंने किस किया , तेरी बहनों की हालत खराब हो गयी। "
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उनकी जीभ का असर मुझसे ज्यादा कौन जानता था।

निप्स कैसे हैं , मुझसे नहीं रहा गया मैंने पूछ लिया ,

" पूछो मत ,... " वो बोले ' ललछौंहे , सुबह की धूप की तरह , बस आते हैं ,.. अंगूठे और तर्जनी के बीच लेके मैंने जैसे ही थोड़ा सा रगड़ा , बस ,... फिर चुभलाने , चूसने में तो पूछो मत इतना मजा आया दोनों का ,...

" और प्रेम गली ,... " देख तो मैंने खुद ही लिया था लेकिन उनके मुंह से सुनने की बात अलग थी



" एकदम चिकनी , झांटे बस लगता है कुछ दिन पहले ही निकलना शुरू हुयी हैं , लेकिन एकदम छोटी छोटी , गोल्डन ब्राउन ,... बस कहीं कहीं ,... दोनों फांके एकदम चिपकी ,... मैं ऊँगली करने की कोशिश की लेकिन एकदम टाइट ,.. मुश्किल से ,... "
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वो उन दोनों रसगुल्लों में खोये थे लेकिन मैंने अगला सवाल पूछ लिया। जवाब मेरे पास था , लेकिन

" हे मुंह में लिया ,.. .. "

" हाँ छोटी ने खुद , ...

मुझे तो खुद दोनों ने बताया था

हाथों के साथ के इनके होंठ और जीभ भी कभी जस्ट आते हुए निपल फ्लिक करते तो कभी कस कस के सक करते , बड़की तड़प जाती लेकिन छुटकी से नहीं रहा गया और इन्हे खींच कर अपने ऊपर , कुछ देर बाद इनका एक हाथ छुटकी की छोटी छोटी चूँची रगड़ रहा था जो दूसरा बड़ी के जोबन मीज रहा था , और दोनों खुद खुल के मिजवा रही थीं।

दोनों बहनों का इन्होने एक साथ होने का पूरा फायदा उठाया , एक के साथ करते तो दूसरी ललचाती। और उसे ये और तड़पाते , खिजाते तो वो खुद ,

और मींजने मसलने का असर सामने आ गया , दोनों ने न इनका हथियार खुल के पकड़ा चूसा बल्कि साथ साथ फोटो भी ,


और उसका सबूत तो दर्जन भर सेल्फी जो दोनों रसगुल्लों ने मुझे भेजी थी , वो मेरे मोबाइल में था ही।


तो इन्होने दोनों को एकदम गरम कर दिया था बस अब तीज के दिन सिर्फ फीता काटने की देर थी।
क्या जबरदस्त तरीके से कबर का वर्णन कराया है और उससे भी शानदार दोनों रसगुल्ला को जैसे एक दूसरे के खिलाफ भड़काकर उनकी गर्मी को अलग ही अंजाम तक ले जा रही हो मैं तो यह सोच सोच कर मजे में हूं कि वह क्या समय होगा जब रसगुल्ला का रस तसल्ली से निचोड़ जाएगा अगले अपडेट की बहुत बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हूं
 

komaalrani

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कोमल जी नमस्कार काफी दिनों के बाद आपकी कहानी को देखा हे इसके २०० से ज्यादा भाग हो चुके हें इस कहानी के १ पेज पर इंडेक्स देखा देखकर अच्चा लगा थोडा सा अतरिक्त श्रम आपने किया आपका आभार आपने जो बताया हे की एक भाग कई पेज में हो जाता हे तो इसका समाधान यही हो सकता हे की आपने भाग के आगे पेज न० लिखा हे - डालकर उस भाग के आखिरी पेज का न० और लिख दे मेरे विचार से समस्या हल हो जाएगी , बाकि आपकी कहानी बेहद मस्त हे साथ ही इसके इमेज भी बेहद मस्त हें
बात आपने एकदम सही कही, आप काफी दिन बाद आये इस तरफ,

लेकिन आप का क्या दोष एक तो बादल, ऊपर से आवारा और फिर सावन का मौसम और ऊपर से दो महीने का सावन था इस बार,.... पहले आप ६ जुलाई को आये और फिर ७ जुलाई को एक कमेंट पर आपने कमेंट भी दिया सुझाव भी और एक पंथ दो काज, तो कमेंट मेरे बारे में भी था राजी जी के बारे में भी,... लेकिन मेरी पोस्ट पर ही आपने हम दोनों को सलाह दे दी,


"इंडेक्स कहानी के शुरू में होना ही चाहिए . इससे नये पाठकों को कहानी तक पहुँच और ज्यादा आसान हो जाती हे और पढने में समय कम लगता हे , कमेन्ट भी कुछ ही काम के होते हें , वेसे कोमल जी ने मेरी सलाह भी मानी हे . कहानी के बीच की लाइनों का स्पेस कम करने के लिये , एक बात और कहना चाहता हूँ की फोटो या इमेज कहानी पढने में बाधा नही बनना चाहिए आपकी कहानी खुद ही पढ़ते समय पाठको के दिमाग में एक इमेज बनाते हुए चलती हे . उसे विदेशियों के फोटो या gif की जरूरत नही लगती ,

पर राजी जी ध्यान दें आपकी कहानी की लाइनों के बीच में इमेज खटकती हें इमेज अगर आप डालना ही चाहते हें तो वाक्य या पेराग्राफ कहने के बाद ही हो"



आपको लगा होगा राजी जी आती ही रहती हैं इधर पढ़ लेंगी सुधर जाएंगी।

उस समय यह कहानी पेज नंबर ८७० पर थी,

सच बताऊँ, मैं रोज रोज इन्तजार करती थी जैसे लगान में किसान लोग इन्तजार कर रहे थे न बस उसी तरह बादल के लिए,

कितने तरह के बादल देखे मैंने, मैं सोच रही थी इंडेक्स भी बन गया है, लाइनों के बीच का स्पेस भी कम हो गया है तो बस शायद आपके कमेंट पढ़ने का मौका मिलेगा,...

और मैंने इस बार फिर से कालिदास का पूर्व मेघ भी पढ़ डाला,...

“धूमज्योति: सलिलमरुतां संन्निपात: क्व मेघ:
संदेशार्था: क्व पटुकरणै: प्राणिभि: प्रापणीया:.
इत्यौत्सुक्यादपरिगणयन् गुह्यकस्तं ययाचे
कामार्ता हि प्रकृतिकृपणाश्चेतनाचेतनेषु..”

-पूर्वमेघ, 5

आकाश में तरह-तरह के रूप धारण करना, पिछले भाग से झुक कर नदियों का जलपान करना, बरसने के बाद द्रुत गति से भागना, दयालु स्वभाव के कारण कृषक जनों के प्रति आद्र होना, संतप्तों को राहत प्रदान करना इत्यादि मेघ की विशेषताओं का हवाला देते हुए कालिदास ने उन मौसम वैज्ञानिकों के सामने तर्क पेश किए हैं कि उनका मेघ चैतन्य पुरुष के सभी गुणों से सम्पन्न है. पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह मेघ जहां भी जाता है मार्गपथ में कृषिफल की अपार संभावनाएं उससे जुड़ी हुई हैं.

तो बादल के जिम्मे इतने काम हों तो एक जगह कहाँ वो बार बार आ पायेगा,...

उमंग से ग्राम-बधूटियाँ प्रेम से गीले अपने नेत्रों में उसे समा लेती हैं. और मेघ भी प्रेम में दिवाना होते हुए माल क्षेत्र के ऊपर इस प्रकार उमड़- घुमड़ कर बरसता है कि हल से तत्काल खुरची हुई धरती गन्धवती हो उठती है. परोपकारी मेघ तब भी ठहरता नहीं है. कुछ देर बाद पुनः लघुगति से: उत्तर की ओर चल पड़ता है-

त्वाय्यायत्तं कृषिफलमिति भ्रूविलासानभिज्ञै:
प्रीतिस्निग्धैरर्जनपदवधूलोचनै: पीयमान:.
सद्य: सीरोत्कषणसुरभि क्षेत्रमारुह्य मालं
किंचित्प:श्चा्द् व्रज लघुगतिर्भूय एवोत्तरेण


तो करीब १०० पेज के बाद , सवा दो महीने गुजरने पर आप ने इधर भी एक नज़र डाली इसके लिए कोटिश आभार, अभी मानसून का मौसम खतम कहाँ हुआ,... मैं बेकार में निराश हो रही थी,

कई बार जीवन की आपाधापी के बीच कई मित्र न कहानी पढ़ पाते हैं न कमेंट कर पाते हैं तो वह बार समझ में आती है,

जुलाई में ही ( सात जुलाई के बाद जब इंडेक्स बन गया था ) यहाँ आने के बाद अपने ८३ कमेंट पोस्ट किये २४ दिनों ( इस कहानी पर कमेंट के बाद ) तीन कमेंट से भी प्रतीदिन ज्यादा,

सितंबर के चौदह दिनों में भी ४१ कमेंट ( जिसमें मेरी कहानी पर किया गया एक कमेंट भी शामिल था )

तो अगर इस रफ़्तार से देखा जाये तो करीब १०० पेज के अंतर पर मेरी कहानी उम्मीद है १००० पृष्ठ पूरे कर चुकेगी।

इंडेक्स पाठकों की सुविधा के लिए होते हैं लेकिन अगर वो दो तीन महीने में एक बार आये तो इंडेकस, हाइपर लिंक आप कुछ भी दें

इसलिए जो आपने इंडेक्स में सुधार बताया है वो मैं नहीं करने वाली,... कयोंकि उतनी मेहनत में मैं एक दो पार्ट पोस्ट कर लुंगी।


और अगर पाठक को कहानी सचमुच में पढ़नी होगी तो अगर दो सौ अपडेट में २ % अपडेट में उसे दो चार पन्ने पलटने होंगे तो वो पलट लेगा और अभी मेरा कोई अपडेट उस पन्ने के आगे नहीं बढ़ता

हाँ बादल जी आपसे अनुरोध है की अगली बार जब आएं तो जो भी पार्ट अपने पढ़ा हो जो वो कैसा लगा, अच्छा बुरा, बहुत बुरा अगर ये बताएं तो शायद मैं ज्यादा सुधार कर पाऊँगी और अपनी कहानी को इस लायक बना पाउंगी की आप आते जाते इधर भी कभी कभी नजर डाल लें /
 
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komaalrani

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क्या जबरदस्त तरीके से कबर का वर्णन कराया है और उससे भी शानदार दोनों रसगुल्ला को जैसे एक दूसरे के खिलाफ भड़काकर उनकी गर्मी को अलग ही अंजाम तक ले जा रही हो मैं तो यह सोच सोच कर मजे में हूं कि वह क्या समय होगा जब रसगुल्ला का रस तसल्ली से निचोड़ जाएगा अगले अपडेट की बहुत बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हूं
एकदम तसल्ली बख्श इंतजाम होगा,

बात जीजा साली की है मजाक नहीं
 

Mass

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बात आपने एकदम सही कही, आप काफी दिन बाद आये इस तरफ,

लेकिन आप का क्या दोष एक तो बादल, ऊपर से आवारा और फिर सावन का मौसम और ऊपर से दो महीने का सावन था इस बार,.... पहले आप ६ जुलाई को आये और फिर ७ जुलाई को एक कमेंट पर आपने कमेंट भी दिया सुझाव भी और एक पंथ दो काज, तो कमेंट मेरे बारे में भी था राजी जी के बारे में भी,... लेकिन मेरी पोस्ट पर ही आपने हम दोनों को सलाह दे दी,


"इंडेक्स कहानी के शुरू में होना ही चाहिए . इससे नये पाठकों को कहानी तक पहुँच और ज्यादा आसान हो जाती हे और पढने में समय कम लगता हे , कमेन्ट भी कुछ ही काम के होते हें , वेसे कोमल जी ने मेरी सलाह भी मानी हे . कहानी के बीच की लाइनों का स्पेस कम करने के लिये , एक बात और कहना चाहता हूँ की फोटो या इमेज कहानी पढने में बाधा नही बनना चाहिए आपकी कहानी खुद ही पढ़ते समय पाठको के दिमाग में एक इमेज बनाते हुए चलती हे . उसे विदेशियों के फोटो या gif की जरूरत नही लगती ,

पर राजी जी ध्यान दें आपकी कहानी की लाइनों के बीच में इमेज खटकती हें इमेज अगर आप डालना ही चाहते हें तो वाक्य या पेराग्राफ कहने के बाद ही हो"



आपको लगा होगा राजी जी आती ही रहती हैं इधर पढ़ लेंगी सुधर जाएंगी।

उस समय यह कहानी पेज नंबर ८७० पर थी,

सच बताऊँ, मैं रोज रोज इन्तजार करती थी जैसे लगान में किसान लोग इन्तजार कर रहे थे न बस उसी तरह बादल के लिए,

कितने तरह के बादल देखे मैंने, मैं सोच रही थी इंडेक्स भी बन गया है, लाइनों के बीच का स्पेस भी कम हो गया है तो बस शायद आपके कमेंट पढ़ने का मौका मिलेगा,...

और मैंने इस बार फिर से कालिदास का पूर्व मेघ भी पढ़ डाला,...

“धूमज्योति: सलिलमरुतां संन्निपात: क्व मेघ:
संदेशार्था: क्व पटुकरणै: प्राणिभि: प्रापणीया:.
इत्यौत्सुक्यादपरिगणयन् गुह्यकस्तं ययाचे
कामार्ता हि प्रकृतिकृपणाश्चेतनाचेतनेषु..”

-पूर्वमेघ, 5

आकाश में तरह-तरह के रूप धारण करना, पिछले भाग से झुक कर नदियों का जलपान करना, बरसने के बाद द्रुत गति से भागना, दयालु स्वभाव के कारण कृषक जनों के प्रति आद्र होना, संतप्तों को राहत प्रदान करना इत्यादि मेघ की विशेषताओं का हवाला देते हुए कालिदास ने उन मौसम वैज्ञानिकों के सामने तर्क पेश किए हैं कि उनका मेघ चैतन्य पुरुष के सभी गुणों से सम्पन्न है. पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह मेघ जहां भी जाता है मार्गपथ में कृषिफल की अपार संभावनाएं उससे जुड़ी हुई हैं.

तो बादल के जिम्मे इतने काम हों तो एक जगह कहाँ वो बार बार आ पायेगा,...

उमंग से ग्राम-बधूटियाँ प्रेम से गीले अपने नेत्रों में उसे समा लेती हैं. और मेघ भी प्रेम में दिवाना होते हुए माल क्षेत्र के ऊपर इस प्रकार उमड़- घुमड़ कर बरसता है कि हल से तत्काल खुरची हुई धरती गन्धवती हो उठती है. परोपकारी मेघ तब भी ठहरता नहीं है. कुछ देर बाद पुनः लघुगति से: उत्तर की ओर चल पड़ता है-

त्वाय्यायत्तं कृषिफलमिति भ्रूविलासानभिज्ञै:
प्रीतिस्निग्धैरर्जनपदवधूलोचनै: पीयमान:.
सद्य: सीरोत्कषणसुरभि क्षेत्रमारुह्य मालं
किंचित्प:श्चा्द् व्रज लघुगतिर्भूय एवोत्तरेण


तो करीब १०० पेज के बाद , सवा दो महीने गुजरने पर आप ने इधर भी एक नज़र डाली इसके लिए कोटिश आभार, अभी मानसून का मौसम खतम कहाँ हुआ,... मैं बेकार में निराश हो रही थी,

कई बार जीवन की आपाधापी के बीच कई मित्र न कहानी पढ़ पाते हैं न कमेंट कर पाते हैं तो वह बार समझ में आती है,

जुलाई में ही ( सात जुलाई के बाद जब इंडेक्स बन गया था ) यहाँ आने के बाद अपने ८३ कमेंट पोस्ट किये २४ दिनों ( इस कहानी पर कमेंट के बाद ) तीन कमेंट से भी प्रतीदिन ज्यादा,

सितंबर के चौदह दिनों में भी ४१ कमेंट ( जिसमें मेरी कहानी पर किया गया एक कमेंट भी शामिल था )

तो अगर इस रफ़्तार से देखा जाये तो करीब १०० पेज के अंतर पर मेरी कहानी उम्मीद है १००० पृष्ठ पूरे कर चुकेगी।

इंडेक्स पाठकों की सुविधा के लिए होते हैं लेकिन अगर वो दो तीन महीने में एक बार आये तो इंडेकस, हाइपर लिंक आप कुछ भी दें

इसलिए जो आपने इंडेक्स में सुधार बताया है वो मैं नहीं करने वाली,... कयोंकि उतनी मेहनत में मैं एक दो पार्ट पोस्ट कर लुंगी।


और अगर पाठक को कहानी सचमुच में पढ़नी होगी तो अगर दो सौ अपडेट में २ % अपडेट में उसे दो चार पन्ने पलटने होंगे तो वो पलट लेगा और अभी मेरा कोई अपडेट उस पन्ने के आगे नहीं बढ़ता

हाँ बादल जी आपसे अनुरोध है की अगली बार जब आएं तो जो भी पार्ट अपने पढ़ा हो जो वो कैसा लगा, अच्छा बुरा, बहुत बुरा अगर ये बताएं तो शायद मैं ज्यादा सुधार कर पाऊँगी और अपनी कहानी को इस लायक बना पाउंगी की आप आते जाते इधर भी कभी कभी नजर डाल लें /
Mujhe laga..yeh bhi ek update hain kar ke ;)
Very rare for somone to give such a long reply on a comment :) but good one though. Shows how much you care for the comments and the readers. That's a great quality to have..
which you and Raji have a lot. She also invariably gives reply to each and every comment of her story. Keep well and do good!!
komaalrani Rajizexy
 

komaalrani

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Mujhe laga..yeh bhi ek update hain kar ke ;)
Very rare for somone to give such a long reply on a comment :) but good one though. Shows how much you care for the comments and the readers. That's a great quality to have..
which you and Raji have a lot. She also invariably gives reply to each and every comment of her story. Keep well and do good!!
komaalrani Rajizexy
thanks so much, i feel it polite to give detailed reply. reader also spares his time, spends his energy and expresses his views, least one can do is to post a view.

next post will be soon in a day or two . Thanks again
 
बात आपने एकदम सही कही, आप काफी दिन बाद आये इस तरफ,

लेकिन आप का क्या दोष एक तो बादल, ऊपर से आवारा और फिर सावन का मौसम और ऊपर से दो महीने का सावन था इस बार,.... पहले आप ६ जुलाई को आये और फिर ७ जुलाई को एक कमेंट पर आपने कमेंट भी दिया सुझाव भी और एक पंथ दो काज, तो कमेंट मेरे बारे में भी था राजी जी के बारे में भी,... लेकिन मेरी पोस्ट पर ही आपने हम दोनों को सलाह दे दी,


"इंडेक्स कहानी के शुरू में होना ही चाहिए . इससे नये पाठकों को कहानी तक पहुँच और ज्यादा आसान हो जाती हे और पढने में समय कम लगता हे , कमेन्ट भी कुछ ही काम के होते हें , वेसे कोमल जी ने मेरी सलाह भी मानी हे . कहानी के बीच की लाइनों का स्पेस कम करने के लिये , एक बात और कहना चाहता हूँ की फोटो या इमेज कहानी पढने में बाधा नही बनना चाहिए आपकी कहानी खुद ही पढ़ते समय पाठको के दिमाग में एक इमेज बनाते हुए चलती हे . उसे विदेशियों के फोटो या gif की जरूरत नही लगती ,

पर राजी जी ध्यान दें आपकी कहानी की लाइनों के बीच में इमेज खटकती हें इमेज अगर आप डालना ही चाहते हें तो वाक्य या पेराग्राफ कहने के बाद ही हो"



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उस समय यह कहानी पेज नंबर ८७० पर थी,

सच बताऊँ, मैं रोज रोज इन्तजार करती थी जैसे लगान में किसान लोग इन्तजार कर रहे थे न बस उसी तरह बादल के लिए,

कितने तरह के बादल देखे मैंने, मैं सोच रही थी इंडेक्स भी बन गया है, लाइनों के बीच का स्पेस भी कम हो गया है तो बस शायद आपके कमेंट पढ़ने का मौका मिलेगा,...

और मैंने इस बार फिर से कालिदास का पूर्व मेघ भी पढ़ डाला,...

“धूमज्योति: सलिलमरुतां संन्निपात: क्व मेघ:
संदेशार्था: क्व पटुकरणै: प्राणिभि: प्रापणीया:.
इत्यौत्सुक्यादपरिगणयन् गुह्यकस्तं ययाचे
कामार्ता हि प्रकृतिकृपणाश्चेतनाचेतनेषु..”

-पूर्वमेघ, 5

आकाश में तरह-तरह के रूप धारण करना, पिछले भाग से झुक कर नदियों का जलपान करना, बरसने के बाद द्रुत गति से भागना, दयालु स्वभाव के कारण कृषक जनों के प्रति आद्र होना, संतप्तों को राहत प्रदान करना इत्यादि मेघ की विशेषताओं का हवाला देते हुए कालिदास ने उन मौसम वैज्ञानिकों के सामने तर्क पेश किए हैं कि उनका मेघ चैतन्य पुरुष के सभी गुणों से सम्पन्न है. पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह मेघ जहां भी जाता है मार्गपथ में कृषिफल की अपार संभावनाएं उससे जुड़ी हुई हैं.

तो बादल के जिम्मे इतने काम हों तो एक जगह कहाँ वो बार बार आ पायेगा,...

उमंग से ग्राम-बधूटियाँ प्रेम से गीले अपने नेत्रों में उसे समा लेती हैं. और मेघ भी प्रेम में दिवाना होते हुए माल क्षेत्र के ऊपर इस प्रकार उमड़- घुमड़ कर बरसता है कि हल से तत्काल खुरची हुई धरती गन्धवती हो उठती है. परोपकारी मेघ तब भी ठहरता नहीं है. कुछ देर बाद पुनः लघुगति से: उत्तर की ओर चल पड़ता है-

त्वाय्यायत्तं कृषिफलमिति भ्रूविलासानभिज्ञै:
प्रीतिस्निग्धैरर्जनपदवधूलोचनै: पीयमान:.
सद्य: सीरोत्कषणसुरभि क्षेत्रमारुह्य मालं
किंचित्प:श्चा्द् व्रज लघुगतिर्भूय एवोत्तरेण


तो करीब १०० पेज के बाद , सवा दो महीने गुजरने पर आप ने इधर भी एक नज़र डाली इसके लिए कोटिश आभार, अभी मानसून का मौसम खतम कहाँ हुआ,... मैं बेकार में निराश हो रही थी,

कई बार जीवन की आपाधापी के बीच कई मित्र न कहानी पढ़ पाते हैं न कमेंट कर पाते हैं तो वह बार समझ में आती है,

जुलाई में ही ( सात जुलाई के बाद जब इंडेक्स बन गया था ) यहाँ आने के बाद अपने ८३ कमेंट पोस्ट किये २४ दिनों ( इस कहानी पर कमेंट के बाद ) तीन कमेंट से भी प्रतीदिन ज्यादा,

सितंबर के चौदह दिनों में भी ४१ कमेंट ( जिसमें मेरी कहानी पर किया गया एक कमेंट भी शामिल था )

तो अगर इस रफ़्तार से देखा जाये तो करीब १०० पेज के अंतर पर मेरी कहानी उम्मीद है १००० पृष्ठ पूरे कर चुकेगी।

इंडेक्स पाठकों की सुविधा के लिए होते हैं लेकिन अगर वो दो तीन महीने में एक बार आये तो इंडेकस, हाइपर लिंक आप कुछ भी दें

इसलिए जो आपने इंडेक्स में सुधार बताया है वो मैं नहीं करने वाली,... कयोंकि उतनी मेहनत में मैं एक दो पार्ट पोस्ट कर लुंगी।


और अगर पाठक को कहानी सचमुच में पढ़नी होगी तो अगर दो सौ अपडेट में २ % अपडेट में उसे दो चार पन्ने पलटने होंगे तो वो पलट लेगा और अभी मेरा कोई अपडेट उस पन्ने के आगे नहीं बढ़ता

हाँ बादल जी आपसे अनुरोध है की अगली बार जब आएं तो जो भी पार्ट अपने पढ़ा हो जो वो कैसा लगा, अच्छा बुरा, बहुत बुरा अगर ये बताएं तो शायद मैं ज्यादा सुधार कर पाऊँगी और अपनी कहानी को इस लायक बना पाउंगी की आप आते जाते इधर भी कभी कभी नजर डाल लें /
🙏🙏 कोमल जी बहुत बहुत धन्यवाद याद रखने के लिए क्या करूं पहले वाली आई डी न जाने केसे डिलीट हो गई वापस पाने की बहुत कोसिस की नही मिल पाई ,इसीलिए ये आई बनाइ हे आपके कथन का जबाब नही हे कहानी खुद ही अपने आप को जाहिर कर देती हे रोमांस और उत्तेजना का संगम आपकी कहानियां हें पर वही मजबूरी समय की फिर घर की काम धंधे की भी मजबूरियां हें , अभी अपनी गाड़ी बीच में हे - साईट पर जब आता हूँ कई नई कहानियां चल चुकी होती हें , पर कहानियां अपने ही फोल्डर पर पढने की मजबूरी भी हे , सेव करने के चक्कर में अच्छा खासा कलेशन हो गया हे , पर पढ़ बहुत कम पाता हूँ , कई अंग्रेजी की कहानियां भी हिंदी में बदली हें , आपकी कहानी पढने की बहुत कोसिस की पर ज्यादा आगे नही बढ़ पाया जितना भी पढ़ा जेसे होली के रंगों की मस्ती और उत्तेजना , अभी तो सावन खत्म हुआ हे , वो सब भी कुछ कुछ पढ़ा हे खेर इतने इंडेक्स से भी काम बन जायेगा और सोरी में बहुत धीरे चलता हूँ कहानियों को पढने में 🙏🙏✍️
 
🙏🙏नमस्कार कोमल जी आपने तो मेरे आई डी नाम की पूरी व्याख्या ही कर डाली हे वेसे पहली पहली आई डी में में यही रखना चाहता था , पर जल्दीबाजी में आशिक आवारा रख दिया था . और ये नाम भी एक गाने को सुनकर रखा हे वो गीत मुझे पसंद भी हे , दुसरे बादल के बारे में आपने कालिदास के मेघदूतम् से जो प्रसंग लिया हे वो काबिले तारीफ हे , इत्तिफाक देखिये जब में ये कमेन्ट लिख रहा हूँ इस समय भी यहाँ दिल्ली में वर्षा जोरों पर हे , और आपको लिखने से रोक नही पाया आपकी सिकायत के लिए मुझे बेहद अफ़सोस हे , और कोसिस करूंगा की आपको शिकायत का मोका न दूँ , पर क्या करूं आपकी कहानी अगर शुरू से न पढूं तो बीच बीच से पढना कहानी का मजा नही आ पायेगा , बाकि आपकी कहानियां मेरे पास सेव हें आपसे सम्वाद करना मेरे लिए सम्मान की बात हे प्लीज नाराज मत होइए 🙏🙏✍️
 

komaalrani

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🙏🙏 कोमल जी बहुत बहुत धन्यवाद याद रखने के लिए क्या करूं पहले वाली आई डी न जाने केसे डिलीट हो गई वापस पाने की बहुत कोसिस की नही मिल पाई ,इसीलिए ये आई बनाइ हे आपके कथन का जबाब नही हे कहानी खुद ही अपने आप को जाहिर कर देती हे रोमांस और उत्तेजना का संगम आपकी कहानियां हें पर वही मजबूरी समय की फिर घर की काम धंधे की भी मजबूरियां हें , अभी अपनी गाड़ी बीच में हे - साईट पर जब आता हूँ कई नई कहानियां चल चुकी होती हें , पर कहानियां अपने ही फोल्डर पर पढने की मजबूरी भी हे , सेव करने के चक्कर में अच्छा खासा कलेशन हो गया हे , पर पढ़ बहुत कम पाता हूँ , कई अंग्रेजी की कहानियां भी हिंदी में बदली हें , आपकी कहानी पढने की बहुत कोसिस की पर ज्यादा आगे नही बढ़ पाया जितना भी पढ़ा जेसे होली के रंगों की मस्ती और उत्तेजना , अभी तो सावन खत्म हुआ हे , वो सब भी कुछ कुछ पढ़ा हे खेर इतने इंडेक्स से भी काम बन जायेगा और सोरी में बहुत धीरे चलता हूँ कहानियों को पढने में 🙏🙏✍️
बहुत बहुत धन्यवाद, जीवन की इस आपधापी में भी आप इस फोरम के सबसे रेगुलर पाठकों में होंगे जो कहानीयों पर नियमित कमेंट देते हैं,...अब कहानियां इतनी ढेर सारी हैं तो टाइम तो लगेगा ही,

मैं तो बस यही कह रही थी की आते जाते कभी बस सांकल खटका दिया करिये, आंगन में झाँक लिया करिये, कुछ दुआ सलाम हो जायेगी, हाल चाल मिल जायेगा, लम्बा कमेंट न सही, नाइस , ओके टाइप भी चलेगा,...

तो अभी आपने लास्ट पोस्ट कौन सी पढ़ी, कहाँ तक पहुंचे बस ये बता दीजिये,...🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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🙏🙏नमस्कार कोमल जी आपने तो मेरे आई डी नाम की पूरी व्याख्या ही कर डाली हे वेसे पहली पहली आई डी में में यही रखना चाहता था , पर जल्दीबाजी में आशिक आवारा रख दिया था . और ये नाम भी एक गाने को सुनकर रखा हे वो गीत मुझे पसंद भी हे , दुसरे बादल के बारे में आपने कालिदास के मेघदूतम् से जो प्रसंग लिया हे वो काबिले तारीफ हे , इत्तिफाक देखिये जब में ये कमेन्ट लिख रहा हूँ इस समय भी यहाँ दिल्ली में वर्षा जोरों पर हे , और आपको लिखने से रोक नही पाया आपकी सिकायत के लिए मुझे बेहद अफ़सोस हे , और कोसिस करूंगा की आपको शिकायत का मोका न दूँ , पर क्या करूं आपकी कहानी अगर शुरू से न पढूं तो बीच बीच से पढना कहानी का मजा नही आ पायेगा , बाकि आपकी कहानियां मेरे पास सेव हें आपसे सम्वाद करना मेरे लिए सम्मान की बात हे प्लीज नाराज मत होइए 🙏🙏✍️
जितना भी पढ़ें साथ साथ कभी कभी हफ्ता दस दिन में कमेंट देते रहे तो मेरे में सुधार होता रहेगा, देखिये आपने इंडेक्स की गलती बतायी मैंने पूरी कर दी इसी तरह तो सुधार होता है,

अब अगर आप कहेंगे नहीं बताएँगे नहीं तो लिखने वाला कैसे सीखेगा, मैं देखती हूँ कित्ती कहानियों पर आपके कमेंट आते रहते हैं और वो इम्प्रूव भी करते हैं उम्मीद है आप के कमेंट आएंगे

इन्तजार रहेगा, आपका भी आपके कमेंट का भी।
 
जितना भी पढ़ें साथ साथ कभी कभी हफ्ता दस दिन में कमेंट देते रहे तो मेरे में सुधार होता रहेगा, देखिये आपने इंडेक्स की गलती बतायी मैंने पूरी कर दी इसी तरह तो सुधार होता है,

अब अगर आप कहेंगे नहीं बताएँगे नहीं तो लिखने वाला कैसे सीखेगा, मैं देखती हूँ कित्ती कहानियों पर आपके कमेंट आते रहते हैं और वो इम्प्रूव भी करते हैं उम्मीद है आप के कमेंट आएंगे

इन्तजार रहेगा, आपका भी आपके कमेंट का भी।
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