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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 

vakharia

Supreme
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बहुत बहुत धन्यवाद आभार
आप ऐसा लब्धप्रतिष्ठित लेखक, इस थ्रेड पर नजर आये और कहानी के बारे में अपनी बात रखें, इससे कहानी का भी मान बढ़ता है और कुछ और पढ़ने वाले भी मिलते हैं

एक बात मिसेज दीर्घलिंगम के बारे में, इनका और इनके पति दोनों का जिक्र कहानी के भाग ३१ में आ चुका है लेकिन मैं इस लिए भी उल्लेख कर रही हूँ की वह कहानी का एक टर्निंग प्वाइंट भी था और कहानी से जुडी दृष्टि भी, सोच भी उस में एक स्पीच में आती है जो मैं फिर से जस का तस कोट कर रही हूँ

" अवर आर्गानिज़शन इज पासिंग थ्रू अ क्रिटिकल फेज , अ डेंजर आफ स्टैगनेशन। एंड फार दैट वी वेयर लुकिंग फॉर आ न्यू ब्रीड आफ फ्यूचर मैनेजेमेंट। समबडी हु हैव 360 डिग्री व्यू। हम लोग वर्टिकल साइलोज में फंसे हुए हैं। वी आर वेरी गुड इन इंडिविजुअल स्किल्स , ऑपरेशन ,लॉजिस्टिक्स ,सेल्स ,मार्केटिंग ,फाइनेन्स ,... लेकिन हर बार इंडिविजुअल एक्ससेलिन्स , आर्गनाइजेशनल एक्सीलेंस में नहीं तब्दील होती है। इसके लिए जरूरी है ऐसा कोई जो दूसरे के रोल को समझ सके , हु कैन स्टेप इनटू अदर पर्सन्स शूज , जो उसके रोल को इम्पैथी के साथ समझ सके , बिना उसे प्री जज किये हुए , और निभा सके। इसमें सीनियरिटी का सवाल नहीं है ,एटीट्यूड का सवाल है अप्रोच का सवाल है। एंड आई एम वेरी थैंकफुल टू समबडी , हु सजेस्टेड अ सॉल्यूशन। "

" एंड द बिग्गेस्ट डिवाइड इज़ जेण्डर डिवाइड। ये सिर्फ इन्हीबिशन की बात नहीं है बल्कि प्रेजुडिसेज की बात भी है। दूसरी बात ये है की ये ,यह भी दिखाता है की वो कितना आब्सेर्वेन्ट है , कितनी इम्पैथी है और सबसे बड़ी बात है की इंस्ट्क्शन कितना वो आर्गनाइजेशन के लिए वो क्या कर सकता है। समबॉडी हू कैन क्रास दिस डिवाइड विल सर्टेनली बी ऐबल टू क्रास फंक्शनल डिवाइड एंड गेट आउट आफ वर्टीकल साइलोज। टूडे सम वेरी सीनियर आफिसर्स शोड इंहिबीशन लेकिन कुछ यंग आफिसर्स ने बहुत अच्छा किया। इट वाज अ फन गेम लेकिन साथ में हम ने दो एच आर एक्सपर्ट और बिहैवियर साइकोलॉजिस्टों को इनवाइट किया था जो कि सिर्फ स्टेज की परफार्मेंस नहीं बल्कि सबकी परफार्मेंस वाच कर रहे थे।


मैं मानती हूँ, कहानी को कुछ कहना भी चाहिए, और इसका मतलब नहीं हो की वो जजमेंटल हो, हरदम मोरल वैल्यूज की बातें करें , वह कुछ भी हो सकती है एक तिलिस्म की भी जासूसी, शुद्ध मनोरंजन की भी शुद्ध देह संबंधो की भी, लेकिन थोड़ी सी अलग होने की कोशिश करे

और एक अच्छी कहानी कोशिश करे की कई लेयर्स पर एक साथ चले

कई बार देह संबंधो की ऊष्मा में यह सब बाते मिस हो जाती है इसलिए मैं उन्हें रेखांकित करने की कभी कभी कोशिश भी करती हूँ

एक बार फिर से आभार

Rainbow Thank You GIF by Lumi
आपके विचारों से पूर्णतः सहमत होते हुए, मैं यह कहना चाहूंगा कि कहानी का सार वास्तव में उसकी बहुआयामीता में निहित होता है.. कहानी केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्पण है जो समाज, मनुष्य और उसके अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं को प्रतिबिंबित करता है.. यह दर्पण कभी मनोरंजन के रंगों से सजा होता है, तो कभी गहन दार्शनिक विमर्श की गहराइयों में डूबा हुआ.. और हाँ, यह जरूरी नहीं कि यह दर्पण हमेशा नैतिकता के सिद्धांतों को ही दिखाए...

आपने जिस तरह से कहानी के "लेयर्स" पर जोर दिया है, वह वाकई सराहनीय है.. एक अच्छी कहानी वही होती है जो पाठक को सतह पर तो मनोरंजन से भर दे, लेकिन गहराई में उसे विचारों के समुद्र में गोता लगाने पर मजबूर कर दे.. यही वह बिंदु है जहाँ कहानी साधारण से असाधारण हो जाती है.. और हाँ, देह संबंधों की ऊष्मा में भी यदि कहानी के ये स्तर मिस हो जाएँ, तो यह एक तरह से "रसभंग" ही हो जाता है.. आपका यह प्रयास कि आप इन बातों को रेखांकित करती हैं, वह आपकी कहानी को एक नया आयाम देता है..

कहानी लिखना कुछ वैसा ही है जैसे खाना बनाना.. अगर आप केवल मसालों पर ध्यान देंगे, तो खाना चटपटा तो हो जाएगा, लेकिन पौष्टिक नहीं.. और अगर केवल पौष्टिकता पर ध्यान देंगे, तो खाना स्वादहीन हो जाएगा.. इसलिए, एक अच्छी कहानी, जैसे एक अच्छा खाना, मसाले और पौष्टिकता का सही संतुलन चाहती है..

मैं यह मानता हूँ कि कहानी का असली मकसद केवल पाठक को बांधे रखना नहीं, बल्कि उसे सोचने पर मजबूर करना भी है.. और अगर इसमें थोड़ा सा हास्य, थोड़ा सा तिलिस्म, और थोड़ी सी ऊष्मा मिल जाए, तो कहानी और भी यादगार बन जाती है..
 

Premkumar65

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मिस्टर बुल
Bombay-Statue-of-Bull-in-front-of-BSE-Mumbai.jpg


और उसके बाद उनकी असली मीटिंग हुयी , मिस्टर बुल के साथ , ... मैरियट जुहू के काफी शाप में उन सिर्फ एक मेसज मिला की बोरीवली स्टेशन पर कोई उनसे प्लेटफार्म ६ पर मिलेगा। वह उन्हें मलाड ले गया , एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में ,



और वह मीटिंग रात में दो घण्टे तक चली,

उन्होंने उस केमैन आइलैंड वाले फंड से ४८ करोड़ एक एस्क्रो फंड में ट्रांसफर किये जिसका इस्तेमाल दस कंपनियां , सिर्फ उनकी कम्पनी के शेयर को खरीदने के लिए करतीं , इसमें से २५ करोड़ सुबह बारह बजे के आस आपस , पहले अटैक के लिए इस्तेमाल होता , बाकी बाद में,

वो बुल जितना पैसा उस एक्स्रो फंड का इस्तेमाल करता उतना ही अपना भी करता। कहते हैं न जादूगर अपना राज नहीं बताते तो वो भी नहीं बताने वाले कैटगरी में था, लेकिन उसकी मार्केट इंटेलिजेंस पक्की थी की कल मार्केट खुलते ही पहले इनकी कम्पनी के शेयरों की बिक्री शुरू होगी और दाम तेजी से गिरेंगे, लेकिन फ्रीफॉल होने के ठीक पहले वो इन्वेस्ट करना शुरू करेगा पहले अपने फंड से, फिर उस एस्क्रो फंड से और दाम जब थोड़े बढ़ जाएंगे तो खरीदना रोक देगा और उसके बाद राइवल फिर से शेयर बेच कर के दाम गिरायेगा, और अगर वो नहीं गिरायेगा तो ये खुद अपने ख़रीदे शेयरों में से ही बेच के एक बार फिर से दाम गिराएंगे और देखा देखी मार्केट सेंटीमेंट के बेस पे वो भी दाम गिरायेगा और शेयर बेचेगा।



उन्होंने अपनी स्ट्रेटजिक इन्वेस्मेंट टीम के लोगों का एक कांटेक्ट नंबर दे दिया और वो पहले से ही उनमे से एक को जानता था। ये मीटिंग सबसे लम्बी थी और सबसे टफ भी।

आधी रात तो कब की बीत चुकी थी।

वहां से निकलते ही उनके इंटेलिजेंस वाले ने यह बता दिया था की कौन बीयर वाला ट्रेडर कल होने वाले अटैक में शामिल होगा ,


उन की रूह काँप गयी उस का नाम और प्लानिंग सुन कर , जिस बुल आफ बुल्स से वो मिल कर आ रहे थे , वो उसी की टक्कर का था , और लास्ट मुकाबले में बीयर की ही जीत हुयी थी। उस के कांटेक्ट भी हर लेवल पर थे , और एक्वायर करने वाली कम्पनी ने उसे फ्री हैंड दे दिया था।



उन्हें फिर एक बार लाल और हरे दोनों फोन दबाये और उस का नाम बता दिया।




वो चरनी रोड के पास एक शेडी से होटल में रुके , और बहुत सुबह ,... साढ़े छह बजे ग्रांट रोड स्टेशन के सामने ( ईस्ट साइड ) बी मेरवान की दूकान पर , बन मस्का , मावा केक और चाय पीते हुए , वहीँ एक बार फिर उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से ,... और ढेर सारी इन्फॉर्मेंशन ,...

वो साथ में ये भी चेक कर रहा था की इनकी मीटिंग्स के बारे में कोई इन्फो अपोजिट कैम्प में तो नहीं पहुंची।

आज बुधवार शुरू हो गया था और ये दिन बहुत अहम् था। उनकी कम्पनी के लिए और उससे भी बढ़के इनके लिए , अगर इनकी कम्पनी डूबती तो साथ में ये भी और जो एक्वायर करता वो इनकी जॉब तो लेता ही आगे के लिए भी कांटे बोता। उन्हें टाउनशिप छोड़ना पड़ता, ये, गुड्डी और उसकी भाभी, और जो पॉजिशन इस कम्पनी में मिल गयी थी वो तो सपने में भी कहीं नहीं मिल पाती, डिप्रेशन का टाइम था, पांच छह महीना तो घर बैठना मामूली बात थी, हफ्ते भर में ही घर खाली करना पड़ता



पर दिमाग से एक झटके से उन्होंने उस अवसाद को निकाल दिया



होगी जीत, जरूर होगी जीत और ऐसी जीत होगी की अगली बार कोई सोचेगा भी नहीं कुछ करने की।
Very very technical post. Nice to give insight into business world.
 

Shetan

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अरे मिसेज दीर्घलिंगम का जिक्र पहले भी आ चुका है कहानी में लेकिन क्या करियेगा, इतनी लम्बी कहानी, इतनी पोस्टें

चलिए याद दिला देती हूँ, पृष्ठ ३६ भाग ३१ और इस भगा ३१ पोस्ट में था लेडीज क्लब का सेलेक्शन और उस के आखिरी हिस्सों में एक हिस्सा था विनर जिसमे मिसेज दीर्घलिंगम का जिक्र था, वो जज थी हस्बेंड डे के कांटेस्ट की और लेडीज क्लब के सेक्रेटरी के एलक्शन की।
उसी एलेक्सन में मिसेज मोइत्रा चारो खाने चित हुईं, उनके पति को न सिर्फ देशनिकाला बल्कि काला पानी मिला और वो अपने औकात में आयीं।

और उसी इलेक्शन के बाद मोइत्रा के सारे चार्ज इन्हे मिले बल्कि ये टॉप मैनेजमेंट की नजर में आये।

मिसेज दीर्घलिंगम ने ही रिजल्ट अनाउंस किया था, उनके पति, कंट्री हेड थे कम्पनी के,

Muje yaad hai Komalji. Manotrain ko vo jo pakdne vala kand tha. Usme dirdligam name tha. Bat sahi hai. Ek noval ke kisse ko reback lana kafi mushkil bhi hai. Bas ab teej party ka intjar hai.

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komaalrani

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Mahol ko kis se kalpna kare. Jese nilami aur cort room ho. Dirdligam hi hai jo naiya par karwa sakti hai. Use rone ke lie bahot sadyantra hue. Par vo hi leed karne vali hai. Amezing.

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Thanks ekdm sahi kaha aapne is ke taar hindustan ke baahr faile hain koynki company bhi ek multi national hai jaise Amazon ho ya aur koyi aisi aur use koyi hindustan se ukhadne ke liye plan kare
 

komaalrani

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Bahot hi shandar update konalji. Company ke sare ke dam khud se hi girakar kharidne ka plan hai. Matlab to puri company hadapne ka plan hai. Amezing...

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Thanks so much
 

kingkhankar

Multiverse is real!
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आपके विचारों से पूर्णतः सहमत होते हुए, मैं यह कहना चाहूंगा कि कहानी का सार वास्तव में उसकी बहुआयामीता में निहित होता है.. कहानी केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्पण है जो समाज, मनुष्य और उसके अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं को प्रतिबिंबित करता है.. यह दर्पण कभी मनोरंजन के रंगों से सजा होता है, तो कभी गहन दार्शनिक विमर्श की गहराइयों में डूबा हुआ.. और हाँ, यह जरूरी नहीं कि यह दर्पण हमेशा नैतिकता के सिद्धांतों को ही दिखाए...

आपने जिस तरह से कहानी के "लेयर्स" पर जोर दिया है, वह वाकई सराहनीय है.. एक अच्छी कहानी वही होती है जो पाठक को सतह पर तो मनोरंजन से भर दे, लेकिन गहराई में उसे विचारों के समुद्र में गोता लगाने पर मजबूर कर दे.. यही वह बिंदु है जहाँ कहानी साधारण से असाधारण हो जाती है.. और हाँ, देह संबंधों की ऊष्मा में भी यदि कहानी के ये स्तर मिस हो जाएँ, तो यह एक तरह से "रसभंग" ही हो जाता है.. आपका यह प्रयास कि आप इन बातों को रेखांकित करती हैं, वह आपकी कहानी को एक नया आयाम देता है..

कहानी लिखना कुछ वैसा ही है जैसे खाना बनाना.. अगर आप केवल मसालों पर ध्यान देंगे, तो खाना चटपटा तो हो जाएगा, लेकिन पौष्टिक नहीं.. और अगर केवल पौष्टिकता पर ध्यान देंगे, तो खाना स्वादहीन हो जाएगा.. इसलिए, एक अच्छी कहानी, जैसे एक अच्छा खाना, मसाले और पौष्टिकता का सही संतुलन चाहती है..


मैं यह मानता हूँ कि कहानी का असली मकसद केवल पाठक को बांधे रखना नहीं, बल्कि उसे सोचने पर मजबूर करना भी है.. और अगर इसमें थोड़ा सा हास्य, थोड़ा सा तिलिस्म, और थोड़ी सी ऊष्मा मिल जाए, तो कहानी और भी यादगार बन जाती है..
Story ko Biryani bana diya yeh to!
 
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komaalrani

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धन्य हो कोमल मैम

कंपनी और शेयर बाजार की इतनी जानकारी !!!

ये कमाल आप ही कर सकती हैं ।

इतनी बारीक जानकारी और रणनीति का तानाबाना, कोई आसान काम नहीं है लेकिन आपने तो समां बांध दिया। थोड़ी देर को तो ऐसा लगा कि कंपनी अफेयर की कोई क्लास चल रही है।

सच में आप धन्य हैं और हम जैसों का अहोभाग्य कि आपके लेखन की इस विधा से परिचित हो रहे हैं।

सब कुछ तो समझ नहीं आया लेकिन वर्णन ऐसा कि लग रहा है कि ज्ञान की गंगा बह रही है और हम जैसे पैर लटकाएं बैठे हो।

हार्दिक आभार।


सादर
बहुत बहुत आभार, मैंने पहले ही कहा था की तीनो कहानियों में कहानी की धारा थोड़ी बदलेग।

फागुन के दिन चार में अभी थ्रिलर और एक्शन चल रहा है, गुंजा को बचाने की कोशिश

छुटकी में ननद को आश्रम के चंगुल से बचाने की कोशिश और उनकी वेदना

और यहाँ पर कहानी अब एक फायनेंसियल थ्रिलर में तब्दील हो चुकी है। इस कहानी में पहले भी कारपोरेट मामलों की सुनगुन सुनाई पड़ती रहती है और एक मेरी कहानी है आपने पढ़ी होगी,

IT IS A HARD रेन

वो भी कारपोरेट अक्वीजिशन पर है और उसके मानवीय पहलुओं पे

मैं कोशिश करती हूँ की कहानी और पाठको दोनों के प्रति ईमानदारी बरतूं,


 

komaalrani

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Thanks so much
 
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