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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Rahul201220

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मान मनुहार










कमल जीजू , अजय जीजू और रीनू उसी कमरे में बैठे थे , जहां मेरी , ... और सब एकदम चुप , मुझे देख कर भी कोई कुछ नहीं बोला ,

"जीजू , सॉरी " खूब चेहरा बनाकर दोनों कान मैंने पकड़ लिए और कमल जीजू के सामने उदास खड़ी हो गयी ,

कुछ देर तक तो कमल जीजू सीरियस रहे , लेकिन अंत में उनके चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गयी , और मुझे हड़काते बोले ,

" स्साली , क्या तय हुआ था "


उनकी शादी में ही एक बार जीजू ने मेरी चोली में हाथ डाल दिया था
और मैंने घूर के देखा तो उनके मुंह से 'सॉरी ' निकल गया बस उसी समय मैंने उन्हें हड़का लिया था ,

ये कह के जीजू साली में 'सॉरी ' नहीं बोलते।

बस उनका ये याद दिलाना काफी था और मैं सीधे उनकी गोद में बैठ गयी और उन्हें मनाने का जो तरीका था एक चुम्मी सीधे लिप पर और उनके हाथ जसिके पीछे पहले दिन से वो दीवाने थे ,

मेरे जोबन पर , ...


" आप गुस्सा हो न " मैंने पूछा ,

हूँ , लेकिन तुमसे नहीं , ... " उन्होंने कबूला।

"चलो मेरा प्रॉमिस , आज नहीं हुआ तो क्या , सैंडविच बनेगी मेरी आप दोनों जीजू से , ... पक्का , एकदम। .. "

मैंने प्रॉमिस किया , ...

" और वो ,... "
अबकी अजय जीजू बोले ,

" उन्ही के सामने " ...

मैंने साफ़ साफ़ बता दिया ,...



" आज तेरी गांड बच गयी , फिर ,... अगर कही वो ,... "

कमल जीजू ने अपना शक बता दिया

" अरे जीजू , आप उसकी गांड पहले मार लीजियेगा , सिम्पल "


मैंने उपाय बता दिया , ... और आगे समझा भी दिया ,

" मुझे मालूम है आपकी पसंद , अगर एक बार उसकी गाँड़ मार लीजियेगा , फिर तो किसी की गांड मारिएगा वो बीच में नहीं आएंगे , ... "



मैंने फिर बोला ,

और मेरी बहन रीनू भी साथ में आ गयी।

" एकदम जीजू , निहराऊंगी मैं " वो बोली



" और पकड़ कर सटाउंगी मैं , बस धक्का आपको मारना होगा , वो भी बिना तेल के ,... " मैंने और बात बढ़ाई। "



देखा है मेरा , बिना तेल के , ... फट जाएगा उसका "

अब जीजू थोड़ा मुस्कराये।

" अरे ये कौन सी बड़ी बात है , अभी खोल के देख लेती हूँ , "


उनकी जींस के ऊपर से कितनी बार दबा के , पकड़ के मसल के देख चुकी थी ,

तो आज मैंने ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया पकड़ भी लिया ,


जी एकदम धक्क से रह गया , खूब मोटा , मेरी कलाई में समा नहीं रहा था ,



जब की अभी वो मोटू सो रहा था , अगर ये न आये होता तो ये मोटू इस समय मेरे पिछवाड़े घुस रहा होता ,

" ठीक है चलो जीजू , थूक मैं लगा दूंगी , एकदम आर्गेनिक ,.. आपके भी उनके भी , "

रीनू ने रास्ता निकाला।


" और फट जायेगा तो फट जाएगा , ... मैं तो चाहती यहीं हूँ जीजू एक बार आप हचक के फाड़ दीजिये , फिर आप जित्ती बार जैसे , जैसे सैंडविच बनायें , .. उनके सामने, आपकी स्साली भागेगी नहीं , ... लेकिन अच्छी तरह से फाड़ियेगा , तीन दिन तक टांग फैला के चले ,... " मैं मुठियाते बोली ,

" एकदम कोमल सही कह रही है , फिर उसके बाद हम साली जिज्जा का प्रोग्राम कभी कोई भड़भंग नहीं करेगा , .... "

रीनू ने बोला।



तब तक तीन बार ये नीचे से गुहार लगा चुके थे ,

हाँ घर लौटने लौटने पर उन्हें अंदाज लगा गया था उन्होंने जो किया वो ठीक नहीं किया और फायदा मेरा हुआ , ...


मेरी जेठानी के लाख कोशिश करने पर भी मैं इनके साथ इनकी पोस्टिंग पर चली आयी ,

और उस के बाद क्या हुआ , कैसे ये बदले ये तो आपने शुरू से देखा ही ,

मुझे उस समय अंदाज तो लग गया था लेकिन बाद में पता चला सारी करतूत मेरी जेठानी की थी ,

उनका एक बड़ा प्लान फेल हो गया था , इसलिए सारी कुढ़न गुस्सा मेरे ऊपर,

वो चाहती थी मैं इनके मायके में रहूं , उनकी सेवा करूँ और सबसे ज्यादा उन्हें मौका मिले मुझे जलाने का , मेरी औकात दिखाने का,
जबसे उन्हें पता चला था की मैं अपने मौसेरे भाई की शादी में गयी हूँ, बस पहले तो मेरी सास को चढाती रहीं,



" झूठी उसकी माँ, यहाँ से मायके के लिए कह के गयी थीं, और,... मुझे मालूम नहीं वहां क्या मस्ती हो रही होगी , अरे उसे बुलाना था , उनकी मौसी को आपसे मुझसे बात करना चाहिए था, पूछना चाहिए था, ...अब शादी हो गयी है , वो इस घर की बहु है , लेकिन नहीं,... और फिर अगर जाना भी था तो यहाँ आके , एकाध दिन के लिए , ये क्या,... "

और उसके बाद अपने देवर के पीछे ,... और साथ में एक उन्होंने कुछ पूजा की एक नयी कहानी शुरू कर दी , जिस दिन रिसेप्शन था उसके ठीक अगले दिन,...
हर दो घंटे पर फोन घुमाती कहतीं तू तो एकदम जोरू का गुलाम हो गया है , हम लोगों को भूल गया है , कल अगर तुम दोनों पूजा में नहीं आये, संस्कार इस घर का और न जाने क्या , क्या ,...

इसलिए वो इतने अलफ़ थे

लेकिन जेठानी नहीं जानती थी किससे पाला पड़ा है , कोमलिया से ,...

मैंने उनका पैर छुआ गलती मानी , लेकिन इन्हे पटाया की मैं आपके साथ चलूंगी ,... ( मन तो इनका भी करता था, रोज खूंटा तंग करता था और इधर उधर मुंह मारने की न इनकी आदत थी न हिम्मत , नथ इनकी मैंने ही उतारी थी। )
सबसे अच्छी बात मेरी सास ने मेरा साथ दिया , और मैं इनके साथ आ गयी ,...



उसके बाद बाद क्या हुआ ये सब तो आप पढ़ ही चुके हैं ,


;;;;;;

इस कहानी मे शुरू के अपडेट से जो भी पति से प्यार का दिखावा हो रहा था, उसका मुख्य कारण इस अपडेट से समझा जा सकता है, सब कुछ इस अपडेट मे रची साजिश को पूरा करने के मकसद से ही किया जा रहा था।

कोमल अपनी माँ, बहन, मौसी, चाची आदि जैसे पति के अलावा भी सबसे चुदना चाहती थी,
लेकिन उसे ऐसा पति मिला जो कोमल को दुसरो से चुदते नही देख सकता था,

इसलिए कोमल ने अपने जीजू, और बहन के साथ मिलकर ( बाद मे अपनी माँ को भी शामिल किया होगा) पति को बदलने और जीजू से गांड मरवाने की साजिश रची,
जिससे कोमल का पति भी दुसरो को चोदे और कोमल के किसी से भी चुदने से रोक - टोक ना कर सके।

इस अपडेट से ये भी साबित हुआ कि कोमल के लिए उसके पति से ज्यादा अहमियत उसके जीजू ही रखते थे, तभी तो कोमल ने अपनी पति की खुशी से ज्यादा अहमियत जीजू को खुश करने पर ध्यान रहा।

पति से प्यार का दिखावा करते हुए पति को अपना गुलाम जैसा बना लिया और अपनी मकसद/साजिश को कामयाब कर ही लिया।

त्रिया-चरित्र का बेहतरीन उदाहरण :applause:
 
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Aryanlaunda

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Aur haan lage haath jab aap pata karenge na, To forum men jo Mother son ya baki incest vaali kahaniyan hain na , jise kuch log insect bhi likhte hain uska bhi pata kar lijiyega badi mehrbani hogi
Komal Rani ji mai aapko Bura feel Nahi karwana Chahta tha infact mujhe kahani Pasand BHI bahut h, itni Pasand h ki aisa laga ye such h kya, isiliye aapse Puch Lia ki Aapne aisa Kahi Dekha h kya
 
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Reactions: shivangi pachauri

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ७३

इंटरवल









" स्साली, क्या चूस चूस के पूरा रस पी जायेगी,... "


रीनू की आवाज मेरे कानों में पड़ी तो मैं फ्लैश बैक से वापस आयी,



चीनू के भाई की शादी की मस्ती और दोनों जीजू से किया वायदा याद कर के मैं और जोश चढ़ गया था और मैं पूरी ताकत से कमल जीजू का लंड चूस रही थी , था भी उनका घोडे गदहे की साइज वाला ,





फिर अपने मरद के सामने और उसे दिखा दिखा के जीजू का लंड चूसने का मजा ही कुछ और है। और उन्होंने कस के मेरे सर को पकड़ के जबरदस्त हलक तक ठूंस रखा था. ये नहीं कमल जीजू के सामने मैंने अजय जीजू को, रीनू के मरद को छोड़ दिया था , वो मेरे मरद का चूस रही थी तो मैं उसके मरद के साथ , जब कमल जीजू का चूस रही थी तो मेरे कोमल कोमल हाथ खाली नहीं थे, मेहन्दी लगे हाथों से मस्ती से रीनू के मरद के लंड को मुठिया रही थी , कभी ऊँगली से उसके बॉल्स को सहला देती, और जब कुछ देर पहले मैं रीनू के मरद का चूस चाट रही तो मेरी मुठी में कमल जीजू का लंड था।



" स्साली तेरी क्यों जल रही है, मेरे पास दो हैं तो अपनी अपनी किस्मत तेरे पास भी तो तेरा जीजू है न "


कमल जीजू का खूंटा बाहर निकल के मैं अपनी बहन से बोली। लेकिन साथ में मेरी निगाह घडी पर पड़ी , पहले इन लड़कों के साथ हम दोनों बहनों ने आठ मिनट की बात हुयी थी , फिर बढ़ा के बारह मिनट ,



रीनू भी घडी देख रही थी , कभी मुझे देख के मुस्करा रही थी , कभी इनका अपने जीजू का क़ुतुब मीनार देख के मुस्करा रही थी,



बारह मिनट तो कब के खतम होगये थे , २० मिनट हो रहे थे , ... मैं समझ गयी रीनू का गाल, मुंह इनका चूसते चूसते थक गया होगा , थक तो मेरा भी गया होगा और मैं जीजू दो , साली एक वाली,...



इंटरवल,... रीनू ने अनाउंस किया और मैं उछल कर अपनी बहना के पास, और मेरे दोनों जीजू के पास,



तीनों लड़के एक साथ , हम दोनों बहने एक साथ,



पद्रह मिनट तक इंटरवल और तब तुम तीनों अपनी सालियों की ओर आँख उठा के भी मत देखना उसके बाद,... आँखे नचाकर रीनू ने उन्हें देखकर कस के आँख मारी,...



और रीनू ने धीमे धीमे मुझे नान स्टॉप गाली देना शुरू किया, ... मैं सब समझ रही थी , बारह मिनट होने पर उसने मुझे क्यों नहीं टोका, वो सोच रही थी चूस चूस के मेरे मरद को झाड़ देगी , पर उसे अपने जीजू की ताकत नहीं पता था, ... जब वो रुकी तो उसके उभार कस के दबा के मसल के मैं बोली,


" अभी तो मुंह में था , जब निचले वाले मुंह में घुसेगा न तो पता चलेगा , जब तक चीखोगी नहीं , तीन बार झाड़ेगा नहीं तुझे उसका कुछ नहीं होने वाला।"



कुछ देर तो वो मुझे देखती रही फिर मुझे चूम के बोली ,

" सच में यार, स्साला चिकना, देखने में इत्ता सीधा लगता है बच्चे ऐसा , पर डंडा उसका लगता है एकदम लोहे का, इत्ता देर तक मैं चूसती रही, कस के लंड भी बॉल्स भी , पास स्साले का ज़रा ढीला भी नहीं हुआ, ... जब चोदता होगा तो क्या हाल कर देता होगा। "



" जब चुदवाओगी तो खुद पता चल जाएगा , कमीनी। अबतक की सब चुदाई भूल जाओगी समझी छिनार, ... हफ्ते भर बाद जब काठमंडू से लौटोगी तो देख लेना वैसे भी पहली बार बेचारे को साली का मजा मिल रहा है। "


मैंने रीनू को छेड़ा।






" सच में सच बोलती हूँ तेरी कसम काठमांडू से लौटूंगी तो स्साली तुझे छूने भी नहीं दूंगी उसे, बहुत मजा ले लिया तूने उसके साथ तीन बार रोज,... " वो बोली



" मैं खूब जोर से हंसी और अपनी बहन को बाहों में भींच लिया ,



" स्साली छिनार, तीन बार ,... अरे तीन बार तो रोज मेरी रात में वो लेलेता है बिना नागा कई बार चार बार , और तू आएगी तो फिर दिन रात, देखना चोद चोद कर क्या हाल करेगा वो , अरे वो भोंसड़ी वालो की भी चोदे तो उन्हें गौने की रात याद आ जाती है , लेकिन यार चिंता मत कर मेरे पास भी तो दो दो है ,... "



कमल और अजय जीजू की ओर देखती मैं बोली, पर रीनू ने कस के मेरे निप्स को पिंच किया और मेरे कान में बोली



" छिनार उन दोनों को तो मैं कितनी बार ले चुकी हूँ मेरा वाला उन दोनों के बराबर अकेले है "



उन की तारीफ़ होती तो मेरा खुश होना नार्मल था , रीनू मुझे देख कर मुस्करा रही थी फिर फुसफुसा के बोली,



" साली, उसके पहले, याद है हम दोनों ने कैसे मनाया था तेरे जीजू को,..अभी तो,... इस चिकने की,... "



मैं जोर मुस्करायी, अच्छी तरह याद था मुझे और रीनू ने अनाउंस कर दिया इंटरवल ख़तम।
 
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komaalrani

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और रीनू ने कार्ड खोल दिया ,







रीनू और मैंने कुछ खुसफुस की पर बोली रीनू ही , कमीनी बड़ी थी तो,...



" देख यार, पहले हम दोनों बहनों ने आपस में तो गर्ल गर्ल वाला हो गया, उसके बाद हम दोनों सालियों ने जीजुओं का चूस के चूस के , तो गर्ल -ब्वायज वाला हो गया, और अब बचा क्या, ... ब्वायज ब्वायज का , तो बतायंगे हम , मस्ती करोगे तुम सब, और हम सब देख देख कर मजा लेंगे,... "



मेरे दोनों जीजू को तो कुछ नहीं हुआ बल्कि वो दोनों मुस्करा रहे थे हाँ ये एकदम शर्म से लाल, नीचे देख रहे थे, पर मैंने और चढ़ाया,



" अरे तो क्या हुआ, ... कमल जीजू हरदम तो गाते रहते हैं , जेंडर डिस्क्रिमेंशन नहीं करते , आगे के छेद और पीछे के छेद में फरक नहीं करते, तो जंगल में मोर नाचा किसने देखा, आज हम सबके सामने हो जाय, .... क्यों जीजू,... "



" किस स्साले की हिम्मत है की मेरी स्साली की बात टाले "


झुक कर फर्शी अदा से सलाम करते वो बोले,



" और जो टालेगा उस की गाँड़ न मार ली जायेगी , तुम लोग देर करोगे तो मैं मार लूंगी , पहले चूँची से फिर कलाई से,... " हँसते हुए रीनू इन्हे देखते बोली।



अब हम दोनों बहनों ने कुछ देर खुसफुस की और मैंने डेयर बता दिया,

" अजय जीजू को इन्हे अपनी गोद में बैठा कर, इनकी मुठ मारनी है , पूरे पांच मिनट"

जब तक ये कुछ समझते बोलते , अजय जीजू ने इन्हे खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया, और इनकी चड्ढी सरका के इनका खूंटा अपने हाथ में पकड़ लिया और थोड़ी देर तक सहलाते रहे , फिर लगे कस के मुट्ठ मारने।



मुट्ठ मरवाने में किसे मजा नहीं मिलता, ... कुछ देर तक तो ये शरमाते रहे फिर मस्ती से अजय जीजू से मुट्ठ मरवाने लगे. इनका मोटा सुपाड़ा, एकदम खुला था।

रीनू उन्हें खूब बढ़ावा दे रही थी , चिढ़ा रही थी।

पांच मिनट के बाद ये अजय जीजू की गोद से उतरकर अलग बैठ गए , और फिर से ब्रीफ अपनी ऊपर सरका ली।

अब रीनू इनके पीछे पड़ गयी,

" क्यों स्साले इतना शर्मा रहा था , गांडू चिकने आया न मजा,... अरे साली की बात मान तो, चल गांडू अब तेरा कार्ड खोलती हूँ, भले गाँड़ फट जाये तेरी ये डेयर करना पडेगा , ये एकदम डार्केस्ट रेड वाला खूब वाइल्ड कार्ड है, बोल स्साले बहन के यार खोलूं ,या ,...



लेकिन अब मैं रीनू के पीछे पड़ गयी,

"स्साली कमीनी बचपन की छिनार, जब मेरे जीजू का नंबर था तो नहीं पूछा उनसे , खोलूं की नहीं , तेरे जीजू का मुट्ठ मारा उन्होंने , और अब स्साली तेरे जीजू का नंबर है तो पूछ रही है , खोलूं की नहीं,... "



" खोलिये न " कुछ शर्माते हुए कुछ हिम्मत कर के वो रीनू से बोले ,अपनी साली की बात टालने की अब उनमें हिम्मत नहीं थी



और रीनू ने आँख बंद कर के एक कार्ड निकाला , पर कार्ड देख के उसका भी जी धक्क से रह गया , कभी वो उनकी ओर देखती, कभी कार्ड की ओर देखती।


लेकिन तभी,

इनकी कलाई की घड़ी से एक तेज सीटी सी आवाज निकलने लगी.

रीनू और मेरे दोनों जीजू कभी उन्हें कभी उस घडी की ओर देखते, ... वो बेचारे परेशान , मेरी ओर देखा उन्होंने , उन्हें ये भी लग रहा था की कहीं मेरे दोनों जीजू और उनकी साली बुरा न मान जाए पर घडी की सीटी, वो रुक नहीं रही थी,...

पर उसका मतलब मैं अच्छी तरह समझती थी , मैंने उन्हें आँख से इशारा किया की वो जाएँ और मैं इन सबको सम्हाल लुंगी,



वो झट से उसी हालत में ऊपर छत के कमरे की ओर, लेकिन जाने के पहले वो बोले जैसे ही ख़तम होगी आ जाऊँगा।

रीनू को मैंने उम्मीद दिलायी अरे यार कभी ये दस बीस मिनट में ही ख़तम हो जाती है ,

पर रीनू उनसे बोल रही थी, : जीजू कुछ भी हो जाए खाना आप के साथ ही खाउंगी। "



एकदम सीढ़ी चढ़ते हुए उन्होंने जवाब दिया ,

मैंने जीजू लोगों को रीनू को भी समझाया इनकी एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस होती है ,... ( और मुझे याद आ गया था शाम को भी इस मीटिंग का एक इंडिकेशन आया था और आधे घंटे पहले जब रीनू इन्हे चूस रही थी तो भी हलकी सी सीटी बजी थी ) और अगर ये पांच मिनट में इन्होने नहीं ज्वाइन किया तो इनके आफिस से कोई आ जाएगा की इनकी कोई तबियत तो नहीं खराब है। पर अक्सर मीटिंग लम्बी नहीं चलती कभी दस मिनट तो कभी आधे एक घंटे, लेकिन कभी कभी ,



मेरी बात काट के रीनू बोली , चलिए मैं मनाती हूँ जल्दी ख़तम हो जाए ,



( आप लोगो को पिछले एक पार्ट में बहुत डिटेल में बताया था मैंने सिएटल , जो इनका कारपोरेट हेडक्वार्टर था ग्लोबल ये मेसेज वहीँ से ,... और कैसे एक स्पेशल आई पैड जिसमे बायो सिक्योरटी, इनकी पुतली, दसो उँगलियाँ का चेक के साथ वॉयस का चेक , फिर क्वेस्चन का आंसर तब वो खुलता था , और फिर एक डांगल लगा के कनेक्टिविटी होती थी , वर्चुअल की बोर्ड इस्तेमाल होता था और कंपनी के बिजनेस स्ट्रेटिजिक डिसीजन पर बात होती थी , कई बार कई कंट्रीज रहते थे लेकिन सबकी आईडी सिर्फ अल्फा न्यूमेरिक होती थी और वो कारपोरेट आफिस वालों को ही पता रहती थी। )
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ७४



एडिटेड,...सेंसर्ड ,... कट कट कट



मुझे पता नहीं उनकी मीटिंग दस मिनट में खतम हुयी या कितनी देर चली ,



और उससे भी बड़ी बात , ' उनके साथ' कुछ हुआ क्या ,...



आप में से कुछ लोगों ने कहानी का मूल रूप पढ़ा होगा और उन्हें अंदाज भी था की ' यहाँ क्या होना था '



पर रूल्स आर रूल्स , इसलिए कुछ पार्ट्स पहले मैंने कुछ जोड़ा और कहानी की धारा थोड़ी मोड़ी ,





मेरा यह मानना है की हम किसी चाहे हाउसिंग सोसायटी में रहें , आफिस में काम करें , समाज में रहे या फोरम में रहे हमें उसके नियम को शब्दशः और उसकी भावना के अनुरूप मानना चाहिए , और हमें वह नियम पसंद है , मान्य हैं तभी तो हम वहां स्वैछिक रूप से हैं इसलिए कुछ भाग मैं पाठक पाठिकाओं की कल्पना पर छोड़ती हूँ , हाँ बाद में हो सकता है कभी फ्लैश बैक में कुछ जिक्र आ जाए , ... लेकिन




कहानी के मूल रूप का एक भाग यहां सम्पादित है परन्तु इससे कहानी की मूल धारा में , रस में स्वाद में कोई फरक नहीं पड़ेगा इसकी गारंटी ,...
 

komaalrani

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It triggered some thought , just a loud thinking , not a well structured thought but some ramblings and i felt that i should share it with friends who have been my co - travelers and supporters in this long and enjoyable journey of words.

same sex sex ( female -female ) is enjoyed by most of the readers and i belong to that group , esp. if one is a slightly mature experience elder woman ( BHABHI ) and the other is young , nubile in which green shoots of desire are just springing ( Nanad ) , my fav. theme from my first story , which became full blown in my first long story or Novella ; 'NANAD KI TRAININING' , yess let me confess i relish it , taking an uninitiated, hesitant , unsure of her sexuality, just budding teenage to ' those areas' and mostly my readers too like it .

But the same sex sex ( male to male ) ? i am talking about in stories , if not disliked at least it is frowned upon by some.

Is it aversion for Anal Sex ? I think heterosexual ANAL sex is enjoyed by most of the readers and again am part of the same group.

But male to male anal sex -

may be it is ghost of section 377 of IPC which proscribed' 'unnatural sex' but has not been given a decent burial. a belated decision but ultimately right decision because how you define ' unnatural ' and it left for Police to take a call about the most private act . If we look into 'unnatural', even masturbation will be unnatural. Any sexual act, which does not lead to procreation will be stigmatized as unnatural.

In a 17th-century law code for the Puritan colony of New Haven, Connecticut "blasphemers, homosexuals and masturbators" were eligible for the death penalty.

So,...

i am not a ' homophobe' and i feel i am sure most of the experienced persons of this group are also not, ' to each his own'/

I also discussed many times in this story distinction between bi-sexual and gay ( though i am not against any life style

personally) morality is subjective and changes with time

However, if we live in a group, any social organization one must follow the lines set by the group, one may wonder, even wonder loudly about some rules and there are places assigned for that, not everywhere but as long as those rules are there one must follow them in the letter and spirit, the other alternative is to leave the group.

To me this ' particular; episode was no so central to the story, so i could turn the story to a bit, leave some things to the readers imagination and that is job of a fantasy to let the readers complete the rest of the part,...

now some thing about the story as many persons are speaking loudly and raising issues, i respect them and feel they have all the right to share their views

but it will be better to share the background of the story

Umpteen times i have discussed about the origin of this story , which does look different but very few times why i started writing erotica.

The first one was i discovered in many Hindi or Desi erotic stories they were mostly translation of English Porn. The story could have been based anywhere. There was no feeling for place, ethos , social milieu something special to our country, a country with one of the oldest traditions of erotic literature . So i focused on relationships which are peculiar to our society , Jija -Sali, Nanad Bhabhi , Nandoi -Salahj , where some levity is permitted may be some double meaning dialogues , touching and teasing on Holi and they become the bed rock of my stories. However i decided to evolve and move away , but for that , later.

The second one was lack of female perspective. Stories were always written from only one perspective and what was happening in the mind of a young girl , a mature woman was ... to hit the nail on the head , they were the objects of desire but rarely their desires were not taken into account. and let men share , it is the woman for whom sex is like a mile stone , starts with puberty , first mensuration , with lot blood letting a fearsome experience as she is not emotionally trained for that , her first sex again blood splitting , pregnancy which has many serious consquences for her ( and even lack of pregnancy if she is married ) and ultimately Child birth ,where pain leads to joy Thus sex mixing pain , fear of pain with joy is something peculiar to female and it was missing , and of course folk songs which only women are mostly privy.

so coming back to this story , i wanted to try my hand at femdom. sisification and the desire was triggered by an incomplete but beautiful story wrtten by incesbi, The perverted Indian Wife .

and i decided a writer must transcend herself. and the backdrop should be Indian of course. Secondly i decided to cross the limits i have created for myself. First time i breached it in Maja pahali Holi ka sauraal men ...where i had given myself a task to use all the ' kinks' in the story and there the first time a male to male -- just passing reference , not a vivid description and in the backdrop of Holi. Second time it is here , again just a passing mention as it confirms to the pattern of the story , yes it totally goes against the stereotype , but it is as i see ft . and with the lot of background

so back to story,...it was a slight diversion but now we will be back to main story in next part, thanks for bearing with me,...
 

komaalrani

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एडिटेड,...सेंसर्ड ,... कट कट कट

some parts may come back as flash back, so remain with the story and with me
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ७५



मायके की ओर


भोर की पहली किरण अभी अलसा रही थी ,



पूर्वा ने अपने पैरों में महावर की लाली लगानी शुरू ही की थी ,



हम लोगों ने अपनी आगे की यात्रा की तैयारी शुरू कर दी ,

अजय ,कमल और रीनू को काठमांडू के लिए निकलना था ,रस्ते में दो दिन वो लोग पोखरा रुकते ,

और हम लोगों को इनके मायके।

लेकिन मैंने अजय और कमल जीजू से कसम धरा ली

लौटते हुए वो लोग हमारे यहां रुकेंगे और कम से कम तीन चार दिन।




और अगले पल हम लोग कार में उनके मायके की ओर ,

ड्राइव मैं कर रही थी , वो मेरे कन्धे पर सर रखे थोड़े ,थके अलसाये।



और ये मेरे बगल में थके , सुस्ताते ,आधी नींद में मेरे कंधे पर सर रखे ,


सड़क एकदम साफ़ थी , सुबह अभी ठीक से हुयी भी नहीं थी ,





बस कहीं कहीं सड़क पर बगल से साइकिल चलाते दूधवाले ,

इनका मायका तीन साढ़े तीन घण्टे की ड्राइव पर था ,

और मेरा दिमाग एक बार फिर पुरानी बातों में ,

इनकी मायकेवालियों की , खास तौर से इनकी उस छिपकली ममेरी बहन के कमेंट्स ,


जेठानी जी के ताने ,...






दूसरा कोई समय होता तो इस समय मैं वो सब सोच सोच कर काँप रही होती , घबड़ा रही होती , मन करता की न जाऊं इनके मायके ,

लेकिन ये अब खुद थे मेरे साथ ,

सबसे बड़ी बाजी अपने ससुराल में मैं मैंने जीत ली थी इन्हें ,


इनका बदला हुआ बिहैवियर , ऐटिट्यूड , पसंद , और नया मेट्रोसेक्सुअल लुक ,

मैंने कनखियों से इनकी ओर देखा ,

पिंक फ्लोरल शर्ट , वैक्स्ड लुक , परफ्यूम ,कानों में स्टड्स ,


और सबसे बढ़कर , टोटल क्लीन शेव्ड लुक , मूंछे सफाचट ,



जिसे इनकी वो छिनाल ममेरी बहन बार बार कहती थी , अरे मूंछे तो मर्द की शान होती हैं और ये भी ,


लेकिन उस का असली राज तो कमल जीजू ने खोला ,

स्कूल में ये परफेक्ट चिकने थे , वो स्कूल क्या पूरे शहर के लौंडेबाज इनके पीछे ,

और कालेज में भी यही हाल , तो बस उस लुक को चेंज करने के लिए ,इन्होंने शेव करना बंद कर दिया और मूंछे रख ली।

और उसे डिफेंड भी करने लगे ,मर्द की शान बता के।

मैं उनके चिकने गालों को देख के मुस्कराने लगी , मेरी मुंहबोली छोटी बहन और इनकी साली ,

तनु , अरे वही ब्यूटी पार्लर वाली , फेसियल के साथ साथ उसने न इनकी सिर्फ मूंछे साफ़ की बल्कि ऐसा वैक्स किया की

लौटना भी मुश्किल , बेचारी मेरी जेठानी ये लुक देख के तो उनकी ,

और , व्हाट अ चेंज ,

ये मेरे बगल में बैठे मैं ड्राइविंग सीट पर ,



और उनका फोन वाइब्रेट हुया , मैंने उठाया , मॉम का मेसेज था इन लिए ,




रीनू ने जो फोटुएं खींची थी ,स्टिल वीडयो सब उसी समय मैंने मम्मी को व्हाट्सअप कर दिया था और बाद में मेल भी , अपने और इनके फोन पे भी ट्रांसफर कर दी थी।

वो थोड़ा आंखे बंद किये कुनमुनाए और मैंने छेड़ा ,

क्यों क्या कमल जीजू की याद आ रही है , या फिर अपनी उस छिनाल बहन की ,पक्की चुदवासी है। "

इन्होंने एक बार फिर से सोने की कोशिश की और मेरे मन में उनकी ममेरी बहन की बातें , नकचढ़ी


" भाभी आप क्या जानेगी मेरे भैया को ,आप तो अभी अभी आयी हैं , मैं जानती हूँ बचपन से ,सब पसंद नापसन्द। "





इत्ता खराब लगता था , शादी के बाद अगर आपके पति के बारे में कोई इस टोन में बात करे

जैसे वो उसे ओन करता है और आप तो बाहरवाली हो

आउटसाइडर ,

कभी कभी वो इनके सामने भी बोलती ,

" भैय्या ये सब बातें हम लोगों की अपनी है ,आउटसाइडर के सामने नहीं करनी चाहिए। "




और वो भी उसी का साथ देते ,हंस के बोलते ,तू एकदम सही बोल रही है ,

और मैं जल के ख़ाक हो जाती। मन करता था उससे पूछुं ,

" क्यों इनसाइडर , तुझे मालुम है तेरे भैया को कैसे लेना पसंद है। कभी पकड़ के देखा है क्या , तू तो सब जानती है न। '

कभो लगता ,


ननद है की सौत ,







वो तो मम्मी के फोन ,... घर में मेरे और तो कोई था नहीं बस बचपन से वही मेरी सखी सहेली फ्रेंड गार्जियन ,


बस मम्मी की बातों ने मेरी सैनिटी बरकरार रखी।

और अब बाजी एकदम पलट गयी थी ,



मेरा पति सिर्फ मेरा।



मैंने मुस्कराकर उनकी ओर देखा ,

भोर की पहली किरण उनके गाल पे छेड़ रही थी।


दुष्ट तू भी मेरे पति पे लाइन मार रही है ,

मैंने हलके से बोला और उन्हें चूम लिया।

उनकी आँख खुल गयी और उन्होंने ड्राइव करने का ऑफर दिया , और हम लोगों ने सीट बदल ली।

हलकी हलकी पुरवाई चल रही थी।

हवा में ताज़ी हुयी बारिश की भीगी भीगी सी महक घुली हुयी थी ,लगता था अभी बस थोड़ी ही देर पहले बारिश थमी थी।




सड़क के किनारे छोटे छोटे गड्ढो में जमा बारिश का पानी इस बात की गवाही भी दे रहा था।

आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।

आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।



और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,


ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।




दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे




और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।






आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
 
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जोरू का गुलाम भाग ७५

मायके की ओर

हम लोगों ने अपनी आगे की यात्रा की तैयारी शुरू कर दी ,

अजय ,कमल और रीनू को काठमांडू के लिए निकलना था ,रस्ते में दो दिन वो लोग पोखरा रुकते ,

और हम लोगों को इनके मायके।

लेकिन मैंने अजय और कमल जीजू से कसम धरा ली

लौटते हुए वो लोग हमारे यहां रुकेंगे और कम से कम तीन चार दिन।


और अगले पल हम लोग कार में उनके मायके की ओर ,

ड्राइव मैं कर रही थी , वो मेरे कन्धे पर सर रखे थोड़े ,थके अलसाये।



और ये मेरे बगल में थके , सुस्ताते ,आधी नींद में मेरे कंधे पर सर रखे ,


सड़क एकदम साफ़ थी , सुबह अभी ठीक से हुयी भी नहीं थी ,




बस कहीं कहीं सड़क पर बगल से साइकिल चलाते दूधवाले ,

इनका मायका तीन साढ़े तीन घण्टे की ड्राइव पर था ,

और मेरा दिमाग एक बार फिर पुरानी बातों में ,

इनकी मायकेवालियों की , खास तौर से इनकी उस छिपकली ममेरी बहन के कमेंट्स ,


जेठानी जी के ताने ,...





दूसरा कोई समय होता तो इस समय मैं वो सब सोच सोच कर काँप रही होती , घबड़ा रही होती , मन करता की न जाऊं इनके मायके ,

लेकिन ये अब खुद थे मेरे साथ ,

सबसे बड़ी बाजी अपने ससुराल में मैं मैंने जीत ली थी इन्हें ,


इनका बदला हुआ बिहैवियर , ऐटिट्यूड , पसंद , और नया मेट्रोसेक्सुअल लुक ,

मैंने कनखियों से इनकी ओर देखा ,

पिंक फ्लोरल शर्ट , वैक्स्ड लुक , परफ्यूम ,कानों में स्टड्स ,


और सबसे बढ़कर , टोटल क्लीन शेव्ड लुक , मूंछे सफाचट ,



जिसे इनकी वो छिनाल ममेरी बहन बार बार कहती थी , अरे मूंछे तो मर्द की शान होती हैं और ये भी ,



लेकिन उस का असली राज तो कमल जीजू ने खोला ,

स्कूल में ये परफेक्ट चिकने थे , वो स्कूल क्या पूरे शहर के लौंडेबाज इनके पीछे ,

और कालेज में भी यही हाल , तो बस उस लुक को चेंज करने के लिए ,इन्होंने शेव करना बंद कर दिया और मूंछे रख ली।

और उसे डिफेंड भी करने लगे ,मर्द की शान बता के।

मैं उनके चिकने गालों को देख के मुस्कराने लगी , मेरी मुंहबोली छोटी बहन और इनकी साली ,

तनु , अरे वही ब्यूटी पार्लर वाली , फेसियल के साथ साथ उसने न इनकी सिर्फ मूंछे साफ़ की बल्कि ऐसा वैक्स किया की

लौटना भी मुश्किल , बेचारी मेरी जेठानी ये लुक देख के तो उनकी ,

और , व्हाट अ चेंज ,

ये मेरे बगल में बैठे मैं ड्राइविंग सीट पर ,



और उनका फोन वाइब्रेट हुया , मैंने उठाया , मॉम का मेसेज था इन लिए ,




रीनू ने जो फोटुएं खींची थी ,स्टिल वीडयो सब उसी समय मैंने मम्मी को व्हाट्सअप कर दिया था और बाद में मेल भी , अपने और इनके फोन पे भी ट्रांसफर कर दी थी।

वो थोड़ा आंखे बंद किये कुनमुनाए और मैंने छेड़ा ,

क्यों क्या कमल जीजू की याद आ रही है , या फिर अपनी उस छिनाल बहन की ,पक्की चुदवासी है। "

इन्होंने एक बार फिर से सोने की कोशिश की और मेरे मन में उनकी ममेरी बहन की बातें , नकचढ़ी


" भाभी आप क्या जानेगी मेरे भैया को ,आप तो अभी अभी आयी हैं , मैं जानती हूँ बचपन से ,सब पसंद नापसन्द। "




इत्ता खराब लगता था , शादी के बाद अगर आपके पति के बारे में कोई इस टोन में बात करे

जैसे वो उसे ओन करता है और आप तो बाहरवाली हो

आउटसाइडर ,

कभी कभी वो इनके सामने भी बोलती ,

" भैय्या ये सब बातें हम लोगों की अपनी है ,आउटसाइडर के सामने नहीं करनी चाहिए। "



और वो भी उसी का साथ देते ,हंस के बोलते ,तू एकदम सही बोल रही है ,

और मैं जल के ख़ाक हो जाती। मन करता था उससे पूछुं ,

" क्यों इनसाइडर , तुझे मालुम है तेरे भैया को कैसे लेना पसंद है। कभी पकड़ के देखा है क्या , तू तो सब जानती है न। '

कभो लगता ,


ननद है की सौत ,






वो तो मम्मी के फोन ,... घर में मेरे और तो कोई था नहीं बस बचपन से वही मेरी सखी सहेली फ्रेंड गार्जियन ,


बस मम्मी की बातों ने मेरी सैनिटी बरकरार रखी।

और अब बाजी एकदम पलट गयी थी ,



मेरा पति सिर्फ मेरा।



मैंने मुस्कराकर उनकी ओर देखा ,

भोर की पहली किरण उनके गाल पे छेड़ रही थी।


दुष्ट तू भी मेरे पति पे लाइन मार रही है ,

मैंने हलके से बोला और उन्हें चूम लिया।

उनकी आँख खुल गयी और उन्होंने ड्राइव करने का ऑफर दिया , और हम लोगों ने सीट बदल ली।

हलकी हलकी पुरवाई चल रही थी।

हवा में ताज़ी हुयी बारिश की भीगी भीगी सी महक घुली हुयी थी ,लगता था अभी बस थोड़ी ही देर पहले बारिश थमी थी।



सड़क के किनारे छोटे छोटे गड्ढो में जमा बारिश का पानी इस बात की गवाही भी दे रहा था।

आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।

आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।



और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,


ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।




दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे




और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।






आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,

अपने पति को गांडू बनाने और चुतिया बनाने की सारी मेहनत कोमल ने दुसरो से खासकर अपने दोनो जीजू से चुदने के लिए ही की थी

तो कम से कम कोमल की अपने दोनो जीजू से सैंडविच बनकर चुदने का वर्णन तो दिखा ही सकते थे।

तभी तो नये पाठक कोमल का मकसद जान पाते कि उसने इतना कुछ दिखावा / नाटक सिर्फ दुसरो से अपनी चुदाई करवाने के लिए किया था।
 
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