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Incest "टोना टोटका..!"

Napster

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गाँव का चौराहा ज्यादा दुर नही था इसलिये रुपा व राजु भी अब जल्दी जल्दी चलकर चौराहे पर आ गये जहाँ एकदम सन्नाटा पसरा था, चौराहा ही क्या पुरे गाँव मे ही एकदम सन्नाटा पसरा था। बस रुक रक कर कभी कभी कुत्तो के भौकने की आवाज आ रही थी नही तो सब कुछ एकदम शाँत था। चौराहे के बीच मे आकर दोनो अब खङे हो गये जिससे..

"खङा क्यो हो गया ..? चल कपङे उतार हमे य्.ये कपङे यही छोङकर जाने है..!" रुपा ने अब पहले तो थोङा धीमी सी आवाज मे राजु की ओर देखते हुवे कहा, फिर घुमकर राजु की ओर पीठ करके खङी हो गयी और अपनी शलवार के नाङा खोलने लग गयी। रुपा को देख राजु भी अब अपनी कमीज के बटन खोलने लगा जिससे रुपा ने अब सलवार के साथ साथ अपनी पेन्टी को भी उतारकर जमीन पर ही छोङ दिया।

अब जब तक राजु ने अपनी कमीज को उतारा रुपा ने दुसरी ओर मुँह किये किये ही अपने सुट को भी उतारकर रख दिया और अपनी ब्रा के हुक खोलने लग गयी जिसे देख राजु की आँखे फटी की फटी रह गयी, क्योंकि सुट के उतारते ही वो एकदन नँगी हो गयी थी जिससे उसका गोरा चिकना बदन चाँदनी रात मे एकदम चमक सा उठा था, मानो उसके बदन से ही कोई दुधिया प्रकाश फुट रहा हो... अपनी जीज्जी के गोरे चिकने बदन पर बस एक सफेद रँग की ब्रा ही शेष बची थी और उसे भी वो अब उतारने की कोशिश कर रही थी जिसे देख राजु की साँसे थम सी गयी थी...

ब्रा के हुक के खुलते ही रुपा की चुँचियो पर उसका कसाव ढीला पङ गया था जिससे रुपा ने उसे भी निकालकर बाकी के कपङो पर ही रख दिया और एक हाथ से अपनी चुँचियो को तो दुसरे हाथ से अपनी चुत को छिपाकर धीरे से वो अब राजु की ओर घुम गयी.. राजु ने इससे पहले कभी भी किसी लङकी या औरत को नँगी नही देखा था। रुपा के नँगे बदन को देख वो पहले ही एकदम सुन्न सा हो गया था मगर रुपा के अब उसकी ओर मुँह कर लेने से उसकी साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे अटक कर रह गयी...


रुपा के अपनी‌ चुत को हाथ से छिपा लेने पर भी उसकी जाँघो के जोङ पर छोटे छोटे काले बालो का त्रिकोणी उभार सा अलग ही नजर आ रहा था। उसकी चुत पर बहुत घने व बङे बाल नही थे, शायद हफ्ते दस दिन पहले ही अपनी चुत के बालो को साफ किया था इसलिये चुत पर ज्यादा घने व बङे बाल तो नही थे, बस हल्के से ही बाल थे, मगर गोरे चिकने बदन पर काले बाल अलग ही दिखाई पङते है, इसलिये रुपा की गोरी चिकनी जाँघो के बीच छोटे छोटे काले बालो का त्रिकोण सा बना अलग ही नजर आ रहा था।

"त्.तु भी तो निकाल..!" रुपा ने अब देखा की राजु ने अपनी कमीज तो उतार दी थी मगर नीचे वो अभी पजामा पहने हुवे था इसलिये उसने अब हल्का सा उसके पजामे‌ की ओर इशारा करते हुवे कहा।

राजु की पजामे मे उसका लण्ड एकदम तना खङा था जिससे उसे अपना पजामा उतारते रुपा से डर लग रहा था इसलिये वो अब...

"न्.न.नही्..व्.वो्. जीज्जीई..!" करने लगा, जिससे...

"चल जल्दी कर, कोई देख ना ले..! उतार इसे, फिर हमे घर भी चलना है..!" रुपा ने अब फिर से कहा, तो राजु ने घुमकर अपना मुँह दुसरी ओर कर लिया और धीरे से अपने पजामे के नाङे को खोलकर उसे भी उतारकर नीचे रख दिया।

राजु कभी कच्छा तो पहनाता नही था इसलिये पजामे को उतारकर वो अब एकदम नँगा तो हो गया मगर उसका लण्ड अभी एकदम तना हुवा था जिससे उसे अपनी जीज्जी से डर भी लग रहा था और शरम‌ भी आ रही थी इसलिये..

"ब्.बस्स्..च्.चलो्ओ्... अब ज्.जीज्जी..!" राजु ने घबराते हुवे दुसरी ओर मुँह‌ किये किये ही कहा जिससे..

"क्या हुवा..? अब मुँह तो इधर कर..!" ये कहकर रुपा ने जिस हाथ से अपनी चुँचियो को छुपा रखा था उस हाथ से उसके कन्धे को‌ पकङकर उसे अपनी तरफ खीँच लिया जिससे...

"व्.व.वो्.. ज्.ज्ई.जिज्जी्..!" करते हुवे राजु ने भी घुमकर अब अपना मुँह रुपा की ओर कर लिया और दोनो हाथो से अपने खङे लण्ड को छुपाकर खङा हो गया।

रुपा को मालुम था की उसके सामने नँगा होने की वजह से वो शरमा रहा है, खुद उसे भी राजु के साथ ये सब करते जोरो की शरम आ रही थी मगर कैसे भी उसे अब ये टोटका पुरा करना था इसलिये रुपा ने अपने चुँचियो वाले हाथ को तो उपर करके वापस अपनी चुँचियो पर ही रख लिया और...

"अब ये हाथ तो हटा..!" उसने अब जिस हाथ से अपनी चुत को छुपा रखा था उस हाथ से राजु के हाथो को पङकर उसके लण्ड पर से हटाते हुवे कहा जिससे राजु ने भी अपने लण्ड पर से हाथ हटा लिया और डर व शरम के मारे...

"व्.व.वो्.. ज्.ज्ई.जिज्जी..!" करते हुवे वो गर्दन को नीचे झुकाकर खङा हो गया मगर उसके एकदम‌ सीधे तने खङे लण्ड को देख रुपा अब...

"य्.य्.ये्. क्.क्या्आ्..." कहकर बोलते बोलते रह गयी। राजु बङा तो हो गया था मगर इतना बङा हो गया होगा रुपा ने‌ ये कभी सपने‌ मे भी नही सोचा था, ये उसे अब उसके‌ एकदम तने खङे लण्ड को देखकर मालुम हो रहा था...

उसके एकदम खङे लण्ड को देख रुपा भी अब एक बार तो सहम सी गयी थी, क्योंकि राजु का लण्ड उसके पेट के समान्तर एकदम सीधा‌ तना खङा था तो टमाटर के जैसा गोल मटोल उसके लण्ड का सुपङा एकदम फुला हुवा अलग ही नजर आ रहा था।‌ राजु के एकदम तने खङे व कुँवारे लण्ड को देख रुपा को अब अजीब सा ही महसुस हुवा तो साथ ही जोरो की शरम सी भी आई। उसके खङे लण्ड को देख रुपा अब इतना तो समझ गयी थी की वो उसे नँगी देखकर उत्तेजित हुवा है मगर वो ये सोचकर हैरान थी की, अपनी ही बहन को देखकर वो कैसे उत्तेजित हो सकता है..?
बहुत ही गरमागरम और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
लिला का रुपा को राजू के नीचे लाने के खेल का पहला पडाव पार पड गया
बडा ही जबरदस्त अपडेट
 

Napster

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खैर उसे ये टोटका जल्दी से पुरा करके अब घर जाना था इसलिये एक नजर राजु के लण्ड को देख उसने अपनी कमर को राजु की कमर के पास ले जाकर अपने पेट को उसके पेट से सटा दिया जिससे राजु के नँगे गठीले बदन के स्पर्श के कारण रुपा के पुरे बदन मे भी अब झुरझुरी की एक लहर सी दौङ गयी। रुपा के अपने पेट को राजु के पेट से सटा देने से उसकी चुत का फुला हुवा भाग भी राजु के लण्ड से स्पर्श हो गया था जिससे अब रुपा को उसके लण्ड से निकलती गर्मी अपनी चुत पर स्पष्ट महसूस हुई, तो वही अपनी जीज्जी की चुत की तपिश को महसूस करके राजु की साँसे भी तेजी से चलनी शुरु हो गयी।


राजु को नही मालुम था की उसकी जीज्जी क्या करना चाह रही है। लीला ने उसे जो कुछ बताया था वो उसके उपर से निकल गया था। उसे बस इतना समझ आया था की यहाँ आकर उसे अपने सारे कपङे निकालकर जो कुछ उसे रुपा करने को कहेगी उसे बस वो करना है। अब राजु ने चुत लेना तो दुर, अपने जीवन मे वो किसी लङकी या औरत को‌ नँगी ही पहली बार देख रहा था, मगर इतना तो उसे मालुम‌ था की लङकी की चुत मे लण्ड डालकर उसे चोदा जाता है इसलिये रुपा के अब इस तरह अपनी चुत को उसके‌ लण्ड के पास कर लेने से उसने तो यही अन्दाजा लगाया की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे‌ लेना चाह रही है इसलिये उत्तेजना व आनन्द के साथ साथ पहली बार चुत मे अपना लण्ड घुसाने की उत्सुकता के वश अपने आप ही उसका एक हाथ अब रुपा की कमर पर आ गया..

राजु के गठीले बदन के नँगे स्पर्श व उसके एकदम तने खङे लण्ड की गर्मी अपनी चुत पर महसूस करके रुपा को भी अब एक अजीब ही अहसास हो रहा था। उसका एकदम गर्म सुलगता लण्ड रुपा को ऐसा महसूस हो रहा था मानो कोई जलती गर्म लोहे की सलाख उसे छु रही हो। उसके लण्ड की तपिस पाकर रुपा को अपनी चुत ही पिँघलती सी महसूस हो‌ने लगी थी जिससे अपने आप ही अब उसके साँसो की गति तेज हो गयी तो वही उसकी चुत मे भी पानी सा भर आया था इसलिये रुपा को अब खुद पर ही जोरो की शरम आने लगी। वो तुरन्त राजु से अलग हो गयी और..

"ऊह्ह्..तु थोङा नीचे तो हो..!" एक हाथ से रुपा ने राजु के कन्धे को दबाते हुवे कहा जिससे राजु अब तुरन्त अपने घुटनो को मोङकर नीचे हो गया। वो अभी भी इसी उत्सुकता मे था की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे लेना चाह रही है मगर रुपा बस उसके लण्ड को अपने पिशाब से धोकर इस टोटके को पुरा करना चाह रही थी इसलिये राजु को नीचे कर रुपा अब अपना एक हाथ नीचे उसके लण्ड पर ले आई....

राजु एकदम जङ सा हुवे खङा था, मगर अब जैसे ही रुपा ने उसके लण्ड को पकङा उसके पुरे बदन मे उत्तेजना की एक लहर सी दौङ गयी और अपनी जीज्जी के नर्म नाजुक हाथ की कोमल उँगलियों के स्पर्श से उसके मुँह से...

"ईश्श् ज्.जि्.ज्जीई..!" की एक हल्की सित्कार सी फुट पङी जिसे सुनकर रुपा को भी अब शरम सी महसुस हुई, मगर उसके एकदम तने खङे और गर्म लण्ड को हाथ मे पकङकर वो भी अब सहम सी गयी थी, क्योंकि उसका एकदम तना खङा पत्थर सा कठोर व गर्म लण्ड रुपा को सुलगता सा महसूस हो रहा था। राजु के लण्ड को पकङकर रुपा को ऐसा लगा रहा था मानो उसने कोई लोहे की गर्म सुलगती सलाख ही हाथ मे पकङ ली हो...
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

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खैर जैसे भी करके वो अब राजु के लण्ड को हाथ से सीधा कर उस पर मुतने की कोशिश करने लगी, मगर राजु का लण्ड था की जो अब सीधा ठहर ही नही रहा था। उत्तेजना के वश वो झटके से खा रहा था जिससे बार बार वो रुपा के हाथ से छुटकर वापस उसके पेट के समान्तर खङा हो जा रहा था। रुपा उसे हाथ से पकङकर जैसे ही उसे सीधा करके उस पर मुतने की कोशिश करती वो उसके हाथ से छुटकर बार बार सीधे हो जा रहा था जिससे रुपा का पिशाब दोनो के पैरो पर ही गिरके रह जा रहा था जिससे...

"तु आराम से खङा रह ना..?" रुपा ने उसे अब डाटते हुवे उसके लण्ड को पकङे पकङे ही कहा। रुपा का इशारा राजु को अपने लण्ड को एक जगह रखने के लिये था, मगर इसमे बेचार राजु का भी क्या कसुर जो उसका अपने लण्ड पर कुछ जोर चलता। उत्तेजना के वश वो अपने आप ही झटके खा रहा था। एक बार तो उसने इतने जोर से झटका खाया की रुपा के हाथ से छुटकर उसके लण्ड ने रुपा की चुत के मुँह पर ही ठोकर मारी और चुत का मुँह खोलकर लण्ड के सुपाङे ने सीधा चुत मे ही घुसने की कोशिश की जिससे रुपा भी तो सुबक सी उठी, मगर फिर...

"तु नीचे बैठ..!" उसने राजु से दुर हटकर वापस एक हाथ से अपनी चुत तो दुसरे हाथ से उपर अपनी चुँचियो को छुपा लिया और झुन्झलाते हुवे कहा, जिससे राजु चुपचाप नीचे बैठ गया मगर वो उकडु (जैसे लङकियाँ पिशाबा करती है) बैठा था इसलिये...

"अब ये टाँगे तो सीधी कर..!" रुपा ने अब फिर से झुँनझुलाते हुवे कहा तो राजु भी चुपचाप नीचे मिट्टी मे कुल्हे टिकाकर पैर सीधे कर दिये और रुपा उसके दोनो ओर पैर करके खङी हो गयी, मानो वो उसके लण्ड की सवारी करने की तैयारी मे हो।

रुपा अभी भी दोनो हाथो से अपनी चुत व चुँचियो को छिपाये हुवे थी, मगर राजु के लण्ड को अपने पिशाब से धोने के लिये वो अब घुटनो को मोङकर अपनी चुत को उसके लण्ड के पास लेकर आई, तो उसने अपनी चुत वाले हाथ को हटा लिया और उस हाथ से राजु के लण्ड को पकङ लिया ताकी वो उसके लण्ड को अपने पिशाब से धो सके... जिससे राजु की नजरे अब उसकी चुत पर ही जमकर रह गयी... क्योंकि घुटनो को मोङ लेने से रुपा की जाँघे खूल गयी थी और उसकी माचिस की डिबिया के समान एकदम फुली हुई चुत अब राजु को साफ नजर आ रही थी...


अपने जीवन मे राजु पहली बार नँगी चुत देख रहा था और वो भी इतने करीब से, इसलिये कुछ देर तो उसे यकिन ही हुवा की चुत ऐसी होती है, क्योंकि मुश्किल से तीन उँगल का एक चीरा भर ही थी रुपा की चुत। मानो उसने जाँघो के जोङ पर कोइ छोटा सा चीरा लगा रखा हो। राजु ने अपने दोस्त गप्पु के साथ एक बार अश्लील किताब मे लङकी की चुत को देखा था जिसमे चुत की बङी बङी फाँके थी और चुत पर कोई बाल भी नही थे। वो एकदम गोरी चिकनी थी मगर रुपा की चुत बिल्कुल भी वैसी नही थी।

हालांकि रुपा के घुटनो को मोङ लेने से उसकी जाँघे थोङा खुल गयी थी जिससे उसकी चुत की फाँके भी खुलकर थोङा अलग अलग नजर आ रही थी, नही तो उसकी चुत जाँघो के जोङ पर लगा बस एक छोटा सा चीरा भर ही थी जिस पर ज्यादा तो नही मगर फिर भी हल्के हल्के और छोटे छोटे बाल थे। उत्तेजना के वश रुपा की चुत से चाशनी की लार के जैसे पारदर्शी सा रश भी बह रहा था जिससे उसकी चुत व जाँघे गीली हो रखी थी और चाँद की रोशनी मे वो चमकती साफ नजर आ रही थी, मगर रुपा ने अब इसकी कोई परवाह नही की। उसे बस अपना ये टोटका पुरा करना था।

राजु बङी ही उत्सुकता से आँखे फाङे रुपा की चुत को देखे जा रहा था। वो अभी भी इसी भ्रम मे था की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे घुसायेगी..., मगर रुपा ने अपनी चुत को उसके लण्ड के पास ले जाकर सीधे ही उस पर मुत की धार छोङकर उसे अपने हाथ से मल मलकर धोना शुरु कर दिया। अपने लण्ड पर रुपा के गर्म गर्म पिशाब के गिरने से व उसके नर्म नाजुक हाथ के ठण्डे स्पर्श से राजु तो जैसे अब हवा मे ही उङने लगा। उसकी साँसे फुल सी गयी तो उत्तेजना व आनन्द के वश उसके मुँह से भी...

"ईश्श्..ज्.ज्जिज्जी..ईश्श्...
...ईश्श्श्...
....ईश्श्श्श.." की सुबकियाँ सी भी फुटना शुरु हो गयी।


रुपा ने राजु के लण्ड को पहले तो उपर उपर से ही धोया, फिर सुपाङे की चमङी को पीछे करके उसके सुपाङे को भी बाहर निकाल लिया और चारो ओर से उसे हाथ से मल मलकर धोने लगी जिससे हल्की हल्की...

‌‌‌‌‌‌‌‌ "ईश्श्..आ्ह्
...ईश्श्श्...आ्ह्
....ईश्श्श्श....आ्ह..." की सुबकियो के साथ अपने आप ही राजु की कमर भी हरकत मे आ गयी।

उत्तेजना के वश वो अपने कुल्हे उठा उठाकर रुपा के हाथ पर धक्के से मारने लगा, मानो वो उसके हाथ को ही चोद रहा हो जिससे रुपा को राजु पर अब हँशी भी आने लगी और शरम भी। उसने राजु के चेहरे की ओर देखा, तो वो आँखे मुदे था तो उसकी साँसे जोरो से चल रही थी। उस पर क्या बीत रही है ये वो अच्छे से से जान रही थी, क्योंकि राजु के लण्ड को हाथ मे पकङकर खुद रुपा की साँसे भी उखङ सी रही थी तो उसे भी अपनी चुत मे चिँटीयाँ सी काटती महसूस हो रही थी।

धीरे धीरे राजु के‌ प्रति रुपा का भी मन अब बदल सा रहा था इसलिये उसने अब एक बार तो सोचा की वो राजु के लण्ड अपने हाथ से ठण्डा कर दे, ताकी उसकी चुत को अपने‌‌ पिशाब से धोने के समय वो शाँत रहे, मगर पता नही क्यो राजु को इस हाल मे देखकर उसे एक रोमाँच सा महसूस हो रहा था, मानो जैसे राजु को इस हाल मे देखकर उसे मजा आ रहा हो। वैसे भी उसकी टँकी तब तक खाली हो गयी थी इसलिये उसने अपनी चुत से राजु के लण्ड पर तीन चार पिशाब की छोटी छोटी पिचकारीयाँ सी तो छोङी, फिर धीरे से उठकर वो राजु से अलग हो गयी, मगर उत्तेजना व आनन्द की खुमारी मे राजु अभी भी आँखे मुँदे ऐसे ही पङे पङे लम्बी लम्बी व गहरी साँसे लेता रहा...

राजु से अलग होकर रुपा ने अब उसकी हालत देखी तो उसे राजु पर हँशी सी आई तो खुद पर शरम सी महसूस हुई, क्योंकि उसने पिशाब से राजु को जाँघो से लेकर पेट तक पुरा भीगो दिया था। अपने भाई को इस तरह अपने पिशाब से भीगोकर उसे खुद पर शरम सी आ रही थी तो पिशाब से पुरा गीला होकर भी राजु ऐसे ही एकदम नँगा अपने लण्ड को ताने पङा हुवा था जिससे उसे राजु पर हँशी भी आ रही थी। वो अब खङा नही हुवा तो...

"ह्.हो् गया्...! चल उठ जा अब..!" रुपा ने पैर से ही उसके पैर को हिलाते हुवे कहा जिससे राजु भी अब चुपचाप उठकर खङा हो गया।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राजू के लंड को रुपा ने अपनी पेशाब से धोया तो वो बहुत ही उत्तेजीत हो गया कुछ हालत रुपा की भी खराब हो गई अब जब राजू अपने मूत से उसकी चुद धोयेगा तो क्या होगा
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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sunoanuj

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Waiting for next update….
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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इतने ढेर शारे काॅमेन्ट्स व प्यार के लिये सभी का दिल से धन्यवाद!🙏पर माफ कीजियेगा अपडेट बस बुधवार व शनिवार को ही दे सकता हुँ इसलिये अगले अपडेट के लिये शनिवार तक इन्तजार कीजिये और ऐसे ही अपना प्यार बनाये रखियेगा धन्यवाद !
 

Motaland2468

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इतने ढेर शारे काॅमेन्ट्स व प्यार के लिये सभी का दिल से धन्यवाद!🙏पर माफ कीजियेगा अपडेट बस बुधवार व शनिवार को ही दे सकता हुँ इसलिये अगले अपडेट के लिये शनिवार तक इन्तजार कीजिये और ऐसे ही अपना प्यार बनाये रखियेगा धन्यवाद !
I'm still waiting for next update bro
 
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babakhosho

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भाई कब तक आएगा अपडेट?
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अभी तक आपने पढा की लीला ने रुपा को चौराहे पर जाकर अपने पिशाब से राजु के लण्ड को धोकर उसे भी राजु के पिशाब से अपनी चुत को धुलवाने के लिये मना लिया था जिससे चौराहे पर आकर रुपा ने राजु के लण्ड को तो अपने मुत से धो दिया था मगर ये सब करते करते उसकी हालत खराब हो गयी थी अब उसके आगे....

टोटके के हिशाब से अब राजु को रुपा की चुत पर पिशाब करके उसे धोना था इसलिये अनायास ही रुपा की नजर अब राजु के लण्ड पर चली गयी, जो की उसके पिशाब से भीगकर अलग ही चमक सा रहा था और उत्तेजना के मारे हल्के हल्के झटके से खा रहा था। एक नजर राजु के लण्ड की ओर देख...

"चल अब तु भी पिशाब करके धो दे यहाँ..!" ये कहते हुवे रुपा अब राजु के पास आकर खङी हो गयी जिससे...

"क्.क्.क्या्..?" राजु को जैसे अपने कानो पर यकिन नही हुवा की उसकी जीज्जी ने उसे ये क्या कह दिया है इसलिये हैरानी के मारे उसने रुपा के चेहरे की ओर देखते हुवे पुछा।

"त्. तु्म्हे् भी मेरे उपर पिशाब करके हाथ से यहाँ धोना है..!" शरम हया के मारे रुपा ने अपनी चुत का नाम तो नही लिया मगर हाथ से अपनी चुत की ओर इशारा करते हुवे कहा, मगर राजु को ये सुनकर ही जैसे साँप सा सुँघ गया...

लीला ने उसे जो कुछ कहा था उन बातो का मतलब उसे अब समझ आ रहा था इसलिये वो एकदम सुन्न सा होकर रह गया...

"ओ्य् राजु्..! क्या हुवा..? चल जल्दी कर फिर घर चलते है..!" रुपा ने अब खुद ही अपनी कमर को थोङा आगे करके अपनी चुत को राजु के लण्ड के पास लाते हुवे कहा जिससे...

राजु ने भी अब अपने लण्ड को दबाकर पहले तो उसे सीधा किया, फिर अपनी पिशाब की थैली की माँशपेशियो से लण्ड पर जोर लगाया तो उसके लण्ड से निकलकर मुत की मोटी धार सीधा रुपा की चुत से टकराने लगी... अपने लण्ड से मुत की धार छोङते छोङते उसने अब रुपा की चुत को धोने के लिये डरते डरते अपना एक हाथ उसकी ओर बढाया ही था की तब तक अपनी चुत पर गर्म गर्म पिशाब की इतनी तेज धार के टकराने से रुपा सुबक सी उठी और...

"ओय्.ह् ईश्श्.." करके वो तुरन्त पीछे हट गयी...

रुपा के पीछे हटने से राजु भी अब सकते मे आ गया इसलिये वो उसकी चुत पर बस थोङा सा ही मुतकर रुक गया, मगर अपनी चुत पर राजु का गर्म गर्म पिशाब के पङने से रुपा की चुत सुलग सी उठी थी। अपनी प्यासी चुत पर राजु के लण्ड से निकलकर पङने वाली गर्म गर्म मुत की धार को महसूस करके कही ना कही रुपा को भी अच्छा लगा था। वैसे भी उसे ये टोटका पुरा करना था इसलिये एक बार तो वो पीछे हटी मगर फिर...

"ले अब कर...!" ये कहते हुवे उसने वापस आगे होकर अपनी चुत को राजु के लण्ड के पास कर लिया।

राजु ने भी अब फिर से उसकी चुत पर मुतना शुरु कर दिया तो एक बार फिर डरते डरते अपना हाथ भी उसकी जाँघो के बीच ले जाकर उसकी चुत पर रख दिया, जिससे रुपा अब फिर से सुबक सी उठी, मगर इस बार वो पीछे नही हटी, बल्की‌ अपना जो खाली हाथ था उससे राजु के कन्धे को पकङकर उसने अपनी जाँघो को थोङा फैला दिया ताकी राजु का हाथ उसकी चुत पर अच्छे से पहुँच सके...!

राजु ने पहली बार किसी की नँगी चुत को छुआ था इसलिये चुत की कोमल त्वचा के छुवन से ही उसके बदन मे सिँहरन की एक लहर सी दौङ गयी। उसने रुपा की चुत को पहले तो टटोलकर देखा, फिर उस‌ पर अपने लण्ड से मुत की धार छोङते हुवे हल्के हाथ से धीरे धीरे मलना शुरु कर दिया जिससे रुपा की साँसे और भी तेज हो गयी...

राजु पहली बार चुत को छु रहा था इसलिये रुपा की चुत को मलने के बहाने वो अपने हाथ की उँगलियो से ही उसकी पुरी चुत को टटोलकर धीरे धीरे उसका मुआईना सा करने लगा जिससे रुपा की साँसे जोरो से उपर नीचे होने लगी, वो रपहले ही उत्तेजना महसूस कर रही थी अब अपनी चुत पर राजु की उँगलियों के स्पर्श से उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारीयाँ सी भी फुटना शुरु हो गयी..


वैसे भी बस माचिस की डिब्बिया के समान रुपा की चुत छोटी सी ही तो थी जिससे राजु की उँगलियाँ उसकी पुरी चुत पर घुम रही थी। राजु ने पहले तो रुपा की चुत को उपर उपर से ही टटोलकर उसे उँगलियों से मल रहा था, मगर उसे जब चुत की फाँको का अहसास हुवा तो उसने अपनी उँगलियों को चुत की फाँको के बीच उतार दिया जिससे रुपा को अब अपने पुरे बदन मे सिँहरन सी महसूस होने लगी...

राजु अपनी उँगलियो को उसकी चुत की फाँको के बीच के भाग को मलते मलते धीरे धीरे नीचे उसके प्रवेशद्वार की ओर बढा रहा था जिससे रुपा के दिल की धङकन अब बढ सी गयी। उसे नही मालुम था की चुत का प्रवेशद्वार कहाँ पर और कैसा होता है, मगर जैसे जैसे वो अपनी उँगलियो को नीचे की ओर बढा रहा था वैसे वैसे ही उसे अपनी उँगलियों पर चुत की गर्मी का अहसासा हो रहा था जिससे रुपा के दिल की धङकन भी बढती जा रही थी तो उसकी साँसे भी फुल सी आई थी मगर वो कुछ बोल नही पा रही थी इसलिए चुत की फाँके के बीच के भाग को मलते मलते अबकी बार जैसे ही राजु ने अपनी उँगलियों को थोङा और नीचे तक लेकर गया, उसकी बीच वाली उँगली का पौरा मुङकर "गप्प्.." से उसकी चुत मे उतर गया जिससे उत्तेजना के वश...
"ईश्श्श्..ओय्.ह्..!" की सित्कार सी भरकर रुपा जोरो से सिसक उठी और स्वतः ही उसकी जाँघे कँपकँपाकर बन्द हो गयी।

राजु को कुछ भी नही मालुम था की ये क्या हुवा और क्यो हुवा..? मगर रुपा के सित्कारने से वो एकदम डर सा गया और उसने तुरन्त अपने हाथ को खीँचकर उसकी चुत पर से हटा लिया।‌ उत्तेजना व आनन्द के के मारे रुपा मानो जैसे आसमान मे उड सी रही थी मगर अब राजु के डर‌कर उसे‌ ऐसे छोङ देने से रुपा को ऐसा लगा मानो वो आसमान मे उङते उङते अचानक धरातल पर आ गीरी हो जिससे...

"अ्ह्.ह्.हा.ओ..हो गया...?" उत्तेजना के कारण रुपा हाँफ सी रही थी इसलिये उसने अब अपनी उखङती साँसो को काबु मे करते हुवे पुछा। वैसे भी तब तक राजु के पिशाब की धार कमजोर पङ गयी थी इसलिये रुपा को छोङकर वो अब पीछे हट गया और...

"अ्.ह्.हाँ..ज्.जिज्जी.ई.!" राजु की साँसे भी जोरो चल रही थी इसलिये उसने भी अपनी साँसो को रोकते हुवे कहा।

रुपा अब कुछ देर तो‌ ऐसे ही वही खङे खङे हाँफती सी रही, फिर...

"चल तो अब घर चलते..!" रुपा ने अब वापस अपने‌ हाथ से अपनी चुत को छुपाते हुवे कहा जिससे राजु भी अपना एक हाथ अपने लण्ड को‌ छुपाकर चुपचाप आगे होकर घर के लिये चलने लगा तो रुपा भी एक हाथ से अपनी चुँचियो को तो दुसरे हाथ से अपनी चुत छिपाकर उसके पीछे पीछे ही चलकर घर आ गयी।
 
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